Monday, March 18, 2019

आसानी से घर में ही प्राकृतिक रंग बनाएं, रासायनिक रंगों की हानि से बचें

18 मार्च 2019
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🚩होली रंगों का त्यौहार है, हँसी-खुशी का त्यौहार है, लेकिन होली के भी अनेक रूप देखने को मिलते है। प्राकृतिक रंगों के स्थान पर रासायनिक रंगों का प्रचलन, ठंडाई की जगह नशेबाजी और लोक संगीत की जगह फ़िल्मी गानों का प्रचलन इस आधुनिक रूप से होली मनाने से बहुत नुकसान होता है ।
आपको हम रासायनिक रंगों से होने वाली हानियां और अपने घर में ही सस्ते में प्राकृतिक रंग किस प्रकार बना सकते हैं, उसके बारे में बताते है।

🚩रासायनिक रंगों से होने वाली हानि...
1 - काले रंग में लेड ऑक्साइड
पड़ता है जो गुर्दे की बीमारी, दिमाग की कमजोरी करता है ।
🚩2 - हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है जो आँखों में जलन, सूजन, अस्थायी अंधत्व
लाता है ।
3 - सिल्वर रंग में एल्युमीनियम ब्रोमाइड होता है जो कैंसर का कारक होता है ।
🚩4- नीले रंग में प्रूशियन ब्लू (कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस) होता है जिससे भयंकर त्वचारोग होता है ।
5 - लाल रंग में मरक्युरी सल्फाइड
होता है जिससे त्वचा का कैंसर होता है ।
🚩6- बैंगनी रंग में  क्रोमियम आयोडाइड
होता है जिससे दमा, एलर्जी
होती है ।
🚩अब आपको घर में ही प्राकृतिक रंग बनाने की सरल विधियाँ बता रहे हैं जो आसानी से बनाकर उपयोग कर सकते हैं और मना सकते हैं एक स्वस्थ होली ।
https://youtu.be/DMVf3mo2Frs
🚩केसरिया रंग - पलाश के फूलों से यह रंग सरलता से तैयार किया जा सकता है। पलाश के फूलों को रात को पानी में भिगो दें । सुबह इस केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लाएं अथवा उबालकर होली का आनंद उठायें ।*
यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढ़िया है। शास्त्रों में भी पलाश के फूलों से होली खेलने का वर्णन आता है । इसमें औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है । रक्तसंचार को नियमित व मांसपेशियों को स्वस्थ  रखने के साथ ही यह मानसिक शक्ति तथा इच्छाशक्ति में भी वृद्धि करता है ।
🚩सूखा हरा रंग - मेंहदी  का पाउडर तथा गेहूँ या अन्य अनाज के आटे को समान मात्रा में मिलाकर सूखा हरा रंग बनायें । आँवला चूर्ण व मेंहदी को मिलाने से भूरा रंग बनता है, जो त्वचा व बालों के लिए लाभदायी है ।
🚩सूखा पीला रंग - हल्दी व बेसन मिला के अथवा अमलतास व गेंदे के फूलों को छांव में सुखाकर पीस के पीला रंग प्राप्त कर सकते हैं।
🚩गीला पीला रंग - एक चम्मच हल्दी दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पड़ने वाले रंग जो खाने के काम आते हैं, उनका भी उपयोग कर सकते हैं । अमलतास या गेंदे के फूलों को रात को पानी में भिगोकर रखें, सुबह उबालें ।
🚩लाल रंगः लाल चंदन (रक्त चंदन) पाउडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं । यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है । दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर उबालने से लाल रंग प्राप्त होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलायें ।

🚩पीला गुलाल : (१) ४ चम्मच बेसन में २ चम्मच हल्दी चूर्ण मिलायें | (२) अमलतास या गेंदा के फूलों के चूर्ण के साथ कोई भी आटा या मुलतानी मिट्टी मिला लें ।
🚩पीला रंग : (1) 2 चम्मच हल्दी चूर्ण 2 लीटर पानी में उबालें | (2) अमलतास, गेंदा के फूलों को रातभर भिगोकर उबाल लें ।

