23 August 2018
दहेज कानून की तरह बलात्कार कानून का भी अंधाधुन उपयोग किया जा रहा है । यहाँ तक कि राजस्थान की एक अदालत को बोलना पड़ा कि 90 प्रतिशत रेप के झूठे मुकदमे दर्ज करवाये जाते है, पैसे एठने के लिए रेप के झूठे केस दर्ज करवाने के लिए देश मे काफी गिरोह भी काम कर रहे है ।
कुछ मनचली लड़कियां बदला लेने की भावना या पैसे एठने के लिए या गिरोह की बातों में आकर पैसे की लालच में झूठे मामले दर्ज करवाती हैं ।अधिक झूठे मामले दर्ज करवाने से सही में जिसके साथ दुष्कर्म हुआ है उसको भी न्याय नही मिल पाता है और जिस निर्दोष पुरुष पर झूठे मामले दर्ज करवाते है उसकी माँ, बहन, पत्नी, बेटी सभी को परेशानी झेलनी पड़ती है ।
अभी हाल की मामला आया है कि सेशन कोर्ट ने दो भाइयों को उम्रकैद की सजा सुना दी और यहाँ तक कि उच्चन्यायालय ने भी यही फैसला बरकार रखा । सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल के बाद निर्दोष बरी किया ।
फर्जी निकला केस
If he stopped boyfriend from writing a love letter, then raped the accused, after acquitting 10 years of punishment, now acquitted innocent. |
फरीदाबाद जिले में एक नाबालिग लड़की पास के ही एक लड़के से प्रेम करती थी, और उसे प्रेम पत्र भी लिखे थे । ये पत्र उसके चाचाओं के हाथ लग गए और उन्होंने लड़की को समझाया और जब वो नहीं मानी तो थप्पड़ जड़ दिए । इससे तिलमिलाई लड़की ने अब से ठीक 17 साल पहले यानी 22 अगस्त 2001 को दोनों चाचाओं जय सिंह और शाम सिंह पर रेप का आरोप लगाया।
ट्रायल कोर्ट ने सुनाई सजा
जिसके बाद मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट पहुंचा । कोर्ट ने शुरुआती जांच में आरोपों और बचाव पक्ष की ओर से पेश सबूतों को बिल्कुल अलग-अलग माना । यानी आरोपों की पुष्टि नहीं होने पर आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन फिर से ट्रायल की जरूरत बताई ।
ट्रायल कोर्ट ने फिर से मामला सुना और दोनों आरोपी भाइयों को दोषी मानते हुए जून 2011 में उम्रकैद की सजा सुनाई । फैसले के खिलाफ आरोपी भाइयों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की तो वहां भी निराशा हाथ लगी । हाईकोर्ट ने निचली अदालत की सजा बरकरार रखी ।
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील हुई, लेकिन तब तक जय सिंह को जेल में 10 साल और शाम सिंह को 7 साल हो चुके थे । सुप्रीम कोर्ट का फैसला लिखने वाले जस्टिस एम. शांतानागोदार ने साफ लिखा है कि अभियोजन की सारी दलीलें और सबूत फिसड्डी और कृत्रिम हैं क्योंकि ना तो मेडिकल रिपोर्ट से कोई पुष्टि हुई और ना ही बयानों में मेल दिखा । ऐसे में बेंच इस नतीजे पर पहुंची कि अभियोजन ने आरोपियों को जबरन फंसाने के लिए मनगढ़ंत और संदेह के आधार पर कहानियां गढ़ीं ।
उम्रकैद की सजा जिम्मेदार कौन ?
