Thursday, October 5, 2023

कनाडा में जब तक खालिस्तानी चरमपंथियों को संरक्षण जारी है, तब तक चैन से न बैठे भारत...

 5 October 2023 


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🚩खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए कथित भारतीय एजेंट को जिम्मेदार बताने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गत दिवस जिस तरह यह कहा कि भारत तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति है और वो भारत से करीबी संबंध बनाए रखने को लेकर गंभीर हैं, उससे यही लगता है कि उन्हें अपनी गलती समझ आ गई है।


🚩हालांकि उन्होंने निज्जर हत्याकांड में सच का पता लगाने के लिए मिलकर काम करने की अपील भी की, लेकिन उसमें कोई दम इसलिए नहीं, क्योंकि भारत के कहने के बाद भी कनाडा कोई प्रमाण उपलब्ध कराने में आनाकानी कर रहा है। यह आनाकानी यही बताती है कि कनाडा के पास ऐसे कोई प्रमाण हैं ही नहीं, जो यह सिद्ध कर सकें कि निज्जर की हत्या से भारत का कोई लेना-देना है। इस मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा को जिस तरह खरी-खरी सुनाई, उससे यह स्पष्ट है कि भारत जस्टिन ट्रुडो की बेजा बात सुनने को तैयार नहीं।


🚩इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कनाडा पुलिस निज्जर की हत्या के तीन माह बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। वह निज्जर के हत्यारों की पहचान तक नहीं कर पाई है। भले ही सवालों से घिरे जस्टिन ट्रूडो के सुर बदल गए हों, लेकिन भारत को अपने रवैये में नरमी लाने की आवश्यकता इसलिए नहीं, क्योंकि ट्रूडो ने बिना किसी प्रमाण भारत को कठघरे में खड़ाकर बेहद गैर जिम्मेदाराना हरकत की है। उन्होंने निज्जर की हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार बताने के साथ एक भारतीय राजनयिक का नाम सार्वजनिक करते हुए उन्हें निष्कासित करके उसकी सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर दिया है। मैत्रीपूर्ण संबंधों वाले देश ऐसी हरकत कभी नहीं करते।


🚩यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि ट्रूडो सरकार ने यह शरारत उस खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह धालीवाल के दबाव में की, जिसकी पार्टी के समर्थन से उनकी अल्पमत सरकार चल रही है। यह भी साफ दिख रहा है कि ट्रूडो वोट बैंक की राजनीति के तहत खालिस्तानियों के प्रति नरम हैं। कनाडा में सात लाख से अधिक सिक्ख हैं, लेकिन शायद धालीवाल जैसे तत्वों के कारण ट्रूडो यह मान बैठे हैं कि उनके यहां रहने वाले सभी सिक्ख खालिस्तानी हैं। यह उनका मुगालता ही है, क्योंकि चंद सिक्ख ही खालिस्तान समर्थक हैं। चूंकि वे उग्र और हिंसक हैं, इसलिए कनाडा में रह रहे आम सिक्ख उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाते।


🚩शायद ट्रूडो इससे भी अनजान बने रहना चाहते हैं कि कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों के कई गुट हैं और वे जब-तब एक-दूसरे को निशाना बनाते रहते हैं। कई खालिस्तानी अपने विरोधी गुटों की ओर से मारे जा चुके हैं। हैरानी नहीं कि निज्जर की हत्या भी उसके विरोधी गुट ने की हो। आतंकी निज्जर की हत्या को लेकर जस्टिन ट्रूडो की ओर से भारत पर निराधार आरोप लगाने के बाद एन.आइ.ए. ने पंजाब, हरियाणा समेत छह राज्यों में खालिस्तानियों, गैंगस्टरों और ड्रग तस्करों के गठजोड़ के खिलाफ जो छापेमारी की, वह पहले ही की जानी चाहिए थी, क्योंकि कई खालिस्तानी आतंकी, गैंगस्टर और ड्रग तस्कर कनाडा में एक अर्से से शरण लिए हुए हैं। अभी तो ऐसा लगता है कि यदि निज्जर का मामला न उछलता तो एन.आइ.ए. सक्रियता नहीं दिखाती।


🚩चूंकि कनाडा के खालिस्तानी ड्रग तस्करी और मानव तस्करी में भी लिप्त हैं, इसलिए खालिस्तान समर्थक वहां आसानी से शरण पा जाते हैं। निज्जर भी अवैध दस्तावेजों के सहारे ही कनाडा पहुंचा था, लेकिन किसी तरह वहां की नागरिकता पा गया। भारत ने उसे न केवल आतंकी घोषित किया था, बल्कि उस पर ईनाम भी रखा था। इसी कारण एस. जयशंकर ने दो टूक कहा कि कनाडा में भारत विरोधी तत्वों को संरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने वीजा सेवा बंद किए जाने का कारण बताते हुए साफ किया कि ऐसा इसलिए करना पड़ा, क्योंकि उनके राजनयिकों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया है। कनाडा में खुलेआम खालिस्तानी आतंकियों का महिमामंडन किया जाता है। इनमें वे भी हैं, जो 1985 में एयर इंडिया के विमान को बम विस्फोट से उड़ाने की साजिश में शामिल थे।


🚩जब तक कनाडा खालिस्तानी चरमपंथियों और आतंकियों के साथ भारत से भागकर वहां पहुंचे गैंगस्टरों को संरक्षण देता रहता है, तब तक भारत सरकार को चैन से नहीं बैठना चाहिए। उसे कनाडा को इसके लिए बाध्य करना चाहिए कि वह भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बने तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करे। जस्टिन ट्रूडो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में खालिस्तानी चरमपंथियों पर जिस तरह मेहरबान हैं, वह इसलिए अस्वीकार्य है, क्योंकि खालिस्तानी आतंकी कनाडा में रह रहे हिंदुओं को धमकाने के साथ भारतीय राजनयिकों की हत्या के फरमान जारी कर रहे हैं।


🚩भारत को कनाडा के साथ उसके सहयोगी देशों और विशेष रूप से अमेरिका से भी यह प्रश्न करना चाहिए कि क्या भारतीय राजनयिकों के पोस्टर लगाकर उनकी हत्या करने की धमकी देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है? यह प्रश्न करना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि प्रतिबंधित संगठन सिक्ख फार जस्टिस के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू के पास कनाडा के साथ अमेरिका की भी नागरिकता है। वह कभी अमेरिका तो कभी कनाडा से भारत को धमकियां देता रहता है। यह चिंताजनक है कि कनाडा, अमेरिका की तरह ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों में भी खालिस्तानी बेलगाम हैं।


