Friday, December 21, 2018

जानिए 25 दिसम्बर क्रिसमस और संता क्‍लॉज का वास्तविक इतिहास

19 दिसंबर 2018
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🚩 यूरोप, अमेरिका आदि ईसाई देशों में इस समय #क्रिसमस डे की धूम है, लेकिन अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है ।
🚩 भारत में भी कुछ भोले-भाले हिन्दू क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके साथ क्रिसमस मनाते हैं पर उनको भी नहीं पता है कि क्रिसमस क्यों मनाई जाती है ।
Know the actual history of Christmas and Santa Claus 25 December

🚩कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन ईशदूत #यीशु मसीह का जन्मदिन होता है पर #सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है । #एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था ।
🚩 वास्तव में #पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘#मकर संक्रांति' पर्व आता था और #यूरोप-अमेरिका आदि देश धूम-धाम से इस दिन #सूर्य उपासना करते थे । #सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण #मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।
🚩सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है । #सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है । जिसके अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है । #इसलिए 25 को मकर संक्रांति मनाते थे ।
🚩विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार #सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से #क्रिसमस डे का प्रारम्भ किया गया ।
🚩ईस्वी सन् 325 में निकेया (अब इजनिक-तुर्की) नाम के स्थान पर सम्राट कांस्टेन्टाइन ने प्रमुख #पादरियों का एक सम्मेलन किया और उसमें ईसाईयत को प्रभावी करने की योजना बनाई गई ।
🚩पूरे #यूरोप के 318 पादरी उसमें सम्मिलित हुए । उसी में #निर्णय हुआ कि 25 दिसम्बर मकर संक्रान्ति को #सूर्य-पूजा के स्थान पर ईसा पूजा की परम्परा डाली जाये और इस बात को छिपाया जाये कि ईसा ने 17 वर्षों तक #भारत में धर्म शिक्षा प्राप्त की थी । इसी के साथ ईसा मसीह के मेग्डलेन से विवाह को भी नकार देने का निर्णय इस सम्मेलन में किया गया था । और बाद में #पहला क्रिसमस डे 25 दिसम्बर सन् 336 में मनाया गया ।
🚩आपको बता दें कि #यीशु ने #भारत के कश्मीर में ऋषि मुनियों से साधना सीखकर 17 साल तक #योग किया था बाद में वे रोम देश में गये तो वहाँ उनके स्वागत में पूरा रोम शहर सजाया गया और मेग्डलेन नाम की #प्रसिद्ध वेश्या ने उनके पैरों को इतर से धोया और अपने रेशमी लंबे बालों से यीशु के पैर पोछे थे ।
🚩बाद में #यीशु के अधिक लोक संपर्क से #योगबल खत्म हो गया और उनको सूली पर चढ़ा दिया गया तब पूरा रोम शहर उनके खिलाफ था । रोम शहर में से केवल 6 व्यक्ति ही उनके सूली पर चढ़ने से दुःखी थे ।
🚩क्या है #क्रिसमस और संता क्‍लॉज का कनेक्शन ?
क्या आप जानते हैं कि #जिंगल बेल गाते हुए और लाल रंग की ड्रेस पहने संता क्‍लॉज का क्रिसमस से क्या रिश्ता है..?
🚩संता क्‍लॉज का #क्रिसमस से कोई संबंध नहीं!!
आपको जानकर हैरत होगी कि #संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं है ।
🚩ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि #तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप #संत निकोलस के नाम पर सांता क्‍लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था, वे गरीब और बेसहारा बच्‍चों को तोहफे दिया करते थे।
🚩#अब न यीशु का क्रिसमस से कोई लेना देना है और न ही संता क्‍लॉज से ।
फिर भी #भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं ये सब #भारतीय #संस्कृति को खत्म करके #ईसाईकरण करने के लिए #भारत में  #क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप #सावधान रहें ।
🚩ध्यान रहे हिन्दुओं का #नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है ।
हिन्दू महान #भारतीय #संस्कृति के महान ऋषि -मुनियों की #संतानें हैं इसलिये दारू पीने वाला-मांस खाने वाला #अंग्रेजो का #नववर्ष मनाये ये भारतीयों को शोभा नहीं देता है ।

