Friday, April 17, 2020

आयुर्वेद महान क्यों हैं? जिसको स्वास्थ्य मंत्रालय कोरोना में अपनाने की सलाह दे रहा है

*17 अप्रैल 2020*

*🚩कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई देशों में महामारी चल रही है उससे बचने के लिए अनेक कारगर उपाय किये जा रहे है लेकिन अभी तक कोई सफलता नही मिल पा रही है वही भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आर्युवेदिक काढा पीने और आर्युवेदिक तरीके से खान-पान की सलाह दी है। कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए आर्युवेद पर रिचर्स भी किया जा रहा है पूरी दुनिया की नजर भारतीय आर्युवेद पद्धति पर टिकी हुई हैं।*

*आइये आपको बताते है कि आयुर्वेद क्यो महान है?*

*🚩आयुर्वेद एक निर्दोष चिकित्सा पद्धति है। इस चिकित्सा पद्धति से रोगों का पूर्ण उन्मूलन होता है और इसकी कोई भी औषध दुष्प्रभाव (साईड इफेक्ट) उत्पन्न नहीं करती। आयुर्वेद में अंतरात्मा में बैठकर समाधिदशा में खोजी हुई स्वास्थ्य की कुंजियाँ हैं। एलोपैथी में रोग की खोज के विकसित साधन तो उपलब्ध हैं लेकिन दवाइयों की प्रतिक्रिया (रिएक्शन) तथा दुष्प्रभाव (साईड इफेक्टस) बहुत हैं। अर्थात् दवाइयाँ निर्दोष नहीं हैं क्योंकि वे दवाइयाँ बाह्य प्रयोगों एवं बहिरंग साधनों द्वारा खोजी गई हैं। आयुर्वेद में अर्थाभाव, रूचि का अभाव तथा वर्षों की गुलामी के कारण भारतीय खोजों और शास्त्रों के प्रति उपेक्षा और हीन दृष्टि के कारण चरक जैसे ऋषियों और भगवान अग्निवेष जैसे महापुरुषों की खोजों का फायदा उठाने वाले उन्नत मस्तिष्क वाले वैद्य भी उतने नहीं रहे और तत्परता से फायदा उठाने वाले लोग भी कम होते गये। इसका परिणाम अभी दिखायी दे रहा है।*

*🚩हम अपने दिव्य और सम्पूर्ण निर्दोष औषधीय उपचारों की उपेक्षा करके अपने साथ अन्याय कर रहे हैं। सभी भारतवासियों को चाहिए कि आयुर्वेद को विशेष महत्त्व दें और उसके अध्ययन में सुयोग्य रूचि लें। आप विश्वभर के डॉक्टरों का सर्वे करके देखें तो एलोपैथी का शायद ही कोई ऐसा डॉक्टर मिले जो 80 साल की उम्र में पूर्ण स्वस्थ, प्रसन्न, निर्लोभी हो। लेकिन आयुर्वेद के कई वैद्य 80 साल की उम्र में भी निःशुल्क उपचार करके दरिद्रनारायणों की सेवा करने वाले, भारतीय संस्कृति की सेवा करने वाले स्वस्थ सपूत हैं।*

*एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ? :-*

*▪️(1) पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकि एलोपेथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है।*

*▪️(2) दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का इलाज लाखों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपेथी दवाओं की खोज कुछ शताब्दियों पहले हुआ।*

*▪️(3) तीसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि एलोपेथी दवाएं ऐसी है कि आप गाँव में रहते हो तो आपको कई किलोमीटर चलकर शहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा।*

*▪️(4) चौथा कारण है कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती है या कहे कि मुफ्त की है, जबकि एलोपेथी दवाओं कि कीमत बहुत ज्यादा है। एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लगभग 40% हिस्सा बीमारी और इलाज में ही खर्च होता है।*

*▪️(5) पांचवा कारण है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपेथी दवा को एक बीमारी में इस्तेमाल करो तो उसके साथ दूसरी बीमारी अपनी जड़े मजबूत करने लगती है।*

*▪️(6) छटा कारण है कि आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो। और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहुत ही आसान है। जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है। जबकि एलोपेथी के पास इसका कोई सिद्दांत नहीं है।*

*▪️(7) सातवा बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइयां आती है, जबकि एलोपेथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और 85% हिस्सा इलाज के लिए है ।*

*स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से क्या निर्देश है...*

*🚩गुनगुना पीना पिएं, आंवला, एलोवेरा, तुलसी, गिलोय, नींबू आदि का जूस पीना चाहिए।*

*🚩गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।*

*🚩इम्यून सिस्टम की बेहतरी के लिए आप अष्टादसांग काढ़ा, गुडूच्यादि काढ़ा , अमृतउत्तरम काढ़ा या सिरिशादी काढ़ा का सेवन करना उत्तम रहेगा।*

