Sunday, August 27, 2017

भगवान बुद्ध के साथ भी यही हुआ था

अभी जिन संतों पर आरोप लग रहे हैं उनके भक्त दुःखी न हो, भगवान बुद्ध के साथ भी यही हुआ था

कपिलवस्तु के राजा #शुद्धोदन का युवराज था सिद्धार्थ! यौवन में कदम रखते ही #विवेक और #वैराग्य जाग उठा। युवान पत्नी #यशोधरा और नवजात शिशु #राहुल की मोह-ममता की रेशमी जंजीर काटकर महाभीनिष्क्रमण (गृहत्याग) किया। एकान्त अरण्य में जाकर गहन ध्यान साधना करके अपने साध्य तत्त्व को प्राप्त कर लिया।
conspiracy against lord buddha

🚩एकान्त में तपश्चर्या और ध्यान साधना से खिले हुए इस आध्यात्मिक कुसुम की मधुर सौरभ लोगों में फैलने लगी। अब #सिद्धार्थ भगवान #बुद्ध के नाम से जन-समूह में प्रसिद्ध हुए। हजारों हजारों लोग उनके उपदिष्ट मार्ग पर चलने लगे और अपनी अपनी योग्यता के मुताबिक #आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ते हुए #आत्मिक शांति प्राप्त करने लगे। असंख्य लोग बौद्ध भिक्षुक बनकर भगवान बुद्ध के सान्निध्य में रहने लगे। उनके पीछे चलने वाले अनुयायियों का एक संघ स्थापित हो गया।

 🚩चहुँ ओर नाद गूँजने लगे :
 बुद्धं शरणं गच्छामि।
धम्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि।

🚩श्रावस्ती नगरी में भगवान बुद्ध का बहुत यश फैला। लोगों में उनकी जय-जयकार होने लगी। लोगों की भीड़-भाड़ से विरक्त होकर बुद्ध नगर से बाहर जेतवन में आम के बगीचे में रहने लगे। नगर के पिपासु जन बड़ी तादाद में वहाँ हररोज निश्चित समय पर पहुँच जाते और उपदेश-प्रवचन सुनते। बड़े-बड़े राजा महाराजा भगवान बुद्ध के सान्निध्य में आने जाने लगे।

🚩समाज में तो हर प्रकार के लोग होते हैं। अनादि काल से दैवी सम्पदा के लोग एवं #आसुरी सम्पदा के लोग हुआ करते हैं। बुद्ध का फैलता हुआ यश देखकर उनका तेजोद्वेष करने वाले लोग जलने लगे। संतों के साथ हमेशा से होता आ रहा है ऐसे उन #दुष्ट तत्त्वों ने #बुद्ध को #बदनाम करने के लिए #कुप्रचार किया। विभिन्न प्रकार की युक्ति-प्रयुक्तियाँ लड़ाकर बुद्ध के यश को हानि पहुँचे ऐसी बातें समाज में वे लोग फैलाने लगे। #उन दुष्टों ने अपने #षड्यंत्र में एक #वेश्या को #समझा-बुझाकर #शामिल कर लिया।

🚩वेश्या बन-ठनकर जेतवन में भगवान बुद्ध के निवास-स्थान वाले बगीचे में जाने लगी। धनराशि के साथ दुष्टों का हर प्रकार से सहारा एवं प्रोत्साहन उसे मिल रहा था। रात्रि को वहीं रहकर सुबह नगर में वापिस लौट आती। अपनी सखियों में भी उसने बात फैलाई।

🚩लोग उससे पूछने लगेः "अरी! आजकल तू दिखती नहीं है?कहाँ जा रही है रोज रात को?"

🚩"मैं तो रोज रात को जेतवन जाती हूँ। वे बुद्ध दिन में लोगों को उपदेश देते हैं और रात्रि के समय मेरे साथ रंगरलियाँ मनाते हैं। सारी रात वहाँ बिताकर सुबह लौटती हूँ।"

🚩वेश्या ने पूरा स्त्रीचरित्र आजमाकर #षड्यंत्र करने वालों का साथ दिया । लोगों में पहले तो हल्की कानाफूसी हुई लेकिन ज्यों-ज्यों बात फैलती गई त्यों-त्यों लोगों में जोरदार विरोध होने लगा। लोग बुद्ध के नाम पर फटकार बरसाने लगे। बुद्ध के भिक्षुक बस्ती में भिक्षा लेने जाते तो लोग उन्हें गालियाँ देने लगे। बुद्ध के संघ के लोग सेवा-प्रवृत्ति में संलग्न थे। उन लोगों के सामने भी उँगली उठाकर लोग बकवास करने लगे।

🚩बुद्ध के शिष्य जरा असावधान रहे थे। #कुप्रचार के समय साथ ही साथ सुप्रचार होता तो कुप्रचार का इतना प्रभाव नहीं होता। 

🚩शिष्य अगर निष्क्रिय रहकर सोचते रह जायें कि 'करेगा सो भरेगा... भगवान उनका नाश करेंगे..' तो कुप्रचार करने वालों को खुल्ला मैदान मिल जाता है।

