Saturday, September 9, 2017

देश को आज परशुराम की ही जरूरत है !!

09-Sep-2017

शक्तिधर #परशुराम का चरित्र एक ओर जहाँ शक्ति के केन्द्र सत्ताधीशों को #त्यागपूर्ण आचरण की #शिक्षा देता है वहीं दूसरी ओर वह शोषित #पीड़ित क्षुब्ध #जनमानस को भी उसकी शक्ति और #सामर्थ्य का एहसास दिलाता है । #शासकीय दमन के विरूद्ध वह क्रान्ति का #शंखनाद है । वह सर्वहारा वर्ग के लिए अपने न्यायोचित अधिकार प्राप्त करने की मूर्तिमंत प्रेरणा है।  वह राजशक्ति पर लोकशक्ति का विजयघोष है। 
The-country-needs-parashuram-today

आज स्वतंत्र भारत में सैकड़ों-हजारों #सहस्रबाहु देश के कोने-कोने में विविध स्तरों पर #सक्रिय हैं । ये कहीं न कहीं #न्याय का #आडम्बर करते हुए भोली जनता को छल रहे हैं, कहीं उसका श्रम हड़पकर अबाध विलास में ही राजपद की सार्थकता मान रहे हैं, तो कहीं #अपराधी #माफिया गिरोह #खुलेआम #आतंक फैला रहे हैं। तब असुरक्षित जन-सामान्य की रक्षा के लिए आत्म-स्फुरित ऊर्जा से भरपूर व्यक्तियों के निर्माण की बहुत आवश्यकता है । इसकी आदर्श पूर्ति के निमित्त परशुराम जैसे प्रखर व्यक्तित्व विश्व इतिहास में विरल ही हैं।  इस प्रकार परशुराम का चरित्र शासक और शासित-दोनों स्तरों पर प्रासंगिक है ।

शस्त्र शक्ति का विरोध करते हुए #अहिंसा का ढोल चाहे कितना ही क्यों न पीटा जाये, उसकी आवाज सदा ढोल के पोलेपन के समान #खोखली और #सारहीन ही #सिद्ध हुई है । उसमें ठोस यथार्थ की सारगर्भिता कभी नहीं आ सकी। सत्य हिंसा और अहिंसा के संतुलन बिंदु पर ही केन्द्रित है । कोरी अहिंसा और विवेकहीन पाश्विक हिंसा, दोनों ही मानवता के लिए समान रूप से घातक हैं । आज जब हमारे #राष्ट्र की सीमाएं #असुरक्षित हैं, कभी #कारगिल, कभी #कश्मीर, कभी #बंग्लादेश तो कभी देश के अन्दर #नक्सलवादी शक्तियों के कारण हमारी #अस्मिता का #चीरहरण हो रहा है तब परशुराम जैसे वीर और विवेकशील व्यक्तित्व के नेतृत्व की आवश्यकता है ।


गत शताब्दी में कोरी अहिंसा की उपासना करने वाले हमारे नेतृत्व के प्रभाव से हम जरुरत के समय सही कदम उठाने में हिचकते रहे हैं । यदि सही और सार्थक प्रयत्न किया जाये तो देश के अन्दर से ही प्रश्न खड़े होने लगते हैं। परिणाम यह है कि हमारे तथाकथित बुद्धिजीवियों और व्यवस्थापकों की धमनियों का लहू इतना सर्द हो गया है कि देश की जवानी को व्यर्थ में ही कटवाकर भी वे आत्मसंतोष और आत्मश्लाघा का ही अनुभव करते हैं। अपने नौनिहालों की कुर्बानी पर वे गर्व अनुभव करते हैं, उनकी वीरता के गीत तो गाते हैं किन्तु उनके हत्यारों से बदला लेने के लिए उनका खून नहीं खौलता। प्रतिशोध की ज्वाला अपनी #चमक #खो बैठी है । #शौर्य के #अंगार तथाकथित संयम की राख से ढंके हैं । शत्रु-शक्तियां सफलता के उन्माद में सहस्रबाहु की तरह उन्मादित हैं लेकिन परशुराम अनुशासन और संयम के बोझ तले मौन हैं ।

राष्ट्रकवि दिनकर ने सन् #1962 ई. में #चीनी #आक्रमण के समय देश को ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शीर्षक से ओजस्वी काव्यकृति देकर सही रास्ता चुनने की प्रेरणा दी थी । युग चारण ने अपने दायित्व का सही-सही निर्वाह किया । किन्तु #राजसत्ता की #कुटिल और अंधी #स्वार्थपूर्ण #लालसा ने हमारे तत्कालीन नेतृत्व के बहरे कानों तक उसकी पुकार ही नहीं आने दी । पांच दशक बीत गये । इस बीच एक ओर साहित्य में परशुराम के प्रतीकार्थ को लेकर समय पर प्रेरणाप्रद रचनाएं प्रकाश में आती रही और दूसरी ओर सहस्रबाहु की तरह विलासिता में डूबा हमारा नेतृत्व #राष्ट्र-विरोधी #षड़यंत्रों को देश के भीतर और बाहर दोनों ओर #पनपने का अवसर देता रहा । परशुराम पर केन्द्रित साहित्यिक रचनाओं के संदेश को व्यावहारिक स्तर पर स्वीकार करके हम साधारण जनजीवन और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा कर सकते हैं ।

#महापुरूष किसी एक देश, एक युग, एक जाति या एक धर्म के नहीं होते । वे तो सम्पूर्ण मानवता की, समस्त विश्व की, समूचे #राष्ट्र की #विभूति होते हैं । उन्हें किसी भी सीमा में बाँधना ठीक नहीं । दुर्भाग्य से हमारे यहां स्वतंत्रता में महापुरूषों को स्थान, धर्म और जाति की बेड़ियों में जकड़ा गया है । विशेष महापुरूष विशेष वर्ग के द्वारा ही सत्कृत हो रहे हैं । एक समाज विशेष ही विशिष्ट व्यक्तित्व की जयंती मनाता है । अन्य जन उसमें रूचि नहीं दर्शाते,अक्सर ऐसा ही देखा जा रहा है। यह स्थिति दुभाग्यपूर्ण है । महापुरूष चाहे किसी भी देश, जाति, वर्ग, धर्म आदि से संबंधित हो, वह सबके लिए समान रूप से पूज्य है, अनुकरणीय है  ।


इस संदर्भ में भगवान परशुराम जो उपर्युक्त विडंबनापूर्ण स्थिति के चलते केवल ब्राह्मण वर्ग तक सीमित हो गए हैं । समस्त #शोषित वर्ग के लिए प्रेरणा स्रोत #क्रान्तिदूत के रूप में स्वीकार किये जाने योग्य हैं और सभी शक्तिधरों के लिए संयम के अनुकरणीय आदर्श हैं ।

