जुलाई 29,2017
भारत में जब कोई #आतंकवादी हमला करता है और कइयों की जान ले लेता है और करोड़ो का #नुकसान करता है । उसके बाद जब वह पकड़ा जाता है तो सालों तक कोर्ट में केस चलता है और उसे रखने में बढ़िया-बढ़िया भोजन से लेकर सभी वी.आई.पी सुविधायें दी जाती हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में कोई #निर्दोष गलती से फंस जाये तो उसकी भी इतनी बुरी हालत होती है कि नर्क से भी बत्तर जीना पड़ता है ।
pakistan jail |
पाकिस्तान की #मलीर लांघी जेल में 15 अक्टूबर 2015 से तीन आदमी बंद थे। #जयचंद, #रवि शंकर और #संजय ।
आओ पहले इनकी दुख भरी कहानी पढ़े...
ये तीनों दिहाड़ी मजदूर हैं । #कानपुर से 50 किलोमीटर दूर, घाटमपुर के #मोहम्मदपुर गांव के निवासी हैं । वहां से मजदूरों की ठेकेदारी करने वाला एक आदमी इनको लेकर गुजरात गया मछली पकड़ने के लिए । वहां जाखुआ पॉइंट पर ये मछली पकड़ रहे थे,तभी तेजी वाली लहर आई और #27 मछुआरे पाकिस्तान की तरफ बह गए । पाकिस्तान की #नेवी ने पहले तो इन पर धांय-धांय गोली चलाई,फिर अरेस्ट करके #जेल में डाल दिया ।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इनके शुरुआती दिन बड़ी मुसीबत में गुजरे । इनके साथ जो पाकिस्तानी कैदी रहते थे, वो दिन में तीन बार सेल की सफाई कराते थे ।अपनी चड्डी-बनियान तक धुलवाते थे । और वहां के गार्ड खड़े-खड़े तमाशा देखते थे और परेशान करने को उकसाते थे । क्योंकि इन्हें टॉर्चर होते देखना उनके कलेजे को ठंडक देता था ।
खाने में मिलती थी केमिकल वाली रोटी
#जयचंद बताते हैं कि इनको मैदे वाले पतली, एकदम महीन रोटियां मिलती थी पूरे दिन में पांच । एक दिन ध्यान से देखा तो उन पर सफेद सा पाउडर लगा था । ये कोई केमिकल था । हमने उसी दिन से रोटी खाना छोड़ दिया । वेजीटेरियन कैदियों को ये सहूलियत दी गई थी कि वो अपना खाना खुद बनाए । लेकिन शर्त थी कि सब्जियां खुद खरीदनी पड़ेंगी । तो इन लोगों ने 14 महीने सब्जी पर गुजारा किया बिना रोटी खाएं । वो भी कभी कभी पाकिस्तानी कैदी छीन लेते थे और इनको भूखे सोना पड़ता था ।
जयचंद कहते हैं कि जेल तो जेल है लेकिन पाकिस्तान की जेल में जीना सबसे मुश्किल है । खासतौर से तब जब आप इंडियन हो । वहां के कैदी और गार्ड #भारतीय कैदियों के #खिलाफ एक हो जाते हैं ।
पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान ने #220 मछुआरों को छोड़ने का फैसला किया था,तो ये लोग जनवरी में अपने गांव लौट पाए थे ।
यशपाल से कुछ भी पूछो, जवाब आता है ‘पाकिस्तान’
फिजिकली और मेंटली उस सीमा तक टॉर्चर किया गया है #यशपाल को कि उन्हें बराबर बरेली के मेंटल हॉस्पिटल जाना पड़ रहा है । जो उनके साथ पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में हुआ है, उसके बाद नॉर्मल होने के लिए महीनों लग जाते हैं। जब ये पाकिस्तान से छूटकर आए थे तो इनको सिर्फ तीन शब्द याद थे दिल्ली, पाकिस्तान और इंडिया ।
