Thursday, March 29, 2018

मंगल पांडे ने अपना बलिदान दे दिया लेकिन गाय के चर्बी वाले कारतूस मुंह से नहीं खोले

March 29, 2018
🚩मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वोे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देते है। भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया। उन्होंने अंग्रेजो के सामने विद्रोह करके अंग्रेज़ो को भगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।

🚩मंगल पांडे जिन्होंने गौरक्षा और राष्ट्ररक्षा के लिए अंग्रेजी सरकार के खिलाफ 1857 में नई आजादी का शंखनाद किया ।
🚩विद्रोह का प्रारम्भ एक बंदूक की वजह से हुआ।
🚩सिपाहियों को पैटर्न 1853 एनफ़ील्ड बंदूक दी गयीं  नयी एनफ़ील्ड बंदूक भरने के लिये कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था। कारतूस(बन्दूक की गोली) का बाहरी आवरण में गाय की चर्बी होती थी ।
🚩क्रांतिकारी मंगल पांडे ने इसका विरोध किया पर एक अंग्रेज अफ़सर लेफ़्टीनेण्ट ने उनको गाय की चर्बी वाली कारतूस खोलने को मजबूर किया मंगल पांडे ने उस अफसर को गोली मार दी। सेना में विद्रोह हो गया अंग्रेज डरने लगे, अंग्रेजो ने मंगल पांडे को फांसी की सजा सुना दी और मंगल पांडे हँसते हँसते फांसी पर चढ़ गए लेकिन गाय के चर्बी वाली कारतूस नही खोली । आज उन महान क्रांतिकारी मंगल पांडे का बलिदान दिवस है ।
🚩आज आजादी के 7 दशक बाद  गौमाता जिनके कारण हमें आजादी मिली वो आज भी कट रही है गौमाता का अधिकार गौचरण भूमि पर अवैध कब्जे है । मंगल पांडे जी ने तो हमे आजादी दिला दी लेकिन हम लोग भारतवर्ष के माथे पर लगा गौहत्या के कलंक आज तक नही मिटा पाए ।
🚩जिस गौमाता और गौरक्षकों के कारण आज हम आजाद है जिसके मूल में गौमाता और उसके गौरक्षक है ।
🚩वर्त्तमान केंद्र सरकार सत्ता में गौहत्या मुक्ति का नारा लगाकर आये थे सम्पूर्ण भारत मे गौहत्या बन्दी की बात करते थे लेकिन गौहत्या बन्द करने की जगह गौरक्षको को ही गुंडा शब्द का प्रयोग कर दिया गया।
🚩आज मंगल पांडेय जी की आत्मा जहाँ भी होगी निःसंदेह उन्हें पश्चताप होगा आखिर ऐसा भारत हम चाहते थे जहाँ गौमाता की हक की लड़ाई लड़ने अनेक साधु-संत-महात्मा व गौरक्षको को सम्मानित किया जाये और गौरक्षा हो ।
🚩आज सरकार की वोटबैंक की राजनीति के कारण भारतीय गौवंश जिस तेजी से कट रहा है किसान आत्महत्या कर रहा है वह दिन दूर नही जब भारतीय गौवंश और किसान भारत की धरती से समाप्त हो जाएगा ।
🚩फिर ऐसे दिन आयेंगे की जब गाय नही होगी तो गौपालक नही होंगे गौपालक नही होंगे तो खेती नही होगी तब विदेशी कम्पनियों के दलाल भारतीय रेल और एयर इंडिया की भांति किसानों की भूमि को भी कारपोरेट फार्मिंग के लिए विदेशी कम्पनियों को बेच देंगे।
🚩एक विदेशी कम्पनी को भगाने के लिए स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी गौरक्षक  मंगल पांडे जी जैसे 732835 क्रांतिवीर शहीद हो गए आज तो 5 हजार से ज्यादा विदेशी कम्पनिया भारत मे प्रवेश कर चुकी है ।
