Sunday, August 13, 2023

‘ग़दर 2’ में अच्छा मुस्लिम’ और ‘भाईचारा’ की बातें डालने के पीछे आखिर निर्माताओं की मंशा क्या थी ???

 13 August 2023


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🚩फिल्म ‘ग़दर 2’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। अभिनेता सनी देओल स्टारर इस फिल्म की समीक्षाएँ भी आ चुकी हैं। बड़ी संख्या में दर्शकों ने भी इसे पहले दिन देखा है। इस पर तो काफी कुछ लिखा-सुना जा चुका है। इसीलिए, सीधे मुद्दे पर आते हैं।


🚩अगर आप ये सोच कर ‘ग़दर 2’ देखने जा रहे हैं कि इसमें बॉलीवुड का जो ट्रेंड रहा है उससे कुछ हट कर है, तो आप निराश होंगे। इसमें भी कथित भाईचारे का सन्देश दिया गया है। हिंदुस्तान के मुस्लिम को पाकिस्तानी पीटते हैं। पाकिस्तान में कई ऐसे मुस्लिम हैं जो हिन्दुस्तानियों की मदद करते हैं, उनमें महिलाएँ भी हैं। ये लोग सीधे-सादे दिखाए गए हैं, जो ‘मानवता’ के नाते भारतीयों की मदद करते हैं और मजहब आड़े नहीं आने देते ।


🚩‘अच्छा मुस्लिम’ और ‘भाईचारा’ की बातें डालने की ज़रूरत थी?

अगर आपको 2015 में आई फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ याद होगी तो आपको पाकिस्तान के ‘अच्छे मुस्लिमों’ के बारे में भी पता होगा। एक पत्रकार, जो हनुमान भक्त की मदद करता है। एक मौलवी, जो उसे पुलिस से बचाता है। ठीक ऐसे ही यहाँ ‘ग़दर 2’ में भी कई किरदार हैं।


🚩एक दृश्य में सनी देओल कहते भी हैं , कि अगर पाकिस्तानियों को भारत में रहने का मौका मिला तो आधा पाकिस्तान खाली हो जाएगा। ये ‘भाईचारे ’ का ही सन्देश तो दिया गया है !!!


🚩इसी तरह, सनी देओल के बेटे के किरदार में दिख रहे उत्कर्ष शर्मा पाकिस्तानी जनरल (मनीष वधावा) से कहते हैं कि उन्होंने शरीयत पढ़ी है और उनकी माँ (शकीना के किरदार में अमीषा पटेल) ने उन्हें कुरान भी पढ़ाया है।

अब यहां वो ये जताना चाहते हैं , कि कुरान और शरीयत पाकिस्तानी( व अन्य देशों के) कट्टरवादियों ने ठीक से नहीं पढ़ी, इसीलिए वो हिंसा करते हैं।

" जबकि विदेशों में कुरान जलाने वाले कहते हैं कि इसमें इस्लाम न मानने वालों की हत्या की बात कही गई है।"


🚩जहाँ तक शरीयत का सवाल है, इसके तहत अफगानिस्तान में महिलाओं को शिक्षा और नौकरी से वंचित कर दिया गया है। उन पर कोड़े बरसाए जाते हैं। शरीयत के हिसाब से भारत में भी मुस्लिमों के ‘पर्सनल लॉ’ हैं, जिसके तहत बेटियों को मृत पिता की संपत्ति में हिस्सा तक नहीं मिलता।

शायद आप भूल न गए हों कि ... ' तीन तलाक ’ जैसे ' महिला विरोधी ' नियम इसी कानून का हिस्सा थे, जिसे मोदी सरकार ने निरस्त किया। इसके तहत शौहर द्वारा 3 बार तलाक बोल या मैसेज में लिख तक देने से तलाक हो जाता था।


🚩आज के समय में ‘अच्छा पाकिस्तानी मुस्लिम’ वाली थ्योरी शायद ही लोगों को पचे, क्योंकि राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल तेली की रेकी करने वाला उनका मुस्लिम पड़ोसी ही था, जिसके बाद उनका गला काट डाला गया था। महाराष्ट्र के अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या करने वाला उनका मुस्लिम दोस्त ही था, जिसकी उन्होंने मदद की थी कभी। थोड़ा पीछे जाएँ तो कश्मीर में BK गंजू नामक इंजीनियर की हत्या का कारण उनका मुस्लिम पड़ोसी ही था, जिसने उनके छिपने के ठिकाने के बारे में बता दिया और आतंकियों ने उन्हें मार डाला।


🚩‘ग़दर 2’ में एक जगह सनी देओल डायलॉग बोलते हैं, “अगर रसूल का इस्लाम पढ़ा होता तो दुनिया में ‘गजवा-ए-हिन्द’ नहीं, बल्कि ‘जज्बा-ए-हिन्द’ होता ।” जबकि इस्लामी कट्टरपंथी गजवा-ए-हिन्द का स्रोत हदीथ को ही मानते हैं।

हदीथ के बारे में कहा जाता है , कि इसमें पैगंबर मुहम्मद और उनके परिवार की ही बातें हैं।

पर एक बात तो है कि फिल्म में ‘गजवा-ए-हिन्द’ की चर्चा के बाद कम से कम लोग सर्च तो करेंगे इंटरनेट पर कि ये है क्या ???


🚩यहाँ भी संक्षेप में बता देना आवश्यक है। इस्लामी कट्टरपंथी मानते हैं कि हदीथ में वर्णन है , कि मुस्लिमों और गैर-मुस्लिमों के बीच भारत में एक बड़ा युद्ध होगा। इसीलिए, ये इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकी पूरे दक्षिण एशिया में इस्लाम के शासन या खलीफा के शासन के लिए हिंसा करते हैं। भारत में इस्लामी आक्रांताओं को शासन करने में कई वर्ष लग गए थे। इसके बाद उन्होंने सैकड़ों वर्षों तक राज किया, लेकिन हिन्दू खत्म नहीं हुए। इसीलिए, वो मानते हैं कि जंग जारी है, बाकी है।


🚩इसी तरह, ‘ग़दर 2’ में पाकिस्तान का एक और बुजुर्ग मुस्लिम कहता है कि आज़ादी से पहले सब भाईचारे के साथ रहते थे। सनी देओल का डायलॉग है कि आज़ादी की लड़ाई मुस्लिमों ने भी लड़ी।

...फिर ‘मुस्लिम लीग’ क्या था?

...इस्लामी कट्टरपंथियों ने तो लड़ाई बहादुरशाह ज़फर को बादशाह बनाने के लिए लड़ी।

...खिलाफत के लिए लड़ी (जिसके बाद मोपला मुस्लिमों ने केरल में हिन्दुओं का नरसंहार किया)।

...पाकिस्तान बनाने के लिए लड़ी।


🚩अगर बात की जाती है, कि आज़ादी से पहले चारों ओर भाईचारा था !!!