🚩क्या अंग्रेज भारतीय #नव वर्ष मनाते है ?
नहीं!!
फिर भारतीय क्यों उनका #नववर्ष मनाएं..???
🚩भारत में जितने #सरकारी कार्य है वो 31 मार्च को बन्द होकर 2 अप्रैल से नये तरीके से शुरू होते हैं क्योंकि भारतीय नववर्ष उसी समय आता है ।
🚩 हिन्दू #संतों ने हमें सदा भारत की दिव्य #संस्कृति से परिचित कराया है और आज भी #हिन्दू #संत #हिन्दू संस्कृति की सुवास चारों दिशाओं में फैला रहे हैं। इसी कारण उन्हें विधर्मियों द्वारा न जाने कितना कुछ सहन भी करना पड़ा है ।
🚩अभी गत वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन #मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू #संत #आसाराम #बापू ने 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में शुरू करवाया, भारतवासी भी 25 दिसम्बर #तुलसी पूजन करके मनाये ।
🚩तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है,मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है।
🚩 मरने के बाद भी #मोक्ष देनेवाली #तुलसी पूजन की महत्ता बताकर जन-मानस को #भारतीय #संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि विज्ञान से परिचित कराया हिन्दू संतों ने ।
🚩धन्य है ऐसे #संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय,अत्याचार को न देखकर #संस्कृति की सेवा में आज भी सेवारत हैं ।
🚩 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें ।
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Thursday, December 20, 2018

बलात्कार केस में 10 साल काटी जेल, मौत के 10 माह बाद कोर्ट ने माना निर्दोष

20 दिसंबर 2018

🚩महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावना से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है । 

🚩न्यायालय भी ऐसा हो चुका है कि निर्दोषों को न्याय उनको मरणोपरांत मिल रहा है ये भी एक अन्याय ही है । अभी एक हाल में ऐसा ही मामला सामने आया है ।
10 years in rape case, 10 years after death

🚩बेटी ने बलात्कार का आरोप लगाया तो बाप को दस साल जेल की सजा काटनी पड़ी । सीने पर इस आरोप का बोझ ढोते-ढोते बाप की मौत हो गई, अब जाकर मौत के दस महीने बाद कोर्ट ने बाप को निर्दोष माना है । निचली अदालत के गलत फैसले के चलते निर्दोष पिता को दस साल तक जेल में रहना पड़ा । कोर्ट ने माना कि निचली अदालत के एक गलत दृष्टिकोण के कारण नाबालिग बेटी से कथित बलात्कार के मामले में व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ, जबकि व्यक्ति अपने साथ अन्याय होने की बात शुरुआत से कह रहा था । दिल्ली उच्च न्यायालय ने आखिरकार बरी कर दिया, निचली अदालत द्वारा व्यक्ति को दोषी ठहराये जाने और 10 साल जेल की सजा सुनाये जाने के 17 साल बाद यह फैसला सामने आया है ।

🚩उच्च न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया कि इस मामले में ना तो जांच सही से हुई और ना ही सुनवाई । यह मामला व्यक्ति की बेटी की शिकायत पर दर्ज कराया गया था । न्यायमूर्ति आर.के. गाबा ने कहा कि व्यक्ति पहले दिन से ही मामले में अनुचित होने की बात कहता रहा और दावा करता रहा कि किसी लड़के ने उसकी बेटी को अगवा कर लिया और उसे बहकाया । जनवरी 1996 में जब बलात्कार की प्राथमिकी दर्ज की गई उस समय लड़की गर्भवती मिली थी । हालांकि जांच एजेंसी और निचली अदालत ने उसकी दलीलों पर कोई ध्यान नहीं दिया । उच्च न्यायालय ने कहा कि पिता ने उस लड़के के नमूने लेकर भ्रूण के डीएनए का मिलान करने को कहा था, लेकिन पुलिस ने कोई बात नहीं सुनी और निचली अदालत ने इस तरह की जांच का कोई आदेश नहीं दिया । अदालत ने कहा कि जांच स्पष्ट रूप से एकतरफा थी । इस समय यह अदालत केवल सभी संबंधित पक्षों की ओर से बरती गयी निष्क्रियता की निंदा कर सकती है ।