🚩#संत के #सान्निध्य में आने वाले लोग #श्रद्धालु, #सज्जन, #सीधे सादे होते हैं, जबकि #दुष्ट प्रवृत्ति करने वाले लोग #कुटिलतापूर्वक #कुप्रचार करने में #कुशल होते हैं। फिर भी जिन संतों के पीछे सजग समाज होता है उन संतों के पीछे उठने वाले कुप्रचार के तूफान समय पाकर शांत हो जाते हैं और उनकी सत्प्रवृत्तियाँ प्रकाशमान हो उठती हैं।

🚩कुप्रचार ने इतना जोर पकड़ा कि बुद्ध के निकटवर्ती लोगों ने 'त्राहिमाम्' पुकार लिया। वे समझ गये कि यह व्यवस्थित आयोजन पूर्वक षड्यंत्र किया गया है। बुद्ध स्वयं तो पारमार्थिक सत्य में जागे हुए थे। वे बोलतेः "सब ठीक है, चलने दो। व्यवहारिक सत्य में वाहवाही देख ली। अब निन्दा भी देख लें। क्या फर्क पड़ता है?"

🚩शिष्य कहने लगेः "भन्ते! अब सहा नहीं जाता। संघ के निकटवर्ती भक्त भी अफवाहों के शिकार हो रहे हैं। समाज के लोग अफवाहों की बातों को सत्य मानने लग गये हैं।"

🚩बुद्धः "धैर्य रखो। हम पारमार्थिक सत्य में विश्रांति पाते हैं। यह #विरोध की #आँधी चली है तो शांत भी हो जाएगी। समय पाकर सत्य ही बाहर आयेगा। आखिर में लोग हमें जानेंगे और मानेंगे।"

 🚩कुछ लोगों ने अगवानी का झण्डा उठाया और राज्यसत्ता के समक्ष जोर-शोर से माँग की कि बुद्ध की जाँच करवाई जाये। लोग बातें कर रहे हैं और वेश्या भी कहती है कि बुद्ध रात्रि को मेरे साथ होते हैं और दिन में सत्संग करते हैं।

🚩बुद्ध के बारे में जाँच करने के लिए राजा ने अपने आदमियों को फरमान दिया। अब षड्यंत्र करनेवालों ने सोचा कि इस जाँच करने वाले पंच में अगर सच्चा आदमी आ जाएगा तो #अफवाहों का सीना चीरकर सत्य बाहर आ जाएगा। अतः उन्होंने अपने #षड्यंत्र को आखिरी पराकाष्ठा पर पहुँचाया। अब ऐसे ठोस सबूत खड़ा करना चाहिए कि बुद्ध की प्रतिभा का अस्त हो जाये।

🚩उन्होंने वेश्या को दारु पिलाकर जेतवन भेज दिया। पीछे से गुण्डों की टोली वहाँ गई। वेश्या के साथ बलात्कार आदि सब दुष्ट कृत्य करके उसका गला घोंट दिया और लाश को बुद्ध के बगीचे में गाड़कर पलायन हो गये।

🚩लोगों ने #राज्यसत्ता के द्वार खटखटाये थे लेकिन सत्तावाले भी कुछ #लोग दुष्टों के साथ #जुड़े हुए थे। ऐसा थोड़े ही है कि सत्ता में बैठे हुए सब लोग दूध में धोये हुए व्यक्ति होते हैं।

🚩राजा के अधिकारियों के द्वारा जाँच करने पर वेश्या की लाश हाथ लगी। अब दुष्टों ने जोर-शोर से चिल्लाना शुरु कर दिया।

🚩"देखो, हम पहले ही कह रहे थे। वेश्या भी बोल रही थी लेकिन तुम भगतड़े लोग मानते ही नहीं थे। अब देख लिया न? बुद्ध ने सही बात खुल जाने के भय से वेश्या को मरवाकर बगीचे में गड़वा दिया। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। लेकिन सत्य कहाँ तक छिप सकता है? मुद्दामाल हाथ लग गया। इस ठोस सबूत से बुद्ध की असलियत सिद्ध हो गई। सत्य बाहर आ गया।"

🚩लेकिन उन मूर्खों का पता नहीं कि तुम्हारा बनाया हुआ कल्पित सत्य बाहर आया, वास्तविक सत्य तो आज ढाई हजार वर्ष के बाद भी वैसा ही चमक रहा है। आज बुद्ध भगवान को लाखों लोग जानते हैं, आदरपूर्वक मानते हैं। उनका तेजोद्वेष करने वाले दुष्ट लोग कौन-से नरकों में जलते होंगे क्या पता!

