Sunday, September 3, 2023

कन्हैयालाल हत्याकांड में जिसके घर मिली तलवार, उस फरहाद को कोर्ट से मिली जमानत

03 September 2023


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🚩NIA स्पेशल कोर्ट ने उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड में आरोपित फरहाद मोहम्मद को जमानत दे दी है। 24 अगस्त 2023 को फरहाद की जमानत अर्जी पर बहस हुई थी। इस पर शुक्रवार (1 सितम्बर) को फैसला आया। आरोप था कि फरहाद के पारिवारिक मकान से तलवार बरामद की गई थी। 


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फरहाद की जमानत की सुनवाई न्यायाधीश रविंद्र कुमार की अदालत में हुई। कन्हैयालाल हत्याकांड में NIA ने फरहाद को आर्म्स एक्ट 4/25 का आरोपित बनाया था। आरोपित की तरफ से बहस एडवोकेट अखिल चौधरी ने की।


 🚩NIA के वकील टीपी शर्मा ने कोर्ट से फरहाद को आदतन अपराधी बताया और उस पर पहले से ही 3 केस दर्ज होने की जानकारी भी दी । सरकारी वकील के मुताबिक फरहाद ने नूपुर शर्मा के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन के दौरान सिर तन से जुदा के नारे भी लगाए थे। 


🚩गौरतलब है कि 28 जून 2022 को कन्हैयालाल की मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद ने निर्मम तरीके से गला काटकर हत्या कर दी थी। कत्ल की वजह कन्हैयालाल के बेटे द्वारा सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा का सपोर्ट करना बताया गया था।


🚩फरहाद को जमानत देने पर चक्रपाणी महाराज ने बताया कि

आसाराम बापू जैसे हिंदू संत को 10 वर्षों से जमानत नहीं और कन्हैया कुमार के हत्यारे आतंकी जिहादी को 1 वर्ष में ही जमानत,अत्यंत निंदनीय,दो विधान,संतो को जेल,आतंकी को बेल स्वीकार नहीं, सरकारें वोट के लिए जिहादियों की तुष्टिकरण बंद करें,अन्यथा चुनाव में परिणाम भुगतने को तैयार रहे..।

https://twitter.com/SwamyChakrapani/status/1697854996895977937?t=tpImvKQUPZqa8C2F0qIWsA&s=19


🚩एक तरफ लालू यादव जो जातिवाद की राजनीति कर बिहार में आग लगाई खुल्ला घूम रहा है वही संत आशाराम बापू जो राष्ट्र विरोधियों के खिलाफ आवाज उठाते थे, इसलिए उनको जेल भेज दिया गया।


🚩क्या सरकार और न्यायलय जनता की आवाज सुनकर निर्दोष संत को रिहा करेगी?


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पाकिस्तान में 20 चर्च जले:कर्ता-धर्ता चुप !!

 पाकिस्तान में 20 चर्च जलाए गए...

पर चर्च के कर्ता-धर्ता चुप हैं, ऐसा क्यों !?


02 September  2023


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🚩लगभग 10 दिन पहले पाकिस्तान में कई चर्च (अनुमानित 20) जला दिए गए। ईसाइयों के लगभग 86 घर जला दिए गए। इस पर विश्व के मानवाधिकार संगठनों में लगभग चुप्पी है। भारत में चर्च की खिड़की का कांच भी टूट जाए तो प्रधानमंत्री तक शोर पहुंचता है।

अब पता नहीं क्यों भारत से लेकर वेटिकन तक के सभी चर्च पाक में घटित इस घटना पर लगभग चुप हैं? इनकी सहायता के लिए न तो कोई मदर टेरेसा है और न ही पाल दिनाकरन।


🚩क्या हुआ था...?

भारत विभाजन के समय बड़ी संख्या मे दलित हिंदूओ को पाकिस्तान मे ही रोक लिया गया। उनको भारत ना आने देने का कारण नाले/ गटर/ शौचालय की सफाई करवाना व सिर पर मैला ढोने का काम करवाना आदि था । इन्हे मुस्लिम नहीं बनाया गया , क्योंकि इस्लाम के मुताबिक़ ऐसी सफाई करना नापाक काम है और मुस्लिमो से सफाई कर्मचारी जैसा नापाक कार्य नहीं करवाया जा सकता। 

भारत की तत्कालीन नेहरू सरकार ने भी उनकी कोई सुध नहीं ली और ये दलित (हिन्दू) इस्लामिक रिपब्लिक पाकिस्तान की चक्की मे पिसते रहे...


🚩भारत के कश्मीर में भी सफाई कर्मचारी केवल गैर मुस्लिम ही होता था। 2019 तक इन्हें न कश्मीर की नागरिकता मिलती थी, न विधानसभा में वोट देने का हक, न आरक्षण और न ही अन्य कोई नौकरी। परन्तु भीम-मीम भाईचारे के चलते समूचे भारत के दलित नेता चुप थे। इसी भीम-मीम भाईचारे के चलते हरियाणा और मेवात में भी दलित पीड़ित हैं।  


🚩पाकिस्तान की संघीय जाँच एजेंसी की तफ़्तीश में पता ये चला था , कि कई मामलों में तो पाकिस्तान की इन ग़रीब ईसाई लड़कियों के अंग निकाल कर अंगों के अंतरराष्ट्रीय ब्लैक मार्केट में बेच दिया गया था।  जाँच में पता ये भी चला था, कि जिन लड़कियों को वेश्यावृत्ति के 'लायक़' नहीं समझा जाता था, उनके अंग निकाल कर बेच दिए जाते थे।


🚩ये है कम्युनिस्ट चीन और इस्लामिक रिपब्लिक पाकिस्तान की " गरीब इसाइयों " के प्रति हमदर्दी। तो इस बात पर ही पाकिस्तान में फूंक दिए गए चर्च और इसाइयों के घर...

