Sunday, March 3, 2019

जानिए शिवरात्रि का इतिहास और शिवजी को प्रसन्न करने का उपाय

3 मार्च 2019

*🚩तीनों लोकों के मालिक #भगवान #शिव का सबसे बड़ा त्यौहार #महाशिवरात्रि है । #महाशिवरात्रि #भारत के साथ कई अन्य देशों में भी धूम-धाम से मनाई जाती है ।*

*🚩‘स्कंद पुराण के ब्रह्मोत्तर खंड में शिवरात्रि के #उपवास तथा #जागरण की महिमा का वर्णन है :*
*‘‘शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ है । उसमें भी जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और भी दुर्लभ है । लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वशिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं । इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से अधिक पुण्य होता है ।*
*🚩शिवलिंग का प्रागट्य!!*

*पुराणों में आता है कि ब्रह्मा जी जब सृष्टि का निर्माण करने के बाद घूमते हुए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो देखा कि भगवान विष्णु आराम कर रहे हैं। ब्रह्मा जी को यह अपमान लगा ‘संसार का स्वामी कौन?’ इस बात पर दोनों में युद्ध की स्थिति बन गई तो देवताओं ने इसकी जानकारी देवाधिदेव #भगवान #शंकर को दी।*

*🚩भगवान शिव युद्ध रोकने के लिए दोनों के बीच प्रकाशमान #शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए। दोनों ने उस #शिवलिंग की पूजा की। यह विराट शिवलिंग ब्रह्मा जी की विनती पर बारह ज्योतिलिंगो में विभक्त हुआ। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को  शिवलिंग का पृथ्वी पर प्राकट्य दिवस महाशिवरात्रि कहलाया।*

*🚩बारह ज्योतिर्लिंग (प्रकाश के लिंग) जो पूजा के लिए भगवान शिव के पवित्र धार्मिक स्थल और केंद्र हैं। वे स्वयम्भू के रूप में जाने जाते हैं, जिसका अर्थ है "स्वयं उत्पन्न"।*

*🚩1. #सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्थापित है।*

*2. #श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है।*

*🚩3. #महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहां शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।*

*4. #ॐकारेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदान देने हेतु यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।*

*🚩5. #नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।*

*6. #बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।*

*🚩7. #भीमाशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।*

*8. #त्र्यंम्बकेश्वर नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।*

*🚩9. #घुश्मेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में स्थापित घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग।*

*10. #केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मिल दूरी पर स्थित है।*

*🚩11. #काशी विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।*

*12. #रामेश्वरम्‌ त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।*

*🚩दूसरी पुराणों में ये कथा आती है कि सागर मंथन के समय कालकेतु विष निकला था उस समय भगवान शिव ने संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा करने के लिये स्वयं ही सारा विषपान कर लिया था। विष पीने से #भोलेनाथ का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ के नाम से पुकारे जाने लगे। पुराणों के अनुसार विषपान के दिन को ही महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।*

*🚩कई जगहों पर ऐसा भी वर्णन आता है कि #शिव पार्वती का उस दिन #विवाह हुआ था इसलिए भी इस दिन को #शिवरात्रि  के रूप में मनाने की परंपरा रही है।*

*🚩पुराणों अनुसार ये भी माना जाता है कि #सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन #मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।*

*🚩शिवरात्रि वैसे तो प्रत्येक मास की चतुर्दशी (कृष्ण पक्ष) को होती है परन्तु फाल्गुन (कृष्ण पक्ष) की शिवरात्रि (महाशिवरात्रि) नाम से ही प्रसिद्ध है।*


*🚩महाशिवरात्रि से संबधित पौराणिक कथा!!*

*🚩एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, 'ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?*

*🚩उत्तर में #शिवजी ने पार्वती को 'शिवरात्रि' के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई- 'एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था  । पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।'*

*🚩शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। #चतुर्दशी को उसने #शिवरात्रि व्रत की #कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल-वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला।*

*🚩पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरी। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और #शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुंची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, 'मैं गर्भिणी हूं। शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना।' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई।*

*🚩कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, 'हे पारधी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।' शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, 'हे पारधी!' मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे मत मारो।*

*🚩शिकारी हंसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान मांग रही हूं। हे पारधी! मेरा विश्वास कर, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं।*

*🚩मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में बेल-वृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन मृगियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।*

*🚩मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी #रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, 'मेरी तीनों पत्नियां जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। अतः जैसे तुमने उन्हें #विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।' उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गया। भगवान शिव की अनुकंपा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया। वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा।*