🚩खालिस्तानियों को आश्रय देने का काम अमेरिका भी कर रहा है। जिस तरह कनाडा ने भारतीय राजनयिकों पर हमला करने और हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने वाले खालिस्तानियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, उसी तरह अमेरिका ने भी सैन फ्रांस्सिकों में भारतीय दूतावास पर हमला करने वाले खालिस्तानियों के खिलाफ कुछ नहीं किया। माना जाता है कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की कथित लिप्तता की “खुफिया जानकारी” अमेरिका ने ही कनाडा को उपलब्ध कराई। इसका मतलब है कि अमेरिका भारतीय राजनयिकों की जासूसी कर रहा था। सच जो भी हो, खुफिया सूचनाएं सदैव साक्ष्य नहीं होतीं।


🚩यह अच्छा हुआ कि भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिकी धरती पर कनाडाई प्रधानमंत्री के गैर जिम्मेदाराना आचरण को बयान करने के साथ यह भी कह दिया कि अमेरिका कनाडा को अलग तरह से देखता है, जबकि वह हमारे लिए ऐसा देश है, जो भारत विरोधी गतिविधियों को केंद्र है। साफ है कि इस मामले में भारत किसी से और यहां तक कि अमेरिका से भी दबने वाला नहीं। यदि अमेरिका भारत से अपने संबंध मजबूत करना चाहता है तो उसे भारत के बजाय कनाडा को नसीहत देनी चाहिए।

              - संजय गुप्त


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Wednesday, October 4, 2023

विश्व राजनीति में भारतीय मूल के नेताओं का दबदबा बरकरार

4 October 2023


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🚩भारत के संतो का संकल्प है की भारत विश्व गुरु बनकर रहेगा और आज इस संकल्प को साकार होते हुए दिख रहा हैं।


🚩भारतीय मूल के कई नेता दुनिया के अलग अलग देशों में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। ऐसे में, एक और देश इस सूची में जुड़ गया है। दरअसल, भारतीय मूल के थरमन शनमुगरत्नम शुक्रवार को सिंगापुर के नए राष्ट्रपति बने हैं। इसी के वो ऐसे भारतीय मूल के नेताओं में शामिल हो गए, जो विश्व के कई देशों की राजनीति में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। 


🚩बता दें, शनमुगरत्नम ने 70 फीसदी वोट पाकर शानदार जीत हासिल की। वह सिंगापुर के नौंवे राष्ट्रपति चुने गए हैं और उनका कार्यकाल छह साल के लिए रहेगा। 


🚩दुनिया भर में बढ़ रहा भारतीयों का प्रभाव

प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने शनिवार को थर्मन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सिंगापुर के लोगों ने थरमन शनमुगरत्नम को अगला राष्ट्रपति चुना है। उन्होंने आगे कहा कि थरमन भारतीय विरासत के कई नेताओं में से हैं, जो वैश्विक स्तर पर इतने ऊंचे पद पर चुने गए हैं। लूंग ने कहा कि शनमुगरत्नम की जीत दुनिया भर में भारतीयों के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक है।


🚩भारतीय नेताओं का दुनिया की राजनीति पर प्रभाव


🚩1. अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के बढ़ते प्रभाव को कमला हैरिस की सफलता में देखा जा सकता है। भारतवंशी हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनी हैं। इससे पहले वह साल 2017 से 2021 तक कैलिफोर्निया की सीनेटर रहीं। 


🚩डेमोक्रेट हैरिस ने 2011 से 2017 तक कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल के रूप में भी काम किया। उनका जन्म कैलिफोर्निया में भारतीय और जमैका माता-पिता के यहां हुआ था।


🚩2. नंबर में मध्यावधि चुनावों में, सत्तारूढ़ डेमोक्रेट पार्टी के पांच भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना, प्रमिला जयपाल, अमी बेरा और श्री थानेदार अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए।


🚩3. इतना ही नहीं, कैलिफोर्निया के एक प्रमुख राजनेता हरमीत ढिल्लों ने हाल ही में रिपब्लिकन नेशनल कमेटी (आरएनसी) के अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ा था। 


🚩4. निक्की हेली और विवेक रामास्वामी जैसे भारतीय मूल के नेताओं ने अगले साल होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश की है।


🚩5. ऋषि सुनक पिछले साल ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री बने थे। साथ ही, गोवा मूल की सुएला ब्रेवरमैन उनकी गृह सचिव के रूप में कार्यरत हैं। बता दें, सनक कैबिनेट में ब्रेवरमैन के बाद क्लेयर कॉटिन्हो गोवा मूल के दूसरे मंत्री हैं। उन्हें हाल ही में उनके नए ऊर्जा सुरक्षा और नेट जीरो सचिव के रूप में एक बड़ी पदोन्नति मिली।


🚩6. सुनक से पहले, बोरिस जॉनसन के मंत्रिमंडल में प्रीति पटेल गृह सचिव थीं। आलोक शर्मा जॉनसन कैबिनेट में अंतरराष्ट्रीय विकास सचिव थे।


🚩7. गौरतलब है, आयरलैंड के प्रधानमंत्री (ताओसीच) लियो एरिक वराडकर भी भारतीय मूल के हैं। वराडकर अशोक और मिरियम वराडकर की तीसरी संतान और इकलौते बेटे हैं। उनके पिता का जन्म मुंबई में हुआ था और 1960 के दशक में यूनाइटेड किंगडम चले गए थे।


🚩8. एंटोनियो कोस्टा 2015 से पुर्तगाल के प्रधानमंत्री हैं। वह आधे भारतीय और आधे पुर्तगाली हैं। 


🚩9. उनके अलावा, अनीता आनंद कनाडा में संघीय मंत्री बनने वाली पहली हिंदू हैं। आनंद ने इस साल जुलाई में ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष की भूमिका संभाली। उनके माता-पिता भारतीय हैं। उनके पिता तमिलनाडु से थे और उनकी मां पंजाब से थीं।


🚩10. आनंद के अलावा, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के मंत्रिमंडल में दो और भारतीय मूल के सदस्य हैं - हरजीत सज्जन और कमल खेरा। 


🚩11. वहीं, प्रियंका राधाकृष्णन न्यूजीलैंड में मंत्री बनने वाली भारतीय मूल की पहली व्यक्ति हैं। चेन्नई में मलयाली माता-पिता के घर जन्मी, वह वर्तमान में सामुदायिक और स्वैच्छिक क्षेत्र मंत्री हैं।


🚩12. त्रिनिदाद और टोबैगो की निर्वाचित राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू का जन्म एक इंडो-ट्रिनिडाडियन परिवार में हुआ था।


🚩13. भारतीय मूल के वकील और लेखक प्रीतम सिंह 2020 से सिंगापुर में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत हैं।


🚩14. देवानंद शर्मा 2019 में ऑस्ट्रेलियाई संसद के सदस्य बनने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति बने।


🚩15. गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली का जन्म लियोनोरा में एक मुस्लिम इंडो-गुयाना परिवार में हुआ था।