बहरहाल अभी फिलहाल तो चर्च भी इस पर चुप हैं !!


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इतिहास: हिन्दुओं के साथ किया गया बड़ा धोखा !!

इतिहास में रक्षाबंधन के नाम पर हिन्दुओं के साथ किया गया बड़ा धोखा ! पूरा लेख अवश्य पढ़ें....



31 August 2023

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🚩बचपन से हमें पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता रहा है,कि रक्षाबंधन के त्योहार पर बहनें अपने भाई को राखी बांध कर उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं। रक्षाबंधन का सबसे प्रचलित उदाहरण चितौड़ की रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूँ का दिया जाता है। कहा जाता है, कि जब गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर हमला किया तब चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को पत्र लिख कर सहायता करने का निवेदन किया। पत्र के साथ रानी ने भाई समझ कर राखी भी भेजी थी। हुमायूँ रानी की रक्षा के लिए आया मगर तब तक देर हो चुकी थी। रानी ने जौहर कर आत्महत्या कर ली थी। इस इतिहास को हिन्दू-मुस्लिम एकता के तौर पर पढ़ाया जाता है।


🚩अब सेक्युलर घोटाला पढ़िए


🚩हमारे देश का इतिहास सेक्युलर इतिहासकारों ने लिखा है। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम थे। जिन्हें साम्यवादी विचारधारा के नेहरू ने सख्त हिदायत देकर यह कहा था कि जो भी इतिहास पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये उस इतिहास में यह न पढ़ाया जाये कि मुस्लिम हमलावरों ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ा, हिन्दुओं को जबरन धर्मान्तरित किया, उनपर अनेक अत्याचार किये। मौलाना ने नेहरू की सलाह को मानते हुए न केवल सत्य इतिहास को छुपाया अपितु उसे विकृत भी कर दिया।


🚩रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूँ के किस्से के साथ भी यही अत्याचार हुआ। जब रानी को पता चला कि बहादुर शाह उसपर हमला करने वाला है तो उसने हुमायूँ को पत्र तो लिखा। मगर हुमायूँ को पत्र लिखे जाने का बहादुर शाह को पता चल गया। बहादुर शाह ने हुमायूँ को पत्र लिखकर इस्लाम की दुहाई दी और एक काफिर की सहायता करने से रोका।

मिरात-ए-सिकंदरी में गुजरात विषय में पृष्ठ संख्या 382 पर लिखा मिलता है-


🚩सुल्तान के पत्र का हुमायूँ पर बुरा प्रभाव हुआ। वह आगरे से चित्तौड़ के लिए निकल गया था। अभी वह ग्वालियर ही पहुंचा था। उसे विचार आया, “सुल्तान चित्तौड़ पर हमला करने जा रहा है। अगर मैंने चित्तौड़ की मदद की तो मैं एक प्रकार से एक काफ़िर की मदद करूँगा। इस्लाम के अनुसार काफ़िर की मदद करना हराम है। इसलिए देरी करना सबसे सही रहेगा।” यह विचार कर हुमायूँ ग्वालियर में ही रुक गया और आगे नहीं सरका।


🚩इधर बहादुर शाह ने जब चित्तौड़ को घेर लिया। रानी ने पूरी वीरता से उसका सामना किया। हुमायूँ का कोई नामोनिशान नहीं था। अंत में जौहर करने का फैसला हुआ। किले के दरवाजे खोल दिए गए। केसरिया बाना पहनकर पुरुष युद्ध के लिए उतर गए। पीछे से राजपूत वीरांगनाएं जौहर की आग में कूद गईं। रानी कर्णावती 13000 स्त्रियों के साथ जौहर में कूद गईं। 3000 छोटे बच्चों को कुएँ और खाई में फेंक दिया गया ताकि वे मुसलमानों के हाथ न लगे। कुल मिलकर 32000 निर्दोष हिन्दुओं को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा।


🚩बहादुर शाह किले में लूटपाट कर वापिस चला गया। हुमायूँ चित्तौड़ आया। मगर पूरे एक वर्ष के बाद आया। परन्तु किसलिए आया? अपने वार्षिक लगान को इकठ्ठा करने आया।

ध्यान दीजियेगा... यही हुमायूँ जब शेरशाह सूरी के डर से रेगिस्तान की धूल छानता फिर रहा था। तब उमरकोट सिंध के हिन्दू राजपूत राणा ने हुमायूँ को आश्रय दिया था। यहीं उमरकोट में अकबर का जन्म हुआ था। एक काफ़िर का आश्रय लेते हुमायूँ को कभी इस्लाम याद नहीं आया।


🚩और धिक्कार है ऐसे राणा पर... जिसने अपने हिन्दू राजपूत रियासत चित्तौड़ से दगा करने वाले हुमायूँ को आश्रय दिया। अगर हुमायूँ वहीं रेगिस्तानों में मर जाता , तो शायद भारत से मुग़ल साम्राज्य का अंत तभी हो गया होता ।