🚩लड़की ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि सेना की इंजीनियरिंग सेवा में इलेक्ट्रीशियन उसके पिता ने 1991 में उसके साथ पहली बार दुष्कर्म किया था जब वे जम्मू कश्मीर के उधमपुर में रहते थे । निचली अदालत में लड़की द्वारा रखे गये तथ्यों का जिक्र करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि लड़की पर मामले की जानकारी देने पर कोई रोक नहीं थी और जैसा कि उसने कहा कि 1991 में उसके साथ बलात्कार का सिलसिला शुरू हुआ तो उसे इस बारे में उसकी मां, भाई-बहनों या परिवार के अन्य किसी बुजुर्ग को बताने से किसी नहीं रोका था । उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि लड़के और लड़की के बीच शारीरिक संबंधों की संभावना की भी गहन जांच होनी चाहिए थी । दुर्भाग्य से नहीं हुई । उच्च न्यायालय ने 22 पन्नों के फैसले में कहा, ‘‘पिछले तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर यह अदालत निचली अदालत के इस निष्कर्ष से सहमत नहीं है ।" ( स्त्रोत : एन डी टीवी)

🚩निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नए कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करने वाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ।

🚩न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि रेप के केस 90% झूठे पाए जाते हैं ।

न्यायालय भी ऐसा बन चुका है कि समझ से परे है, एक न्यायालय सजा देता है और दूसरा न्यायालय निर्दोष बरी कर देता है ।

🚩जनता न्यायालयों को न्याय का मंदिर तथा न्यायधीशों को न्याय का देवता मानती थी और उन्हें सर्वाधिक आदर भी देती थी लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया लोगों के हृदय में न्यायालयों की छवि धूमिल होती गयी और इस छवि के धूमिल होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण जो था, वो था न्यायालयों के द्वारा दिए गए फैसले ।

🚩आजकल न्यायालयों द्वारा फैसले दिए नहीं बल्कि बेचे जाने लगे हैं और अगर आप पिछले कुछ वर्षों पर गौर करेंगे तो आपको देखने को मिलेगा कि न्यायालय द्वारा एक-एक करके सिर्फ हिन्दू संस्कृति, हिन्दू साधु-संतों तथा हिन्दू त्यौहारों पर कुठाराघात किया जा रहा है, सबरीमाला मंदिर और राम मंदिर का ज्वलंत उदाहरण आप सबके सामने है ।

🚩ये वही देश है जहां जब कसाब जैसे आतंकियों को फैसला सुनाना होता है तब तो कोर्ट रात को 2:30 बजे भी खुलते हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर बड़े दुःख के साथ ये कहना पड़ रहा है कि इसी देश में वर्षों तक निर्दोष संतों, निर्दोष व्यक्तियों, निर्दोष हिंदुत्वादी कार्यकर्ताओं को सालों बीत जाते हैं जेल में सिर्फ न्याय की आस में ।

🚩अभी हाल ही में पादरी फ्रैंको मुल्लकल जैसे आरोपी, जिस पर अत्यंत संगीन आरोप लगे फिर भी उसे 21 दिनों में ही बेल मिल गई जबकि दूसरी ओर बापू आसारामजी जिन्हें एक झूठे आरोप में 5 वर्षों से भी अधिक समय तक जेल में रखा फिर आजीवन कारावास की सज़ा सुना दी गई ।

🚩न्यायव्यवस्था के दोगलेपन पर जनता आक्रोश में है साफ-सुथरी न्यायप्रणाली की मांग कर रही है ।

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Wednesday, December 19, 2018