🚩16. प्रविंद जुगनाथ जनवरी 2017 से मॉरीशस के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उनका जन्म 1961 में एक हिंदू यदुवंशी परिवार में हुआ था। उनके परदादा 1870 के दशक में भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश से मॉरीशस चले गए थे।


🚩17. साल 2019 से मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन का जन्म एक भारतीय आर्य समाज हिंदू परिवार में हुआ था।


🚩18. चंद्रिकाप्रसाद संतोखी 2020 से सूरीनाम के राष्ट्रपति हैं। संतोखी का जन्म 1959 में लेलीडॉर्प में एक इंडो-सूरीनाम हिंदू परिवार में हुआ था।


🚩19. वेवेल रामकलावन अक्टूबर 2020 से सेशेल्स के राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं। उनके दादा बिहार से थे।


🚩बता दें, साल 2021 में इंडियास्पोरा गवर्नमेंट लीडर्स लिस्ट जारी की गई थी। इसमें बताया गया था कि दुनियाभर के 15 देशों में सार्वजनिक सेवा के शीर्ष पदों पर भारतीय विरासत के 200 से अधिक नेता आसीन हैं। इनमें से 60 से अधिक कैबिनेट पदों पर हैं।


🚩आपको बता दे की करीब 20/60 साल पहले ही जिस समय कांग्रेस की सरकार थी और भारत की संस्कृती पर कुठारागत किया जा रहा था उस समय हिंदु संत आशाराम बापू ने भविष्यवाणी किया था की भारत विश्व गुरु बनेगा और विश्व का मार्ग दर्शन करेगा जो आज सच होता दिखाई दे रहा है।

https://youtu.be/M55sPB7S8rg?si=OMDRvFrXys4rr9nE


🚩भारत ही एक ऐसा देश है जो पूरी दुनिया पर राज करने के बाद भी कभी भी किसी का शोषण नही करेगा किसी भी देश में होगा वे अपनी मेहनत और भारतीय संस्कृति के संस्कार से ऊंचे पदों पर आसीन होने के बाद लोक हित का ही कार्य करता है क्योंकि भारतीय वैदिक संस्कृति में लिखा है:-

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:खभाग भवेत्।

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।।


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Tuesday, October 3, 2023

कांग्रेस व अन्य नेता गांधी जी को लेकर राजनीति करते हैं, पर आश्चर्य...वे उनकी बातों और सिद्धांतों को अमल में क्यों नहीं लाते !?

3 October 2023


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🚩प्रारंभ से ही इसाई धर्मान्तरण के विरुद्ध सबसे अधिक मुखर स्वर हमारे ही देश के गणमान्य व्यक्तियों ने उठाए हैं। 


🚩धर्मांतरण के प्रति गाँधी जी का भाव क्या था ?

यह उन्होंने अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है ।


 🚩 यह तब की बात है, जब वह विद्यालय में पढ़ते थे। उन्होंने लिखा कि “ उन्हीं दिनों मैने सुना कि एक मशहूर हिन्दू सज्जन अपना धर्म बदल कर ईसाई बन गये हैं। शहर में चर्चा थी कि बपतिस्मा लेते समय उन्हें गोमांस खाना पड़ा और शराब पीनी पड़ी । अपनी वेशभूषा भी बदलनी पड़ी तथा तब से हैट लगाने और यूरोपीय वेशभूषा धारण करने लगे। मैने सोचा जो धर्म किसी को गोमांस खाने शराब पीने और पहनावा बदलने के लिए विवश करे वह तो धर्म कहे जाने योग्य नहीं है। मैने यह भी सुना कि यह नया कन्वर्टेड व्यक्ति अपने पूर्वजों के धर्म को उनके रहन-सहन को तथा उनके देश को गालियां देने लगा है। इन सबसे मुझमें ईसाईयत के प्रति नापसंदगी पैदा हो गई। ” ( एन आटोवाय़ोग्राफी आर द स्टोरी आफ माइ एक्सपेरिमेण्ट विद ट्रूथ, पृष्ठ -3-4 नवजीवन, अहमदाबाद)


🚩गांधी जी का स्पष्ट मानना था कि ईसाई मिशनरियों का मूल लक्ष्य उद्देश्य भारत की संस्कृति को समाप्त कर भारत का यूरोपीयकरण करना है। उनका कहना था कि भारत में आमतौर पर ईसाइयत का अर्थ है भारतीयों को राष्ट्रीयता से रहित बनाना और उसका यूरोपीयकरण करना।


🚩गांधीजी ने धर्मांतरण के लिए मिशनरी प्रयासों के सिद्धांतों का ही विरोध किया। गांधी जी मिशनरियों को आध्यात्मिक शक्तिसंपन्न व्यक्ति नहीं मानते थे बल्कि उन्हें प्रोपोगेण्डिस्ट मानते थे। गांधी जी ने एक जगह लिखा कि “ दूसरों के हृदय को केवल आध्यात्मिक शक्तिसंपन्न व्यक्ति ही प्रभावित कर सकता है । जबकि अधिकांश मिशनरी वाकपटु तो होते हैं, पर आध्यात्मिक शक्ति संपन्न व्यक्ति नहीं। “ ( संपूर्ण गांधी बाङ्मय, खंड-36, पृष्ठ -147)


🚩गांधी जी ने क्रिश्चियन मिशन्स पुस्तक में कहा है कि “भारत में ईसाईयत अराष्ट्रीयता एवं यूरोपीयकरण का पर्याय बन चुकी है।”(क्रिश्चियम मिशन्स, देयर प्लेस इंडिया, नवजीवन, पृष्ठ-32)। उन्होंने यह भी कहा कि ईसाई पादरी अभी जिस तरह से काम कर रहे हैं , उस तरह से तो उनके लिए स्वतंत्र भारत में कोई भी स्थान नहीं होगा। वे तो अपना भी नुकसान कर रहे हैं। वे जिनके बीच काम करते हैं, उन्हें हानि पहुंचाते हैं और जिनके बीच काम नहीं करते उन्हें भी हानि पहुंचाते हैं। सारे देश को वे नुकसान पहुंचाते हैं। गाधीजी धर्मांतरण (कनवर्जन) को मानवता के लिए भयंकर विष मानते थे। गांधी जी ने बार -बार कहा कि धर्मांतरण महापाप है और यह बंद होना चाहिए।”


🚩उन्होंने कहा कि “मिशनरियों द्वारा बांटा जा रहा पैसा तो धन पिशाच का फैलाव है।“ उन्होंने कहा कि “ आप साफ साफ सुन लें मेरा यह निश्चित मत है, जो कि अनुभवों पर आधारित हैं, कि आध्यात्मिक विषयों पर धन का तनिक भी महत्व नहीं है। अतः आध्य़ात्मिक चेतना के प्रचार के नाम पर आप पैसे बांटना और सुविधाएं बांटना बंद करें ।”


