Tuesday, May 16, 2023
1400 वर्ष का हिंदू इतिहास उठाकर देख लो आज जो हो रहा है समझ में आ जायेगा...
Monday, May 15, 2023
विदेशी जमीन की देन साबूदाना, साबूदाने खाने से व्रत-उपवास टूट जाते है
15 मई 2023
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🚩साबूदाना मूल रूप से पूर्वी अफ़्रीका का पौधा है।
🚩साबूदाने विदेशी जमीन की देन है,विदेशियों ने भारतीयों के व्रत-उपवास को तोड़ने के लिए साबुदानो को भारत में पैदा करवाया।
🚩साबूदाने खाने से पाचनतंत्र बिगड़ता है,लिवर,किडनी पर बुरा असर पड़ता है,इसलिए भूलकर भी साबूदाने न खायें।
🚩साबूदाना टैपिओका नामक स्टार्च से बनाया जाता है। जब साबूदाने को बनाते है तो सबसे टैपिओका के गूदे को निकालकर किसी बड़े टैंकों में डाल लेते है,फिर कई दिनों तक उसे सड़ाते है, फिर उसमें लगातार केमिकल वाला पानी डाला जाता है,फिर कई तरह के केमिकल डालते है,जो शरीर के लिए नुकसान पहुचाते है, इसे सुखाने के लिए बाद इन पर ग्लूकोज और स्टार्च से बने पाउडर की इस पर पॉलिश की जाती है,उसके बाद साबूदाना बनकर तैयार हो जाता है।
🚩साबूदाना छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होते हैं। भारत मे यह कसावा/टेपियोका की जडों से व अन्य अफ्रीकी देशों मे सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है।
🚩भारत में साबूदाना केवल टेपियोका की जड से बनाया जाता है, जिसे कसावा कहते है।
🚩भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था।
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Sunday, May 14, 2023
बांग्लादेश में करोड़ो हिंदू गायब हो गए, आखिर गए कहा ???
14 May 2023
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🚩भारत में सबसे सम्पन्न और सक्षम होते हुए भी हिन्दू चुप है। अभी कुछ दिन पहले राजस्थान सरकार ने पाकिस्तान से आए हिंदुओं की झोपड़ियों पर बुलडोजर चलवा दिया। केरल में लव जिहाद ,केरल की हिन्दू लड़कियों को निगल रहा हैं। रामनवमी की शोभा यात्रा पर पत्थरबाजी रुकने का नाम नही ले रही हैं।
🚩एक साल पहले बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओक्या परिषद के चटगांव दक्षिण के उपाध्यक्ष जितेंद्र कांति गुहा को चटगांव के पटिया उपजिला में हैदगांव संघ में एक पेड़ से बांधकर पीटा गया। श्री गुहा स्थानीय अवामी लीग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
🚩इससे पहले मुंसिगंज सदर मे एक विज्ञान अध्यापक हृदय वनिक को यह कहने पर परेशान किया गया कि विज्ञान कुरान से नहीं निकला और अधिकांश वैज्ञानिक यहूदी हैं।
🚩इससे पहले मार्च 2021 मे बंग्लादेश में दुर्गा पाण्डाल मे हनुमान जी की मूर्ति के पैरों मे जानबूझ कर कुरान रख कर दंगा करवाया गया।
18 मार्च 2021 को बांग्लादेश में एक इस्लामी समूह के सैकड़ों समर्थकों द्वारा पूर्वोत्तर में स्थित सिलहट डिवीजन में हिंदुओं के 70-80 घरों पर बर्बतापूर्ण हमला करने का मामला सामने आया।
🚩ढाका ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक हिफाजत ए इस्लाम के नेता मामुनुल हक के हजारों अनुयायियों ने सिलहट डिवीजन के सुनामगंज जिले के शल्ला उप जिले में एक हिंदू गाँव पर हमला किया। बताया गया कि काशीपुर, नाचनी, चाँदीपुर और कुछ अन्य मुस्लिम बहुल गाँवों से हक के समर्थक, नवागाँव में एकत्र हुए और उन्होंने स्थानीय हिंदुओं के घरों पर डंडों और देसी हथियारों से हमला किया व 70 से 80 घर तोड़ डाले।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लगभग 70 से 80 हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ की गई थी, लेकिन एक स्थानीय पत्रकार ने दावा किया है कि कम से कम 500 हिंदू घरों में तोड़फोड़ की गई और उन्हें जला दिया गया । इसके अलावा इस्लामी चरमपंथियों ने 8 से अधिक मंदिरों में भी तोड़फोड़ की। इस हमले को फेसबुक पर लाइव किया गया था।