🚩अभी जिन #संतों के ऊपर #आरोप लग रहे है उनके भक्त अगर सच्चाई किसी को बताने जाएंगे तो #दुष्ट प्रकृति के लोग तो बोलेंगे ही लेकिन जो #हिंदूवादी और #राष्ट्रवादी कहलाने वाले लोग है वे भी यही बोलेंगे की कि बुद्ध तो भगवान थे, आजकल के संत ऐसे ही है, उनको इतने पैसे की क्या जरूत है? लड़कियों से क्यों मिलते हैं..??? ऐसे कपड़े क्यों पहनते हैं..??? आदि आदि

 🚩पर उनको पता नही है कि पहले ऋषि मुनियों के पास इतनी सम्पत्ति होती थी कि राजकोष में धन कम पड़ जाता था तो ऋषि मुनियों से लोन लिया जाता था और रही कपड़े की बात तो कई भक्तों की भावना होती है तो पहन लेते हैं और लड़कियां दुःखी होती हैं तो उनके मां-बाप लेकर आते हैं तो कोई दुःख होता है तो मिल लेते हैं,उनके घर थोड़े ही बुलाने जाते हैं और भी कई तर्क वितर्क करेगे लेकिन आप सब दुःखी नहीं होना, सबके बस की बात नही है कि महापुरुषों को पहचान पाये, आप अपने गुरूदेव का #प्रचार #प्रसार करते रहें,एक दिन ऐसा आएगा कि निंदा करने वाले भी आपके पास आयेंगे और बोलेंगे कि मुझे भी अपने गुरु के पास ले चलो ।

🚩जय हिन्द

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Saturday, August 26, 2017

इतिहास उठाकर देखें संतों की जय-जयकार होती रही है और निंदकों की दुर्गति

इतिहास उठाकर देखें संतों की जय-जयकार होती रही है और निंदकों की दुर्गति
जिन भी संतों-महापुरुषों ने संस्कृति रक्षा व जन-जागृति का कार्य किया है, उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे गये हैं । जगद्गुरु आद्य शंकराचार्यजी का इतना कुप्रचार किया गया कि उनकी माँ के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें लकड़ियाँ तक नहीं मिल रही थीं । महात्मा बुद्ध पर बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध संबंध एवं उसकी हत्या का आरोप लगाया गया ।
इतिहास उठाकर देखें संतों की जय-जयकार होती रही है और निंदकों की दुर्गति

स्वामी विवेकानंदजी पर चारित्रिक आरोप लगाकर उन्हें खूब बदनाम किया गया । संत नरसिंह मेहताजी को बदनाम करने व फँसाने के लिए वेश्या को भेजा गया । संत कबीरजी पर शराबी, कबाबी, वेश्यागामी होने के घृणित आरोप लगाये गये । भक्तिमती मीराबाई पर चारित्रिक लांछन लगाये गये एवं जान से मारने के कई दुष्प्रयास हुए ।
संत ज्ञानेश्वरजी और उनके भाइयों व बहन को निंदकों द्वारा समाज-बहिष्कृत किया गया था । संत तुकारामजी को बदनाम करने हेतु उन पर जादू-टोना और पाखंड करने के झूठे आरोप लगाये गये व वेश्या भेजी गयी । इतना परेशान किया कि उन्हें अपने अभंगों की बही नदी में डालनी पड़ी और उपराम हो के 13 दिनों तक उपवास करना पड़ा ।
वर्तमान में भी शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वतीजी, स्वामी नित्यानंदजी, स्वामी केशवानंदजी, श्री कृपालुजी महाराज, संत आशारामजी बापू, साध्वी प्रज्ञा सिंह आदि हमारे संतों को षड्यंत्र में फँसाकर झूठे आरोप लगा के गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ित किया गया, अधिकांश मीडिया द्वारा झूठे आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया परंतु जीत हमेशा सत्य की ही होती रही है और होगी ।
सत्यमेव जयते । ‘सत्य की ही विजय होती है ।’
इतिहास उठाकर देखें तो पता चलेगा कि सच्चे संतों व महापुरुषों की जय-जयकार होती रही है और आगे भी होती रहेगी । दूसरी ओर निंदकों की दुर्गति होती है और समाज उन्हें घृणा की दृष्टि से ही देखता है । अतएव समझदारी इसीमें है कि हम संतों का आदर करके या उनके आदर्शों को अपनाकर लाभ न ले सकें तो कम-से-कम उनकी निंदा करके या सुनके अपने पुण्य व शांति को तो नष्ट न करें । 
इतिहास देखें तो पता चलेगा कि सच्चे संतों व महापुरुषों के निन्दकों को कैसे-कैसे भीषण कष्टों को सहते हुए बेमौत मरना पड़ा है और पता नहीं किन-किन नरकों में सड़ना पड़ा है। अतैव समझदारी इसी में है कि हम संतों की प्रशंसा करके या उनके आदर्शों को अपना कर लाभ न ले सकें तो उनकी निन्दा करके अपने पुण्य व शांति भी नष्ट नहीं करनी चाहिए।

Friday, August 25, 2017

राम रहीम को बुला लिया, इमाम बुखारी को क्यों नही ? :साक्षी महाराज

राम रहीम को बुला लिया, इमाम बुखारी को क्यों नही बुलाती कोर्ट, यह षडयंत्र है: साक्षी महाराज
उन्नाव. बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सपोर्ट करते हुए कहा- ''एक आदमी ने कंप्लेन की है यौन शोषण की और करोड़ों लोग डेरा सच्चा बाबा को भगवान मान रहे हैं।


Called Ram Rahim, why not Imam Bukhari? : Sakshi Maharaj
तो एक की बात सुनी जा रही है, करोड़ों की कोर्ट क्यों नहीं सुन रहा है। अगर ज्यादा बड़ी घटनाएं घटती हैं तो इसके लिए डेरा के लोग ही नहीं कोर्ट भी जिम्मेदार होगा।'' 

