Saturday, September 22, 2018

जानिए अमेरिका और वेटिकन सिटी ने भारत के देशभक्तों को कैसे जेल भेजा ?

22 September 2018

🚩भारत का इतिहास रहा है कि जब-जब कोई व्यक्ति, महापुरुष देश के लिए अच्छा कार्य करना चाहते हैं, तब-तब विदेशी लोगों को यह रास नहीं आता है, परिणाम स्वरूप वे उनके खिलाफ भयंकर षड्यंत्र चालू कर देते हैं और हथकंडा अपने ही लोगों को बनाते है ऐसे एक दो नहीं, लेकिन हजारो-लाखों उदाहरण है ।

🚩सुभाष चन्द्र बोस देश को आज़ादी दिलाने करीब ही थे और उनकी हत्या हो गई, लाल बहादुर शास्त्री देश के लिए महान कार्य कर रहे थे, अचानक गायब हो गए और उनकी हत्या हो गई । श्री राजीव दीक्षित देश को नया रूप देने का कार्य कर रहे थे और अचानक हत्या हो गई, उड़ीसा के स्वामी लक्ष्मणानन्द जी धर्मान्तरण पर रोक लगा रहे थे और उनकी हत्या हो गई ।

🚩हिन्दू राष्ट्र के लिए कार्य करने वाली
साध्वी प्रज्ञा जी को बिना सबूत 9 साल जेल में रखकर प्रताड़ित किया गया । धर्मान्तरण रोकने वाले शंकरचार्य जी और स्वामी असीमानंद जी को जेल भिजवाया था ।
ऐसे ही देश हित में कार्य करने वाले श्री डी.जी. वंजारा जी, कर्नल पुरोहित को सालों से जेल में रखा गया ।
Know how the US and Vatican City sent prisoners of India to jail?

🚩वर्तमान में दो उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं :- 

पहला वैज्ञानिक नंबी नारायणन जी का,
नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने जासूसी और भारत की रॉकेट टेक्नोलॉजी दुश्मन देश को बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था ।

🚩यह सारी कवायद भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को ध्वस्त करने की नीयत से हो रही थी, ये वो दौर था जब भारत जैसे देश अमेरिका से स्पेस टेक्नोलॉजी करोड़ों रुपये में किराये पर लिया करते थे । भारत के आत्मनिर्भर होने से अमेरिका को अपना कारोबारी नुकसान होने का डर था । जिसके लिए सी.आई.ए. ने वामपंथी पार्टियों को अपना हथियार बनाया ।
एस.आई.टी. के जिस अधिकारी सी.बी. मैथ्यूज़ ने नंबी के खिलाफ जांच की थी, उसे कम्युनिस्ट सरकार ने बाद में राज्य का डी.जी.पी. बना दिया, सी.बी. मैथ्यूज के अलावा तब के एस.पी. के.के. जोशुआ और एस. विजयन के भी इस साजिश में शामिल होने की बात सामने आ चुकी है ।

🚩सी.बी.आई. की जांच में ही इस बात के संकेत मिल गए थे कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सी.आई.ए
 के एक अधिकारी के इशारे पर केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने नंबी को साजिश का शिकार बनाया, एक इतने सीनियर वैज्ञानिक को न सिर्फ गिरफ्तार करके लॉकअप में बंद किया गया, बल्कि उन्हें टॉर्चर किया गया कि वो बाकी वैज्ञानिकों के खिलाफ गवाही दे सकें ।

🚩परिणाम स्वरूप क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी विकसित होने में 15 साल की देरी हो गई और इस वजह से हमें अबतक लाखों डॉलर का नुकसान हो चुका है ।

🚩दूसरा है हिन्दू संत आसाराम बापू का
उन्होंने ऐसे-ऐसे कार्य किये जिससे वेटिकन सिटी तक हिल गई थी...

1). ईसाई मिशनरियों को खुली 
चुनौती दिया, लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को 
पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर जीवनोपयोगी सामग्री दी, जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया ।

2) . कत्लखाने में जाती हज़ारों
गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया ।

🚩3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में 
स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद 
जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया ।

4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को 
बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाने वाले हैं संत आशारामजी बापू ।

🚩5). लाखों करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत मंत्र की दीक्षा देकर, तेजस्वी बनाया ।

6). पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका 
और बहुत सारे देशों में जाकर 
सनातन हिंदू धर्म का ध्वज 
फहराया ।