🚩आजादी के वक्त 13.50% हिंदू थे। 2011 की जनगणना के अनुसार अब 8.54% हिन्दू ही बचे हैं। बांग्लादेश में पहली जनगणना में (जब वह पूर्वी पाकिस्तान था) मुस्लिम आबादी 3 करोड़ 22 लाख थी जबकि हिन्दुओं की जनसंख्या 92 लाख 39 हजार थी। 70 वर्षों बाद हिन्दुओं की संख्या केवल 1 करोड़ 20 लाख है जबकि मुस्लिमों की संख्या 12 करोड़ 62 लाख से अधिक हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में यहां हिन्दुओं पर हमलों की कई घटनाएं हुई हैं। हिन्दुओं की संपत्तियों को लूटा गया, घरों को जला दिया गया तथा मंदिरों की पवित्रता को भंग कर उसे आग के हवाले कर दिया गया और ये हमले बेवजह किए गए।
🚩पाकिस्तान का जबरन हिस्सा बन गए बंगालियों ने जब विद्रोह छेड़ दिया तो इसे कुचलने के लिए पश्चिमी पाकिस्तान ने अपनी पूरी ताकत लगा दी।
🚩 पाकिस्तान की सत्ता में बैठे लोगों की पहली प्रतिक्रिया उन्हें 'भारतीय एजेंट' कहने के रूप में सामने आई और उन्होंने चुन-चुनकर शिया और हिन्दुओं का कत्लेआम करना शुरू कर दिया। 24 साल के भीतर ही यह दूसरा क्रूर विभाजन था जिसमें लाखों बंगालियों की मौत हुई। हजारों बंगाली औरतों का बलात्कार हुआ। एक गैरसरकारी रिपोर्ट के अनुसार लगभग 30 लाख से ज्यादा हिन्दुओं का युद्ध की आड़ में कत्ल कर दिया गया। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ 9 महीने तक चले बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हिन्दुओं पर अत्याचार, बलात्कार और नरसंहार के आरोपों में दिलावर को दोषी पाया गया था।
1988 में संविधान संशोधन कर इस्लाम को बांग्लादेश का राजकीय मजहब बना दिया गया। इससे हिंदुओं की स्थिति कानूनन भी नीची हो गई। उनके विरुद्ध हिंसा, जबरन मतांतरण, संपत्ति छीनने, दुष्कर्म आदि के मामले बढ़ गए। इन्हीं हथकंडों का वर्णन प्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने अपनी पुस्तक ‘लज्जा’ में किया, जिससे उन पर मौत का फतवा आया। तबसे उन्हें बाहर भागकर छिप कर रहना पड़ा रहा है। उन्हें कोसा गया, जबकि वह वामपंथी लेखिका रही हैं। उन्हें इसीलिए कोसा गया कि सावधानी से छिपाई गई लज्जा को उन्होंने बाहर ला दिया।
🚩उनके बाद अमेरिकी शोधकर्ता रिचर्ड बेंकिन की पुस्तक ‘ए क्वाइट केस आफ एथनिक क्लींसिंग-द मर्डर आफ बांग्लादेशी हिंदू’ ने उसका प्रामाणिक आकलन किया।
सतत संहार एवं उत्पीड़न से ही बांग्लादेश की हिंदू आबादी नाटकीय रूप से गिरी है। उस क्षेत्र में करीब 30 प्रतिशत हिंदू थे, जो 1971 तक 20 प्रतिशत हो गए। आज वे मात्र 8 प्रतिशत बचे हैं। इस लुप्त आबादी का एक-दो प्रतिशत ही भागकर बाहर गया। शेष मारे गए या छल-बल से मतांतरित करा लिए गए। यह केवल इस्लामी संगठनों, पड़ोसियों, बदमाशों, राजनीतिक दलों द्वारा ही नहीं, सरकारी नीतियों से भी हुआ। कल्पना कीजिए कि भारत सरकार गैर हिंदुओं की संपत्ति लेकर उसे हिंदुओं को दे सकने का कानून बनाए। तब पूरी दुनिया में आलोचना की कैसी आंधी उठेगी, लेकिन ठीक ऐसा ही कानून बांग्लादेश में मजे से चल रहा है, जबकि उसके दुष्प्रभाव से वहां हिंदुओं का विनाश प्रामाणिक तथ्य है। ढाका विवि के प्रो. अब्दुल बरकत की पुस्तक ‘इंक्वायरी इंटू काजेज एंड कांसीक्वेंसेस आफ डिप्राइवेशन आफ हिंदू माइनारिटीज इन बांग्लादेश’ में इसके विवरण हैं।
🚩अगर हिन्दू संगठित होकर एक दूसरे के दुःख को दूर करने लग जाये तो सारे हिंदुओ के दुःख समाप्त हो जायेगे,इसलिए सभी हिन्दू मिलजुलकर रहें और भारत को विश्व की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित करें।
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Saturday, May 13, 2023
शम्भाजी राजे ने अपने शासनकाल में 120 युद्ध किये और एक भी युद्ध में पराभूत नहीं हुए
13 May 2023
