Friday, December 20, 2019

नागरिकता संशोधन एक्ट का मामला उतना सीधा भी नहीं जितना बताया जा रहा है

20 दिसंबर 2019

*🚩नागरिकता संशोधन कानून की असल बात दोनों पक्षों ने छिपा ली। सरकार ने अपना दूरगामी लक्ष्य छिपा लिया और विपक्ष ने अपनी हार की तिलमिलाहट छिपाने के लिए संविधान की आड़ ले ली। कुछ बिंदुवार समझने की कोशिश करते हैं।*
*🚩क्या हैं इसके दूरगामी परिणाम:*

*●CAA के माध्यम से सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के वृषण भाग (अंडकोष) पर ऐसा घुटना मारा है जिससे ये तिलमिला तो गए हैं, लेकिन अपना दर्द नहीं बयां कर पा रहे हैं। सरकार ने ये बिल लाकर बिना इनका नाम लिए बिना पूरी दुनिया को बता दिया कि इन देशों में अल्पसंख्यकों (खासकर हिंदुओ) का उत्पीड़न हो रहा है।*
नागरिकता संशोधन कानून

*🚩◆बिल पास होते ही बांग्लादेश को दुनिया के सामने अपनी इज्जत बचाने के लिए कहना पड़ा कि वह अपने सभी नागरिकों को वापस लेने के लिए तैयार है और उन्होंने स्वीकार भी किया कि उनके यहां अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हुआ है।*

*🚩●कश्मीर में उत्पीड़न का आरोप लगाने वाले पाकिस्तान ने ऊल-जुलूल बयान दिया, लेकिन यूएन की रिपोर्ट ने उसकी पोल खोल दी।*

*🚩●इस बिल के आने से पाकिस्तान और बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यकों का उत्पीडऩ हो रहा था वह अब एक दस्तावेजी रिकॉर्ड बन गया है, जुबानी जमा खर्च नहीं है। भारत में जितने लोगों को यहां नागरिकता दी जाएगी ये दोनों देश उतने ही एक्सपोज होते जायेंगे।*

*🚩●इस बिल के पास होने के बाद ही बांग्लादेश ने रोहिंग्याओं को वापस लेने के लिए म्यांमार पर दबाव बना शुरू कर दिया है।*

*🚩●इस बिल के आने के बाद भारत में रह रहे तमाम अल्पसंख्यक पीड़ित खुलकर बता सकेंगे कि वे किस देश से आए हैं, इससे इन देशों की और पोल खुलेगी। इसके चलते इनको अपने यहां उन कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा, जिनका उपयोग ये दोनों देश  भारत को ब्लैकमेल करने के लिए करते हैं।*

*🚩विपक्ष ने क्या छिपाया अपना दर्द?*

*●विपक्ष को पता है कि इसका भारत के नागरिकों पर असर नहीं पड़ने वाला लेकिन 370, राम मंदिर, तीन तलाक पर प्रतिरोध न होना, सबकुछ शांति से निपट जाने पर विपक्ष काफी चकित था, उसे इस तरह का निष्कंटक राज पसंद नहीं आ रहा था। इसलिए उसने एनआरसी का डर दिखाकर लोगों को भड़काया, लेकिन देश में इतनी हिंसा हो गई इससे विपक्ष का ये पांसा भी उल्टा ही पड़ता दिखाई दे रहा है।*

*🚩● गृहमंत्री अमित शाह का ये कहना कि रोहिंग्या को हम रहने नहीं देंगे, एनआरसी तो हम लेकर ही आएंगे। भारत में पिछले 70 साल में इतनी स्पष्टता से संसद में किसी नेता ने भाषण नहीं दिया था। इस भाषण से देश के बहुत से स्वयंभू लोगों ने खुद को बहुत अपमानित महसूस किया, उनकी अकड़ को ठेस पहुंची।*

*🚩●मौलाना, पर्सनल लॉ बोर्ड, फतवेबाजों के फफोले भी इस बिल के माध्यम से फूट पड़े जो पिछले कई महीनों से इस सरकार की कारगुजारियों से कलेजे में पड़े हुए थे। इन्हें अपनी भड़ास निकालने का मौका मिल गया।*