🚩1857 में भड़की क्रांति की यही चिंगारी 90 वर्षों के बाद 1947 में भारत की पूर्ण-स्वतंत्रता का सबक बनी। स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों ने सर्वस्व त्याग के उत्कृष्ट उदाहरण हमारे सामने रखे हैं। आज़ाद हवा में साँस लेते हुए हम सदा उनके ऋणी रहेंगे जिन्होंने दासता की बेड़ियाँ तोड़ते-तोड़ते प्राण त्याग दिये।
🚩अब समय आ गया है कि आने वाली पीढ़ियों को हम क्या देना चाहते  । गौहत्या मुक्त भारत या गौहत्या से कलंकित भारत ।
🚩हम आने वाले पीढ़ियों को क्या देना चाहते है भ्रष्टाचार में डूबा भारत या   भारत को आजाद कराने वाले अनन्य क्रांतिकवीरो के सपनो का भारत ।
🚩आजादी के आंदोलन में हिंसा या अहिंसा को आधार बनाकर क्रान्ति करने वाले वीर क्रान्तिकारी सबके सपने एक ही थे की भारत में अंग्रेजियत मुक्त स्वदेशी पर आधारित स्वराज्य आये परंतु वो सपना आजादी के 70  वर्षो बाद भी अधूरा है !
🚩आजादी मिलने के तुरंत बाद शहीदों को सम्मान देते हुए इस कार्य को करना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य से इस देश में वो सबकुछ नहीं हुआ !
🚩जिन लोगो ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया शहादत दी उनका नाम भारत सरकार की सूची में नहीं है और जिन लोगो ने देश से गद्दारी की अंग्रेजो से वफादारी की अंग्रेजो से दोस्ती किया वो इस देश की शासन व्यवस्था में सबसे ऊँचे पदों पर बैठे हुए है उनके प्रतीक पुरे देश में जगह जगह आज भी स्थापित है !
🚩जब तक गौमाता का रक्त भारत भूमि पर पड़ेगा तब तक  यह आजादी अधूरी है कैसे भारत की आने वाली पीढ़िया हमे माफ़ करेंगी !
🚩आज नहीं तो कल शहीदों के सपनो का भारत बनाना ही होगा उन्हें सम्मान देना ही होगा अन्यथा शहीदों की शहादत बेकार जायेगी उनकी सार्थकता ख़त्म हो जायेगी ! आने वाली पीढ़ी आखिर कैसे कुर्बान करेगी देश के लिए !
🚩वादों नारो की राजनीती से राष्ट्र गौरवशाली नहीं होगा  ! ये राष्ट्र गौरवशाली तब होगा जब ये राष्ट्र अपने जीवन मूल्यों, परम्पराओ, मान्यताओ को भारतीयता के आधार पर स्थापित करेगा !
🚩हम सफल तब होंगे जब भारत को गौहत्या से  मुक्त कर प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण कर पाएंगे !
🚩अतः व्यक्ति, समाज व राष्ट्र को एक सूत्र में बाँध पाएंगे और वह सूत्र राष्ट्रीयता ही हो सकती है !सम्भव है राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने के लिए सत्ताओ से लड़ना पड़ेगा सत्ताओ से राष्ट्र महत्वपूर्ण है!  राजनैतिक सत्ताओ से राष्ट्रिय हित महत्वपूर्ण है अतः राष्ट्र की बेदी पर सत्ताओ की आहुति देना पड़े तो भी किसी भारतीय को संकोच न करना पड़े !इतिहास साक्षी है सत्ता और स्वार्थ की राजनीति ने इस राष्ट्र का अहित किया है हमे सिर्फ राष्ट्र हित में विचार करना है !
🚩हमे राजनैतिक सत्ता प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए कार्य करना है और जब तक भारत की धरती से गौहत्या का कलंक मिट नही जाता, शहीदों के सपनो का भारत नहीं बन जाता, स्वराज्य नहीं आ जाता, संतों पर अत्याचार बन्द नही होता तब तक किसी भारतीय को भला होने वाला नहीं है !
🚩विजय तो निश्चित है राष्ट्र की आवश्यकता मात्र आवाहन् की है !
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Tuesday, March 27, 2018

क्या अप्रैल फूल आप भी मनाते हो तो हो जाइए सावधान, जानिए इसकी सच्चाई...