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🚩शंभाजी राजा ने अपनी अल्पायु में जो अलौकिक कार्य किए, उससे पूरा हिंदुस्थान प्रभावित हुआ। इसलिए प्रत्येक हिंदू को उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। उन्होंने साहस एवं निडरताके साथ औरंगजेब की आठ लाख सेना का सामना किया तथा अधिकांश मुगल सरदारों को युद्ध में पराजित कर उन्हें भागने के लिए विवश कर दिया। 24 से 32 वर्ष की आयु तक शंभुराजा ने मुगलों की पाशविक शक्ति से लड़ाई की एवं एक बार भी यह योद्धा पराजित नहीं हुआ। इसलिए औरंगजेब दीर्घकाल तक महाराष्ट्र में युद्ध करता रहा । उसके दबाव से संपूर्ण उत्तर हिंदुस्थान मुक्त रहा। इसे शंभाजी महाराज का सबसे बडा कार्य कहना पड़ेगा। यदि उन्होंने औरंगजेब के साथ समझौता किया होता अथवा उसका आधिपत्य स्वीकार किया होता तो वह दो-तीन वर्षों में ही पुन: उत्तर हिंदुस्थान में आ धमकता; परंतु शंभाजी राजा के संघर्ष के कारण औरंगजेब को 27 वर्ष दक्षिण भारत में ही रुकना पडा । इससे उत्तर में बुंदेलखंड, पंजाब और राजस्थान में हिंदुओं की नई सत्ताएं स्थापित होकर हिंदू समाज को सुरक्षा मिली ।
🚩वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भाजी को अयोग्य आदि की संज्ञा देकर बदनाम करते हैं। जबकि सत्य ये है कि अगर वीर शम्भाजी कायर होते तो वे औरंगजेब की दासता स्वीकार कर इस्लाम ग्रहण कर लेते। वह न केवल अपने प्राणों की रक्षा कर लेते अपितु अपने राज्य को भी बचा लेते। वीर शम्भाजी का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। आप वीर शिवाजी के साथ अल्पायु में औरंगजेब की कैद में आगरे के किले में बंद भी रहे थे। आपने 11 मार्च 1689 को वीरगति प्राप्त की थी। इस लेख के माध्यम से हम शम्भाजी के जीवन बलिदान की घटना से धर्मरक्षा की प्रेरणा ले सकते हैं। इतिहास में ऐसे उदाहरण विरले ही मिलते हैं।
🚩औरंगजेब के जासूसों ने सूचना दी कि शम्भाजी इस समय अपने पांच-दस सैनिकों के साथ वारद्वारी से रायगढ़ की ओर जा रहे हैं। बीजापुर और गोलकुंडा की विजय में औरंगजेब को शेख निजाम के नाम से एक सरदार भी मिला जिसे उसने मुकर्रब की उपाधि से नवाजा था। मुकर्रब अत्यंत क्रूर और मतान्ध था। शम्भाजी के विषय में सूचना मिलते ही उसकी बांहे खिल उठी। वह दौड़ पड़ा रायगढ़ की ओर। शम्भाजी अपने मित्र कवि कलश के साथ इस समय संगमेश्वर पहुँच चुके थे। वह एक बाड़ी में बैठे थे कि उन्होंने देखा कवि कलश भागे चले आ रहे है और उनके हाथ से रक्त बह रहा है। कलश ने शम्भाजी से कुछ भी नहीं कहा बल्कि उनका हाथ पकड़कर उन्हें खींचते हुए बाड़ी के तलघर में ले गए परन्तु उन्हें तलघर में घुसते हुए मुकर्रब खान के पुत्र ने देख लिया था। शीघ्र ही मराठा रणबांकुरों को बंदी बना लिया गया। शम्भाजी व कवि कलश को लोहे की जंजीरों में जकड़ कर मुकर्रब खान के सामने लाया गया। वह उन्हें देखकर खुशी से नाच उठा। दोनों वीरों को बोरों के समान हाथी पर लादकर मुस्लिम सेना बादशाह औरंगजेब की छावनी की और चल पड़ी।
🚩औरंगजेब को जब यह समाचार मिला तो वह ख़ुशी से झूम उठा। उसने चार मील की दूरी पर उन शाही कैदियों को रुकवाया। वहां शम्भाजी और कवि कलश को रंग बिरंगे कपडे और विदूषकों जैसी घुंघरूदार लम्बी टोपी पहनाई गयी। फिर उन्हें ऊंट पर बैठा कर गाजे बाजे के साथ औरंगजेब की छावनी पर लाया गया। औरंगजेब ने बड़े ही अपशब्दों में उनका स्वागत किया। शम्भाजी के नेत्रों से अग्नि निकल रही थी परन्तु वह शांत रहे। उन्हें बंदीगृह भेज दिया गया। औरंगजेब ने शम्भाजी का वध करने से पहले उन्हें इस्लाम कबूल करने का न्योता देने के लिए रूहल्ला खान को भेजा।
🚩नर केसरी लोहे के सींखचों में बंद था। कल तक जो मराठों का सम्राट था। आज उसकी दशा देखकर करुणा को भी दया आ जाये। फटे हुए चिथड़ों में लिप्त हुआ उनका शरीर मिट्टी में पड़े हुए स्वर्ण के समान हो गया था। उन्हें स्वर्ग में खड़े हुए छत्रपति शिवाजी टकटकी बांधे हुए देख रहे थे। पिताजी, पिताजी वे चिल्ला उठे- मैं आपका पुत्र हूँ। निश्चित रहिये। मैं मर जाऊँगा लेकिन…..