*🚩थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार #शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया। देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की। तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए'।*

*🚩परंपरा के अनुसार, #इस रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जिससे मानव प्रणाली में ऊर्जा की एक शक्तिशाली प्राकृतिक लहर बहती है। इसे भौतिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है इसलिए इस रात जागरण की सलाह भी दी गयी है ।*


*🚩शिवरात्रि व्रत की महिमा!!*

*इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह #व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है ।*


*🚩महाशिवरात्रि व्रत की विधि!!*

*इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है. प्रत्येक पहर की पूजा में "ॐ नम: शिवाय" का जप करते रहना चाहिए। #अगर शिव #मंदिर में यह जप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जप किया जा सकता हैं । चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जपों से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपवास की अवधि में #रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।*

*🚩फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी अर्थात् #महाशिवरात्रि पृथ्वी पर #शिवलिंग के #प्राकट्य का दिवस है और प्राकृतिक नियम के अनुसार जीव-शिव के एकत्व में मदद करनेवाले ग्रह-नक्षत्रों के योग का दिवस है ।  इस  दिन रात्रि-जागरण  कर  ईश्वर  की आराधना-उपासना की जाती है ।*
*‘शिव से तात्पर्य है ‘कल्याणङ्क अर्थात् यह रात्रि बडी कल्याणकारी रात्रि है ।*

*🚩महाशिवरात्रि का पर्व अपने अहं को मिटाकर लोकेश्वर से मिलने के लिए है । #आत्मकल्याण के लिए पांडवों ने भी शिवरात्रि #महोत्सव का आयोजन किया था, जिसमें सम्मिलित होने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका से हस्तिनापुर आये थे । जिन्हें संसार से सुख-वैभव लेने की इच्छा होती है वे भी शिवजी की आराधना करते हैं और जिन्हें सद्गति प्राप्त करनी होती है अथवा आत्मकल्याण में रुचि है वे भी शिवजी की आराधना करते हैं ।*

*🚩शिवपूजा में वस्तु का मूल्य नहीं, भाव का मूल्य है ।* *भावो हि विद्यते देवः ।*
*आराधना का एक तरीका यह है कि उपवास रखकर पुष्प, पंचामृत, बिल्वपत्रादि से चार प्रहर पूजा की जाये । दूसरा तरीका यह है कि #मानसिक पूजा की जाये ।*

*🚩 हम #मन-ही-मन भावना करें :*                           
*ज्योतिर्मात्रस्वरूपाय  निर्मलज्ञानचक्षुषे । नमः शिवाय शान्ताय ब्रह्मणे लिंगमूर्तये ।।*
*‘ज्योतिमात्र (ज्ञानज्योति अर्थात् सच्चिदानंद, साक्षी) जिनका स्वरूप है, निर्मल ज्ञान ही जिनके नेत्र है, जो लिंगस्वरूप ब्रह्म हैं, उन परम शांत कल्याणमय भगवान शिव को नमस्कार है ।*

*🚩‘ईशान संहिता में भगवान शिव पार्वतीजी से कहते हैं :*
*फाल्गुने कृष्णपक्षस्य या तिथिः स्याच्चतुर्दशी । तस्या या तामसी रात्रि सोच्यते शिवरात्रिका ।।*
*तत्रोपवासं कुर्वाणः प्रसादयति मां ध्रुवम् । न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया ।*
*तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः ।।*

*🚩‘फाल्गुन के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को आश्रय करके जिस अंधकारमयी रात्रि का उदय होता है, उसीको  ‘शिवरात्रि' कहते हैं । उस दिन जो #उपवास करता है वह निश्चय ही मुझे संतुष्ट करता है । उस दिन उपवास करने पर मैं जैसा प्रसन्न होता हूँ, वैसा स्नान कराने से तथा वस्त्र, धूप और पुष्प के अर्पण से भी नहीं होता ।*

*🚩शिवरात्रि व्रत सभी पापों का नाश करनेवाला है और यह योग एवं मोक्ष की प्रधानतावाला व्रत है ।*

*🚩महाशिवरात्रि बड़ी कल्याणकारी रात्रि है । #इस रात्रि में किये जानेवाले जप, तप और व्रत हजारों गुणा पुण्य प्रदान करते हैं ।*

*🚩#स्कंद पुराण में आता है : ‘शिवरात्रि व्रत परात्पर (सर्वश्रेष्ठ) है, इससे बढकर श्रेष्ठ कुछ नहीं है । जो जीव इस रात्रि में त्रिभुवनपति भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्म-चक्रों में घूमता रहता है ।*