*🚩अब आगे क्या?*

*●मौलानाओं, धर्म के ठेकेदारों, पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी अवैध संस्थाओं को डर है कि ये सरकार कॉमन सिविल कोड, जनसंख्या नियंत्रण कानून, एनआरसी पर बहुत तेजी से काम कर सकती है, इसलिए इसका एक ही उपाय है हिंसा। हिंसा फैलाकर देश-दुनिया का ध्यान खींचो, सरकार अपने आप कदम पीछे खींच लेगी।*

*🚩●सरकार इसको लिटमस टेस्ट भी मान सकती है क्योंकि 370, राम मंदिर, तीन तलाक पर जिस तरह से शांति रही थी, उससे सरकार मुगालते में आ गई थी, अब सरकार आगे की चीजों को करने से पहले अपनी जरूरी तैयारी करके रखेगी।*

*🚩●अब शायद हिन्दू बोलते ही चीखने, हिंसा करने वालों को शायद समझ में आ जाए कि एक तो चीखने का कोई फायदा नहीं, दूसरा आप लोग एक्सपोज हो चुके हो और तीसरा इस देश के नागरिक हिन्दू भी हैं, उनके लिए भी कुछ करने की जिम्मेदारी सरकार की है, सिर्फ एक ही समुदाय का तुष्टिकरण नहीं किया जा सकता।*

*🚩●इस सख्ती का तात्कालिक फायदा ये होता दिख रहा है कि फिलहाल बाकी देशों से घुसपैठिए थोड़ा ठिठकेंगे, जो खिसक सकते हैं वे तुरंत यहां से खिसकेंगे।*

*🚩●भारत को सराय समझने वाले यहां आने से पहले दस बार सोचेंगे। पड़ोसी सरकारें भी शायद हमारी सरकारों को गंभीरता से लेने लगेंगी, क्योंकि अब चीजें रिकॉर्ड पर आएंगी, हवाई किले बनाने के दिन लद गए।*

*कुछ लोग बोलते है की मजहब नहीं सिखाता आपस में वैर करना..*

*🚩लेकिन इन आंकड़ों को भी देखिए:*

*➡️ पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या 22% से घट के 1.7% क्यों हुई?*

*➡️बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या 31% से घट के 8% क्यों हुई?*

*➡️कश्मीर में हिंदुओं की संख्या 50% से घट के 0% क्यों हुई?*

*🚩हिंदुओं पर दशकों से अत्याचार हो रहा था, घुसपैठियों के कारण देश की सुरक्षा पर भी खतरा था, अब कोई सरकार सबको समान हक देने की बात करने लगी, देश की सुरक्षा के बारे में सोचने लगी तो सेक्युलर, वामपंथी, विपक्ष, कुछ मीडिया को पेट मे दर्द होने लगा हिंसा करवाने लगे कुछ लोग करने भी लगे ओर देश को ही नुकसान पहुँचाने लगे।*

*🚩हर हिंदुस्तान ऐसे देश व हिंदू विरोधी लोगो को पहचान ले और उनका संपूर्ण बहिष्कार करें और सरकार का समर्थन कर जिससे सरकार देश व संस्कृति के अच्छे कार्य कर सके।*

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भारत में CAA लागू करना क्यों जरूरी था?, नहीं होता तो क्या होता ?