भारतीय संस्कृति को बदनाम करने का षडयंत्र
- साक्षी महाराज ने कहा- ''एक आदमी यौन शोषण का आरोप लगा रहा है। पूर्वाग्रह भी हो सकता है। कुछ लोभ लालच भी हो सकता है। हो सकता है भारतीय संस्कृति की छवि को धूमिल करने, बर्बाद करने के लिए भी किया गया हो।''  
- '' कर्नल पुरोहित के साथ क्या हुआ? प्रज्ञा भारती ठाकुर के साथ क्या हुआ? ये योजना बद्ध तरीके से साधु-सन्यासी नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति को बदनाम करने का षडयंत्र है।''  
- ''मुझे लगता है कि माननीय न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय को गंभीरता से इस बात को लेना चाहिए। इतना नुक्सान हो गया और ज्यादा नुकसान न हो। अगर ज्यादा बड़ी घटनायें घटती है तो उसके लिए डेरा के लोग जिम्मेदार नहीं होंगे न्यायालय भी जिम्मेदार होगा।'' 

जामा मस्जिद का इमाम कोर्ट का रिश्तेदार है क्या?
- साक्षी महाराज ने आगे कहा- ''लॉ एंड ऑडर की स्थिति खराब हो गई। लोग मर रहे हैं, दंगे हो रहे हैं। जामा मस्जिद के इमाम को हाईकोर्ट क्यों नहीं बुला लेता है। वो कोई रिश्तेदार लगता है क्या?'' 
- ''राम रहीम तो सीधे साधे हैं तो बुला लिया और जामा मस्जिद के इमाम को नहीं बुला सकते। कितने केसों में वो वांछित है। कहीं न कहीं प्रश्न चिन्ह तो खड़ा होता है।'' ( स्त्रोत : दैनिक भास्कर)
आपको बता दें कि इमाम बुखारी पर कई गैरजमानती वारंट निकले हैं पर वे कभी आजतक कोर्ट में पेश नही हुए । इसलिए साक्षी महाराज ने उनपर बयान दिया ।
गुजरात द्वारका के केशवानंदजी महाराज पर कुछ समय पूर्व एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया और कोर्ट ने 12 साल की सजा भी सुना दी लेकिन जब दूसरे जज की बदली हुई तब देखा कि ये मामला झूठा है तब उनको 7 साल के बाद निर्दोष बरी किया गया था।
अब साक्षी महाराज की बात को लेकर कहीं न कहीं पुष्टि हो रही है कि कहीं ये भारतीय संस्कृति को बदनाम करने का सुनियोजित षडयंत्र तो नही चल रहा है?

Thursday, August 24, 2017

विघ्नविनाशक भगवान श्री गणपति जी की महिमा, एवं उस दिन से सालभर तक चंद्र दर्शन के कलंक से कैसे बचें?


गणेश चतुर्थी :  25 अगस्त
जिस दिन गणेश तरंगें प्रथम पृथ्वी पर आयी अर्थात जिस दिन गणेश जी अवतरित हुए, वह माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन था । उसी दिन से गणपति का चतुर्थी से संबंध स्थापित हुआ ।
शिवपुराण के अन्तर्गत रुद्रसंहिता के चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन आता है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पहले अपनी शक्ति से एक पुतला बनाकर उसमें प्राण भर दिए और उसका नाम 'गणेश' रखा।
पार्वती जी ने उससे कहा- हे पुत्र! तुम एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ। मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ। जब तक मैं स्नान न कर लूँ, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना।
ganesh chaturthi 