*🚩यदि आज  ‘बं बीजमंत्र का सवा लाख जप किया जाय तो जोड़ों के दर्द एवं वायु-सम्बंधी रोगों में विशेष लाभ होता है ।*

*🚩#व्रत में #श्रद्धा, उपवास एवं प्रार्थना की प्रधानता होती है । व्रत नास्तिक को आस्तिक, भोगी को योगी, स्वार्थी को परमार्थी, कृपण को उदार, अधीर को धीर, असहिष्णु को सहिष्णु बनाता है । #जिनके जीवन में व्रत और नियमनिष्ठा है, उनके जीवन में निखार आ जाता है ।*

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Saturday, March 2, 2019

पोप के सलाहकार ने बच्चों का किया यौन शोषण पाया गया दोषी, मीडिया रही चुप

2 मार्च 2019

🚩कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक  नन सिस्टर मैरी चांडी  ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है उन्होंने लिखा है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी । एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी । मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी । ’ यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है ।
🚩चर्च की आड़ में चल रहे यौन शोषण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं । ऐसा ही एक मामला हाल ही में आया है पोप के करीबी सलाहकार व वेटिकन के वित्तीय प्रभारी जॉर्ज पेल बच्चों के यौन शोषण मामले में अदालत में दोषी करार हुआ पर मीडिया इस खबर को कहीं नहीं दिखा रही है क्योंकि मामला ईसाई पंथ का है ।

🚩आपको बता दें कि कार्डिनल जॉर्ज पेल को वेटिकन के वित्तीय मामलों के प्रभारी पद से हटा दिया गया है । क्वायर में शामिल होने वाले दो बच्चों के यौन उत्पीड़न मामले में वह दोषी करार दिए गए हैं । वेटिकन के प्रवक्ता अलेसांद्रो गिसोटी ने ट्वीट कर इसकी पुष्टि की और कहा, पेल के पास अब आर्थिक मामलों का प्रभार नहीं है।

🚩पेल को ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत ने यौन शोषण का दोषी करार दिया है । अदालत के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि यौन शोषण मामले में दोषी करार दिए जाने वाले पेल वेटिकन के अभी तक के वरिष्ठतम पदाधिकारी हैं । पोप फ्रांसिस ने पेल को 2014 में वेटिकन के वित्तीय मामलों को देखने के लिए नियुक्त किया था । वह पोप के करीबी सलाहकारों में से एक थे । उन्हें पांच साल के लिए नियुक्त किया गया था ।

🚩गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में चर्च में बच्चों, ननों और महिलाओं के साथ यौन शोषण की घटनाओं के बाद पूरे विश्व में आक्रोश देखने को मिला है । इसके बाद पोप फ्रांसिस ने इन मामलों को सख्ती से लिया और ऐसी घटनाओं से निपटने को कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया । स्त्रोत : अमर उजाला

🚩ईसाई पादरी धर्मगुरु बनकर बैठे हैं, लोगों को सुधरने का उपदेश देते हैं, लेकिन खुद बच्चों के साथ दुष्कर्म करते हैं जब #अदालत उन पर इस जुर्म के लिए सज़ा देती है तब कुछ धर्मगुरु बयान देते हैं कि उन्हें बच्चों का यौन शोषण करने की धार्मिक स्वतंत्रता है ऐसे ईसाई के धर्मगुरु लोगों का क्या भला करेंगे?

इतना सब कुछ होते हुए भी उनके खिलाफ मीडिया कुछ नहीं बोलती बल्कि उनका पक्ष लेती है क्योंकि काफी मीडिया ईसाई मिशनरियों के फंड से चलती है ।

🚩यही मीडिया जब कोई पवित्र हिन्दू साधु-संत या हिन्दू संगठन जब मिशनरियां द्वारा भोले-भाले हिन्दुओं को पैसा, दवाई, कपड़े आदि देकर धर्मान्तरण के खिलाफ मुहिम चलाते हैं तो देशद्रोही और बिकाऊ मीडिया उनके खिलाफ देश में एक माहौल बनाकर उनकी छवि को धूमिल कर देती हैं ।

सभी भारतवासी बलात्कारी पादरियों और विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया से सावधान रहें ।

🚩फिलॉसफर नित्शे ने लिखा है कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है ।
देश में अनेक स्थान पर ईसाई पादरी लालच देकर हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन करवा रहे हैं, उसके लिए सरकार को कानून लागू करना चाहिए और हिन्दू विरोधी मीडिया पर लगाम लगानी चाहिए ।

