10 August 2018
भारत की न्यायप्रणाली में काफी हद तक भ्रष्टाचार व्याप्त है, ये कई न्यायाधीश बता चुके हैं, सच को झूठ और झूठ को सच करने के लिए अनेक जज पैसे लेते भी पकड़े गए हैं, इससे साफ होता है कि जिसपर इंसान को भरोसा है वही भ्रष्टाचार में लिप्त है ।
सूरत जेल में श्यामसुंदर अवधेश नारायण पांडे कई दिनों तक मेरे साथ मेरी बैरेक में रहे । उनके साथ सत्संग – हरिचर्चा व कई विषयों पर मेरी चर्चा होती रहती है । अक्सर मैं सुबह की मीठी धूप एकाध घंटा लेता हूँ । सूर्यस्नान के फायदे मैं जानता हूँ । कदाचित एक समय का भोजन मैं छोड़ सकता हूँ, लेकिन सूर्यस्नान को तो मैं भोजन से भी अधिक महत्त्व देता हूँ । भोजन से भी विशेष लाभदायक खुले बदन सूर्य की किरणों में घूमना या बैठना है – ऐसा मैं मानता हूँ ।
Know the judge who has given the wrong decision, how God gives terrible punishment ... |
इस मौसम में सुबह की धूप के समय, मैं पांडेजी के साथ बैठा था और “मेरी कलम से....” जो लिखता रहता हूँ उसके कुछ अंश उनको सुना रहा था । बातों ही बातों में चर्चा चल रही थी कि आजकल फँसाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है । एक जेल के अधिकारी ने मुझे दो-चार दिन पहले ही बताया था कि उन्होंने अपनी आँखों से देखा था कि एक न्यायधीश अहमदाबाद में अपने घर पर शाम के वक्त कुर्सी लगाकर बैठते थे और कोई निर्दोष को सजा देने के लिए या किसी अपराधी को जेल से मुक्त करने के लिए मोटी रकम की ऑफर करता था तो वे उसी प्रकार के फैसले रूपये ले-देकर सुनाते थे । इसी बीच पांडेजी ने मुझे एक घटित घटना सुनाई ।
पांडेजी ने कहा –
मुझे मेरे पिताजी ने एक अपने जीवन की घटना सुनाई थी और न्यायधीश द्वारा इरादतन गलत सजा सुनाने से क्या दुष्परिणाम होता है, इसका एक प्रणाम उन्होंने बताया था ।
घटना जबलपुर (म.प्र.) की है | तब हम हमारे परिवार के साथ जबलपुर में रहते थे । मेरे पिताजी ने मुझसे कहा था कि "गलत व्यवहार व आचरण का परिणाम भी गलत ही होता है, सदा याद रखना ।" एक न्यायधीश ने जबलपुर में अपने पद पर होते हुए, अपने न्यायधीश के पद का दुरूपयोग किया था । एक हत्या के केस में एक निर्दोष व्यक्ति को उन्होंने जानबुझकर सजा सुनाई और जिसको सजा सुनाई वह एक सज्जन साधू स्वाभाव का निर्दोष व्यक्ति था । जज को पता था कि मैं जिसे सजा दे रहा हूँ, वह दोषी नहीं है । लेकिन जो दोषी था उसे निर्दोष सिद्ध किया और जिसकी गलती थी ही नहीं, जो निरपराध था, उसे लम्बी सजा रिश्वत लेकर सुनाई । वास्तव में जो दोषी था उसे निर्दोष छोड़ दिया । शिकायतकर्ता ने ऐसे निर्णय लेने के पीछे न्यायधीश को मोटी रकम प्रदान की थी म
हमारे मामाजी व पिताजी उस न्यायधीश साहब के घर पूजा आदि कराने अक्सर जाते रहते थे । मजिस्ट्रेट साहब ने अपने मुख से हमारे मामाजी को यह बात बतलायी थी और कहा था कि हमारे जीवन में यह एक बड़ी भूल हो गयी और हमें इसका बड़ा पछतावा भी है कि हमने एक निर्दोष-निरपराधी व्यक्ति को सजा सुनाई है ।
न्यायधीश ने कहा कि सजा सुनाने के बाद हमारे दाएं हाथ में कोढ़ हो गया है हमारे हाथ के दाएं अंगूठे से पीव-मवाद निकलने लगा है । हाथ से लिखना व कार्य करना मुश्किल हो गया है । इतना ही नहीं उन्होंने अपने न्यायधीश के पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया और कहने लगे कि ऐसी कोई पाठ-पूजा या अनुष्ठान करें-करवाएं कि जिसने हमारा यह अपराध निवृत्त हो जाए और हमारी दुर्गति भी न हो । यह कोढ़ भी मिट जावे । मामाजी ने इस विषय में असमर्थता दिखाई, तब वे जज साहब इस्तीफ़ा देने के बाद नर्मदा किनारे चले गए । गहना कर्मणो गतिः....