और ना ही आगे चलकर अकबर से लेकर औरंगज़ेब तक के अत्याचार हिन्दुओं को सहने पड़ते।


🚩यहां यह भी याद दिलाना जरूरी है , कि यह हुमायूँ उसी बाबर का बेटा , जिसने न जाने कितने हजारों मन्दिरों को विध्वंस करवाया । हिन्दुओ पर कहर बनकर बरसा और हिन्दू महिलाओं पर अत्याचार, बलात्कार किया/ करवाया । इसी बाबर ने अयोध्या जी स्थित भगवान श्री राम के जन्मभूमि को हड़प कर , मन्दिर को नष्ट कर वहां बाबरी मस्जिद खड़ी कर दी थी ।


🚩इरफ़ान हबीब, रोमिला थापर सरीखे इतिहासकारों ने इतिहास का केवल विकृतिकरण ही नहीं किया अपितु यह कहना ही उचित होगा कि , उसका पूरा बलात्कार ही कर दिया।


🚩हुमायूँ द्वारा इस्लाम के नाम पर की गई दगाबाजी को हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे का जामा पहनाने के लिए, रक्षाबंधन जैसे परम् पवित्र त्यौहार का नाम भी बड़ी कुटिलता से इस बनावटी कहानी में जोड़ दिया गया ।


🚩हमारे पाठ्यक्रम में बचपन से ही ऐसा सब कचरा पढ़ा-पढ़ा कर हिन्दू बच्चों को इतना भ्रमित किया गया , कि उन्हें कभी सत्य का ज्ञान ही न हुआ और अगर कोई सच्चाई सुनाए भी तो विश्वास ही न आए ।


🚩 विड़बना ही है कि आज हिन्दुओं के बच्चे दिल्ली में उसी धोखेबाज और अहसानफरामोश हुमायूँ के मकबरे के दर्शन करने जाते हैं। जहाँ पर गाईड भी उन्हें हुमायूँ को हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक के रूप में बताता हैं।


🚩इस लेख को आज रक्षाबंधन के दिन इतना फैलाएं, इतना फैलाएं कि देशभर में दीमक की तरह चिपके हुए और नासूर की तरह सड़न फैलाने वाले सेक्युलर घोटालेबाजों तक भी यह अवश्य अवश्य पहुंच जाए।

सत्य सनातनधर्म की जय हो !!

जय हिन्द ! जय भारत माता !!


           -डॉ. विवेक आर्य


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Thursday, August 31, 2023

वर्ष 2013 में 31 अगस्त की आधी रात को आशाराम बापू को गिरफ्तार क्यों किया था ? जानिए.....

 31 August 2023


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🚩आज से 11 साल पहले 31 अगस्त 2013 को ठीक रात के 12 बजे 87 वर्षीय हिन्दू संत आशारामजी बापू की गिरफ्तारी हुई थी। विदेशी फंडिंग वाली मीडिया ने आज तक जितना उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल चलाया होगा शायद किसी के खिलाफ चलाया होगा, क्योंकि कांग्रेस सरकार के समय हिंदू धर्म के पक्ष में कोई बोलता नही था उस समय आशाराम बापू ने ईसाई बना दिए गए लाखों हिंदू आदिवासियों की घर वापसी करवा दी थी, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति कट्टर बना दिया था, सैंकड़ों गुरुकुल और 17000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित किया, कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर अनेकों गौशालाएं खोल दी, वेलेंटाइन डे के दिन करोडों लोगों द्वारा मातृ-पितृ पूजन शुरू करवा दिया । विदेशों में भी उनके लाखों अनुयायी बन चुके थे और वे भारतीय संस्कृति की वहाँ प्रचार करने लगे थे, करोड़ों लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया उसके बाद उन करोडों लोगों ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया, क्लबों में जाना छोड़ दिया, ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे, स्वदेशी अपनाने लगे इसके कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अरबों-खरबों रुपयों का घाटा हुआ और ईसाई मिशनरियों की धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं, फिर पूरे सुनियोजित ढंग से उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया।


🚩बताया जाता है कि अरबों-खरबों का कंपनियों को घाटा होने और धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने के कारण हिन्दू धर्म व राष्ट्र विरोधी ताकतों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा । डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के सुरेश चव्हाणके जी ने बताया है कि आशाराम बापू को पहले ही बता दिया था कि आप जो धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं, उसके कारण वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे सोनिया गांधी को बोलकर आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहा है, पर आशारामजी बापू ने कहा कि “देश व धर्म की रक्षा के लिए सूली पर चढ़ जाऊंगा लेकिन हिन्दू धर्म की हानि नहीं होने दूंगा।”


🚩आपको बता दें कि उनके खिलाफ षडयंत्र तो 2004 से शुरू हो गया था क्योंकि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी की गिरफ्तारी के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था । 2008 में साजिस ने जोर पकड़ा। उसमें उनके गुरुकुल के दो बच्चों की संदिग्ध रीति से मौत हो गई और तांत्रिक विद्या बताकर मीडिया ने उनके विरुद्ध इतना कुप्रचार किया कि आम जनता में भी रोष व्याप्त होने लगा; बाद में सुप्रीम कोर्ट ने और उसके बाद गुजरात सरकार ने क्लीनचिट दी लेकिन मीडिया ने क्लीनचिट की खबर छुपा दिया। 2008 में उनको जेल भेजने की तैयारी थी, लेकिन उनके मंसूबे पूरे नहीं हुए लेकिन विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया उनके वैदिक होली का कुप्रचार करने लगी अर्थात उनके हर सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार कार्य की आलोचना करने लगी, उनको बदनाम करना जारी रखा।