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Friday, March 1, 2019

पाकिस्तान की जेल में आज भी हमारे 54 जांबाज सैनिक बंद हैं

01 मार्च 2019

🚩देश के जांबाज वीर बहादुर विंग कमांडर अभिनंदन दुश्मन देश में भी चट्टान की नाई अडिग रहे और आज स्वदेश लौट आये, उनके लिए पूरे देशभर में खुशी की लहर है और हो भी क्यों न ? हमारे पुराने मिग 21 से नए F16 को गिराकर जीत हासिल की है । जब उनको बंदी बनाया गया तो देशवासी लगातार प्रार्थना कर रहे थे और आज उनकी प्रार्थना सफल भी हुई ।

🚩आज हमारे देश में खुशी का महौल है पर एक दुःखद बात ये है कि 1965 और 1971 में हुए युद्ध के दौरान हमारे 54 सैनिकों को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था जो आजतक हमें मिल नहीं पाये ।

🚩1965 में 6 और 1971 में 48 युद्धबंदी तत्कालीन सरकार की घातक, शर्मनाक अनदेखी और आपराधिक लापरवाही के कारण आजतक लौटकर अपने घर वापस नहीं। उनमें भी एक विंग कमांडर हरसरन सिंह गिल थे, 4 स्क्वाड्रन लीडर समेत वायुसेना के 25 पायलट शामिल थे ।
उनके परिजन आज 48 साल बाद भी तत्तकालीन सरकार की प्राणघातक करतूत के कारण शोक की अग्नि में जल रहे हैं ।

🚩उल्लेखनीय है कि 1971 के भारत पाक युद्ध में बंदी बनाए गए 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों तथा 3800 भारतीय सैनिकों के प्राणों की कीमत चुका कर भारतीय सेना द्वारा कब्ज़ायी गई पाकिस्तानी भूमि को 1972 में बिना शर्त वापस कर दी ।

🚩परंतु भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर हरसरन सिंह गिल, फ्लाइट लेफ्टिनेंट वी वी तांबे और फ्लाइंग ऑफिसर सुधीर त्यागी तथा भारतीय सेना के कैप्टन गिरिराज सिंह, कैप्टन कमल बख्शी समेत उन 54 भारतीय युद्धबंदियों की रिहाई की याद तक नहीं आयी जो पाकिस्तानी जेलों में बंद थे और जिनके बंद होने के पुख्ता प्रमाण सार्वजनिक रूप से आए दिन उपलब्ध हो रहे थे ।


🚩उल्लेखनीय है कि फ्लाइट लेफ्टिनेंट वी. वी. तांबे का नाम 5 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के ऑब्जर्वर अखबार में फ्लाइट लेफ्टिनेंट तांबे के नाम से प्रकाशित हुआ था। अखबार रिपोर्ट में कहा गया था कि 5 भारतीय पायलट पाकिस्तान के कब्जे में हैं.... पर पाकिस्तान ने युद्ध बंदियों की सूची में इनको नहीं दिखाया और तत्कालीन सरकार भी उन भारतीय सैनिकों को मुक्त करवाने में नीरस थी । उल्लेखनीय है कि फ्लाइट लेफ्टिनेंट वीवी तांबे की पत्नी साधारण महिला नहीं थी । 1971 में वो अंतरराष्ट्रीय ख्याति की बैडमिंटन खिलाड़ी थीं तथा बैडमिंटन की राष्ट्रीय महिला चैम्पियन थीं । अतः उन्होंने हर उच्च स्तर तक गुहार लगाई थी लेकिन परिणाम शून्य ही रहा ।

🚩युद्ध की समाप्ति के 11 दिन पश्चात 27 दिसम्बर 1971 को भारतीय सेना के मेजर ऐ के घोष का पाकिस्तान की जेल में बंदी अवस्था का चित्र विश्वविख्यात अमेरिकी पत्रिका TIMES ने प्रकाशित भी किया था । पर 93000 पाकिस्तानियों को रिहा करने का समझौता करते हुए तत्कालीन सरकार को मेजर घोष याद नहीं आये ।

🚩आपको बात दें कि 4 मार्च 1988 को पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर भारत आये दलजीत सिंह ने बताया था कि उसने फ्लाइट लेफ्टिनेंट वीवी तांबे को लाहौर के पूछताछ केंद्र में फरवरी 1978 में देखा था । 5 जुलाई 1988 को पाकिस्तानी कैद से रिहा होकर भारत वापस लौटे मुख्तार सिंह ने बताया था कि कैप्टन गिरिराज सिंह कोट लखपत जेल में बंद हैं । मुख्तार ने 1983 में मुल्तान जेल में कैप्टन कमल बख्शी को भी देखा था । उस समय उनके मुताबिक बख्शी मुल्तान या बहावलपुर जेल में हो सकते हैं। इसी तरह के कई और चश्मदीद लोगों की रिपोर्ट भी अलग अलग समय पर उन 54 भारतीय युद्धबंदियों के परिजनों के पास लगातार आती रही है ।

