मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वोे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देते है। भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया। उन्होंने अंग्रेजो के सामने विद्रोह करके अंग्रेज़ो को भगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।
मंगल पांडे जिन्होंने गौरक्षा और राष्ट्ररक्षा के लिए अंग्रेजी सरकार के खिलाफ 1857 में नई आजादी का शंखनाद किया ।
विद्रोह का प्रारम्भ एक बंदूक की वजह से हुआ।
सिपाहियों को पैटर्न 1853 एनफ़ील्ड बंदूक दी गयीं नयी एनफ़ील्ड बंदूक भरने के लिये कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था। कारतूस(बन्दूक की गोली) का बाहरी आवरण में गाय की चर्बी होती थी ।
क्रांतिकारी मंगल पांडे ने इसका विरोध किया पर एक अंग्रेज अफ़सर लेफ़्टीनेण्ट ने उनको गाय की चर्बी वाली कारतूस खोलने को मजबूर किया मंगल पांडे ने उस अफसर को गोली मार दी। सेना में विद्रोह हो गया अंग्रेज डरने लगे, अंग्रेजो ने मंगल पांडे को फांसी की सजा सुना दी और मंगल पांडे हँसते हँसते फांसी पर चढ़ गए लेकिन गाय के चर्बी वाली कारतूस नही खोली । आज उन महान क्रांतिकारी मंगल पांडे का बलिदान दिवस है ।
आज आजादी के 7 दशक बाद गौमाता जिनके कारण हमें आजादी मिली वो आज भी कट रही है गौमाता का अधिकार गौचरण भूमि पर अवैध कब्जे है । मंगल पांडे जी ने तो हमे आजादी दिला दी लेकिन हम लोग भारतवर्ष के माथे पर लगा गौहत्या के कलंक आज तक नही मिटा पाए ।
जिस गौमाता और गौरक्षकों के कारण आज हम आजाद है जिसके मूल में गौमाता और उसके गौरक्षक है ।
वर्त्तमान केंद्र सरकार सत्ता में गौहत्या मुक्ति का नारा लगाकर आये थे सम्पूर्ण भारत मे गौहत्या बन्दी की बात करते थे लेकिन गौहत्या बन्द करने की जगह गौरक्षको को ही गुंडा शब्द का प्रयोग कर दिया गया।
आज मंगल पांडेय जी की आत्मा जहाँ भी होगी निःसंदेह उन्हें पश्चताप होगा आखिर ऐसा भारत हम चाहते थे जहाँ गौमाता की हक की लड़ाई लड़ने अनेक साधु-संत-महात्मा व गौरक्षको को सम्मानित किया जाये और गौरक्षा हो ।
आज सरकार की वोटबैंक की राजनीति के कारण भारतीय गौवंश जिस तेजी से कट रहा है किसान आत्महत्या कर रहा है वह दिन दूर नही जब भारतीय गौवंश और किसान भारत की धरती से समाप्त हो जाएगा ।
फिर ऐसे दिन आयेंगे की जब गाय नही होगी तो गौपालक नही होंगे गौपालक नही होंगे तो खेती नही होगी तब विदेशी कम्पनियों के दलाल भारतीय रेल और एयर इंडिया की भांति किसानों की भूमि को भी कारपोरेट फार्मिंग के लिए विदेशी कम्पनियों को बेच देंगे।
एक विदेशी कम्पनी को भगाने के लिए स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी गौरक्षक मंगल पांडे जी जैसे 732835 क्रांतिवीर शहीद हो गए आज तो 5 हजार से ज्यादा विदेशी कम्पनिया भारत मे प्रवेश कर चुकी है ।
1857 में भड़की क्रांति की यही चिंगारी 90 वर्षों के बाद 1947 में भारत की पूर्ण-स्वतंत्रता का सबक बनी। स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों ने सर्वस्व त्याग के उत्कृष्ट उदाहरण हमारे सामने रखे हैं। आज़ाद हवा में साँस लेते हुए हम सदा उनके ऋणी रहेंगे जिन्होंने दासता की बेड़ियाँ तोड़ते-तोड़ते प्राण त्याग दिये।
अब समय आ गया है कि आने वाली पीढ़ियों को हम क्या देना चाहते । गौहत्या मुक्त भारत या गौहत्या से कलंकित भारत ।
हम आने वाले पीढ़ियों को क्या देना चाहते है भ्रष्टाचार में डूबा भारत या भारत को आजाद कराने वाले अनन्य क्रांतिकवीरो के सपनो का भारत ।
आजादी के आंदोलन में हिंसा या अहिंसा को आधार बनाकर क्रान्ति करने वाले वीर क्रान्तिकारी सबके सपने एक ही थे की भारत में अंग्रेजियत मुक्त स्वदेशी पर आधारित स्वराज्य आये परंतु वो सपना आजादी के 70 वर्षो बाद भी अधूरा है !