March 27, 2018

🚩भारतवासी अधिकतर अनजाने में ऐसे त्यौहार मनाते है कि उनको वास्तविकता पता ही नही होती है और अपनी ही संस्कृति का नाश कर लेते है, अंग्रेज भले ही चले गए हो लेकिन उन्होंने जो भारतीय संस्कृति का नाश करने के लिए अनेक षडयंत्र किये थे वो आज भी भारत मे प्रचलित है और भारतीय अनजाने में उसका शिकार बनते है ।

🚩ऐसे ही एक भारत मे प्रचलित है कि अप्रैल फूल मनाना, आइये आज उसकी वास्तविकता से अवगत कराते है, अप्रैल फूल की सच्चाई जानकर आप भी उससे नफरत करने लगेंगे ।
If you celebrate April Fool, then be careful, know its truth ...

🚩भारत माता को जब अंग्रेजो ने गुलामी की जंजीरो से जकड़ लिया था तब उन्होंने पूर्ण प्रयास किया कि भारतीय संस्कृति को मिटाया जाए, भारतीय पहले सृष्टि का उदगम दिन पर ही हर साल नववर्ष मनाते थे जो करीब अप्रैल महीने की शुरुआत में ही आता था इसको नष्ट करने के लिए ईसाई अंग्रेजो ने 1 जनवरी को नया साल भारतवासियों पर थोप दिया फिर भी भारतवासी उसी दिन ही नववर्ष मना रहे थे जिसके कारण अंग्रेजो ने 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस घोषित कर दिया ।

🚩आपको बता दे कि भारतीय सनातन कैलेंडर,जिसका पूरा विश्व अनुसरण करता है उसको मिटाने के लिए 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर अपनाने का फरमान जारी कर दिया था जिसमें 1 जनवरी को नया साल के प्रथम दिन के रूप में बनाया गया।

🚩जिन भारतवासीयों ने इसको मानने से इंकार किया, उनका 1अप्रैल को मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे 1अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख दिवस बन गया।

🚩अप्रैल फूल मतलब हिन्दुओं को मूर्ख बनाना ।
ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है।

🚩भारत मे आज भी बही खाते और बैंक के हिसाब-किताब 31मार्च को बंद होते है और 1 अप्रैल से नये शुरू होते है।

🚩भारत में अंग्रेज़ो ने विक्रम संवत का नाश करने के लिए ही 1 जनवरी को नया साल थोपा और अप्रैल में आने वाले हिन्दू नववर्ष की मजाक उड़ाने के लिए ही "अप्रैल फूल" मनाना शुरू किया मतलब हिन्दुओं को मूर्ख बनाये जिससे वे खुद का नया साल भूल जाये ।

🚩अंग्रेज़ो की यह साजिश थी जिससे  1अप्रैल को मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दिया ताकि भारतीय संस्कृति मूर्खता भरी लगे ।

🚩अब आप स्वयं सोचे कि आपको अप्रैल फूल मनाना चाहिए या अपनी हिन्दू संस्कृति का आदर करना चाहिए।

🚩आइये जाने अप्रैल माह के आस पास ऐतिहासिक दिन और त्यौहार कितना महान है।

🚩हिन्दुओं का पावन महिना इन दिनों से ही शुरू होता है (शुक्ल प्रतिपदा)