#भा माना -#अध्यात्म
#रत माना - उसमें #रत रहने वाले
"जिस देश के लोग #अध्यात्म में #रत रहते हैं उसका नाम है #भारत।"

#भारत की #गरिमा उसके #संतों से ही रही है सदा । भगवान भी बार-बार जिस धरा पर अवतरित होते आये हैं वो भूमि भारत की भूमि है । किसी भी देश को माँ कहकर संबोधित नहीं किया जाता पर भारत को "भारत माता" कहकर संबोधित किया जाता है क्योंकि यह देश आध्यात्मिक देश है,संतों महापुरुषों का देश है । भौतिकता के साथ-साथ यहाँ आध्यात्मिकता को भी उतना ही महत्व दिया गया है। पर आज के #पाश्चात्य कल्चर की ओर बढ़ते कदम इसकी गरिमा को भूलते चले जा रहे हैं । #संतों महापुरुषों का #महत्व,उनके #आध्यात्मिक स्पन्दन #भूलते जा रहे हैं । 

 संत और समाज में #खाई खोदने में एक #बड़ा वर्ग #सक्रीय है । #मिशनरियां सक्रीय हैं । #मीडिया सक्रीय है । #विदेशी #कम्पनियाँ सक्रीय हैं । विदेशी फण्ड से चलने वाले #NGOs सक्रीय हैं । कई #राजनैतिक दल अपने फायदे के लिए #सक्रीय हैं ।

इतने #सब वर्ग जब एक साथ #सक्रीय होंगे तो किसी के भी प्रति भी गलत धारणाएं #समाज के मन में उत्पन्न करना बहुत ही आसान हो जाता है और यही हो रहा है हमारे संत समाज के साथ । 

पिछले कुछ सालों से एक दौर ही चल पड़ा है हिन्दू संतों को लेकर । हर #संत को सिर्फ #आरोपों के #आधार पर सालों #जेल में #रखा जाता है फिर #विदेशी फण्ड से चलने वाली #मीडिया उनको अच्छे से #बदनाम करके उनकी #छवि समाज के सामने इतनी #धूमिल कर देती है कि समाज उन झूठे आरोपों के पीछे की सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास ही नहीं करता ।


पर अब #समाज को #जगना होगा, #संतों के साथ हो रहे #अन्याय को समझने के लिए । अगर अब भी #हिन्दू #मौन दर्शक बनकर देखता रहा तो #हिंदुओं का #भविष्य #खतरे में हैं ।

Friday, September 8, 2017

अत्याचार की हदें हुई पार: इंडोनेशिया, बांग्लादेश व पाकिस्तान में तेजी से खत्म हो रहे हैं हिन्दू |

सितम्बर 8, 2017

 भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहंगिया को देशवासियों की सुरक्षा को देखते हुए वापस भेजने का फैसला लिया गया तो मानवाधिकारी केन्द्र के इस फैसले को अत्याचार कह कर विरोध कर रहे हैं और कुछ वकील तो सरकार के फैसले के खिलाफ अदालत में बिना सोचे समझे याचिका भी दायर कर रहे हैं । शायद ये बुद्धिजीवी इंडोनेशिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान की घटनाओं से वाकिफ नहीं हैं । भारत की तरह इंडोनेशिया भी हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन अब वहाँ हिन्दुओं की तादाद न के बराबर रह गयी है। वजह है अवैध तरीके से वहाँ बसे लोग जिन्होंने अपनी तादाद बढ़ाने के लिए हिंदुत्ववादियों को मारना शुरू कर दिया और अगर बात करें खुद भारत की तो जहां-जहां से भारत की सीमा बांग्लादेश से लगती है अब वहां जातीय गणित गड़बड़ा रहा है। वहाँ हिन्दू अल्पसंख्‍यक और मुसलमान बहुसंख्‍यक हो गये हैं । बांग्लादेश की ओर से घुसपैठ जारी है जिसके चलते असम में हालात बिगड़ रहे हैं ।
Extinction of Hindus In Indonesia

आपको बता दें कि जब पाकिस्तान का जबरन हिस्सा बन गए बंगालियों ने विद्रोह छेड़ दिया तो इसे कुचलने के लिए पश्‍चिमी पाकिस्तान ने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए हिन्दुओं को चुन-चुनकर मारना शुरू कर दिया। जिसमें लाखों बंगालियों की मौत हुई। हजारों बंगाली औरतों का बलात्कार हुआ।

 आकड़ो के अनुसार लगभग 30 लाख से ज्यादा हिन्दुओं का युद्ध की आड़ में कत्ल कर दिया गया। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ 9 महीने तक चले बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हिन्दुओं पर अत्याचार, बलात्कार और नरसंहार के आरोपों में दिलावर को दोषी पाया गया तो भारतीय सेना ने अपना खून बहाकर सन् 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराया । इस खूनी संघर्ष में पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के लगभग 1 करोड़ मुसलमान भारत के पश्‍चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य में आ गये । जिनकी  संख्‍या 1 करोड़ से बढ़कर 3.50 करोड़ के आसपास हो गई है। 


 जहां-जहां से भारत की सीमा बांग्लादेश से लगती है वहाँ हिन्दू अल्पसंख्‍यक और मुसलमान बहुसंख्‍यक हो गये हैं ।

आपको बता दें कि 2011 में बांग्लादेशी सरकार द्वारा जारी किए गए धार्मिक जनगणना के डाटा अनुसार इस समय बांग्लादेश में हिन्दुओं की संख्या महज 8.6 प्रतिशत रह गई है। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर कई उत्पीड़न के मामले भी सामने आये हैं जिसमें हिन्दुओं की संपत्ति को लूटा गया, घरों को जला दिया गया तथा मंदिरों को आग के हवाले कर दिया गया ।

वही इंडोनेशिया में बाली द्वीप प्रांत पर ही हिन्दू बचे हैं। कभी हिन्दू राष्ट्र रहे इंडोनेशिया में आज भी हिन्दू काल के कई प्रचीन और विशालकाय मंदिर मौजूद हैं जो उस देश की पहचान हैं। वहाँ के मुस्लिमों को कभी हिन्दुओं से तकलीफ नहीं रही है क्यूंकि वे जानते हैं कि उनके पूर्वज हिन्दू थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वहां बाहरी लोगों ने आकर कट्टरवाद को बढ़ावा दिया है। वर्तमान में यहां पर अल कायदा और आईस के सक्रिय होने से देश की सरकार‍ चिंता में है और वहाँ के हिन्दू नागरिकों पर भी खतरा मंडरा रहा है ।


पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। #स्कूलों में #इस्लाम की #शिक्षा दी जाती है। गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं के साथ असहिष्णु व्यवहार किया जाता है।  #हिंदू युवतियों और महिलाओं के साथ #दुष्कर्म, #अपहरण की घटनाएं आम हैं। उन्हें #इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन #धर्मतांरण का दबाव डाला जाता है। गरीब हिंदू तबका बंधुआ मजदूर की तरह जीने को मजबूर है। हिंसक हमले भी किये जाते है । अभी कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के थार जिले में एक नाबालिग हिन्दू लड़की का कथित तौर पर अपहरण करके उसको धर्मान्तरित करा दिया गया। 

अब जानिए भारत क्यों रोहिंग्याओं को वापस भेजना चाहता है…

केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि UNHCR का पेपर होने के बावजूद रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में नहीं रहने दिया जा सकता। भारत रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है। इसके पीछे के कुछ कारण ये हैं…

भारत में 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी जम्मू, हैदराबाद, देहली-एनसीआर, हरियाणा, यूपी और राजस्थान में शरण लिए हुए हैं। इनमें 17,000 के पास UNHCR के कागजात हैं।

1. शरणार्थियों के आतंकी संगठनों से संबंध है !

2. रोहिंग्या शरणार्थी न केवल भारतीय नागरिकों के अधिकार पर अतिक्रमण कर रहे हैं अपितु सुरक्षा के लिए भी चुनौती हैं !

3. रोहिंग्या शरणार्थियों के कारण सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक समस्याएं खड़ी हो सकती हैं !

4. इसके पीछे की एक सोच यह भी है कि, भारत के जनसांख्यिकीय स्वरूप सुरक्षित रखा जाए !

मुद्दे की बात यह है कि जिस तरह से घुसपेठियों ने देश में आकर देश की जनता को मजहब के नाम पर और खुद की संख्या ज्यादा करने के लिए मारना शरू किया है उससे देश में आतंक फैल सकता है जिससे खून खराबे हो सकते हैं जो कि किसी भी देश के लिए सही बात नहीं है । इसलिए इस पर काबू पाना अनिवार्य बन गया है। जिसपर केंद्र ने फैसला भी लिया लेकिन कुछ बुद्धिजीव इस बात को समझ नहीं रहे हैं ।

Thursday, September 7, 2017

धर्मसत्ता व राजसत्ता में से बड़ा कौन? आसारामजी बापू सच्चे या झूठे संत ? : राजीव दीक्षित

🚩वर्तमान में #हिन्दू #धर्मगुरुओं पर जो #बहस चल रही है उसपर पहले से ही देशभक्त स्वर्गीय श्री राजीव दीक्षित ने बता दिया था कि धर्मसत्ता और राजसत्ता क्या होती है?
और कौन कौन संत धर्मसत्ता के प्रतीक हैं ।
🚩आइये  जानते हैं कि क्या कहा श्री राजीव दीक्षित जी ने...

rajiv dixit

🚩साधु समाज संत समाज जब भी निकला है, समाज उसके पीछे चला है ।  हमारे यहाँ की #राजनैतिक व्यवस्था #हमेशा #संत समाज के #नीचे रही है संत समाज ऊपर रहा है, राजनैतिक व्यवस्था नीचे रही है । संत समाज के आशीर्वाद से हमारे यहाँ नेता काम कर रहे हैं । आप जानते हैं कि भारत के महान राजा #चंद्रगुप्त, #विक्रमादित्य, #हर्षवर्धन , #सम्राट अशोक ये जितने भी बड़े-बड़े महान चक्रवर्ती सम्राट हुए इन सबका नियम था कि दरबार में कोई साधु आ गया तो राजा अपना सिंहासन छोड़ता था और साधु को अपने सिंहासन पर बिठाता था मतलब साधु के लिए सन्यासी के लिए सिंहासन खाली है।। राजा उनके चरणों में बैठता था इसका मतलब ये है कि साधु समाज #संत समाज धर्म समाज हमारी #राज्यसत्ता को #निर्देशित करती थी । तो जब तक भारत की धर्म सत्ता राज्य सत्ता को निर्देशित करती थी तब तक भारत सोने की चिड़िया था ।
🚩#चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समय में देख लो #भारत #सोने की #चिड़िया था, समुद्रगुप्त का समय देख लो भारत सोने की चिड़िया था, #हर्षवर्धन का समय देख लो भारत सोने की चिड़िया था, #सम्राट अशोक का समय देख लो भारत सोने की चिड़िया था...
🚩 जब-जब #धर्म सत्ता #ऊपर रही है और #राज्य सत्ता नीचे रही तब-तब #भारत #सोने की #चिड़िया रहा लेकिन जब विदेशियों का हमला हुआ, #विदेशियों ने यहाँ आकर #साम्राज्य #स्थापित कर लिया तब #धर्म सत्ता नीचे चली गई राज्य सत्ता ऊपर आ गई । तब से भारत नीचे #रसातल में गिरता ही चला जा रहा है !!
🚩गिरता ही जा रहा है !!
🚩गिरता ही जा रहा है !!
🚩और इतना ही गिरता जा रहा है कि लोगों को भरोसा ही उठ गया है कि ये देश उठ सकता है !! #गरीबी बढ़ी, #व्यभिचार बढा, #पापाचार बड़ा , #अत्याचार बढ़ा, #भ्रष्टाचार #बढ़ा। जब से #धर्म सत्ता नीचे हो गई राज्य सत्ता ऊपर आ गई ।
🚩अब फिर से धर्म सत्ता ऊपर आ रही है #स्वामी #सत्यमित्रानंद गिरिजी धर्म सत्ता के प्रतीक हैं। महा-मंडलेश्वर जितने भी हैं धर्म सत्ता के #प्रतीक हैं। हमारे देश के महान #मोरारी बापू धर्म सत्ता के प्रतीक हैं। #पूज्य #आसारामजी बापू #धर्म सत्ता के #प्रतीक हैं । ये बड़े #साधु-महापुरुष-सन्यासी #धर्म सत्ता के #प्रतीक इक्कठे हो रहे हैं ... !!
🚩अंग्रेजो के जमाने के बनाये कानूनों को खत्म करने की बात करते हो । ऐसे 15-20 मुद्दे तय हुए हैं उसके आधार पर आप वोट करिये ये बात कहने के लिए मैं जाने वाला हूँ और ऐसे दूसरे भी साधु-संत जाने वाले हैं ।
🚩आपको सुनकर हैरानी होगी हमारे देश के महा-मंडलेश्वर बहुत पूजनीय है । सत्य मित्रानंदजी गिरी वो परसो हमारे साथ थे हरिद्वार में । उनका पूरा आशीर्वाद है कि ये काम के लिए आप निकलते हो तो मैं भी आपके साथ हूँ,मोरारी बापूजी का पूरा आशीर्वाद है, 15 बड़े साधु-संत जिनके 1-1 कोटी से ज्यादा फॉलोवर हैं ऐसे 15 साधु-संत 600 जिलों का प्रभाव शुरू करने जा रहे हैं। अगले 2 साल में और ये प्रयास इसी बात के लिए है कि हमको गेट करार नहीं चाहिए, #मल्टी नेशनल #नहीं #चाहिए, डब्लू DO नहीं चाहिए, #विदेशीकरण जो हो रहा है इस देश में वो #नहीं चाहिए, कर्जबाजारी जो बढ़ रही है देश की ओर समाज की ओर वो नहीं चाहिए ।