🚩फिर काशी में नागा साधुओं और औरंगजेब के बीच हुए युद्ध को नज़रंदाज़ कर दिया जाएगा?

🚩अयोध्या को बचाने के लिए कई बार लड़ाइयाँ हुईं।

🚩सोमनाथ भी भयंकर युद्ध के बाद लूटा गया।

🚩बाबर ने कुरान-इस्लाम की बातें कर के ही अपनी फ़ौज में दिल्ली पर कब्जे के लिए जोश भरा।

🚩30,000 से अधिक मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाना कम से कम ‘भाईचारा’ की निशानी तो नहीं ही है !


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Saturday, August 12, 2023

OMG 2 का हिंदुओं को विरोध क्यों करना चाहिए ?


अभी विरोध नहीं किया गया तो आगे क्या होगा ?

12 August 2023
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🚩जब सितंबर 2012 में ‘OMG! Oh My God’ फिल्म आई थी, तब इसे दर्शकों का अच्छा-खासा प्यार मिला था। बढ़िया समीक्षा से लेकर अच्छी कमाई तक, फिल्म ने सब बटोरे।
लेकिन, बाद में सामूहिक चेतना के विकास के साथ हिन्दुओं को इस बात का एहसास हुआ कि उनके साथ छल हुआ है। मूर्तिपूजा के प्रति घृणा फैलाने से लेकर मंदिरों को बदनाम करने तक, इस फिल्म ने हिन्दू विरोध के हर कार्य बखूबी किए थे। अब निर्माता उसकी सीक्वल ‘OMG 2’ लेकर आ गए हैं।

🚩अगर ‘OMG 2’ की समीक्षा की बात करें तो,इसके डायलॉग्स बड़ी चालाकी से लिखे गए हैं। एक साधारण प्लॉट को एक लंबी स्क्रिप्ट में ढाल कर कहानी पिरोई गई है।

🚩‘OMG 2’: मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा तारीफ़, ‘सेक्स एजुकेशन’ पर जोर...

🚩भारत में एक आदत रही है, पश्चिम का अनुसरण करना। वहाँ लोग समलैंगिक आंदोलन करने लगें तो यहाँ समलैंगिकों के पक्ष में बातें करके आधुनिक बनने की होड़ लग जाती है। वहाँ बच्चों को सेक्स के बारे में बताया जाने लगा तो यहाँ सवाल उठने लगे, कि भारत में खुलेआम सेक्स पर बात क्यों नहीं हो सकती ।

🚩मीडिया से एक छोटा सा सवाल – मीडिया द्वारा ‘सेक्स’ को बार-बार भारतीय समाज में ‘Taboo’ बताया जाता है, अर्थात इस पर बात नहीं की जाती !
क्या इसे गलत साबित करने के लिए लोग माता-पिता के सामने अमर्यादित होना शुरू कर दें?

🚩क्या कोई व्यक्ति या कोई महिला अपने माता-पिता या दादा-दादी के सामने सेक्स करने लगेगी तब ये कहा जाएगा कि अब भारत में सेक्स ‘Taboo’ नहीं रहा?
सड़क पर खुलेआम सेक्स होने लगे, तब माना जाएगा कि भारतीय समाज आधुनिक हो गया है?

🚩क्या हम इसीलिए पिछड़े हैं, क्योंकि हमारे यहाँ महिला-पुरुष सार्वजनिक स्थलों पर सेक्स नहीं करते और बंद कमरे में करते हैं तो उसका लाइव प्रसारण नहीं करते?
आखिर क्यूँ ‘इस पर बात होनी चाहिए’ ?
इसका मतलब और जरूरत क्या है आखिर?

🚩खुद को आधुनिक दिखाने के लिए पत्रकारों और फिल्म समीक्षकों की जिस टोली ने फिल्म की स्क्रीनिंग में तालियाँ पीटीं और इसे भर-भर के स्टार दिए, शायद वो भी इसका समर्थन करते हैं , कि सड़क पर हर व्यक्ति ये चिल्लाते हुए गुजरे कि वो मास्टरबेशन करता/करती है।
या बेटा अपने बाप से पूछे कि माँ के साथ आज का सेक्स कैसा रहा।
या फिर दादा अपनी पोती से पूछे कि रात भर क्या-क्या हुआ पति के साथ – क्या यही सब चीजें होंगी तब जाकर हमारा समाज आधुनिक साबित होगा !?

🚩इस फिल्म के नजरिए से देश में सबसे बड़ा विषय...यौन-शिक्षा 

🚩अब आते हैं फिल्म की असली समीक्षा पर। आज पूरी दुनिया का हर विकासशील व गरीब देश निर्धनता, प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से लड़ रहे हैं।
ऐसे में इन सभी मुद्दों को दरकिनार कर क्या हस्तमैथुन के बारे में बच्चों को पढ़ाना आवश्यक है ? और वो भी 5,10 साल के बच्चों को...!?

🚩क्या हस्तमैथुन इतना बड़ा टॉपिक हो गया है, कि देश में घर-घर में इस पर बहस होनी चाहिए और स्कूलों के सिलेबस में शामिल कर के इसे छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए?
क्योंकि अब अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी की इस पूरी फिल्म का तो यही सन्देश है न !!

🚩कहानी की बात करें तो...महाकाल की नगरी उज्जैन में शिवभक्त के बेटे का हस्तमैथुन करते हुए वीडियो वायरल हो जाता है और इसके बाद स्कूल पर मानहानि का केस ठोका जाता है। फिल्म में दिखाया गया है कि, यह इतना बड़ा विषय है कि भगवान शिव को स्वयं इसमें हस्तक्षेप करना पड़ता है और वो इस केस को लड़ने में अपने भक्त की मदद करते हैं। सेंसर बोर्ड के आदेश के कारण शिव वाले किरदार को शिव का गण बना दिया गया है। हालाँकि, अस्पताल में एक दृश्य में अक्षय कुमार भगवान शिव के रूप में दिखता है।

🚩यहाँ सवाल ये उठता है कि CBFC के आदेश के बावजूद भगवान शिव के किरदार में अक्षय कुमार को क्यों दिखाया गया?