बरेली से 40 किलोमीटर दूर पड़ेरा गांव है । वहां के हैं यशवंत । मई 2013 में कोट #लखपत जेल में तीन साल काटकर रिहा हुए । ये वही महीना था और वही जेल थी, जब #सरबजीत को कैदियों ने हमला करके मार डाला था ।
यशवंत बताते हैं कि कोट लखपत जेल भारतीय कैदियों के लिए भयानक टॉर्चर वाली कालकोठरी है । तकलीफ सिर्फ वही समझ सकता है जो वहां फंस चुका हो । #इंडियन कैदियों की हालत तो और #बदतर होती है । वहां उनको 2×2 फुट के कमरों में रहने को मजबूर किया जाता है । जो पूरी तरह से लाइट और साउंड प्रूफ होते हैं । एक मिनट आंख बंद करके ऐसा सोचने पर भी रूह कांप जाती है । टॉर्चर के बहुत से तरीके हैं उनके पास । बेहोश होने तक डंडे से पीटना,नाक से पानी भरना, बिजली के झटके देना ।
इसके अलावा ऐसा माहौल बनाया जाता है कि भारतीय कैदी मानसिक रूप से हर उम्मीद छोड़ देता है ।
यशपाल के पिता #बाबूराम बताते हैं कि यशपाल 2008 में घर छोड़कर दिल्ली गया रोजगार की तलाश में।
2009 में उसने वापस चिट्ठी भेजनी बंद कर दी । फिर उसका कुछ पता नहीं लगा । ये भी पता नहीं था कि वो पाकिस्तान में फंस गया है ।
2012 में पाकिस्तान के एक आदमी #मोहम्मद यूसुफ भट्ट की चिट्ठी आई, तब घर वालों को हालत पता चली । फिर #प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने इनकी पूरी हेल्प की, यशपाल को वापस घर लाने में । ये बरेली में #जगर सोसाइटी नाम से एक #NGO चलाते हैं । प्रदीप ने ही यहां से पाकिस्तान तक अथॉरिटीज से बात करके रिहाई का जुगाड़ कराया ।
ये दो केस हैं, जो बताते हैं कि पाकिस्तान की जेलों में फंसने के बाद हमारे देश के नागरिकों का क्या हाल होता है । ये कोई क्रिमिनल नहीं हैं । इंसानी गलती की वजह से वो लकीर पार कर गए, जिसके एक तरफ जिंदगी है दूसरी तरफ मौत की साजिश । ये कोई जासूस नहीं हैं, फौजी नहीं हैं। फिर भी इनके साथ ऐसा सुलूक होता है । कुलभूषण जाधव को बिना पक्के सुबूतों के फांसी की सजा सुना दी जाती है और हमारे यहां साजिद मुनीर जैसे पाकिस्तानी जासूस को #भोपाल पुलिस 10 महीने से सरकारी #मेहमान बनाने को #मजबूर है क्योंकि पाकिस्तान उसे वापस ले जाने को तैयार नहीं (लेखक :आशुतोष )
पाकिस्तान में हिन्दुओं का भी बुरा हाल है, नाबालिक लड़कियो को जबरदस्ती उठाकर ले जाते हैं,बलात्कार करते है, जबरन शादी कर लेते है, अंतिम क्रिया स्मशान घाट में नही करने देते हैं,मंदिर तोड़ दिए जाते हैं वहां का कानून और सरकार हिन्दुओं का सुनने को तैयार ही नही है । लेकिन भारत में #सेकुलर लोग #आतंकवादी को# बचाने के लिये आधी रात को #कोर्ट खुलवाते हैं , कोर्ट भी आधी रात को खुल जाती है लेकिन #कश्मीर पंडितों के #नरसंहार को सुनने को मना कर देती है ।
जब तक हिन्दुओं में एकता नही आएगी तब तक देश-विदेश में हिंदुओं का शोषण होता ही रहेगा । जब हिन्दू एक हो जायेगे और किसी एक भी #हिन्दू पर #अत्याचार होने पर सभी हिन्दू #एक साथ खड़े होगें तभी हिन्दू #सुरक्षित रह पायेंगे ।
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