🚩हिंदुओं के रीति -रिवाज़ सब इन दिनों में कलेण्डर के अनुसार बनाये जाते है।

🚩महाराजा #विक्रमादित्य की काल गणना इन दिनों से ही शुरू होती है

🚩भगवान श्री रामजी का अवतरण दिवस भी इन दिनों में आता है।

🚩भगवान झूलेलाल, भगवान हनुमानजी, भगवान महावीर,  भगवान स्वामीनारायण आदि का प्रागट्य दिवस भी इन दिनों में ही आता हैं ।

🚩अंग्रेज ईसाई सदा से भारतीय सनातन संस्कृति के विरुद्ध थे इसलिए हिंदुओं के त्योहारों को मूर्खता का दिन कहते थे । पर अब हिन्दू भी बिना सोचे समझे बहुत शान से अप्रैल फूल मना रहे है।

🚩कुछ भारतवासी आज अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए अप्रैल फूल मना रहे है।

🚩भारतवासी अब "अप्रैल फूल" किसी को बनाकर गुलाम मानसिकता का सबूत ना दे ।

🚩आज देश विरोधी ताकते हमारे महान भारत देश को तोड़ने के लिए अनेक सजिसे रच रहे है, जिसमे अधिकतर मीडिया, टीवी, फिल्मे, चलचित्रों, अखबार, नॉवेल, इंटरनेट आदि के माध्यम से भारतवासियों को अपने संस्कृति से दूर ले जाने का भरपूर प्रयास चल रहा है, लेकिन हम क्यों अपनी महान संस्कृति भूलकर अंग्रेजो की गुलामी वाली प्रथा अपना रहे है।

🚩भारतीय आप सब से निवेदन है कि अपनी संस्कृति के अनुसार ही पर्व त्योहार मनाये अभी जितनी भी अंग्रेजो वाली प्रथायें है वे बन्द करे और भारतीय संस्कृति के अनुसार जो भी प्रथायें हैं उनको शुरू करें ।

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Monday, March 26, 2018

भारत से पाकिस्तान भेजे गए हिंदुओं इस्लाम धर्म कबूलने को मजबूर, जानवर से भी बदतर हालत

March 26, 2018
http://azaadbharat.org
एक आेर सरकार बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में बसा रही है वही दुसरी आेर शरणार्थी हिन्दुओं को पाकिस्तान वापस भेज रही है ! सरकार के इस दोगले बर्ताव के कारण आज पाकिस्तान में हिन्दुआें की स्थिती जानवर से भी बदतर हो गर्इ है ! नरक जैसी जिंदगी बिता रहे है।
क्या रोहिंग्याओं को भारत में बसाने वाली सरकार को हिन्दुओं पर जरा भी दया नहीं है ?
यदि सरकार पाकिस्तान के हिन्दुआें की मदद नही कर सकती तो उसे म्यानमार आैर बांग्लादेश के मुसलमानों की मदद करने का भी कोई  अधिकार नही है ? 