🚩‘स्कूल के बाथरूम में एक बच्चे ने हस्तमैथुन किया’ – इस एक चीज को सही साबित करने के लिए पूरी फिल्म खपा दी गई है, वो भी हिन्दू ग्रंथों का हवाला देकर।
फिल्म के अनुसार ऐसा वीडियो वायरल होना बड़ी बात नहीं है और खुले में कहना कि हम ऐसा करते हैं , इसमें भी कोई हर्ज नहीं – फिल्म पूरी तरह से यही सन्देश दे रही है।

🚩अरुण गोविल का नेगेटिव किरदार, अपमानित किया?
एक अभिनेता का कार्य होता है कि अलग-अलग किरदार निभा कर ऐसा रच-बस जाए कि लोग उसे उन किरदारों से ही पहचानें। एक व्यक्ति का किसी फिल्म में हीरो तो किसी में विलेन बनना बड़ी बात नहीं है। हालाँकि, बात जब अरुण गोविल की आती है तो किस्सा थोड़ा अलग हो जाता है। फिल्म में स्कूल चेन का मालिक, जिसकी अखबार कंपनी भी है, उस उद्योगपति के किरदार में अरुण गोविल को डाला गया है। वही अरुण गोविल, जिन्होंने 80 के दशक में रामानंद सागर की ‘रामायण’ में भगवान श्रीराम का किरदार निभाया था।

🚩इस पर तो कई बार बातें हो चुकी हैं कि कैसे एयरपोर्ट वगैरह पर देखते ही लोग उनके पाँव छू लेते थे। ऐसा एक वीडियो हाल ही में वायरल हुआ जब एक महिला ने उनसे गमछा लेकर अपने बीमार पति को अस्पताल में ले जाकर दिया और कहा कि ये भगवान ने दिया है। ये वही अरुण गोविल हैं, जिन्हें सिगरेट पीते देख कर एक फैन निराश हो गया तो उन्होंने ये व्यसन छोड़ दिया। वहीं अरुण गोविल, जिन्होंने बीबीसी के स्टूडियो में राम बन कर परेड करने से इनकार कर दिया था।

🚩ऐसे व्यक्ति को ‘सेक्स एजुकेशन’ के विरोधी उद्योगपति का किरदार दिया गया है जो अपने खिलाफ केस करने वाले को पैसों का लालच देता है और धमकी देकर चेक पर साइन कराता है। सवाल उठता है कि क्या ये जानबूझकर किया गया ताकि फिल्म की आलोचना न हो? अरुण गोविल की प्रतिष्ठा का गलत इस्तेमाल किया गया? या फिर उनकी छवि को बॉलीवुड का गिरोह विशेष बदलना चाहता है? ये चर्चा का विषय रहेगा कि अरुण गोविल को नकारात्मक रोल देने के पीछे क्या मंशा थी।

🚩फिल्म में कामसूत्र से लेकर अन्य हिन्दू धर्म ग्रंथों का भी जिक्र किया गया है, जिनमें यौन संबंधों पर बातें की गई हैं। खजुराहो और अजंता-एलोरा की गुफाओं में बने चित्रों को दिखा कर हस्तमैथुन की पैरवी की गई है। कहा गया है कि गुरुकुलों में कामशास्त्र पढ़ाया जाता था। ‘पंचतंत्र’ में इस कामशास्त्र का जिक्र होने का दावा किया गया है। स्त्री की योनि में वीर्य डालने को लेकर क्या लिखा गया है, ये बताया गया है। स्त्री की सुंदरता के वर्णन के समय नितंबों की भी तारीफ़ की गई है, ये पढ़ कर सुनाया गया है।
...इतनी वाहियात स्क्रिप्ट को तो तुरंत सिरे से नकारा जाना चाहिए था,पर जो कुछ हो रहा है आज देश में ... शायद इसी को घोर कलयुग कहते हैं।

🚩आश्चर्य !!!

🚩कि हम हिन्दुओ को ये सब बातें न सिर्फ पच जाती हैं , बल्कि अपने धर्म का इतना बडा मखौल उडते देख हम तालियां भी पीटते हैं और बेशर्मी की हद ये कि अपनी-अपनी स्वार्थ सिद्धी या मूढ़ता के चलते मानने को भी तैयार हो जाते हैं , कि हमारा समाज प्राचीन काल में इतना खुला और विभत्स था !!
लेकिन... क्या इससे ये साबित होता है कि छोटे-छोटे बच्चों को ये सब पढ़ाया जाना चाहिए?

🚩ये सही है कि महर्षि वात्स्यायन ने लिखा है कि यौवन अवस्था आने तक कामशास्त्र का ज्ञान होना चाहिए, लेकिन ये उस समय की बात है जब शादियाँ सामान्यतः आज के मुकाबले कम उम्र में ही होती थीं और यौन संबंध बनाने के लिए अध्ययन आवश्यक माना जाता था।

🚩आधुनिक काल की बात करें तो विवाह के लिए भारत में लड़कियों के लिए 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष की उम्र कानूनी रूप से निश्चित की गई है। फिर क्या 5-10 साल की उम्र में ही यौन संबंधी शिक्षाएँ आवश्यक हैं? 
फिल्म में वकालत की गई है कि खुले रूप से सेक्स की शिक्षा दी जानी चाहिए और इसके लिए हिन्दू ग्रंथों का सहारा लिया गया है, लेकिन क्या आपने किसी भी प्राचीन कथा-कहानियों या प्रसंग में परिवार के लोगों को सेक्स पर आपस में चर्चा करते पढ़ा है? या फिर गली-नुक्कड़ में सेक्स पर चर्चा होते पढ़ा है?

🚩क्या हम सिर्फ इसीलिए बच्चों को सेक्स के बारे में बताने लगें, क्योंकि पश्चिमी देश ऐसा कर रहे हैं? पॉर्न प्लेटफॉर्म्स पर तो जानवरों तक के साथ सेक्स के वीडियो उपलब्ध हैं, तो क्या बच्चों को ये सब भी पढ़ाया जाना चाहिए? आज तक आपने किसी बच्चे का हस्तमैथुन करते हुए वीडियो वायरल होते हुए देखा है?


🚩विडम्बना देखिए...जो कभी हुआ ही नहीं, उसे फिल्म में आम समस्या बता कर पेश किया गया है।
जबकि सनातनधर्म में ‘काम’ का अर्थ पुरुषार्थ से भी लिया जाता है, सिर्फ संभोग से नहीं।

🚩दावा किया गया है कि ‘सेक्स एजुकेशन’ से बच्चों को सही-गलत का पता लगेगा। उन्हें बताया जाना चाहिए कि कोई महिला गर्भवती कैसे होती है, सेक्स कैसे किया जाता है।
तो हमारा इस पर एक ही प्रश्न है.... कि सेक्स के बारे में वयस्कों को तो सारा ज्ञान होता है न और साथ ही कानून का भी ज्ञान होता है, फिर भी रेप जैसी घृणित घटनाएँ क्यों होती हैं ???

🚩 साफतौर पर समझना और स्वीकारना होगा कि , इन समस्याओं से निपटने के लिए बच्चों में यौनशिक्षा की बिल्कुल नहीं बल्कि संस्कार सिंचन की ज़रूरत है। मान लीजिए, किसी बच्चे को लड़कियों की योनि के बारे में पढ़ाया जाने लगा, जैसे कि फिल्म में दावा किया गया है कि ऐसा होना चाहिए, फिर...!?