🚩साल 2013 में उनके खिलाफ एक FIR दर्ज हुई लेकिन आपको बता दें कि आरोप लगाने वाली लड़की रहने वाली थी शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) की थी, पढ़ती थी छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) में, घटना जोधपुर (राजस्थान) की बता रही है और FIR करवाती है तथाकथित घटना के 5 दिन बाद दिल्ली में वो भी रात के 02:45 बजे; दिलचस्प बात तो ये है कि FIR में उस लड़की ने लिखवाया है कि मैं कमरे के अंदर थी और मुझ पर आशाराम बापू ने डेढ़ घण्टे तक हाथ घुमाया और मेरी माँ कमरे के बाहर गेट पर बैठी थी। तो क्या लड़की चिल्ला नहीं सकती थी? चिल्लाती तो तुरन्त ही उसकी मां को पता चल जाता। दूसरी बात कि वो घटना रात को 10:30 के आसपास की बता रही थी जबकि वो जिसके घर में रुकी थी वे लोग बता रहे थे कि 10:30 बजे तो हमारे घर में थी और हमने दरवाजा को लॉक कर दिया था और कॉल डिटेल के अनुसार तथाकथित घटना के समय लड़की अपने एक फ्रेंड से बात कर रही थी। जिनके घर पर वो रुकी थी,उन्होंने भी बताया कि सुबह हमारे साथ लड़की हंस खेल रही थी, हम उनको स्टेशन पर भी छोड़कर आये फिर उनको अचानक क्या हुआ कि FIR कर दिया। FIR करने के बाद आरोप लगाने वाली लड़की को उसकी सहेली ने पूछा कि ऐसे झूठे आरोप क्यों लगा रही है ?? तो उसने जवाब दिया कि मेरे को मेरे माता-पिता जैसे बोल रहे हैं वैसा कर रही हूं। फिर लड़की जो तथाकथित घटना बता रही है तो उस समय तो आशाराम बापू किसी कार्यक्रम में थे, उनके साथ 50-60 लोग भी थे जिन्होंने कोर्ट में गवाही भी दी है।


🚩आपको बता दें कि जब लड़की का मेडिकल करवाया गया लेकिन रिपोर्ट में एक खरोंच का निशान तक भी नहीं आया अर्थात लड़की को टच भी नही किया गया था और FIR में भी लिखा है कि रेप हुआ ही नहीं सिर्फ हाथ घुमाया। लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में वो भी बात खारिज हो गई लेकिन मीडिया ने दुष्प्रचार किया कि लड़की के साथ रेप हुआ है, जबकि खुद जांच ऑफिसर अजय पाल लाम्बा ने बताया कि रेप का आरोप है ही नहीं, तथाकथित छेड़छाड़ का आरोप है, फिर भी विदेशी फंडेड बिकाऊ मीडिया उनको बदनाम करती रही।


🚩आपको ये भी बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जन राज सुराणा ने न्यायालय में साजिश का खुलासा करते हुए बताया था कि Prosecution Witness PW-06 मणई फार्म हाउस के मालिक रामकिशोर ने ये कहीं नहीं कहा कि 15/08/2013 को लड़की या उसके माता-पिता रात्रि को 10 बजे कुटिया या कुटिया के आस-पास गए तो फिर जो रेप कमिट हुआ क्या वो हवा में कमिट हुआ ? इन्होंने उसके existence को ही नकार दिया।


🚩अब प्रश्न ये पैदा होता है कि ये लड़की आखिर आरोप क्यों लगा रही है? इसके लिए हमने जिज्ञासा भावसार का स्टेटमेंट रीड किया। इसमें अमृत प्रजापति, कर्मवीर, राहुल सचान, महेंद्र चावला आदि जो बहुत से गवाह थे उन्होंने मिलकर conspiracy (षड्यंत्र) की- ऐसा कहा गया है। उनके अहमदाबाद स्थित आश्रम को एक फैक्स भेजा था जिसमें अमृत प्रजापति व उनके साथियों के द्वारा ये कहा गया था कि 50 करोड़ रुपये दो वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ। हम झूठी लड़कियां तैयार करेंगे, प्लांट करेंगे जिसके कारण बापूजी जिंदगी भर तक जेल में रहेंगे, कभी बाहर नहीं आ सकेंगे।


🚩इस बात के लिए साजिस वडोदरा (गुजरात) में की गई थी। जिसमें इंडिया न्यूज के दीपक चौरसिया (वर्तमान में जी न्यूज़) भी शामिल था जो मीडिया के ऊपर प्रचार प्रसार कर रहा था, कर्मवीर (परिवादिता का पिता) भी शामिल था। सबने मिलकर जो conspiracy की थी वो जिज्ञासा भावसार के सामने की थी। इन सबका जो एक motive था, वो 50 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का था। 50 करोड़ नहीं देने के कारण से मणई गाँव का पूरा घटनाक्रम बनाया गया है।


🚩इस तरीके से सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया और उनको 76 उम्र में आधी रात में गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट में चल रहे ट्रायल जिसमें अपराध सिद्ध नहीं हुआ और जो 5 साल तक केस चला लेकिन उनको जमानत नहीं दी गई जबकि उनके केस की पैरवी दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी पैरवी कर चुके हैं और उनको लड़की के बयान को सही मानते हुए POCSO एक्ट लगाकर सेशन कोर्ट ने उम्रकैद सजा सुना दी,जबकि लड़की बालिग थी, उसके अलग अलग बर्थ सर्टिफिकेट से साबित भी हुआ था और बापू आशारामजी के पास निर्दोष होने के अनेकों प्रमाण हैं, फिर भी उन्हें उम्र कैद की सजा सुना दी गई । वो भी केवल एक लड़की के बयान पर। आपको बता दें कि निचली अदालत के कई फैसले हाईकोर्ट ओर सुप्रीम कोर्ट बदल देती है क्योंकि कई बार जल्दीबाजी में गलत निर्णय ले लिया जाता है। खैर जब वे ऊपरी कोर्ट में जायेंगे निर्दोष बरी होंगे लेकिन उनका देश व धर्म के लिए कार्य करने का इतना कीमती समय कौन लौटा पायेगा?


