19 दिसंबर 2018
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यूरोप, अमेरिका आदि ईसाई देशों में इस समय #क्रिसमस डे की धूम है, लेकिन अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है ।
भारत में भी कुछ भोले-भाले हिन्दू क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके साथ क्रिसमस मनाते हैं पर उनको भी नहीं पता है कि क्रिसमस क्यों मनाई जाती है ।
Know the actual history of Christmas and Santa Claus 25 December |
कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन ईशदूत #यीशु मसीह का जन्मदिन होता है पर #सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है । #एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था ।
वास्तव में #पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘#मकर संक्रांति' पर्व आता था और #यूरोप-अमेरिका आदि देश धूम-धाम से इस दिन #सूर्य उपासना करते थे । #सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण #मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।
सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है । #सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है । जिसके अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है । #इसलिए 25 को मकर संक्रांति मनाते थे ।
विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार #सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से #क्रिसमस डे का प्रारम्भ किया गया ।
ईस्वी सन् 325 में निकेया (अब इजनिक-तुर्की) नाम के स्थान पर सम्राट कांस्टेन्टाइन ने प्रमुख #पादरियों का एक सम्मेलन किया और उसमें ईसाईयत को प्रभावी करने की योजना बनाई गई ।
पूरे #यूरोप के 318 पादरी उसमें सम्मिलित हुए । उसी में #निर्णय हुआ कि 25 दिसम्बर मकर संक्रान्ति को #सूर्य-पूजा के स्थान पर ईसा पूजा की परम्परा डाली जाये और इस बात को छिपाया जाये कि ईसा ने 17 वर्षों तक #भारत में धर्म शिक्षा प्राप्त की थी । इसी के साथ ईसा मसीह के मेग्डलेन से विवाह को भी नकार देने का निर्णय इस सम्मेलन में किया गया था । और बाद में #पहला क्रिसमस डे 25 दिसम्बर सन् 336 में मनाया गया ।
आपको बता दें कि #यीशु ने #भारत के कश्मीर में ऋषि मुनियों से साधना सीखकर 17 साल तक #योग किया था बाद में वे रोम देश में गये तो वहाँ उनके स्वागत में पूरा रोम शहर सजाया गया और मेग्डलेन नाम की #प्रसिद्ध वेश्या ने उनके पैरों को इतर से धोया और अपने रेशमी लंबे बालों से यीशु के पैर पोछे थे ।
बाद में #यीशु के अधिक लोक संपर्क से #योगबल खत्म हो गया और उनको सूली पर चढ़ा दिया गया तब पूरा रोम शहर उनके खिलाफ था । रोम शहर में से केवल 6 व्यक्ति ही उनके सूली पर चढ़ने से दुःखी थे ।
क्या है #क्रिसमस और संता क्लॉज का कनेक्शन ?
क्या आप जानते हैं कि #जिंगल बेल गाते हुए और लाल रंग की ड्रेस पहने संता क्लॉज का क्रिसमस से क्या रिश्ता है..?
संता क्लॉज का #क्रिसमस से कोई संबंध नहीं!!
आपको जानकर हैरत होगी कि #संता क्लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं है ।
ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि #तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप #संत निकोलस के नाम पर सांता क्लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था, वे गरीब और बेसहारा बच्चों को तोहफे दिया करते थे।
#अब न यीशु का क्रिसमस से कोई लेना देना है और न ही संता क्लॉज से ।
फिर भी #भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं ये सब #भारतीय #संस्कृति को खत्म करके #ईसाईकरण करने के लिए #भारत में #क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप #सावधान रहें ।
फिर भी #भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं ये सब #भारतीय #संस्कृति को खत्म करके #ईसाईकरण करने के लिए #भारत में #क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप #सावधान रहें ।
ध्यान रहे हिन्दुओं का #नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है ।
हिन्दू महान #भारतीय #संस्कृति के महान ऋषि -मुनियों की #संतानें हैं इसलिये दारू पीने वाला-मांस खाने वाला #अंग्रेजो का #नववर्ष मनाये ये भारतीयों को शोभा नहीं देता है ।
क्या अंग्रेज भारतीय #नव वर्ष मनाते है ?
नहीं!!
फिर भारतीय क्यों उनका #नववर्ष मनाएं..???
क्या अंग्रेज भारतीय #नव वर्ष मनाते है ?
नहीं!!
फिर भारतीय क्यों उनका #नववर्ष मनाएं..???
भारत में जितने #सरकारी कार्य है वो 31 मार्च को बन्द होकर 2 अप्रैल से नये तरीके से शुरू होते हैं क्योंकि भारतीय नववर्ष उसी समय आता है ।
हिन्दू #संतों ने हमें सदा भारत की दिव्य #संस्कृति से परिचित कराया है और आज भी #हिन्दू #संत #हिन्दू संस्कृति की सुवास चारों दिशाओं में फैला रहे हैं। इसी कारण उन्हें विधर्मियों द्वारा न जाने कितना कुछ सहन भी करना पड़ा है ।
अभी गत वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन #मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू #संत #आसाराम #बापू ने 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में शुरू करवाया, भारतवासी भी 25 दिसम्बर #तुलसी पूजन करके मनाये ।
तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है,मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है।
मरने के बाद भी #मोक्ष देनेवाली #तुलसी पूजन की महत्ता बताकर जन-मानस को #भारतीय #संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि विज्ञान से परिचित कराया हिन्दू संतों ने ।
धन्य है ऐसे #संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय,अत्याचार को न देखकर #संस्कृति की सेवा में आज भी सेवारत हैं ।
25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें ।
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