🚩बच्चों के कोमल मन मष्तिष्क के साथ क्या ये अन्याय नहीं होगा?क्या कुछ बुरा असर हो सकता है, इसका तो अन्दाजा लगाना भी मुश्किल है।

🚩फिल्म में कोर्टरूम के भीतर एक महिला से अपने पति के साथ उसकी सुहागरात का वर्णन करने को कहा जाता है।
एक बहन बताती है कि कैसे उसके भाई ने हस्तमैथुन का जो कार्य किया वो सही था।
एक शिवभक्त अपनी विरोधी वकील के नितंबों की सुंदरता का वर्णन करता है।
'बच्चा कैसे पैदा होता है’ – इस पर पूरी की पूरी बहस हो जाती है कोर्ट में। भीड़ में युवक-युवतियाँ चिल्लाते हैं कि वो हस्तमैथुन करते हैं। क्या ये सब किसी भी हिसाब से एक सामान्य समाज का हिस्सा है...!?
क्या ये वहशीपने की पराकाष्ठा नहीं है...!?

🚩फिल्म ‘OMG 2’ शुरू होते ही नग्न नागा साधुओं को दिखाया गया है। हंसराज रघुवंशी के गाने पर पंकज त्रिपाठी को परफॉर्म करते देखना थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन उनकी बाकी की एक्टिंग तगड़ी है। एक शिवभक्त, जिस रोल में पंकज त्रिपाठी हैं, वो घर आकर पूजा-पाठ कर रही अपनी पत्नी को चाय-पानी के लिए परेशान करता है। उसे मन्त्र पढ़ना छोड़ कर आना पड़ता है। फिल्म में पीड़ित बच्चे का सबसे अच्छा दोस्त ‘ज़हीर’ ( ध्यानाकर्षक एक गैरहिन्दू )है, जो केस लड़ने के लिए अध्ययन में भी पंकज त्रिपाठी की मदद करता है।

🚩हिंदी भाषा का अपमान...

🚩पंकज त्रिपाठी फिल्म में शुद्ध हिंदी में बोलता है, यहाँ भी हिंदी भाषा का मजाक बनाकर पेश किया गया है। जहाँ शुद्ध हिंदी की बात आती है, बॉलीवुड को कॉमेडी ही सूझती है।
फिल्म से सवाल उठते हैं , कि क्या नग्नता का प्रदर्शन ही आधुनिकता है? सनातन में तो यज्ञोपवीत के वक्त ये तक सिखाया जाता है कि अकेले में भी नग्न होकर स्नान न करें। फिर समाज में खुली नग्नता को हिन्दू धर्म का सहारा लेकर कैसे सही ठहराया गया !? यह बात कैसे सहन की जा सकत है?

🚩‘OMG 2’ की खासियत ये है कि इसमें सभी बातें इतनी चालाकी से कही गई हैं, कि दर्शक कुछ और सोच ही न पाएँ।
हिन्दू धर्मग्रंथों का हवाला देकर यौनशिक्षा को आवश्यक बताना...
अंग्रेजों द्वारा गुरुकुल परंपरा बंद किए जाने की आलोचना करना...
बार-बार महाकाल की गूँज , उज्जैन नगरी और वहाँ के दृश्य...
भगवान शिव और नंदी का किरदार...
– इन सबका सहारा लेकर बडे ही शातिराना तरीके से ...बच्चों में यौनशिक्षा को सही ठहराने का संदेश दिया गया है।

🚩विचार करने वाली बात ये... , कि आधुनिक होने का ये अर्थ होता है क्या , कि पश्चिम में जो हो रहा है, उसी की नकल यहाँ भी की जाए...!??

🚩महाकाल के पुजारी के घर में यौन शोषण...

🚩OMG 2’ में गोविंद नामदेव महाकाल मंदिर के पुजारी के किरदार में हैं। ‘OMG’ का गुस्सैल पुजारी वाला किरदार आपको याद होगा, जो उन्होंने निभाया था और जिसके सहारे संतों को बदनाम किया गया था। इस बार दिखाया गया है कि उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के पुजारी की छोटी सी बच्ची का यौन शोषण लड़की का मामा ही करता है। इससे पुजारी का मन बदल जाता है और वो ‘सेक्स एजुकेशन’ को लेकर जागृत हो जाता है।

🚩इससे पहले पुजारी को ऐसे किरदार में दिखाया गया है जो एक उद्योगपति के साथ मिलकर शिवभक्त को धमकाता है।

🚩जरा सोचिए.....
कभी किसी मौलवी के घर में बलात्कारी दिखाए जाने वाला कोई दृश्य आपने देखा है बॉलीवुड की किसी फिल्म में !?
क्या किसी अन्य मजहब के पूज्य पुरुष हस्तमैथुन की वकालत करते हुए दिखाए जा सकते हैं !?
क्या ईसाई और मुस्लिम पुस्तकों का हवाला देकर ‘सेक्स एजुकेशन’ की पैरवी की जा सकती है !?
अगर ऐसा हुआ तो ‘सर तन से जुदा’ होने में शायद क्षण भर भी ना लगे...

🚩किसी अन्य मजहब को लेकर ये सब किया गया होता तो ये ‘बेअदबी’ या ‘ईशनिंदा’ की कैटेगरी में आता या नहीं !?
लेकिन अफ़सोस, हिन्दू धर्म को सेक्स-हस्तमैथुन से जोड़ने, धर्मग्रंथों से बिना सन्दर्भ बताए योनि-वीर्य की बातें उद्धृत करने और भगवान शिव को हस्तमैथुन की पैरवी करने वाला दिखाने वाली फिल्म पर महामूर्ख हिन्दू तालियाँ पीटते हैं।
वैसे भी हमारी फिल्मों में तो हमेशा से ही ब्राह्मणों को जोकर, वैश्य समाज को सूदखोर और क्षत्रिय को अत्याचारी बताने का चलन रहा है।

🚩अभी तो इस फ़िल्म में दिखाए गए चंद विभत्स और घृणित दृश्यों और संदेशों पर ही चर्चा हुई है...दरअसल इसमें वाहियात दृश्यों और संदेशों की भरमार है

🚩‘OMG 2’ का विरोध क्यों है आवश्यक...?

🚩‘OMG 2’ जैसी फिल्मों का इसीलिए विरोध होना चाहिए, क्योंकि इसमें एक सेक्स वर्कर को झुककर देवी-देवताओं की तरह प्रणाम किया जा रहा है।
क्योंकि इसमें सेक्स वर्कर के पास सेक्स के लिए आने वाले पुरुषों को ‘यजमान’ कहा गया है।
कल को पॉर्न में दिखाए जाने वाले दृश्यों को भी हिन्दूधर्म से जोड़कर फिल्म बना दी जाए इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
या अगर समलैंगिक सेक्स या जानवरों के साथ सेक्स को भी जायज ठहराने के लिए राम-कृष्ण-शिव से जोड़ कर फ़िल्में बन जाएँ , तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
क्योकिं तब हम विरोध कर पाने की क्षमता खुद ही खो चुके होंगे , अगर अभी विरोध नहीं किया तो।

🚩महिलाओं का सम्मान करना सिखाने के लिए ‘सेक्स एजुकेशन’ बिल्कुल ज़रूरी नहीं !