*🚩जामुनी रंग : चुकंदर उबालकर पीस के पानी में मिला लें।के
🚩काला रंग : आँवले के चूर्ण को लोहे के बर्तन में रातभर भिगोयें ।
🚩लाल रंग : (1) आधे कप पानी में दो चम्मच हल्दी चूर्ण व चुटकीभर चूना  मिलाकर 10 लीटर पानी में डाल दें | (2) 2 चम्मच लाल चंदन चूर्ण 1 लीटर पानी में उबालें ।
🚩लाल गुलाल : सूखे लाल गुड़हल के फूलों का चूर्ण उपयोग करें ।
🚩हरा रंग : (1) पालक, धनिया या पुदीने की पत्तियों के पेस्ट को पानी में भिगोकर उपयोग करें | (2) गेहूँ की हरी बालियों को पीस लें ।
🚩हरा गुलाल : गुलमोहर अथवा रातरानी की पत्तियों को सुखाकर पीस लें ।
🚩भूरा हरा गुलाल : मेहँदी चूर्ण के साथ आँवला चूर्ण मिला लें ।  स्त्रोत : संत श्री आसारामजी आश्रम से प्रकाशित ऋषि प्रसाद
आपको बता दें कि यदि पलाश का रंग आपको कहीं न मिलता हो तो अपने नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम में संपर्क कर सकते हैं, उनके आश्रम में ये रंग  मात्र 10 रुपये में ही मिल जाता है। 079-39877730 पर संपर्क भी कर सकते है। यहाँ से ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं । http://www.ashramestore.com/single.php?id=767
🚩रासायनिक रंगों के कुप्रभावों की जानकारी होने के बाद बहुत से लोग स्वयं ही प्राकृतिक रंगों की ओर लौट रहे हैं। चंदन, गुलाबजल, टेसू (पलाश) के फूलों से बना हुआ रंग तथा प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की परंपरा को बनाए हुए है । आप भी केमिकल रंगों को त्यागकर घर में ही प्राकृतिक रंग बनाकर होली खेले और स्वथ्य रहें ।
🚩सभी देशवासियों से अनुरोध है कि आप केमिकल रंगों से होली न खेलें और न ही जानवरों जैसे कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैस आदि पर कोई रंग डाले क्योकि रंग में केमिकल होता है। वो अपने आप को साफ़ करने के लिए अपने को जीभ से चाटते है और वो केमिकल उनके पेट में जाता है और बीमार पड़ जाते है या मर जाते हैं ।
🚩होली पर गाए-बजाए जाने वाले ढोल, मंजीरों, फाग, धमार, चैती और ठुमरी, वैदिक गानों से ही करनी चाहिए । फिल्मो के गानों से करने से हानि होती है । उससे भी बचें ।
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Sunday, March 17, 2019

जनता ने होली के लिए ट्वीटर पर चलाई एक मुहिम,जानिए क्या है वह मुहिम

17 मार्च 2019
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🚩 दुनिया में सनातन हिन्दू धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें एक के बाद एक त्यौहारों की झड़ी सी लगी होती है । एक पर्व समाप्त हुआ नहीं कि दूसरा आने की बाट जोहता है और इन सभी त्यौहारों की खासियत ये है कि इन सबके पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण जरूर छिपा होता है ।
🚩हिन्दू धर्म के पर्वों को हर्ष, उल्लास और पवित्रता के साथ मनाने का विधान है और ये भी एक कारण है कि हिंदुओं के जीवन में जितनी शांति, जितना उत्साह देखने को मिलता है वो किसी अन्य धर्म-मजहब वालों में नहीं मिलता ।