भगवान शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणों ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। 
अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। इससे माँ भगवती क्रुद्ध हो उठी और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षि नारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। 
शिवजी के निर्देश पर विष्णुजी उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। 
माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुख बालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया तथा ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान दिया।
भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तुम्हरा नाम सर्वोपरि होगा। तुम सबके पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों की अध्यक्षता करोगे ।
गणेश्वर! आप भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुये हैं । इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी।
इस साल 24 अगस्त 2017 रात्रि 8:20 से चतुर्थी शुरू हो जायेगी तब से चन्द्रास्त रात्रि 9:04 तक व 25 अगस्त 2017 चन्द्रास्त रात्रि 9:44 तक चन्द्र-दर्शन निषिद्ध है ।
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणपति का पूजन तो विशेष फलदायी है, किंतु उस दिन चंद्र दर्शन कलंक लगाने वाला होता है ।
क्यों ???
इस संदर्भ में पुराणों में एक कथा आती है कि -
एक बार गणपति जी कहीं जा रहे थे तो उनके लम्बोदर को देखकर चंद्रमा के अधिष्ठाता चंद्रदेव हँस पड़े । उन्हें हँसते देखकर गणेशजी ने शाप दे दिया कि ‘दिखते तो सुंदर हो, किंतु मुझ पर कलंक लगाते हो ।
अतः आज के दिन जो तुम्हारा दर्शन करेगा उसे कलंक लग जायेगा ।’
यह बात आज भी प्रत्यक्ष दिखती है । विश्वास न हो तो गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करके देख लेना । भगवान श्रीकृष्ण को गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा दर्शन करने पर स्यमंतक मणि की चोरी का कलंक सहना पड़ा था । बलरामजी को भी श्रीकृष्ण पर संदेह हो गया था ।
सर्वेश्वर, लोकेश्वर श्रीकृष्ण पर भी जब चौथ के चंद्रमा दर्शन करने पर कलंक लग सकता है तो साधारण मानव की तो बात ही क्या ? 
किंतु यदि भूल से भी चतुर्थी का चंद्रमा दिख जाय तो ‘श्रीमद् भागवत’ के 10वें स्कंध के 56-57वें अध्याय में दी गयी ‘स्यमंतक मणि की चोरी’ की कथा का आदरपूर्वक पठन-श्रवण करना चाहिए ।
भाद्रपद शुक्ल तृतीया या पंचमी के चन्द्रमा का दर्शन करना चाहिए, इससे चौथ को दर्शन हो गया हो तो उसका ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होगा ।
निम्न मंत्र का 21, 54 या 108 बार जप करके पवित्र किया हुआ जल पीने से कलंक का प्रभाव कम होता है ।
मंत्र इस प्रकार है :
सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः । सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः ।।
‘सुंदर, सलोने कुमार ! इस मणि के लिए सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है, अतः तुम रोओ मत । अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है।
जहाँ तक हो सके भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी का चंद्रमा न दिखे, इसकी सावधानी रखें ।
                (ब्रह्मवैवर्त पुराण, अध्याय : 78)
(ऋषि प्रसाद :  अगस्त 2014)
लक्ष्मी पूजन के साथ गणेश पूजन का विधान इसी कारण रखा गया कि धन जीवन में अहंकार, व्यसन जैसी बुराइयां लेकर न आये अर्थात गलत तरीकों से धन न कमाएं । ईमानदारी से कमाया गया धन ही हमारे लिए सुखकारी होगा,
अन्यथा धन पाकर भी कितने लोग हैं जो सुखी नहीं रह पाते हैं ???
जिस प्रकार अधिकांश वैदिक मंत्रों के आरम्भ में ‘ॐ’ लगाना आवश्यक माना गया है, वेदपाठ के आरम्भ में ‘हरि ॐ’ का उच्चारण अनिवार्य माना जाता है, उसी प्रकार प्रत्येक शुभ अवसर पर सर्वप्रथम श्री गणपतिजी का  पूजन अनिवार्य है । 
उपनयन, विवाह आदि सम्पूर्ण मांगलिक कार्यों के आरम्भ में जो श्री गणपतिजी का पूजन करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है । 
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश उपासना का विशेष महत्त्व है । इस दिन गणेशजी की प्रसन्नता के लिए इस ‘गणेश गायत्री’ मंत्र का जप करना चाहिए :
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ।
श्रीगणेशजी का अन्य मंत्र, जो समस्त कामनापूर्ति करनेवाला एवं सर्व सिद्धिप्रद है :
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं गणेश्वराय ब्रह्मस्वरूपाय चारवे । सर्वसिद्धिप्रदेशाय विघ्नेशाय नमो नमः ।।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, गणपति खंड : 13.34)
गणेशजी बुद्धि के देवता हैं । विद्यार्थियों को प्रतिदिन अपना अध्ययन-कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व भगवान गणपति, माँ सरस्वती एवं सद्गुरुदेव का स्मरण करना चाहिए । इससे बुद्धि शुद्ध और निर्मल होती है ।
विघ्न निवारण हेतु...
गणेश चतुर्थी के दिन ‘ॐ गं गणपतये नमः ’ का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नों का निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है ।
गणेशाेत्सव को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने देश की स्वाधीनता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण साधन बना दिया । उन्होंने लोक जागरण व जन-मन में देशभक्ति जगाने के लिए गणेशोत्सवों की शुरुआत करायी । इसलिए यह जरूरी है कि देश भर में आज भी उल्लास के साथ मनाया जाने वाला गणेशोत्सव केवल तड़क-भड़क और गीत-संगीत के खर्चीले आयोजनों के बीच मनुष्यता व सामाजिक दायित्व जगाने की अपनी मूल प्रेरणा को ना खोये ।

Wednesday, August 23, 2017

कवि: हिन्दू संस्कृति को दुश्मनों के हाथों से बचाना ही होगा



अगस्त 23, 2017
धर्मान्तरण, लव जिहाद, मीडिया और पाश्चात्य संस्कृति द्वारा हिन्दू संस्कृति एवं हिन्दू धर्म रक्षक संतों पर हो रहे कुठाराघात को लेकर एक कवि ने बहुत ही सुंदर कविता बनाई है ।
आइये पढ़ते है क्या लिखा है कवि ने...
हिन्दू संस्कृति को दुश्मनों के हाथों से बचाना ही होगा।
हिन्दुत्व की पताका को परचम पर लहराना ही होगा॥
हिन्दू संस्कृति को दुश्मनों के हाथों से बचाना ही होगा।
conversion media love jihad
बचाना ही होगा......