19 दिसंबर 2019
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*🚩दुनिया भारत को "हिंदू देश" जानती है। अनुच्छेद 370 हटाने को सामान्य बताते हुए सऊदी प्रिंस ने कहा था कि "वह तो हिंदू देश है", लेकिन यही देश यानी भारत जब पड़ोस के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को शरण दे रहा है तो आपत्ति हो रही है। आपत्ति करने वालों में अग्रणी हिंदू परिवारों में जन्मे नेता और बुद्धिजीवी भी हैं। उन्हें बांग्लादेश और पाकिस्तान में प्रताड़ित हो रहे हिंदू धर्म-समाज के सिवा सबकी चिंता है। उन्हें हिंदू समाज के अतिरिक्त कहीं कोई अंधविश्वास, क्रूरता, गंदगी नहीं दिखती। यह विचित्र संवेदनहीनता है। विडंबना यह है कि यह संवेदनहीनता स्वतंत्र भारत में विकसित हुई।*
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*🚩भारतीय अर्थव्यवस्था में धीमेपन को ’हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ कहकर कोसा गया, जबकि कारण नेहरूवादी कम्युनिस्ट नीतियां थीं। हालांकि गत सात सौ साल से भारत हिंदू शासकों द्वारा नहीं, वरन विदेशियों से शासित रहा, फिर भी सारी गड़बड़ी का कारण हिंदू समाज को बताया जाता है। वस्तुत: लंबी विदेशी दासता और विजातीय शिक्षा ने एक वर्ग को आत्महीन बना दिया है। वे हिंदुओं पर होने वाले अन्याय, भेदभाव से निर्विकार रहते हैं, जबकि बाकी देश-विदेश के किसी भी समूह के लिए भरपूर परेशान होते हैं। इसी का नया उदाहरण सामने है।*
*🚩सत्तर वर्षों से उपेक्षित, अनाथ हिंदुओं, बौद्धों और अन्य ऐसे ही अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलने के निर्णय से वे तनिक भी प्रसन्न नहीं हुए। वे मुस्लिम आव्रजकों के लिए चिंतित हैं और इस पर संविधान की दुहाई दे रहे हैैं। यह भूलकर कि संविधान देश के नागरिकों पर लागू होता है, विदेशी लोगों पर नहीं। अन्य देशों, लोगों, घटनाओं आदि पर नीति आवश्यकतानुसार बनती है। जैसे यह तर्क मूर्खतापूर्ण है कि किसी देश के साथ संधि की तो दूसरे के साथ क्यों नहीं की? वैसे ही कहा जा रहा है कि एक शरणार्थी को लिया तो दूसरे को क्यों नहीं लिया?*
*🚩जो लोग अभी अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश के मुस्लिम ‘उत्पीड़ितों’ के लिए आहें भर रहे हैं, उन्होंने कभी भी देश के अंदर ही चार लाख कश्मीरी पंडितों के अपमान, विस्थापन और सामूहिक संहार पर एक बयान तक नहीं दिया, जुलूस और विरोध तो दूर की बात है। इसी तरह पाकिस्तान, बांग्लादेश, फिजी, मलेशिया आदि में हिंदुओं और अन्य अल्ससंख्यकों के साथ होते दुर्व्यवहार, जुल्म पर कभी एक शब्द नहीं कहा।*
*🚩अरब देशों में काम करने वाले लाखों हिंदू अपने धर्म-त्योहार नहीं मना सकते, मगर इस पर हमारे बौद्धिकों ने कभी औपचारिक प्रतिवाद नहीं किया। नागरिकता कानून पर सारे शोर-शराबे के पीछे भारतीय हितों के विरोध की राजनीति है। यह अन्य धर्मों के दुखियारों की चिंता हरगिज नहीं है। यह हिंदू धर्म-समाज पर चोट करने, लज्जित, अपमानित करने का नया बहाना है। इन निंदकों ने कभी जेहादियों या धोखाधड़ी से धर्मांतरण कराने वाले मिशनरियों की भी आलोचना नहीं की। माओवादियों, उग्रवादियों की क्रूर हिंसा पर भी उन्हें कुछ महसूस नहीं होता, किंतु कोई हिंदू संगठन अपने मंदिरों पर इस्लामी या सरकारी कब्जा हटाने की मांग करे तो इन्हें नागवार लगता है। वे अयातुल्ला खुमैनी और यासीर अराफात जैसे शासकों के लिए शोकमग्न होते हैं। यही भावना औपचारिक शिक्षा तक में घुसा दी गई है। पाठ्य पुस्तकों में महानतम हिंदू ज्ञान-ग्रंथों के प्रति भी तिरस्कार मिलता है, जबकि हिंसा और अंधविश्वास से भरी सामग्री के प्रति आदर भरे लंबे-लंबे अध्याय हैं।*