मामाजी ने उनको सही सलाह दी । किसीको मुँह दिखाने में भी उनको शर्म आने लगी । मतलब न्यायाधीश भी एक मनुष्य है और इस पद पर रहते हुए बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है । न्यायाधीश एक भगवान का स्वरुप होता है । इस पद का दुरूपयोग करने का परिणाम भी बहुत भयंकर आ सकता है । लोगों के प्रति न्याय करनेवाले न्यायधीश द्वारा अगर लोभ-लालच या स्वार्थ में आकर अन्यायकारी फैसले लिए जाते हैं, तो ईश्वर उनको दण्डित करता ही है क्योंकि सबसे बड़े न्यायाधीश तो ईश्वर ही हैं । अतः प्रत्येक न्याय के पद पर बैठे हुए न्यायाधीश को भी ऊपरवाले न्यायाधीश से डरना चाहिए और अपने द्वारा किसीके साथ अन्याय तो नहीं हो रहा, इसकी विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए ।
- श्री नारायण साईं
(संदर्भ : विश्वगुरु ओजस्वी पत्रिका, अंक - 96)
गौरतलब है कि हिन्दू संत श्री नारायण साईं पर 12 साल पुराना रेप केस लगा हुआ है । उनको बिना सबूत 4 साल से सूरत (गुजरात) जेल में रखा गया है, अभी तक एक भी सबूत उनके खिलाफ नही मिला है, जबकि लड़की ने कैसे षड्यंत्र रचा है उसके कई सबूत सामने आए हैं, लेकिन फिर भी उनको जमानत तक नही दी जा रही है, जबकि पत्रकार तरुण तेजपाल पर रेप केस सिद्ध हो गया है फिर भी आराम से बाहर गुम रहा है, इससे ज्यादा न्यायालय में भ्रष्टाचार का क्या सबूत चाहिए ?
इसकी पुष्टि भी कई जज कर चुके हैं :
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश काटजू ने कहा था कि #भारतीय न्याय प्रणाली में 50% जज भ्रष्ट हैं ।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश संतोष हेगड़े भी सवाल उठा चुके हैं कि ‘धनी और प्रभावशाली’ तुरंत जमानत हासिल कर सकते हैं । #गरीबों के लिए कोई न्याय कि व्यवस्था नही है ।
कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व वरिष्ठ #न्यायधीश जस्टिस के एल. मंजूनाथ ने कहा कि यहाँ सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए कोई स्थान नहीं है और इस देश में न्याय के लिए कोई जगह नहीं ।
इसलिये आज न्याय प्रणाली से देश कि जनता का भरोसा उठ गया है ।
देश में करीब 2.78 लाख विचाराधीन कैदी हैं । इनमें से कई ऐसे हैं जो उस अपराध के लिए मुकर्रर सजा से ज्यादा समय जेलों में बिता चुके हैं । देश भर के जिला न्यायलयों में करीब 2.8 करोड़ मामले लंबित हैं ।
आरोप साबित होने पर भी कई बड़ी हस्तियाँ बाहर घूम रहीं हैं और अभी तक जिन पर एक भी आरोप साबित नहीं हुआ है वो जेल में है ।
क्योंकि या तो न्याय पाने वाले गरीब हैं या तो कट्टर हिंदूवादी है इसलिए उनको न्याय नही मिल पाता है ।
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