रिपोर्ट में खुलासा : देश-विदेशों में चल रही है हिंदुओं काक्ष नामोनिशान मिटाने की साजिश
जुलाई 1, 2017
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पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, भूटान, श्रीलंका अफगानिस्तान में रह रहे हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर एक भयंकर रिपोर्ट आई है ।
सर्वधर्म
समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की स्थिति
उन देशों में काफी बदतर है जहां वे अल्पसंख्यक हैं। सबसे ज्यादा खराब
स्थिति दक्षिण एशिया के देशों में रह रहे हिंदुओं की है।
दक्षिण
एशियाई देश-बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ फिजी,
मलेशिया, त्रिनिदाद-टौबेगो में हाल के वर्षो में हिंदू अल्पसंख्यकों के
खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं। इनमें जबरन मतांतरण, यौन उत्पीड़न,
धार्मिक स्थलों पर आक्रमण, सामाजिक भेदभाव, संपत्ति हड़पना आदि शामिल है।
कुछ देशों में राजनीतिक स्तर पर भी हिंदुओं के साथ भेदभाव की अनेक शिकायतें
सामने आई हैं ।
एक
सर्वोच्च हिन्दू अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और
बांग्लादेश जैसे देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां उन्हें हिंसा,
सामाजिक उत्पीड़न और अलग-थलग होने का सामना करना पड़ रहा है।
द
हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन (एचएएफ) ने दक्षिण एशिया में हिंदुओं और
प्रवासियों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि, समूचे दक्षिण एशिया और
दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे हिन्दू अल्पसंख्यक विभिन्न स्तरों के
वैधानिक और संस्थागत भेदभाव, धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी, सामाजिक
पूर्वाग्रह, हिंसा, सामाजिक उत्पीडन के साथ ही आर्थिक और सियासी रूप से
हाशिये वाली स्थित का सामना करते हैं।
अमेरिकी
राजधानी में पिछले सप्ताह की शुरुआत में जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया,
‘‘हिन्दू महिलाए खास तौर पर इसकी चपेट में आती हैं और बांग्लादेश तथा
पाकिस्तान जैसे देशों में अपहरण और जबरन धर्मांतरण जैसे अपराधों का सामना
करती हैं। कुछ देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां राज्यतर लोग
भेदभावपूर्ण और अलगाववादी एजेंडा चलाते हैं जिसके पीछे अक्सर सरकारों का
मौन या स्पष्ट समर्थन होता है।’’
अपनी
रिपोर्ट में एचएएफ ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया और पाकिस्तान को
हिन्दू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का भीषण उल्लंघनकर्ता माना है। भूटान
और श्रीलंका की पहचान गंभीर चिंता वाले देशों के तौर पर की गयी है। रिपोर्ट
में भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।
बांग्लादेश
: आपको बता दें कि बांग्लादेश जब से स्वतंत्र हुआ है, तब से आज तक वहां
15 लाख से अधिक हिन्दुआें की हत्या की गई है । हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर
अत्याचार किए जाते हैं । अभी तक बांग्लादेश के 3 हजार 336 मंदिर तोड़े गए
हैं । पिछले वर्ष अज्ञात शरारती तत्वों द्वारा 15 मंदिरों और 20 से अधिक
मकानों में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। इस हमले के बाद कई हिन्दू परिवार
अपने मकानों को छोड़कर चले गए और दूसरे क्षेत्रों में शरण ले ली ।
बांग्लादेश
ने वेस्टेड प्रापर्टीज रिटर्न [एमेंडमेंट] बिल 2011 को लागू किया है,
जिसमें जब्त की गई या मुसलमानों द्वारा कब्जा की गई हिंदुओं की जमीन को
वापस लेने के लिए क्लेम करने का अधिकार नहीं है। इस बिल के पारित होने के
बाद हिंदुओं की जमीन पर कब्जा करने की प्रवृति बढ़ी है और इसे सरकारी
संरक्षण भी मिल रहा है। इसका विरोध करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और
पत्रकारों पर भी जुल्म ढाए जाते हैं। इसके अलावा हिंदू इस्लामी
कट्टरपंथियों के निशाने पर भी हैं। उनके साथ मारपीट, दुष्कर्म, अपहरण, जबरन
मतांतरण, मंदिरों में तोड़फोड़ और शारीरिक उत्पीड़न आम बात है। अगर यह जारी