🚩लेकिन क्या शम्भा जी …रूहल्ला खान ने एक ओर से प्रकट होते हुए कहा-
तुम मरने से बच सकते हो शम्भाजी परन्तु एक शर्त पर।
🚩शम्भाजी ने उत्तर दिया- मैं उन शर्तों को सुनना ही नहीं चाहता। शिवाजी का पुत्र मरने से कब डरता है।
🚩लेकिन जिस प्रकार तुम्हारी मौत यहाँ होगी उसे देखकर तो खुद मौत भी थर्रा उठेगी शम्भाजी- रुहल्ला खान ने कहा।
🚩कोई चिंता नहीं, उस जैसी मौत भी हम हिन्दुओं को नहीं डरा सकती। संभव है कि तुम जैसे कायर ही उससे डर जाते हों। – शम्भाजी ने उत्तर दिया।
🚩लेकिन… रुहल्ला खान बोला, वह शर्त है बड़ी मामूली। तुझे बस इस्लाम कबूल करना है। तेरी जान बक्श दी जाएगी। शम्भाजी बोले- बस रुहल्ला खान आगे एक भी शब्द मत निकालना मलेच्छ। रुहल्ला खान अट्टहास लगाते हुए वहाँ से चला गया।
🚩उस रात लोहे की तपती हुई सलाखों से शम्भाजी की दोनों आँखे फोड़ दी गयी उन्हें खाना और पानी भी देना बंद कर दिया गया।
🚩आखिर 11 मार्च को वीर शम्भा जी के बलिदान का दिन आ गय। सबसे पहले शम्भाजी का एक हाथ काटा गया, फिर दूसरा, फिर एक पैर को काटा गया और फिर दूसरा पैर। शम्भाजी का करपाद विहीन धड़ दिन भर खून की तलैय्या में तैरता रहा। फिर सांयकाल में उनका सर काट दिया गया और उनका शरीर कुत्तों के आगे डाल दिया गया। फिर भाले पर उनके सर को टांगकर सेना के सामने उसे घुमाया गया और बाद में कूड़े में फेंक दिया गया।
🚩मराठों ने अपनी छातियों पर पत्थर रखकर अपने सम्राट के सर का इंद्रायणी और भीमा के संगम पर तुलापुर में दाह-संस्कार किया। आज भी उस स्थान पर शम्भाजी की समाधि है जो पुकार पुकार कर वीर शम्भाजी की याद दिलाती है कि हम सर कटा सकते हैं पर अपना प्यारा वैदिक धर्म कभी नहीं छोड़ सकते।
🚩मित्रों, शिवाजी के तेजस्वी पुत्र शंभाजी के अमर बलिदान की यह गाथा हिन्दू माताएं अपनी लोरियों में बच्चों को सुनायें तो हर घर से महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महान वीर जन्मेंगे। इतिहास के इन महान वीरों के बलिदान के कारण ही आज हम गर्व से अपने आपको श्री राम और श्री कृष्ण की संतान कहने का गर्व करते हैं। आईये, आज हम प्रण लें- हम उन्हीं वीरों के पथ के अनुगामी बनेंगे।
🚩शाहीर योगेश के शब्दो में कहना है, तो…
🚩‘देश धरम पर मिटनेवाला शेर शिवा का छावा था ।
महापराक्रमी परम प्रतापी एक ही शंभू राजा था ।।१।।
🚩तेजपुंज तेजस्वी आंखें निकल गईं पर झुका नहीं।
दृष्टि गई पर राष्ट्रोन्नति का दिव्य स्वप्न तो मिटा नहीं।।२।।
🚩दोनों पैर कटे शंभू के ध्येय मार्गसे हटा नहीं।
हाथ कटे तो क्या हुआ सत्कर्म कभी भी छूटा नहीं।।३।।
🚩जिह्वा काटी रक्त बहाया धरम का सौदा किया नहीं।।
शिवाजी का ही बेटा था वह गलत राहपर चला नहीं।।४।।
🚩रामकृष्ण, शालिवाहनके पथसे विचलित हुआ नहीं।।
गर्व से हिंदू कहने में कभी किसीसे डरा नहीं।।
🚩वर्ष तीन सौ बीत गए अब शंभू के बलिदानको ।
कौन जीता कौन हारा पूछ लो संसारको।।५।।
🚩कोटि-कोटि कंठों में तेरा आज गौरवगान है।
अमर शंभू तू अमर हो गया तेरी जय जयकार है।।६।।
🚩भारतभूमि के चरणकमल पर जीवन पुष्प चढाया था।
है दूजा दुनिया में कोई, जैसा शंभू राजा था ।।७।।
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Friday, May 12, 2023
मध्य प्रदेश में पकड़े गए 11 जिहादी, 50 देशों में फैला है हिज्ब-उत-तहरीर
12 May 2023
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🚩देश में बढ़ रहे इस्लामी कट्टरवाद पर लगाम लगाने के लिए मध्य प्रदेश की पुलिस चौकस नजर रखे हुए है। कट्टरपंथ और उग्रवाद पर मध्य प्रदेश सरकार की जीरो-टॉलरेंस की नीति है। इसी के तहत मध्य प्रदेश पुलिस की आतंक निरोधी दस्ते (ATS) ने हिज्ब उत् तहरीर (HuT: Hizb-Ut-Tahrir) नाम के इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है।
🚩हिज्ब उत् तहरीर नाम का संगठन तहरीक-ए-खिलाफत के नाम से भी जाना जाता है। मध्य प्रदेश ATS ने कड़ी कार्रवाई करते हुए मंगलवार (10 मई 2023) को भोपाल के शाहजहाँनाबाद, ऐशबाग, लालघाटी और पिपलानी में रेड मार कर इसके 10 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। वहीं छिंदवाड़ा से 1 और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से 5 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।