🚩7). 100 से ज्यादा देशों में आश्रमों 
को स्थापित कर हिंदुत्व का 
विस्तार किया ।

8). वेलेंटाइन डे का विरोध करके 
"मातृ-पितृ पूजन दिवस" 
का प्रारम्भ करवाया ।

🚩9). क्रिसमस डे के दिन क्रिसमस ट्री 
के बजाय, तुलसी पूजन दिवस 
मनाने शुरू करवाया ।

10). लाखों-करोड़ों लोगों को अधर्म से 
धर्म की ओर मोड़ दिया ।

🚩11). बिकाऊ मीडिया को प्रचार-प्रसार के लिए रुपयों के पैकेज ना देकर, गरीबों में भंडारा व जीवनोपयोगी वस्तुएं दीं ।

12). गरीब इलाकों में 
चलचिकित्सालय चलवाकर 
निःशुल्क दवाईयाँ उपलब्ध 
करवाई ।

🚩13). नशा मुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसन-मुक्त करया ।

14). गिरते युवावर्ग को "दिव्य प्रेरणा प्रकाश" जैसी पुस्तकों द्वारा ब्रह्मचर्य की महिमा बताकर करोड़ों युवाओं को संयमी जीवन की ओर अग्रसर किया ।

🚩15). वैदिक शिक्षा पर आधारित 
अनेकों गुरुकुल खुलवाए ।

16). पिछले 50 वर्षों से लगातार आदिवासियों के बीच मुफ्त भंडारा 
मकान, कपड़े, अनाज व दक्षिणा बाँटा ।

🚩17). मुश्किल हालातों में कांची कामकोठी पीठ के "शंकराचार्य श्री #जयेंद्र सरस्वतीजी" 
बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा
एवं अन्य संतों का साथ दिया ।

हिन्दू संत आसाराम बापू कर इन महान कार्य करने के कारण विदेशी शक्तियों को यह रास नहीं आया, वेटिकन सिटी उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गई और सोनिया गांधी के इशारे पर झूठा मुदकमा दर्ज हुआ और मीडिया द्वारा बदनाम करके जेल भिजवाया गया ।

🚩युवावस्था में अपनी सुंदर पत्नी को छोड़कर ईश्वर प्राप्ति के लिए गृह त्याग करनेवाले कारक महापुरुष क्या ऐसा गलत कार्य कर सकते हैं?

जिनके दर्शन सत्संग से सैकड़ो युवान/युवतियाँ ने संसार विमुख होकर ईश्वर प्राप्ति के लिए सन्यास जीवन स्वीकारा, क्या वे संत स्वयं ऐसा गलत कार्य कर सकते हैं ???

🚩जिन-जिन महापुरुषों ने देश, संस्कृति, समाज के लिए अच्छे कार्य किये है उनके खिलाफ षड्यंत्र हुआ है, इस षडयंत्र से उन महापुरुष को नुकसान नहीं होता है, नुकसान समाज को होता है । उन्होंने तो अपना कार्य कर लिया अब हमारी बारी है हम उनके लिए क्या करते हैं? षड्यंत्र के खिलाफ आवाज उठाते हैं कि नहीं यही हमारी परीक्षा की घड़ी है ।

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Friday, September 21, 2018

जाने श्राद्ध क्यों करना चाहिए ? कैसे करें ? नहीं करने से कितनी हानि होती है ?

21 September 2018
http://azaadbharat.org
श्राद्ध पक्ष : 24 सितम्बर से 8 अक्टूबर तक
🚩 भारतीय संस्कृति की एक बड़ी विशेषता है कि जीते-जी तो विभिन्न संस्कारों के द्वारा, धर्मपालन के द्वारा मानव को समुन्नत करने के उपाय बताती ही है, लेकिन मरने के बाद, अंत्येष्टि संस्कार के बाद भी जीव की सदगति के लिए किए जाने योग्य संस्कारों का वर्णन करती है ।
🚩#मरणोत्तर क्रियाओं-संस्कारों का वर्णन हमारे #शास्त्र-पुराणों में आता है । #आश्विन(गुजरात-महाराष्ट्र के मुताबिक भाद्रपद) के कृष्ण पक्ष को हमारे #हिन्दू धर्म में श्राद्ध पक्ष के रूप में मनाया जाता है । श्राद्ध की महिमा एवं विधि का वर्णन विष्णु, वायु, वराह, मत्स्य आदि पुराणों एवं महाभारत, मनुस्मृति आदि शास्त्रों में यथास्थान किया गया है ।
Why should Shraddha go? How to do ?
 How much damage does it take?

