Saturday, December 14, 2019

जानिये 25 दिसंबर को तुलसी पूजन करना आवश्यक क्यों है?

14 दिसंबर 2019
www.azaadbharat.org
*🚩हमारा भारत देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है, विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में आकर भारतीय दिव्य संस्कृति को खत्म करने के लिये अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपना चाहा, लेकिन भारत में आज भी कई साधु-संत एवं हिन्दूनिष्ठ हैं जो भारत में राष्ट्र विरोधी विदेशी ताकतों से टक्कर लेकर भी समाज उत्थान के लिये हिन्दू संस्कृति को बचाने का दिव्य कार्य कर रहे हैं ।* https://youtu.be/aTT-MIBPhoE
*🚩ईसाई धर्म का त्यौहार 25  दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच में मनाया जाता है, जिसमें Festival के नाम पर शराब और कबाब का जश्न मनाना, डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना, पशुओं की हत्या करके उसका मांस खाना, सिगरेट, चरस आदि पीना यह सब किया जाता है जो कि भारतीय त्यौहारों के विरुद्ध है । ऐसा करना ऋषि-मुनियों की संतानों को शोभा नहीं देता है ।*
*🚩रिपोर्ट के अनुसार- 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक* 
> 14 से 19 वर्ष के बच्चें शराब का जमकर सेवन करते हैं।
> शराब की खपत तीन गुना बढ़ जाती है ।
>70% तक के किशोर इन पार्टियों में शराब का जमकर सेवन करते हैं ।
> आत्महत्यायें काफी बढ़ जाती हैं।
*🚩इन सबसे बचने का और संस्कृति व राष्ट्र को बचाने का अचूक उपाय निकाला है हिन्दू संत आसारामजी बापू ने !*
*🚩देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र का हित करने के लिए हिन्दू संत आसारामजी बापू ने वर्ष 2014 से  25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक (7 दिवसीय) "विश्वगुरु भारत कार्यक्रम" का आयोजन चालू करवाया है उसमें तुलसी पूजन, जप-माला पूजन एवं हवन, गौ-गीता-गंगा जागृति यात्रा, राष्ट्र जागृति संकीर्तन यात्रा, व्यसनमुक्ति अभियान, योग प्रशिक्षण शिविर, राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविर, सत्संग आदि कार्यक्रमों का आयोजन उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में किया जाता है ।*
*🚩2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस' मनाना प्रारम्भ हुआ । इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी ।*
*🚩पिछले साल भी उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा 25 दिसंबर को देश-विदेश में बड़ी धूम-धाम से तुलसी पूजन मनाया गया था । जिसमें कई हिन्दू संगठनों और आम जनता ने भी लाभ उठाया था ।*
*🚩ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस साल भी एक महीने से देश-विदेश में क्रिसमस डे की जगह 25 दिसंबर "तुलसी पूजन दिवस" निमित्त विद्यालयों, महाविद्यालयों, जाहिर स्थलों और घर-घर तुलसी पूजन किया जा रहा है ।*
http://www.ashram.org/Ashram/SevaActivities/
*🚩हिन्दू संत आसारामजी बापू का कहना है कि तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ता है । मानसिक अवसाद, दुर्व्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।*
*🚩उनका कहना है कि तुलसी का स्थान भारतीय संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है । तुलसी को माता कहा गया है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं ।*
*🚩विदेशों में भी होता है तुलसी पूजन..!!*
*🚩मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन ‘नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से देवल में चढ़ाई गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थी।*
*🚩विज्ञान भी नतमस्तक..!!*
*🚩आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है । आधुनिक रसायनशास्त्रियों के अनुसार ‘तुलसी में रोग के कीटाणुओं को नाश करने की विशिष्ट शक्ति है । रोग-निवारण की दृष्टि से तुलसी महाऔषधि है, अमृत है ।'*
*🚩तुलसी पूजन की शास्त्रों में महिमा*
*🚩अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेकों व्याख्यान हैं । भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा-विधि ‘तुलसी दल' के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती ।*
*🚩हिन्दू संत आसारामजी बापू के अनुसार अंग्रेजी नूतन वर्ष को मनाने हेतु शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार में गर्क होने से अपने देशवासी बच जाएं इस उद्देश्य से राष्ट्र जागृति लाने के लिए तथा विधर्मियों द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्रों के प्रति देशवासियों को जागरूक कर भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए व्यसनमुक्ति अभियान तथा राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविर, जागृति संकीर्तन यात्राओं का आयोजन करें तथा देश के संत-महापुरुष एवं गौ, गीता, गंगा की महत्ता के बारे में जागृति लाएं ।*
*🚩आपको बता दें कि हिन्दू संत आसारामजी जोधपुर जेल में बंद हैं फिर भी उनके बताए अनुसार उनके करोड़ों अनुयायी आज भी समाज उत्थान के सेवाकार्य सुचार रूप से कर रहे हैं ।*
*🚩हिंदुस्तानी संकल्प लें कि 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाना है । विदेशी कचरा हटाना है । सुसंस्कारों का सिंचन कराना है ।।। भारतीय संस्कृति को अपनाकर, भारत को विश्वगुरू के पद पर आसीन करना है ।।*
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Friday, December 13, 2019

