Friday, March 27, 2020

भारतीय नूतनवर्ष कैसे मनाएं ? जानिए आपके लिए अत्यंत उपयोगी बातें

22 मार्च 2020

*🚩चैत्र नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती हैं । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं । भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है । इस साल 25 मार्च 2020 को नूतनवर्ष प्रारंभ होगा ।*

*🚩अंग्रेजी नूतन वर्ष में शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार करते हैं लेकिन भारतीय नूतन वर्ष संयम, हर्षोल्लास से मनाया जाता है । जिससे देश में सुख, सौहार्द्र, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो जाता है ।*

*🚩 इस साल 25 अप्रैल को नूतन वर्ष मनाना है, भारतीय संस्कृति की दिव्यता को घर-घर पहुँचाना है ।*

*🚩हम भारतीय नूतन वर्ष व्यक्तिगतरूप और सामूहिक रूप से भी मना सकते हैं ।*

*🚩कैसे मनाएं नववर्ष ?*

*🚩1 - भारतीय नूतनवर्ष के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें । संभव हो तो चर्मरोगों से बचने के लिए तिल का तेल लगाकर स्नान करें ।*

*🚩2 - नववर्षारंभ पर पुरुष धोती-कुर्ता / पजामा, तथा स्त्रियां नौ गज/छह गज की साड़ी पहनें ।*

*🚩3 - मस्तक पर तिलक करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।*

*🚩4 - सूर्योदय के समय भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य देकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।*

*🚩5 - सुबह सूर्योदय के समय शंखध्वनि करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।*

*🚩6 - हिन्दू नववर्षारंभ दिन की शुभकामनाएं हस्तांदोलन (हैंडशेक) कर नहीं, नमस्कार कर स्वभाषा में दें ।*

*🚩7 -  भारतीय नूतनवर्ष के प्रथम दिन ऋतु संबंधित रोगों से बचने के लिए नीम, कालीमिर्च, मिश्री या नमक से युक्त चटनी बनाकर खुद खाएं और दूसरों को खिलाएं ।*

*🚩8 - मठ-मंदिरों, आश्रमों आदि धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कॉलेज, सोसायटी, अपने दुकान, कार्यालयों तथा शहर के मुख्य प्रवेश द्वारों पर भगवा ध्वजा फहराकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें  और बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भारतीय नववर्ष का स्वागत करें । हमारे ऋषि-मुनियों का कहना है कि बंदनवार के नीचे से जो व्यक्ति गुजरता है उसकी  ऋतु-परिवर्तन से होनेवाले संबंधित रोगों से रक्षा होती है ।  पहले राजा लोग अपनी प्रजाओं के साथ सामूहिक रूप से गुजरते थे ।*

*🚩9 - भारतीय नूतन वर्ष के दिन सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करें ।*

*🚩10 - भारतीय संस्कृति तथा गुरु-ज्ञान से, महापुरुषों के ज्ञान से सभी का जीवन उन्नत हो ।’ – इस प्रकार एक-दूसरे को बधाई संदेश देकर नववर्ष का स्वागत करें । एस.एम.एस. भी भेजें ।*

*🚩11 - अपनी गरिमामयी संस्कृति की रक्षा हेतु अपने मित्रों-संबंधियों को इस पावन अवसर की स्मृति दिलाने के लिए आप बधाई-पत्र भेज सकते हैं । दूरभाष करते समय उपरोक्त सत्संकल्प दोहराएं ।*

*🚩12 - ई-मेल, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया के माध्यम से भी बधाई देकर लोगों को प्रोत्साहित करें ।*

*🚩13 - नूतन वर्ष से जुड़े एतिहासिक प्रसंगों की झाकियाँ, फ्लैक्स लगाकर भी प्रचार कर सकते हैं ।*

*🚩14  - सभी तरह के राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संगठनों से संपर्क करके सामूहिक रुप से सभा आदि के द्वारा भी नववर्ष का स्वागत कर सकते हैं । इस साल कोरोना वायरस का कहर देखकर सामुहिक रूप से न मनायें।*

*🚩15 - नववर्ष संबंधित पेम्पलेट बाँटकर, न्यूज पेपरों में डालकर भी समाज तक संदेश पहुँचा सकते हैं ।*

*🚩सभी भारतवासियों को प्रार्थना हैं कि कलेक्टर, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति को भी भारतीय नववर्ष को सरकार के द्वारा सामूहिक रूप में मनाने हेतु ज्ञापन दें और व्यक्तिगत रूप में भी पत्र लिखें ।*

*🚩सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वो को बड़ी विशालता से जरूर मनाए ।*