🚩फ्लाइंग ऑफिसर सुधीर त्यागी का विमान भी 4 दिसंबर 1971 को पेशावर में फायरिंग से गिरा दिया गया था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था । अगले दिन पाकिस्तान रेडियो ने इस बारे में घोषणा की थी तथा पाकिस्तानी अखबारों ने भी इस खबर को छापा था । इसके बावजूद पाकिस्तान लगातार यही कहता रहा कि ये 54 लोग उसकी जेलों में बंद नहीं हैं, जबकि उनके परिजनों का मानना था कि ये लोग पाकिस्तान की जेलों में कैद हैं ।

अतः आज पूरा देश तत्कालीन सरकार से यह जानना चाहता है कि 1972 में पाकिस्तान से समझौता करने की जल्दबाजी में इतनी अंधी बहरी क्यों हो गयी थी .?

🚩वर्तमान सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए और जैसे अभिनंदन को स्वदेश वापिस लाने में सफलता मिली वैसे ही उन 54 वीर बहादुर जवानों को वापिस लाने का प्रयास करना चाहिए ।

देश में चैन की नींद आज हम उन जवानों के कारण ही ले रहे हैं इसलिए सरकार को पूर्ण प्रयास करना चाहिए कि उन 54 जवानों को शीघ्र वापिस भारत देश में लेकर आएं ।

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Wednesday, February 27, 2019

जानिए भारत से पाकिस्तान की दुश्मनी का कारण क्या है ?

27 फरवरी  2019

*🚩ट्रेन में एक हिंदू और कुछ मुसलमान के बीच हुई चर्चा का लेखरूप संकलन*

*ट्रेन में इमरान खान द्वारा भारत से पाकिस्तान के लिए सुधरने का मौका मांगे जाने पर चर्चा आरम्भ हुई । तो एक बुजुर्ग ने कहा- पाकिस्तान कमजोर है भारत मजबूत है । दोनों में कोई मैच नहीं । इसलिये भारत को पाकिस्तान पर हमला नहीं करना चाहिए । पाकिस्तान कंगाल है । उसको खोने के लिए कुछ नहीं है । भारत मजबूत है । भारत आगे बढ़ रहा है । भारत को युद्ध से परहेज करना चाहिए । ऐसा करने से भारत विकास करेगा । एक 75 साल के बुजुर्ग मुसलमान से अपना तजुर्बा मेरे सामने रखा ।* 
*🚩मैंने झट टोका और कहा कि माना कि पाकिस्तान कंगाल है, कमजोर है, उसको खोने के लिए कुछ नहीं है । भारत का विकास रुकेगा युद्ध करने से । किन्तु युद्ध न करने से पाकिस्तान के कारण हमारा विकास नहीं रुक रहा है ऐसा तो नहीं है । भारत का विकास तो रुका हुआ है ही 70 वर्षों से पाकिस्तान के कारण । तो फिर क्यों न पाकिस्तान को एक बार में खतम ही कर दिया जाय? जितना पैसा 1947 से आजतक भारत ने केवल कश्मीर में खर्च कर दिया है उतना पैसा हमारा बच गया होता तो आज हम अमेरिका के बराबरी पर खड़े होते । हमारी अर्थव्यस्था का आकार अमेरिका के बराबर हो गया होता । हम दुनियाँ की बहुत बड़ी ताकत होते । द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका और रशिया के समानांतर भारत दुनियाँ की सबसे बड़ी शक्ति होता । हम बहुत तेज गति से आगे बढ़ गए होते । किन्तु हमारी यह हानि केवल पाकिस्तान के कारण ही हुई । यदि पाकिस्तान न होता तो हम बहुत बड़ी ऊँचाई छू चुके होते । विकास के शिखर पर होते ।* 

