Saturday, June 30, 2018

आप भी जानिए क्या भारत में कानून सभी के लिए समान है ?

*🚩आप भी जानिए क्या भारत में कानून सभी के लिए समान है?*

30 June 2018

🚩भारत के कानून देखकर हर कोई पूछता है कि आम नेता, अभिनेता, अमीरों, पत्रकारों के लिए कोई स्पेशल कानून बना है? कि उनको सजा होने के बाद भी मजे से बाहर घुमते है और आम जनता और हिंदुनिष्ठ को सालो तक जेल में सड़ाया जाता है ।

🚩हाल ही में चारा घोटाला में राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के देवघर कोषागार समेत सभी तीन मामलों में आरोप सिद्ध हुआ और जेल भेज दिया गया लेकिन अचानक क्या हुआ कि 70 साल के लालू को 4 महीने में ही छह हप्ते की पैरोल मिल गई और पैरोल पूरी होने से पहले छह हप्ते की जमानत मंजूर हो गई ।
Do you know that law in India is the same for all?

🚩सूत्रों के अनुसार न्यायमूर्ति अमरेश कुमार सिंह की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि अभी लालू यादव को उचित इलाज के लिए समय की जरूरत है ।

🚩झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद को इलाज के लिए दायर अंतरिम याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 मई को छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत स्वीकृत की थी जिसकी अवधि 27 जून को समाप्त हो रही थी अब उनकी अवधि छह हप्ता और बढ़ा दी ।

🚩अभी जनता के मन मे बड़ा सवाल उठ रहा है कि 70 साल के लालू का केस करीब 22 साल से चल रहा था तबतक लालू बाहर मजे से घुमते रहे और चुनाव लड़ते रहे, इतने सालों के बाद जब आरोप सिद्ध हुआ तो 4 महीने में ही जमानत मिल गई लेकिन दूसरी ओर 82 वर्षीय हिन्दू संत आसाराम बापू को 5 साल से केस शुरू हुआ केस शुरू होते ही जेल में भेज दिया उसके बाद उनका स्वास्थ्य खराब हुआ फिर भी इलाज करने के लिए भी जमानत नही मिली और जब उनके पक्ष के प्रमाणपत्रों को ठुकराकर उम्रकैद दे दी उसके बाद पैरोल बनाता है फिर भी नही पैरोल मिला और नही जमानत मिली इससे साफ सिद्ध होता है कि नेता और हिंदुनिष्ठ के लिए अलग-अलग कानून है ।

🚩बिना सबूत साध्वी प्रज्ञा 9 साल , स्वामी असीमानन्द को 8 साल, शंकराचार्य अमृतानंद जी को 8 साल जेल में रखा गया था । साध्वी प्रज्ञा को तो कैंसर तक बिमारी हो गई थी लेकिन इलाज के लिए जमानत नही मिल रही थी, आज भी धनंजय देसाई बिना सबूत सालो से जेल में है लेकिन जमानत नही मिल रही है इससे साफ सिद्ध होता है कि नेता-अभिनेता, अमीरों, पत्रकारों और हिन्दूनिष्ठ लोगो के लिए अलग-अलग कानून काम कर रहा है ।

🚩संजय दत्त को सजा हुई , सलमान खान को सजा हुई लेकिन वे जमानत पर तुरंत छूट जाते है शशि कला, लालू यादव जैसे कई नेता सजा होने के बाद बाहर आसानी से आ जाते है, विजय माल्या जैसा को 3 घण्टे में जमानत मिल जाती है, पत्रकार तरुण तेजपाल के खिलाफ पूरे सबूत है फिर भी बाहर मजे से घूम रहा है लेकिन आज भी लाखों निर्दोष लोग जेल में बंद है क्यों की उनके पास पैसे नही है और हिन्दूनिष्ठ लोग तो कभी सोच भी नही सकते है कि न्यायालय उनको जमानत दे दे क्यों की जैसे ही न्यायालय किसी हिन्दूनिष्ठ को जमानत देने जाता है तो मीडिया छाती पीटने लगती है जिससे कारण जज पर दबाव जैसा बन जाता है और उनके खिलाफ ही निर्णय आता है ।