*🚩 चैत्रे मासि जगद् ब्रम्हाशसर्ज प्रथमेऽहनि । -ब्रम्हपुराण*
*अर्थात ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण चैत्र मास के प्रथम दिन किया । इसी दिन से सतयुग का आरंभ हुआ । यहीं से हिन्दू संस्कृति के अनुसार कालगणना भी आरंभ हुई । इसी कारण इस दिन वर्षारंभ मनाया जाता है ।*

*🚩मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक दिवस, मत्स्यावतार दिवस, वरुणावतार संत झुलेलालजी का अवतरण दिवस, सिक्खों के द्वितीय गुरु अंगददेवजी का जन्मदिवस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का जन्मदिवस, चैत्री नवरात्र प्रारम्भ आदि पर्वोत्सव एवं जयंतियाँ वर्ष-प्रतिपदा से जुड़कर और अधिक महान बन गयी ।*

*🚩यश, कीर्ति ,विजय, सुख समृद्धि हेतु घर के ऊपर झंडा या ध्वज पताका लगाएं ।*

*🚩हमारे शास्त्रो में झंडा या पताका लगाने का विधान है । पताका यश, कीर्ति, विजय , घर में सुख समृद्धि , शान्ति एवं पराक्रम का प्रतीक है । जिस जगह पताका या झंडा फहरता है उसके वेग से नकरात्मक उर्जा दूर चली जाती है ।*

*🚩हिन्दू समाज में अगर सभी घरों में स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा फहरेगा तो हिन्दू समाज का यश, कीर्ति, विजय एवं पराक्रम दूर-दूर तक फैलेगा ।*

*🚩सभी हिन्दू घरों में वायव्य कोण यानि उत्तर पश्चिम दिशा में झंडा या ध्वजा जरूर लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पश्चिम कोण यानि वायव्य कोण में राहु का निवास माना गया है । ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है और घर में सुख व समृद्धि बढ़ती है।*

*🚩अतः सभी हिन्दू घरों में पीले, सिंदूरी, लाल या केसरिया रंग के कपड़े पर स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा अवश्य लगाना चाहिए । मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति मंदिर के ऊपर लहराता हुआ झंडा देखे तो कई प्रकार के रोग का शमन हो जाता है ।*

*🚩‘नववर्षारंभ’ त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाये और अपनी संस्कृति की रक्षा करेंगे ऐसा प्रण करें।*

*🚩आप सभी भारतवासी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.!!*

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हमारा नूतन वर्ष आ रहा है कल, जानिए इतिहास और इतना जरूर करें....

24 मार्च 2020

*🚩जो भारतवासी अंग्रेजों के नये साल में एक-एक माह पहले ही बधाई देने के लिये लाइन लगाए हुए थे कल उन्हीं भारतवासियों का नया साल  रहा है, लेकिन कोई भी भारतवासी मैसेज नहीं कर रहा है ।*

*🚩अंग्रेजों ने हमें कैसा मानसिक गुलाम बना लिया है इससे साफ पता चलता है कि जादी मिले भले 72 साल हो गये हों लेकिन मानसिक गुलामी नहीं गई है क्योंकि भारतवासी खुद का नववर्ष भूल गए हैं और अंग्रेजों का नववर्ष बड़े हर्षोल्लास से मना रहे हैं ।*

*🚩कवि ने इसपर कविता लिखी है प भी पढ़कर समझ जाएंगे कि हमें कौन सा नया साल मनाना है ?*

*ना पक्षियों की चहक, ना ही सुंदर-सुंदर फूलों की महक।*
*भयंकर ठिठुरती सर्दी में, जन जीवन भी सामान्य नहीं।।*

*01 जनवरी को नववर्षहै ईसाई नववर्ष।*
*यह नहीं है हिन्दू संस्कृति, यह हमें मान्य नहीं।।*

*ये नववर्ष हमारे संतों ने नहीं, पोप ग्रिगोरी 13वें ने चलाया था।*
*जनवरी महीने का ये नाम, जानूस गॉड के नाम पर बनाया था।।*

*क्यों मनाएँ हम ऐसा नववर्ष, जिसमें नहीं है कोई उत्कर्ष।*
*चैत्र मास शुक्लपक्ष प्रतिपदा को, ओ मनाएँ हिन्दू नववर्ष।।*

*सुंदर मनोरम इस दिन को, वसंत ऋतु का गमन होता है।*
*इस दिन वातावरण भी, विशेष सात्विकता संजोता है।।*

*पेड़ पौधे लहराते हैं, रंग बिरंगे सुंदर फूल महकते हैं।*
*देखकर प्रकृति की अनुपम सुंदरता, पक्षी भी चहकते हैं।।*