कर्नाटक की सेक्यूलर सरकार हिन्दुत्ववादियों के साथ कर रही है पक्षपात

18 दिसंबर 2018

🚩भारत की न्यायदेवी  के आंखों पर बंधी पट्टी निष्पक्षता दर्शाती है; परंतु प्रत्यक्ष में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार तथा जनता दल सेक्यूलर की गठबंधन सरकार हिन्दुत्ववादियों की हत्या के प्रकरणों की अनदेखी कर, हिन्दुत्ववादी संगठनों को समाप्त करने हेतु कानून तथा पुलिस का उपयोग कर रही है ।

🚩एक ओर कर्नाटक के 23 हिन्दुत्ववादियों के हत्याकांड के सूत्रधार को खोजने का प्रयास नहीं किया जा रहा । भटकल के भाजपा विधायक डॉ. चित्तरंजन तथा भाजपा के स्थानीय नेता तिमप्पा नाईक के हत्यारों  को आज 14 वर्ष उपरांत भी कर्नाटक पुलिस खोज नहीं पाई । इसके विपरीत दूसरी ओर वामपंथी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या प्रकरण में तत्काल ‘एसआईटी’ गठित कर 16 हिन्दू कार्यकर्ताआें को बंदी बनाया गया । इन हिन्दू आरोपियों की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि न होते हुए भी उनपर कठोर ‘कोक्का’ की धाराएं लगाईं गईं; परंतु पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के मैसूर स्थित ‘आबिद पाशा और गैंग’ ने रा.स्व.संघ-बजरंग दल-भाजपा आदि हिन्दू संगठनों के 7 हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ताआें की क्रूर हत्या की, यह जांच में उजागर हुआ; फिर भी उनपर अभी तक ‘कोक्का’ क्यों नहीं लगाया गया ? उन्हें हर बार न्यायालय में जमानत मिले, इसके लिए जांच में त्रुटियां रखनेवाले अधिकारियों पर आज तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? इस प्रकरण के आरोपियों की ओर से जमानत की शर्तों का उल्लंघन होते हुए भी, उनके संदर्भ में न्यायालय में शिकायत करने पर भी पुलिस उनकी जमानत रद्द नहीं करती, इसके विपरीत उनमें से 3 आरोपी नगरपालिका के चुनाव में एस.डी.पी.आई. के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हैं और आबिद पाशा ‘स्टार प्रचारक’ के रूप में चुनाव में घूम रहा था । ये सब देखते हुए यह संदेह उत्पन्न होता है कि ये जांच की त्रुटियां हैं या कर्नाटक सरकार ही आबिद पाशा गैंग पर मेहरबान है । 
कर्नाटक की सेक्यूलर सरकार हिन्दुत्ववादियों के साथ कर रही है पक्षपात

🚩कर्नाटक सरकार के इस पक्षपात के कारण हिन्दुत्ववादियों की हत्या करनेवाले धर्मांध अपराधी आज मैसूरु शहर में खुलेआम घूम रहे हैं, इस प्रकरण में परिजनों को तथा साक्षिदारों को धमकाने का प्रयास किया जाता है । जिसकी वजह से इस आक्रमण से पीड़ित निर्दोष हिन्दुत्ववादियों के परिजन प्राण हथेली पर रखकर आतंक की छाया में जी रहे हैं । इन हिन्दू परिवारों को कर्नाटक सरकार से न्याय मिलेगा क्या, ऐसा प्रश्‍न हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने इस समय किया । वे मैसूरु के प्रेस क्लब की पत्रकार परिषद में बोल रहे थे । इस समय पत्रकार परिषद में हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अधिवक्ता अमृतेश एन.पी., हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य समन्वयक श्री. गुरुप्रसाद गौड़ा तथा आबिद पाशा के आक्रमण से बाल-बाल बचे श्री. वी. गिरीधर, आनंदा पै तथा मृत त्यागराज पिल्लई के भाई वरदराज पिल्लई उपस्थित थे ।