सिस्टर लूसी : ‘घंटों नंगी खड़ी रखी जाती हैं ननें, पादरी बनाते हैं यौन सम्बन्ध

13 दिसंबर 2019

*🚩चर्च का घिनौना चेहरा और मिडिया*

*🚩क्या आपको बॉलीवुड की वे फिल्में याद हैं जिनमें फादर को दया और प्रेम का मूर्तिमान स्वरूप दिखाया जाता था और हिन्दू सन्यासियों को अपराधी ?? जो मिडिया हिंदू हिंदू संत आशारामजी बापू पर पागल हो गया था वह आज चुप है।*
सिस्टर लूसी 


*🚩केरल की नन सिस्टर लूसी कलाप्पुरा ने अपनी आत्मकथा लिखी है। इन्होंने ही बलात्कार आरोपित पादरी फ्रैंको मुलक्कल के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी। सिस्टर लूसी की पुस्तक के कुछ अंश एक मलयालम पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि साइरो-मालाबार चर्च में उनका कैसा अनुभव रहा? ईसाई संस्थाओं द्वारा संचालित प्राइवेट स्कूलों में पादरियों द्वारा क्या गुल खिलाए जाते हैं, सिस्टर लूसी की पुस्तक में इसके कई उदाहरण मिलेंगे। पादरी और बिशप अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए ननों के साथ जबरदस्ती कर यौन सम्बन्ध बनाते हैं। वो इसके लिए कई ननों की जबरन सहमति भी लेते हैं।*

*🚩सिस्टर लूसी ने लिखा कि कॉन्वेंट्स में जवान ननों को पादरियों के पास उनके ‘यौन सुख’ के लिए भेजा जाता था। वहाँ वो सभी ननें घंटों नंगी खड़ी रखी जाती थीं। वो लगातार गिड़गिड़ाती रहती थीं लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया जाता था। सिस्टर लूसी की आत्मकथा जल्द ही प्रकाशित होगी।*

*🚩फरवरी में वेटिकन में कैथोलिक पोप के नेतृत्व में 2 दिन की मीटिंग हुई जिसका मुख्य एजेंडा चर्च के पादरियों द्वारा किए गए बाल शोषण के विरुद्ध निर्णय लिया गया।
इस मीटिंग के अन्त में पोप ने अपराधियों को दण्डित करने या करवाने की कोई बात नहीं की। आश्चर्य यह है कि भारतीय मिडिया ने इसपर अधिक ध्यान नहीं दिया या जान बूझ कर अनदेखा कर दिया। अगर निष्पक्ष भावना से देखा जाए तो यह केवल मामले को दबाने की कोशिश है।*