🚩जब साधु-संत निकल रहे हैं तो समाज में तो आप जान लीजिए परिवर्तन तो होगा ही... इस देश में !! क्योंकि जब भी भारत का सन्यासी या साधु निकला है तो उसने देश और समाज को बदला है ये हमारा हजारों साल का इतिहास है आप कभी भी उठा कर देख सकते हैं ।
🚩आज #विदेशी #ताकतों द्वारा केवल #हिन्दू साधु-संतों को ही #बदनाम किया जा रहा है #क्योंकि #भारत में उनके #विदेशी #प्रोडक्ट #नही बिकते हैं, #धर्मान्तरण #नहीं हो #पाता है इसलिए #विदेशी #फंडिग #मीडिया से #बदनाम करवाते हैं ।
🚩हिन्दू #धर्मगुरु #आसारामजी बापू के बारे में तो राजीव दीक्षित पहले ही धर्म सत्ता के प्रतीक बता चुके हैं, लेकिन मीडिया की बातों में आकर कुछ हिन्दू ही उनको गलत बोल रहे हैं क्योंकि उनकी वास्तविकता पता नही है, वे 4 साल से जेल में बंद हैं लेकिन अभीतक एक भी #आरोप सिद्ध नही हुआ है और मेडिकल में क्लीन चिट भी मिल गई है, #डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी भी उनका केस लड़ चुके हैं पर आखिर उन्होंने बताया कि लाखों हिन्दुओं की घर वापसी करवाने के कारण #ईसाई मिशनरियां पीछे पड़ी है उनको बदनाम करवाने के और मुख्यमंत्री वसुंधरा भी डरपोक है इसलिए उनको जमानत नही मिल रही है।
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Wednesday, September 6, 2017

मीडिया हिन्दू धर्मगुरुओं पर ही बहस करती रही वहाँ मौलवी और फादर ने कर दिया बलात्कार

मीडिया हिन्दू धर्मगुरुओं पर ही बहस करती रही वहाँ मौलवी और फादर ने कर दिया बलात्कार
अगस्त 6, 2017
मात्र एक वर्ग विशेष पर नजर गड़ाये बैठा खास मीडिया वर्ग ना जाने इन खबरों को क्यों नहीं दिखा रहा है, क्यों भगवा वस्त्र देख अपने सारे कैमरे अचानक ही सब महत्वपूर्ण खबरों पर से हटाकर उधर घूमा देता है ??
पिछले काफी समय से एक ही खबर पर चटखारे ले रहा और जबरन राम नाम को बार बार खींचने की कोशिश कर रहा एक बड़ा वर्ग इस खबर को क्यों नहीं सुर्खियाँ बना रहा है जहाँ गुरु शिष्या के रिश्ते तो कलंकित हुए ही हैं साथ ही एक बड़े भरोसे का भी कत्ल हुआ है जहाँ एक माता पिता ने अपनी बेटी उस हैवान को सौंप दी जिसे वही नहीं बल्कि सभी फादर और मौलवी कहते हैं ।

rape by father in missionary school

अपने नाम के आगे फादर और मौलवी लगाने वाले उस विधर्मी ने गुरु शिष्या के रिश्ते को तार-तार करते हुए अपने ही स्कूल की एक छात्रा का बलात्कार किया है। 
ईसाई पादरी का मामला मध्यप्रदेश के रीवा के बड़े और नामी क्रिश्चियन स्कूल ज्योति में ईसाई फादर जार्ज ने 12 वी कक्षा में पढ़ने वाली नाबालिग छात्रा का बलात्कार किया, और हिन्दू संगठनों ने आवाज उठाई तो भाग गया, पुलिस ने फादर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है । छात्रा को धमकाया भी गया था और पहले भी कई लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया था लेकिन डर के कारण बता नही पाती थी ।
यहाँ ये भी ध्यान देने योग्य है कि ईसाईयत के प्रचार के लिए इन्होने स्कूल का नाम ज्योति रखा है जो हिन्दुओं को आकर्षित करने में मदद करता है वहां का माहौल विदेशी रूप में बना कर रखा है और इसका प्रिंसिपल जार्ज चर्च में रहता है ।
दूसरा मामला
मस्जिद में उर्दू की पढाई करने आने वाली नाबालिग बच्ची का मौलवी ने ही बलात्कार कर दिया। पुणे ग्रामीण पुलिस ने मौलवी को गिरफ्तार कर लिया मौलवी पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग का रहने वाला है उसका नाम शाहिद रजा मुनीर है ।
बच्ची राजगुरुनगर के तुरुकवादी गाँव की रहने वाली है, बच्ची को उर्दू सिखाने के लिए मौलवी के पास भेजा था पर मौलवी ने बच्ची का बलात्कार किया ।
बच्ची डर कर घर वापस चली गयी, लेकिन वो छोटी थी तो वो पीड़ा सह नहीं पायी और उसने अपने परिजनों को सब बता दिया ।
कुछ दिन पहले भी 39 महिलाओं का रेप करने वाले मौलवी को गिरफ्तार किया है लेकिन मीडिया केवल हिन्दू धर्म के गुरुओं को ही झूठी कहानियां बनाकर बदनाम कर रही है पर इन सच्ची खबरों पर कोई मीडिया दिखाने के लिए तैयार नही है ।
अगर मीडिया इतनी निष्पक्ष होती तो मौलवी और ईसाई फादर के लिए भी खबरें दिखाती और डिबेट बैठाकर उनके खिलाफ भी बहस करती लेकिन ऐसा नही कर रही है इससे साफ पता चलता है कि मीडिया को बाकि कोई खबरों से लेना देना नही है।
मीडिया का केवल यही उद्देश्य है कि कैसे भी करके भारतीय संस्कृति को खत्म कर दिया जाये इसलिए हिन्दुओं के धर्मगुरुओं को टारगेट किया जा रहा है जिससे उनके ऊपर जो करोड़ो लोगों की आस्था है वो टूट जाये और पश्चिमी संस्कृति को अपना ले ।
और बड़े मजे की बात है कि उस न्यूज को हिन्दू ही देखते हैं और बाद में उन्हीं का मजाक उड़ाते है कि देखो कैसे भक्तों को मूर्ख बनाकर पैसे लूट रहे हैं और लड़कियों के बलात्कार करते हैं, लेकिन वही भोला भाला हिन्दू दूसरी ओर कभी नही सोचता कि आखिर हमारी देश की कई बड़ी बड़ी समस्याएं है, मंहगाई, बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या, राम मंदिर, 370, गौ हत्या आदि आदि पर मीडिया नही दिखाती है और न ही ईसाई पादरी और मौलवियों के खिलाफ दिखाती है । क्यों इतना प्राइम टाइम देकर हिन्दू धर्मगुरुओं पर ही बहस करती है तो आखिर इतने पैसे आते कहाँ से हैं..??
जैसा कि हम बताते ही आये हैं कि मीडिया का अधिकतर फंड वेटिकन सिटी और मुस्लिम देशों से आता है । जिनका उद्देश्य है कि कैसे भी करके हिन्दू संस्कृति को खत्म करें । जिससे वो आसानी से धर्मान्तरण करा सके ।
दूसरा पहलू ये भी है कि राजनेता भी नहीं चाहते हैं कि किसी भी धर्मगुरू के इतने फॉलोवर्स हो जिससे उनको हर चुनाव में उनके सामने नाक रगड़ना पड़े इसलिए वो भी इसमे शामिल है क्योंकि राजनेता केवल वोट बैंक को ही देखते हैं उनको हिन्दू धर्म से कोई लेना देना नही है।
हमने आज तक अपने पाठकों को सच्चाई से अवगत कराने का प्रयास किया है और आगे भी करवाते रहेंगे ।
आज हर हिन्दुस्तानी का कर्त्तव्य है कि वो मीडिया की बातों में न आकर स्वयं सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास करे ।
जय हिन्द!!