*🚩रोज घटने वाले ऐसे विचित्र कारनामों की सूची अंतहीन है। उनमें केवल एक समान तत्व है। हर हिंदू पीड़ा और चाह की निंदा, खिल्ली उड़ाना तथा हर मुस्लिम, ईसाई गतिविधि को समर्थन या उनका बचाव, चाहे वह गैर-कानूनी, हिंसक और अमानवीय ही क्यों न हो। नियमित ऐसे समाचार आते रहते हैं, लेकिन नागरिकता का मुद्दा जनसांख्यिकी समस्या से भी जुड़ा है, इसलिए यह अधिक गंभीर है। आज यूरोप और अमेरिका में भी जनसांख्यिकी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि यह जेहादी हथियार के रूप में भी प्रयोग हो रहा है।*
*🚩ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी की हालिया जीत में यह एक प्रमुख कारण है, जहां लोगों ने यूरोपीय संघ से अलग होने का निश्चय दोहराया। वे अरब से आने वाले शरणार्थियों को रोकना चाहते हैं, क्योंकि कई इस्लामी संगठनों की रणनीति मुस्लिम आबादी बढ़ाकर प्रभुत्व कायम करना है। बहुत पहले लाहौर में इस्लामी देशों की एक बैठक में यूरोप में मुस्लिम आव्रजन बढ़ाकर ‘जनसांख्यिकी प्रभुत्व’ की योजना घोषित की गई थी। कुछ भारतीय मुस्लिम नेता भी ऐसी बातें कहते रहते हैं। वे कश्मीर पर मुंह सिले रखते हैैं, पर बोस्निया, अफगानिस्तान, इराक जैसे देशों के लिए नियमित बयान जारी करते रहते हैं। यह पूरा परिदृश्य मामले की गंभीरता दिखाता है।*
*🚩पूर्वी यूरोप ने तो मुस्लिम आव्रजन पर पूरी पांबदी लगा दी है। आरके ओहरी की पुस्तक ‘लांग मार्च ऑफ इस्लाम’ में दुनिया के जेहादी आंदोलनों का लेखा-जोखा है। जब दुनिया में मुस्लिम आबादी 18 प्रतिशत थी तो केवल सात देशों में जेहाद चल रहा था। आज यह आबादी बढ़कर 22 प्रतिशत हो गई है तो तीस देश जेहाद की मार झेल रहे हैं। सीरिया, लेबनान, बोस्निया, कोसोवो इसके उदाहरण हैं।*
*🚩याद रहे कि भारत विभाजन भी जेहादी सिद्धांत पर हुआ था। मुस्लिम लीग के पाकिस्तान प्रस्ताव में भी जेहाद का उल्लेख था। फिर भारत में कश्मीर या बंगाल को भारत से अलग करने की बात भी केवल मुस्लिम संख्या बल के आधार पर ही की जाती रही है। तब क्या दुनिया के एकमात्र हिंदू देश भारत को फिक्र नहीं करनी चाहिए कि यहां जनसांख्यिकी और न बिगड़े? यहां के मुसलमान पहले ही अपने लिए एक अलग देश तक ले चुके हैं। ये बातें कोई सांप्रदायिकता, असहिष्णुता नहीं, बल्कि अपना धर्म और देश बचाने की चिंता है। इससे आंख चुराने को प्रगतिशीलता कहा जा रहा है। वास्तव में इसी कारण बंगाल और दिल्ली की हिंसा पर चुप्पी साधी जा रही है। यह एक सुनियोजित साजिश ही है कि पहले लोगों को उकसाया गया, फिर जब वे हिंसा पर उतरे तो अराजकता फैलाने वालों के बजाय पुलिस और सरकार को कोसा जा रहा है।*
*🚩यह दुखद है कि सेक्युलर-वामपंथी बौद्धिक जिस पीड़ा, अन्याय और भेदभाव की चिंता सारी दुनिया के लोगों के लिए करते हैं, वह सौ वर्षों से हिंदू भी झेल रहे हैं, किंतु हमारे विचित्र बौद्धिक इन्हें अपने हाल पर छोड़ अपना आक्रोश और दुख बाकी हरेक के लिए व्यक्त करते हैं। उन्हें समझना चाहिए कि व्यक्ति की तरह हर देश की भी अपनी आत्मा और नियति होती है। भारत की आत्मा और नियति हिंदू धर्म से जुड़ी है। इसकी रक्षा और चिंता करना किसी सच्चे भारतीय का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए। यह हमारे देश ही नहीं, विश्व के हित के लिए भी जरूरी है, लेकिन उसकी अनदेखी करने को ही बौद्धिकता का पर्याय बना दिया गया है। - डॉ. शंकर शरण*
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Wednesday, December 18, 2019