*🚩घर और आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए आप नियमित तौर पर नीम की पत्तियों, गुग्गल, राल, देवदारु और दो कपूर को साथ में जलाएं। उसके धुएं को घर और आस-पास में फैलने दें।*

*🚩इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए आप नियमित तौर पर तुलसी की 5 पत्तियां, 4 काली मिर्च, 3 लौंग, एक चम्मच अदरक का रस शहद के साथ ले सकते हैं।*

*🚩चाय पीने के शौकीन हैं, तो आपको नियमित रूप से 10 या 15 तुलसी के पत्ते, 5 से 7 काली मिर्च, थोड़ी दालचीनी और उचित मात्रा में अदरक डालकर बनाई गई चाय पीनी चाहिए। य​ह आपको रोगों से बचने में मदद करेगी।*

*अंग्रेजी दवाइयों की गुलामी कब तक ?*

*🚩सच्चा स्वास्थ्य यदि दवाइयों से मिलता तो कोई भी डॉक्टर, कैमिस्ट या उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता। स्वास्थ्य खरीदने से मिलता तो संसार में कोई भी धनवान रोगी नहीं रहता। स्वास्थ्य इंजेक्शनों, यंत्रों, चिकित्सालयों के विशाल भवनों और डॉक्टर की डिग्रियों से नहीं मिलता अपितु स्वास्थ्य के नियमों का पालन करने से एवं संयमी जीवन जीने से मिलता है।*

*🚩अशुद्ध और अखाद्य भोजन, अनियमित रहन-सहन, संकुचित विचार तथा छल-कपट से भरा व्यवहार – ये विविध रोगों के स्रोत हैं। कोई भी दवाई इन बीमारियों का स्थायी इलाज नहीं कर सकती। थोड़े समय के लिए दवाई एक रोग को दबाकर, कुछ ही समय में दूसरा रोग उभार देती है। अतः अगर सर्वसाधारण जन इन दवाइयों की गुलामी से बचकर, अपना आहार शुद्ध, रहन-सहन नियमित, विचार उदार तथा व्यवहार प्रेममय बनायें रखें तो वे सदा स्वस्थ, सुखी, संतुष्ट एवं प्रसन्न बने रहेंगे। आदर्श आहार-विहार और विचार-व्यवहार ये चहुँमुखी सुख-समृद्धि की कुंजियाँ हैं।*

*🚩सर्दी-गर्मी सहन करने की शक्ति, काम एवं क्रोध को नियंत्रण में रखने की शक्ति, कठिन परिश्रम करने की योग्यता, स्फूर्ति, सहनशीलता, हसमुखता, भूख बराबर लगना, शौच साफ आना और गहरी नींद – ये सच्चे स्वास्थ्य के प्रमुख लक्षण हैं।*

*🚩डॉक्टरी इलाज के जन्मदाता हेपोक्रेटस ने स्वस्थ जीवन के संबंध में एक सुन्दर बात कही हैः*

*पेट नरम, पैर गरम, सिर को रखो ठण्डा।*
*घर में आये रोग तो मारो उसको डण्डा।।*

*🚩अतः हे भारतवासियो ! हानिकारक रसायनों से और कई विकृतियों से भरी हुई एलोपैथी दवाइयों को अपने शरीर में डालकर अपने भविष्य को अंधकारमय न बनायें। शुद्ध आयुर्वेदिक उपचार-पद्धति और भगवान के नाम का आश्रय लेकर अपना शरीर स्वस्थ व मन प्रसन्न रखो।*

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Thursday, April 16, 2020

भारत देश तब्लीगी जमात के एजेंडे से अनजान है, सच जानना बहुत जरूरी है !

16 अप्रैल 2020

*🚩तब्लीग़ी जमात का जन्म मुगलों ने हिंदुओं को जबरदस्ती बनाये मुसलमान को फिर से हिंदू धर्म में घरवापसी को रोकने के लिये हुआ था। घर वापसी में हज़ारों ऐसे मुसलमानों को शुद्ध कर हिंदू बनाया जो किसी काल में भ्रष्ट हो कर इस्लामी हो गए थे। इनमें बहुतेरे ऐसे थे जिनके रीत-व्यवहार हिन्दुओं के से थे। आर्य समाज के घर वापसी का प्रताप को देख कर इस्लामी शुद्धता के केंद्र देवबंद के इलाक़े के ही एक मुल्ला मुहम्मद इलियास कांधलवी ने तब्लीग़ी जमात को शुरू किया। तब्लीग़ी जमात से हिसाब से मुसलमान ठीक रस्ते पर नहीं चल रहे और उन्हें अस्ली इस्लाम को अपनाना चाहिए अतः अब जानना ज़रूरी है कि अस्ली इस्लाम क्या है ?*

