04 सितंबर 2019
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महिला सुरक्षा के लिए बने कानूनों का भारी दुरुपयोग हो रहा है और दुरूपयोग कर रही हैं कुछ लालची, महत्वकांक्षी औरतें जो निजी स्वार्थ, पैसों के लालच, ईर्ष्यावश या बदले की भावना से निर्दोष पुरुषों को फंसा रही हैं। इसके कारण जो सही में महिला पीड़ित है उनको भी न्याय नही मिल पाता है।
बता दे कि हर्ष यादव व माधव चौधरी एमिटी विश्वविद्यालय नोयडा में बीए के छात्र हैं। हर्ष के मुताबिक, बुधवार दोपहर करीब दो बजे वह आइ-20 कार से गेट 3बी से विवि में प्रवेश कर रहे थे। गेट पर ही कार सवार छात्रा खड़ी थी। उनके कहने पर छात्रा ने रास्ता नहीं छोड़ा और उनके साथ गाली- गलौज की। आरोप है कि छात्रा 15 से 20 छात्रों के साथ उनके क्लास रूम में घुस गई और मारपीट की। बीच बचाव कर रहे उनके दोस्त माधव व महिला शिक्षिका को भी चोट आई है। उन्होंने छात्रा के अलावा उसके साथ आए कुछ छात्रों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। उधर, छात्रा ने भी तीन छात्रों पर छेड़छाड़ की रिपोर्ट दर्ज कराई है।
दूसरा मामला रतलाम का है जिसमे एक युवक को पत्नी द्वारा 15 लाख का दहेज मांगने पर और दहेज नही देने पर सपरिवार जेल भजेने की धमकी देने पर युवक ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली।
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भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 375 बलात्कार को परिभाषित करती है और धारा 376 बलात्कार की सजा से सम्बंधित है। कानून के अनुसार बलात्कार Cognizable और Non-Bailable आरोप है। Cognizable का मतलब है कि बलात्कार के आरोप में पुलिस आरोपी को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है और बिना कोर्ट की आज्ञा से अनुसंधान शुरू कर सकती है। Non-Bailable का अर्थ है कि बलात्कार के आरोप में आरोपी को बेल नहीं मिलती।
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भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 375 बलात्कार को परिभाषित करती है और धारा 376 बलात्कार की सजा से सम्बंधित है। कानून के अनुसार बलात्कार Cognizable और Non-Bailable आरोप है। Cognizable का मतलब है कि बलात्कार के आरोप में पुलिस आरोपी को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है और बिना कोर्ट की आज्ञा से अनुसंधान शुरू कर सकती है। Non-Bailable का अर्थ है कि बलात्कार के आरोप में आरोपी को बेल नहीं मिलती।
निर्भया केस के बाद सरकार ने महिलाओं से सम्बंधित कानूनों को और कठोर कर दिया। The Criminal Law Amendment Act 2013 के द्वारा सरकार ने भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 375 और 376 को और कठोर कर दिया। उसी अधिनियम द्वारा Indian Penal Code, 1860 की कुछ और धाराएं भी कठोर की गई तथा The Code of Criminal Procedure, 1973 और The Evidence Act, 1872 की कुछ धाराओं में संसोधन किया गया। POCSO Act, 2012 भी लागू किया गया। The Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act 2013 भी बनाया। The Dowry Prohibition Act, 1961 और Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 पहले ही थे। पर दुर्भाग्य ये है कि महिलाओं की रक्षा के लिए लागू किए गए इन कानूनों का महिलाओं के द्वारा ही निर्दोष पुरुषों को फंसाने के लिए भारी दुरुपयोग हो रहा है।
इन कानूनों के दुरुपयोग से निर्दोष पुरुषों की ज़िंदगी तबाह हो रही हैं। कुछ पुरुष निर्दोष होते हुए भी आरोपी सिद्ध होकर सालों साल जेल की प्रताड़ना सहन करते हैं तो कुछ पुरुष कुछ साल जेल में रहकर निर्दोष बाहर आ जाते हैं। कुछ पुरुष तो आरोप के सदमे में खुदकुशी तक कर लेते हैं।
हिंदू संस्कृति रक्षक हिंदू साधु-संतों को भी झूठे केस में फंसाया जा रहा है जैसे कि स्वामी नित्यानंद जी, स्वामी केशवानन्दजी आदि को सेशन कोर्ट ने सजा भी कर दी फिर ऊपरी कोर्ट ने निर्दोष बरी किया, ऐसा ही मामला हिंदु संत आसाराम बापू का भी है उनके पास पुख्ता सबूत है की तथाकथित घटना के समय वहाँ लड़कीं थी ही नही फिर कैसे सजा हुई? खेर वे ऊपरी कोर्ट से निर्दोष बरी हो जाएंगे ।
🏻लेकिन अब प्रश्न ये है कि जो समय निर्दोष पुरुष जेल में प्रताड़ित होकर गुजारते है क्या न्यायपालिका वो समय वापिस दे पाएगी?