🚩1935 में एक मिशनरी नर्स ने गांधी जी से पूछा “क्या आप धर्मांतरण के लिए मिशनरियों के भारत आगमन पर रोक लगा देना चाहते है? गांधी जी ने उत्तर दिया “मैं रोक लगाने वाला कौन होता हूँ, अगर सत्ता मेरे हाथ में हो और मैं कानून बना सकूं, तो मैं धर्मांतरण का यह सारा धंधा ही बंद करा दूँ । मिशनरियों के प्रवेश से उन हिन्दू परिवारों में, जहाँ मिशनरी बैठे हैं, वेशभूषा, रीति-रिवाज और खान-पान तक में परिवर्तन हो गया है । आज भी हिन्दू धर्म की निंदा जारी है । ईसाई मिशनिरयों की दुकानों में मरडोक की पुस्तकें बिकती हैं। इन पुस्तकों में सिवाय हिन्दू धर्म की निंदा के और कुछ है ही नहीं। अभी कुछ ही दिन हुए, एक ईसाई मिशनरी एक दुर्भिक्ष-पीड़ित अंचल में खूब धन लेकर पहुँचा वहाँ अकाल-पीड़ितों को पैसा बाँटा व उन्हें ईसाई बनाया फिर उनका मंदिर हथिया लिया और उसे तुड़वा डाला। यह अत्याचार नहीं तो क्या है, जब उन पीड़ित लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया , तो तभी उनका मंदिर पर से अधिकार समाप्त। वह हक उनका बचा ही नहीं और फिर ईसाई मिशनरी का भी मंदिर पर कोई हक नहीं था । फिर वो मिशनरीज़ मंदिर को किस अधिकार से हथिया कर नष्ट किए । और विडंबना ये कि वो मिशनरीज वहाँ पहुँचकर उन्हीं लोगों से उस मंदिर को तोड़वाते हैं , जहाँ कुछ समय पहले तक वे ही लोग मानते थे कि वहाँ ईश्वर का वास है। ‘‘ ( संपूर्ण गांधी बांङ्मय खंड-61 पृष्ठ-48-49)


🚩गांधीजी कहते थे,

“हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा, रीति रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है , पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।”


🚩भारत में वर्तमान में प्रत्येक राज्य में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मप्रचारक मौजूद है जो मूलत: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अरुणालच प्रदेश में वर्ष 1971 में ईसाई समुदाय की संख्या 1 प्रतिशत थी जो वर्ष 2011 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय राज्यों में ईसाई प्रचारक किस तरह से सक्रिय हैं। इसी तरह नगालैंड में ईसाई जनसंख्‍या 93 प्रतिशत, मिजोरम में 90 प्रतिशत, मणिपुर में 41 प्रतिशत और मेघालय में 70 प्रतिशत हो गई है। चंगाई सभा और धन के बल पर भारत में ईसाई धर्म तेजी से फैल रहा है।


🚩वर्ष 2011 में भारत की कुल आबादी 121.09 करोड़ है। जारी जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है। जो देश की कुल आबादी का 2.3% है। ईसाइयों की जनसंख्या वृद्धि दर 15.5% रही, जबकि सिखों की 8.4%, बौद्धों की 6.1% और जैनियों की 5.4% है।

ध्यान देने योग्य बात यह कि , ईसाईयों की जनसंख्या वृद्धिदर का कारण केवल ईसाई समाज में बच्चे अधिक पैदा होना नहीं है। अपितु हिन्दुओं का ईसाई मत को स्वीकार करना ही बड़ा कारण है ।


🚩इसलिए राष्ट्रहित को देखते हुए देश में धर्मान्तरण पर लगाम अवश्य लगनी चाहिए । - डॉ विवेक आर्य


🚩कानून के लिए गांधीजी ने क्या कहा था?


🚩वर्तमान न्याय प्रणाली हमें अंग्रेजों से विरासत में मिली है।

गांधीजी ने कहा था, ‘यह प्रणाली अंग्रेजों ने नेटिव इंडियंस ( मूलनिवासी भारतीयों ) को न्याय देने के लिए प्रस्थापित नहीं की थी, बल्कि अपना साम्राज्य मजबूत करने के लिए इस न्याय प्रणाली का गठन किया था। इस न्याय प्रणाली में ‘स्वदेशी’ कुछ भी नहीं है। इसकी भाषा, पोशाक तथा चिंतन सब कुछ विदेशी है। अतीत में भारत में जो न्याय दिलाने वाली संस्थाएँ विद्यमान थीं, उन्हें पूर्णत: समाप्त कर एक केंद्रीभूत तथा सर्वव्यापी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों ने स्थापित की। गांधीजी ने यह भी कहा था, ‘जिसकी थैली बड़ी होगी, उसी को यह न्याय प्रणाली सुहाती है।’


🚩कांग्रेस बोलती है हम गांधी जी के सिद्धांतों पर चलते हैं ।

आश्चर्य... कि फिर उन्होंने गांधीजी के सिद्धांत पर चलकर इतने साल सत्ता में रहे फिर भी धर्मान्तरण पर रोक क्यों नही लगाई ? अंग्रेजों के बनाए कानूनों में बदलाव क्यों नही किया गया ? और आज भी जो भी नेता गांधीजी को लेकर राजनीति करते हैं वे उनके विचारों पर भी अमल करें और तुरंत धर्मान्तरण पर रोक लगाएं । अंग्रेजों के बनाए कानून की जगह भारतीय न्याय पद्धति लेकर आएं । तब तो भले माना जा सकता है कि वो गाँधी जी को मानते हैं ।


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मुस्लिम समुदाय के आर्थिक बहिष्कार की मांग बार बार क्यों उठ रही है ? जानिए.......

2October 2023


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🚩अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश-विसर्जन किया जाता है।देशभर में हिंदू समाज अपना त्योहार हर्षोल्लास से मना रहा था, लेकिन देश में कई जगहों पर मुस्लिम समुदाय को ये रास नहीं आ रहा था,जिसके कारण उन्होनें हिन्दुओं की यात्रा पर पत्थर बाज़ियां की ।

जैसा कि पहले भी तिरंगा-यात्रा, नववर्ष ( गुड़ी पड़वा) , श्री रामनवमी, हमनुमान जयंती आदि हिदू त्योहारों पर निकाली जा रही, यात्राओं पर पत्थर बाजी करते रहे हैं । वैसे ही कैराना, मेवात , बंगाल, केरला आदि में हिन्दू समाज पर मुस्लिम हमला करते आए हैं। परिणामस्वरूप समय-समय पर हिन्दुओं ने एकता बनाकर मुसलमानो का आर्थिक बहिष्कार किया है।


🚩आपको बता दें, कुछ समय पहले पश्चिम बंगाल में आयोजित हिन्दू पंचायत में "स्वामी आनंद स्वरूप जी" ने कहा,कि मुस्लिमों का आर्थिक व सामाजिक बहिष्कार करें। उनकी दुकानों से कोई सामान नहीं खरीदें। उनको अपने घर के आयोजनों में आमंत्रित नहीं करें। किसी होटल या ढाबे आदि में यदि कोई मुस्लिम वेटर हो तो उसके हाथों खाना लेने से स्पष्ट इनकार करें। अगर मुस्लिम भरोसा करने के लिए कसम खाए तो भी उस पर विश्वास मत करो, इतिहास इनकी धोखेबाजी से भरा पड़ा है, इनसे दोस्ती करने पर ये दगा करते हैं। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य परिषद का उद्देश्य इस्लाम मुक्त भारत बनाना है।


🚩हिन्दुओं का एक वोट भी मुसलमान उम्मीदवारों को नहीं मिले...