🚩रमेश शिंदे ने आगे कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस-जेडी (एस.) सरकार हिन्दुआें पर पक्षपाती कार्रवाई कर रही है । मैसुरु जिले में ही आबिद पाशा गँग ने अनेक हत्याएं धार्मिक विद्वेष से की हैं । इसे कोई वैचारिक मतभेद नहीं कह सकता । त्यागराज पिल्लई की केवल इसलिए हत्या की गर्इ कि उसपर ‘मुसलमान लड़की से निकटता बढ़ाने का संदेह’ था । भाजपा के नेता श्री. आनंदा पै पर आक्रमण हुआ, उससे वे अपने प्राण बचाने में सफल रहे; परंतु उनके साथ दोपहिया वाहन पर बैठे उनके सहयोगी श्री. रमेश की हत्या की गई । भाजपा के युवा मोर्चा के नेता वी. गिरीधर पर आक्रमण हुआ, वे 41 दिवस अस्पताल में रहकर मृत्यु के मुख से लौटे । बजरंग दल की आर्थिक सहायता करने के कारण श्री. हरिश एवं श्री. सतीश इन बंधुआें पर किए प्राणघातक आक्रमण में श्री. सतीश की मृत्यु हो गई । इन प्रकरणों में आबिद पाशा और गँग का हाथ था, तब भी पुलिस ने पर्याप्त जांच किए बिना ही केस बंद कर दिया । इसी आबिद पाशा ने दक्षिण कन्नड़ जिले के अधिवक्ता शांति प्रसाद हेगड़े तथा जगदीश शेणावा की हत्या करने का भी असफल प्रयास किया था । आबिद पाशा ने विघ्नेश और सुधींद्र इन विद्यार्थियों की क्रूर हत्या की, जिसके उपरांत इसी प्रकरण के साक्षी बजरंग दल के के. राजू की मार्च 2016 में हत्या की गई । इस हत्या के प्रकरण में आबिद पाशा और गँग को बंदी बनाने पर यह सामने आया कि पहले की 7 हत्याआें में भी उसका ही हाथ था । इस गैंग ने नैतिकता के ठेकेदार बनकर 2014 में परवीन ताज उर्फ मुन्नी नामक मुस्लिम महिला को मुस्लिम विरोधी घोषित कर, उसकी भी हत्या की थी ।

🚩हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता अमृतेश एन.पी. ने जांच की त्रुटियों के विषय में कहा कि आबिद पाशा और गैंग ने ये सभी हत्याएं ठंडे दिमाग से योजनाबद्ध ढंग से किया है और मैसुरु पुलिस तथा कर्नाटक सरकार जांच में जानबूझकर त्रुटियां रखकर उसकी सहायता कर रही थी । इस कारण आबिद पाशा और उसकी गैंग के आरोपी या तो मुक्त हो गए अथवा उन्हें तत्काल जमानत मिल गई । कुछ प्रकरणों में इन आरोपियों पर ‘युएपीए’ जैसे कठोर कानून के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट किए गए थे । फिर भी पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध नहीं किया और आश्‍चर्यजनक रूप से आरोपपत्र प्रविष्ट करते समय ‘युएपीए’ कानून की धाराएं हटा दी गईं । ‘युएपीए’ कानून के अनुसार 30 दिन की पुलिस अभिरक्षा (कस्टडी) मिल सकती है, तब भी मुजम्मिल नामक आरोपी को केवल 7 दिन की पुलिस अभिरक्षा मांगकर छोड़ दिया गया । मा. न्यायालय ने पुलिस पर कठोर टिप्पणी करते हुए गैंग के आरोपियों को जमानत पर छोड़ा । कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में, अर्थात वर्ष 2016 में ही अबिद पाशा ने यह स्वीकार किया था कि उसने 25 लोगों की सहायता से 7 हिन्दुआें की हत्या की; परंतु मुसलमानों के इकट्ठा मतों के लिए कांग्रेस शासन निष्क्रीय रहा और पुलिस ने जानबूझकर की ढीली जांच के कारण आरोपियों को लाभ मिलता गया । इससे कर्नाटक की धर्मनिरपेक्ष सरकार और पुलिस आबिद पाशा गैंग पर मेहरबान है, यह दिखाई देता है ।