🚩गिरफ्तार किए गए कट्टरपंथियों के पास से तकनीकी उपकरण, देश विरोधी दस्तावेज, कट्टरपंथी साहित्य एवं अन्य सामग्री बरामद की गई हैं। मध्य प्रदेश पुलिस ने आरोपितों पर UAPA सहित भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। ATS उनसे आगे की पूछताछ कर रही है।
🚩कट्टरपंथियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर से टीचर तक शामिल
🚩HuT के कट्टरपंथी अपने कामों को अंजाम देने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग करते थे। वे रेकी करने के लिए ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल करते थे। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में कंप्यूटर इंजीनियर, टेक्नीशियन, टीचर, व्यवासायी, जिम ट्रेनर, कोचिंग सेंटर संचालक, ऑटो ड्राइवर, दर्जी आदि शामिल हैं। ये सभी आम लोगों के बीच रहते हुए और अपना काम करते हुए कट्टरपंथी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।
🚩भोपाल के शाहजहाँनाबाद से गिरफ्तार किया गया 29 साल का यासिर खान जिम ट्रेनर है। शहीद नगर से गिरफ्तार 32 साल का सैयद सामी रिजवी कोचिंग में टीचर है। जवाहर कॉलोनी ऐशबाग से गिरफ्तार शाहरूख दर्जी है, जबकि उसी इलाके से गिरफ्तार 29 साल का मिस्बाहुल हक मजदूरी करता है। ऐशबाग का ही शाहिद ऑटो चलाता है।
🚩भोपाल के ही ऐशबाग का रहने वाला सैयद दानिश अली सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जबकि ऐशबाग का ही 25 वर्षीय मेहराज अली कंप्यूटर टेक्नीशियन है। भोपाल के लालघाटी का रहने वाला 40 साल का खालिद हुसैन टीचर और व्यवसायी है। इसके अलावा, भोपाल से ही ATS ने वसीम खान और 35 साल के मोहम्मद आलम को गिरफ्तार किया है। वहीं, छिंदवाड़ा से गिरफ्तार करीम प्राइवेट नौकरी करता था।
🚩हिज्ब उत् तहरीर (HuT) आतंकी ऐसे करते थे काम
ATS के मुताबिक, ये सभी आरोपित गोपनीय रूप से जंगलों में जाकर क्लोज कॉम्बैट ट्रेनिंग कैंप आयोजित कर निशानेबाजी का अभ्यास करते थे। इसमें हैदराबाद से आए हुए इस्लामी कट्टरपंथी इन लोगों को ट्रेनिंग देने का काम करते थे। ये ट्रेनर अपने काम में माहिर हैं। ट्रेनिंग के अलावा, आरोपितों द्वारा गोपनीय रूप से दर्श (दीनी सभा) का आयोजन करके भड़काऊ तकरीरें दी जाती थीं। इस दौरान लोगों के बीच कट्टरपंथी और जिहादी साहित्य भी बाँटे जाते थे।
🚩मध्य प्रदेश ATS का कहना है कि आरोपित ऐसे युवकों की पहचान करके अपने साथ शामिल करते थे, जो उग्र स्वभाव के हों और अपनी जान देने से भी ना हिचकें। सभी आरोपित आपस में बातचीत करने के लिए डार्क वेब के विभिन्न चैनलों का इस्तेमाल करते थे। इनमें ‘रॉकेट चैट’, ‘थ्रीमा’ जैसे ऐप शामिल हैं। इस तरह के कम्युनिकेशन का उपयोग अधिकतर ISIS जैसे आतंकी संगठनों द्वारा किया जाता है।
🚩ये अधिक से अधिक युवकों को जोड़कर हिंदुओं के खिलाफ जिहाद की योजना बना रहे थे। ये बड़े शहरों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में धमाके करके लोगों में अपना भय कायम करना चाहते थे। इसके लिए वे कई शहरों को चिह्नित भी कर चुके थे। इसके लिए उन्होंने ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया था। रेकी के बाद इलाके का नक्शा बनाकर घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। संगठन में जो भी सदस्य शामिल किए जाते थे, उनसे चंदा जुटाने के साथ-साथ अन्य संसाधन बटोरने के लिए कहा जाता था।
🚩हिज्ब उत् तहरीर: क्या है, कहाँ-कहाँ है
🚩हिज्ब उत् तहरीर उर्फ तहरीक-ए-खिलाफत इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है, जो गैर-इस्लामी इलाकों में शरिया शासन कायम करने की सोच रखता है। इस संगठन के तार 50 से भी अधिक देशों में फैला हुआ है। इस संगठन की हिंसक गतिविधियों एवं सोच को देखते हुए 16 देश प्रतिबंध लगा चुके हैं।