*🚩तब बुजुर्ग भी निरुत्तर और उसके साथ बैठे 50 वर्ष वाले दो मुसलमान भी निरुत्तर हो गए । उनकी हामी भरती हुई मूँछ विहीन हिलती दाढ़ी देखकर मैंने उनके सुल्फ़ी बहावी अन्तरात्मा को लक्षित करना उचित समझा । मैं बात आगे बढ़ाना चाह ही रहा था कि एक सीनियर पचास वर्षीय मुसलमान ने कहा कि पाकिस्तान के आवाम में भारत के प्रति प्रेम है । और वो भारत के साथ मिलकर जीना चाहते हैं । तो 75 वर्षीय बुजुर्ग ने फिर कहा कि पाकिस्तान की असली समस्या इस्लाम नहीं है । पाकिस्तान की असली समस्या सिया सुन्नी विवाद है । बस उनका इतना कहना था कि मुझे उनका मुद्दा लपकने का स्वर्णिम अवसर पुनः मिल गया । मैं पाकिस्तान की आवाम के भारत प्रेम पर कुछ बात करने के मूड में नहीं था । इस अल तकिया को मैंने इग्नोर किया । मैंने उनको कहा कि सिया, सुन्नी और अहमदिया मुसलमानों में इस्लाम की दो बातों के बारे में कोई मतभेद नहीं है । और वो दो बातें हैं मोहम्मद साहब और कुरान । मतभेद केवल इतना ही है कि सिया अली को अपना खलीफा मानता है और सुन्नी अबु बकर को । तो अहमदिया मोहम्मद साहब के साथ साथ दूसरे तीसरे और अन्य पैगम्बर की बात भी मानता है । मोहम्मद साहब का विरोध वह भी नहीं करता । और न ही किसी खलीफा का विरोध करता है अहमदिया ।* 

*🚩पचास वर्षीय क्लीन शेव मुसलमान ने मेरी प्रशंसा करते हुए कहा कि आपको इस्लाम का बहुत नॉलेज है । फिर मैंने उसको कहा कि अब आप पाकिस्तान की गाथा सुनिए । पाकिस्तान की सेना का मतलब है रशिया । और कश्मीर की हुर्रियत का भी मतलब है रशिया । हुर्रियत को वार्ता का पक्षकार नहीं बनाने का मतलब है रशिया को पक्षकार नहीं बनाना । अबतक हुर्रियत के बहाने रशिया भारत पाक वार्ता में पक्षकार बनता आया था जिसे मोदी सरकार ने कभी वार्ता में सम्मिलित न करने का निर्णय लिया ।*

*🚩रशिया के इशारे पर ही पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर में 1948 में घुसपैठ किया । हमें आजाद होते ही तुरंत लड़ाई लड़नी पड़ी । और हमने बहुत कुछ गँवाया । क्योंकि तब हमें अपना जो धन अपनी विपन्न जनता पर खर्च करना चाहिए था वह हमें युद्ध में गँवाना पड़ गया । और इस हानि का प्रत्यक्ष कारण पाकिस्तान बना । दो तिहाई कश्मीर हमारे नासमझ चालबाज प्रधानमंत्री नेहरू के कारण हाथ से चला गया । तिब्बत बिना युद्ध के गँवाया नेहरू की मूर्खता के कारण ।* 

*🚩1962 में चाईना से हमें युद्ध करना पड़ा । लद्दाख का बहुत बड़ा भूभाग हमारे हाथ से चाईना के कब्जे में गया । तब चीन ने कश्मीर के कुछ क्षेत्रों पर अधिकार पाने के कारण पाकिस्तान के निकट आया । चाईना ने पीओके का कुछ हिस्सा पाकिस्तान से लीज पर ले लिया । पाकिस्तान ने चाईना से 2 मार्च 1963 को समझौता करके गिलगिट बाल्टिस्तान इत्यादि क्षेत्र चाईना को सौंप दिया । बदले में 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध की सारी सुविधा चाईना ने पाकिस्तान को उपलब्ध करा दिया । नकद धन से लेकर रणनीति से लेकर हथियार तक सब कुछ चाईना ने दिया ।* 

*🚩1971 के युद्ध के समय भी चाईना पाकिस्तान के पीछे खड़ा था । किन्तु पाकिस्तान की सेना पर रशिया का दबदबा बना रहा । आईएसआई पर रशिया का दबदबा बना रहा । राजनीतिक स्तर पर चाईना ने व्यापारिक लेनदेन जारी रखा । राजनीति जहाँ आर्मी से सहमति बना लेती थी वहाँ चाईना अपनी भूमिका निभा लेता था । शेष रशिया की रणनीतिक पैठ पाकिस्तान में लगातार बनी रही । पाकिस्तान में सेना की बगावत का मतलब था रशिया की बगावत । रशिया यद्यपि भारत का मित्र बना हुआ था तब भी उसको हथियार बेचकर अपना देश चलाना था । अन्य महादेशों के कम्युनिष्ट शासन वाले देश रशिया के ग्राहक थे । और लोकतंत्र वाले देश अमेरिका के ग्राहक थे । भारत अकेला लोकतंत्र वाला देश था जहाँ रशिया के इशारे पर कांग्रेस ने समाजवादी लोकतंत्र भारत को घोषित कर दिया गया था । यह समाजवाद कुछ और नहीं भारत के रशिया का सबसे बड़ा हथियार खरीददार होने का लक्षण था । रशिया भारत के द्वारा खरीदे गए हथियारों से पोषित होता था । 1971 से भारत का कोई युद्ध किसी से हुआ नहीं । 80 के बाद रशिया डांवाडोल होने लग गया । हथियारों की खपत घटने लगी । परिणामस्वरुप रशिया बिखर गया ।* 