Tuesday, September 5, 2017

संजय राउत ने बोला संत मुक्त भारत होना चाहिए, जनता बोली संत नही नेता मुक्त होना चाहिए

अगस्त 5, 2017
मीडिया में अभी हिन्दू साधु-संतों के खिलाफ खूब जहर उगला जा रहा है जैसे कि सबसे बड़े अपराधी साधु-संत ही हैं लेकिन अगर हिन्दू थोड़ा भी विचार करेगा तो पता चलेगा कि यह केवल विदेशी ताकतों द्वारा बदनाम करने का एक षड़यंत्र है जिसमें कई राजनैतिक पार्टियां भी शामिल हैं ।
भारत भूमि ऋषि-मुनियों, साधु-संतों की भूमि रही है और विदेशी ताकतें समझ रही हैं कि अगर भारतवासियों की नाभि में छेद करो तो तुरतं काम हो जायेगा, अधिकतर भारतवासियों की आस्था किसी न किसी साधु-संत में होती है क्योंकि वहीं हमें भारतीय संस्कृति का ज्ञान देते हैं और हमें अच्छे रास्ते चलने की प्रेरणा देते हैं जिससे विदेशी कंपनियों का प्रोडक्ट बिकता नही है और ईसाई मिशनरियां एवं मौलवी आसानी से धर्मान्तरण करवा नही पाते है इसलिए हिन्दू साधु-संतों को मीडिया द्वारा बदनाम करवाते है।
जैसा कि हमनें पहले भी बताया है कि अधिकतर मीडिया के मालिक विदेश के हैं, फिर सेक्युलर नेता भी टीआरपी के लिए उनके खिलाफ बयान बाजी करने लगते हैं ।
controversial stament of sanjay raut

ऐसे ही शिवसेना के सामना अखबार में सांसद संजय राउत का लेख आया था कि भारत साधु-संत,महाराज मुक्त होना चाहिए जिसकी सोशल मीडिया पर लोगो ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि...



भारत साधु-संतों की भूमि है, तुम्हारे जैसे भ्रष्ट नेताओं से मुक्त भारत होना चाहिए तभी भारत विकास कर पायेगा, नेता भारत की संपत्ति हड़प लेते हैं और दोष संतो को देते हैं, आगे बोला कि हिम्मत है तो मौलवी या पादरी मुक्त भारत बोलकर दिखाओ ।
संजय राउत ने पहली बार टिप्पणी नही की है उससे पहले भी की थी तो जैन मुनि आचार्य सूर्य सागर ने चेतावनी भी दी थी उनको ।
आइये जानते है क्या कहा था आचार्य जी ने...
तंबाकू गुटखा सेवन करके कैमरे के सामने आकर बड़बड़ाहट और अपनी खुजली से अपनी जुबान को शांत करने वाला संजय राउत मैं तुझे इतनी बात कहना चाहता हूँ कि तूने किस आधार से एक जैन मुनि को जोकर कहा ?
जोकर तो तुम ही नजर आते हो ।
हम लोग आप जैसे छिछोरे लोगों की बातों को सुनकर के चुपचाप से बैठ जाए ऐसे नहीं हैं, तुम्हें निष्काषित करने के लिए सामर्थ्य हम रखते हैं ।
बौखलाहट नजर आ रही है। पिछली बार नगर पालिका के चुनावों में आप लोग हार गए और आगे भी तुम लोगों का नामोनिशान मिट जाने वाला है, शवसेना होने वाली है, तुम्हारी शिवसेना नही रहेगी।
तुमने कहा, साधु होकर ये साधु तो मुझे साधु नजर नहीं आता,
तेरे लाइसेंस और तेरे प्रमाणिक करने से साधु साधु हो जाएगा?
मुझे तो तेरे में ही कोई गुण नजर नहीं आता है,पूरे के पूरे अवगुण भरे नजर आते हैं,कौनसा ऐसा धर्म का कार्य आज तक आपकी शिवसेना के द्वारा हुआ है ? जालीदार टोपी पहन करके धर्म का प्रचार नहीं होता, कट्टरता होनी आवश्यक होती है।

जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने सभी संप्रदायों को साथ ले करकेे हिंदुस्तान की, भारत की,महाराष्ट्र की नींव रखी वह नींव आप नहीं रख पा रहे हो।
आपके बालासाहेब जब स्वर्ग से देखते होंगे ना आप की लीलाओं को तो बड़े दुखी हो रहे होंगे और लालायित हो रहे होंगे कि कब मैं धरती पर जाकर के तुम जैसे को दो चांटे और दो लप्पड़ मारु, और वह समय आएगा।
तुमने कहा कि साधुओं को राजनीति नहीं करनी चाहिए, जरा शास्त्रों को, हमारी पूर्व परंपराओं को सही ढंग से पढ़ो लेकिन तुम्हारे संस्कार ही नहीं,तुम क्या पढ़ोगे? बस तुम्हें बेफिजूल बकबक करके हाईलाइट होना है, तुम्हें कोई जानता ही नहीं उल्टा तुम लोग कुप्रख्यात हो रहे हो, सुप्रख्यात नहीं हो रहे हो।
साधुओं ने ही इस देश को बचाया है इस भारत भूमि को बचाया है,आचार्य चाणक्य ने बचाया है,सम्राट पृथ्वीराज चौहान के गुरु भी एक सन्यासी थे उन्होंने इस संसार को बचाया है । आदित्यनाथ योगी नाम तो सुना है ना? उनके नाम से भी आपको बहुत खट्टापन महसूस होता है वह तो एक सन्यासी हैं। मंदिर की घंटी बजाते हुए आज उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े तख्ते पर वो विराजमान हो गए। नीति और न्याय का साथ देकर , नीति न्याय का साथ लेकर के योगी आदित्यनाथ योगी उत्तर प्रदेश के CM बने हैं।
शब्दों को सही सलामत ढंग से इस्तेमाल करने की जो क्षमता है उसे अपने ह्रदय में पहले स्थापित तो करो बाद में नेता बनो गुटखा खाकर के कोई नेता नहीं बनता तुम जैसे चरित्रहीन नेताओं के कारण पूरी शिवसेना पूरा नेता समाज बदनाम हो रहा है।
उद्धव ठाकरे जी,मैं आपसे एक अपील करना चाहता हूँ कि इस संजय राउत के खिलाफ आप कुछ ना कुछ एक्शन लें, वरना एक्शन लेने के लिए कुछ-न-कुछ तो मसले सामने आएंगे एक्शन परमात्मा भी लेगा और परमात्मा के दूत भी लेंगे।
जाकिर नायक का तो कुछ नहीं उखाड़ पाए तुम लोग और तुम हमारे  साधुओं की भाषा शैली पर जाते हो अरे वर्तमान की स्थिति यही है कि हमें इस आधार से बोलना पड़ता है जब तुम हमें नहीं छोड़ेंगे तो हम क्यों छोड़ेंगे ?
तुम हमें मत छेड़ो,हम तुम्हे नहीं छेड़ेंगे , तुम हमें छेड़ोगे तो हम तुम्हे छोड़ेंगे नहीं।
आपको बता दें कि अभी सोशल मीडिया पर संजय राउत के खिलाफ खूब आक्रोश है, जनता उनके खिलाफ खूब प्रतिक्रिया दे रही है।
"जिस देश में संत फकीरों का होता आदर सम्मान है,
जहाँ मात-पिता और गुरुओं की सेवा करता इंसान है,
वो देश हमारा भारत है,उस देश की धरती को नमन!!"
जय हिन्द !!

Monday, September 4, 2017

जाने श्राद्ध क्यो करना चाहिए? कैसे करें? नही करने से कितनी हानि होती है?

सितम्बर 4,2017
श्राद्ध पक्ष : 5 से 20 सितम्बर तक
🚩#भारतीय संस्कृति की एक बड़ी विशेषता है कि जीते-जी तो विभिन्न संस्कारों के द्वारा, #धर्मपालन के द्वारा मानव को समुन्नत करने के उपाय बताती ही है लेकिन #मरने के बाद# भी, अत्येष्टि #संस्कार के बाद भी जीव #की सदगति के लिए किये जाने योग्य संस्कारों का वर्णन करती है।