*🚩सन् 2009 में आयरलैंड में, विशेष सरकारी आयोगों द्वारा वर्षों के कार्यों के बाद, डबलिन महाधर्मप्रांत में स्कूल प्रणाली में रयान रिर्पोट एवं बाल दुराचार पर मर्फी रिपोर्ट प्रकाशित किया गया था।

*🚩मई में आई पहली रिपोर्ट के अनुसार 1930 से 1990 के दशक तक कैथोलिक गिरजे के कर्मचारियों द्वारा हज़ारों बच्चों को पीटा गया, सर मुंडवाया गया, आग या पानी से यातना दी गई और बलात्कार किया गया.। उन्हें नाम के बदले नम्बर दिया गया था। कभी कभी तो वे इतने भूखे होते थे कि कूड़ा खाते थे।
नवम्बर में आई मर्फ़ी रिपोर्ट में सामने आया कि किस तरह चर्च ने दशकों तक बर्बर कारनामों को व्यवस्थित रूप से दबाए रखा। चर्च नेतृत्व बदनामी के डर से चुप रहा तो सरकारी दफ़्तरों ने नज़रें फेर लीं। जनमत के भारी दबाव के कारण चार बिशपों को इस्तीफ़ा देना पड़ा। तीन इस्तीफ़ों पर पोप को अभी फ़ैसला लेना है। रिपोर्ट के अनुसार आर्कडियोसेज़ डब्लिन में 1975 से 2004 के बीच 300 बच्चों के साथ दुर्व्यवहार हुआ। इस बीच कम से कम 170 धर्माधिकारी संदेह के घेरे में हैं।*

*🚩5 फरवरी 2014 की ज़ारी अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति (सीआरसी) ने कहा कि वैटिकन को उन पादरियों की फ़ाइलें फिर से खोलनी चाहिए जिन्होंने बाल शोषण के अपराधों को छुपाया है ताकि उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैटिकन ने अपराधों की गंभीरता को स्वीकार नहीं किया है और इसे लेकर समिति बहुत चिंतित है।
सितम्बर 2018 में जर्मनी में छपी जर्मनी में एक रिपोर्ट के अनुसार कैथोलिक चर्च में 1946 से 2014 के बीच 3,677 बच्चों का यौन शोषण हुआ। जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस के प्रमुख कार्डिनल मार्क्स ने पीड़ितों से माफी मांगी है।*

*🚩जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस में रिपोर्ट पेश करते हुए कार्डिनल मार्क्स ने पीड़ितों से माफी मांगते हुए कहा, "लंबे समय तक चर्च ने यौन शोषण के मामलों को झुठलाया, नजरअंदाज किया और दबाया। इस विफलता और उसकी वजह से पहुंची तकलीफ के लिए मैं माफी मांगता हूं।" रिपोर्ट में कैथोलिक चर्च के पादरियों द्वारा बच्चों और किशोरों के यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए हैं। मार्क्स ने कहा, "मैं नष्ट हुए भरोसे के लिए, चर्च के अधिकारियों द्वारा किए गए अपराधों के लिए शर्मसार हूं।"*