अत्याचार हो रहे निर्दोष संतों पर अपने ही देश में,
मानवता को शर्मसार कर रहे दुष्ट सज्जन के भेष में,
औकात क्या है इन दुष्टों की, अब इनको दिखाना ही होगा।
हिन्दू संस्कृति को दुश्मनों के हाथों से बचाना ही होगा।
बचाना ही होगा......
धर्मांतरण का चल रहा गौरख धंधा ईसाई मिशनरियों के दम पर,
पैसे, बल व शक्ति का दुरूपयोग कर रहे इस कुकर्म पर,
बन भगतसिंह, आजाद इन गौरों को भगाना ही होगा
हिन्दू संस्कृति को दुश्मनों के हाथों से बचाना ही होगा।
बचाना ही होगा......
लव जिहाद के नाम से फिर मुल्लों ने वार किया,
अपना नाम बदलकर बहनों की अस्मिता पर प्रहार किया,
द्रोपदी की लुटती अस्मिता को कृष्ण बन बचाना ही होगा,
हिन्दू संस्कृति को दुश्मनों के हाथों से बचाना ही होगा।
बचाना ही होगा......
हिन्दू धर्म की मान्यताओं का खूब मीडिया ने मजाक उड़ाया,
दूसरे धर्म की कुमान्यताओं को छुपाकर सिर पर बैठाया,
कमजोर नहीं है हिन्दुत्व ये मीडिया को दिखाना ही होगा,
हिन्दू संस्कृति को दुश्मनों के हाथों से बचाना ही होगा।
बचाना ही होगा......
पाश्चात्य संस्कृति की तरफ लोगों का रूझान बढ़ा,
हिन्दू संस्कृति भूल रहे धार्मिक मान्यताओं का अपमान बढ़ा,
बन विवेकानन्द, आशारामजी बापू विश्व को चेताना ही होगा,
हिन्दू संस्कृति को दुश्मनों के हाथों से बचाना ही होगा।
बचाना ही होगा......
कवि ने सच ही लिखा है कि हिन्दू संस्कृति को दुश्मनों के हाथों से बचाना ही होगा क्योंकि हिन्दू संस्कृति नही बचेगी तो दुनिया में से मानवता ही खत्म हो जाएगी ।
हिन्दू संस्कृति ही ऐसी है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम" के वाक्य को चरितार्थ कर दिखाया है और सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना रखती है ।
ईसाई चाहते कि ईसायत बढ़े, मुसलमान चाहते है मुस्लिम धर्म बढ़े, पारसी चाहते है कि पारसी धर्म का प्रचार, प्रसार हो ।
लेकिन हिन्दू धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो चाहता है कि प्राणिमात्र का कल्याण हो, विश्व का मंगल हो ऐसी भावना किसी मत, पंथ या मजहब में नहीं देखने को मिलेगी ।
हिन्दू धर्म पुरातन नहीं सनातन है मुस्लिम मजहब को 1450 साल हुए, ईसाई पंथ को 2017 साल हुए बाकि जो भी धर्म हैं कुछ साल पहले ही बनाये गए हैं लेकिन सनातन (हिन्दू) धर्म जबसे सृष्टि की उत्पति हुई तब से है ।
दूसरे धर्म जैसे कि मुस्लिम धर्म की मोहम्मद पैंगबर ने स्थापना की, ईसाई धर्म की यीशु ने स्थापना की लेकिन हिन्दू धर्म की स्थापना किसी ने नही की ।
हिन्दू धर्म में कई भगवानों के अवतार हो गये लेकिन स्थापना नही की इसलिए हिन्दू धर्म ही सबसे प्राचीन और उत्तम है उसको तोड़ने के लिए दुष्ट प्रकृति के लोग लगे हुए हैं लेकिन सनातन धर्म न कभी मिटा है न कभी मिटेगा ।
लेकिन फिर भी आज सभी हिंदुओं का कर्तव्य है कि जिस धर्म में अपना जन्म हुआ उस पर हो रहे कुठाराघात को रोके ।
जैसे अधर्म बढ़ गया तो श्री कृष्ण ने भी युद्ध किया था तो हिन्दुओं को भी दुष्ट लोगों का नाश कर धर्म की रक्षा करने के लिए आगे आना होगा ।

Tuesday, August 22, 2017

झूठ दिखाने पर पत्रकार दीपक चौरसिया पर कोर्ट ने निकाला गैरजमानती वारंट, होगी गिरफ्तारी


अगस्त 22, 2017
इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया ने आज स्वतंत्रता के नाम पर झूठ परोसना चालू कर दिया है, कहीं की घटना कहीं पर दिखाने लगे हैं । किसी भी न्यूज को अपने फायदे के अनुसार तोड़-मरोड़ कर दिखाते हैं । आज तो डिजिटल युग है उसमें कुछ भी छेड़छाड़ करके दिखाया जाता है , मीडिया आज उसका भरपूर उपयोग कर रही है । उसमें भी कोई हिंदुत्व का मुद्दा हो या कोई हिंदुत्वनिष्ठ हो तो उसके खिलाफ तो झूठी कहानियाँ जमकर दिखाते हैं ।
aRREST WARRANT AGAINST dipak chaurasiya