🚩सलमान खान को निचली अदालत से सजा होने के बाद 1 घंटे में ही ऊपरी कोर्ट तुरंत जमानत दे देती है और आतंकवादियों के हथियार रखने वाले संजय दत्त को बार बार पेरोल देती रही वो ही न्यायालय हिंदू संत आसाराम बापू को 10 साल में एक दिन भी जमानत अथवा पेरोल नहीं दे पाई।


🚩जो कानून पूरे भारत में कोरोना फैलाने वाले मौलाना साद को और दिल्ली के इमाम बुखारी पर सैंकड़ों गैर जमानती वारंट होने के बाद भी आजतक गिरफ्तार नहीं कर पाया वही कानून हिंदू संत आशाराम बापू को 10 साल से जेल में रखे है और मीडिया भी सिर्फ हिंदू धर्म के साधु-संतों के खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर बदनाम करती है वही मीडिया इन सबपर चुप है और सेक्युलर हिंदू तो वामपंथी मीडिया की बात को मानकर अपने ही धर्मगुरुओं के खिलाफ बोलना चालू कर देते हैं।


🚩इसलिए हिंदू अब समझ जाओ कि सनातन धर्म की रक्षा करने वालों को कैसे फंसाया जाता है, अभी समय है अपने धर्मगुरुओं के खिलाफ हो रहे षड्यंत्र पर आवाज उठाओ, उनकी रिहाई करवाओ नहीं तो आने वाले समय पर देश अफगानिस्तान जैसा न बन जाए।


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Wednesday, August 30, 2023

रक्षा बंधन कब और कैसे शुरू हुआ

कौन सी राखी बांधने से साल भर रक्षा बनी रहती है भाई की जानिए...... 


30 August 2023


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🚩भारतीय संस्कृति में श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जानेवाला रक्षाबंधन पर्व भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व मात्र रक्षासूत्र के रूप में राखी बाँधकर रक्षा का वचन देने का ही नहीं, वरन् प्रेम, स्नेह, समर्पण, संस्कृति की रक्षा, निष्ठा के संकल्प के जरिये हृदयों को बाँधने का वचन देने का भी पर्व है। हमारी भारतीय संस्कृति त्याग और सेवा की नींव पर खड़ी होकर पर्वरूपी पुष्पों की माला से सुसज्जित है। इस माला का एक पुष्प रक्षाबन्धन का पर्व भी है। इस साल 30 अगस्त को रक्षाबंधन है।


🚩वैदिक रक्षासूत्र बाँधने की परम्परा तो वैदिक काल से रही है, जिसमें यज्ञ, युद्ध, आखेट, नये संकल्प और धार्मिक अनुष्ठान के आरम्भ में कलाई पर सूत का धागा (मौली) बाँधा जाता है।


🚩कैसे शुरू हुआ रक्षाबंधन


🚩सब कुछ देकर त्रिभुवनपति को अपना द्वारपाल बनानेवाले बलि को लक्ष्मीजी ने राखी बाँधी थी। राखी बाँधनेवाली बहन अथवा हितैषी व्यक्ति के आगे कृतज्ञता का भाव व्यक्त होता है। राजा बलि ने पूछा : ‘‘तुम क्या चाहती हो?” लक्ष्मीजी ने कहा : ‘‘वे जो तुम्हारे नन्हे-मुन्ने द्वारपाल हैं, उनको आप छोड़ दो।” भक्त के प्रेम से वश होकर जो द्वारपाल की सेवा करते हैं, ऐसे भगवान नारायण को द्वारपाल के पद से छुड़ाने के लिए लक्ष्मीजी ने भी रक्षाबंधन-महोत्सव का उपयोग किया।


🚩शचि ने इन्द्र को राखी बाँधी तो इन्द्र में प्राणबल का विकास हुआ और इन्द्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की। धागा तो छोटा सा होता है लेकिन बाँधने वाले का शुभ संकल्प और बँधवाने वाले का विश्वास काम कर जाता है।


🚩कुंती ने अभिमन्यु को राखी बाँधी और जब तक राखी का धागा अभिमन्यु की कलाई पर बँधा रहा तब तक वह युद्ध में जूझता रहा। पहले धागा टूटा, बाद में अभिमन्यु मरा। उस धागे के पीछे भी तो कोई बड़ा संकल्प ही काम कर रहा था कि जब तक वह बँधा रहा, अभिमन्यु विजेता बना रहा।


🚩लोकमान्य तिलक जी कहते थे कि मनुष्यमात्र को निराशा की खाई से बचाकर प्रेम, उल्लास और आनंद के महासागर में स्नान कराने वाले जो विविध प्रसंग हैं, वे ही हमारी भारतीय संस्कृति में हमारे हिन्दू पर्व हैं। हे भारतवासियों ! हमारे ऋषियों ने हमारी संस्कृति के अनुरूप जीवन में उल्लास, आनंद, प्रेम, पवित्रता, साहस जैसे सदगुण बढ़ें ऐसे पर्वों का आयोजन किया है।


🚩तिलक जी ने यह ठीक ही कहा कि अपने राष्ट्र की नींव धर्म और संस्कृति पर यदि न टिकेगी तो देश में सुख, शांति और अमन-चैन होना संभव नहीं है।

रक्षाबंधन के पर्व पर एक-दूसरे को आयु, आरोग्य और पुष्टि की वृद्धि की भावना से राखी बाँधते हैं।


🚩रक्षाबंधन का उत्सव श्रावणी पूनम को ही क्यों रखा गया ?