🚩होली की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, बाजारों में रंग, पिचकारियों की दुकानें भी सज चुकी हैं ऐसे में हमारी सोशल मीडिया इस रंग-बिरंगे त्यौहार होली के रंगों से अछूती कैसे रह सकती है । ट्विटर पर आए-दिन होली के स्वागत में कोई न कोई ट्रेंड देखने को मिलता है, लेकिन आज हमारी नज़र टॉप 10 में चल रहे एक अनोखे ट्रेंड पर गई । टैग था "#IdealHoliVedicHoli" । "वैदिक होली" इस शब्द ने मन में एक उत्सुकता उत्पन्न की और हाथ सहज ही उस टैग की ओर चले गए ।
🚩जब उस टैग को ओपन किया तो उसमें हज़ारों ट्वीट्स थे जो बता रहे थे कि आखिर क्या होती है वैदिक होली ।
🚩उनमें से कुछ ट्वीट्स आपके सामने भी रख रहें हैं:
(1.) स्वाति लिखती हैं कि प्राचीनकाल में होली प्राकृतिक रंगों से ही खेली जाती थी। जिससे स्वास्थ्यलाभ व आध्यात्मिक लाभ मिलता था और सात्विकता बढती थी।आइये हम सब मिलकर मनाएँ वैदिक तरीके से होली। #IdealHoliVedicHoli
https://twitter.com/swati_avhad/status/1107216165036654592?s=19
🚩(2.) शालिनी ने लिखा है कि #IdealHoliVedicHoli की परंपरा प्राचीनकाल से हिन्दू त्यौहारों में सम्मलित है, लेकिन बिकाऊ मीडिया इस पर्व को बहुत ही भद्दे तरीके से दिखाकर  हमारी भावनाओं से खिलवाड़ करती है..
https://twitter.com/Shalini19827373/status/1107221590083698688?s=08
(3.) मकरन्द लिखते हैं कि आजकल होली जैसे पवित्र त्यौहारों में भी लोग शराब इत्यादि का सेवन करते हैं और वही शराब बनाने में कई लीटर पानी भी बर्बाद होता है । उन्होंने आगे प्रधानमंत्री जी को टैग करते हुए लिखा कि मोदी जी आद्यौगिक स्तर पर हो रही पानी की बर्बादी को रोकना चाहिए ताकि उस पानी का उपयोग वैदिक होली मनाने में किया जा सके ।
https://twitter.com/makarandmsgs/status/1107221856480694272?s=19
🚩(4.) कीर्ति लिखती हैं कि Asaram Bapu Ji से प्रेरित  #IdealHoliVedicHoli  के लाभ अनेक:
पानी की बचत..
रासायनिक रंगों से रहोगे दूर..
मिलेगा वर्ष भर स्वास्थ्य भरपूर!
https://twitter.com/spiritualS0UL/status/1107217335117582337?s=19

(5.) ज्योत्स्ना लिखती हैं कि Sant Shri Asaram Bapu Ji ने समाज सेवा के लिए कई कार्य किए हैं। उनमें से एक है वैदिक संस्कृति को लोगों तक पहुंचाना पर मिडिया इस पर भी सिर्फ झूठी खबरें दिखाती है।आओ इस वर्ष खेलें #IdealHoliVedicHoli और अपनी संस्कृति का सम्मान बढ़ायें।
https://twitter.com/Jyot_s76/status/1107208113495699456?s=08
🚩(6.) राजेश ने लिखा है कि कई बीमारियाँ व त्वचा का कैंसर करती,जहरीले रसायनिक रंगों की होली,जान जोखिम में इज्जत भी दांव पर,मत खेलो ऐसी गंदी होली।लेकिन अब तुम भूल न जाना स्वास्थ्य लाभ व भक्ति लाभ से भरने वाली, Sant Shri Asaram Bapu Ji द्वारा प्रेरित पलाश फूलों के रंगों की #IdealHoliVedicHoli
https://twitter.com/rajeshmadaan13/status/1107231507846819840?s=08
(7.) उज्ज्वला पलाश की महिमा बताते हुए लिखती हैं कि पलाश के फूलों से बना रंग शरीर की सप्तधातुओं को विकृत नहीं होने देता, उनमे संतुलन बनाये रखता है ।  #IdealHoliVedicHoli
https://twitter.com/UjwalaPPatil1/status/1107243694011219970?s=19
🚩(8.) अशोकि कहते हैं कि हमारे ऋषि मुनियों ने होली पर पलाश के फुलों से होली खेलने की सुंदर प्रथा शुरू की जिससे हर किसी के जीवन में आरोग्यता बनी रहें। Sant Shri Asaram Bapu Ji ने हमें हसते खेलते जीवन के दुखो को भूलाकर आगे बढ़ने का समय है होली।  #IdealHoliVedicHoli
https://twitter.com/ashokihariom/status/1107244346196156417?s=19
(9.) संजू ने कहा कि होली त्यौहार है खुशियों का