🚩इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि कानून की आड़ लेकर राष्ट्रीविरोधी ताकते काम कर रही है हिन्दूनिष्ठ को फंसाने में, पहले कोई झूठा मुकदमा बनाना फिर मीडिया के द्वारा जनता में उनकी छवि धूमिल करना, फिर जज पर प्रेशर डलवाकर उनको बाहर नही आने देना ऐसा षड्यंत्र चल रहा है जो समाज को सावधान होने की जरूरत है ।

🚩राष्ट्रविरोधी ताकते चाहती है कि भारत को फिर से गुलाम बनना है तो भारतीय संस्कृति तोड़नी होगी इसके लिए जो भी जनता में जागरूकता लाता है हिन्दू संस्कृति की उसके खिलाफ षड्यंत्र करके हत्या कर दी जाती है या जेल भिजवाया जाता है जिससे आम जनता को आसानी से ब्रेनवॉश करके भारतीय संस्कृति तोड़कर राज कर सके ।

🚩अभी भी हिन्दुस्तानी एक नही हुए और इन षडयंत्र के खिलाफ आवाज नही उठाई तो आने वाले समय मे भयंकर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे ।

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Friday, June 29, 2018

न्यायधीश बोले सभी महिलाओं के राइट्स की बात कर रहे है, पुरुषों के लिए क्यों नही?

29 June 2018

🚩निर्दोष पुरुषों को फँसाने के लिए बलात्कार के नये कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है ।

🚩दहेज कानून की ही तरह रेप-रोधी कानूनों का भी बडी मात्रा में निर्दोष पुरुषों को फँसाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है । दुर्भाग्यवश इन कानूनों का गलत इस्तेमाल आज आम जनता के बाद प्रतिष्ठित व्यक्तियों के खिलाफ अधिक हो रहा है । 2013 में बलात्कार के मामलों में जेलों में डाले गये 75% लोग निर्दोष साबित हुए । 
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🚩आपको बता दे कि अक्टूबर 2015 में एक नाबालिग ने अपने नाना पर रेप का आरोप लगाया था। अब करीब ढाई साल चले कोर्ट केस के बाद दिल्ली की अदालत ने 65 वर्षीय बुजुर्ग को बरी कर दिया है। यह फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि देश में महिलाओं और बच्चों के झूठे मुकदमों से पुरुषों को बचाने के लिए कोई कानून नहीं है।

🚩विशेष पोक्सो कोर्ट की अतिरिक्त सत्र जज निवेंदिता अनिल शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि लड़की ने अपने बयान बार-बार बदले हैं। वहीं उसकी मां के बयान भी बुजुर्ग पर आरोप साबित नहीं कर सके।

🚩जज ने यह भी कहा कि भले ही आरोपी बरी हो गया हो लेकिन हो सकता है कि समाज में कोई उसे निर्दोष न माने और इस तरह वह जिंदगीभर ग्लानी में रहेगा। साथ ही इतनी उम्र में उन्हें निर्दोष होने के बाद भी लंबा समय जेल में गुजारना पड़ा है।

🚩9 साल की नातिन ने बुजुर्ग पर डिजिटल रेप का आरोप लगाया था। जांच के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया था और चार्जशीट दाखिल की थी लेकिन आरोप गलत साबित हुए। सुनवाई के दौरान बुजुर्ग ने कहा कि उनकी बेटी ने ये झूठे आरोप लगवाए हैं क्योंकि वह उनकी प्रॉपर्टी पर कब्जा करना चाहती है। बुजुर्ग के अनुसार उन्होंने पिता का धर्म निभाते हुए बेटी को अपने ही घर में रहने की अनुमति दी थी लेकिन प्रॉपर्टी के लालच में आकर बेटी ने ही ऐसी साजिश रच दी।