ऐसे ही इंडिया न्यूज के चीफ एडिटर दीपक चौरसिया ने गलत खबरें दिखाई तो पटना न्यायालय ने दीपक चौरसिया को गैर जमानती वारंट ( Non-bailable Warrant ) भेजा है लेकिन उसके बाद भी दीपक चौरसिया के न्यायालय में हाजिर नही होने पर लोगों में भारी आक्रोश है ।
पटना एवं नोएडा पुलिस द्वारा भी कोई ठोस कदम नही उठाने पर जनता सड़कों पर आ गई है और पटना एवं नोएडा पुलिस से प्रश्न कर रही है कि क्या दीपक चौरसिया के लिए अलग कानून है..???
क्यों गिरफ्तार नही कर रहे हैं...??
सोमवार को पटना पुलिस स्टेशन के सामने सैकड़ो लोगों ने दीपक चौरसिया को एरेस्ट करने के लिए धरना प्रदर्शन किया ।
उससे पहले भी चौरसिया को गिरफ्तार करने के लिए जंतर-मंतर और नोएडा पुलिस के सामने धरना प्रदर्शन किया गया था ।
कई बार ट्वीटर पर भी #ArrestCHORasia द्वारा लाखों ट्वीट्स की गई हैं जो हैशटैग भारतभर में टॉप ट्रेंड में दिखा ।
सभी का एक ही कहना था कि..
क्या हमारी न्याय प्रणाली कमजोर है या पुलिस प्रशासन बिका हुआ है...???
आखिर क्यों दीपक चौरसिया को गिरफ्तार नही कर रहे हैं ???
आपको बता दें कि #इण्डिया #न्यूज चैनल के दीपक चौरसिया के खिलाफ तीन-तीन बार #पटना #कोर्ट ने #summons जारी किये, पर हर बार  न्यायालय की अवहेलना करने के कारण पटना कोर्ट द्वारा चौरसिया को गिरफ्तार करने के लिए "गैर जमानती वारंट" जारी किया गया ।
गौरतलब है कि इंडिया न्यूज चैनल के दीपक चौरसिया ने हिन्दू संत आशारामजी बापू को बदनाम करने के उद्देश्य से कई झूठे एवं मनगढ़ंत न्यूज बनाये और जनता को गुमराह किया जबकि #पुलिस द्वारा उन आरोपों की पुष्टि आज तक नहीं हुई है ।
इसी कारण पटना में रहने वाले श्री दिलीप कुमार ने, जिनकी धार्मिक भावना को ठेस पहुँची थी, उन्होंने #पटना शहर के कोर्ट में दीपक चौरसिया एवं अन्य आरोपी जिनमें इंडिया न्यूज चैनल के मालिक एवं निर्देशक भी सम्मलित हैं,  उनके खिलाफ 15 मई 2014 को शिकायत दर्ज कराई थी ।
पटना कोर्ट ने इसकी गंभीरता को देखते हुए "#Non-bailable Warrant" जारी किया है ।
ब्रजबिहारी गुप्ता उर्फ #भोलानंद ने भी हजारों लोगों के सामने आकर षड़यंत्र का पर्दाफाश करते हुए कहा है कि संत आसारामजी बापू को फंसाने के लिए उनके खिलाफ इण्डिया #न्यूज टीवी पर बोलने के लिए #दीपक #चौसरिया का फोन आता था और ‘इंडिया न्यूज' का मनीष अवस्थी रोज गाड़ी लेकर मुझे लेने आता और पैसे की सूटकेस भर-भर के दिखाता था ।
भोलानन्द ने आगे कहा कि मै जब भी संत आसारामजी बापू के खिलाफ बोलने को मना करता तो मेरे को #70-80 लाख का फ्लेट, पैसे आदि का प्रलोभन देते और साथ में मुझे डराने-#धमकाने के लिए गुंडे भी बैठा रखे थे।
#दीपक चौरसिया के खिलाफ इतने अहम सबूत भी हैं और #गिरफ्तार करने के लिए पटना कोर्ट द्वारा "गैर जमानती वारंट" भी जारी किया गया है ।
#ट्वीटर पर भी लाखों लोग गिरफ्तारी की माँग कर रहे हैं और दिल्ली जंतर मंतर पर भी अनेक बड़े-बड़े हिन्दू संगठन और हजारों लोग गिरफ्तारी की माँग कर रहे हैं ।
अब देखना ये है कि बिना सबूत हिन्दू संतों को आधी रात को गिरफ्तार करने वाला ये #पुलिस प्रशासन हजारों-लाखों लोगों की मांग को देखकर कितना #सक्रिय होता है दीपक चौरसिया की #गिरफ्तारी को लेकर....!!