होली त्यौहार है प्रेम और विश्वास का

इसमें रासायनिक रंगों की जहर न मिलाएं..
#IdealHoliVedicHoli
https://twitter.com/Sanju_Hints/status/1107246674039062529?s=19
🚩(10.) अजय ने लिखा कि संतो द्वारा बताई गई  #IdealHoliVedicHoli है ।
केमिकल भरे रंगों से स्वास्थ्य चौपट हो जाता है ।
पूज्य #Bapuji कहते हैं केमिकल से बने रंगों का शरीर पर बहुत खतरनाक असर पड़ता है । इसके स्थान पर पलाश के फूल से अथवा प्राकृतिक फूलों  से बने रंगों से होली खेलनी चाहिए ।
https://twitter.com/Ajaykshu/status/1107247823387451393?s=19
(11.) दीपक कह रहे थे कि होली आने वाली है केमिकल रंगों से बचिए उसके बदले प्राकृतिक पलाश के फूलों से बना रंग का उपयोग कीजिये ये स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है पलाश के फूलों से बना रंग शरीर की सप्तधातुओं को विकृत नहीं होने देता, उनमे संतुलन बनाये रखता है ।  #IdealHoliVedicHoli
https://twitter.com/deepak_hariom/status/1107207488556793856?s=19
🚩तो इस तरीके के हज़ारों ट्वीट्स वैदिक होली के विषय में देखने को मिले । मन मे एक उत्सुकता इस बात को जानने की हुई कि आखिर इस वैदिक होली की शुरुआत किसने की ?
ट्वीट्स को गौर से देखा तो पता चला कि अब से सालों पहले लोगों को कैमिकल रंगों के जहर से बचाने के लिए और उनके स्वास्थ्य की रक्षा के उद्देश्य से हिंदू संत आसाराम बापू ने इस अनोखी होली की शुरुआत की ।
🚩कितनी सहीं बात है कि आज पाश्चात्य अंधानुकरण में हम अपनी संस्कृति को भी भूलते जा रहे हैं । यहां के पवित्र त्यौहारों में अश्लीलता और अपवित्रता डालते जा रहे हैं । जो त्यौहार मिलजुल कर हँसी खुशी से मनाने का होता है, उसे राग-द्वेष से मनाते हैं ।
🚩अंत में यही लिखना चाहेंगे कि
तीज त्यौहार नहीं केवल , जीने की रीति हो होली।
रसायनिक हानिकारक रंग नहीं , स्वास्थ्यवर्धक रंगों की हो होली।
हल्की मान्यताओं के दहन , मंगल भावों के विकास का पर्व बने होली।
प्रेम रंग बरसे हर घर में , आओ मनाएँ ऐसी होली।।
🚩 आओ मनाएं वैदिक होली..
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Saturday, March 16, 2019

कोर्ट ने रेप के आरोपी को कहा 5 पौधे लगाओ, गिरफ्तारी नहीं होगी

16 मार्च 2019
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🚩न्यायलय ने आरोपी को सजा देने के बदले एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया है जिसे लेकर खूब चर्चा हो रही है । केवल 5 पौधे लगाने के बदले रेप के आरोपी को गिरफ्तार होने से रोक दिया ।
गाज़ियाबाद में फ़ास्ट ट्रैक में एक रेप आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट था, लेकिन न्यायालय ने उसको 5 पौधे लगाने को कहा और गिरफ्तारी रोक दी ।