*🚩रिपोर्ट के अनुसार 1946 से 2014 के बीच कैथोलिक चर्च के 1,670 अधिकारियों ने 3,677 नाबालिगों का यौन शोषण किया। रिपोर्ट के लेखकों ने जर्मनी के 27 डियोसेजे में 38,156 फाइलों का विश्लेषण किया जिसमें 1,670 अधिकारियों के मामले में नाबालिगों का यौन शोषण किए जाने के आरोपों का पता चला। इस अध्ययन का आदेश जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस ने ही दिया था। टीम का नेतृत्व मनहाइम के मनोचिकित्सक हाराल्ड द्राइसिंग की टीम कर रही थी।
रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों में 1429 डियोसेजे के पादरी थे, 159 धार्मिक पादरी थे और 24 डियाकोन अधिकारी थे. 54 फीसदी लोगों के मामले में सिर्फ एक का यौन शोषण का आरोप था जबकि 42 प्रतिशत कई मामलों के आरोपी थे। यौन शोषण के पीड़ितों में 63 फीसदी लड़के थे और 35 फीसदी लड़कियां। पीड़ितों में तीन चौथाई का चर्च और आरोपियों के साथ धार्मिक रिश्ता था। वे या तो प्रार्थना सभाओं में सेवा देने वाले थे या धार्मिक कक्षाओं के छात्र।
पुरी दुनिया में पादरी यौन शोषण के लिए बदनाम हैं परन्तु भारतीय मिडिया चुप है।*

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Thursday, December 12, 2019

CAB या NRC द्वारा मुसलमान प्रताड़ित होंगे ? हिंदू का क्या हाल होगा

12 दिसंबर 2019

*🚩लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नागरिक संशोधन विधेयक (CAB) पास हो गया इससे बांग्लादेश से आए 5 लाख से ज्यादा बंगाली हिंदू जिन्हें एनआरसी की अंतिम सूची में जगह नहीं मिल पाई थी, उन्हें नागरिकता मिल जाएगी। और पाकिस्तान से प्रताड़ित किये गए हिंदू जो भारत मे रह रहे है उनको भी नागरिकता मिल जाएगी।*

*🚩अब पूरे देश मे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) लागू हो इसके लिए एक विधेयक लाया जाएगा इससे घुसपैठी रोहिंग्या और बांग्लादेशी करोड़ों मुसलमानों को भगाया जाएगा।* 

*🚩अब बात आती है कि क्या इन विधेयक द्वारा भारतीय मुसलमानों को प्रताड़ित किया जायेगा? जानिए सच्चाई क्या है?*

*🚩इस देश के आम मुसलमान को क्यों बहकाया जा रहा है कि उन्हें देश-निकाला मिलने वाला है, या उन्हें भगाया जाएगा? ऐसा करने वाले लोग उसी लॉबी से हैं जो हर बात में हिन्दू-मुसलमान करते हैं। ये वही दोगले हैं जिन्हें तबरेज दिखता है, लेकिन भरत यादव जैसे दसियों हिन्दुओं की मुसलमानों के हाथ हुई भीड़ हत्या नहीं दिखती। ये लोग मुसलमानों पर अत्याचार की खबरें गढ़ते हैं और पकड़े जाने पर माफी तक नहीं माँगते। याद ही होगा कि ‘जय श्री राम’ के नाम पर कितनी फर्जी खबरें फैलाई गईं थीं, और झूठ पकड़े जाने पर क्या हुआ।*

*🚩दो कारणों से मुसलमानों को भड़काने की कोशिश हो रही है। पहला है कि ओवैसी जैसों को मुसलमानों का नेता बनने की फ़िक्र है और उसे मुद्दे मिल नहीं रहे। इसलिए वो हर तरह की नौटंकी कर रहा है। उसे हिन्दू-मुसलमान अगर नहीं मिलेगा, तो वो ऐसे मौके बनाएगा जहाँ लगे कि मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। कुछ मुसलमान भी पगलाए हुए उसकी बात को मान रहे हैं।*

*🚩एक मुद्दा NRC, या राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर, का है जिसमें पहली बार इस देश के नागरिकों का लेखा-जोखा तैयार होगा। भारत अपने आप में उन विचित्र देशों में होगा जहाँ सरकार के पास उसके नागरिकों का कोई एक रजिस्टर नहीं है जहाँ से पता किया जा सके कि कौन किस जगह से है, क्या करता है, कब आया आदि। इसकी जरूरत इसलिए हुई क्योंकि कॉन्ग्रेस और टीएमसी समेत कई पार्टियों ने अपने राज्यों में मुसलमान वोटबैंक बढ़ा कर, चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए इस देश की सीमा और स्थानीय जनसंख्या के साथ खिलवाड़ किया। मुसलमान बाहर से ला कर बसाए गए, उन मुसलमानों ने खरगोशों की तरह बच्चे पैदा किए और आज स्थिति यह है कि बांग्लादेश उन्हें वापस लेने को तैयार नहीं, और भारत इन दीमकों को यहाँ रख नहीं सकता।*