*1.जमात के संस्थापक मौलाना को रंज होता था कि दिल्ली के मुसलमान हिंदू रंगत लिए हुए थे*

*🚩प्रसिद्ध विद्वान मौलाना वहीदुद्दीन खान की पुस्तक ‘तब्लीगी मूवमेंट’ से इसकी प्रामाणिक जानकारी मिलती है। इस जमात के संस्थापक मौलाना इलियास को यह देख भारी रंज होता था कि दिल्ली के आसपास के मुसलमान सदियों बाद भी बहुत चीजों में हिंदू रंगत लिए हुए थे। वे गोमांस नहीं खाते थे, चचेरी बहनों से शादी नहीं करते थे, कुंडल, कड़ा धारण करते थे, चोटी रखते थे। यहां तक कि अपना नाम भी हिंदुओं जैसे रखते थे। हिंदू त्योहार मनाते और कुछ तो कलमा पढ़ना भी नहीं जानते थे। वास्तव में मेवाती मुसलमान अपनी परंपराओं में आधे हिंदू थे। इसी से क्षुब्ध होकर मौलाना इलियास ने मुसलमानों को कथित तौर पर सही राह पर लाना तय किया।*

*2. हिंदू प्रभावित मुसलमानों को इस्लामी प्रशिक्षण देकर उन्हें ‘नया मनुष्य बना दिया गया*

*🚩मौलाना इलियास ने मुसलमानों में हिंदू प्रभाव का कारण मिल-जुल कर रहना समझा था। उनकी समझ से इसका उपाय उन्हें हिंदुओं से अलग करना था, ताकि मुसलमानों को ‘बुरे प्रभाव से मुक्त किया जाए।’ इस प्रक्रिया के बारे में मौलाना वहीदुद्दीन लिखते हैं कि कुछ दिन तक इस्लामी व्यवहार का प्रशिक्षण देकर उन्हें ‘नया मनुष्य बना दिया गया।’ यानी उन्हें अपनी जड़ से उखाड़ कर, दिमागी धुलाई करके, हर चीज में अलग किया गया। खास पोशाक, खान-पान, खास दाढ़ी, बोल-चाल, आदि अपनाना इसके प्रतीक थे।*

*3. तब्लीगी जमात का मिशन है हिंदुओं के साथ मिल-जुल कर रहने वाले मुसलमानों को अलग करना*

*🚩तब्लीगी जमात में प्रशिक्षित मुसलमानों ने वापस जाकर स्थानीय मेवातियों में वही प्रचार किया। इससे मेवात में मस्जिदों की संख्या तेजी से बढ़ी और मेवात पूरी तरह बदल गया। वास्तव में यही जमात का मिशन है हिंदुओं के साथ मिल-जुल कर रहने वाले मुसलमानों को पूरी तरह अलग करना। उन्हें पूर्णत: शरीयत-पाबंद बनाना। अपने पूर्वजों के रीति-रिवाजों से घृणा करना। दूसरे मुसलमानों को भी वही प्रेरणा देना।*

*4. तब्लीगी एजेंडे को महात्मा गांधी द्वारा खिलाफत आंदोलन के सक्रिय समर्थन से ताकत मिली*

*🚩तब्लीगी एजेंडे को महात्मा गांधी द्वारा खिलाफत आंदोलन के सक्रिय समर्थन से ताकत मिली। ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ। मुमताज अहमद के अनुसार मौलाना इलियास को खिलाफत आंदोलन का बड़ा लाभ मिला। इससे उपजे आवेश का लाभ उठाकर उन्होंने सही इस्लाम और आम मुसलमानों के बीच दूरी पाटने और उन्हें हिंदू समाज से अलग करने में आसानी हुई।*

*5. स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के बाद ही तब्लीगी जमात पहली प्रमुखता से समाचारों में आई*

*🚩खिलाफत के बाद जमात का काम इतनी तेजी से बढ़ा कि जमाते उलेमा ने 1926 में बैठक कर तब्लीग को स्वतंत्र रूप में चलाने का फैसला किया। इस तरह तब्लीगी जमात बनी। मौलाना वहीदुद्दीन के अनुसार, ‘‘आर्य समाज के शुद्धि प्रयासों से नई समस्याएं पैदा हुईं, जो मुसलमानों को अपने पुराने धर्म में वापस ला रहा था।’’ यही स्वामी श्रद्धानंद पर जमात के कोप के कारण का भी संकेत है। स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के बाद ही तब्लीगी जमात पहली बार प्रमुखता से (1927) समाचारों में आई।*