हिंदुओं का एक भी वोट मुसलमान उम्मीदवारों को नहीं मिलना चाहिए। जितने राजनीतिक दल या उनके नेता हैं, वे अंकों के लिए काम करते हैं। वोट बैंक की राजनीति करते हैं। सारे राजनेता राजनीतिक मदारी हैं। वे डमरू लेकर निकल पड़े हैं। हमें उसी को वोट देना चाहिए जो लिखित तौर पर दे कि वह हिन्दू-राष्ट्र बनाने का समर्थन देगा।


🚩भारत को बनाना होगा हिन्दू-राष्ट्र... 

"स्वामी आनंद स्वरूप जी" ने कहा, सन 1947 में भारत से इस्लाम के नाम पर एक देश (पाकिस्तान) अलग हो गया। अब भारत को हिन्दू-राष्ट्र बनाना होगा। शंकराचार्य परिषद भारत को हिन्दू-राष्ट्र बनाने के लिए देश में अभियान चलाएगी। परिषद गांव-गांव जाकर "जाति तोड़ो , हिंदू जोड़ो अभियान" चलाकर हिन्दुओं को एकजुट करेगी। देश में अनुकूल समय आने पर उसी तरह हिन्दू-राष्ट्र की स्थापना होगी, 2025 तक भारत हिन्दू-राष्ट्र घोषित हो जायेगा।


🚩आखिर 80 फीसदी पर 20 फीसदी भारी क्यों?

आज देश जातिवाद में जकड़ा है। इसी को तोड़ना है। उन्होंने कहा कि जन्म से सभी शूद्र होते हैं। शूद्र से ब्राह्मण बनने की प्रक्रिया ही जीवन है। इस प्रक्रिया में मतभेद का ही नतीजा है कि आज 20 फीसदी वाले 80 फीसदी पर भारी पड़ रहे हैं। जालीदार टोपी पहनकर मोटरसाइकिल चलानेवालों को पुलिस भी नहीं पकड़ती जबकि हिंदू अपनी पत्नी को लेकर भी कहीं जा रहा हो तो पुलिस वाले जुर्माना वसूल लेते हैं। 


🚩देश में आज 28 में से 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गये हैं। 19 में वे समान-समान हैं । ऐसे में खतरे की घंटी स्पष्ट दिखाई व सुनाई दे रही है। स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि मुसलमानों के एजेंडे में लव जिहाद शामिल है। हमें उनसे सावधान रहना चाहिए।


🚩एक बात गौर करने वाली है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ही हिन्दुओं की यात्रा पर हमला किया है , लेकिन मीडिया "मुस्लिम समुदाय" शब्द का उल्लेख नहीं करती है , उसके लिए मीडिया " समुदाय विशेष " शब्द उपयोग करती है । इससे साफ होता है कि मीडिया भी उनसे भयभीत है जबकि हिन्दू किसी को ऊंची आवाज में कभी कुछ बोल भर भी दे तो पूरे हिन्दूधर्म को बदनाम करने से मीडिया मौका चूकती नही है।


🚩आपको बता दें , कि हलाल प्रमाणपत्र आज के काल का जजिया टैक्स ही है । आज विश्व में हलाल अर्थव्यवस्था फैली रही है । मुसलमान हलाल मान्यता वाले उत्पादनों का आग्रह कर रहे हैं । इसलिए हिन्दू व्यापारी और उद्योगपतियों पर हलाल की सख्ती की जा रही है । सरकार का प्रमाणपत्र होते हुए भी इस प्रकार हलाल की सख्ती करना हिन्दुओं के संवैधानिक अधिकार नकारने के समान है । ‘हलाल’ केवल मुसलमान कर सकते हैं । इसलिए उसके द्वारा एक प्रकार से बहुसंख्यक हिन्दुओं का ही बहिष्कार किया जा रहा है ।


🚩हिन्दू-जन-जागृति संगठन का कहना है कि अब हिन्दुओं को ही संगठित होकर इस ‘हलाल’ अर्थव्यवस्था को ‘झटका’ देना चाहिए । किसी को भी हलालप्रमाण पत्र नहीं लेना चाहिए और ना ही उसकी कोई प्रोडक्ट बेचना चाहिए।


🚩मुस्लिम आर्थिक बहिष्कार का सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल हो रहा है , इसमें लिखा है की

लड़ नही सकता तो ये तो कर सकता है हिन्दू समाज....


-जो करे वंदे मातरम् का बहिष्कार

-जो करे आतंकवादियों से प्यार

- जो करे सूर्य नमस्कार का बहिष्कार 

- जो करे निर्दोष देशवासियों पर वार

-जो ना माने संविधान, ना माने सरकार

-मुसलमान केवल इस्लाम का वफादार


-इन पर अगर करना है वार

-ना चलाओ गोली, ना चलाओ तलवार

"सिर्फ करो मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार....."


🚩बिना भूले इन नियमो को पालेंगे और इनका प्रचार प्रसार करेंगे।

1) फल खरीदेगे हिन्दू से ।

2) सब्जी लेगे हिन्दू से ।

3) कपडे खरीदेगे / सिलवायेंगे हिन्दू से।

4) हमारा डॉक्टर हिन्दू ही होगा। 

5) गाड़ी रिपेअर करवायेंगे हिन्दू से।

6) होटल में जायेगे हिन्दू के ।

7) रिक्शा टैक्सी में बैठेंगे हिन्दू के ।

8) घर, प्लम्बिंग और फर्निचर बनवायेंगे हिन्दू से। 

 9)रेडीमेड वस्तुए खरीदेंगे हिन्दू से।

10) प्रतिदिन कम से कम 10 हिन्दुओं को ये बात समझाएंगे और 100 हिन्दुओं तक ये बात पहुँचाएँगे ।


🚩बिना भूले इन नियमो को पालेंगे और इनका प्रचार प्रसार करेंगे।

🚩दुनिया के कई देशों ने इसे अपनाया है । जो ना ही किसी कानून का उलंघन करना कहा जा सकता है और ना ही हिंसा है ये ।


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Sunday, October 1, 2023

लाल बहादुर शास्त्री ने ऐसा क्या किया था जो आज भी उन्हें क्यों याद जाता है ? जानिए......