*🚩इस कारण चर्चा शुरू हुई कि इन्हें अलग किया जाए। इस कारण सरकार ने असम में एनआरसी के लिए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, नागिरकों और घुसपैठियों को अलग करने की प्रक्रिया शुरू की। इससे कुछ पार्टियों का वोटबैंक गायब हो जाएगा क्योंकि उन्हें बांग्लादेश वापस भेजा जाए या नहीं, ये तो आगे की बात है, पर उनके मताधिकार तो तय रूप से छीने लिए जाएँगे। बस यही कारण है कि ये लोग चिल्ला रहे हैं कि मुसलमानों का भविष्य खतरे में है।*

*🚩मुसलमान तो यहाँ हर तरह से सुरक्षित है। कम से कम शिया-सुन्नी के दंगे, मस्जिदों में बम ब्लास्ट, घटिया शिक्षा और बेहतरी के अवसर से परे, भारत का मुसलमान न सिर्फ अल्पसंख्यक होने के कारण विभिन्न योजनाओं का लाभार्थी है, बल्कि उसे मुसलमान होने का वैचारिक लाभ भी हमेशा मिलता रहा है जब उनके खिलाफ हुए अपराधों पर पूरा देश उनके साथ खड़ा हो जाता है जिसमें हिन्दुओं की बहुतायत है। इसे ही गंगा-जमुनी तहजीब कहते हैं इस देश में। हालाँकि, मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं पर जब अपराध होते हैं, तब मुसलमानों को तो साँप सूँघ ही जाता है, गंगा-जमुनी तहजीब का भी अदरक-लहसुन हो जाता है।*

*🚩खैर, एनआरसी के जरिए इन दीमक मुसलमानों को, जो भारत के नहीं हैं, बाहर करना आवश्यक है क्योंकि वो भारत के मुसलमानों का हक छीन रहे हैं। किसी के वोटबैंक में इस तरह की सेंध लग जाए, और जो पहले से ही जनाधार खोते जा रहे हों, जिनके राज्यों में विकास और राष्ट्रवाद की बात करने वाली पार्टी लगातार बेहतर कर रही हो, वो आखिर इसका विरोध नहीं करेगी, मुसलमानों को नहीं उकसाएगी, तो करेगी भी क्या!*

*🚩आम मुसलमान जनता भीड़ बना कर या सोशल मीडिया पर संविधान की दुहाई देते हुए भावुक हो रही है कि मजहब के आधार पर किसी को भारत आने से रोकना नहीं चाहिए। ये लोग बहकाए गए हैं, या फिर जानबूझकर दंगे की स्थिति बना रहे हैं। ये इन्हें इकट्ठा कर के क़ानून व्यवस्था बिगाड़ने की फिराक में हैं जो कि चिंतनीय है। हाल ही में राम मंदिर पर आया फैसला ओवैसी जैसों के पैरों तले की जमीन खींच चुका है जो कि कई साल अपनी राजनीति हिन्दुओं के खिलाफ यही सब कह-कह कर चलाते रहे कि मुसलमानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।*