🚩अगर किसी बच्चे को बताना है, कि उसे लड़कियों या महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, तो उसे योनि और वीर्य के बारे में बताने की ज़रूरत नहीं है। उसे ये बात सीधी भाषा में भी समझाई जा सकती है। बच्चे को सीधा बोला जा सकता है कि हस्तमैथुन बिल्कुल अच्छी आदत नहीं है , इससे उसकी जिन्दगी को तबाही के सिवा कुछ नहीं मिलेगा ।इसके लिए किसी हाथी-घोड़े वाले विज्ञान की आवश्यकता नहीं है। एक बच्चे को संभोग के बारे में क्यों बताया जाना चाहिए !?
उसे उस उम्र में ये सब बताने की अपेक्षाकृत ऊंचे संस्कारों से पुष्ट करना ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक कदम है।

🚩18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के लिए भारत में सेक्स प्रतिबंधित है। फिर क्या 10 साल की उम्र में संभोग के बारे में पढ़ाना आवश्यक है? जैसा कि फिल्म में तर्क दिया गया है, लड़के-लड़कियों की नंगी तस्वीरें हर एक कक्षा में लटका कर उसके गुप्तांगों के बारे में पढ़ाना चाहिए।
खेलने-कूदने की उम्र में बच्चे यह सब पढ़ने लगेंगे तो उनके बचपन का क्या !?

🚩जहाँ तक ‘गुड टच और बैड टच’ की बात है, बच्चों को सीधी भाषा में भी तो समझाया जा सकता है कि ये गलत है और ये सही ! कि कौन उनका अपना और हितैषी है और कौन नहीं यह वो परख कर अपने को सुरक्षित कर सकें !

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Friday, August 11, 2023

आज भी होते हैं चमत्कार...

हाई कोर्ट को बदलना पड़ा फैसला और मुस्लिम युवक ने मंदिर में आकर मांगी माफी....



11 August 2023

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🚩आपने कई बार सुना होगा कि सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग में काफी चमत्कार होते थे।लेकिन अक्सर हमें सुनी हुई बातों पर विश्वास नही होता न।

तो लीजिए...आज इस घोर कलयुग में भी ईश्वरीय सत्ता के चमत्कारों के उदाहरण सुनिए। कुछ दिन पहले ही गुजरात में एक महिला के हाथों से भगवान की मूर्ति दूध पीते हुए वीडियो वायरल हुआ था , आज फिर से आपको दो ऐसी घटना बताने जा रहे है जिससे आपको भी ईश्वर की सत्ता पर भरोसा हो जाएगा।


🚩जज ने दिया शिवलिंग हटाने का आदेश, बेहोश हो गए सहायक रजिस्ट्रार


🚩कलकत्ता हाई कोर्ट में सोमवार (7 अगस्त 2023) को एक अजीबोगरीब घटना हुई। एक जमीन विवाद में हाई कोर्ट के जस्टिस जय सेनगुप्ता ने शिवलिंग हटाने का आदेश दिया। लेकिन फैसला रिकॉर्ड करते हुए सहायक रजिस्ट्रार बिश्वनाथ राय अचानक बेहोश हो गए। इसके बाद जज सेनगुप्ता ने मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।


🚩रिपोर्ट के अनुसार बेहोश होने के बाद रजिस्ट्रार साहब को हाईकोर्ट के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जज अपने चेंबर में चले गए। थोड़ी बाद जज सेनगुप्ता कोर्ट रूम में लौटे। लेकिन इस बार उन्होंने मामले में हस्तक्षेप से मना कर दिया। वहीं सहायक रजिस्ट्रार के अचानक बेहोश होने के कारण का भी पता नहीं चल सका।


🚩शिवलिंग हटाने का आदेश मुर्शिदाबाद बेलडांगा के खिदिरपुर के दो लोगों के बीच जमीनी विवाद में दिया गया था। खिदिरपुर के सुदीप पाल और गोविंद मंडल के बीच यह विवाद चल रहा है। इसको लेकर इसी साल मई में दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई थी। इसके बाद दोनों पक्षों ने बेलडांगा थाने में एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में निचली अदालत ने दोनों को जमानत दे दी थी।


🚩लेकिन विवाद में नया मोड़ तब आ गया , जब सुदीप ने गोविंद मंडल पर विवादित जमीन पर शिवलिंग रखने का आरोप लगाते हुए पुलिस से शिकायत की। उसने शिवलिंग हटाने की माँग की। उसका आरोप है कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ सुदीप पाल हाई कोर्ट पहुँच गया।


🚩हाई कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस जय सेनगुप्ता ने गोविंद मंडल के वकील से पूछा , कि उनके मुवक्किल ने विवादित जमीन पर शिवलिंग क्यों स्थापित किया? इस पर गोविंद के वकील मृत्युंजय चटर्जी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने शिवलिंग स्थापित नहीं किया, बल्कि ये खुद ही जमीन से निकल आया है। इसके बाद जज जय सेनगुप्ता ने शिवलिंग हटाने का निर्देश दिया। लेकिन जिस वक्त सहायक रजिस्ट्रार इस फैसले को रिकॉर्ड कर रहे थे वे अचानक से बेहोश हो गए।


🚩मंदिर की दानपेटी में कंडोम रखा, अपने ही घर की दीवारों पर सिर मार-मार कर मरा नवाज


🚩कर्नाटक के मंगलुरू में स्वामी कोरगज्जा को लेकर स्थानीयों के मन में असीम आस्था है। लोग उन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। पिछले दिनों कोरगज्जा के मंदिर में कई अभद्र घटनाएँ हुईं। मंदिर की दानपेटी में कंडोम तक डाल दिया गया।


🚩ऐसे घृणित वाकये के बावजूद पुलिस आरोपितों को ढूँढने में असमर्थ थी। निराश श्रद्धालु लगातार कोरगज्जा भगवान से ऐसे विधर्मियों को सजा देने के लिए प्रार्थना कर रहे थे। कुछ दिन पहले भगवान ने अपने श्रद्धालुओं की सुनी और ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि विधर्मी स्वयं मंदिर में आकर माफी माँगने लगे।


🚩यह बिल्कुल वास्तविक घटना है। इसी साल जनवरी में मंदिर की दानपेटी से एक कंडोम निकला था, जिसके बाद से वहाँ हड़कंप था। लेकिन पांच दिन पहले अचानक मुस्लिम समुदाय के दो लड़के मंदिर में आए और पुजारी के सामने माफी के लिए गिड़गिड़ाने लगे।