भारत में क्रिसमस डे की जगह तुलसी पूजन दिवस की मची है धूम

*🚩भारत में क्रिसमस डे की जगह तुलसी पूजन दिवस की मची है धूम*
18 दिसंबर 2019
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*🚩25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक क्रिसमस-डे मनाया जाता है, जिसमें त्यौहार के नाम पर दारू पीना, मांस खाना, पार्टी में दुष्कर्म करना, महिलाओं से छेड़छाड़ी करना आदि कृत्य होते हैं, ऐसे त्यौहार को कुछ भोले भारतवासी भी मनाने लगे थे पर अब धीरे-धीरे अपनी संस्कृति की तरफ लौट रहे हैं । भारतवासियों को लग रहा है कि क्रिसमस हमारी संस्कृति व सभ्यता को नष्ट कर देगी और हमारा जीवन बर्बाद कर देगी जिसकी वजह से क्रिसमस डे से उपराम हो रहे हैं ।*
Seva Activities

*🚩पश्चिमी संस्कृति का, क्रिसमस-डे, मनाने जैसा त्यौहार नहीं है इसलिए भारत में ज्यादातर लोगों ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने के लिए पहले से ही तुलसी पूजन शुरू कर दिया है, भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी इस दिन को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है ।*
*🚩इस बेवसाइट पर http://www.ashram.org/Ashram/SevaActivities आप देख सकते हैं ,देश-विदेश में 25 दिसम्बर निमित्त तुलसी पूजन की धूम मची है ।*
*🚩ट्वीटर पर भी रविवार ( 15 दिसंबर) को 25 दिसंबर तुलसी पूजन दिवस के निमित्त #तुलसी_पूजन_दिवस_एक_अनूठी_पहल हैश टैग के जरिये लगातार ट्वीट्स देखने को मिल रही हैं ।*
*🚩केवल भारत के ही लोग नहीं , बल्कि कैलिफोर्निया, दुबई आदि से भी लोग तुलसी पूजन करके ट्वीटस कर रहे हैं ।*
*🚩आपको बता दें कि 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का जमकर सेवन होता है, जिससे आत्महत्या जैसी घटनाएँ, युवाधन की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं इसलिए देश में सुख, सौहार्द, शांति बढ़े व जन-समाज का जीवन स्वस्थ और मंगलमय हो इस उद्देश्य से हिन्दू संत आसारामजी बापू की प्रेरणा से वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस मनाना प्रारम्भ हुआ । इस पर्व को जनता ने भी खूब सराहा और इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की । इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी ।*

http://www.ashram.org/Ashram/SevaActivities
*🚩तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ता है । मानसिक अवसाद, दुर्व्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।*
*🚩विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा-*
*🚩मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है। ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से चढ़ायी गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं।*
*🚩तुलसी पूजन की शास्त्रों में महिमा*
*🚩अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेकों आख्यान हैं ।*
*🚩वैज्ञानिक भी तुलसी को मानते हैं लोहा...*
*🚩डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘तुलसी में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है, कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धूम्रपान के कारण जो कोशों को हानि पहुँचानेवाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है ।*
*🚩अतः विष्णुप्रिया तुलसी हर घर में होनी चाहिए । सभी लोग संकल्प लें कि 25 दिसम्बर को तुलसी जी की पूजा करके उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेंगे।*
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Tuesday, December 17, 2019

हिंदुत्व के लिए आवाज उठा रहे हैं तो सावधान, हो सकती है जेल

17 दिसंबर 2019

*🚩सनातन हिंदू संस्कृति ही एक ऐसी संस्कृति है जो प्राणिमात्र का हित चाहती है और करती है, यही संस्कृति विश्वभर में फैलेगी, और उसके अनुसार मनुष्य चलने लगेगा तभी विश्व में शांति आ सकती है, और हर व्यक्ति स्वस्थ्य, सुखी और सम्मानित जीवन जी सकता है। लेकिन दुर्भाग्य यह है इस संस्कृति के प्रचार प्रसार करने के लिए जो आगे आते हैं उनको ही प्रताड़ित किया जाता है।*
JNU

*🚩अभिनेत्री पायल रोहतगी ने जब हिंदुत्व के लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया और एक के बाद एक सच्चाई सामने लाने लगी तब उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई और गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।*