*ब्रह्माजी ने इस दिन सृष्टि रचना की, सतयुग का रंभ हु।*
*भगवान राम का राजतिलक हु, हिन्दू कालगणना का शुभारंभ हु।।*

*करने को सृष्टि की रक्षा, भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हु।*
*भगवान झूलेलाल का अवतरण हु, जिससे विश्व का उद्धार हु।।*

*महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, पंजाब में इसे बैशाखी बुलाते हैं।*
*ंध्र, तेलंगाना में उगाडी, असम में बिहू नाम से मनाते हैं।।*

*25 मार्च को नववर्ष स्वागत में, ओ हम सब मिलकर दीप जलाएं।*
*रंगोली बनाए, भजन संकीर्तन करें, घर घर भगवा पताका फहराए।।*
*-कवि सुरेंद्र कुमार*

*🚩हिन्दू संस्कृति के अनुसार इस साल 25 मार्च 2020 को नूतन वर्ष  रहा है । हिन्दू समाज पहले नूतन वर्ष बड़े धूम-धाम से मनाता था लेकिन दुर्भाग्य है कि अंग्रेजों ने अपना कैलेंडर रख दिया और इतिहास से वास्तविक नूतनवर्ष को गायब कर दिया जिसके कारण ज के हिन्दू भारत को गुलाम बनाने वाला नूतनवर्ष मना रहे हैं और अपना नूतनवर्ष भूल गए ।*

*★ चैत्रे मासि जगद् ब्रम्हाशसर्ज प्रथमेऽहनि ।*
*-ब्रम्हपुराण*

*🚩अर्थात ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण चैत्र मास के प्रथम दिन किया । इसी दिन से सतयुग का रंभ हु । यहीं से हिन्दू संस्कृति के अनुसार कालगणना भी रंभ हुई । इसी कारण इस दिन वर्षारंभ मनाया जाता है ।*

*इस साल सभी भारतीयों को चैत्री शुक्ल प्रतिपदा को अपने घर पर भगवा ध्वज फहरायें, सूर्य भगवान को अर्घ्य दें, शंख ध्वनि और भजन-कीर्तन करें।*

*★🚩प सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।*

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देश की इस विकट परिस्थिति में सिंधी समाज वाली युक्ति अपनानी चाहिए...

25 मार्च 2020

*🚩कोरोना वायरस के कारण भारत को 21 दिन तक लॉकडाउन किया गया इसके कारण कुछ देशवासी भयभीत भी हो रहे हैं। और कुछ सोच रहे हैं कि कहीं 21 दिन के बाद आगे भी कुछ ऐसी परिस्थिति तो नहीं बनी रहेगी?*

*🚩लेकिन कितनी भी विकट परिस्थिति आ जाये उससे भयभीत नहीं होना चाहिए बल्कि हमें श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान को याद करना चाहिए। जब अर्जुन भयभीत हो रहा था तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा कि सबकुछ छोड़कर मेरे शरण आ जा और तब अर्जुन भगवान की शरण गया तो विशाल कौरव सेना को हरा दिया, द्रोपदी का चिर हरण किया जा रहा था तब वहाँ कोई उनकी इज्जत नहीं बचा पा रहा था । आर्तभाव से भगवान को पुकारा और भगवान प्रकट होकर द्रोपदी की इज्जत बचा ली। ऐसे ही हमारे लिए कितनी भी विकट परिस्थिति आये, हमें ईश्वर शरण जाना चाहिए वे हमें मार्गदर्शन देंगे और विकट परिस्थिति को शीघ्र दूर करेंगे।*

*सिंध समाज पर भी एक ऐसी विकट आपदा आ पड़ी थी और प्रार्थना से दूर हो गई..।*

*🚩आपको बता दें कि सिंध स्थित हिन्दुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनाने हेतु वहाँ के नवाब मरखशाह ने फरमान जारी किया । उसका जवाब देने के लिए हिन्दुओं ने आठ दिन की मोहलत माँगी । अपने धर्म की रक्षा हेतु हिन्दुओं ने सृष्टिकर्त्ता भगवान की शरण ग्रहण की तथा 'कार्यं साधयामि वा देहं पातयामि...' अर्थात् ‘या तो अपना कार्य सिद्ध करेंगे अथवा मर जायेंगे’ के निश्चय के साथ हिन्दुओं का अपार जनसमूह सागर तट पर उमड़ पड़ा । सब तीन दिन तक भूख-प्यास सहते हुए प्रार्थना करते रहे तब अथाह सागर में से प्रकाशपुंज प्रगट हुआ । उस प्रकाशपुंज में निराकार परमात्मा अपना साकार रूप प्रगट करते हुए बोले : ‘‘हिन्दू भक्तजनों ! तुम सभी अब अपने घर लौट जाओ । तुम्हारा संकट दूर हो इसके लिए मैं शीघ्र ही नसरपुर में अवतरित हो रहा हूँ । फिर मैं सभी को धर्म की सच्ची राह दिखाऊँगा ।’’*