*🚩जब रशिया कमजोर होने लगा तो अमेरिका ने अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए रणनीतिक महत्व के अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने की योजना बनाया । अफगानिस्तान में डॉ नजीबुल्लाह के रूप में शासन में रशिया ही बैठा था । अफगानिस्तान का तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ नजीबुल्लाह लेनिनवादी कम्युनिष्ट था । अमेरिका ने अपने पैसे से अल कायदा और तालिबान खड़ा किया पाकिस्तान की राजनीतिक दलों की सहायता से । आज का आईएसआईएस भी इन्ही दोनों का बाय प्रोडक्ट है । डॉ नजीबुल्लाह की तालिबान द्वारा अमेरिका ने हत्या करवाया । तालिबान की सहायता से अमेरिका ने डॉ बुरहानुद्दीन रब्बानी को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति बनाया । आज अमेरिका का आर्मी बेस पीओके में भी है और अफगानिस्तान में भी । अब प्रश्न उठता है कि ये लड़ाईयाँ पाकिस्तान लड़ रहा था या इस्लाम लड़ रहा था, दिन की लड़ाई थी यह या जिहाद था यह या अमेरिका और रशिया के हाथों की कठपुतली बनकर पाकिस्तान कठपुतली की तरह नाच रहा था ?* 

*🚩अब तीनों हैरान थे । तीनों बड़े गंभीर होकर सुन रहे थे मेरा भाषण । आसपास के हिन्दू यात्री जमा होकर चर्चा में रुचि लेने लग गए थे । मैंने चर्चा जारी रखा । और पूछा कि जब मुसलमान अपनी लड़ाई लड़ने की स्थिति में था ही नहीं । वह दूसरों के इशारे पर खिलौना बना हुआ था फिर भारत का मुसलमान ताली किसके लिए बजा रहा था और अब भी बजा रहा है? अमेरिका के लिए या रशिया के लिए या फिर चाईना के लिए । मैंने पूछा कि आपको पता है कि सीरिया में क्या हुआ? उनको कुछ ज्ञान होगा भी तो शायद उनलोगों ने कुछ कहा नहीं । मैंने कहा कि अमेरिका से पैसा और हथियार लेकर विद्रोही लड़ाई लड़ रहे थे वहाँ । सीरिया की सरकार ने रशिया से सहयोग माँगा । रशिया ने उसपर बमबार्डिंग शुरू किया । अमेरिका हताहत होने लगा । तो रशिया और अमेरिका में तनाव उत्पन्न हुआ । तनाव बढ़ता चला गया । लगा कि विश्वयुद्ध हो जाएगा । किन्तु स्थिति की नाजुकता को देखकर दोनो ही सम्भले । अब भारत के मुसलमानों को लगता है कि लड़ाई आईएसआईएस लड़ रहा है । लेकिन मुसलमानों को वहाँ भी रशिया और अमेरिका ने ही उलझाया हुआ था ।* 

*🚩मुसलमान कहीं भी युद्ध की स्थिति में है ही नहीं । क्योंकि टर्की, ईरान और पाकिस्तान मात्र तीन इस्लामिक देशों के पास ही पाँच लाख से अधिक स्ट्रेंथ की सेना है । बाकी किसी के पास कोई खास ताकत नहीं है । सऊदी अरब में 1970 में विद्रोहियों ने मक्का पर कब्जा कर लिया था । तब सऊदी अरब चाहकर भी कुछ नहीं कर पाया । मक्का को मुक्त कराने के लिए सऊदी अरब को अमेरिका की सहायता लेनी पड़ी । युद्ध के खर्चे के बदले में अमेरिका ने सऊदी अरब का तेल तो ले ही लिया । साथ ही सुरक्षा का भार भी हाथ में ले लिया । सऊदी अरब समेत किसी भी इस्लामिक देश के पास कोई खास एयरफोर्स नहीं है । किसी भी इस्लामिक देश के पास बहुत ताकतवर नेवी नहीं है । सऊदी अरब का एयरपोर्ट भी अमेरिका ने बनाया है । और सुरक्षा का सारा मामला अमेरिका ने अपने पास रखा हुआ है । ऐसे में इस्लाम का केंद्रबिंदु सऊदी अरब ही जब पूरी तरह आजाद नहीं है तो फिर मुसलमान कहाँ से आजाद हो जाएगा । और फिर भारत का मुसलमान किस की ओर देखकर उछल रहा है ?* 