1 October 2023


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🚩लाल बहादुर शास्त्री महान निष्ठा और सक्षम व्यक्ति के रूप में जाने जाते है,वे महान आंतरिक शक्ति के साथ विनम्र, सहनशील थे, जो आम आदमी की भाषा को समझते थे और एक दृष्टि के व्यक्ति भी थे, जिन्होंने देश को प्रगति की ओर अग्रसर किया था ,लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। उन्होंने पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के आकस्मिक निधन के बाद शपथ ली थी । उन्होंने 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 , अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री का पद संभाला ।


🚩उन्होंने 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के माध्यम से देश का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था । एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए स्तंभों के रूप में आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को पहचानते हुए उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ के नारे को लोकप्रिय बनाया।


🚩वे असाधारण इच्छा शक्ति के व्यक्ति थे, जो मृदुभाषी तरीके में विश्वास रखते थे। एक राजनितिक नेता होने के बाद भी वे बड़े बड़े भाषणों के बजाय , वे राष्ट्रपति कार्यो से ज्यादा याद किये जाते हैं।


🚩अज्ञान तथ्य


🚩भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर को हम मनाते आये हैं।


🚩1926 में, लाल बहादुर शास्त्री जी को काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के द्वारा ‘शास्त्री’ की उपाधि दी गई थीं ।


🚩शास्त्री जी स्कूल जाने के लिए दिन में दो बार अपने सिर पर किताबें बांध कर गंगा नदी तैर कर जाते थे,क्योंकि उनके पास नाव लेने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं हुआ करता था।


🚩जब लाल बहादुर शास्त्री उत्तर प्रदेश के मंत्री थे, तब वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने लाठीचार्ज के बजाय भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी के जेट विमानों का इस्तेमाल किया था।

उन्होंने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया और भारत के भविष्य को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वे जेल भी गए क्योंकि उन्होंने गांधी जी के साथ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था लेकिन उन्हें 17 साल के नाबालिग होने के कारण छोड़ दिया गया था।


🚩स्वतंत्रता के बाद परिवहन मंत्री के रूप में, उन्होंने सार्वजनिक परिवहन में महिला ड्राइवरों और कंडक्टरों के प्रावधान की शुरुआत की।

अपनी शादी में दहेज के रूप में उन्होंने खादी का कपड़ा और चरखा स्वीकार किया।

उन्होंने साल्ट मार्च में भाग लिया और दो साल के लिए जेल भी गए।


🚩जब वह गृह मंत्री थे, तो उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक समिति की पहली समिति शुरू की थी।

उन्होंने भारत के खाद्य उत्पादन की मांग को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति के विचार को भी एकीकृत किया था।


🚩1920 के दशक में वे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता के रूप में कार्य किया था।


🚩यही नहीं, उन्होंने देश में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने का भी समर्थन किया था,उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड बनाया और गुजरात के आनंद में स्थित अमूल दूध सहकारी का समर्थन किया था।

 उन्होंने 1965 के युद्ध को समाप्त करने के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान के साथ 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए।


🚩उन्होंने दहेज प्रथा और जाति प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई।

वे उच्च आत्म-सम्मान और नैतिकता के साथ एक उच्च अनुशासित व्यक्ति थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने कार नहीं रखी।


🚩लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल वचन:-


🚩अनुशासन और एकजुट होकर काम करना राष्ट्र के लिए ताकत का असली स्रोत है।

हमें शांति के लिए बहादुरी से लड़ना चाहिए जैसे हम युद्ध में लड़े थे। यह अत्यंत खेद की बात है कि आज परमाणु ऊर्जा का उपयोग परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा रहा है। शासन का मूल विचार, समाज को एक साथ रखना है ताकि यह विकसित हो सके और कुछ लक्ष्यों की ओर अग्रसर हो सके।


🚩सच्चा लोकतंत्र या जनता का स्वराज असत्य और हिंसक साधनों से कभी नहीं आ सकता! मैं उतना सरल नहीं हू, जितना मैं दिखता हूं। हम न केवल अपने लिए बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं। हमारे लिए हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे लोगों की एकता और एकजुटता के निर्माण के कार्य से अधिक महत्वपूर्ण कोई नहीं है। स्वतंत्रता की रक्षा करना केवल सैनिकों का कार्य नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना है। आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हमें अपने सबसे बड़े दुश्मनों – गरीबी, बेरोजगारी से लड़ना चाहिए। विज्ञान और वैज्ञानिक कार्यों में सफलता असीमित या बड़े संसाधनों के प्रावधान से नहीं बल्कि समस्याओं और उद्देश्यों के बुद्धिमान और सावधानीपूर्वक चयन से मिलती है।


🚩सबसे बढ़कर, जो आवश्यक है वह है कड़ी मेहनत और समर्पण।

 देश के प्रति वह निष्ठा अन्य सभी निष्ठाओं से आगे आती है। और यह पूर्ण निष्ठा है, क्योंकि कोई इसे प्राप्त करने के संदर्भ में नहीं तौल सकता है।

अब हमें शांति के लिए उसी साहस और दृढ़ संकल्प के साथ लड़ना है, जैसा कि हमने आक्रमण के खिलाफ लड़ा था।


🚩शास्त्री जी कहते थे कि “हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं।

तो आप जान गए होंगे की लाल बहादुर शास्त्री एक महान व्यक्ति, नेता और सरल व्यक्ति थे। उनके किए गए कार्यों को पूरा देश याद करता है।


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Saturday, September 30, 2023

पत्थरबाजी सोची-समझी जिहादी रणनीति, मुस्लिमों द्वारा गणेश उत्सव पर देशभर में पत्थर बाजी

 30 September, 2023


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🚩पहले गुड़ी पड़वा फिर रामनवमी , हनुमान जयंती और अब... गणेशोत्सव पर देशभर में कई जगहों पर इस्लामी कट्टर पंथियों ने जमकर पत्थर बाजी की !


🚩गज़वा-ए-हिंद को साकार करने के लिए कट्टरपंथी जेहादियों द्वारा, हिन्दुओं और हिन्दू त्यौहार के खिलाफ़ हिंसा की वारदातें दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही हैं !


🚩आज समय की मांग है कि सभी सनातनियों को आपस में मिल-जुलकर एकजुट होकर आगे आना ही होगा !


