दामिनी प्रकरण के बाद बनाये गये नये यौन-शोषण विरोधी कानूनों में कई मामूली आरोपों को गैर-जमानती बनाया गया है । इससे ये कानून किसी निर्दोष पर भी वार करने के लिए सस्ते हथियार बनते जा रहे हैं । इस कानून का भयंकर दुरुपयोग किया जा रहा है दिल्ली उच्च न्यायालय ने बताया है कि ऐसे कई मामले दर्ज किये जा रहे हैं जिनमें महिलाओं द्वारा बदला लेने के लिए तथा निजी प्रतिशोध की भावना से, डरा-धमकाकर पैसों के लिए कानून को हथियार के तौर पर उपयोग किया जा रहा है । ऐसे मामलों के चलते बलात्कार के आँकडे बढ़े हुए नजर आते हैं, जिससे हमारे ही समाज को नीचा देखना पड़ता है ।
Girls entangle innocent men in false case for greed of money: Kajal |
इन कानून का जो महिलायें या लड़कियां फायदा उठाकर उसका अपनी निजी स्वार्थ या बदला लेने की भावना से पुरुषों को फंसाती है उनके लिए ग्वालियर की दबंग काजल जादौन ने
*ज्वाला शक्ति संगठन* की स्थापना की है और *बेटा बचाओ अभियान* चला रही है ।
*ज्वाला शक्ति संगठन* की स्थापना की है और *बेटा बचाओ अभियान* चला रही है ।
काजल ने अपना वीडियो शोशल मीडिया पर डाला है इसमे उनका कहना है की बेटा बचावो अभियान कानून का दुरुपयोग करने वाली महिलाओं के विरुद्ध में है, ऐसी महिला जो निर्दोष बेटों को धारा 376 बलात्कार, धारा 354 छेड़छाड़ और धारा 498 में फंसा देती हैं उन युवकों को या तो जेल जाना पड़ता हैं या फिर मोटी रकम लेकर उनलोग को राजीनामा हो जाता हैं इससे साफ पता चलता है कि महिलायें या युवतियां सिर्फ पैसो के लालच में आकर ये कदम उठाती हैं उन महिलायें या युवतियों को अच्छी खासी मोटी रकम मिल सके इस कारण निर्दोष युवकों को फंसा देतीं हैं ।
आगे बताया कि दूसरी बात ये है की जिनलोगों का प्रेमप्रसंग अपनी सहमती से बनता है और ये इतना आगे बढ़ जाता हैं कि शारिरिक संबंध भी बन जाते हैं। ये सवाल उन महिलाओं व युवतियों के लिए है कि जो प्रेम प्रसंग के चलते इनका शारिरिक संबंध बनता हैं तो क्या इसमे सहमती सिर्फ लड़कों की होती हैं आपका नही?
यदि हाँ, तो फिर अकेला दोषी लड़का क्यों?
यदि हाँ, तो फिर अकेला दोषी लड़का क्यों?
जैसे कई बार देखने को मिलता हैं कि थाने में जाकर महिलायें या युवतियां रिपोर्ट लिखवाती है कि शादी का झांसा देकर फलाने युवक ने मेरा 6 माह तक शारीरिक शोषण किया। तो क्या ये शारिरिक शोषण या दुष्कर्म हैं? नही।
ये सबको पता है कि यह एक enjoyment हैं।
ऐसी चरित्र की महिलायें या युवतियों के कारण ही बेचारी उन महिलायें व युवतियां जिनके साथ वास्तविक रूप से ये घटना होती हैं उनके चरित्र पे ये उंगली उठाती हैं ये घटिया किस्म की महिलायें है।
कुछ महिलायें व युवतियां थाने में जाकर यह भी कहतीं हैं कि फलाने पुरूष ने मुझे बहला फुसलाकर ले गया था और मेरे साथ गलत व्यहवार करने की कोशिश की या फिर गलत व्यवहार किया।
ये सबको पता है कि यह एक enjoyment हैं।
ऐसी चरित्र की महिलायें या युवतियों के कारण ही बेचारी उन महिलायें व युवतियां जिनके साथ वास्तविक रूप से ये घटना होती हैं उनके चरित्र पे ये उंगली उठाती हैं ये घटिया किस्म की महिलायें है।
कुछ महिलायें व युवतियां थाने में जाकर यह भी कहतीं हैं कि फलाने पुरूष ने मुझे बहला फुसलाकर ले गया था और मेरे साथ गलत व्यहवार करने की कोशिश की या फिर गलत व्यवहार किया।
तो खास बात यहाँ पे ये हैं कि 18 साल या इससे अधिक उम्र वाली महिलाओं या युवतियों को क्या बहलाया फुसलाया जा सकता है? वो महिला जहाँ मार्केट और शॉपिंग मॉल में बिना color choose किये या बिना try किये एक साड़ी या कुर्ती नही खरीद सकती । जब इनमे इतनी अक्ल है खरीदारी या मोल भाव करने की तो ऐसी महिलाओं को कोई कैसे बहला फुसलाकर ले जा सकता है?
बहलाया फुसलाया तो बच्चो को जाता है।
बहलाया फुसलाया तो बच्चो को जाता है।
बेटा बचावो अभियान के दौरान सरकार और प्रशासन से ये अपील है कि ऐसी महिला जब रिपोर्ट लिखवाने आये तब सबसे पहले इनके हाथ मे एक दूध का बोतल और थैली थमाए, क्योंकि इनको सख्त जरूरत है ये बच्चो की ही श्रेणी में आतीं हैं।
सोचने समझने की शक्ति बच्चो में नही होती या फिर मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति में नही होती।
अगर इनके हाथ मे दूध का बोतल नही दे सकते तो इनका इलाज जरूर करवाये क्योंकि इनको एक मनोवैज्ञानिक डॉक्टर की आवश्यकता है और इनका इलाज भी निःशुल्क होना चाहिए।
ये महिलायें अपना इलाज पैसों देकर नही करवा सकतीं क्योंकि पैसों के खातिर ही निर्दोष युवक को फ़सातीं हैं।
काजोल ने सही बताया है मनचली चरित्र हीन लड़कियां पैसे के लिए निर्दोष पुरुषों को फसाकर उसकी जिंदगी खराब कर देती है और दूसरी तरफ जिस लड़की के साथ वास्तविकता में घटना घटती है उन महिलाओं को न्याय नही मिल पाता है ।
बलात्कार निरोधक कानूनों के प्रावधानों में कुछ कमियाँ हैं जिससे इनका दुरुपयोग हो रहा है । इनमें ऐसे प्रावधान हैं कि शिकायतकर्ता बिना किसी सबूत के किसी पर भी आरोप लगाकर उसे जेल में पहुँचा सकता है । जिसके कारण इनका दुरुपयोग दहेज कानून से भी ज्यादा हो रहा है । इनमें जल्द बदलाव हो, नहीं तो एक के बाद एक, आम जनता से लेकर प्रतिष्ठित और सम्मानीय व्यक्तियों तक सभी इनके जाल में फँस सकते हैं ।
बलात्कार कानून में जल्द ही बदलाव हो, नहीं तो एक के बाद एक निर्दोष जाल में फँसते चले जायेंगे।
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