*🚩सप्ताह भर के अंदर ही संवत् 1117 के चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितिया को नसरपुर में ठक्कर रत्नराय के यहाँ माता देवकी के गर्भ से भगवान झूलेलाल ने अवतार लिया और हिन्दू जनता को दुष्ट मरख के आतंक से मुक्त किया । उन्हीं भगवान झूलेलाल का अवतरण दिवस ‘चेटीचंड’ के रूप में मनाया जाता है ।*

*🚩प्रार्थना से सबकुछ संभव है। सिंधी भाइयों की सामुहिक पुकार पर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए झूलेलाल जी का अवतरण, मद्रास के भीषण अकाल में श्री राजगोपालाचार्य द्वारा करायी गयी सामूहिक प्रार्थना के फलस्वरूप मूसलधार वर्षा होना आदि प्रसंग हम सबने सत्संग में सुने ही हैं, जिनसे सामूहिक प्रार्थना महिमा सुस्पष्ट हो जाती है ।*

*किसी ने कहा है.... " जब और सहारे छिन जाते, न किनारा मिलता है । तूफान में टूटी किस्ती का, भगवान सहारा होता है ।"*
 
*🚩सच्चे हृदय की पुकार को वह हृदयस्थ परमेश्वर जरूर सुनता है, फिर पुकार चाहें किसी मानव ने की हो या किसी प्राणी ने । गज की पुकार को सुन कर स्वयं प्रभु ही ग्राह से उसकी रक्षा करने के लिए वैकुण्ठ से दौड़ पड़े थे, यह तो सभी जानते हैं ।*

*■ पुराणों में कथा आती है -*

*🚩एक पपीहा पेड़ पर बैठा था । वहां उसे बैठा देखकर एक शिकारी ने धनुष पर बाण चढाया । आकाश से भी एक बाण उस पपीहे को ताक रहा था । इधर शिकारी ताक में था और उधर बाज । पपीहा क्या करता? कोई और चारा न देखकर पपीहे ने प्रभु से प्रार्थना की हे प्रभु! तू सर्व समर्थ है । इधर शिकारी है, उधर बाज है । अब तेरे सिवा मेरा कोई नहीं । हे प्रभु! तू ही रक्षा कर.....*

*🚩पपीहा प्रार्थना में तल्लीन हो गया । वृक्ष के पास बिल में से एक साँप निकला । उसने शिकारी को डंक मारा । शिकारी का निशाना हिल गया । हाथ में से बाण छूटा और आकाश में जो बाज मँडरा रहा था उसे जाकर लगा । शिकारी के बाण से बाज मर गया और साँप के काटने से शिकारी मर गया । पपीहा बच गया ।*

*🚩इस सृष्टि का कोई मालिक नहीं है ऐसी बात नहीं है । यह सृष्टि समर्थ संचालक की सत्ता से चलती है ।*

*🚩सृष्टि में चाहे किनी भी उथल-पुथल मच जाये लेकिन जब अदृश्य सत्ता किसी की रक्षा करना चाहती है तो वातावरण में कैसी भी व्यवस्था करके उसकी रक्षा कर देती है । ऐसे तो कई उदाहरण हैं ।*

*🚩अतः आज से हमें सुबह-शाम हर रोज भगवान को प्रार्थना करेंगे कि हे ईश्वर ! इस विकट परिस्थिति को आप ही सही कर सकते हैं। इस तरह के प्रार्थना करें तो भगवान इस महामारी से शीघ्र छुटकारा दिलवायेंगे।*

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कोरोना वायरस से बचने के अचूक उपाय और हिंदू संस्कृति की महिमा जानिए

26 मार्च 2020

*🚩आपने अभी तक सनातन हिंदू धर्म की कई परम्पराओं की खिल्ली उड़ाते आधुनिक लोगो को देखा होगा लेकिन उसका क्या उपयोग है और वे किसलिए किया जाता था आज सभी समाज रहे है, कोरोना जैसे भयंकर वायरस को भी कैसे रोक सकते है यह सभी भारतीय संस्कृति में पहले से ही आप भी यह लेख पढ़कर अपनी संस्कृति पर गर्व महसूस और खुद को सुरक्षित महसूस करेगें।*