*🚩जब यूएई समेत कोई भी इस्लामिक देश अमेरिका के विरुद्ध एक कदम नहीं उठा सकता फिर भारत के मुसलमानों को अपने सोचने का तरीका बदलना होगा । मैंने उनको कहा कि इराक तो सद्दाम हुसैन की हत्या के बाद पूरी तरह अमेरिका के कब्जे में है । वहाँ की सेना भी सरकार भी सब अमेरिका चलाता है । वहाँ का तेल भी अमेरिका का ही है । ईरान भी कुछ विशेष तीर मारने की स्थिति में नहीं है । एक-एक इस्लामिक देश अमेरिका या रसिया के सीधे-सीधे गुलाम हैं । प्रथम विश्वयुद्ध हुआ तब कमजोर होकर बिखर रहे ओटोमैन एम्पायर पर कब्जे की नीयत से । तब का ओटोमैन एम्पायर का मतलब था इस्लामिक साम्राज्य । खलीफा की ताकत घटने से साम्राज्य ध्वस्त हो रहा था । उसके बिखर रहे टुकड़ों पर ऑस्ट्रिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, रशिया, जापान सब कब्जा करना चाह रहे थे । और इसी टसल में प्रथम विश्व युद्ध हुआ । युद्ध का कारण लेकिन झूठ गढ़कर यूरोप द्वारा दुनियाँ को बताया गया । ईस्लामिक देशों पर कब्जे की लड़ाई प्रथम विश्व युद्ध के बाद भी चलता रहा । इस्लामिक देशों में तेल निकल जाने के बाद लड़ाई ने दूसरा मोड़ ले लिया ।* 

*वहाँ के शासकों को अय्याशी कराके अमेरिका और यूरोप ने अपना कब्जा का खेल जारी रखा । यूरोप कालांतर में अपेक्षाकृत कमजोर हुआ तो उनका प्रभाव घटा । किन्तु अमेरिका का खेल आजतक जारी है । रशिया भी प्रयत्नशील है प्रभाव जमाने के लिए किन्तु उसकी घटी हुई आर्थिक ताकत उसके प्रभावी होने में आड़े आने लगी है । किन्तु इस्लामिक देश आज भी इनके इशारे पर ही उछल कूद कर रहे हैं । आज भी उनकी स्थिति कहीं भी अपने दम पर जिहाद चला लेने की नहीं हैं ।* 

*🚩मैंने उनको आगे कहा कि आपको मालूम है कि सऊदी अरब ने नरेंद्र मोदी को अक्षरधाम मंदिर बनाने के लिए सऊदी अरब में जमीन क्यों दिया? जबकि सऊदी अरब मक्का वाला देश है । हज का स्थान है वहाँ । इस्लाम का सेंटर है । तब भी उसने मंदिर के लिए अपने देश में जगह क्यों दिया? क्योंकि उसको भारत एक भविष्य का साथी दिख रहा है जो अमेरिकन कब्जे से उसको बाहर निकलने में शायद भविष्य में मदद कर सकेगा । इस तरह सऊदी अरब का इस्लाम भारत को तारणहार के रूप में देखता है किंतु भारत का मुसलमान आज भी पाकिस्तान के लिए तालियाँ बजा रहा है । मैंने उनको पूछा कि जब भारत के संबंध किसी भी इस्लामिक देश के साथ खराब नहीं हैं फिर पाकिस्तान से भारत की दुश्मनी का कारण क्या है? कारण एक ही है कि रशिया का हथियार और अमेरिका का हथियार बिकना चाहिए । इस उद्देश्य से रशिया पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का उपयोग भारत के खिलाफ करता रहा है । ऐसे में किस इस्लाम की ओर देख रहा है भारत का मुसलमान? पाकिस्तान की ओर देखकर भारत का मुसलमान यदि भटकता है आये दिन तो एक बार पाकिस्तान को नष्ट कर देना ही उचित होगा जिससे भारत के मुसलमानों को भटकने का अवसर न मिल पाए । इतना सुनते ही उनका अल तकिया बंद । सभी मौन ।*  *~मुरारी शरण शुक्ल*

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