🚩 दिव्य लोकवासी पितरों के पुनीत आशीर्वाद से आपके कुल में दिव्य आत्माएँ #अवतरित हो सकती हैं । जिन्होंने जीवन भर खून-पसीना एक करके इतनी साधन-सामग्री व संस्कार देकर आपको सुयोग्य बनाया उनके प्रति सामाजिक कर्त्तव्य-पालन अथवा उन पूर्वजों की प्रसन्नता, ईश्वर की प्रसन्नता अथवा अपने हृदय की शुद्धि के लिए सकाम व निष्काम भाव से यह #श्राद्धकर्म करना चाहिए ।
🚩हिन्दू #धर्म में एक अत्यंत सुरभित पुष्प है कृतज्ञता की भावना, जो कि बालक में अपने माता-पिता के प्रति स्पष्ट परिलक्षित होती है । हिन्दू धर्म का व्यक्ति अपने जीवित माता-पिता की सेवा तो करता ही है, उनके #देहावसान के बाद भी उनके कल्याण की भावना करता है एवं उनके अधूरे शुभ कार्यों को पूर्ण करने का प्रयत्न करता है । 'श्राद्ध-विधि' इसी भावना पर आधारित है ।
🚩 #मृत्यु के बाद #जीवात्मा को उत्तम, मध्यम एवं कनिष्ठ कर्मानुसार #स्वर्ग नरक में स्थान मिलता है । पाप-पुण्य क्षीण होने पर वह पुनः मृत्युलोक (पृथ्वी) में आता है । स्वर्ग में जाना यह पितृयान मार्ग है एवं जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त होना यह देवयान मार्ग है ।
🚩पितृयान मार्ग से जाने वाले जीव पितृलोक से होकर चन्द्रलोक में जाते हैं । #चंद्रलोक में अमृतान्न का सेवन करके निर्वाह करते हैं । यह अमृतान्न कृष्ण पक्ष में चंद्र की कलाओं के साथ क्षीण होता रहता है । अतः #कृष्ण पक्ष में वंशजों को उनके लिए आहार पहुँचाना चाहिए, इसलिए श्राद्ध एवं पिण्डदान की व्यवस्था की गयी है । शास्त्रों में आता है कि अमावस्या के दिन तो पितृतर्पण अवश्य करना चाहिए ।
🚩आधुनिक विचारधारा एवं नास्तिकता के समर्थक शंका कर सकते हैं किः "यहाँ #दान किया गया अन्न पितरों तक कैसे पहुँच सकता है ?"
🚩 #भारत की मुद्रा 'रुपया' अमेरिका में 'डॉलर' एवं लंदन में 'पाउण्ड' होकर मिल सकती है एवं अमेरिका के डॉलर जापान में येन एवं दुबई में दीनार होकर मिल सकते हैं । यदि इस #विश्व की नन्हीं सी #मानव रचित सरकारें इस प्रकार मुद्राओं का रुपान्तरण कर सकती हैं तो ईश्वर की सर्वसमर्थ सरकार आपके द्वारा #श्राद्ध में अर्पित वस्तुओं को पितरों के योग्य करके उन तक पहुँचा दे, इसमें क्या आश्चर्य है ?
🚩मान लो, आपके #पूर्वज अभी पितृलोक में नहीं, अपित मनुष्य रूप में हैं । आप उनके लिए श्राद्ध करते हो तो श्राद्ध के बल पर उस दिन वे जहाँ होंगे वहाँ उन्हें कुछ न कुछ लाभ होगा ।
🚩मान लो, आपके पिता की मुक्ति हो गयी हो तो उनके लिए किया गया #श्राद्ध कहाँ जाएगा ? जैसे, आप किसी को मनीआर्डर भेजते हो, वह व्यक्ति मकान या आफिस खाली करके चला गया हो तो वह #मनीआर्डर आप ही को वापस मिलता है, वैसे ही श्राद्ध के निमित्त से किया गया दान आप ही को विशेष लाभ देगा।
🚩#दूरभाष और दूरदर्शन आदि यंत्र, हजारों किलोमीटर का अंतराल दूर करते हैं, यह प्रत्यक्ष है । इन यंत्रों से भी मंत्रों का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है ।
🚩 देवलोक एवं पितृलोक के वासियों का आयुष्य मानवीय आयुष्य से हजारों वर्ष ज्यादा होता है । इससे पितर एवं पितृलोक को मानकर उनका लाभ उठाना चाहिए तथा श्राद्ध करना चाहिए।
🚩भगवान श्रीरामचन्द्रजी भी श्राद्ध करते थे । पैठण के महान आत्मज्ञानी संत हो गये श्री #एकनाथ जी महाराज, पैठण के निंदक ब्राह्मणों ने एकनाथ जी को जाति से बाहर कर दिया था एवं उनके श्राद्ध-भोज का बहिष्कार किया था । उन योगसंपन्न एकनाथ जी ने ब्राह्मणों के एवं अपने पितृलोक वासी पितरों को बुलाकर भोजन कराया । यह देखकर पैठण के ब्राह्मण चकित रह गये एवं उनसे अपने अपराधों के लिए #क्षमायाचना की ।