रहा तो अगले 25 वर्षो में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी ही समाप्त हो
जाएगी।
पाकिस्तान :
पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है।
स्कूलों में इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं के
साथ असहिष्णु व्यवहार किया जाता है। हिंदू युवतियों और महिलाओं के साथ
दुष्कर्म, अपहरण की घटनाएं आम हैं। उन्हें इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन
धर्मतांरण का दबाव डाला जाता है। गरीब हिंदू तबका बंधुआ मजदूर की तरह जीने
को मजबूर है। हिंसक हमले भी किये जाते है । अभी कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान
के थार जिले में एक नाबालिग हिन्दू लड़की का कथित तौर पर अपहरण करके उसका
धर्मांतरण करा दिया गया।
श्रीलंका
: श्रीलंका में 30 वर्ष पूर्व वहां हिन्दुआें की संख्या 30 प्रतिशत थी, जो
अब घटकर 15 प्रतिशत हो गई है । वहां गरीब हिन्दुआें को आर्थिक प्रलोभन
देकर योजनाबद्ध पद्धति से उनका धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है । सिंहली बहुल
श्रीलंका में भी हिंदुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। पिछले कई
दशकों से हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। हिंसा के कारण उन्हें लगातार पलायन
का दंश झेलना पड़ रहा है। हिंदू संस्थानों को सरकारी संरक्षण नहीं मिलता है।
सरकारी नौकरियों और अन्य सरकारी सहायता से वंचित है। हिंदू संस्थाओं के
साथ और हिंदू त्यौहारों के दौरान हिंसा होती है।
भूटान
: बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहुभाषी देश कहे जाने वाले भूटान में भी
हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हो रहा है। 1990 के दशक में दक्षिण और पूर्वी
इलाके से एक लाख हिंदू अल्पसंख्यकों और नियंगमापा बौद्धों को बेदखल कर दिया
गया।
मलेशिया : मलेशिया
में हिन्दू मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों को अक्सर निशाना बनाया जाता
है। सरकार मस्जिदों को सरकारी जमीन और मदद मुहैया कराती है, लेकिन हिंदू
धार्मिक स्थानों के साथ इस नीति को अमल में नहीं लाती। हिंदू कार्यकर्ताओं
पर तरह-तरह के जुल्म किए जाते हैं और उन्हें कानूनी मामलों में जबरन फंसाया
जाता है। उन्हें शरीयत अदालतों में पेश किया जाता है। पिछली साल जबरन 7000
हिन्दुओं को धर्मपरिवर्तन करवाके मुस्लिम बनाया गया था ।
अफगानिस्तान
: स्थानीय मुसलमानों ने वहां रहने वाले हिन्दू परिवारों का जीना हराम कर
रखा है । नेशनल कॉउन्सिल ऑफ़ हिन्दू एंड सिख के चेयरमैन अवतार सिंह के
अनुसार 1992 में काबुल सरकार के पतन के दौरान यहाँ लगभग 2,20,000 हिन्दू
और सिख परिवार रहते थे जो अब घटकर सिर्फ 220 रह गए हैं । पूरे देश में अब
सिर्फ 1350 हिन्दू परिवार बचे हुए हैं । अगर आप मुस्लिम नहीं हैं तो आप
इंसान नहीं हैं, ऐसा वहां के मुसलमान मानते हैं । दाह संस्कार करने गए
हिन्दू परिवारों और यहाँ तक कि मृतक के शरीर पर भी ये मुसलमान ईंटों और
पत्थरों से हमला करते है ।
कश्मीर
: पाकिस्तान ने कश्मीर के 35 फीसदी भू-भाग पर अवैध तरीके से कब्जा कर रखा
है। 1980 के दशक से यहां पाकिस्तान समर्थित आतंकी सक्रिय हैं। कश्मीर घाटी
से अधिकांश हिंदू आबादी का पलायन हो चुका है। सात लाख से ज्यादा कश्मीरी
हिंदू अपने ही देश में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। कश्मीरी पंडित
रिफ्यूजी कैंप में बदतर स्थिति में रहने को मजबूर हैं।
यह
चिंता की बात है कि विदेशों में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले
लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन चंद मानवाधिकार संगठनों की बात छोड़ दें तो वहां
रह रहे हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।
भारत
में अल्पसंख्यको को इतनी सुख -सुविधाओं दी जा रही हैं फिर भी दंगे करते
रहते हैं लेकिन विदेशों में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दू नर्क से भी बद्दतर
जिंदगी जी रहे हैं उनके लिये कोई आवाज नही उठा रहा है , इस पर भारत सरकार
को कठोरता से कदम उठाना चाहिए ।
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