🚩#मरणोत्तर क्रियाओं-संस्कारों का वर्णन हमारे #शास्त्र-पुराणों में आता है। #आश्विन(गुजरात-महाराष्ट्र के मुताबिक भाद्रपद) के #कृष्ण पक्ष को हमारे #हिन्दू धर्म में #श्राद्ध पक्ष के रूप में मनाया जाता है। #श्राद्ध की महिमा एवं विधि का #वर्णन विष्णु, वायु, वराह, मत्स्य आदि पुराणों एवं महाभारत, #मनुस्मृति आदि शास्त्रों में यथास्थान किया गया है।
🚩#दिव्य लोकवासी पितरों के #पुनीत आशीर्वाद से आपके कुल में दिव्य आत्माएँ #अवतरित हो सकती हैं। जिन्होंने# जीवन भर खून-पसीना एक करके इतनी #साधन-सामग्री व #संस्कार देकर आपको सुयोग्य बनाया उनके प्रति सामाजिक कर्त्तव्य-पालन अथवा उन #पूर्वजों की प्रसन्नता, #ईश्वर की प्रसन्नता अथवा अपने हृदय की शुद्धि के लिए सकाम व निष्काम भाव से यह #श्राद्धकर्म करना चाहिए।
🚩हिन्दू #धर्म में एक अत्यंत सुरभित पुष्प है कृतज्ञता की भावना, जो कि बालक में अपने माता-पिता के प्रति स्पष्ट परिलक्षित होती है। हिन्दू #धर्म का व्यक्ति अपने #जीवित माता-पिता की सेवा तो करता ही है, उनके #देहावसान के बाद# भी उनके कल्याण की भावना करता है एवं उनके अधूरे शुभ कार्यों को पूर्ण करने का प्रयत्न करता है।#'श्राद्ध-विधि' #इसी भावना पर आधारित है।
🚩#मृत्यु के बाद #जीवात्मा को #उत्तम, मध्यम एवं कनिष्ठ कर्मानुसार #स्वर्ग नरक #में स्थान मिलता है।# पाप-पुण्य क्षीण# होने पर वह पुनः मृत्युलोक (पृथ्वी) में आता है। स्वर्ग में जाना यह पितृयान मार्ग है एवं जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त होना यह देवयान मार्ग है।
🚩#पितृयान मार्ग से जाने वाले जीव पितृलोक से होकर चन्द्रलोक में जाते हैं। #चंद्रलोक में अमृतान्न का सेवन करके निर्वाह करते हैं। यह अमृतान्न कृष्ण पक्ष में चंद्र की कलाओं के साथ क्षीण होता रहता है। अतः #कृष्ण पक्ष में वंशजों को उनके लिए आहार पहुँचाना चाहिए, इसीलिए #श्राद्ध एवं पिण्डदान #की व्यवस्था की गयी है। शास्त्रों में आता है कि #अमावस्या #के दिन तो पितृतर्पण #अवश्य करना चाहिए।
🚩आधुनिक विचारधारा एवं नास्तिकता के समर्थक शंका कर सकते हैं किः "यहाँ #दान किया गया अन्न# पितरों तक कैसे पहुँच सकता है?"
🚩#भारत की मुद्रा 'रुपया' अमेरिका में 'डॉलर' एवं लंदन में 'पाउण्ड' होकर मिल सकती है एवं अमेरिका के डॉलर जापान में येन एवं दुबई में दीनार होकर मिल# सकते हैं। यदि इस #विश्व की नन्हीं सी #मानव रचित सरकारें इस प्रकार मुद्राओं का रुपान्तरण कर सकती हैं तो ईश्वर की सर्वसमर्थ सरकार आपके द्वारा #श्राद्ध में अर्पित वस्तुओं को पितरों के योग्य करके उन तक पहुँचा दे, इसमें क्या# आश्चर्य है?
🚩मान लो, आपके #पूर्वज अभी पितृलोक में नहीं, अपित मनुष्य रूप में हैं। आप उनके लिए #श्राद्ध करते हो तो श्राद्ध के बल पर उस दिन वे जहाँ होंगे वहाँ उन्हें कुछ न कुछ लाभ होगा।
🚩मान लो, आपके पिता की मुक्ति हो गयी हो तो उनके लिए किया गया #श्राद्ध कहाँ जाएगा? जैसे, आप किसी को मनीआर्डर भेजते हो, वह व्यक्ति मकान या आफिस खाली करके चला गया हो तो वह #मनीआर्डर आप ही को वापस मिलता है, वैसे ही #श्राद्ध के निमित्त से किया गया दान आप ही को विशेष लाभ देगा।
🚩#दूरभाष और दूरदर्शन आदि यंत्र हजारों किलोमीटर का अंतराल दूर करते हैं, यह प्रत्यक्ष है। इन #यंत्रों से भी मंत्रों का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है।
🚩#देवलोक एवं पितृलोक #के वासियों का आयुष्य मानवीय आयुष्य से हजारों वर्ष ज्यादा होता है। इससे पितर एवं पितृलोक को मानकर उनका लाभ उठाना चाहिए तथा श्राद्ध करना चाहिए।
🚩भगवान श्रीरामचन्द्रजी भी #श्राद्ध करते थे। पैठण के महान आत्मज्ञानी संत हो गये श्री #एकनाथ जी महाराज। पैठण के #निंदक ब्राह्मणों ने एकनाथ जी को जाति से बाहर कर दिया था एवं उनके #श्राद्ध-भोज का #बहिष्कार किया था। उन योगसंपन्न एकनाथ जी ने ब्राह्मणों के एवं अपने पितृलोक वासी पितरों को बुलाकर भोजन कराया। यह देखकर पैठण के ब्राह्मण चकित रह गये एवं उनसे अपने अपराधों के लिए #क्षमायाचना की।
🚩जिन्होंने हमें पाला-पोसा, बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, हममें भक्ति, ज्ञान एवं धर्म के संस्कारों का सिंचन किया उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण करके उन्हें #तर्पण-श्राद्ध #से प्रसन्न करने के दिन ही हैं श्राद्धपक्ष। श्राद्धपक्ष आश्विन के (गुजरात-महाराष्ट्र में भाद्रपद के) कृष्ण पक्ष में की गयी श्राद्ध-विधि गया क्षेत्र में की गयी #श्राद्ध-विधी के बराबर मानी जाती है। इस विधि में मृतात्मा की पूजा एवं उनकी इच्छा-तृप्ति का सिद्धान्त समाहित होता है।
🚩प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर देवऋण, #पितृऋण एवं ऋषिऋण रहता है। श्राद्धक्रिया द्वारा पितृऋण से# मुक्त हुआ जाता है। देवताओं को यज्ञ-भाग देने पर देवऋण से मुक्त हुआ जाता है। ऋषि-मुनि-संतों के विचारों को आदर्शों को अपने जीवन में उतारने से, उनका प्रचार-प्रसार करने से एवं उन्हे लक्ष्य मानकर आदरसहित आचरण करने से ऋषिऋण से मुक्त हुआ जाता है।
🚩पुराणों में आता है कि आश्विन(गुजरात-महाराष्ट्र के मुताबिक भाद्रपद) कृष्ण पक्ष की अमावस #(पितृमोक्ष अमावस#) के दिन सूर्य एवं चन्द्र की युति होती है। सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है। इस दिन हमारे# पितर यमलोक से अपना निवास छोड़कर सूक्ष्म रूप से मृत्युलोक (पृथ्वीलोक) में अपने वंशजों के निवास स्थान #में रहते हैं। अतः उस दिन उनके लिए विभिन्न श्राद्ध करने से वे तृप्त होते हैं।
🚩#गरुड़ पुराण (१०.५७-५९) में आता है कि ‘समयानुसार #श्राद्ध करने से कुल में कोई दु:खी नहीं रहता । #पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशुधन, सुख, धन और धान्य #प्राप्त करता है ।
🚩#‘हारीत स्मृति’ में लिखा है :
न तत्र वीरा जायन्ते नारोग्यं न शतायुष: |
न च श्रेयोऽधिगच्छन्ति यंत्र श्राद्धं विवर्जितम ||
🚩‘जिनके घर में #श्राद्ध नहीं होता उनके कुल-खानदान में वीर पुत्र उत्पन्न नहीं होते, कोई निरोग नहीं रहता । लम्बी आयु नहीं होती और किसी तरह कल्याण नहीं प्राप्त होता ( किसी – न - किसी तरह की झंझट और खटपट बनी रहती है ) ।’
🚩महर्षि सुमन्तु ने कहा : “#श्राद्ध जैसा कल्याण - मार्ग गृहस्थी के लिए और क्या हो सकता है ! अत: बुद्धिमान मनुष्य को प्रयत्नपूर्वक# श्राद्ध करना चाहिए ।”
🚩अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :
“हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दे) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन करता हूँ ।” ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगायें ।
🚩 श्राद्ध पक्ष में रोज भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ ओर  1 माला माला द्वादश मंत्र ” ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” और एक माला "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा" की करनी चाहिए और उस पाठ एवं माला का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।
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Sunday, September 3, 2017

बाबा राम रहीम के जेल जाने के पीछे साजिश का एक ये भी हिस्सा था क्या ?

