22 June 2018
कर्नाटक में सत्ता वापसी के बाद हिंदुओं को एक बार फिर आतंकवादी घोषित करने के पीछे कांग्रेसी साजिश सामने आ रही है। दो दिन पहले ही जहां दिग्विजय सिंह ने ‘संघी आतंकवाद’ कहकर नया नाम देने कि कोशिश की वहीं कर्नाटक में गौरी लंकेश हत्याकांड में हिंदुओं को फंसाने कि साजिश शुरू हो गई है !
कर्नाटक में हिंदू जनजागृति और श्रीराम सेना को फंसाने की साजिश
Congress trying to defame Hindus by hanging in Karnataka |
कर्नाटक में दोबारा सत्ता में आते ही कांग्रेस ने हिंदू जनजागृति समिति और श्रीराम सेना को निशाना बनाना शुरू कर दिया। पुलिस ने परशुराम वाघमोरे नाम के एक व्यक्ती को गिरफ्तार कर उससे हत्या का गुनाह जबरदस्ती कबूल भी करवा लिया। कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले हिंदू संगठनों को घेरने का काम शुरू कर दिया गया। अब पता चला है कि इस केस में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है उन्हें टॉर्चर करके गुनाह कबूल करवाया जा रहा है !
एसआईटी जांच की प्रक्रिया में अब भी कई पेंच उलझे हैं कई सवाल
गृह विभाग भी कांग्रेस के पास है इसलिए यह साफ है कि कर्नाटक के पुलिस तंत्र पर अब भी कांग्रेस का कब्जा है ! अब खबरें आ रही हैं कि आरोपियों कि गिरफ्तारी में न्यायिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसकी शिकायत मिलने पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस शिकायत पर मजिस्ट्रेट से रिपोर्ट मांगी है। गौरतलब है कि पुलिस की थेयरी में कई गडबडियां साफ दिखाई दे रही हैं ! दावा किया जा रहा है कि वाघमोरे ने कहा है कि ‘मैंने हिंदू धर्म को बचाने के लिए गौरी लंकेश की हत्या की’। इसके लिए उसे 13 हजार रुपये दिए गए। यह अपने आप में बताता है कि एसआईटी कि कहानी में क्या गड़बड़ है ! दरअसल जांच में आरोपियों के पास कोई पैसा भेजे जाने या खर्च होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है इसलिए 13 हजार रुपये कि मामूली रकम बताई गई है। पुलिस ने अब तक कुल 4 लोगों को पकड़ा है किंतु हत्या में उपयोग हथियार से लेकर घटनाक्रम पर कुछ भी जानकारी देने में नाकाम रही है !
तथाकथित सेक्यूलर मीडिया फैला रही है फर्जी खबरें...
कर्नाटक पुलिस की एसआईटी के हाथ अब तक कोई सबूत नहीं लगा है लिहाजा मीडिया में फर्जी खबरें छपवाकर हिंदू संगठनों के खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया गया ! जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार कांग्रेस पार्टी कि इस साजिश में सेक्युलर मीडिया खुलकर साथ दे रहा है !
इसी के तहत हर उस व्यक्ति को निशाना बनाया जा रहा है जो पुलिस कि थेयरी पर सवाल उठाने कि कोशिश कर रहा है ! कुछ स्थानीय लोगों ने आरोपियों कि कानूनी मदद के लिए पैसे जुटाना शुरू किया तो उसके खिलाफ दिल्ली के अखबारों में लंबे-लंबे लेख लिखे गए !
इसी तरह श्रीराम सेना के प्रमोद मुतालिक के बयान को खूब तूल दिया गया ताकि इसी बहाने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम उछाला जा सके !
तथाकथित सेक्यूलरों को हिंदुओं में ही दिखता है ‘आतंकवाद’, इस मौलाना में क्यों नहीं ?
दो दिन पहले ही सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक मौलाना सरेआम गाय काटने कि बात कह रहा है। मना करने पर उसकी भी कुर्बानी देने की धमकी दे रहा है किंतु इस तथाकथित सेक्यूलर मीडिया ने मौलाना तनवीर हाशमी के बयान को कोई महत्त्व नहीं दिया ! महत्वपूर्ण यह भी है कि इसी मंच पर कांग्रेस पार्टी के मंत्री शिवानंद पाटिल बैठे हुए थे किंतु तथाकथित सेक्यूलरवादियों को यह नहीं दिखा ! इसकी खबरों को दबा दिया गया।
सीबीआई जांच कि सिफारिश क्यों नहीं कर रही कांग्रेस कि सरकार ?
गौरी लंकेश की हत्या 5 सितंबर 2017 को गोली मारकर कर दी गई थी। शुरुआत में यह बात सामने आई थी कि हत्या में नक्सलियों का हाथ है ! आरोप है कि तब चुनाव को देखते हुए कांग्रेस सरकार ने जांच को धीमा करवा दिया था और अब जब वो एक बार फिर से सत्ता में है उसने अपना असली खेल शुरू कर दिया है ! पहले भी इस मामले कि जांच सीबीआई से करवाने कि मांग की जाती रही है किंतु कांग्रेस ने इस मांग को जैसे अनसुना कर दिया है। जाहिर है हिंदू आतंकवाद को लेकर कांग्रेस के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए इस बार भी उसकी नीयत ठीक नहीं लग रही है !