*🚩जबकि सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुसलमानों के साथ कौन सा अन्याय हुआ है? कहाँ के मुसलमान को वो नहीं मिल रहा जो हिन्दुओं को मिल रहा है? क्या कोई ऐसी योजना है, छात्रवृत्ति है, कोई कार्ड है, सिलिंडर है, बिजली है, बैंक अकाउंट है, बल्ब है, बीमा है, हॉस्पिटल है, स्कूल है, कॉलेज है, यूनिवर्सिटी है जहाँ सरकार ने कहा हो कि इसमें भारतीय मुसलमानों को नहीं रखा गया है? जहाँ तक सच्चाई की बात करें तो, पूरे देश में मुसलमानों को ले कर विशेष प्रावधान ही हैं कि जो सबको मिल रहा है, वो तो उन्हें मिले ही, उसके अलावा उनके लिए विशेष स्कूल हों, कॉलेज हों, छात्रवृत्ति हो, यूनिवर्सिटी हो, तमाम कल्याणकारी योजनाएँ हों। फिर मुसलमानों के साथ कौन सा अन्याय हो रहा है जिसकी बात ओवैसी या वामपंथी गीदड़ करते हैं?*

*🚩सत्य यही है कि बिना मुसलमानों को भड़काए कि देखो तुम्हें भगाने की तैयारी हो रही है, इनकी राजनीति चलेगी नहीं। साथ ही, इस तरह की बातें करके, कॉलेज में जाने वाले नए विद्यार्थियों को, जो कि पहली बार वोट देंगे, उन्हें यह बताया जा रहा है कि वर्तमान सरकार मानवीय मूल्यों के खिलाफ है। टिकटॉक पर विडियो बनाने वाली और फेसबुक पर सेल्फी लगा कर वैचारिक क्रांति में चे ग्वेरा का टीशर्ट पहन कर रेबेल होने वाली यह कॉलेजिया जनता वास्तविकता से बहुत दूर सोशल मीडिया पर सुनी-सुनाई बात लिखने लगती है। इसकी परिणति ध्रुव राठी जैसे गटरछाप लड़के के ट्वीट पर होती है कि भारत के विभाजन की बात सावरकर ने सबसे पहले की थी। न सिर्फ वो बात गलत है, बल्कि यह सोचना भी कि अगर सावरकर ने बात कह भी दी हो, तो क्या गाँधी और नेहरू ने सावरकर की बात मान कर विभाजन स्वीकारा?*

*🚩रामचंद्र गुहा से ले कर सारे लोग, इतिहास को बर्बाद करने के बाद अब विभाजन का जिम्मा भी दक्षिणपंथियों के माथे डालना चाह रहे हैं। बताया जा रहा है कि विभाजन मजहबी कारणों से नहीं हुआ। आप इनकी दोगलई देखिए कि ये किस स्तर पर चले जाते हैं। और ये इसलिए वहाँ जाते हैं क्योंकि हमने और आपने इनके झूठों पर सच्चाई का तमाचा मारना शुरू तक नहीं किया है।*

*🚩संविधान और सेकुलर शब्द की दुहाई देने वालों को यह ध्यान रखना चाहिए, सत्तर के दशक में जबरन घुसाए इस शब्द की संविधान निर्माताओं ने आवश्यकता नहीं समझी थी। ये किसकी शह पर घुसाया गया था? इसकी जरूरत क्या थी? जरूरत इसलिए थी कि इसे आधार बना कर हिन्दुओं को लगातार अत्याचारी के रूप में दिखाया जाए और जैसे ही कोई कुछ बोले, ‘सेकुलर’ तमाचा लगा दिया जाए। सेकुलर का अर्थ तब भी वही था, आज भी वही है: हिन्दुओं से घृणा करने वाला। हिन्दूविरोधी मानसिकता वालों ने इस शब्द का हर दिन मोलेस्टेशन किया है, इसके कपड़े उतारे हैं और दिन के उजाले में इस शब्द का मानमर्दन हुआ है।*

*🚩हिन्दू तो स्वभाविक तौर पर सेकुलर होता है इसलिए मूल रूप में संविधान में उसे रखने की जरूरत नहीं पड़ी। आपको क्या लगता है कि इतनी बड़ी मुस्लिम आबादी के यहाँ ठहरने के बाद भी राजेन्द्र प्रसाद या अंबेडकर समेत तमाम बुद्धिजीवियों और राजनेताओं को इसका विचार नहीं आया होगा कि हिन्दू बहुल देश में इतने भिन्न मतों के लोग अल्पसंख्यक हैं, तो उनके लिए अलग शब्द जोड़ा जाए? न तो भारत का संविधान उसे हिन्दू राष्ट्र लिख पाया, न ही सेकुलर।*