🚩पत्थरबाजी एक बहुत सोची-समझी जिहादी रणनीति है। एक खास तरह के पत्थरों को इकट्ठा करना, उन्हें फेंकने का प्रशिक्षण देना, उसका नियंत्रित इस्तेमाल करना, यह सब संगबाजी जिहाद का हिस्सा हैं। बिना पूर्व योजना के संगबाजी हो ही नहीं सकती। संगबाजी का सबसे बड़ा फायदा है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यह सुरक्षाबलों की बंदूकों को निष्क्रिय कर देती है। अगर सुरक्षाबल गोली से जवाब दें, तो यह उनके दुष्प्रचार और मुसलमानों के एकत्रीकरण के लिए बहुत लाभदायक होता है। संगबाजी के कई स्वरूप होते हैं। पहला, जो कश्मीर में देखने को मिला। दूसरा, जो रामनवमी शोभायात्राओं में दिखा और तीसरा, जो हाल के

गणेश उत्सव में देखने को मिला।


 🚩गणेश उत्सव पर देशभर में अनेक जगह पर पत्थर बाजी


🚩मध्य प्रदेश के धार जिले के कुक्षी में गुरुवार रात को अनंत चतुर्दशी के मौके पर निकाले जा रहे श्री गणेशजी की यात्रा पर इस्लामी कत्थरपंथियो ने जमाकर पथराव किया गया।


🚩राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर के बस स्टैंड के पास तालाब में गुरुवार देर शाम गणपति जी का विसर्जन किया जा रहा था, ऐसे में बड़ी संख्या में महिलाएं-पुरुष और बच्चे नाचते गाते तालाब की ओर बढ़ रहे थे। तभी कट्टरपंथियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी।


🚩झारखंड के कतरास शहर में गणेश पूजा की धूम के दौरान रानी बाजार गणेश पूजा समिति के द्वारा गणेश प्रतिमा के विसर्जन के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगो ने पत्थरबाजी की । जिसमें पांच लोग घायल हो गए। थाना पहुंच कर पुलिस से शिकायत की है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले की छानबीन शुरु कर दी है।


🚩गुजरात के वडोदरा में गणेश यात्रा के दौरान हिंसा हुई है। वहां सोमवार रात जिस वक्त गणेश यात्रा एक निकल रही थी उसपर मुसलमान के कुछ लोगो ने पत्थरबाजी किया। पुलिस ने मामले में 13 लोगों को हिरासत में लिया है।


🚩गुजरात के नर्मदा जिले में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो गया है। यहां लांबा इलाके में बजरंग दल की शौर्य यात्रा पर जमकर पत्थरबाजी और आगजनी की गई। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर भीड़ को मौके से हटा दिया है। बड़ी संख्या में पुलिसफोर्स की तैनाती की गई है।


🚩विशेश्वरगंज(बहराइच)। बारावफात जुलूस की तैयारियों के दौरान विशेश्वरगंज थाना क्षेत्र में मंगलवार को उस समय तनाव फैल गया जब समुदाय विशेष के युवकों ने दूसरे समुदाय के लोगों के मकानों पर हरा झंडा लगा दिया। जब विरोध हुआ तो मुस्लिम समुदाय के युवकों ने लगभग 200 की संख्या में पहुंचकर झंडा उतारने वाले लोगों पर हमला कर दिया।


🚩इस दौरान मुस्लिम जिहादियों ने जमकर पत्थरबाजी की जिसमें एक किशोर अनुराग पुत्र शिवकुमार जायसवाल घायल हो गया। पुलिस ने 14 नामजद व 10 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। एसपी ने बताया कि चार लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। गंगवल बाजार क्षेत्र में पुलिस बल तैनात किया गया है।


🚩पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन पर गुरुवार (28 सितंबर 2023) को निकले बारावफात जुलूस में कई जगहों पर उपद्रव देखने को मिला। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जुलूस में शामिल लोगों ने पत्थरबाजी की। सुल्तानपुर में तिरंगे के अपमान का मामला सामने आया है। बदायूं में का एक वीडियो वायरल है, जहाँ मुस्लिम भीड़ ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगाती दिख रही है।


🚩कुशीनगर में पत्थरबाजी


🚩कुशीनगर में बारावफात जुलूस के दौरान पत्थरबाजी हुई। नवीन सब्जी मंडी के नौका टोला से बारावफात का जुलूस नगर भ्रमण के लिए निकला। इसमें एक ट्राली पर नाबालिग हाथ में तख्ती लिए था, जिस पर लिखा हुआ था- 15 मिनट याद आया। उसी ट्राली पर हैदराबाद के विवादित मुस्लिम नेता अकबरूद्दीन ओवैसी की हेट स्पीच का ऑडियो भी बज रहा था।


🚩ये जुलूस वापस जब गोला बाजार पहुँचा तो ओवैसी के ऑडियो पर हिंदू युवकों ने आपत्ति की, इसके बाद जुलूस में शामिल मुस्लिम युवकों ने राम जानकी मंदिर के पास पथराव किया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो वायरल हो गया, जिसके बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया। भारी पुलिस बल और पीएसी की तैनाती करनी पड़ी।


🚩पथराव में राम जानकी नगर की मुस्कान और रितेश घायल हो गए। इस मामले में पुलिस ने पथराव करने वाले 37 ज्ञात और कुछ अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर 6 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।


🚩सबसे बड़ा सवाल


🚩अब सबसे बड़ा सवाल यह उत्पन्न होता है कि हिंदू त्यौहार की यात्रा पर हिंसा से लाभ किसको मिलता है। इसके उत्तर के लिए हमें गजवा-ए-हिंद के इस्लामिक सिद्धांत पर गौर करना होगा। सभी भारतीय मुसलमान इस सिद्धांत से मजहबी रूप से बंधे हुए हैं। इसकी निंदा या इसके बहिष्कार की सजा शरियत के मुताबिक मौत है। गजवा-ए-हिंद इस्लामिक कट्टरपंथ और ध्रुवीकरण के बिना संभव नहीं है। दारुल हरब से दारुल इस्लाम की यात्रा ध्रुवीकरण के बिना संभव नहीं है। इसके लिए हिंदुओं के खिलाफ समय-समय पर हिंसा अत्यंत आवश्यक है। भारत में मुसलमानों में यह डर हमेशा रहा है कि उनके मजहब के लोग कहीं अतीत की रास्ते पर न चल पड़ें। कहीं हिंदू वातावरण में दोबारा सम्मिलित न हो जाएं। देवबंद की स्थापना भी इसीलिए हुई थी, क्योंकि 1857 के युद्ध के बाद मौलवियों की यही मान्यता थी कि वह मुगल राज पुन: स्थापित करने में इसलिए नाकामयाब हुए, क्योंकि भारत के मुसलमानों पर हिंदू धर्म का असर काफी बढ़ गया था और एक साझा संस्कृति बनती जा रही थी। अहल-ए-हदीस आंदोलन का भी यही कारण था।