🚩सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि नाबालिग अपने नाना पर लगाए आरोप साबित नहीं कर सकी। उसने जज के सामने कुछ ऐसी बातें कहीं जो पुलिस रिपोर्ट में नहीं थीं। उसके साथ कब-कब किस तरह हरकतें हुई यह भी साबित नहीं हो पाया। इस तरह कोर्ट को कोई ऐसा कारण नहीं मिली कि बुजुर्ग को दोषी माना जाए। फैसले के आखिरी में जज ने कहा, हर कोई महिलाओं और बच्चों के राइट्स कि बात कर रहा है, उसके लिए लड़ रहा है, लेकिन किसी को भी पुरुषों के सम्मान कि परवाह नहीं है।

🚩आम जनता के अलावा राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ बलात्कार कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ।

🚩दहेज-उत्पीड़न कानून की ही तरह इसमें भी सुधार की आवश्यकता है । रेप के संशोधित कानूनों के लिए तो कई वरिष्ठ वकीलों का भी कहना है कि ये कानून अस्पष्ट हैं ।


🚩निर्दोष पुरुषों को फंसाने के लिए बलात्कार कानून का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है इसमे सुधार करना होगा नही तो एक के बाद एक निर्दोष पुरूष फंसते जायेंगे।

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Thursday, June 28, 2018

जानिए मांसाहार करने से कितनी होती है भयंकर हानी

🚩मांसाहार का सेवन करना हिंदू संस्कृति में वर्जित है क्योंकि यह मनुष्य का नहीं राक्षसी भोजन है। जो तरह-तरह के अमृत पूर्ण शाकाहारी उत्तम पदार्थों को छोड़ घृणित मांस आदि पदार्थों को खाते हैं ऐसे मनुष्य राक्षस के समान होते हैं। धार्मिक ग्रंथों में जीव हत्या को पाप बताया गया है इसलिए बहुत से लोग शाकाहार का अनुसरण करते हैं।
🚩सनातन संस्कृति में गौमांस को खाना पाप माना गया है क्योंकि जब भगवान विष्णु कृष्ण रूप में धरती पर अवतरीत हुए तो उन्होंने गौ प्रेम से लेकर गौ भक्ति तक बहुत सी लीलाएं की जिससे पृथ्वी वासियों को गौ धन की महिमा से अवगत करवाया जा सके। गाय का दूध, घी, गोबर और गोमूत्र अनेक रोगों की एक दवा है। माना जाता है कि गाय के इन बहुमूल्य द्रव्यों को खाने से शरीर में पापों का समावेश नहीं हो पाता। श्री कृष्ण अनेकों गायों को पालन-पोषण करते तथा उन्हें मां समान पूजते तभी तो उनको गोपाल कहा जाता है।
Know how terrible it is to eat meat
🚩ऋग्वेद में गाय को जगत माता का दर्जा दिया गया है। अनेकों पुराणों के रचियता वेद व्यास जी के अनुसार,  “गाय धरती की माता हैं और उनकी रक्षा में ही समाज कि उन्नति है। गाय की  देख-भाल करने वाले को ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।”
🚩महाभारत में वर्णित है, “जो व्यक्ति सौ वर्षों तक लगातार अश्वमेघ यज्ञ करता है और जो व्यक्ति मांस नहीं खाता, उनमें से मांसाहार का त्यागी ही विशेष पुण्यवान माना जाता है।”
🚩मनुस्मृति में वर्णित है, “जो व्यक्ति अपने सुख के लिए निरपराध प्राणियों की हत्या करता है, वह इस लोक और परलोक में कहीं भी सुख प्राप्त नहीं करता। “