🚩जिन्होंने हमें पाला-पोसा, बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, हममें भक्ति, ज्ञान एवं धर्म के संस्कारों का सिंचन किया उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण करके उन्हें तर्पण-श्राद्ध से प्रसन्न करने के दिन ही हैं श्राद्धपक्ष । श्राद्धपक्ष आश्विन के (गुजरात-महाराष्ट्र में भाद्रपद के) कृष्ण पक्ष में की गयी श्राद्ध-विधि गया क्षेत्र में की गयी #श्राद्ध-विधि के बराबर मानी जाती है । इस विधि में मृतात्मा की पूजा एवं उनकी इच्छा-तृप्ति का सिद्धान्त समाहित होता है ।
🚩प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर #देवऋण, #पितृऋण एवं #ऋषिऋण रहता  है। श्राद्धक्रिया द्वारा पितृऋण से मुक्त हुआ जाता है । देवताओं को यज्ञ-भाग देने पर देवऋण से मुक्त हुआ जाता है । ऋषि-मुनि-संतों के विचारों को, आदर्शों को अपने जीवन में उतारने से, उनका प्रचार-प्रसार करने से एवं उन्हें लक्ष्य मानकर आदरसहित आचरण करने से ऋषिऋण से मुक्त हुआ जाता है ।
🚩पुराणों में आता है कि आश्विन(गुजरात-महाराष्ट्र के मुताबिक भाद्रपद) कृष्ण पक्ष की अमावस (पितृमोक्ष अमावस) के दिन सूर्य एवं चन्द्र की युति होती है । सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है । इस दिन हमारे पितर यमलोक से अपना निवास छोड़कर सूक्ष्म रूप से मृत्युलोक (पृथ्वीलोक) में अपने वंशजों के निवास स्थान में रहते हैं । अतः उस दिन उनके लिए विभिन्न श्राद्ध करने से वे तृप्त होते हैं ।
🚩 गरुड़ पुराण (10.57-59) में आता है कि ‘समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दु:खी नहीं रहता । पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशुधन, सुख, धन और धान्य प्राप्त करता है ।
🚩‘हारीत स्मृति’ में लिखा है :
न तत्र वीरा जायन्ते नारोग्यं न शतायुष: |
न च श्रेयोऽधिगच्छन्ति यंत्र श्राद्धं विवर्जितम ||
🚩‘जिनके घर में श्राद्ध नहीं होता उनके कुल-खानदान में वीर पुत्र उत्पन्न नहीं होते, कोई निरोग नहीं रहता । किसी की लम्बी आयु नहीं होती और उनका किसी तरह कल्याण नहीं प्राप्त होता ( किसी – न - किसी तरह की झंझट और खटपट बनी रहती है ) ।’
🚩महर्षि सुमन्तु ने कहा : “श्राद्ध जैसा कल्याण - मार्ग गृहस्थी के लिए और क्या हो सकता है । अत: बुद्धिमान मनुष्य को प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करना चाहिए ।”
🚩अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :
“हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दें) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता हूँ ।” ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगाएं ।
🚩 श्राद्ध पक्ष में रोज भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ और 1 माला माला द्वादश मंत्र ” ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” और एक माला "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा" की करनी चाहिए और उस पाठ एवं माला का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।
🚩श्राद्ध कैसे करें, लिंक क्लिक करके देखिये👇
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Thursday, September 20, 2018