🚩यदि अदालत इस प्रकार की उदारता दिखा रही है तो ये बताए कि भारत में लाखों निर्दोष विचारधीन कैदी जेल में सड़ रहे हैं, उनकी रिहाई कब होगी ? जो झूठे मुकदमे में जेल में हैं, उनको भी तो तुरंत रिहा करना चाहिए ।
🚩आपको बात दें कि विशेष न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक) राकेश वशिष्ठ ने लोनी निवासी राजू उर्फ कल्लू के खिलाफ एक नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म के चार साल पुराने मामले में पिछले छह महीने से ट्रायल के दौरान उपस्थित न होने के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया था ।
🚩आरोपी ने गुरुवार को अदालत में एक अर्जी दाखिल कर वारंट वापस लिए जाने की गुजारिश की, जिसके बाद अदालत ने उन्हें पांच पौधे लगाने का आदेश दिया और साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया कि आदेश का पालन किया गया है ।
बता दें कि अलग-अलग मामलों में कोर्ट के अजीबों गरीब फैसले चर्चा में आ जाते हैं । इस तरह के कई मामले पूर्व में भी देखे जा चुके हैं ।
🚩देश के जेलों में कैदियों की दुर्दशा:-
न्यायालय को हमारे देश की जेलों में वर्षों से बंद उन कैदियों के बारे में भी कभी सोचना चाहिए, जो रिहाई के लिए भी वर्षों से तरस रहे हैं । रिहाई की बाट जोहते न जाने कितनी आंखें पथरा गयीं, कितने जिस्मों में झुर्रियां चढ़ आयीं और कितनी ही जिंदगियां काल का ग्रास बन गईं ।
🚩वर्ष 2016 में फिल्म निर्देशक ओमंग कुमार ने अपनी फिल्म 'सरबजीत' के जरिये लोगों को यह बताने की कोशिश की थी कि किस तरह से एक निर्दोष और गरीब किसान नशे में धुत होकर भारत की सीमा पार करके पाकिस्तान चला जाता है और फिर वहां उसे उस गुनाह के लिए, जो उसने कभी किया ही नहीं था, तमाम तरह की यातानाएं सहनी पड़ती हैं । भारत की जेलों में भी ऐसे न जाने कितने 'सरबजीत' बंद हैं । और अधिक अफसोस की बात तो यह है कि वे पाकिस्तानी नहीं, बल्कि 'हिंदुस्तानी' होने के बावजूद यातनापूर्ण कैद का दंश झेल रहे हैं। ऐसे कैदियों में से करीब 67 फीसदी ऐसे विचाराधीन कैदी हैं, जिन्हें ट्रायल, इन्वेस्टीगेशन अथवा इन्क्वायरी के दौरान प्रतिबंधित (detained) कर दिया गया, लेकिन अब तक न्यायालय द्वारा उन्हें अपराधी घोषित नहीं किया गया है ।
🚩कई कैदी जमानत मिल जाने के बावजूद गरीबी या किसी अन्य मजबूरी की वजह से अपनी जमानत देने में सक्षम नहीं हो पाते, वे निरपराध घोषित होने के बावजूद भी जेलों में सड़ने को मजबूर हैं । अगर विचाराधीन कैदियों में इन कैदियों की संख्या को भी मिला लिया जाये, तो यह संख्या शायद लाखों में पहुंच जायेगी ।
🚩भारतीय जेल सांख्यिकी : 2015 के अनुसार, भारतीय जेलों की सबसे बड़ी समस्या क्षमता से अधिक संख्या में कैदियों का होना है । 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में कुल 1387 जेल हैं, जिनकी कुल क्षमता 3,56,561 कैदियों की है, जबकि वास्तव में वहां 4,18,536 कैदी  (114.4 फीसदी) रह रहे हैं । इस कारण यहां साफ-सफाई को मेंटेन करना या कैदियों को आधारभूत सुविधाएं भी उपलब्ध करवाना मुश्किल होता है ।
🚩भारतीय जेलों की मुख्यत: तीन प्रमुख समस्याएं हैं :