🚩इस पूरे प्रकरण से यही दिखाई देता है कि कर्नाटक सरकार हिन्दुत्ववादियों की हत्याआें के विषय में गंभीर नहीं है । इतनी हत्याएं करके भी आबिद पाशा सहित उसकी गैंग के सभी अपराधी आज मैसुरू नगर में खुलेआम घूम रहे हैं, जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं । उन्होंने विघ्नेश और सुधींद्र इन विद्यार्थियों की हत्या प्रकरण के साक्षी के. राजू की हत्या की, इसका उदाहरण सामने होते हुए भी किसी भी साक्षी को सुरक्षा नहीं दी गई है । इस कारण हिन्दुत्ववादियों के परिजन आतंक की छाया में जी रहे हैं । इन हिन्दुत्ववादियों के परिजनों को न्याय दिलाने हेतु हमारी शासन से मांगें हैं . . .

1. आबिद पाशा और गैंग के सदस्यों ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है, इसलिए उनकी जमानत रद्द कर, उन्हें तत्काल बंदी बनाया जाए ।

2. हिन्दुत्ववादियों के परिजनोंको तथा साक्षी (गवाह)को तत्काल सुरक्षा दी जाए तथा शासन उनकी आर्थिक सहायता करे ।

3. इन प्रकरणों की जांच सी.बी.आई. अथवा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण को सौंपकर गहन जांच की जाए । इसमें मैसुरु की हत्याआें के फरार सूत्रधार ‘टिंबर आतिक’ को खोजा जाए तथा  कर्नाटक के अन्य स्थानों के हिन्दुत्ववादियों की हत्याआें से भी इन आरोपियों का कोई संबंध है क्या, इसकी जांच की जाए ।

4. प्रकरणों की जांच में तथा न्यायालयीन कामकाज में त्रुटि रखनेवाले अधिकारियों को निलंबित कर उनकी जांच की जाए ।

5. ‘कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी’ नामक प्रतिबंधित सिमी से संलग्न संगठन के आबिद पाशा और गँग के ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ इस संस्था से संबंध ध्यान में रखते हुए उसे प्रतिबंधित किया जाए ।

🚩हिंदुस्तान में ही हिंदुओं की एकता न होने के कारण आज हिंदुओं की दुर्दशा हो रही है, अपने धर्म के प्रति जागरूक नहीं है,हिन्दू जाति-पाति में बंटा है और सेक्युलर बनता जा रहा है जिसके कारण आज हिन्दू संस्कृति, हिन्दू मंदिरों, हिंदुनिष्ठ व हिंदू साधु-संतों के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं । अब हिंदुओं को जागरूक होना पड़ेगा ।

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Tuesday, December 18, 2018

गीता के दीवाने अकबर की रानी से लेकर विदेश के प्रधानमंत्री व तत्वचिंतक रहे है

18 दिसंबर 2018
🚩श्रीमद्भागवत गीता सिर्फ हिंदुओं का ही नहीं अपितु मानव मात्र का ग्रंथ है । ये एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें प्रत्येक धर्म, मजहब, मत, पंथ के लोगों के कल्याण का मार्ग बहुत ही सरलता से बताया गया है और हो भी क्यों न, आखिर इसका ज्ञान स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने जो दिया है ।
Gita's crazy queen has been the prime minister
and philosopher from Akbar's queen
🚩वैसे तो इस ग्रंथ का सभी धर्म के लोग सम्मान करते हैं लेकिन कट्टर मुसलमान की बच्ची और अकबर की रानी ताज भी इस गीताकार के गीत गाये बिना नहीं रहती थीं ।
ताज अपनी एक कविता में कहती हैं कि...
सुनो दिलजानी मेरे दिल की कहानी तुम ।
दस्त ही बिकानी, बदनामी भी सहूँगी मैं ।।
देवपूजा ठानी मैं, नमाज हूँ भुलानी ।
तजे कलमा कुरान सारे गुनन गहूँगी मैं ।।
साँवला सलोना सिरताज सिर कुल्ले दिये ।
तेरे नेह दाग में, निदाग हो रहूँगी मैं ।।
नन्द के कुमार कुरबान तेरी सूरत पै ।
हूँ तो मुगलानी, हिन्दुआनी रहूँगी मैं ।।"