लेकिन हैरत की बात है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि आखिर इनके दस सालों की कैद के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या वो `पीड़ित' लड़की, जो अपने आरोप साबित नहीं कर पाई ? या फिर अदालतों में जांच अधिकारी, जो सही रिपोर्ट पेश नहीं कर पाएं? स्त्रोत:डेलीहंट
भारत में हिन्दू साधु-संत संयम की शिक्षा देकर बलात्कार जैसे जघन्य अपराध प्रवृत्तियां रोकने में काफी सफल हुए थे, लेकिन राष्ट्रविरोधी ताकतों ने उनको भी मीडिया द्वारा बदनाम करके जेल भिजवा दिया जैसे हाल ही का उदाहरण लें तो हिन्दू संत आसाराम बापू को उम्रकैद की सजा करवा दी जबकि मेडिकल रिपोर्ट में कुछ नही है, लड़की की उम्र के प्रमाणपत्र अलग-अलग है, उनको षड्यंत्र तहत फसाया उसके भी कई प्रमाण मिले फिर भी जेल भिजवा दिया गया ।
निर्भया कांड के बाद #नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये #कानून बनाये गये । परंतु दहेज विरोधी कानून कि तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है ।
2012 में दर्ज किये गये रेप केसों में से ज्यादातर केस #बोगस पाये गए । 2013 कि शुरुआत में यह आँकड़ा 75% तक पहुँच गया ।
दिल्ली महिला आयोग की जाँच के अनुसार अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 तक #बलात्कार कि कुल 2,753 शिकायतों में से 1,466 शिकायतें #झूठी पायी गयीं ।
जैसे दहेज विरोधी अधिनियम में संशोधन किया गया ऐसे ही #POCSO कानून में भी संशोधन की जरुरत है । तुरन्त गिरफ्तारी रुकनी चाहिए और जो लड़की फर्जी केस करती है उसको भी सजा का प्रावधान होना चाहिए और जांच करने वाला अधिकारी या जज भी गड़बड़ी करता है तो उनको भी दंड का प्रावधान होना चाहिए और निर्दोष पुरुष जितने साल जेल में रहे उसका मुआवजा मिलना चाहिए तभी झूठे केस रुक सकते है ।
विभिन्न कानूनविदों, न्यायधीशों व बुद्धिजीवियों ने भी इस कानून के बड़े स्तर पर दुरुपयोग के संदर्भ में चिंता जताई है ।
दिल्ली के एक फास्ट ट्रैक कोर्ट की #न्यायाधीश #निवेदिता #शर्मा ने #बलात्कार के एक मामले में #आरोपी को बरी करते हुए टिप्पणी की कि ‘इन दिनों बलात्कार या यौन-शोषण के झूठे मुकदमे दर्ज कराने का #ट्रेंड बढ़ता जा रहा है जो चिंताजनक है । इस तरह के चलन को रोकना बेहद जरूरी है ।
प्रतापगढ़ जिला एवं सेशन कोर्ट न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि 90 प्रतिशत बलात्कार के केस साबित ही नहीं हो पाते हैं ।
काफी संख्या में बालिकाओं तथा महिलाओं द्वारा झूठे दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैंं ।
बलात्कार निरोधक कानूनों में संशोधन कब ?
‘‘करोड़ों लोगों के आस्था-केन्द्र धर्मगुरुओं, प्रसिद्ध गणमान्य हस्तियों एवं आम लोगों को रेप एवं यौन-शोषण से संबंधित कानूनों कि आड़ में फँसाकर देश की जड़ें काटी जा रही हैं । स्वार्थी तत्त्वों एवं राष्ट्र-विरोधी ताकतों का मोहरा बनी महिलाओं के कारण समस्त महिला समुदाय कलंकित हो रहा है ।
महिलाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, महिलाओं पर से पुरुषों का विश्वास घटता जा रहा है । इसलिए बलात्कार निरोधक कानूनों का दुरुपयोग रोकने के लिए इनमें शीघ्र संशोधन किए जाएं ।
Official Azaad Bharat Links:🏻
🔺Blogger : http://azaadbharatofficial. blogspot.com
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺Facebook : https://www.facebook.com/ AzaadBharat.Org/
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ
No comments:
Post a Comment