Hindus sent to Pakistan from India forced to accept Islam, worse than animal

आपको बता दे कि राजस्थान बॉर्डर के पार पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिन्दुआें की जनसंख्या तेजी से समाप्त की जा रही है । यहां हिन्दुओं को जबरन धर्म परिवर्तन करने के मामले में लगातार बात सामने आ रही हैं । रविवार को भी यहां 500 हिन्दुओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाना था । जो लोग पाकिस्तान छोडकर भारत आए थे, मगर उनको यहाँ नही रहने देने के कारणों से उन्हें वापस जाना पडा, उन परिवारों को खास तौर से निशाना किया जा रहा है । पिछले 3 वर्षों में भारत में शरण लेने आए 1379 हिन्दुओं को पाकिस्तान लौटना पडा है ।
जबरन इस्माल धर्म कबूलने का दबाव
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 25 मार्च को बडे स्तर पर हिन्दुओं को जबरन इस्लाम धर्म कबूल कराया जा रहा था । यहां 500 हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन के लिए पहले से ही पर्चे भी बांटे जा चुके थे । इनमें 5 अगस्त 17 को डिपोर्ट किया गया 80 वर्षीय चंदू, उसकी पत्नी धामी, बेटा भगवान, बहू धरमी और बच्चे धीरो, मूमल, जयराम व कविता भी शामिल हैं । ये वो परिवार है जिसके लिए राजस्थान उच्च न्यायालय ने छुट्‌टी के दिन स्पेशल बेंच पर बैठाकर इनके डिपोर्ट आदेश पर स्टे भी दे दिया, परंतु आदेश तामील होता उससे चंद मिनट पहले ही उनकी ट्रेन पाकिस्तान सीमा में प्रवेश कर गई । अब इस परिवार पर इस्लाम कबूलने का दबाव बना हुआ है ।
बेटियों को बलात्कार होने से बचाया जाएगा
सिंध के अवामी आवाज समाचार पत्र के संपादक रहे है असद चांडियो ने धर्म परिवर्तन के इस जलसे को हिन्दुओं की लाचारी बताया । उन्होंने कहा, “मुझसे पूछो तो यही कहूंगा कि, मुस्लिम बनने के बाद उनकी बेटियां अगवा होने और सामुहिक बलात्कार से तो बच ही जाएंगी ।’ चांडियो पाक में लगातार हिन्दुओं की दुर्दशा पर लिखते रहे हैं । परंतु कट्‌टरपंथियों के जुल्मों के कारण उन्हें देश छोडकर अमेरिका में शरण लेनी पडी ।
हिन्दू कि हालत धोबी के कुत्तो जैसा "न घर का है न घाट का "
सीमा के इधर भारत में विस्थापितों के लिए संघर्ष करने वाले सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिन्दू सिंह सोढा कहते हैं कि, पाकिस्तान का हिन्दू न घर का है न घाट का । वहां धर्म बदलने की मजबूरी, यहां रोजी-रोटी की परेशानी और न जाने कब खदेड़ दिए जाने का खतरा हर समय मंडराता है ।
भारत सरकार विस्थापित हिन्दुओं के पुनर्वास के नियम बनाती तो है, परंतु जिला स्तरों पर उनका पालन नहीं होता । इसलिए जो लौट रहे हैं, उनके पास धर्म बदलने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है ।
शादीशुदा मुस्लिम करते हैं हिन्दू लडकियों का बलात्कार
मानवाधिकार संगठन से जुडे कृष्ण शर्मा और पाकिस्तानी हिन्दू परिषद के संरक्षक इन चीफ डॉ. रमेश वानकवानी लिखते हैं कि, यहां स्वेच्छा से कोई धर्मांतरित नहीं हुआ है । यहां के विवाहित मुस्लिम हिन्दू लडकियों का अपहरण करते हैं, उनका बलात्कार करते हैं और उन्हें धमकाते हैं । जिससे वे ये कहने लगे कि उन्होंने खुद ही धर्म परिवर्तन किया है ।
दक्षिण सिंध में सबसे ज्यादा हिन्दू रहते हैं, अधिकांश कृषि अाधारित बंधुआ श्रमिक है । शिक्षा, स्वास्थ्य या कोई भी बुनियादी सुविधाएं नहीं है, ऐसे गरीब लोग जमींदारों के लिए आसान लक्ष्य है ।
कई जगह हिन्दू तो ज्यादा है, लेकिन जिंदगी अल्पसंख्यक
पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन के स्तंभकार नाजिहा सईद अली ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें बताया कि, राजस्थान से लगती सीमा पर 2000 में जहां इक्का-दुक्का मदरसे थे, वे 2015 से अचानक 20 तक पहुंच गए हैं । ये मदरसे धर्म परिवर्तन कर नए मुस्लिमों के बच्चों की तालीम के लिए खुले हैं ।
कई संगठन कलमा पढने वालों को रहने के लिए अफोर्डेबल घर, घरेलू सामान, दहेज का सामान, काम करने के लिए सिलाई मशीनें, नहरों से खेती करने के लिए साल भर पानी का प्रलोभन भी दे रहे हैं । थारपारकर व उमरकोट में ऐसी कहानियां अक्सर दोहराई गई है । भले ही धर्म परिवर्तन के बात यह सभी न भी दे लेकिन प्रलोभन जरूर दिया जाता है । *स्त्रोत :* हिन्दू जनजागृति
आपको बता दे कि हिन्दुओं की जैसी हालत पाकिस्तान में है वैसी ही हालत बांग्लादेश में भी है ।
भारत सरकार को इन हिन्दुओं की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि हिन्दू तेजी से घटता चला जा रहा है ।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में दिन-रात #हिन्दुओं के #घर जलाये जा रहे हैं #हिन्दू #महिलाओं की #इज्जत #लूटी जा रही है, #मंदिर, घर, दुकानों को तोड़ा जा रहा है, पुजारियों की हत्या की जा रही है, हिन्दुओ की संपत्ति हड़प ली जाती है, #हिन्दुओं को मारा-पीटा जा रहा है, दिन-रात #हिन्दुओं को पलायन होना पड़ रहा है उसपर किसी नेता, मीडिया, संयुक्त राष्ट्र और सेक्युलर लोगों की नजर क्यों नही जाती है?
भारत में तो मुसलमानों को अधिक सुख-सुविधाएं दी जा रही है फिर भी कुछ गद्दार, सेक्युलर बोलते है कि भारत में मुसलमान डरे हुए हैं लेकिन आजतक ये नहीं बोला कि पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि मुसलमान बाहुल देश में हिन्दुओं पर कितना अत्याचार हो रहा है । नर्क से भी बदत्तर जीवन जीना पड़ता है ।
एक तरफ पाकिस्तान और #बांग्लादेश में #हिन्दुओं पर #अत्याचार हो रहा है दिन-प्रतिदिन हिन्दू कम हो रहे हैं दूसरी ओर बंगाल, कश्मीर, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक आदि राज्यों में हिन्दुओं की हत्यायें हो रही हैं उस पर सभी ने चुप्पी क्यों साधी हुई है?
जो भी #हिन्दू कार्यकर्ता या हिन्दू साधु-संत इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते हैं उनको जेल भेज दिया जाता है या हत्या करवा दी जाती है ।
एक तरफ ईसाई मिशनरियाँ और दूसरी ओर मुस्लिम देश दिन-रात #हिंदुस्तान और पूरी दुनिया से हिन्दुओं को मिटाने में लगे हैं अतः हिन्दू #सावधान रहें ।
अभी भी समय है हिन्दू #एक होकर #हिन्दुओं पर हो रहे प्रहार को रोके तभी हिन्दू बच पायेंगे ।अगर हिन्दू होगा तभी सनातन संस्कृति भी बचेगी ।
अगर #सनातन #संस्कृति  नही बचेगी तो दुनिया में इंसानियत ही नही बचेगी क्योंकि #हिन्दू संस्कृति ही ऐसी है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम्" का वाक्य चरितार्थ करके दिखाया है ।
#प्राणिमात्र में ईश्वरत्व के दर्शन कर, सर्वोत्वकृष्ट ज्ञान प्राप्त कर जीव में से #शिवत्व को प्रगट करने की क्षमता अगर किसी संस्कृति में है तो वो है सनातन हिन्दू #संस्कृति।
#हिंदुओं की बहुलता वाले देश #हिंदुस्तान में अगर आज हिन्दू #पीड़ित है तो सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं की निष्क्रियता और अपनी महान संस्कृति की ओर विमुखता के #कारण !!
ये सब देखकर भी #हिन्दू कब तक चुपचाप बैठा रहेगा..???
जागरूक होने का अभी भी समय है । याद रखे "अगर अभी नही तो फिर कभी नही"
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Sunday, March 25, 2018