*🚩वो इसलिए क्योंकि इसकी राजनीति से परे, हिन्दुओं के मूलभूत स्वभाव, सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वसमावेशी होने की हजारों सालों की परंपरा के लिए यह अकल्पनीय है कि यह जनसंख्या कभी भी, किसी को भी प्रताड़ित करेगी या अपने बहुसंख्यक होने का लाभ उठाएगी। एक देश ऐसा हो जहाँ हिन्दुओं ने हमला बोल कर, पूरी आबादी को हिन्दू बनाया हो? एक उदाहरण ले आइए जहाँ तेरह साल की गैरहिन्दू बच्ची को किडनैप करके, जबरन हिन्दू बना कर, उससे शादी की जाती हो? लेकिन मुसलमान देशों में हिन्दुओं के साथ ऐसा होना आम है।*

*🚩किसी भी मुस्लिम राष्ट्र में किसी भी तरह का अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है, वहीं भारत जैसे हिन्दू-बहुल राष्ट्र में अपने हर त्योहार पर, अपने आराध्य की जन्मभूमि को ले कर, अपनी देवियों के प्रतिमा विसर्जन पर, अपने जयकारे और अभिवादन के शब्दों पर, अपने मंदिरों पर हर दिन, कहीं न कहीं मुसलमानों का अत्याचार झेलना पड़ रहा है। मुहर्रम है तो बंगाल में दुर्गा विसर्जन की तारीख अलग कर दी जाती है! बाबरी मस्जिद टूटने पर चिल्लाते हैं कि अरे तुमने हमारे मस्जिद में मूर्ति रख दी, लेकिन कितनी आसानी से भूल जाते हैं कि उन्होंने तो पूरी की पूरी मस्जिद ही मंदिर के ऊपर रख दी! हर दुर्गा पूजा में मुसलमानों द्वारा मूर्तियाँ तोड़ने और विसर्जन पर पत्थरबाजी की खबरें आम हैं।*

*🚩इसलिए, मुसलमान कहीं सताया जा रहा है, यह मानना बेमानी है। मुसलमान किसी मुसलमान राष्ट्र में प्रताड़ित किया जा रहा है, यह सुनना हास्यास्पद है। मुसलमानों के लिए विश्व के आधे राष्ट्र के दरवाजे खुले हुए हैं। जब सारी आस्था एक ही दिशा में जाकर परिपूर्ण हो रही है, तो फिर नागरिकता के लिए ऐसे देश में क्यों आना जहाँ के मुसलमान कह रहे हैं कि यहाँ हिन्दू सता रहे हैं! कायदे से इमरान खान को अपने यहाँ भी एक विधेयक लाना चाहिए जहाँ भारत के मुसलमानों के पास ऐसा विकल्प हो कि अगर उन्हें यहाँ प्रताड़ित किया जा रहा है तो वो पाकिस्तान आ सकते हैं। साथ ही, परेशान हिन्दुओं के लिए भी इमरान खान को प्रावधान करना चाहिए कि वो भी पाकिस्तान आ सकते हैं। और हाँ, इमरान को सबसे पहले पाकिस्तान को सेकुलर घोषित कर देना चाहिए ताकि हमारे वामपंथी कीड़े रेंगते हुए वहाँ पहुँच सकें।*

*🚩CAB या NRC से नही भारतीय किसी मुसलमान को नुकसान है या नही उनकी अधिकार कम किये जायेंगे बस दुनियाभर में प्रताड़ित हिंदू नागरिकता ले सकेंगे और घुसपैठ करके देश को तोड़ना चाहते है उनको भगाया जायेगा।*

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