*1. प्रातःकाल मे उठना और टहलना यह पुरातनकाल से ही हमारी परंपरा रही है किन्तु आधुनिकता या यूं कहें कि मैकालेवादी शिक्षित वर्ग कहने लगा आराम से सोओ...जबकि प्रातःकाल उठने के जो लाभ हैं आधुनिक विज्ञान खूब मानता है।*

*2. प्रातर्विधी से निवृत्त होना (सुबह से टहलने से शौचादि क्रियाओं से निवृत्त होकर ) पेट कि शुद्धि होती है पढ़े लिखे आधुनिक लोग भी और वैज्ञानिक इसे भलिभाँति जानते और मानते हैं।*

*3. शरीर शुद्धि:- शौचादि क्रियाओं से निवृत्त होकर हाथों को गाय के गोबर से भस्म बनती है उस राख से हाथों को मल मल कर धोनें से साफ होते हैं। साबुन कि आवश्यकता ही नहीं थी,इसका उपहास तथाकथित शिक्षितों ने उड़ाया और आज हाथ धोना ही उपाय है।*

*4.पवित्रता:- जिन वस्त्रों को पहन कर अग्नि संस्कार, शौचादि क्रियाऐं की जाती है उन्हें तत्काल धोनें की परंपरा है। इसलिए शौचालय से आने पर व स्मशान में तत्काल ही वस्त्रों सहित स्नान करते हैं। अब पन्द्रह-पन्द्रह दिनों तक पर्फ्यूम छींट कर नहीं नहाने वालों का क्या कहें क्योंकि वे मैकालेवादी शिक्षित हैं। हमारी परंपरा में जन्म के बाद और मृत्यु के बाद कुछ दिन का सूतक रखा जाता है, रजस्वला धर्म में स्त्रियों को हायजिन के चलते 5 दिन ससम्मान आराम दिया जाता है।  ये सब एक आयसोलेशन कि ही व्यवस्था है जिसकी आज विश्वभर में जरूरत आन पड़ी है।*

*5. मुख मंजन करना :- नीम, बबूल, पलाश, रतनजोत, राख, कोयला आदि से मंजन करने पर हंसी उड़ाई जाती थी किंतु फ्लोराइड परोसने वाली इंटरनेशनल कंपनियों द्वारा भी अब नीम,बबूल, कोयला अपने टूथपेस्ट होने का दावा कर के शिक्षित आधुनिक लोगों को बखूबी मूर्ख बनाया जा रहा है।*

*6. शुद्ध शाकाहार:- भोजन आदि मे प्रकृति से प्राप्त कंद,मूल,फल,अनाज आदि प्रचुर मात्रा मे उप्लब्ध हैं पर ना जाने क्या क्या...आप समझ सकते हैं बासी कूसा खाने को बड़ा फैशन समझते हैं आधुनिक लोग। अब पुनः उसी जगह आ गये ना...। सनातन हिंदू  धर्म ने हमें  पशुओं पर हाथ फेरना सिखाया है, छुरा फेरना नहीं । हमें गर्व है कि हमारी आलोचना दूध बहाने के लिए होती है, खून बहाने के लिए नहीं। शाकाहार सबसे सात्विक भोजन है। सनातन हिंदू धर्मावलंबी गर्व से कह सकता है कि उनके भोजन में किसी भी पशु-पक्षी या जलचर की चीख़ या रुदन शामिल नहीं है।*

*7. साधना :- साधना पद्धति मे एक दूसरे से निश्चित दूरी बनाए रखने का नियम होता है, इससे यह होता है कि साधना करनेवाले कि साधना दूसरे को स्पर्श न करने से साधना क्षीण नहीं होती। यही वह विशेष बात है जो आज हर एक वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी, आधुनिक मैकालेवादी युवा मानने पर विवश है। क्योंकि मजाक उड़ाकर एक दूसरे का स्पर्श कर कर ही 60%रोग दुनिया मे फैलाऐ हैं। आज ये महामारी के चलते  World Health Organization (WHO) ने निर्देश जारी किए है कि एक दुसरे से शेकहैेंड ना करे( हाथ ना मिलाए) और एक दुसरे से बात करते वक्त 1 मीटर की दुरी रखे। भारत में सदियों से एक दुसरे को हाथ जोडकर 🙏 नमस्कार करने की परंपरा है जिसे विश्व के बड़े बड़े नेताओ ने आज अपना लिया है।*

*8. झूठा भोजन न करना:- भारतीय संस्कृति मे शुद्ध व पवित्र भोजन करना ही वैध माना गया है और आज सारा विश्व इसे स्वीकार कर चुका है।*