🚩इसके अतिरिक्त यदि चमड़े के पात्र में रखा घी, तेल, जल, हींग आदि खाते हैं तो भी आप शाकाहारी नहीं हैं।
🚩अब हम आपको मांसाहार के नुकसान का वैज्ञानिक दृष्टिकोण बताते हैं जिसके अनुसार मांस हमारे शरीर के लिए नुकसानदेय होता है।
*🚩1.* मांस खाने वाले ज्यादातर लोगों में चिडचिडापन और ज्यादा क्रोध होने के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे लोग स्वभाव से बहुत ज्यादा उग्र होते हैं। मांस खाने से आपके शरीर और मन दोनों अस्वस्थ बन जाते हैं।
*🚩2.* मांसाहारी खाने वाले लोग शाकाहारी की तुलना में गंभीर बिमारियों की चपेट में ज्यादा आते हैं। इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटिज, दिल की बीमारी, कैंसर, गुर्दे का रोग, गठिया और अल्सर शामिल हैं।
*🚩3.* विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है।
*🚩4.* मांसाहार की तुलना में शाकाहारी भोजन सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। शाकाहारी भोजन करने से मनुष्य स्वस्थ, दीर्घायु, निरोग और तंदरुस्त बनाता है।
*🚩5.* आप सभी ने बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू का नाम सुना होगा। यह बीमारी मुर्गे और सुअरों के जरिए मनुष्यों तक पहुंचती है। यह बीमारी हमारे शरीर तक तभी पहुंचती है जब हम इस बीमारी से ग्रस्त जीव को खाते हैं। हर साल इसकी वजह से लाखों लोग मौत की चपेट में आ जाते हैं।
*🚩6.* दुनिया के एक चौथाई प्रदूषण का कारण मांस है। यदि विश्व के लोग मांस खाना छोड दें तो 70 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो सकता है।
*🚩7.* मांस खाने से मनुष्य की उम्र भी कम होती है।
*🚩8.* विज्ञान के अनुसार शाकाहारी लोग मासांहार करने वालों की तुलना में डिप्रेशन का शिकार कम बनते हैं।
*🚩9.* मांसाहारी भोजन में गरम मसालों को स्वाद बढ़ाने के लिए डाला जाता है। इसे पचाने के लिए शरीर के अंगों पर ज्यादा दबाव पड़ता है।
🚩अनजान फल, बहुत छोटा फल, जिस फल का स्वाद बदल गया हो, खट्टापन आ जाए, बासी दही, मट्ठा, वर्षा के साथ गिरने वाले ओले, द्विदल आदि शाकाहारी व्यक्ति को नहीं खाने चाहिए। इनके खाने से मांसाहार का दोष तो लगता ही है, उदर में पहुंच कर ये अनेक प्रकार के रोग पैदा कर देते हैं। हमारा धर्म हमें जो खाने की अनुमति देता है वो सब भक्ष्य है हमारे लिए शाकाहार है। चाहे वो दही हो या अंकुरित मूंग या दूध, ये सब खाकर भी आप यदि हिन्दू हैं तो शाकाहारी ही रहेंगें।
https://www.hindujagruti.org/hindi/hinduism/hindu-lifestyle/hindu-diet/harmful-effects-of-non-veg
🚩मनुष्य मूलतः शाकाहारी है। ज्यादा मांसाहार से चिड़चिड़ेपन के साथ स्वभाव उग्र होने लगता है। यह वस्तुतः तन के साथ मन को भी अस्वस्थ कर देता है। प्रकृति ने कितनी चीजें दी हैं जिन्हें खाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं फिर मांस ही क्यों ?
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Wednesday, June 27, 2018