🏻जो मानसिक उत्पीड़न निर्दोष पुरुष झेलते हैं क्या न्याय व्यवस्था उसकी भरपाई कर पाएगी?
🏻झूठे आरोप से जो निर्दोष पुरुषों की मान प्रतिष्ठा को हानि होती हैं, क्या अदालत उसकी भरपाई कर पाएगी?
🏻निर्दोष होते हुए भी बलात्कारी का जो कलंक लग जाता है, क्या अदालत उसको मिटा पाएगी?
🏻कोई निर्दोष पुरुष जब सदमे में आकर आत्महत्या कर लेते है तो क्या ये कानून व्यवस्था उसका जीवन लौटा पाएगी?
🏻जब संविधान सबको बराबर मूलभूत अधिकार देता है तो झूठे आरोप में फंसे पुरुष के मूलभूत अधिकारों की रक्षा कैसे होगी? कौन करेगा?
🏻किसी औरत द्वारा लगे झूठे आरोप से किसी पुरुष की परिवार को जो आर्थिक और सामाजिक हानि होती है क्या उस हानि की भरपाई अदालत कर पाएगी?
🏻किसी औरत द्वारा लगे झूठे आरोप से किसी पुरुष की परिवार को जो आर्थिक और सामाजिक हानि होती है क्या उस हानि की भरपाई अदालत कर पाएगी?
🏻क्या झूठे आरोप में प्रताड़ित पुरुष कभी खुद को समाज में सुरक्षित महसूस कर पाएगा?
🏻झूठे आरोप से प्रताड़ित कोई पुरुष क्या कभी कानून व्यवस्था पर विश्वास कर पाएगा?
🏻कानून व्यवस्था से प्रताड़ित मनुष्य भविष्य में कभी जरूरत पड़ने पर कानून का दरवाजा खटखटा पाएगा?
🏻कानून व्यवस्था से प्रताड़ित मनुष्य भविष्य में कभी जरूरत पड़ने पर कानून का दरवाजा खटखटा पाएगा?
ऐसे बहुत से प्रश्न है जिसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। झूठे केसों से एक बात तो स्पष्ठ है कि समाज में नैतिकता का पत्तन हो चुका है। सोचिए अगर किसी परिवार में बस एक कमाने वाला हो और उसी पर कोई लालची औरत बलात्कार का झूठा इल्जाम लगा दे तो बताओ उसके पूरे परिवार का क्या होगा? और अगर वहीं सदमे में आकर आत्महत्या कर ले तो बताओ उसके परिवार का क्या होगा? वास्तविकता ये है कि परिवार के परिवार तबाह हो रहे हैं इन कानूनों के दुरुपयोग से।
पर अब समाज में थोड़ी चेतना भी आ रही है। निर्दोष पुरुषों की रक्षा हेतु आवाज़ उठने लगी है। कुछ सामाजिक संगठन आगे भी आ रहे हैं। #MeToo Movement की तर्ज पर #MenToo Movement विश्वभर में चल रहा है और इसे विश्वव्यापी में समर्थन मिल रहा है। महिला आयोग की तर्ज पर पुरुष आयोग की मांग की जा रही हैं ताकि निर्दोष पुरुषों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा हो।
इस विषय पर एक फ़िल्म भी बन रही है। फ़िल्म का नाम है "INDIA' SONS - TALE OF FALSE RAPE CASE SURVIVORS" जो 2020 में रिलीज होगी। इसमें दिखाया गया है कि किस तरह महिलाओं द्वारा कानूनों के दुरुपयोग द्वारा निर्दोष पुरुषों को फंसाया जा रहा है। इस फ़िल्म में उन कुछ पुरुषों के विषय में भी दिखाया गया है जिन्होंने निर्दोष होते हुए भी झूठे बलात्कार के आरोप की प्रताड़ना झेली है। फ़िल्म का ट्रेलर देखिए 🏻 https://youtu.be/SPH6DMCSC6Q . ये ट्रेलर देखने के बाद आप समझ जाएंगे कि किस तरह कानूनों का दुरुपयोग कर निर्दोष पुरुषों को फंसाया जा रहा है।
पर अभी समाज में जितनी चेतना आई है, जो प्रयास अभी समाज में निर्दोष पुरुषों को बचाने के लिए हो रहे हैं, वे काफी कम है। अभी जरूरत है कि सभी देशवासी एकजुट हो और इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाए। ध्यान रखिए एक गलत बलात्कार का आरोप मतलब एक परिवार की तबाही। अगर आज आवाज़ नहीं उठाई तो कल तबाह होने वाला परिवार आपका भी हो सकता है।
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