गौभक्तों में खुशी की लहर : उत्तराखंड में गाय को मिला "राष्ट्रमाता" का दर्जा

20 September 2018

🚩गाय माता देश की धरोहर है और उसमें 33 करोड़ देवताओं का वास होता है, देश में गौभक्त सदियों से लड़ाई लड़ रहे हैं पर न न्यायालय सुन रहा है और ना ही सरकार, लेकिन अभी एक खुशी की खबर आई है कि उत्तराखंड में विधानसभा में गाय को राष्ट्रमाता' घोषित करने का बिल पास हो गया है ।
A wave of happiness in the Gaubhaktas: the cow
got the title of "Nation Mother" in Uttarakhand

🚩गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है । विधानसभा में यह बिल पास हो गया है और अब इसे केंद्र के पास अप्रूवल के लिए बढ़ाया गया है । उत्तराखंड की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने उत्तराखंड विधानसभा में बिल पेश किया था । उन्होंने कहा, 'हम सभी (विपक्ष और सत्ता) गाय के महत्व से वाकिफ हैं । न सिर्फ भारत बल्कि दूसरे देशों में भी इसका सम्मान किया जाता है ।' 

🚩उन्होंने आगे कहा, 'धार्मिक ग्रन्थों में भी, हमें गाय का उल्लेख मिलता है और कहा जाता है कि इसके शरीर 33 करोड़ देवी और देवताओं का वास होता है । वह कहती हैं कि अगर गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा मिल जाता है तो इनकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे ताकि गौवध बंद हो सके ।' 

🚩'गाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए'

उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा, कई लोगों के लिए यह जानवर कमाई का जरिया भी है और लोग जीविकोपार्जन के लिए इस पर निर्भर हैं । देहरादून के मेयर विनोद चंबोली समेत बीजेपी के कई नेताओं ने प्रस्ताव पर लोगों एकजुटता बढ़ाने के लिए प्रयास किया । उन्होंने कहा, 'अब समय आ गया है कि गाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए ।' 

🚩गाय माता को राष्ट्रमाता घोषित क्यों करना चाहिए?

1.गौ माता में #तैंतीस करोड़ देवताओं का वास है ।

2. गौ माता अन्नपूर्णा देवी, कामधेनू तथा मनोकामना पूर्ण करने वाली है।

3. गौ #माता #धर्म की धुरी है । गौ माता के बिना धर्म की कल्पना भी नहीं की जा सकती । 

4 .गाय के #दूध, घी, #गोबर, #दही और 
गौ-मूत्र के निर्मित पंचगव्य से शरीर में रोग-प्रतिकारक शक्ति बढ़ाने की क्षमता बढ़ती है ।

5.  गाय #धार्मिक #आर्थिक #सांस्कृतिक व #आध्यात्मिक दृष्टि से सर्वगुण संपन्न है ।

🚩गौमाता ही सनातन धर्म की मूल है । जिस गौमाता के दूध की खीर से भगवान राम अवतरित हुए, जिस गौमाता के पीछे भगवान कृष्ण भागते रहे, जिस गौमाता की रक्षा के लिए भगवान परशुराम ने अपने पिता की हत्या का प्रतिशोध लिया, जिस गौमाता के कारण ही हमारे 16 संस्कार पूर्ण होते है, जो गौमाता भारत माता का साकार स्वरूप है, जो गौमाता आज़ादी की क्रांति का मूल है, जो गौमाता धर्म, अर्थ, काम और  मोक्ष देने वाली है, जो गौमाता भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो गौमाता भारत को विश्वगुरु बना सकती है, जो गौमाता किसानों को गोबर का मूल्य दिला सकती है, जो गौमाता दूध से ही कुपोषण को दूर कर सकती है, जो गौमाता प्रकृति को प्राणवायु दे सकती है, जो गौमाता आरोग्य की मूल है,जो गौमाता स्वयं प्रकृति है, जो गौमाता भारत का स्वरूप है उस गौमाता को 70 वर्षो से निरंतर काटा जा रहा है, इससे बड़े शर्म, दुर्भाग्य और पाप की बात क्या होगी भला ।

🚩सोचिए गौमाता को हम विश्वमाता कहते हैं और माता मानते हैं, लेकिन भारत सरकार के दस्तावेजों में गाय पशु है और पशु काटने के 36000 से अधिक वैध-अवैध कत्लखाने हैं भारत में, इसलिए जब तक गाय पशु है तब तक कौन उसे बचा सकता है और जब गाय माता है तो कौन माई का लाल उसे काट सकता है । इसलिए गाय माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाना जरूरी है ।

🚩गौ-माता भारत देश की रीड की हड्डी है । जो सभी को स्वस्थ्य #सुखी जीवन जीने में मदद रूप बनती है । देशवासियों को आजीवन गौ-माता की रक्षा के लिए कटिबद्ध रहना चाहिए ।

🚩जैसे उत्तराखंड सरकार ने प्रयास किया, गाय माता को "राष्ट्रमाता" दर्जा दिलाने के लिए ऐसे ही हर राज्य की सरकार और केंद्र सरकार को प्रयास करके गाय माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलवाना चाहिए ।

🚩गौमाता की इतनी उपयोगिता और उसकी हत्या हो रही है उससे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सभी को मिलकर #गौ-माता को #राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाकर तन-मन-धन से इसकी रक्षा करनी चाहिए ।

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