🚩मंदिर की दानपेटी में कंडोम


🚩पहले पुजारी को लगा कि वे मजाक कर रहे हैं।

लेकिन नहीं! वे दोनों गंभीर थे। उन दोनों ने पुजारी को बताया, कि अपने साथी नवाज के साथ मिल कर उन्होंने ही कुछ दिन पहले मंदिर की दानपेटी में कंडोम डाला था।


🚩नवाज माफी माँगने के लिए जिंदा नहीं था। दानपेटी में कंडोम डालने के बाद उसे एक दिन खून की उल्टियाँ हुईं और फिर पेचिश से उसके मल से खून निकला। अंत में वह अपने घर की दीवारों पर सिर मारते हुए मर गया। मरते समय उसने उन्हें बताया कि कोरगज्जा उन सब पर नाराज हैं।


🚩अब सिर्फ़ वे दोनों , यानी अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफ़ीक़ ही जिंदा हैं। लेकिन वक्त बीतने के साथ रहीम को भी खून की उल्टियाँ शुरू हो गई हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे नवाज को हुई थी। उसके बाद दोनों अपनी जान जाने के डर से घबराकर पुजारी की शरण में जाकर माफी मांगने लगे। भगवान के सामने खड़े होकर दोनों ने अपना अपराध स्वीकार किया और क्षमा मांगी।

🚩पुलिस ने कहा , कि दोनों को हिरासत में ले लिया गया है। दोनों अब भी डरे हुए हैं। मीडिया से बात करते हुए पुलिस ने भी कहा कि ये एक रहस्यमयी केस था। आरोपितों के जुर्म कबूलने के बाद सबूत जुटाने की कोशिश हो रही है। हालाँकि, कृत्य के पीछे का उद्देश्य साफ नहीं हो पाया है। जाँच चल रही है। अभी तक की जाँच में आरोपितों ने बताया कि उन्होंने 3 जगह ऐसा किया था।


🚩उल्लेखनीय है कि इस पूरे विषय के ऊपर ट्विटर पर चीरू भट्ट नाम के यूजर ने एक थ्रेड डाला है। इसके मुताबिक कोरगज्जा भगवान को लेकर लोगों का मानना है कि वह अपने न्याय के लिए जाने जाते हैं। उनके पास से जल्द से जल्द फैसला आता है और दोषी को 100% सजा मिलती है।


🚩आपको बता दें कि ये पहली दफा नहीं है जब स्वामी कोरगज्जा की शरण में इस तरह कोई माफी माँगने पहुँचा हो। 4 साल पहले मनोज पंडित नाम के एक आदमी ने स्वामी कोरगज्जा को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। लेकिन बाद में उसकी हालत ऐसी हो गई कि वो गुरपुर के वज्रदेही मठ में माफी माँगने चला आया। मनोज ने स्वीकारा की उसे कोरगज्जा की आस्था के बारे में नहीं पता था।


🚩ऐसी तो अनेक घटनाएं होती रहती हैं जो लोगों को भगवान की सत्ता पर विश्वास करने को विवश कर देती हैं और उन सभी का वर्णन कर पाना तो संभव नहीं है।


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Wednesday, August 9, 2023

फिल्म 'कश्मीर फाइल्स' के दृश्यों से कहीं ज़्यादा भयानक और दर्दनाक हैं, जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं के हालात

9  August 2023


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🚩कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द और इस्लामी आतंकवाद के काले चेहरे को उजागर करती फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में जो दिखाया गया है, जम्मू-कश्मीर की हालत उससे कहीं अधिक भयानक थी। यह कहना है रिटायर्ड IPS अधिकारी और दो बार कश्मीर के आईजीपी रहे एसएम सहाय का। सहाय जी ने कश्मीरी हिंदू माँ-बेटी के साथ हुए बलात्कार और फिर हत्या की भयावह दास्तान सुनाई है।


🚩‘बीयर बायसेप्स’ नामक यूट्यूब चैनल पर जम्मू-कश्मीर के हालातों पर बात करते हुए एसएन सहाय ने कहा है, “फिल्म में तो बहुत कुछ नाटकीय ढंग से दिखाया गया है। लेकिन, वहाँ जो कुछ भी हो रहा था वह और भी भयानक था। मुझे याद है, एक सुबह मैं जल्दी उठा और मुझे क्रालखुद जाना पड़ा। जहाँ एक कश्मीरी हिंदू महिला और उसकी बेटी एक छोटे से घर में रहती थीं। दोनों के साथ बलात्कार किया गया इसके बाद उन्हें योनि में गोली मार दी गई थी। लड़की की मौके पर ही मौत हो गई थी। जब मैं वहाँ पहुँचा था लड़की की माँ जिंदा थी। मैं उसे लेकर हॉस्पिटल जा रहा था। लेकिन रास्ते में ही उसकी भी मौत हो गई। इससे भयानक भी कुछ हो सकता है?”


🚩ऐसी भीषण घटनाओं के बारे में अब या तो मौके पर तैनात किसी पुलिस अधिकारी से पता चलता है या फिर किसी किताब या रिसर्च पेपर के एक पैराग्राफ में कहानी शुरू होती है और वहीं खत्म हो जाती है। हालाँकि, सच्चाई यह है कि ऐसी घटनाओं पर एक पैराग्राफ नहीं बल्कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी कई फ़िल्में बन सकतीं हैं।


🚩पूरी पोस्ट के लिए क्लिक कीजिए👇🏻

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Tuesday, August 8, 2023

विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को क्यों मनाया जाता हैं ? उनका मूल धर्म क्या है ? जानिए

8 August 2023


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🚩विश्व आदिवासी दिवस आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह घटना उन उपलब्धियों और योगदानों को भी स्वीकार करती है जो मूलनिवासी लोग पर्यावरण संरक्षण जैसे विश्व के मुद्दों को बेहतर बनाने के लिए करते हैं।


🚩अंग्रेजी का नेटिव (native) शब्द मूल निवासियों के लिये प्रयुक्त होता है। अंग्रेजी के ट्राइबल (tribal) शब्द का अर्थ ‘मूलनिवासी’ नहीं होता है। ट्राइबल का अर्थ होता है ‘जनजातीय’। 9 अगस्त को ‘विश्व जनजातीय दिवस’ मनाया जाता है। ‘विश्व जनजातीय दिवस’ अर्थात विश्व की सभी जनजातीयों का दिवस। जनजाती को आदिवासी भी कहते हैं। आदिवासी अर्थात जो प्रारंभ से यहां रहता आया है। आओ जानते हैं,भारत के आदिवासियों की कुछ रोचक बातें।