🚩भारतीय संस्कृति में संकल्पशक्ति के सदुपयोग की सुंदर व्यवस्था है। ब्राह्मण कोई शुभ कार्य कराते हैं तो कलावा (रक्षासूत्र) बाँधते हैं ताकि आपके शरीर में छुपे दोष या कोई रोग, जो आपके शरीर को अस्वस्थ कर रहे हों, उनके कारण आपका मन और बुद्धि भी निर्णय लेने में थोड़े अस्वस्थ न रह जायें। सावन के महीने में सूर्य की किरणें धरती पर कम पड़ती हैं, किस्म-किस्म के जीवाणु बढ़ जाते हैं, जिससे किसीको दस्त, किसीको उलटियाँ, किसीको अजीर्ण, किसीको बुखार हो जाता है तो किसीका शरीर टूटने लगता है । इसलिए रक्षाबंधन के दिन एक-दूसरे को वैदिक रक्षासूत्र बाँधकर तन-मन-मति की स्वास्थ्य-रक्षा का संकल्प किया जाता है । रक्षासूत्र में कितना मनोविज्ञान है, कितना रहस्य है!


🚩अपना शुभ संकल्प और शरीर के ढाँचे की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह श्रावणी पूनम का रक्षाबंधन महोत्सव है।


🚩‘रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बाँधने से वर्ष भर रोगों से हमारी रक्षा रहे, बुरे भावों से रक्षा रहे, बुरे कर्मों से रक्षा रहे’- ऐसा एक-दूसरे के प्रति सत्संकल्प करते हैं।


🚩कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र ?


🚩दुर्वा, चावल, केसर, चंदन, सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रंग के रेशमी कपड़े में बांध लें, यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, कौड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेटकर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जाएगी।


🚩वैदिक राखी का महत्व :


🚩वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि सावन के मौसम में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है।


🚩रक्षाबंधन के दिन बहन भैया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि ‘जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आये’। ‘मेरे भैया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहें।’


🚩बहनें रक्षाबंधन के दिन ऐसा संकल्प करके रक्षासूत्र बाँधें कि ‘हमारे भाई भगवत्प्रेमी, चरित्रवान बनें ।’ और भाई सोचें कि ‘हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने।’ अपनी सगी बहन व पड़ोस की बहन के लिए अथवा अपने सगे भाई व पड़ोसी भाई के प्रति ऐसा सोचें। आप दूसरे के लिए भला सोचते हो तो आपका भी भला हो जाता है। संकल्प में बड़ी शक्ति होती है। अतः आप ऐसा संकल्प करें कि हमारा आत्मस्वभाव प्रकटे।


🚩सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम्। सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत्।।

‘इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष भर मनुष्य रक्षित हो जाता है।’ (भविष्य पुराण)


🚩येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

जिस पतले रक्षासूत्र ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को बाँध दिया, उसीसे मैं आपको बाँधती हूँ। आपकी रक्षा हो। यह धागा टूटे नहीं और आपकी रक्षा सुरक्षित रहे। – यही संकल्प बहन भाई को राखी बाँधते समय करे। शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय ‘अभिबध्नामि’ के स्थान पर ‘रक्षबध्नामि’ कहें।


🚩रक्षाबंधन पर्व समाज के टूटे हुए मनों को जोड़ने का सुंदर अवसर है। इसके आगमन से कुटुम्ब में आपसी कलह समाप्त होने लगते हैं, दूरी मिटने लगती है, सामूहिक संकल्पशक्ति साकार होने लगती है।


🚩उपाकर्म संस्कार: इस दिन गृहस्थ ब्राह्मण व ब्रह्मचारी गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गौ-मूत्र को मिलाकर पंचगव्य बनाते हैं और उसे शरीर पर छिड़कते, मर्दन करते व पान करते हैं, फिर जनेऊ बदलकर शास्त्रोक्त विधि से हवन करते हैं। इसे उपाकर्म कहा जाता है। इस दिन ऋषि उपाकर्म कराकर शिष्य को विद्याध्ययन कराना आरम्भ करते थे।


🚩उत्सर्जन क्रिया: श्रावणी पूर्णिमा को सूर्य को जल चढाकर सूर्य की स्तुति तथा अरुंधती सहित सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है और दही-सत्तू की आहुतियाँ दी जाती हैं। इस क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। ( स्रोत: संत आसारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य ऋषि प्रसाद एवं लोक कल्याण सेतु से संकलित )


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Tuesday, August 29, 2023

अपने घर में ही इस तरीक़े से वैदिक राखी बनाए.....

 पूरी वैदिक रीति और विधि से रक्षा-सूत्र बांधने से होंगे कई फायदे....

राखी बांधने के मुर्हूत का भी अवश्य ध्यान रखें.....