क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या, पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों का न होना और समुचित फंड की कमी । इस वजह से कैदी अमानवीय परिस्थितियों में रहने को मजबूर होते हैं और आये दिन जेल प्रशासन के साथ उनकी झड़प की खबरें भी आती रहती हैं । उचित कानूनी एवं सामाजिक समर्थन का अभाव 'जिस इंसान के पास सामाजिक स्वतंत्रता नहीं है, उसकी कानूनी स्वतंत्रता भी किसी काम की नहीं होती ।
🚩भगत सिंह भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों के संदर्भ में देखा जाये, तो कानून की नजर में जब तक किसी व्यक्ति का अपराध साबित नहीं हो जाता, उसे 'अपराधी' नहीं माना जा सकता । इसके बावजूद हजारों विचाराधीन कैदी आज अपराधियों की तरह जेल की यातनाएं सहने पर मजबूर हैं । आये दिन उन्हें जेल के अंदर होनेवाली हिंसा का भी शिकार होना पड़ता है । इन सबका सीधा असर उनके मनोवैज्ञानिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है । जेल में रहने के दौरान कई कैदियों की मौत हो जाती है, कई अपने परिवार या पड़ोसियों को खो देते हैं, कईयों के घर की पीढ़ियां बचपन से जवानी या जवानी से बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंच जाती हैं । इसके अलावा हमारे समाज में जेल की सजा काट कर आये कैदी को हमेशा से ही हिकारत भरी नजरों से देखा जाता रहा है । यहां तक कि जेल से लौटने के बाद उन्हें अपने परिवार या समुदाय से भी वह सम्मान नहीं मिलता, जो पहले मिला करता था । अगर किसी को जमानत मिल भी गयी, तो भी बार-बार अदालत में पेशी होने की वजह से उसे कहीं जॉब मिलने में परेशानी होती है । विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता भी मुश्किल से मिल पाती है। ऐसे ज्यादातर कैदी गरीब हैं, जिन पर छोटे-मोटे अपराध करने का आरोप है । बावजूद इसके वे लंबे समय से जेलों में बंद है, क्योंकि न तो उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी है और न ही कानूनी सलाहकारों तक उनकी पहुंच है ।
🚩भारतीय संविधान की धारा-21 ने भी भारत के हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार दिया है । संविधान यह कहता है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जायेगा । इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में अधीनस्थ न्यायालयों को सभी आपराधिक मामलों की जल्द-से-जल्द स्पीडी ट्रायल के लिए सुलझाने का निर्देश जारी किया था । यह फैसला निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है, किंतु पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इस फैसले को वास्तविक रूप से अमलीजामा पहनाना उतना ही मुश्किल है । क्षमता से अधिक कैदियों का भार एनसीआरबी द्वारा जारी भारतीय जेल सांख्यिकी के अनुसार, भारतीय जेलों में उनकी वास्तविक क्षमता से करीब 14% अधिक कैदी रह रहे हैं ।  इनमें से करीब दो-तिहाई से भी अधिक कैदी विचाराधीन हैं।
🚩सरकार और न्यायायल को इसपर ध्यान देना चाहिए और जो विचारधीन कैदी है, जिनको झूठे मामलों में सेशन कोर्ट ने सजा भी सुना दी है ऐसा जिस केस में लगता है उनको तुंरत रिहा करना चाहिए ।
🚩सरकार का एक ऐसा भी कर्तव्य बनता है कि समाज को श्रीमद्भागवतगीता अनुसार शिक्षा दी जाए जिससे देश मे कम अपराध हो जिससे न्यायालय, सरकार और जेल प्रशासन को ज्यादा परेशानी न हो सब अपने दिव्य कर्म करके मनुष्य जीवन को सफल बनाए ।
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