देश में अन्नदाता किसानों की हालत बुरी, कर्ज बढ़ने के कारण कर रहे है आत्महत्या

March 25, 2018
🚩किसान मिट्‌टी से सोना उपजाते हैं। वे अपने श्रम से संसार का पेट भरते हैं। कितने भी आधुनिक विकास कर लो लेकिन जब किसान खेती ही नही करेंगे तो जनता खायेगी क्या?
🚩किसान बहुत परिश्रमी होते हैं । वे खेतों में जी-तोड़ श्रम करते हैं । वे मेहनत करके अनाज, फल और सब्जियाँ उगाते हैं । तभी हम अन्य काम कर पाते है इसलिए देश में किसान हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है ।
Farmer's condition in the country is bad, debt is rising due to rising debt
🚩गुजरात राज्य के गाँव में रहते लगभग 58.71 लाख कुटुंब में से खेती के साथ जुड़े 39.30 लाख परिवार है। उसमें से 16.74 लाख परिवार ने खेती के लिए लोन  लिया है। गुजरात के 42.6% किसान कुटुंब कर्जग्रस्त होने के साथ देश मे 14वे नंबर पर है। ये तमाम कर्जग्रस्त कुटुम्बों का औसत प्रति व्यक्ति कर्ज 38,100 रुपये था। जब कि गुजरात में किसान कुटुंब का औसत मासिक आमदनी 7926 है। जो राष्ट्रीय स्तर पर 12वें स्थान पर है।
🚩गुजरात राज्य के ग्रामीय विस्तार में रहते 39.90 लाख जितने किसान कुटुम्ब में 16,74,300 किसान कुटुंबों ने लोन लेते 42.6% किसान कुटुम्ब कर्जग्रस्त है।
🚩किसान बीज, खाद, किट नाशक दवाइयां, ट्रेक्टर किराया, सिंचन, बिजली बिल आदि खरीदने के लिए रकम खर्च रुकावट के साथ कुटुंब की मेहनत, खेत मजदूरों का श्रम, जमीन का किराया और भागिया पद्धति के कारण अधिक खर्च होता है। इस खर्च के सामने उपज कि उचित रकम नहीं मिल पाती हैं और वो कर्जग्रस्त बन जाते है।
🚩गुजरात में कर्जग्रस्त कुटुंबों का औसत कर्ज वर्ष 2013 में 38,100 रुपये था । जिसमे 0.01  हेक्टर से भी कम जमीन के कुटुंबों का 6900 कर्ज है, जब कि 0.40 हेक्टर तक जिन कुटुंबों की जमीन है  उनका कर्ज 12,000 है। 1 हेक्टर तक कि जमीनधारक का कर्ज 25,700 । 1 से 2 हेक्टर जमीनधारक का कर्ज 21 हजार। 2 से 4 हेक्टर जमिधारक पर कर्ज 82 हजार । और  4 से 10 हेक्टर जमीन वाले लोगो पर कर्ज 1.14 लाख जितना है।
🚩आपको बता दे कि देश में सबसे ज्यादा कर्ज में डूबे किसानों आंध्रप्रदेश में 92.9% है। उसके बाद तेलेंगाना के 89.1%, तमिलनाडु के 82.5, केरल के 77.7, कर्नाटक के 77.6, राज्यस्थान के 61.8, ओड़िसा के 57.5, महाराष्ट्र के 57.3, पंजाब के 53.2, बंगाल के 51.5, उत्तरांचल के 50.8, मध्यप्रदेश के 45.7 और उत्तरप्रदेश के 43.8% के साथ गुजरात के किसान कुटुंब 42.6% के साथ 14वें नंबर पर है।