29 August 2023


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🚩रक्षाबंधन पर्व समाज के टूटे हुए मनों को जोड़ने का सुंदर अवसर है। इसके आगमन से कुटुम्ब में आपसी कलह समाप्त होने लगते हैं, दूरी मिटने लगती है, सामूहिक संकल्पशक्ति साकार होने लगती है।


🚩वैदिक राखी का महत्व :


🚩वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में वर्णित है , कि सावन की पूर्णिमा पर यदि रक्षा-सूत्र को संकल्प सहित कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षा-सूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।


 🚩कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र :


🚩दुर्वा, चावल, केसर ( कुमकुम) , चंदन (हल्दी ) और सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रेशमी कपड़े में बांध लें यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में कौड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेट कर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जाएगी।


🚩नोट: यह वैदिक राखी आप ऑनलाइन इस निम्नलिखित वेबसाइट से भी ख़रीद सकते हैैं।

https://www.ashramestore.com/Vedic_Rakshasutra_(Pack_of_12)-2261


🚩‘रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बाँधने से वर्ष भर रोगों से हमारी रक्षा रहे, बुरे भावों से रक्षा रहे, बुरे कर्मों से रक्षा रहे’- ऐसा एक-दूसरे के प्रति सत्संकल्प करना चाहिए। 


🚩रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भईया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करें कि , ‘जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्षमय , प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आए , ज्ञान आए । मेरे भईया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहे ।’


🚩बहनें रक्षाबंधन के दिन ऐसा संकल्प करके रक्षासूत्र बाँधें कि ‘हमारे भाई धर्म प्रेमी, भगवत्प्रेमी बनें।’ और भाई सोचें कि ‘हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, धर्मप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने।’ अपनी सगी बहन व पड़ोस की बहन के लिए अथवा अपने सगे भाई व पड़ोसी भाई के प्रति ऐसा संकल्प दृढ़ करें । आप दूसरे के लिए भला सोचते हो , तो निःसंदेह आपका भी भला प्रकृति द्वारा हो ही जाता है। संकल्प में बड़ी शक्ति होती है। अतः इस दिन विशेषकर आप ऐसा संकल्प करें , कि हमारा आत्मस्वभाव प्रकटे ।


🚩भविष्य पुराण में एक श्लोक है...


सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।

सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत् ।।

अर्थात्

‘इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षा-सूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष भर मनुष्य रक्षित हो जाता है।’


🚩रक्षा-सूत्र बांधते हुए निम्नलिखित मंत्र बोलें...


येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।

तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।

अर्थात्

"जिस पतले रक्षा-सूत्र ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को बाँध दिया, उसी से मैं आपको बाँधती हूँ। आपकी रक्षा हो। यह धागा टूटे नहीं और आप सुरक्षित रहें।"

यही संकल्प बहन भाई को राखी बाँधते समय करे। शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय ‘अभिबध्नामि’ के स्थान पर ‘रक्षबध्नामि’ कहें ।


🚩उपाकर्म संस्कार : इस दिन गृहस्थ ब्राह्मण व ब्रह्मचारी गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गौ-मूत्र को मिलाकर पंचगव्य बनाते हैं और उसे शरीर पर छिड़कते, मर्दन करते व पान करते हैं, फिर जनेऊ बदलकर शास्त्रोक्त विधि से हवन करते हैं। इसे उपाकर्म कहा जाता है। पूर्वकाल में गुरुकुलों में इसी दिन ऋषि उपाकर्म कराकर शिष्य को विद्याध्ययन कराना आरम्भ करते थे।


🚩उत्सर्जन क्रिया : श्रावणी पूर्णिमा को सूर्य को जल अर्पित कर सूर्य की स्तुति तथा अरुंधती सहित सप्तर्षियों की पूजा की जाती है और दही-सत्तू की आहुतियाँ दी जाती हैं। इस क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।

( स्रॊत: संत आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य ऋषि प्रसाद एवं लोक कल्याण सेतु से संकलित )


🚩30 अगस्त को सुबह से रात्रि के 09:02 तक भद्रा काल है, इस समय राखी नहीं बाधें।


🚩रक्षा सूत्र बाँधने का शुभ मुहूर्त -


🚩30 अगस्त रात्रि 9:02 से 11:13 बजे तक - शुभ अमृत चौघड़िया


🚩31 अगस्त प्रातः 3:32 से 4:54 - ब्रह्म मुहूर्त लाभ चौघड़िया


🚩31 अगस्त सुबह 6:21 से 7:06 तक - शुभ चौघड़िया


🚩इस समय के बीच अपने अनुकूल समयानुसार आप राखी बांध सकते हैं।


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Monday, August 28, 2023

पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने पश्चिमी मीडिया को लिया आड़े हाथ

28 August 2023


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🚩पत्रकार अमाना बेगम अंसारी, बीबीसी इंटरव्यू भारत

बीबीसी के साथ इंटरव्यू में मुस्लिम पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने कहा पश्चिमी मीडिया भारत की गलत तस्वीर पेश कर रहा है।


🚩भारतीय शोधकर्ता एवं पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने पश्चिमी मीडिया को देश में मुस्लिमों के साथ भेदभाव पर नसीहत देने पर आड़े हाथों लिया है। उन्होंने बीबीसी को भी इस बात पर खरी-खरी सुनाई। दरअसल, बीबीसी ने भारत की खराब तस्वीर पेश करने के अपने रवैये के चलते हाल ही में मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए एक इंटरव्यू की मेजबानी की थी।