🚩आतंक के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में आतंक करने वालों और कट्टरपंथ की राह पर चलने वालों को बहुत पहले ही सचेत कर दिया था। खरगोन दंगों में जिन कट्टरपंथियों ने पत्थरबाजी की थी, जिन्होंने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया था… उन पर कैसी कार्रवाई होगी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट कर दिया था।🚩मध्य प्रदेश की पुलिस आतंक को कुचलने के लिए तब भी तत्पर थी, आज भी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले PFI के भी 22 सक्रिय सदस्यों को मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं, मार्च 2022 में जमात-ए-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश के मॉड्यूल का भी मध्य प्रदेश की पुलिस ने भंडाफोड़ किया था। इस दौरान 3 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था।
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Thursday, May 11, 2023
क्या आप भी जानना चाहते हैं , कि आख़िर क्यों हैं आशारामजी बापू कारागृह में !!???
11 May 2023
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🚩“भारत” नाम सुनते ही दो चीजें आंखों के सामने आती हैं । एक तो भारत की स्वर्णिम सनातन संस्कृत और यहां की सबसे प्राचीनतम् सभ्यता और दूसरे सनातन संस्कृति के महान वाहक , पोषक व रक्षक संतजन ।
🚩भारत कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए अपने मूल से ही जाना जाएगा । पर क्या भारत पर हुए विभिन्न देशी-विदेशी शासकीय अत्याचारों को भुलाया जा सकता है...?
.......नहीं ना !!
🚩विभिन्न धर्मों के आक्रमणकारियों ने भारत को अपने-अपने मजहब में ढालने का,हमारी संस्कृति को नष्ट करने का पूरा प्रयत्न किया परंतु भारत के अस्तित्व को आहत ना कर पाए।
पर ये सब इतनी आसानी से न हुआ। जाने कितनी महान हस्तियों ने बलिदान दिए। कितने-कितने देश-भक्त और धर्म-प्रेमी विधर्मियों के अत्याचार की बली चढ़ गए, पर भारत की वैदिक संस्कृति को हानि नहीं पहुंचाने दी बल्कि और भी बुलंद कर दिया।
🚩आज भी आधुनिकता की अंधी दौड़ के बावजूद भी भारत में अगर स्थिरता बनी हुई है तो उसका एकमात्र कारण है वंदनीय साधु-संतों के त्याग,तपस्या,बलिदान, उनके द्वारा दी जाने वाली संयम-सदाचार की शिक्षा और...उनकी अनवरत समाज सेवाएं । ऐसे महापुरुषों के लोक-मांगल्य के कार्यों की वजह से ही “सनातन-संस्कृति आज तक दैदिप्यमान सूर्य की भांति प्रकाशित है।
https://youtu.be/3r4Qn7NJwHY
🚩21वीं सदी के हिन्दू संत श्री आसारामजी बापू , जिनका नाम सुनते ही करोड़ों लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता और आंखों में नमी आ जाती है । प्यार से देश-विदेश के वासी इन्हें बापू कहते हैं। भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए जितना कार्य इन्होंने किया है उतना शायद कोई सोच भी नहीं सकता। देश-विदेश के करोड़ों लोगों को सनातन हिन्दू धर्म से न सिर्फ अवगत कराया बल्कि इसकी महानता से भी लाभान्वित होने का मार्ग प्रशस्त किया और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया। https://youtu.be/wmswegtRqus
🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जाने वाले बापू आसारामजी का विशाल हृदय प्राणिमात्र...या यूँ कहें कि चराचर जगत के कल्याण और मंगल के लिए सदैव ही द्रवीभूत रहता है ।
जब दूरदृष्टा बापू आसारामजी ने देखा कि अनेकानेक प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष अत्याचारों से जूझ रहा भारत देश धीरे-धीरे गुपचुप रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर सनातन संस्कृति से दूर किया जा रहा है ।
तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशी सभ्यता को निकाल फेंकना होगा।
🚩बापू आसारामजी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस की सुन्दर सौगात देकर सम्पूर्ण मानवता पर जो उपकार किया है , उसका ऋण कभी उतारा नहीं जा सकता...