ईसाई पादरियों ने एक ही महिला का 380 बार किया बलात्कार, छाया सन्नाटा

🚩 कैथलिक चर्च कि दया, शांति और कल्याण कि असलियत दुनिया के सामने उजागर हो ही गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता कि पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो कि  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । लेकिन फिर भी महान हिन्दूधर्म के मंदिरो एवं हिन्दू धर्मगुरुओं को ही मीडिया और सेक्युलर बदनाम करते है ।
🚩केरल के कोट्टयम से एक चर्च में पांच दुष्कर्मी पादरियों (फादर जीजो जे अब्राहम, फादर जॉब मैथ्यू, फादर जॉनसन वी मैथ्यू, फादर जेसे के जॉर्ज और फादर अब्राहम ) ने एक विवाहित महिला का कई साल तक यौन शोषण किया महिला के पति ने चर्च को चिट्ठी लिखकर आठ पादरियों के खिलाफ शिकायत की है हालांकि उसने सिर्फ पांच पादरियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अपने शिकायत में पीड़िता के पति ने लिखा है कि पादरियों ने मिलकर उसकी पत्नी का 380 बार यौन शोषण किया।
🚩इंडियन एक्सप्रेस कि रिपोर्ट के मुताबिक पांचों दुष्कर्मी पादरी कोट्टयम में स्थिति मालंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के धर्माधिकार में आने वाले देश के चार क्षेत्रों के विभिन्न इलाकों में काम कर रहे थे। एक दुष्कर्मी पादरी चर्च के दिल्ली अधिकार क्षेत्र के लिए काम करने वाली शाखा से जुड़ा था।
Christian pastors have done the same
 woman 380 times rape, shadow silence

🚩पीड़िता के पति कहा कि विवाह से पहले चर्च के एक पादरी ने उसकी पत्नी का यौन शोषण किया था।
🚩बाद में पीड़िता ने जब विवाह से पहले रहे प्रेम संबंधों को लेकर कन्फेशन किया तो कन्फेशन सुनने वाले पादरी ने भी उसका यौन शोषण किया। इसके लिए पादरी ने उसकी पत्नी को धमकी दी कि वह उसके पति को इस बारे में सबकुछ बता देगा।
🚩इतना ही नहीं इस पादरी ने कुछ तस्वीरों के जरिए पीड़िता को ब्लैकमेल कर उसे दूसरे पादरी को सौंप दिया। और दूसरे पादरी ने भी उसकी पत्नी का यौन शोषण किया। पीड़िता के पति का कहना है कि चर्च से जुड़े कुछ नामी-गिरामी लोगों ने उस पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया।
🚩इतना ही नही है ईसाई पादरी अधिक्तर छोटे #बच्चे- बच्चियों के साथ भी #दुष्कर्म करते हैं ।
🚩आपको बता दें कि अभी हाल ही में #आस्ट्रेलिया की कैथोलिक चर्च ने #सेक्सुअल अब्यूज (बच्चों का यों शोषण) के मामले में करीब 21 करोड़ 20 लाख 90 हजार अमेरिकी डॉलर (1426 करोड़ रुपए) का हर्जाना दिया है।
🚩कन्नूर (केरल) के कैथोलिक चर्च की एक  नन सिस्टर मैरी चांडी  ने #पादरियों और #ननों का #चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय #वासना से भरी थी ।
🚩ईसाई पादरी धर्मगुरु बनकर बैठे हैं और बच्चों के साथ दुष्कर्म करते हैं जब #अदालत उन पर जुर्म लगाती है तब बयान देते हैं कि बच्चों का यौन शोषण करने कि धार्मिक स्वतंत्रता है ऐसे ईसाई के धर्मगुरु लोगों का क्या भला करेंगे?
🚩फिलॉसफर नित्शे ने लिखा है कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है ।

🚩इतना सब कुछ होते हुए भी उनके खिलाफ #मीडिया कुछ नही बोलती बल्कि उनका पक्ष लेती है क्योंकि 90% मीडिया ईसाई मिशनरियों के फंड से चलती है ।
🚩लेकिन जब कोई पवित्र हिन्दू साधु-संत या हिन्दू संगठन या सरकार भोले-भाले #हिन्दुओं को #पैसा, #दवाई, कपड़े आदि देकर धर्मान्तरण के खिलाफ मुहिम चलाते हैं तो देशद्रोही और बिकाऊ मीडिया उनके खिलाफ देश में एक माहौल बनाकर उनकी छवि को धूमिल कर देती हैं ।
🚩सभी भारतवासी बलात्कारी पादरियों और विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया से सावधान रहें ।
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