Friday, January 5, 2018

मीडिया देशहित में है या देश विरोधी? पढ़िए ताजा रिपोर्ट

January 5, 2018

 सभी भारतवासी जानते है कि अंग्रेजों ने भारत पर 200 साल तक राज किया, देश को लूटने के साथ साथ भारतवासियों पर अनगिनत अत्याचार किये, बहन-बेटियों की इज्जत लूटी, मासूमों को सूली पर चढ़ाया । देश को गुलामी की इन जंजीरों से छुड़ाने के लिये भारत के असंख्य वीरों ने बलिदान दिया । जिसके फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ ।

पर आगे जाकर धीरे-धीरे लोग पश्चिमी संस्कृति की ओर आकर्षित होने लगे । शरीर से तो नहीं पर मानसिक रूप से उनके गुलाम बनते गये, भारत में कान्वेंट स्कूल के माध्यम से हिन्दू संस्कृति को नीचा और पाश्चात्य कल्चर को ऊंचा दिखाकर हमारी भावी पीढ़ी को मानसिक रूप से गुलाम बनाने का जो उनका एजेंडा था इसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली ।
Media is in the countryside or anti-national? Read the latest report

आज हम देख रहे हैं कि आज की भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति से विमुख पाश्चात्य कल्चर की चकाचौंध से आकर्षित है, ऐसे कान्वेंट स्कूलों से पढ़कर निकलने वाले विद्यार्थियों में से कुछ आज भारत में पत्रकार बन चुके हैं । जिनका एक ही एजेंडा है किसी भी तरह हिन्दू संस्कृति, हिन्दू संतों, हिन्दू कार्यकर्ताओं को नीचा दिखाना । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 80% से ऊपर मीडिया हाउस को फंडिग विदेश से होती है  ।


भारत को जितना नुकसान अंगेज नहीं पहुँचा पाए उससे भी ज्यादा नुकसान आज की इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया पहुँचा रही है अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए ।

अगर आप गौर करेंगे तो आपको देखने को मिलेगा कि जो मीडिया होली पर पानी बचाने, दिवाली पर पटाखे, जन्माष्टमी पर दही-हांडी, शिवरात्रि पर दूध चढ़ाने के विरुद्ध campaign चलाती है  वो मीडिया ईसाईयों के त्यौहार 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक को खूब कवरेज देती है । जबकि इन दिनों में शराब पीना, मांस खाना, डांस पार्टियां करना, महिलाओं से छेड़खानी करना, बलात्कार के किस्से आदि और दिनों की अपेक्षा ज्यादा देखने को मिलते हैं ।भारत में 25 दिसम्बर से 1 जनवरी  के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएँ, किशोर-किशोरियों व युवक युवतियों की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं। इस साल केवल दिल्ली में 31 दिसम्बर की रात को शराब की 30 करोड़ की खपत हुई ।

 दूसरी ओर हमारी भारतीय संस्कृति जहां 22 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक में गुरु गोविंद सिंह ने मुगलों से भारत को मुक्त कराने के लिए अपने चार बेटों की कुर्बानी दी थी, दूसरा सबसे पहले क्रूर औरंगजेब के खिलाफ लड़ने वाले, उसकी तीन लाख सेना को धूल चटाने वाले वीर गोकुल सिंह 1 जनवरी को शहीद हो गये थे । ऐसी प्रेरणास्त्रोत खबरों को मीडिया कवरेज कभी नहीं मिला ।

हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिये हिन्दू संत आसाराम बापू ने देशभर में 2014 से  उनके करोड़ो अनुयायियों द्वारा "25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक तुलसी पूजन, जप माला पूजन, गौ पूजन, हवन, गौ गीता गंगा जागृति यात्रा, बच्चों व महिला जागृति शिविर, नशामुक्ति अभियान, योगा,  सत्संग अभियान चलाया । देशभर में इन सब कार्यक्रमों को व्यापक स्तर पर देखा गया जिसमें कई हिन्दू संगठनों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया पर इन खबरों को कोई मीडिया कवरेज नहीं मिला ।

बापू आशारामजी की प्रेरणा से आयोजित हुए इन कार्यक्रमों से देशवासियों की रक्षा हुई, क्राइम कम हुए, व्यसनियों के व्यसन छूटे, विदेशी वस्तुओं का उपयोग नही हुआ । बलात्कार की घटनाओं में रुकावट आई, आत्महत्यायें कम हुई, देश के अरबो-खबरों रुपये बच गए । इससे भटके देशवासी अपनी संस्कृति की तरफ लौट रहे है और पश्चिमी संस्कृति को छोड़ रहे है ।

उपरोक्त सभी बातों पर गौर करें तो ये सिद्ध होता है कि मीडिया हिन्दू संस्कृति के विरुद्ध है जो देश हित में नहीं है । इसलिए आप भी मीडिया के बहकावे में आकर अपनी भारतीय संस्कृति को न भूले और पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण से बचे ।

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