*9. किसी अन्य का वस्त्र या शैय्या उपयोग न करना :- किसी दूसरे व्यक्ति के वस्त्रों मे उसके वाइब्रेशन होते हैं जो किसी अन्य पर प्रभाव छोड़ते हैं। आज विश्व स्वास्थ्य संगठन भी एसा करने से मना कर रहा है।*

*10. वसुधैव कुटुम्बकम :- सारा संसार एक कुटुम्ब है परिवार है यह भारतीय संस्कृति कहती आई है किंतु यहां कि जैवविविधता को नष्ट करने के दुष्परिणाम ही आज कोरोना के रूप मे पूरे विश्व के सामने विकराल रूप लेकर खड़ी है। परंतु आयुर्वेद और योग के निर्देश अनुसार इस प्रकार के सभी वायरस पर आसानी से जीत पा सकते। वायरस उन्ही पर हमला करता है जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, अंत अपनी प्रतिरोध क्षमता बढ़ाये और बीमारियों को भगाये...।*

*🚩कोरोना से बचने के उपाय*

*★टमाटर, फूल गोभी, लहसुन, अजवाइन, आँवला, तुलसी और संतरा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाता हैं। इस समय इनका उपयोग जरूर करें।*

*★रोज सुबह सूर्यनारायण को अर्घ्य देने से सूर्य चिकित्सा का लाभ मिलता है। रविवार को छोडकर प्रतिदिन तुलसी और पीपल को भी जल चढ़ाये, जिससे उसके पावरफुल वायब्रेशन का फायदा मिले।*

*★सुबह ताजी हवा में या धूप के वातावरण में प्राणायाम करने से रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। देशी गाय के गोबर के कंडे पर थोड़ा सा गाय का घी, गूगल व् कपूर का धुप करने से आसपास के विषाणु नष्ट होते है और वातावरण शुद्ध होता है। प्राणायाम खाली पेट करना होता है। भोजन किया है तो तीन घंटे बाद और पानी या अन्य कोई पेय पिया हो तो आधे-पौने घंटे बाद ही प्राणायाम करें।*

*★फिटकरी पारंपरिक सेनिटाइजर है। जब आप फिटकरी के पानी से अपने हाथों को धोते हो या स्नान मे उपयोग करते हो तब कोई भी विषाणु आपके शरीर पर जिंदा नहीं रह सकता। गरम पानी में फिटकरी डालकर कुल्ले करने से गले और मुँह के विषाणु नष्ट होते हैं। इस लिए स्नान एवं हाथ धोने के पानी में फिटकरी वाले पानी का उपयोग करें। असरकारक सेनिटाइजर बनाने के लिए १ लिटर पानी में २० ग्राम फिटकरी का + २० ग्राम कपूर का बारीक चुरा + नीम के पत्ते का थोड़ा रस मिलाकर एकरस कर दीजिए।*

*★ आप एक स्वच्छ टिस्यू पेपर या रुमाल और दो रबर रिंग से घर पर ही मास्क बना सकते हो, आपको कंपनी का बनाया हुआ मास्क की कोई आवश्यकता नहीं है।*

*★ दो लौंग, एक इलायची, एक कपूर की टिक्की,  अजवाइन, एक फुल जावित्री का और एक टुकड़ा फिटकरी का.... इन सबकी एक सूती कपड़े की पुड़िया बनाएं और हमेशा अपने पास रखें। अपने बच्चों के गले में ये पुड़िया अवश्य लटका दे। 3-4 दिन के बाद पुरानीं पुड़ीया को फेंक दे और नयी पुड़िया बना लें। साथ ही साथ थोड़ा सा तुलसी अर्क, नीम अर्क और गौमुत्र को पीते रहिए और अनावश्यक मुसाफ़री और मुलाकात को टाले.... बस हो गया काम.....‘कोरेना’ तो क्या, कोई वायरस आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता।*

*★प्रार्थना, ॐ का गुंजन, नामजप, ध्यान का सहारा जरुर लें, इससे सकारात्मकता बढ़ेगी और डर के माहौल में भी शांति और स्वस्थता का अनुभव होगा। शंख और घंट ध्वनि भी वातावरण नो पवित्र बनाती है। घंटनाद और शंखनाद करने से  जहाँ तक वो ध्वनि पहुँचती है वहाँ तक के सभी विषाणु और बैक्टीरिया का नाश हो जाता है। इसी लिए हमारे यहाँ त्रिकाल संध्या के समय शंख और घंटी बजाने कि परंपरा है।*

