19 August 2018
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एक समय था जब भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, फिर एक समय ऐसा आया जब क्रूर, आतताई, आक्रमणकारी, लुटेरे मुगलों और अंग्रेजों ने भारत देश लो लूटा, लेकिन फिर लाखों देशभक्तों के बलिदान के बाद देश आजादी का सूरज उदय हुआ, लेकिन फिर देश के ही कुछ भ्रष्ट नेताओं ने लूट देश को लूट लिया जिसकी वजह से आज भारत में गरीबी बढ़ती ही जा रही है ।
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आजादी के समय जहाँ एक
रुपए की कीमत एक डॉलर के बराबर होती थी, वहीं आज एक डॉलर की कीमत लगभग 70 रुपए है ।
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भ्रष्ट नेताओं के कारण आज देश में किसान आत्महत्या कर रहे हैं और गरीब बच्चे मर रहे हैं ।
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72 years of independence also happens every year with malnutrition, thousands of children die ... |
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देश अपनी स्वतंत्रता की 72वीं सालगिरह मना रहा है, परंतु स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी भारतीय बच्चों को अच्छा जीवन स्तर नहीं मिल पा रहा है । एक ओर देश में हर साल लगभग 3000 बच्चे कुपोषण की वजह से मर जाते हैं । वहीं दूसरी ओर गरीबी के कारण लाखों बच्चों को सड़कों पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है । विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्रीय के 192 सदस्य राज्यों के साथ साल 2030 तक टिकाऊ विकास हासिल करने का लक्ष्य तय किया था । इस तथ्य के बावजूद गरीब बच्चों की संख्या बढती जा रही है । हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एच.सी.एफ.आइ.) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि 5.9 करोड़ से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं । देश में सड़क पर रहनेवाले बेघर बच्चों की संख्या खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है । उन्हें रोजाना जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उससे यह स्थिति और खराब होती जा रही है । भोजन की कमी से लेकर यौन शोषण तक इनके सामने कठिनाइयों की भरमार है । डॉ. अग्रवाल ने यह भी कहा कि यह एक गंभीर मेडिको-लीगल आपात स्थिति है ।
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गरीबी उन्मूलन, भूखमरी का अंत और स्वस्थ जीवन की सुनिश्चितता जैसे बाल केंद्रित लक्ष्य, केवल तभी हासिल हो सकते हैं, जब सरकार और निजी संस्थाएं मजबूत ढांचे और नीतियों की स्थापना करने और उन्हें लागू करने के लिए काम करें । सामाजिक कार्यकर्ता व प्रयास एन.जी.ओ. के संस्थापक आमोद के कंठ ने कहा कि सड़कों पर रहनेवाले बच्चे ज्यादातर निर्माण स्थलों या रेस्तरां में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं । शहरों में उनके साथ शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार किया जाता है और दिन में सात घंटे से अधिक समय तक काम कराया जाता है । इसके अलावा उन्हें काम के दौरान पीटा भी जाता है । डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद-21 बच्चों सहित सभी को गरिमा के साथ जीवन के अधिकार की गारंटी देता है । इस अधिनियम की समीक्षा करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बेघर बच्चों और समाज के निम्न आर्थिक स्तर पर जी रहे लोगों की अनदेखी न की जाए ।
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उदाहरण के लिए, युवावस्था में प्रवेश करनेवाली लड़कियों को साप्ताहिक रूप से गुड़-चना (लौह और प्रोटीन) दिया जाना चाहिए । बच्चों का स्वास्थ्य और सुरक्षा एक जिम्मेदारी है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है । बच्चों में बुनियादी पोषण सुनिश्चित करने पर गंभीरता से काम करना चाहिए । अक्टूबर में होने वाले स्वास्थ्य मेले में इस मुद्दे पर विशेष रूप से जोर दिया जाएगा । प्रयास जुवेनाइल ऐड सेंटर (जे.ए.सी.) सोसायटी ने सड़क पर जिंदगी बितानेवाले बच्चों के सामने आनेवाली कठिनाइयों को लेकर एक कार्यक्रम किया । डॉ. के.के. अग्रवाल और आमोद के कंठ ने बाल यौन शोषण, कुपोषण और बच्चों की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं पर चिंता जाहिर की । और नीति निर्माताओं का ध्यान इस तरफ खींचा कि किस तरह से बच्चों का जीवन स्तर बेहतर बनाया जा सकता है । उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए विशेष नीतियां बना कर काम करने से ही सशक्त व विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है ।
स्त्रोत : जनसत्ता
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श्रम और #रोजगार #मंत्रालय की रिपोर्ट (2011) उठाकर देखें तो लगभग 12 करोड़ बच्चों का बचपन होटलों, उद्योगों और सड़कों पर बीत रहा है । 33 फीसदी वयस्क और तीन वर्ष से कम उम्र के 46 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं ।
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देश में हर 35 मिनट पर एक #किसान #खुदकुशी कर रहा है । एक रिपोर्ट के अनुसार 10.8 करोड़ नवयुवक आज भी बेरोजगार हैं ।
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15 अगस्त 1947 को भारत न सिर्फ #विदेशी कर्जों से मुक्त था, बल्कि उल्टे #ब्रिटेन पर भारत का 16.62 करोड़ रुपए का कर्ज था । आज देश पर 480.2 अरब डॉलर (करीब 317 खरब रुपये) से भी ज्यादा विदेशी कर्ज है । भारत में किसी नवजात के पैदा होते ही उस पर अप्रत्यक्ष रूप से करीब तीन हजार रुपये का विदेशी कर्ज चढ़ जाता है । भारत का #स्विस_बैंकों में जमा विदेशी धन करीब 8,392 करोड़ रुपये है ।
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लोगों ने सोचा अब शोषक #सरकार (#विदेशी_सरकार) चली गयी तो अब हमलोग सुखी होंगे, बेकारी मिटेगी, गरीबी हटेगी, भेदभाव की खाईं पटेगी, समानता आएगी, सामाजिक समानता मिलेगी, लेकिन 70 साल बाद भी जो सपने आजादी के दिवानों ने देखे थे, वे साकार हुए क्या ?
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भारत सरकार को अब इन पर ठोस कदम उठाने चाहिए, तभी देश आगे बढ़ पाएगा ।
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