जुलाई 9, 2017
चुनाव के समय नेता #जनता को बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन अधिकतर #वादे पूरे नही हो पाते हैं इसलिए कि #चुनाव के समय राजनीतिक #पार्टियां इतना खर्च कर देती हैं कि विकास करने के बदले #टैक्स बढ़ाकर एवं #भ्रष्टाचार से वसूल किया जाता है तो जनता की #जेब ही खाली होती है ।
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नई दिल्ली : राजनीतिक #पार्टियों ने पिछले वर्ष पांच राज्यों के चुनाव में एकत्र की गई #राशि से ज्यादा पैसे खर्च किये हैं । एक रिपोर्ट के अनुसार, #पार्टियों ने केवल 355 करोड़ रुपये जमा किए परंतु 573 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि खर्च कर दिए । राजनीतिक #पार्टियों के आंकड़े असम, केरल, पोंडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के चुनावों के दौरान #क्षेत्रीय और #राष्ट्रीय दोंनो प्रकार की पार्टियों से संबंधित हैं ।
थिंक टैंक एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में #राष्ट्रीय दलों ने 287.89 #करोड़ रुपये इकट्ठा किए और उनका कुल खर्च 188.12 करोड़ रुपये रहा ।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, क्षेत्रीय पार्टियों ने 67.22 करोड़ रुपये इकट्ठा किए और खर्च 213.97 करोड़ रुपये किया । रिपोर्ट में कहा गया है कि, कई #राजनीति पार्टियों ने नकद और #चैक के जरिए खर्च की घोषणा करते हुए उनके द्वारा अपने उम्मीदवारों पर किए गए खर्च को शामिल नहीं किया है ।
इन राज्यों के चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा 131.72 करोड रुपये #फंड प्राप्त हुआ है । जो कि बाकि 6 पार्टियों के फंड #कलेक्शन का 45.75 प्रतिशत है । जबकि कांग्रेस पार्टी को कुल 94.23 करोड़ रुपये #फंड प्राप्त हुए जिसमें 41.49 करोड़ रुपये अलग-अलग राज्यों में #खर्च कर दिए हैं ।
रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्रीय #पार्टियों में सबसे ज्यादा फंड 35.66 करोड़ रुपये सपा को मिला है । रिपोर्ट में कहा गया है कि, #नेशनल पार्टियों ने 30.68 करोड़ और 24.7 करोड़ रुपए #पब्लिसिटी मैटेरियल और #पब्लिक मीटिंग पर खर्च किए हैं । जबकि क्षेत्रीय पार्टियों ने इन दोनों कार्यों में क्रमश: 13.64 करोड़ और 10.2 करोड़ रुपये #खर्च किये हैं ।
पिछले वर्ष यानी 2016 में राष्ट्रीय और #क्षेत्रीय दलों ने कुल 573.24 करोड़ रूपये खर्च किए । इसमें विज्ञापन, यात्रा व्यय, अन्य खर्च तथा उम्मीदवारों को किए गए भुगतान #शामिल हैं । राष्ट्रीय दलों में भाजपा सबसे आगे रही और उसने 131.72 करोड़ रुपये एकत्र किए । क्षेत्रीय दलों में सपा ने सबसे ज्यादा 35.66 करोड़ रुपये एकत्र किए । स्त्रोत : इन खबर
राजनीतिक पार्टियों द्वारा अभी तो केवल एक #नंबर के इतने खर्च किये गए हैं जो कि रिपोर्ट में आया है लेकिन 2 नंबर भी बहुत सारे #खर्च होते हैं उसकी तो कोई #गिनती होती ही नही है ।
जब चुनाव आते हैं तब बड़ी-बड़ी #रैलियां निकाली जाती हैं, होडिग्स लगाये जाते है, भीड़ #इकट्ठी करने के लिए जनता को बुलाया जाता है जिससे अधिकतर हर #व्यक्ति को पैसा भी दिये जाते हैं,दारू, मांस आदि-आदि की बड़ी पार्टियां होती हैं, मीडिया में खूब #विज्ञापन दिए जाते है, सोशल मीडिया के लिए भी कई #टीमें बैठाकर प्रचार किया जाता है और नेता जी बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन जैसे ही वे सत्ता पर आ जाते हैं तो #जनता को भूल जाते हैं और टैक्स #लादकर पैसा वसूली किया जाता है जो अपने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए #अरबों रुपये खर्च करते हैं ।
इसमें #गलती जनता की ही रहती है जो नेता अच्छे होते हैं लेकिन #प्रचार नही करते हैं तो उनको वोट नही देगी लेकिन जो पैसा देगा, नाश्ता करवायेगा, लालच देगा उसको ही #वोट देंगे बाद में उन्हीं से वसूल किया जाता है वो उनको पता ही नही चलता है और #देश का विकास रुक जाता है ।
राजनीति की और #राजनेताओं की आलोचना करने के लिए समाज का एक बड़ा #वर्ग पहली पंक्ति में खड़े होने के लिए तैयार हो जाता है और पहली #पंक्ति में खड़े होने की #आपाधापी में वह यह भूल जाता है कि देश की राजनीति की दिशा और दशा के निर्धारण में उसकी #भूमिका महत्वपूर्ण है इसीलिए राजनीति को #गंदा करने में उसकी भी #अप्रत्यक्ष भूमिका रही है । क्योंकि व्यक्ति लालच में आकर गलत व्यक्ति को #वोट देता है तभी वो सत्ता में आते हैं ।
अतः अभी जनता को जागृत होना पड़ेगा, जो हमारे बीच अच्छे #सज्जन व्यक्ति नेता हो उसी को वोट दें और जो अधिक #प्रचार प्रसार करें और बड़े-बड़े वादे करें उससे थोड़ा #सावधान रहें जिससे देश का विकास होगा और हर व्यक्ति #समृद्ध बनेगा ।
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