25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस जैसा पावन और मंगलकारी महापर्व प्रदान किया...
31 दिसंबर से 1जनवरी तक अंग्रेजी न्यू-ईयर वीक की जगह भारत-विश्व-गुरु अभियान का आयोजन करवा कर देशवासियों...खासकर युवाओं और किशोरवय के बालक-बालिकाओं को उत्सव के नाम पर भोग,वासना और व्यभिचार के गर्त में गिरने से बचाया है।
🚩आदिवासी क्षेत्रों जहाँ तक सरकार के सेवाएं भी नहीं पहुंच पाती , वहाँ वर्षपर्यंत लगातार चलने वाले उपक्रम..."भजन करो,भोजन करो और दक्षिणा पाओ चलाते हैं।इतना ही नहीं समय-समय पर त्योहारों के बहाने उन गरीबों में भण्डारा करना,उन्हें निशुल्क जीवनोपयोगी सामग्री और दवाएं आदि प्रदान करवाते हैं , उनका सहारा बनकर खड़े हैं ताकि धूर्त, चालबाज मिशनरीज उनका धर्म परिवर्तन न करवा दें ।
🚩हिंदुओं के पर्वों को देश द्रोही मौकापरस्त लोग और चालबाज विदेशी कंपनीज मिलकर अपने मकसद के लिए विकृत न कर सकें... इसलिए बापूजी ने इस क्षेत्र में भी बड़े असरकारक,लाभदायक और सुन्दर उपाय हमारी वैदिक संस्कृति के खजाने से खोज निकाले और... विधर्मियों को मुह की खानी पड़ी। सारे उदाहरण बताने जाएं तो, समय व स्थान बौने हो जाएंगे,पर बापूजी के उपचारों का पूरा वर्णन न हो सकेगा...
होली में केमिकल्स के कलर नहीं, नैसर्गिक रंग, पलाश के रंग से वैदिक होली और दीवाली पर प्रदूषण न हो इसीलिए अपने घर के साथ सभी स्थानों पर दीप-दान के महत्व को बताया ।https://youtu.be/xo1H7M3mkq8
🚩संत का अर्थ ही है परम हितैषी और बापू आसारामजी ने न सिर्फ खुद का जीवन सेवा में लगाया , बल्कि सभी देशवासियों को प्रेरित किया है सेवा और लोक-हित के लिए... अपने मूल मंत्र “सबका मंगल सबका भला” के साथ ।
🚩14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे मनाकर जहां देश की युवा पीढ़ी अपना संयम और सदाचार खो रही थी और दुर्बल बन रही थी, अब वही युवा मना रहे हैं सच्चा और पवित्र-प्रेम दिवस अपने माता-पिता के साथ “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के रूप में । जिससे युवानों को मिला उनके बड़े-बुजुर्गों के स्नेह के साथ-साथ संयम और सदाचार पालन करने का आशीष । साथ हीआधुनकिता की आड़ में बिखर रहे परिवार के लोगों को मिला एक दूसरे का साथ । कई परिवारों ने अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम के हवाले कर दिया था उन्होंने भी इस आयोजन से प्रभावित हो अपनी गलतीं सुधारी । युवानो में संयम और उनके लिए परिवार का साथ देश के समुन्नत भविष्य और सर्वांगीण विकास हेतु बहुत जरूरी है...ये बात सिर्फ बापू आसारामजी ने आगे लाई ।
https://youtu.be/LrMcg10aWuk
🚩31 दिसंबर और 1 जनवरी को विदेशी अंधानुकरण करते लोग जब अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे थे तब लोक-हितैषी बापू आसारामजी ने “भारत विश्वगुरु अभियान” को फैलाया ताकि देशवासियों की रक्षा हो सके और सभी को पतन से बचाया जा सके । 25 दिसंबर से 1 जनवरी विदेशी सभ्यता का अनुकरण करने से बहुत हानि हुई है भारतीयों की, पर यही 8 दिन अगर वैदिक संस्कृति से मनाएं जाएं तो अवश्य न केवल पतन से बचाव होगा अपितु सर्वांगीण उन्नति और मंगल होगा ।
इन 8 दिनों में :
तुलसी पूजन दिवस
गौ-गंगा-गायत्री जागृति यात्रा
सहज स्वास्थ्य व योग प्रशिक्षण
गीता-पाठ हवन कार्यक्रम
मंत्र-अनुष्ठान
सामूहिक सेवा
सत्संग आयोजन...
आदि आयोजन होते हैं ताकि मानव, प्रकृति, प्राणी सभी का मंगल हो ! तन तंदरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रगट हो !