🚩गुजरात राज्य के किसान कुटुंबों की औसत मासिक आवक राष्ट्रीय स्तर पर 12वें स्थान पर रुपये 7926 है। जब कि सबसे ज्यादा पंजाब में रुपये 1805, हरियाणा में 14434, जम्मू-कश्मीर में 12683, केरल में 11888, मेघालय में 11792, अरुणाचल प्रदेश में 10869, नागालैंड में 10048, मिज़ोरम में 9099, मणिपुर में 8842, कर्नाटक में 8832, हिमाचल प्रदेश में 8777, महाराष्ट्र में 7386 और राज्यस्थान में 7350 आमदनी है। राज्य में किसानों की आवक बढ़ाने के लिए सिचाई व्यवस्था के एक्सटेंशन ऑपरेशन को तात्कालिक बनाने की जरूरत है। जब कि किसानों को उनकी उपज के अनुसार कीमत मिले इसलिए स्वामीनाथ समिति द्वारा हुई भलाई अनुसार उपज के कुल खर्च में 50% रकम अधिक दी जाए तो किसान कर्ज से मुक्त हो सकते है। स्त्रोत : मेरन्यूक नेटवर्क
🚩आपको बता दे कि 1995 से  31 मार्च 2013 तक के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 2,96 438 किसानों ने आत्महत्या की है ।
🚩असल में खेती की बढ़ती लागत और #कृषि_उत्पादों की गिरती कीमत किसानों की निराशा की सबसे बड़ी वजह रही है ।
🚩किसानों के खर्च में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है इसमें सिंचाई के लिए बनाने वाले बोरवेल के लिए भूजल स्तर में भारी गिरावट के चलते महंगे हो गए,  बोने वाले बीज महंगे हो गये , बिजली महँगी हो गई उसके बाद भी जब फसल आती है तब दाम बहुत कम हो जाते है जिससे किसानों को घाटा होता है और किसान आत्महत्या कर लेते है ।
🚩 मौसम की बारिश, ओले और तेज हवाओं ने किसानों की तैयार फसलों को बर्बाद करता हैं, उसका झटका बहुत से किसान नहीं झेल पाते हैं।
🚩#सरकार से लोन नही मिलती है लोन भी मिलती है तो बहुत कम ।
नीचे गिरते #जल स्तर के चलते वहां बोरवेल के लिए #बैंकों से कर्ज नहीं मिलते है और साहूकारों से कर्ज लेना किसानों के लिए घातक साबित होता है ।
🚩कई किसानों के #बच्चों की #शिक्षा से लेकर लड़कियों की शादियां तक अटकी हुई हैं ।
🚩फसलों की गिरती कीमतें !
🚩जब किसानों की फसलें तैयार होती है तो कीमतों में भारी गिरावट आती है इसलिए किसानों की आय बहुत कम होती है ।
🚩किसानों ने आत्महत्याएं किये इससे साफ है कि आर्थिक रूप से उनका बहुत कुछ दाँव पर लगा था, जो बर्बाद हो गया । केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम ब्यानों में भी उसे भरोसा नहीं दिखा क्योंकि ये कभी किसान की मदद के लिए बहुत कारगर कदम नहीं उठा पाई हैं ।
🚩इस तरह की आपदा के बाद किसानों को राहत के लिए दशकों पुरानी व्यवस्था और मानदंड ही जारी हैं ।
🚩सरकार ने इस व्यवस्था को व्यवहारिक बनाने और वित्तीय राहत प्रक्रिया को तय समय सीमा में करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं ।
🚩भले ही जनधन में करोडों खाते खुल गये हों, आधार नंबर से जुड़ने वाले #बैंक खाते लगभग पूरी आबादी को कवर करने की ओर जा रहे हों, लेकिन किसानों की मदद के लिए अभी भी बेहद पुरानी, लंबी और लाचार व्यवस्था ही जारी है ।
🚩किसानों के बढ़ते संकट का निवारण करने के लिए सरकार द्वारा किसानों का कर्ज माफ किया जाये , सिंचाई के लिए बोरवेल बनवाकर दिये जाएँ और फसल के दाम में वृद्धि हो ।
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