भारत एकमात्र एेसा देश है जहां देश के लिए अपने ‘प्राण’ देनेवाले क्रांतिकारियों को पाठ्यक्रम में पढ़ाया नही जाता है आैर देश कि रक्षा करने वाले क्रांतिकारियों कि ‘प्राण लेनेवालों’ को पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।
नर्इ दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा संगठन चाहता है कि एनसीईआरटी जो भी पुस्तिका और पाठ्यक्रम तैयार करे वह प्रो-इंडिया हो । संघ कि इतिहास विंग ‘अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना’ ने इस संबंध में प्रस्ताव पास कर इस दिशा में खुद भी काम करना शुरू किया है ।
The place for the patriots to remove the cruel, looters, Mughals and the British in textbooks ... |
अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना कि चिंतन बैठक में इस मसले पर चर्चा हुई । संगठन की चिंतन बैठक तीन साल में एक बार होती है जिसमें आगे कि रणनीति पर चर्चा होती है । चिंतन बैठक में तय किया गया कि सरकार को इसके लिए पत्र लिखा जाएगा कि एनसीईआरटी जो भी पाठ्यक्रम तैयार करे और उसके अनुसार जो भी पुस्तकें आएं, वे प्रो- इंडिया हों । इतिहास संकलन योजना के संगठन सचिव बालमुकुंद ने कहा कि इतिहास कि पुस्तकों मे भारतीय नायकों को स्थान नहीं दिया गया है । उनकी जगह पर मुगल, मुस्लिम और वायसरॉय का इतिहास पढाया जाता है । हम सरकार को पत्र लिखेंगे कि, स्वतंत्रता सेनानियों का और स्वाभिमान देने वाला इतिहास पढाया जाए । उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थियों को अभी पंजाब का इतिहास, महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास, दक्षिण के कृष्ण देव राय का इतिहास, असम के अहोम राजाओं आदि का इतिहास नहीं पढाया जाता है ।
‘यह सब क्यों नहीं पढाया जाता ?’
चिंतन बैठक में इस पर भी चर्चा कि गई कि इतिहास कि पुस्तकों में अभी किन युद्धों को जगह दी गई है । इसमें कहा गया कि जो युद्ध भारत जीता और हिन्दू शासक जीते एेसे युद्धों को इतिहास की पुस्तकों में जगह नहीं दी हैं जबकि हारे हुए युद्धों का बखान किया गया है । संघ प्रचारक के अनुसार तराइन का युद्ध मोहम्मद गौरी हारा था इसमें पृथ्वीराज चौहान जीते थे । परंतु इस युद्ध के विषय में पुस्तकों में नहीं पढाया जाता । परंतु इसके बाद का युद्ध जो गौरी जीता वह पढाया जाता है । कई युद्ध में पौरव जीता था और सिकंदर हारा था ऐसे युद्धों को पढ़ाने के बजाय भारत कि हार के युद्ध इतिहास कि पुस्तकों मे शामिल किए गए हैं । संघ प्रचारक ने कहा कि 1668 में रातीघाटी युद्ध में कई राज्य मिलकर मुगलों से लड़े थे और जीते थे परंतु इसे नहीं पढाया जा रहा है । संघ के संगठन ने अब खुद इन युद्धों के बारे में पुस्तिका लिखने और प्रमोट करने का भी निर्णय लिया है ।स्त्रोत : नवभारत टाइम्स
भारतीय शिक्षा में देश के लुटेरो, आक्रमणकारियों, मुगलों और अंग्रेजो को महान बताया जा रहा है वहीं दूसरी ओर देश की आजादी के लिए उनके खिलाफ लड़कर अपने प्राणों की आहुति दे दी, ऐसे वीरों को पाठ्यक्रम में स्थान नही दिया गया।
एक तरफ तो अंग्रेजो के चाटूकार नेहरू आदि को सम्मान देकर अरबो-खबरों कि सम्पत्ति इक्कठी कर ली गई दूसरी ओर देश के लिए अपनी जवानी का बलिदान देने वाले वीर जवानों के परिवार आज भी रोटी के लिए मोहताज है, गरीबी से गुजर रहे हैं उनके परिवार को न समाज में उचित स्थान मिला और न ही उन बलिदान देने वाले वीरों को देश से सम्मान मिला।
आज #शिक्षा #प्रणाली को #बदलने कि अत्यंत #आवश्यकता है कि जो देश के #लुटेरे थे उन #मुगलों और #अंग्रेजों कि महिमा मंडन वाला #इतिहास किताबों से #हटाकर देश के वीर #क्रांतिकारी #भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव, चन्द्र शेखर आज़ाद, वीर शिवाजी, #महाराणा प्रताप, #महारानी लक्ष्मीबाई आदि का #इतिहास #पढ़ाया #जाना #चाहिए और शिक्षा अंग्रेजी में नही देश की राष्ट्रभाषा हिंदी में होनी चाहिए और वैदिक गुरुकुल के अनुसार होनी चाहिए । इस पर सरकार को ध्यान देने की अत्यंत आवश्यक है क्योंकि #बच्चे #महान तभी #बनेंगे जब उनको बचपन से ही #सही #दिशा देने वाली #शिक्षा दी #जाएगी ।
आपको बता दें कि प्रोफेसर ब्राइन के अनुसार अमेरिकी विवि में रिलीजियस स्टडीज में हिंदुत्व के बारे में सबसे पहले हिंदुत्व का इतिहास पढ़ाया जाता है। हिंदू दर्शन को समझा सकने वाले वेद, पुराण, उपनिषद, गीता, रामायण, महाभारत सहित अन्य रचनाएं पाठ्क्रम में शामिल हैं। इसके अलावा स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी व माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर जैसी शख्सियतें भी पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं।
जब विदेशों में हिंदुस्तान का इतिहास पढ़ाया जाता है तो फिर भारत में मुगलों और अंग्रेजो का इतिहास कब तक पढ़ाया जाएगा?
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