🚩डॉ. बी.आर. आंबेडकर ने अपनी किताब ‘थॉट्स आन पाकिस्तान’ में लिखा है कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि एक गुजराती मुसलमान और एक गुजराती हिंदू या एक कश्मीरी हिंदू और एक कश्मीरी मुसलमान, सांस्कृतिक रूप से एक हैं। उनका कहना है कि यह केवल एक मुसलमान की सोच में अस्थाई समझौता है। उनका मानना है कि किन्हीं कारणों से इस्लामीकरण रुक गया था, जो कभी न कभी पूरा होगा। अगर डॉ. आंबेडकर का विश्लेषण गलत रहा होता, तो बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल एक राज्य होते। बांग्लादेश से हिंदुओं का पलायन नहीं होता और कोलकाता में हिंदू त्यौहार की शोभायात्रा पर बंगाली मुसलमान पत्थरबाजी न करते।


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Friday, September 29, 2023

श्राद्ध करने से क्या-क्या लाभ...न करने से क्या क्या हानि....जानिए:-

29 September, 2023


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🚩श्राद्धकर्म से देवता और पितर तृप्त होते हैं और श्राद्ध करनेवाले का अंतःकरण भी तृप्ति-संतुष्टि का अनुभव करता है। बूढ़े-बुजुर्गों ने हमारी उन्नति के लिए बहुत कुछ किया है तो उनकी सद्गति के लिए हम भी कुछ करेंगे तो हमारे हृदय में भी तृप्ति-संतुष्टि का अनुभव होगा।


🚩औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को कैद कर दिया था तब शाहजहाँ ने अपने बेटे को लिख भेजाः “धन्य हैं हिन्दू जो अपने मृतक माता-पिता को भी खीर और हलुए-पूरी से तृप्त करते हैं और तू जिन्दे बाप को भी एक पानी की मटकी तक नहीं दे सकता? तुझसे तो वे हिन्दू अच्छे, जो मृतक माता-पिता की भी सेवा कर लेते हैं।”


🚩गरुड़ पुराण में श्राद्ध महिमा:


🚩कुर्वीत समये श्राद्धं कुले कश्चिन्न सीदति।

आयुः पुत्रान् यशः स्वर्गं कीर्तिं पुष्टिं बलं श्रियम्।।

पशून् सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात्।

देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते।।

देवताभ्यः पितृणां हि पूर्वमाप्यायनं शुभम्।


🚩”समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता। पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है। देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्त्व है। देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है।(10.57-59)


🚩”सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूप में घर के दरवाजे पर उपस्थित रहते हैं और अपने स्वजनों से श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं। जब तक सूर्यास्त नहीं हो जाता, तब तक वे भूख-प्यास से व्याकुल होकर वहीं खड़े रहते हैं। सूर्यास्त हो जाने के पश्चात वे निराश होकर दुःखित मन से अपने-अपने लोकों को चले जाते हैं। अतः अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। यदि पितृजनों के पुत्र तथा बन्धु-बान्धव उनका श्राद्ध करते हैं और गया-तीर्थ में जाकर इस कार्य में प्रवृत्त होते हैं तो वे उन्हीं पितरों के साथ ब्रह्मलोक में निवास करने का अधिकार प्राप्त करते हैं। उन्हें भूख-प्यास कभी नहीं लगती। इसीलिए विद्वान को प्रयत्नपूर्वक यथाविधि शाकपात से भी अपने पितरों के लिए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।


🚩भगवान विष्णु गरूड़ से कहते हैं- जो लोग अपने पितृगण, देवगण, ब्राह्मण तथा अग्नि की पूजा करते हैं, वे सभी प्राणियों की अन्तरात्मा में समाविष्ट मेरी ही पूजा करते हैं। शक्ति के अनुसार विधिपूर्वक श्राद्ध करके मनुष्य ब्रह्मपर्यंत समस्त चराचर जगत को प्रसन्न कर देता है।


🚩हे आकाशचारिन् गरूड़ ! पिशाच योनि में उत्पन्न हुए पितर मनुष्यों के द्वारा श्राद्ध में पृथ्वी पर जो अन्न बिखेरा जाता है,उससे संतृप्त होते हैं। श्राद्ध में स्नान करने से भीगे हुए वस्त्रों द्वारा जो जल पृथ्वी पर गिरता है, उससे वृक्ष योनि को प्राप्त हुए पितरों की संतुष्टि होती है। उस समय जो गन्ध तथा जल भूमि पर गिरता है, उससे देव योनि को प्राप्त पितरों को सुख प्राप्त होता है। जो पितर अपने कुल से बहिष्कृत हैं, क्रिया के योग्य नहीं हैं, संस्कारहीन और विपन्न हैं, वे सभी श्राद्ध में विकिरान्न और मार्जन के जल का भक्षण करते हैं। श्राद्ध में भोजन करने के बाद आचमन एवं जलपान करने के लिए ब्राह्मणों द्वारा जो जल ग्रहण किया जाता है, उस जल से पितरों को संतृप्ति प्राप्त होती है। जिन्हें पिशाच, कृमि और कीट की योनि मिली है तथा जिन पितरों को मनुष्य योनि प्राप्त हुई है, वे सभी पृथ्वी पर श्राद्ध में दिये गये पिण्डों में प्रयुक्त अन्न की अभिलाषा करते हैं, उसी से उन्हें संतृप्ति प्राप्त होती है।


🚩इस प्रकार ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्यों के द्वारा विधिपूर्वक श्राद्ध किये जाने पर जो शुद्ध या अशुद्ध अन्न, जल फेंका जाता है, उससे उन पितरों की तृप्ति होती है,जिन्होंने अन्य जाति में जाकर जन्म लिया है। जो मनुष्य अन्यायपूर्वक अर्जित किये गये पदार्थों के श्राद्ध करते हैं, उस श्राद्ध से नीच योनियों में जन्म ग्रहण करने वाले चाण्डाल पितरों की तृप्ति होती है।


🚩हे पक्षिन् ! इस संसार में श्राद्ध के निमित्त जो कुछ भी अन्न, धन आदि का दान अपने बन्धु-बान्धवों के द्वारा किया जाता है, वह सब पितरों को प्राप्त होता है। अन्न, जल और शाकपात आदि के द्वारा यथासामर्थ्य जो श्राद्ध किया जाता है, वह सब पितरों की तृप्ति का हेतु है। – गरूड़ पुराण


🚩श्राद्घ नहीं कर सकते हैं तो…


🚩अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें : “हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), अमुक गोत्र (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दें) को आप संतुष्ट/सुखी रखें। इस निमित्त मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता हूँ।” ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगाएं। गौ माता को चारा खिला देना चाहिए।


🚩श्राद्ध के बारे में संपूर्ण जानकारी 


https://goo.gl/SdZbct


🚩श्राद्ध पक्ष में रोज भगवद्गीता के सातवें अध्याय का पाठ और 1 माला द्वादश मंत्र ”ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और 1 माला “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा” की करनी चाहिए और उस पाठ एवं माला का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।


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