सितम्बर 3, 2017
बाबा राम रहीम को सजा होने के बाद जेल भेजा गया है, पर उसके बाद जैसे ही वे जेल पहुंच गये कि ईसाई मिशनरियां सक्रिय हो गई हैं और मीडिया में उनकी खुद बदनामी भी की जा रही है और सोशल साइट पर भी तरह-तरह के वीडियो, न्यूज, जोक्स आदि उनके खिलाफ भेजे जा रहे हैं । उन वीडियो को केवल टाइटल देखकर जब लोग देखते है तो  उनमें कोई भी तथ्य सामने नहीं आते हैं ।
anti hindu media conspiracy

आपको बता देते हैं कि पंजाब में जिन गरीब इलाकों में बाबा राम रहीम सहायता देते थे, उस इलाकों में ईसाई मिशनरियां मौके का 'फायदा' उठाने के लिए सक्रिय हो गई हैं। उन्‍होंने डेरा अनुयायियों पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं और उन्हें धर्म परिर्वतन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके तहत डेरा से जुड़े क्षेत्रों में घर-घर जाकर ईसाई धर्म की महिमा के साहित्य बांट रहे हैं।
डबवाली के आसपास लगते पंजाब के मंडी किलियांवाली व अन्य क्षेत्रों में मिशनरीज की सक्रियता ज्यादा देखी गई। यह डेरे के प्रभाव का क्षेत्र माना जाता रहा है। बाबा राम रहीम के जेल जाने के बाद उनके अनुयायियों को साफ्ट टारगेट माना जा रहा है। खासकर ऐसे डेरा प्रेमियों पर दवाब बनाया जा रहा है, जो शहर से कटी हुई बस्तियों में रहते हैं। ऐसे मामले सामने आने के बाद हिंदू संगठनों ने भी सक्रियता बढ़ा दी है।
आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पुष्टि की है कि कुछ लोग डेरा प्रेमियों की भावनाओं से खेलते हुए उनका धर्म परिवर्तन करवाने का प्रयास कर रहे हैं। मंडी किलियांवाली स्थित जलघर क्षेत्र में ऐसे मामले सामने आए हैं। लोगों का कहना है कि काफी लंबे समय से कुछ लोग धर्म का प्रचार करने के नाम पर धर्म परिवर्तन करवाने के लिए जोर दे रहे हैं।
बाबा राम रहीम को बदनाम करने के लिए यह पूरी साजिश रच रहे हैं ताकि अपना धर्म परिवर्तन का खेल खेला जा सके। हालांकि जिन लोगों पर दवाब बनाया जा रहा है, वे खुलकर सामने नहीं आ रहे पर अपने सगे संबंधियों से जरूर बातचीत कर रहे हैं।
आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि माहौल को गर्म देखते हुए कुछ लोग पिछले एक हफ्ते से लगातार डेरा प्रेमियों के घरों में चक्कर लगा रहे हैं। विशेष धर्म के लोग लालच दे रहे हैं। प्रत्येक दूसरे दिन वे घरों में पहुंचकर धर्म परिवर्तन के लिए जोर दे रहे हैं। जिससे लगता है कि धर्मान्तरण वाले भी साजिश में शामिल हो,
  कुछ लोगो का ऐसा भी कहना है कि उनका प्रभाव बढ़ता जा रहा था जिसको रोकने के लिए वोट बैंक के खातिर सरकार और बडे हिन्दू संगठन ने आपसी मेलजोल करके साजिश करके जेल भेजा है।
कारण जो भी हो फिलहाल कोर्ट ने सजा सुना दी है लेकिन आप समझ गये होंगे कि ईसाई मिशनरियां किस तरीके से सक्रिय है और हिन्दुओं का धर्मान्तरण कराने में जुटी है ।
एक बात सोचने वाली है कि मीडिया वाले और कुछ सोशल साइट पर उनका खूब दुष्प्रचार किया जा रहा है लेकिन उनकी अच्छाई एक भी नही दिखाई जा रही है, बाबा के विरोधी को न्यूज चैनल बैठाकर बहस करते है पर उनके समर्थक को नही बुलाते हैं ।
जबकि कितने ईसाई पादरियों को सजा हो चुकी है कई पादरियों को तो कई बच्चों-बच्चियों के साथ बलात्कार करने पर आजीवन सजा हो चुकी है लेकिन न उनकी कोई न्यूज आती है और नही सोशल साइट पर कुछ आता है, ऐसे मुस्लिम धर्मगुरु भी दुष्कर्म करने पर जेल गये है पर उनपर भी कोई  न्यूज नही आती है ऐसा क्यो???
इससे पता चलता है कि यह विदेशी ताकतें षडयंत्र कर रही हैं कि पहले आरोप लगवाओ फिर मीडिया द्वारा खूब बदनाम करवाओ और जेल जाने के बाद उनके अनुयायियों का ये बताकर कि आपके बाबा तो ढोंगी हैं, दुष्कर्मी हैं,हमारे यीशु भगवान ही महान हैं ऐसा बोलकर आसानी से धर्मपरिवर्तन करा दो ।
कोर्ट को जो निर्णय लेना था ले लिया, बाबा को जेल भेज भी दिया अब उनके पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट बाकि है, हो सकता है कि ऊपर की कोर्ट उनको निर्दोष बरी भी कर दे लेकिन अभी फिलहाल मीडिया का काम केवल इतना ही था कि खबर बता दे कि उनको जेल हो गई है लेकिन ऐसा नही करके दिन रात उनके खिलाफ उनके विरोधियों को डिबेट में बैठाकर, झूठी कहानियां बनाकर लोगों को परोसी जा रही है ये कहाँ तक उचित है?
और यदि आपको ऐसा दिखाना ही है तो सबके लिए दिखाओ, अन्य धर्म के धर्मगुरुओं को जेल हो जाती है तब ऐसे कहानियां क्यों नहीं बनती ?
डिबेट क्यों नहीं होती ?
जब सलमान खान को सजा हो गई थी तब मीडिया आँसू बहा रही थी कि उन्होंने इतना अच्छा काम किया और उनके समर्थक रो रहे हैं, आदि आदि पोजेटिव दिखा रहे थे जिससे कोर्ट भी दबाव में आ जाती है और जमानत देने को मजबूर हो जाती है, जबकि हिन्दू संतों पर आरोप लगते ही खूब झूठी कहानियां बनाई जाती है ।
अब पाठक समझ गये होंगे कि हिन्दू संतो के खिलाफ जो मीडिया ट्रायल चलता है यह पूरी साजिश है क्योंकि अधिकतर मीडिया के मालिक विदेश में बैठे हैं और वहीं से हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए फंडिग होती है और हिन्दू भी बिकाऊ मीडिया में आकर अपने धर्मगुरुओं के खिलाफ बोलने लगे जाते है। अतः षड्यंत्र को समझे और उसका डटकर विरोध करें ।