🚩अकबर की #रानी ताज अकबर को लेकर आगरा से #वृंदावन आयी । #कृष्ण के मंदिर में आठ दिन तक कीर्तन करते-करते जब आखिरी घड़ियाँ आयी, तब ‘#हे कृष्ण ! मैं तेरी हूँ, तू मेरा है...’ कहकर उसने सदा के लिए माथा टेका और #कृष्ण के चरणों में समा गयी । #अकबर बोलता है : ‘‘जो चीज जिसकी थी, उसने उसको पा लिया । हम रह गये...’’
🚩गीता पढ़कर 1985-86 में गीताकार की #भूमि को प्रणाम करने के लिए #कनाडा के #प्रधानमंत्री मि. #पीअर #ट्रुडो #भारत आए थे ।
🚩ट्रुडो ने कहा है : ‘‘#मैंने #बाइबिल पढ़ी, एंजिल पढ़ी और अन्य धर्मग्रंथ पढ़े । #सब ग्रंथ अपने-अपने स्थान पर #ठीक हैं किंतु #हिन्दुओं का यह ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ ग्रंथ तो अद्भुत है । इसमें किसी मत-मजहब, पंथ या सम्प्रदाय की निंदा-स्तुति नहीं है वरन् इसमें तो #मनुष्यमात्र के विकास की बातें हैं । गीता मात्र हिन्दुओं का ही धर्मग्रंथ नहीं है बल्कि #मानवमात्र का धर्मग्रंथ है ।’’
🚩ख्वाजा दिल मुहम्मद ने लिखा : ‘‘रूहानी गुलों से बना यह गुलदस्ता हजारों वर्ष बीत जाने पर भी दिन दूना और रात चौगुना महकता जा रहा है । यह गुलदस्ता जिसके हाथ में भी गया, उसका जीवन महक उठा । ऐसे #गीतारूपी गुलदस्ते को मेरा #प्रणाम है । #सात सौ श्लोकरूपी फूलों से सुवासित यह गुलदस्ता #करोड़ों लोगों के हाथ गया, फिर भी मुरझाया नहीं ।’
🚩इतना ही नहीं #महात्मा थोरो भी #गीता के ज्ञान से प्रभावित हो के अपना सब कुछ छोड़कर अरण्यवास करते हुए एकांत में कुटिया बनाकर #जीवन्मुक्ति का आनंद लेते थे ।
🚩श्रीमद्भगवद्गीता के विषय में संतों एवं विद्वानों के विचार!!
🚩श्रीमद्भगवद्गीता भारत के विभिन्न मतों को मिलानेवाली रज्जु तथा राष्ट्रीय-जीवन की अमूल्य संपत्ति है । भारतवर्ष का राष्ट्रीय धर्मग्रंथ बनने के लिए जिन-जिन विशेष गुणों की आवश्यकता है, वे सब श्रीमद्भगवद्गीता में मिलते हैं । इसमें केवल उपयुक्त बातें ही नहीं हैं अपितु यह भावी विश्वधर्म का सर्वोपरि धर्मग्रंथ है । भारतवर्ष के प्रकाशपूर्ण अतीत का यह महादान मनुष्य-जाति के और भी उज्जवल भविष्य का निर्माता है ।  - मि. एफ.टी. बू्रक्स
🚩श्रीमद्भगवद्गीता योग का एक ऐसा ग्रंथ है जो किसी जाति, वर्ण अथवा धर्मविशेष के लिए ही नहीं अपितु सारी मानव-जाति के लिए उपयोगी है । - डॉ. मुहम्मद हाफिज सैयद
🚩किसी भी जाति को उन्नति के शिखर पर चढ़ाने के लिए गीता का उपदेश अद्वितीय है ।
- वॉरेन हेस्टिंग्स (भारत का वायसराय)
🚩भारतवर्ष के धार्मिक-साहित्य का कोई अन्य ग्रंथ भगवद्गीता के समान स्थान प्राप्त करने योग्य नहीं प्रतीत होता । - डॉ. रिचार्ड गार्वे
🚩भगवद्गीता में दर्शनशास्त्र और धर्म की धाराएँ साथ-साथ प्रवाहित होकर एक-दूसरे के साथ मिल जाती हैं । भगवद्गीता और भारत के प्रति हम लोग (जर्मन लोग) आकर्षित होते रहते हैं । - डॉ. एल्जे. ल्युडर्स (जर्मनी)
🚩सत् क्या है इसका विवेचन भगवद्गीता में बहुत अच्छी तरह से किया गया है । विश्व में यह ग्रंथ-रत्न अप्रतिम है, अद्भुत है ।
- लॉर्ड रोनाल्डशे