पुलिस ने नक्सलवादियों कि आपसी दुश्मनी को ठहराया था जिम्मेदार
हत्या के बाद शुरुआती जांच में ही यह निकलकर आ गया था कि गौरी लंकेश कि अपनों से भी दुश्मनी थी। वामपंथियों और नक्सलियों से गौरी लंकेश के तनाव की खबरें भी आम थीं। दरअसल 2014 में कांग्रेस सरकार ने उन्हें नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए बनाई गई कमेटी का सदस्य बना दिया था। स्पष्ट है कि वह सत्ता के करीब थीं लेकिन यह भी साफ है कि वो अपनों के ही निशाने पर भी थीं !
मौत से कुछ दिन पहले के ये दो ट्वीट इस बात का इशारा भी करते हैं कि गौरी और उनके वामपंथी (शायद नक्सली) साथियों में कोई विवाद चल रहा था। गौरी लंकेश ने पहले ट्वीट में लिखा, ‘मुझे ऐसा क्यों लगता है कि हममें से कुछ लोग अपने आपसे ही लड़ाई लड रहे हैं ? हम अपने सबसे बड़े दुश्मन को जानते हैं। क्या हम सब इस पर ध्यान लगा सकते हैं ?’
एक अन्य ट्वीट में लंकेश ने लिखा, ‘हम लोग कुछ फर्जी पोस्ट शेयर करने कि गलती करते हैं। आइए, एक-दूसरे को चेताएं और एक-दूसरे को एक्सपोज करने कि कोशिश न करें !’
बहरहाल गौरी लंकेश से नक्सलियों के संबंध थे ये तो जगजाहिर है किंतु मनमुटाव कि खबरें सामने आने के बाद कर्नाटक के गृहमंत्री ने भी इस ओर इशारा किया था कि वे इसकी जांच करवाएंगे !
सिद्धारमैया सरकार में गहरी पैठ रखती थीं गौरी लंकेश...
गौरी लंकेश कि हत्या के बाद जिस तरीके से कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंच गए उससे लोगों के मन में सवाल उठने शुरु हो गए थे। दरअसल कहा जा रहा है कि गौरी लंकेश मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले पर ही जांच कर रही थी। एबीपी न्यूज के संवाददाता विकास भदौरिया ने तब ट्वीट किया था कि वह कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार से जुड़ी एक खबर पर काम कर रही थीं। उनके अलावा भी कई स्थानीय और दूसरे पत्रकारों ने इस एंगल कि आेर लोगों का ध्यान दिलाया था !
कविता लंकेश ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से नहीं की बात !
इस हत्या का दूसरा पहलू यह है कि सिद्धारमैया ने यह स्वीकार किया है कि गौरी लंकेश उनसे मिलती रही हैं किंतु उन्होंने किसी तरह के डर की बात कभी नहीं की थी। मुख्यमंत्री के अनुसार गौरी लंकेश चार सितंबर को उनसे मिलनेवाली थीं किंतु वह मिलने नहीं पहुंचीं। अगले दिन पांच सितंबर को उनकी हत्या हो जाती है और मुख्यमंत्री तत्काल प्रतिक्रिया देते हैं और हत्यारों को पकड़ने की बात करते हुए एसआइटी का गठन भी कर देते हैं !
इन सब के बीच ये खबरें भी आम थी कि हत्या के बाद जब मुख्यमंत्री ने गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश से फोन पर बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से इंकार कर दिया। गौरतलब है कि कविता लंकेश और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच हत्या से कुछ दिनों पहले तक बेहद अच्छे संबंध हुआ करते थे। इतना ही नहीं जिस फिल्म में सिद्धारमैया एक्टिंग कर रहे हैं उसकी प्रोड्यूसर भी कविता लंकेश ही हैं ! फिर आखिर क्या हुआ है जो कविता लंकेश ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से बात नहीं की ?
डी के शिवकुमार का ‘कच्चा चिट्ठा’ खोलनेवाली थीं गौरी लंकेश ?
गौरी लंकेश का कांग्रेसी नेताओं से कनेक्शन किसी से छिपा नहीं है लेकिन कांग्रेस के ही गद्दार नेता डी के शिवकुमार से उनकी तनातनी की खबरें भी सामने आई थीं ! दरअसल डी के शिवकुमार वही हैं जिन्होंने 2017 में गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के विधायकों को अपने आलीशान रिसार्ट में पनाह देकर अहमद पटेल की राज्यसभा में जीत पक्की करने की कांग्रेसी रणनीति पर अमल किया था। शिवकुमार 68 शहरों में अकूत संपत्ति के मालिक हैं ! आयकर विभाग आज भी उनकी काली कमाई को खंगालने में लगा है। ऐसी खबरें हैं कि गौरी लंकेश भी डी के शिवकुमार का ‘कच्चा-चिट्ठा’ खोलने के काम में लगी थीं !
नीचे वह जवाब देखा जा सकता है जिसमें गौरी लंकेश ने खुद ही बताया था कि उनकी पत्रिका कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार के खिलाफ एक खबर पर काम कर रही है !
साफ है कि सिद्धारमैया सरकार गौरी लंकेश की हत्या के पीछे हिंदू संगठनों का हाथ ठहराकर इसे सांप्रदायिक एंगल देने के साथ ही कांग्रेसी कनेक्शन को भी छिपाना चाह रही है ! ऐसे में इस हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। क्या सिद्धारमैया सरकार ऐसा करेगी ?
स्त्रोत : परफॉर्म इंडिया
हिंदुनिष्ठ और हिन्दू-साधु संतों कि छवि खराब करके अंतराष्ट्रीय तक हिंदुओं को नीचा दिखाने की साजिश चल रही है उससे हिन्दू सावधान रहें ।
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