🚩बीबीसी में इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने मणिपुर प्रकरण का इस्तेमाल इस तरह की हिंसक घटनाओं पर भारत की छवि और कड़े कदम उठाने की उसकी काबिलियत पर सवाल खड़े करने के उद्देश्य से किया था। बीबीसी पत्रकार ने हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं का इस्तेमाल करके इस बात को बारीकी से आगे बढ़ाने का भी कोशिश की कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में भारत एक बहुसंख्यकवादी देश है, जो नियमित तौर से अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों पर जुल्म ढाता है।


🚩शोधकर्ता और नीति विश्लेषक अमाना बेगम अंसारी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा थीं। इस दौरान उन्होंने भारत विरोधी प्रचार और दावों का भंडाफोड़ करते हुए बीबीसी को करारा जवाब दिया। बीबीसी के साथ इंटरव्यू वाली 2 घंटे 53 मिनट की क्लिप में अंसारी भारत के बारे में पक्षपाती धारणा के लिए पश्चिमी मीडिया पर निशाना साधती नजर आ रही हैं।


🚩अंसारी ने कहा कि हिंसा की कुछ अलग घटनाओं के आधार पर भारत के बारे में पश्चिमी मीडिया गलत धारणा बना रहा है। अंसारी ने तर्क दिया कि पश्चिमी देशों को कोई भी फैसला लेने से पहले भारत की जटिलताओं को समझना चाहिए। इसमें वह यूपी का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि पिछले 10 साल में वहाँ अपराध दर में 60 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।


🚩इंटरव्यू के दौरान अमाना अंसारी ने कहा, “पश्चिमी मीडिया में अधिकार की एक अजीब भावना है, जो उन्हें यह सोचने के लिए प्रेरित करती है कि उन्हें भारत के आंतरिक मामलों पर उपदेश देने और उसमें दखलअंदाजी करने का पूरा हक है।”


🚩उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया, भारत में कई प्रचार आउटलेटों और कॉन्ग्रेसी जैसे विपक्षी दलों के अटूट समर्थन के साथ भारत के मुस्लिमों के खिलाफ ‘भेदभावपूर्ण’ और ‘पूर्वाग्रह से युक्त’ होने की तस्वीर दिखाने की लगातार कोशिश करता रहा है। उन्होंने कहा कि यह काम बीते 10 साल से अधिक हो रहा है, जब से भाजपा सत्ता में आई हैं।


🚩उन्होंने आगे कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय आउटलेट ‘डरा हुआ मुस्लिम’ की झूठी एवं मनगढ़ंत कहानी को बढ़ावा देते हुए अपने भारत विरोधी और हिंदू विरोधी पूर्वाग्रहों को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा उतावले रहते हैं। हाल ही में मणिपुर में हुई हिंसा में अपने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए इन्हें चारा मिल गया है।


🚩मणिपुर हिंसा के बारे में पूछे गए सवालों का दृढ़ता से जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “जब पश्चिमी दुनिया भारत की ओर देखती है तो उन्हें यह समझना चाहिए कि हम छह प्रमुख वैश्विक आस्थाओं (धर्मों) को समाहित करते हैं। पश्चिम यह समझ पाता कि विविधता क्या है, तब से हम विविधता में रहते आ रहे हैं।”


🚩अंसारी ने इस गलत धारणा की निंदा की कि भारतीय मुस्लिमों पर हमला हो रहा है या देश में मुस्लिम नरसंहार हो रहा है। दरअसल इस धारणा का इस्तेमाल पश्चिमी मीडिया लगातार भारत को बदनाम करने के लिए बढ़ावा देते आ रहा है। इस दौरान बीबीसी पत्रकार ने भाजपा सरकार के हिंदू राष्ट्रवाद के विचार पर सवाल उठाया।


🚩इस पर भाजपा सरकार का जोरदार बचाव करते हुए अंसारी ने कहा, “यह बहुआयामी नजरिया है। जब हम हिंदुओं के बारे में बात करते हैं तो हम हिंदू संस्कृति के बारे में भी बात करते हैं। भारत हिंदू संस्कृति का प्रतीक है। मेरे जैसे कई भारतीय मुसलमान, कभी हिंदू थे और बाद में परिवर्तित हो गए थे। हमें इस वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए।”

https://twitter.com/Amana_Ansari/status/1689658502233374720?t=rQwd4r9KlnlnO_s65PSXYw&s=19


🚩उन्होंने गैर-धर्मनिरपेक्ष इस्लामी देशों के मुकाबले भारत में मिलने वाली आजादी का हवाला देते हुए कहा कि वह अपनी भारतीय मुस्लिम पहचान को अहमियत देती हैं। पत्रकार अंसारी ने इस इंटरव्यू के दौरान कहा, “मैं भारत में जन्म लेकर धन्य महसूस कर रही हूँ। मैं एक मुस्लिम-बहुल देश में पैदा होने की कल्पना करूँ तो मैं भारत में जो आजादी को महसूस कर रही हूँ वह वहाँ संभव नहीं हो पाएगी।”


🚩साल 2022 में कर्नाटक में छिड़ी बुर्का बहस के दौरान अमाना अंसारी उन बहुत कम महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने इस प्रथा के खिलाफ जोरदार ढंग से अपनी बात रखी थी। इस घटना का सेक्युलरों और इस्लामवादियों ने पूरे दिल से बचाव और समर्थन किया और इसे निजी आजादी का मुद्दा बना डाला था।


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