जीवन में अगर सबसे जरूरी है तो सुसंस्कार होना जरूरी है अगर जीवन मे अच्छे संस्कार नही होंगे तो वे देश, धर्म, समाज और परिवार के प्रति वफादार नही रहेगा और कर्तव्यच्युत हो जायेगा । इसलिए जीवन को महान बनाने के लिए शिक्षा के साथ दीक्षा भी जरूरी है ।
बचपन से अगर अच्छे संस्कार नही दिए तो बड़ा होकर अपराध करेगा, देश-धर्म के विरोधी बन जायेगा, नशा करने लग जायेगा, माता-पिता कि सेवा नही करेगा और जीवन में अच्छे कार्य नही कर पायेगा इसलिए अच्छे संस्कार देना बहुत जरूरी है।
बच्चों के जीवन में अच्छे संस्कार आये इसलिए राजस्थान सरकार ने एक अच्छा फैसल लिया है,
विद्यालयों में संतों के प्रवचन करवायेंगे ।
Historical Judgment: Saints' discourse in schools to promote children |
जयपुर : राजस्थान के विद्यालयों में बच्चों को संस्कारित करने के लिए अब हर महीने बच्चों कि दादी-नानी को बुलाया जाएगा और संतों के प्रवचन कराए जाएंगे ! यह व्यवस्था जुलाई से शुरू हो रहे नए सत्र से लागू कि जाएगी । राजस्थान का माध्यमिक शिक्षा निदेशालय हर वर्ष शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले सत्र के दौरान कि जानेवाली गतिविधियों का कैलेंडर जारी करता है ! शिविरा पंचांग नामक इस कैलेंडर में विद्यालयों में हर माह कि जानेवाली गतिविधियों का पूरा विवरण होता है । इसी पंचांग में कहा गया है कि हर महीने के पहले शनिवार को किसी महापुरुष के जीवन का प्रेरक प्रसंग बताया जाएगा !
दूसरे शनिवार को शिक्षाप्रद प्रेरक कहानियों का वाचन व संस्कार सभा होगी । इस संस्कार सभा में बच्चों की दादी-नानी को बुलाया जाएगा और वे बच्चों को परंपरागत कहानियां सुनाएंगी । इसके बाद तीसरे शनिवार को विद्यालयों में किसी समसामायिक विषयों की समीक्षा और किसी महापुरुष या स्थानीय संतों के प्रवचन कराए जाएंगे । चौथे शनिवार को महाकाव्यों पर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम होगा । पांचवें और अंतिम शनिवार को प्रेरक नाटक का मंचन व विद्यार्थियों कि ओर से राष्ट्रभक्ति गीत गायन होगा ! इसके साथ ही महीने के अंतिम शनिवार को सभी सरकारी विद्यालयों के छात्र व शिक्षक स्वैच्छिक श्रमदान करेंगे !
*सभी विद्यालयों पर होगा लागू*
कार्यक्रम कि बाध्यता प्रदेश के सभी सरकारी, गैर सरकारी, सीबीएसई से संबद्ध विद्यालयों, अनाथ बच्चों के लिए संचालित आवासीय विद्यालयों, विशेषष प्रशिक्षण शिविरों और शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालयों के लिए भी लागू की गई है !
राजस्थान सरकार के इस निर्णय कि भूरी-भूरी प्रशंसा की जा रही है जनता का कहना है कि देशभर कि सभी स्कूलों-कॉलेजों में यह नियम लागू होना चाहिए क्योंकि भारत देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है और आज भी हिन्दू संस्कृति टिकी है तो केवल हिन्दू साधु-संतों के कारण ही इसलिए संतों का विद्यालयों में प्रवचन करना बहुत जरूरी है जिससे बच्चों में भारतीय संस्कृति के प्रति आदर भाव हो और उनके जीवन मे दिव्य संस्कार आये ।
भारत मे दूसरी ओर विदेशी ताकते के इशारे पर अभी जो संतों पर झूठे आरोप लगाकर जेल भिवजाया जा रहा है वे भी धीरे-धीरे दूर होता जाएगा, जनता जागरूक होगी तो संतो के खिलाफ षड्यंत्र नही होगा जिससे हमारी दिव्य संस्कृति को तोड़ने का उनके स्वप्न है वे भी सफल नही हो पायेंगे।
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