*🚩बता दें कि पायल को बूँदी पुलिस ने रविवार (दिसंबर 15, 2019) को अहमदाबाद स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था। उन्हें लूट और हत्या समेत अन्य आपराधिक मामलों में आरोपित महिला कैदियों के साथ जेल में रखा गया था। हालांकि राजस्थान के बूँदी एडीजे कोर्ट ने जेल में बंद अभिनेत्री पायल रोहतगी को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उन्हें जमानत दे दी है।*

*🚩लेकिन जब देशविरोधी व हिंदू विरोधी नारे लगते हैं या लगाते हैं जैसे कि :-*

*● भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह" - जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी*

*● "हिंदुत्व की कब्र खुदेगी" - अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी*

*● "हम को चाहिए आज़ादी, हिंदू से चाहिए आज़ादी, छीन के लेंगे आज़ादी...।" - जामिया*

*● "15 मिनट पुलिस हटा दो, हिंदुओं को खत्म कर देंगे" - अकबरुद्दीन ओवैसी*

*🚩इनकी न गिरफ्तारी होती है और न ही जेल भेजा जाता है जबकि यही लोग देश तोड़ने का कार्य करते हैं।*

*🚩केवल पायलजी ने ही हिंदुत्व के लिए आवाज उठाई हो और उनको जेल हुई है ऐसा नहीं है इससे पूर्व में और वर्तमान में कई हिन्दूनिष्ठ व्यक्तियों को जेल भेजा गया है कई जगह तो उनकी हत्या भी करवा दी गई है, मीडिया भी उनको ही बदनाम करती है।*

*🚩साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, स्वामी असीमानंदजी, कर्नल पुरोहित, डीजी वंजारा जी आदि हिंदुनिष्ठ लोगों को सालों जेल में रखकर प्रताड़ित किया गया।*

*🚩शंकरचार्य जयेंद्र सरस्वती, स्वामी नित्यानंद आदि साधु-संतों को मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर जेल भिजवाया गया।*

*🚩वर्तमान में हिंदू संत आसारामजी बापू को जेल में रखा गया है, 6 साल में एक दिन भी जमानत नहीं दी गई जबकि हिंदू संत आसारामजी बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, आदिवासियों में जीवनोपयोगी सामग्री दी और हिंदू धर्म की महिमा बताई, जिससे धर्मांतरण वालों की दुकानें बंद हो गईं। उन्होंने करोड़ों लोगों को सदाचारी बनाया, भारतीय संस्कृति से अवगत कराया, करोड़ों लोगों के व्यसन छुड़वाए।  14 फरवरी को वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया,  25 दिसंबर को तुलसी पूजन शुरू करवाया जिससे विदेशी कम्पनियों की कमर टूट गई इसलिए ईसाई मिशनरियों व विदेशी कम्पनियों ने मिलकर कुछ नेताओं को खरीद लिया और उनपर झूठे केस करवाए तथा मीडिया को भारी फंडिग देकर उनकी बदनामी करवाई ।*

*🚩दारा सिंह उर्फ़ रविंदर पाल जी ग्राम ककोर , फफूंद , जिला औरैया के निवासी ने लाखों हिन्दुओं को ख़त्म कर देने वाले मिशनरी से लड़ाई लड़ी लेकिन 20 सालों से जेल में बंद है ये हिन्दू योद्धा !*

*🚩धर्मपरिवर्तन और गौ हत्या के विरुद्ध दारा सिंह के प्रतिकार की सजा इतनी भी नहीं होनी चाहिए जितनी उनको दी गयी।*

*🚩अब आप समझ गए होंगे कि हिंदुओं के लिए आवाज उठाने का परिणाम क्या आता है इसलिए आपको बताया गया कि हिंदुओं के लिए आवाज उठाने वाले सावधन, जेल भी हो सकती है।*

*🚩आपको स्पष्ट कर दें कि इन सब बातों से डरना नहीं चाहिए क्योंकि अपने धर्म में प्राण चले जाएं तो भी आखरी तक लड़ाई लड़नी चाहिए जैसे महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी महाराज, गुरु गोविंद सिंह, गुरु अर्जुनदेव, गुरु तेगबहादुरजी, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, चन्द्रशेखर आज़ाद आदि ने अपने धर्म की रक्षा के लिए अनेक यातनाएं सहन की यहाँ तक कि अपने  प्राण दे दिया लेकिन धर्म व देश की रक्षा के लिए एक कदम भी पीछे नहीं हटे आप भी उनका ही अनुसरण करना ।*

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