न आत्महत्या हो , न गौ-हत्या हो और न ही यौवन-हत्या हो बल्कि आत्मविकास हो ! तुलसी, गौ, गंगा, देश की वैदिक संस्कृति और सच्चे संतों को पूजा जाए और इनकी रक्षा की जाए, सेवा की जाए ! लोग ओजस्वी-तेजस्वी बनें और गीता-ज्ञान से मुक्तात्मा, महानात्मा बन अपने स्वरूप को जानें !https://www.facebook.com/SantShriAsharamJiBapu/videos/10153460984402669/
🚩आज बापू आसारामजी कारागृह में हैं तो सिर्फ इसी वजह से क्योंकि उन्होंने 57+ वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आसारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड़यंत्रों से बचा और करोड़ों देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई।
विभिन्न विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सहीं दिशा मिली । बापूजी के द्वारा किये जाने वाले ये सारे लोक-मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आसारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच झूठे केस के जरिए देश और समाज से उन्हें दूर करने का कुचक्र रचा।
...और इसी षड़यंत्र को अंजाम देते हुए एक महान संत को इतना अपमानित और प्रताड़ित किया ।
https://youtu.be/j1cCIdlT50c
🚩लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते हैं कि बापू आसारामजी केवल एक शरीर हैं अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते हैं और जो सत्य के प्रतीक हैं वे सर्वव्याप्त हैं । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि आयोजन रुकने के बजाय और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी।
🚩दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आसारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच भी नहीं आयी । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं ! बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित , सेवा और आत्मज्ञान के प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा ।
🚩भारत का स्वर्णीम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई हैं । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि, संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थशास्त्र ज्ञान, राजनीति ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे ।
अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत ज्ञान और अनवरत सत्य संकल्प युक्त अभियानों के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक "विश्वगुरु" बन कर रहेगा ।
https://youtu.be/U-kryE2VPc4
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Wednesday, May 10, 2023
अपने जीवन में पेड़-पौधों का कितना महत्व है ???
10 May 2023
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🚩 पहले इतनी गर्मी नहीं पड़ती थी । आज की जैसी स्थति है, वैसी पहले नहीं थी और इसका कारण कुछ वैज्ञानिक बताते हैं कि वायु प्रदूषण करके मनुष्य ने पर्यावरण को इतना नुकसान पहुंचाया है कि धरती के ‘ इको–सिस्टम ‘ को ही हिला कर रख दिया है, जिससे गर्मी लगातार बढ़ रही है । वैज्ञानिक तो ये भी ये कह रहे हैं कि अगर यही हाल रहा तो 2050 तक मुंबई और समुद्र किनारे बसे शहर भी समुद्र में ही डूब जाएंगे ।
🚩होता है और 4 टन ऑक्सीजन वायुमंडल में पेड़ों के माध्यम से प्राप्त होता है । इतने ऑक्सीजन से 18 से 20 लोग आराम से 1 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं । साथ ही पेड़-पौधे, गाड़ियों और कारखानों से उत्पत्ति होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड गैस को भी खींच लेते हैं और ऑक्सीजन में बदल देते हैं ।
🚩इतना तो हम कर ही सकते हैं…
सरकार जितने भी नियम-कानून लागू करे पर उसके साथ-साथ जनता की जागरूकता से ही पर्यावरण की रक्षा संभव हो सकेगी । इसके लिए कुछ अत्यंत सामान्य बातों को जीवन में दृढ़ता-पूर्वक अपनाना आवश्यक है।
जैसे –
1. प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष यादगार अवसरों (जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ) पर अपने घर, मंदिर या ऐसे स्थल पर फलदार अथवा औषधीय पौधा-रोपण करें, जहां उसकी देखभाल हो सके ।
🚩2. उपहार में भी सबको पौधे दें ।
3. शिक्षा संस्थानों व कार्यालयों में विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारीगण राष्ट्रीय पर्व तथा महत्त्वपूर्ण तिथियों पर पौधे रोपें ।
🚩4. विद्यार्थी एक संस्था में जितने वर्ष अध्ययन करते हैं, उतने पौधे लगाएं और जीवित भी रखें ।
5. प्रत्येक गांव/शहर में हर मुहल्ले व कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनाई जाए ।
🚩6. निजी वाहनों का उपयोग कम से कम किया जाए।
7. रेडियो-टेलीविजन की आवाज धीमी रखें। सदैव धीमे स्वर में बात करें। घर में पार्टी हो तब भी शोर न होने दें।
🚩8.जल व्यर्थ न बहाएं ।
9.अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोड़ें । पॉलीथिन का उपयोग न करें । कचरा कूड़ेदान में ही डालें ।
🚩10.अपना मकान बनवा रहे हों तो उसमें वर्षा जल-संरक्षण और उद्यान के लिए जगह अवश्य रखें ।
🚩ऐसी अनेक छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर भी पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है । ये आपके कई अनावश्यक खर्चों में तो कमी लाएंगे साथ ही पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की आत्मसंतुष्टि भी देंगे।
🚩इस बार बारिश में पेड़-पौधे लगाने का न भूलें ।
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