*★अपने आस पास ऐसे लोग हो, जिनका रहने-खाने का कोई ठिकाना ना हो ऐसे जरूरतमंद लोगों के लिए एवं पशु पंक्षियों के लिए भोजन-पानी देने कि सेवा जरुर करिए। इससे पूण्य बढ़ता है, पूण्य बढ़ने से ईष्ट मजबूत होता है और जिनका ईष्ट मजबूत होता है उनका अनिष्ट नहीं होता। हमारी संस्कृति का सूत्र है:*

 *|| परोपकाराय पुण्याय, पापाय परपीडनम् ||*

*★ साधू संतों का आदर करना: इस सनातन संस्कृति के वाहक है हमारे साधू-संत, जो सदियों से गुरु परंपरा द्वारा हमें इसका ज्ञान देते रहे हैं। लेकिन आजकल हमारी संस्कृति के प्रचार प्रसार करनेवाले प्रमुख संतों के विरुद्ध षड्यंत्र करके उन पर झूठे केस कर दिए जाते हैं, ताकि धर्मान्तरण करनेवाली विदेशी मिशनरियों का रास्ता साफ़ हो जाए। इस कार्य में वो अरबों रुपया लगा देते हैं और मीडिया को भी खरीद लेते हैं। जिससे मिडिया आपको सिर्फ हिंदू धर्म के साधू संतों के विरुद्ध अनर्गल कहानियाँ परोसती है। अब हमें मिडिया कि झूठी बातों को सच नहीं मानते हुए साधू-संतो का मजाक नहीं करना चाहिए, वरना इससे पाप कि कमाई होती है। आयुर्वेद में रोग के दूसरें कारणों के साथ साथ एक कारण पापकर्म भी बताया गया है इस लिए संतनिंदा से अवश्य बचिए। धर्मान्तरण करनेवाले को तो तगड़ा पगार और पेंशन मिलता है परंतु  हमारे देश के साधू-संत तो बिना पगार-पेंशन के दिन रात संस्कृति रक्षा के लिए लगे रहते हैं तो उनका सम्मान करना ही चाहिए। हमें भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म व् आयुर्वेद का ये सब ज्ञान हिंदू संत आशारामजी बापू द्वारा मिला है। जिन्होंने निर्दोष होते हुए भी जेल में बैठे बैठे विश्व मानव के कल्याण हेतु कोरोना से बचने के उपरोक्त उपाय बताए है ताकि सबका मंगल और सबका भला हो।  ऐसे सभी महान संत के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।*


*🚩आइए विश्व कि प्राचीन संस्कृति यानि कि हिंदू  संस्कृति को अपनाएं, सारे विश्व को विनाश से बचाएं।*


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ऐसा क्या बड़ा होने वाला है जिसको लेकर लाखों ट्वीट हुई है ?

02 फरवरी 2020

*🚩पश्चिमी देशों में 14 फरवरी को युवक युवतियाँ एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्डस, फूल आदि देकर वेलेन्टाइन डे मनाते हैं। यौन जीवन संबंधी परम्परागत नैतिक मूल्यों का त्याग करने वाले देशों की चारित्रिक सम्पदा नष्ट होने का मुख्य कारण ऐसे वेलेन्टाइन डे हैं जो लोगों को अनैतिक जीवन जीने को प्रोत्साहित करते हैं। इससे उन देशों का अधःपतन हुआ है। इससे जो समस्याएँ पैदा हुईं, उनको मिटाने के लिए वहाँ की सरकारों को स्कूलों में केवल संयम अभियानों पर करोड़ों डालर खर्च करने पर भी सफलता नहीं मिलती। अब यह कुप्रथा हमारे भारत में भी पैर जमा रही है।*

*🚩भारतवासी 14 फरवरी वेलेंटाइन डे के दुष्परिणाम जानकर अब उन्होंने एक कैम्पियन चलाई है जिसमें भाग लेने वाले अधिकतर युवक-युवतियां ही हैं उन्होंने इस बार ठान लिया है कि 14 फरवरी को हम मातृ-पितृ पूजन मनाएंगे और वेलेंटाइन डे का बहिष्कार करेंगे।*

*🚩रविवार 2 फरवरी को #14FebDayToWorshipParents हैशटेग लेकर टॉप ट्रेंड चल रहा जिसमे लाखों ट्वीट हुई, आइये जानते हैं क्या कह रही थी जनता?*
*★रेशु लिखती है कि विदेशी गंदगी 'वेलेंटाईन डे' से देश के युवावर्ग का चारित्रिक पतन होते देखकर Sant Shri Asaram Bapu Ji ने करुणा करके युवावर्ग के चारित्रिक उत्थान हेतु 2006 में  #14FebDayToWorshipParents की पहल की जो अब विश्वव्यापी होकर विश्व के 167 देशों में मनाया जा रहा है।*