Monday, August 21, 2017

9 साल से बिना सबूत जेल में बंद कर्नल पुरोहित को मिली अंतरिम जमानत

9 साल से बिना सबूत जेल में बंद कर्नल पुरोहित को मिली अंतरिम जमानत
अगस्त 21, 2017
Conspiracy-Against-hinduism-Exposed
सुप्रीम कोर्ट ने बिना सबूत 9 साल से कारागार में बंद कर्नल पुरोहित की अंतरिम जमानत मंजूर कर दी है। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित पर 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके के आरोप लगाए गए थे। इस बम धमाके में 6 लोग मारे गए थे।
उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम जमानत देते हुए कहा, “हम मुंबई उच्च न्यायालय के निर्णय को पलट रहे हैं।” बता दें उच्चतम न्यायालय ने 17 अगस्त को ही जमानत मामले पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा था।
कर्नल पुरोहित ने न्यायालय से कहा था कि, वह बीते 9 वर्षों से कारागार में हैं और वे जमानत पाने के हकदार है। पुरोहित ‘अभिनव भारत’ के गठन से पहले सेना में थे। अभिनव भारत का गठन उन्होने हिंदू राष्ट्र के लिए किया था। वारदात में अपने शामिल होने से इनकार करते हुए पुरोहित ने न्यायालय से कहा था कि, अगर यह मान भी लिया जाए कि, उन पर लगाया गया बम की आपूर्ति करने का आरोप सही है तो भी उन्हे कारागार से बाहर होना चाहिए क्योंकि इस अपराध का भी अधिकतम दण्ड 7 वर्ष है जो वह पहले ही काट चुके है।
आपको बता दें कि गृह मंत्रालय में और पूर्व रक्षा सलाहकार एस. डी प्रधान पहले ही खुलासे कर चुके है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश-विदेश में हिन्दुओं की बदनामी करने के लिये पाकिस्तान के आतंकवादी की जगह निर्दोष हिन्दुत्वनिष्ठों को जेल में डाल दिया था ।
अब जनता सवाल कर रही है कि यातनाऐं देकर 9 साल से कर्नल पुरोहित को जेल में रखा गया, और अब न्यायालय ने जमानत दी तो 9 साल से जो  बिना सबूत #जेल में रखा, उनका जो समय गया, उनका स्वास्थ्य गया वो क्या न्यायालय लौटा पायेगा?
मीडिया ने उनकी जो खूब बदनामी की क्या वो इज्जत मीडिया दोबारा लौटा पायेगी ?
ऐसे ही कुछ समय पूर्व साध्वी प्रज्ञा को 9 साल में और स्वामी #असीमानन्द को 8 साल के बाद जेल से रिहा किया गया उनको भी बिना सबूत ही जेल में रखा गया था ।
ऐसे ही अभी भी बिना सबूत सालों से जम्मू के शंकराचार्य अमृतानन्द और छेड़छाड़ी के आरोप में हिन्दू संत बापू आसारामजी 4 साल से जेल में बन्द है, जबकि आसारामजी बापू को तो मेडिकल में क्लीनचिट भी मिल चुकी है और कॉल डिटेल्स से भी पता चला है कि जिस समय #छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है उस समय तो वो लड़की अपने किसी मित्र से फोन पर बात कर रही थी और बापू आसारामजी भी किसी अन्य कार्यक्रम में व्यस्त थे और उनको षडयंत्र के तहत फंसाने के सैकड़ों सबूत भी मिले हैं लेकिन फिर भी जमानत क्यों नही मिल पा रही है???
क्या कानून सबके लिए समान है...???
क्यों नेता, अभिनेता, अमीरों को शीघ्र जमानत दी जाती है लेकिन हिंदुस्तान में ही हिन्दू संत #बापू #आसारामजी को 4 साल से और अन्य संतों और कार्यकर्ताओं को जमानत नहीं दी जा रही है ??
क्या यही हमारी उत्तम न्याय व्यवस्था है..???
देश के 9000 हजार करोड़ लेकर भागने वाले #विजय_माल्या को तो केवल 3 घण्टे में ही जमानत मिल गई ।
इन निर्दोष हिन्दू #साधु-संतो के खिलाफ एक भी सबूत नहीं है फिर भी इनको सालों से जेल में रखा जा रहा है, #मीडिया द्वारा खूब बदनामी की जाती है।
आखिर ऐसा क्यों ???
क्या इनका यही गुनाह है कि इन्होंने धर्मान्तरण पर रोक लगाई और गाँव-गाँव, नगर-नगर जाकर #देश-विदेश में हिन्दू संस्कृति का प्रचार प्रसार किया । जनता में राष्ट्र भक्ति जगाई ।
क्या इनका यही गुनाह था कि इन्होंने विदेशी कंपनियों से लोहा लिया और लोगों को #स्वदेशी की ओर मोड़ा।
क्या इनका यही गुनाह था कि विदेशी कल्चर का #बहिष्कार करवाया और भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित किया ।
या ये गुनाह है कि इन्होंने अनेक गौशालायें खुलवाकर #कत्लखाने जाती गायों को बचाया और लोगों को गाय माता को बचाने के प्रति जाग्रत किया ।
लगता है इनका #हिन्दू_संत होना ही सबसे बड़ा गुनाह है क्योंकि इस देश में सिर्फ हिन्दू #संतों और कार्यकर्ताओं से ही उनके मौलिक अधिकार छीन लिए गए हैं।
एक बात तो पक्की हो गई कि जो भी हिंदुत्वनिष्ठ आगे आकर हिन्दू संस्कृति के प्रचार प्रसार में लगेगा उन पर #राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा ऐसे ही हमला होगा ।
अब हिन्दू का जगने का समय आ गया है। हिन्दुत्वनिष्ठों के साथ हो रहे अन्याय पर अब हिन्दू चुप नहीं बैठेगा ।