🚩जनजाति अर्थात आदिवासी।भारत में लगभग 461 जनजातियां हैं। वे सभी आदिवासियों का धर्म हिन्दू ही है। आदिवासी समाज की सभी जातिया हिन्दू धर्म का पालन करती है।


🚩करीब 400 पीढ़ियों पूर्व सभी भारतीय वन में ही रहते थे और वे आदिवासी थे, परंतु विकासक्रम के चलते पहले ग्राम बने फिर कस्बे और अंत में नगर। यही से विभाजन होना प्रारंभ हुआ। जो वन में रह गए वे वनवासी, जो गांव में रह गए वे ग्रामवासी और जो नगर में चले गए वे नगरवासी कहलाने लगे।


🚩मूल रूप से आदिवासियों का अपना धर्म है। ये शिव एवं भैरव के साथ ही प्रकृति पूजक हैं और जंगल, पहाड़, नदियों एवं सूर्य की आराधना करते हैं। इनके अपने अलग लोक देवता, ग्राम देवता और कुल देवता हैं। जैसे नागवंशी आदिवासी और उनकी उप जनजातियां नाग की पूजा करते हैं। सिंधु घाटी की सभ्यता में शिव जैसी पशुओं से घिरी जो मूर्ति मिली है इससे यह सिद्ध होता है कि आदिवासियों का संबंध सिंधु घाटी की सभ्यता से भी था।


🚩आदिवासी समाज की सभी जातिया हिन्दू धर्म का पालन करती है।


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Monday, August 7, 2023

लव मैरिज के लिए माता-पिता की मंजूरी अनिवार्य करने पर सरकार का चल रहा है प्लान

7 August 2023

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🚩ऐसा कोई माँ-बाप नहीं चाहते कि हमारा बेटा-बेटी लोफर हो, किसी लड़के - लड़की के चक्कर में आये । सभी के माता-पिता चाहते हैं कि 'हमारी संतान ओजस्वी-तेजस्वी हो, बलवान बुद्धिमान हो, स्वयं के पैरों पर खड़ी रहे और बुढ़ापे में हमारा ख्याल रखे । छोटी उम्र में लड़के-लड़कियाँ बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बनकर शादी करके बर्बादी की खाई में न गिरें ।' ऐसा सब चाहते हैं । बच्चे हमारा आदर करें ऐसा सभी चाहते हैं। 


🚩गुजरात में कानून


🚩धर्मांतरण को लेकर सख्‍त कानून बनाने के बाद अब गुजरात की सरकार प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की स्वीकृति को अनिवार्य कर लव जिहाद पर एक और प्रहार करने वाले है। दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने महेसाणा में पाटीदार समाज के एक कार्यक्रम में कहा कि प्रेम विवाह में इस शर्त को जोड़ने की मांग को लेकर कानून में विचार किया जाएगा।


🚩जानकारी के लिए बता दें कि गुजरात में पाटीदार समाज के लोगों की मांग है कि अगर कोई लड़का-लड़की प्रेम विवाह करते हैं तो शादी के पंजीकरण के लिए कम से कम एक अभिभावक के हस्ताक्षर जरुरी होना चाहिए। बता दें कि पाटीदार समाज  का कहना है कि इससे काफी हद तक लव जिहाद पर लगाम लगाया जा सकता है।


🚩माता-पिता की सहमति के बिना की गई शादियां राज्य में अपराध दर को बढ़ाती हैं- BJP


 🚩वहीं, इससे पहले भारतीय जनता पार्टी  और कांग्रेस के विधायकों ने गुजरात विधानसभा से मांग की थी कि ‘प्रेम विवाह’ के पंजीकरण के लिए माता-पिता के हस्ताक्षर अनिवार्य किए जाएं और दस्तावेज़ उसी सम्बन्ध में दर्ज किया जाए जहां जोड़ा रहेगा। बता दें कि कलोल से बीजेपी विधायक फतेह सिंह चौहान ने कहा कि ऐसे मामलों में विवाह का पंजीकरण जब एक लड़की अपने माता-पिता की सहमति के बिना अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ शादी करती है तो राज्य में अपराध दर में वृद्धि होती है। उन्होंने आगे कहा कि माता-पिता की सहमति के बिना की गई शादियां राज्य में अपराध दर को बढ़ाती हैं और यदि ऐसे विवाह माता-पिता की सहमति से पंजीकृत होते हैं, तो अपराध दर में 50 प्रतिशत की कमी आएगी।


🚩BJP विधायक ने कानूनों में संशोधन करने का किया आग्रह


 🚩बीजेपी विधायक फतेह सिंह चौहान ने सरकार से मौजूदा कानूनों में संशोधन करने और कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की सहमति को अनिवार्य बनाने का आग्रह किया। फतेह सिंह चौहान ने  दावा किया, ”कालोल में ऐसे कई मामले हैं जहां लड़कियों को असामाजिक लोगों द्वारा बहकाया गया और अपहरण कर लिया गया। उन्हें बचाने के लिए ऐसा संशोधन जरूरी है। वहीं, कांग्रेस विधायक गेनी ठाकोर ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम में प्रेम विवाह के संबंध में कानून में पर्याप्त बदलाव करने की मांग कुछ समय से उठाई जा रही है और कहा कि नेता पूरी तरह से प्रेम विवाह के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में लड़कियों को उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।


🚩राजस्थान के पाली में अब घर से भागकर लव मैरिज करना आसान नहीं होगा


🚩राजस्थान के पाली में अब घर से भागकर लव मैरिज करना किसी के लिए आसान नहीं होगा। पाली बार एसोसिएशन ने माता-पिता की सहमति के बिना इस प्रकार के विवाह कोर्ट में नहीं करवाने का निर्णय लिया है। पाली में बेटी के प्रेम विवाह से आहत माता-पिता ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इसी के मद्देनजर बार एसोसिएशन ने यह फैसला लिया है। 


🚩पाली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि हमारे पास कोर्ट मैरिज के लिए आने वाले युवक-युवती से माता-पिता का सहमति पत्र मांगा जाएगा। सहमति पत्र दिखाने पर ही उनकी कोर्ट मैरिज करवाई जाएगी। 24 जुलाई को ओल्ड हाउसिंग बोर्ड निवासी एक युवती ने प्रेम विवाह किया था। पुलिस के सामने पेश होकर अपने माता-पिता से खतरा बताया और सुरक्षा की गुहार लगाई गई थी। पुलिस ने जब माता-पिता को उनका सामना बेटी से करवाया तो उसने अपने माता-पिता को पहचानने तक से इनकार कर दिया था। इस बात से आहत होकर दोनों ने 25 जुलाई को ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी। बहन के अंतरजातीय विवाह से दुखी भाई भी घर छोड़कर चला गया था। तीन दिन बाद पुलिस ने दिल्ली से उसे घर पहुंचाया।  