आजादी के आंदोलन में हिंसा या अहिंसा को आधार बनाकर क्रान्ति करने वाले वीर क्रान्तिकारी सबके सपने एक ही थे की भारत में अंग्रेजियत मुक्त स्वदेशी पर आधारित स्वराज्य आये परंतु वो सपना आजादी के 70 वर्षो बाद भी अधूरा है !
आजादी मिलने के तुरंत बाद शहीदों को सम्मान देते हुए इस कार्य को करना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य से इस देश में वो सबकुछ नहीं हुआ !
जिन लोगो ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया शहादत दी उनका नाम भारत सरकार की सूची में नहीं है और जिन लोगो ने देश से गद्दारी की अंग्रेजो से वफादारी की अंग्रेजो से दोस्ती किया वो इस देश की शासन व्यवस्था में सबसे ऊँचे पदों पर बैठे हुए है उनके प्रतीक पुरे देश में जगह जगह आज भी स्थापित है !
जब तक गौमाता का रक्त भारत भूमि पर पड़ेगा तब तक यह आजादी अधूरी है कैसे भारत की आने वाली पीढ़िया हमे माफ़ करेंगी !
आज नहीं तो कल शहीदों के सपनो का भारत बनाना ही होगा उन्हें सम्मान देना ही होगा अन्यथा शहीदों की शहादत बेकार जायेगी उनकी सार्थकता ख़त्म हो जायेगी ! आने वाली पीढ़ी आखिर कैसे कुर्बान करेगी देश के लिए !
वादों नारो की राजनीती से राष्ट्र गौरवशाली नहीं होगा ! ये राष्ट्र गौरवशाली तब होगा जब ये राष्ट्र अपने जीवन मूल्यों, परम्पराओ, मान्यताओ को भारतीयता के आधार पर स्थापित करेगा !
हम सफल तब होंगे जब भारत को गौहत्या से मुक्त कर प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण कर पाएंगे !
अतः व्यक्ति, समाज व राष्ट्र को एक सूत्र में बाँध पाएंगे और वह सूत्र राष्ट्रीयता ही हो सकती है !सम्भव है राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने के लिए सत्ताओ से लड़ना पड़ेगा सत्ताओ से राष्ट्र महत्वपूर्ण है! राजनैतिक सत्ताओ से राष्ट्रिय हित महत्वपूर्ण है अतः राष्ट्र की बेदी पर सत्ताओ की आहुति देना पड़े तो भी किसी भारतीय को संकोच न करना पड़े !इतिहास साक्षी है सत्ता और स्वार्थ की राजनीति ने इस राष्ट्र का अहित किया है हमे सिर्फ राष्ट्र हित में विचार करना है !
हमे राजनैतिक सत्ता प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए कार्य करना है और जब तक भारत की धरती से गौहत्या का कलंक मिट नही जाता, शहीदों के सपनो का भारत नहीं बन जाता, स्वराज्य नहीं आ जाता, संतों पर अत्याचार बन्द नही होता तब तक किसी भारतीय को भला होने वाला नहीं है !
विजय तो निश्चित है राष्ट्र की आवश्यकता मात्र आवाहन् की है !
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