*★नरेश ने लिखा कि पश्चिमी संस्कृति की देन हैं वेलेंटाइन डे यह हमारी संस्कृति नही है 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे मनाकर देश मे युवाओ का नैतिक और शारिरिक पतन होता हैं।#14FebDayToWorshipParents https://t.co/Q3C9TGarLV*

*★अश्विनी ने लिखा कि 14 feb को वैलेंटाइन जैसे कलंकित दिन को पूजनीय बनाकर Sant Shri Asaram Bapu Ji ने विश्व भर के लोगो में संस्कारों का सिंचन किया है मातृ पितृ पूजन दिवस मानवहित के लिए बहुत बड़ी सेवा है जिसके लिए समाज पूज्य बापूजी का सदैव आभारी रहेगा !https://t.co/EUJzDQu9Rk*

*★छगनलाल ने लिखा कि विश्व में बढ़ रहे वृद्धाश्रम में कई निर्दयी संतान अपने माँ, बाप को तड़पते हुये छोड़ देते हैं l इससे द्रवीभूत होकर Asaram Bapu Ji ने "मातृ पितृ पूजन दिवस" आरंभ करवाया जो विश्व का महान पर्व बन गया हैl https://t.co/2kry9CcNQS*

*★प्रीति लिखती है कि आपने अगर माता पिता की सेवा नही की, उन्हें भुलाया है तो आपकी तरक्की की कोई कीमत नही है फिर। दैवीय प्रेम केवल माता पिता देते हैं। अपनाइए मातृ पितृ पूजन दिवस।  https://t.co/qSL3drOWtv*

*★हिना ने लिखा कि माता पिता को वृद्धाश्रम में भेजकर उन्हें बेसहारा बनाना यह भारत के संस्कार नही है । अपितु श्रवण कुमार की तरह माता पिता की सेवा करना ये भारत के संस्कार है । तो आइए 14 फरवरी को बनाये MPPD।#14FebDayToWorshipParents  https://t.co/6W8qcrDysi*

*★उर्मिला लिखती है कि हमारे देश की संस्कृति को पश्चिमी संस्कृति के ग्रहण से बचाने के लिए Sant Shri Asaram Bapu Ji के द्वारा  #14FebDayToWorshipParents जैसे महान पर्व का शुभारंभ किया गया हैhttps://t.co/dQclsaHmzI*

*★केशव ने लिखा कि वर्तमान समय में युवा वर्ग अपने माता-पिता का तिरस्कार कर उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं, साथ ही आज के युवा पाश्चात्य सभ्यता को अपनाते दिख रहे हैं। मगर इस तरह के पूजन के आयोजन से बच्चों में अपने माता पिता के प्रति संस्कारों का सृजन होगा।*


*★देवांग ने लिखा कि माता पिता अपनी संतानों के लिए लिए धरती पर साक्षात भगवान होने चाहिए, अगर कोई व्यक्ति मंदिर ना भी जाए तो कोई बात नहीं लेकिन कभी अपने माता पिता का अपमान ना करें उसी से भगवान खुश जाते हैं।#14FebDayToWorshipParents  https://t.co/5zExHFnAby*

*★सत्य प्रकाश ने लिखा कि श्रवण कुमार ने त्रेतायुग में माता पिता की सेवा की तो आज कलयुग में भी उनकी मिसाल दी जाती हैं।  #14FebDayToWorshipParents जिन्होंने देश के सभी युवाओं में श्रवण कुमार जैसे संस्कार देने के लिए मातृ पितृ पूजन दिवस मनाने की शुरुआत की। https://t.co/gj2jCo4MLO*

*🚩यहाँ आपको कुछ ही ट्वीट बताई गई लेकिन रविवार को #14FebDayToWorshipParents हैशटेग को लेकर लाख से ऊपर ट्वीट हुई थी उसमे सबको एक ही अपील की जा रही थी कि वेलेंटाइन डे हमारी संस्कृति और हमारे देश की रीढ़ की हड्डी युवाओं का पतन कर रहा है अतः इसका त्याग करें और उसदिन हमारे माता-पिता की पूजा जरूर करें।*

*🚩हमें अपने परम्परागत नैतिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए ऐसे वेलेन्टाइन डे का बहिष्कार करना चाहिए। इस संदर्भ में हिंदू संत श्री आसारामजी बापू ने एक नयी पहल की है– 'मातृ-पितृ पूजन दिवस'। इसका हमे लाभ उठाना चाहिए जिसके कारण हम पतन के रास्ते से बच सकते हैं और अपने माँ-बाप की सेवा कर सकते हैं।*

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