🚩नहीं करेंगे किसी प्रकार का सहयोग

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि हाल ही में पाली के हाउसिंग बोर्ड में हुई हृदयविदारक घटना के बाद यह निर्णय लिया गया है कि घर से भागकर और माता-पिता की बिना सहमति लव मैरिज करने आने वाले लड़के-लड़कियों को न तो कानूनी सलाह दी जाएगी और न ही कानूनी तरीके से कोई सहयोग किया जाएगा। न ही किसी प्रकार के दस्तावेज तैयार करवाए जाएंगे।🚩यह बात ध्यान देने लायक है कि समाज का तानाबाना इस समय जरूर हिल चुका है, बिलकुल हिल चुका है ।

समाज की तरक्की हो रही है , पढ़ाई की वजह से, शिक्षा जो हमारी लड़कियों को मिल रही है वही है जो लड़कों को मिल रही है। लड़कियों और लड़कों दोनों की कमाने की ताकत एक जैसी हो गई है। पर इन सबको चलते-चलते समाज में एक सकारात्मक सोच होनी चाहिए थी। उसकी जगह देखा जा रहा है कि बहुत ज्यादा पतन हो रहा है। नैतिक मूल्य का बहुत ज्यादा पतन हो रहा है।


🚩उस बात को ध्यान में रखते हुए गुजरात सरकार ने अगर उसके बारे में सोचा है, तो अच्छा हैं। आखिर आपके भी मां-बाप आपको जन्म देते हैं, आपको शिक्षा देते हैं, आर्थिक रूप से आपको पांव पर खड़े करते हैं, तो कहीं पर बच्चों की भी जिम्मेदारी बनती है कि माता-पिता के खिलाफ सिर्फ यूं न जाएं कि सिर्फ इस पॉइंट को प्रूफ करने के लिए कि हम स्वतंत्र हैं, जो मर्जी करेंगे। आप हमें सिखाने वाले, समझाने वाले कौन हैं?


🚩माता पिता बच्चों के कभी भी खिलाफ नहीं हो सकते हैं। उनके हमेशा हितैषी ही रहेंगे। तो मां-बाप की भी कुछ उम्मीदें होती हैं, उनका भी एक दिल होता है जो टूटता है जब बच्चे अपने कानूनी अधिकार को लागू करना करना चाहते हैं। उनके साथ-साथ जवाबदारी भी तो होती हैं। सिर्फ वो नहीं होता है कि आप सिर्फ अपने अधिकार को मांग करें। मां—बाप के प्रतिआपका कर्तव्य भी होता है। जैसे आजकल कोर्ट ने कहा है, मांगने पर लड़कियों को भी पिता की संपत्ति के अंदर अधिकार मिल जाता है, पर माता-पिता अगर सक्षम नहीं हैं, तो लड़कियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि माता-पिता की संभाल करें।


🚩जबकि कानून में ऐसी बात नहीं है कि माता-पिता के भरण पोषण करने की जिम्मेदारी किसी बेटी की है, पर अब समाज के अंदर बदलाव आ रहे हैं। उसके देखते-देखते नए कानून कई बार बनते हैं।   समाज में हम सबको साथ-साथ चलना है और अच्छा यही रहता कि माता-पिता और बच्चे साथ-साथ चलें। 


🚩विवाह एक अच्छी बात है, सकारात्मक बात है, पर उसका मतलब ये नहीं कि रिश्ते टूटें। रिश्ते बनने चाहिए। विवाह इसलिए करते हैं कि रिश्ते और बनें। ऐसा नहीं है कि रिश्ते टूटें। एक तरफ तो रिश्ता कर रहे हो और अपने माता-पिता से रिश्ता तोड़ रहे हो। 

माता पिता ने ही हमें जन्म दिया है इसलिए वे भगवान के बराबर है इसलिए माता पिता की सहमति से शादी करेंगे तो भविष्य उज्ज्वल और सुखद बनेगा।


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Sunday, August 6, 2023

पूरी दुनिया हिन्दू मान्यताओं , सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति की हो रही है दीवानी

पोलैंड में तो वॉरसॉ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की दीवारों पर उकेरे गए हैं उपनिषद के छंद.....


6 August 2023

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🚩पोलैंड के वॉरसॉ यूनिवर्सिटी के पुस्तकालय की दीवार पर उकेरे गए उपनिषद के छंदों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। यह तस्वीर पोलैंड के भारतीय दूतावास के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट की गई है, जो खासा चर्चा में हैं। ट्वीट में लिखा गया है......


”ये कितना सुखद नजारा है। यह वॉरसॉ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की दीवारें हैं, जहाँ उपनिषद के छंद उकेरे गए हैं। उपनिषद हिन्दू दर्शन के वैदिक संस्कृति के मूलपाठ हैं, जो हिन्दू धर्म का आधार है।"


https://twitter.com/IndiainPoland/status/1413464385155174401


🚩बताया जा रहा है, कि ये वॉरसॉ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की दीवारें हैं और यह फोटो 9 जुलाई 2021 की है। वॉरसॉ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देसी नेटिजन्स गर्व महसूस कर रहे हैं।


🚩एक यूजर ने कहा,

“शानदार! जानकर गर्व और खुशी हुई। पूरी दुनिया ने हिंदू दर्शन को मान्यता देना शुरू कर दिया है।जबकि हम भारतीय अपनी महान संस्कृति को भूल रहे हैं। खासतौर पर युवाओं में इसके प्रति रुचि पैदा करने के लिए कुछ करना होगा।”


🚩एक अन्य ने यूजर्स ने लिखा,

“बाहर के देशों में भारतीय संस्कृति/उपनिषदों का दिल खोल के स्वागत किया जा रहा है।”


🚩एक तीसरे यूजर ने कमेंट किया,

"जब दुनिया हिंदू धर्म को अपना रही है, हम भारतीय पश्चिमी सभ्यता की ओर आकर्षित हो रहे हैं।”


🚩 तो किसी ने पूछते हुए ट्वीट रिप्लाई किया ,

“उत्तम… क्या भारत का कोई विश्वविद्यालय ऐसा करने की हिम्मत करेगा?” 


🚩एक अन्य ने पोस्ट किया,

“अद्भुत है , भारतीय संस्कृति को किस प्रकार लोग अपना रहे हैं, ये उसका सीधा सादा उदाहरण है।”


🚩उपनिषद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं। उपनिषदों को आमतौर पर वेदांत के रूप में जाना जाता है। विद्वानों के अनुसार उपनिषद शब्द का अर्थ उप+नि+षद के रूप में समझना चाहिए ।

अर्थात् जो ज्ञान बिना किसी व्यवधान के निकट आए, जो ज्ञान विशिष्ट व संपूर्ण हो और जो ज्ञान सच्चा हो , वह निश्चित ही उपनिषद कहलाता है।


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