सुप्रीम कोर्ट में 35A पर सुनवाई चल रही है,
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में लोगों ने शिकायत की थी कि अनुच्छेद 35A के कारण नागरिकों के संविधान प्रदत्त मूल अधिकार जम्मू-कश्मीर राज्य में छीन लिए गए हैं, लिहाजा राष्ट्रपति के आदेश से लागू इस धारा को केंद्र सरकार फौरन रद्द किया जाए ।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में लोगों ने शिकायत की थी कि अनुच्छेद 35A के कारण नागरिकों के संविधान प्रदत्त मूल अधिकार जम्मू-कश्मीर राज्य में छीन लिए गए हैं, लिहाजा राष्ट्रपति के आदेश से लागू इस धारा को केंद्र सरकार फौरन रद्द किया जाए ।
1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बनाया गया था । अनुच्छेद 35A धारा 370 का हिस्सा है ।
क्या है आर्टिकल 35A ?
Know how to remove 35A in Jammu and Kashmir, why is it necessary for the countrymen |
अनुच्छेद 35A को 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जोड़ा गया था।
यह कानून जम्मू-कश्मीर के बाहर के किसी व्यक्ति को राज्य में संपत्ति खरीदने से रोकता है ।
जम्मू-कश्मीर के अंदर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है ।
जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है ।
राज्य की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है, जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है ।
क्यों हो रहा है विरोध ?
अनुच्छेद 35A को लेकर राज्य में लंबे समय से विरोध है । इस अनुच्छेद के जरिये वहां की सरकार और लोगों को विशेष अधिकार प्राप्त है कि वहां का स्थायी निवासी कैसे तय होगा । वहीं जम्मू-कश्मीर में कोई बाहरी शख्स राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा भी नहीं उठा सकता है और न ही वहां सरकारी नौकरी पा सकता है । इतना ही नहीं, अगर प्रदेश की कोई लड़की, भारत के किसी अन्य राज्य के नागरिक से शादी कर लेती है तो उसे राज्य में संपत्ति के अधिकार से वंचित किया जाता है । हालांकि अगर कोई पाकिस्तानी, कश्मीरी युवती से शादी कर ले तो उसे भारत की नागरिकता तक मिल जाती है । वहीं अनुच्छेद 35A को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें कहा गया है कि अनुच्छेद 35A को 'असंवैधानकि' करार दिया जाना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति अपने 1954 के आदेश से 'संविधान में संशोधन' नहीं करा सके थे ।
संविधान में जिक्र नहीं :-
आपको जानकर हैरानी होगी कि संविधान की किताबों में न मिलने वाला अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को यह अधिकार देता है कि वह 'स्थायी नागरिक' की परिभाषा तय कर सके । दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 35A को 14 मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जगह मिली थी । संविधान सभा से लेकर संसद की किसी भी कार्यवाही में, कभी अनुच्छेद 35A को संविधान का हिस्सा बनाने के संदर्भ में किसी संविधान संशोधन या बिल लाने का जिक्र नहीं मिलता है । अनुच्छेद 35A को लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने धारा 370 के अंतर्गत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल किया था ।
क्या है पूरी धारा ?
अनुच्छेद 35A से जम्मू-कश्मीर सरकार और वहां की विधानसभा को स्थायी निवासी की परिभाषा तय करने का अधिकार मिलता है । इसका मतलब यह है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दें अथवा नहीं दें ।
सरकार 35A हटाना नहीं चाहती है:-
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के वकील के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में चतुराई और चालाकी से भरी यह दलील रखी कि जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ होने वाली है । अतः 35 A हटाने की प्रक्रिया पर विचार करना, जम्मू कश्मीर के भविष्य से खेलना होगा, अशांति की संभावना है ।
मस्तिष्कविहीन भी समझ सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के जज भी इस निष्कर्ष पर पहुँच चुके हैं कि यह एक अवैध उपबंध है, जिसे देश को अंधेरे में रख संविधान में अवैध तरीके से घुसेड़ा गया है परंतु यह दुःखद है कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार, सुप्रीम कोर्ट को यह समझाने में सफल हो चुकी है कि 35 A हटते ही जम्मू-कश्मीर लपटों में जलने लगेगा...कत्लेआम मच जाएगा...घाटी देश से अलग हो जाएगी...आदि.. आदि ।।
हिन्दुस्तान में ही हिन्दुओ के साथ अत्याचार आम बात हो गई है कोंग्रेस सरकार से परेशान होकर भाजपा को बहुमत से जिताया जिससे हिन्दुओ को अपना हक मिल सके लेकिन वर्तमान सरकार से भी कोई उम्मीद नही लग रही है ।
आप समझ सकते हैं कि लाखों पंडितों को कश्मीर से भगा दिया गया । आज वे दर-दर भटक रहे हैं, वहाँ उनकी संपत्ति पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया, आज उन पंडितों को वहाँ बसा भी नहीं पा रहे हैं ।
दूसरी ओर पाकिस्तान के बंटावरे के समय आए लाखों हिन्दुओं को वहाँ पर स्थायी नही किया गया है, दूसरी तरफ वहाँ की लड़की भारत के किसी अन्य राज्य में शादी करें तो कश्मीर से नागरिकता खत्म कर दी जाती है और पाकिस्तानी के साथ करे तो उस पाकिस्तानी को भी कश्मीर की नागरिकता भी मिलती है और एक बड़ी बात कि कोई भी अन्य राज्य का निवासी वहाँ संपत्ति खरीद नहीं सकता है ।
हिन्दुस्तान का अंग कश्मीर को ऐसा बना दिया कि पाकिस्तान आसानी से उसपर राज कर सकता है, हिन्दुस्तानीओं के साथ न्याय तो तब होगा कि जब 35A हटा दी जाए और कश्मीरी पंडितों को पुनः उनके स्थान पर बसाया जाए ।
इसके लिए पूरे देश के हिन्दुओं को एक होकर आवाज उठानी होगी ।
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