🚩बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है । उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है । मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ कि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाये हैं, उनका समाधान गीताग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है । उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरपूर लगे इसीलिए गीताजी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं । वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है । - एफ. एच. मोलेम (इंग्लैन्ड)
🚩गीताग्रंथ अद्भुत है । #विश्व की 578 #भाषाओं में #गीता का अनुवाद हो चुका है । हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों एवं भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, होती रहेंगी क्योंकि  इस  ग्रंथ  में सभी देश,  जाति, पंथ  के  सभी  मनुष्यों  के  कल्याण  की अलौकिक सामग्री भरी हुई है ।
अतः हम सबको #गीताज्ञान में अवगाहन करना चाहिए । #भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करानेवाला यह #गीताग्रंथ विश्व में अद्वितीय है । - ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज
🚩विरागी जिसकी इच्छा करते हैं, संत जिसका प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं और पूर्ण ब्रह्मज्ञानी जिसमें ‘अहमेव ब्रह्मास्मि’ की भावना रखकर रमण करते हैं, #भक्त जिसका #श्रवण करते हैं, जिसकी त्रिभुवन में सबसे पहले वन्दना होती है, उसे लोग ‘#भगवद्गीता’ कहते हैं ।                                                                                -संत #ज्ञानेश्वरजी
🚩गीता के ज्ञानामृत के पान से मनुष्य के जीवन में साहस, समता, सरलता, स्नेह, शांति, धर्म आदि दैवी गुण सहज ही विकसित हो उठते हैं । अधर्म, अन्याय एवं शोषकों का मुकाबला करने का सामर्थ्य आ जाता है । निर्भयता आदि दैवी गुणों को #विकसित करनेवाला, भोग और #मोक्ष दोनों ही प्रदान करनेवाला यह ग्रंथ पूरे विश्व में अद्वितीय है ।
- संत आसारामजी बापू
🚩जिस मनुष्य ने श्रीमद्भगवद्गीता का थोड़ा भी अध्ययन किया हो, श्रीगंगाजल का एक बिन्दु भी पान किया हो अथवा भगवान श्रीविष्णु का सप्रेम पूजन किया हो, उसे यमराज नजर उठाकर देख भी नहीं सकते । अर्थात् वह संसार-बंधन से मुक्त होकर आत्यन्तिक आनन्द का अधिकारी हो जाता है ।                                                                            - जगद्गुरु श्री शंकराचार्यजी
(स्त्रोत्र :  संत श्री आसारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित, ऋषि प्रसाद)
गीता की महिमा विदेश के प्रधानमंत्री व तत्वचिंतक समज सकते है तो फिर भारत के हिन्दू कब समझेंगे ? गीता पढ़कर #हिन्दू धर्म की महत्ता समझ गये तो भारत में हिन्दू #गीता, #उपनिषद आदि हिन्दू धर्मग्रंथों को क्यों नही पढ़ रहे हैं? हिंदुओं ने अपने धर्म की उपेक्षा करने लगे है और पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित होने लगे हैं इसलिए आज भारतीय संस्कृति पर प्रहार होने लगा है और #विदेशी #ताकतें #हिन्दुओं का #धर्मान्तरण करवा रहे हैं ।
🚩विदेशों में श्री गीता का महत्व समझकर स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाने लगे है, भारत सरकार भी अगर बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनना चाहती है तो सभी स्कूलों कॉलेज में गीता अनिवार्य कर देना चाहिए ।
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