*6. निजामुद्दीन मरकज: मलेशिया, इंडोनेशिया आदि देशों के कई मौलाना मिले*

*🚩इलियास के बाद उनके बेटे मुहम्मद यूसुफ ने पूरे भारत और विदेश यात्राएं कीं। इसके असर से अरब और अन्य देशों से भी तब्लीगी मुसलमान निजामुद्दीन आने लगे। इस पर हैरानी नहीं कि हाल में उसके मरकज यानी मुख्यालय से मलेशिया, इंडोनेशिया आदि देशों के कई मौलाना मिले।*

*7.मौलाना यूसुफ ने कहा था- इस्लाम की सामूहिकता सर्वोच्च रहनी चाहिए*

*🚩मौलाना यूसुफ ने अपनी मृत्यु से तीन दिन पहले रावलपिंडी में (1965) में कहा था, ‘उम्मत की स्थापना अपने परिवार, दल, राष्ट्र, देश, भाषा, आदि की महान कुर्बानियां देकर ही हुई थी। याद रखो, ‘मेरा देश’, ‘मेरा क्षेत्र’, ‘मेरे लोग’, आदि चीजें एकता तोड़ने की ओर जाती हैं। इन सबको अल्लाह सबसे ज्यादा नामंजूर करता है। राष्ट्र और अन्य समूहों के ऊपर इस्लाम की सामूहिकता सर्वोच्च रहनी चाहिए।’*

*8. शांतिपूर्ण प्रचार और जिहाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं*

*🚩कुछ लोग तब्लीगी जमात के गैर-राजनीतिक रूप और राजनीतिक इस्लाम में अंतर करते हैं, पर यह नहीं परखते कि प्रचार किस चीज का हो रहा है? शांतिपूर्ण प्रचार और जिहाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसे जगह, समय और काफिरों की तुलनात्मक स्थिति देखकर तय किया जाता है। जमात के काम ‘शांतिपूर्ण’ हैं, मगर यह शांति माकूल वक्त के इंतजार के लिए है, क्योंकि उनके पास उतनी ताकत नहीं है।*

*9. जमात का मॉडल आरंभिक इस्लाम है*

*🚩प्रो. बारबरा मेटकाफ के अनुसार, जमात का मॉडल आरंभिक इस्लाम है। उसके प्रमुख की ‘अमीर’ उपाधि भी इसका संकेत है, जो सैनिक-राजनीतिक कमांडर होता था। उसकी टोलियों की यात्रा कोई शिक्षक-दल नहीं, बल्कि गश्ती दस्ते जैसी होती हैं ताकि किसी इलाके की निगरानी कर उसके हिसाब से रणनीति बनाई जा सके।*

*10. कई मंदिरों पर हमले में 1992-93 में तब्लीगी जमात का नाम उभरा था*

*🚩यह संयोग नहीं कि 1992-93 में भारत, पाक, बांग्लादेश में कई मंदिरों पर हमले में तब्लीगी जमात का नाम उभरा था। न्यूयॉर्क में आतंकी हमले के बाद तो वैश्विक अध्ययनों में भी उसका नाम बार-बार आया। अमेरिका के अलावा मोरक्को, फ्रांस, फिलीपींस, उज्बेकिस्तान और पाक में सरकारी एजेंसियों ने जिहादियों और तब्लीगियों में गहरे संबंध पाए थे।*

*11.तब्लीगी जमात की सफलता में उसकी एकनिष्ठता का बड़ा हाथ*

*🚩तब्लीगी जमात की सफलता में उसकी एकनिष्ठता का बड़ा हाथ है। वे पदों-कुर्सियों के फेर में नहीं रहे। वे हिंदू नेताओं, बौद्धिकों के अज्ञान का भी चुपचाप दोहन करते हैं। इसीलिए उनका अंतरराष्ट्रीय केंद्र राजधानी दिल्ली में एक पुलिस स्टेशन के समीप होने पर भी बेखटके चलता रहा।*

*12. हमारी पार्टियों ने ‘राष्ट्रवादी मुसलमान’ कह कर उन्हें महिमामंडित किया*

*🚩वस्तुत: हमारी पार्टियों ने ‘राष्ट्रवादी मुसलमान’ कह कर जिन्हें महिमामंडित किया, वे अधिकांश पक्के इस्लामी थे- मौलाना मौदूदी, मशरिकी, इलियास, अब्दुल बारी आदि। उनके द्वारा मुस्लिम लीग के विरोध के पीछे ताकत बढ़ाकर पूरे भारत पर कब्जे की मंशा थी। इसी को कांग्रेसियों ने देशभक्ति कहा। वही परंपरा भाजप ने भी अपना ली। इस प्रकार, हमारे दल विविध इस्लामी नेताओं, संस्थानों, संगठनों आदि को सम्मान, अनुदान, संरक्षण तो देते रहते हैं, पर उनके काम का आकलन कभी नहीं करते। फलत: दोहरी नैतिकता और छद्म के उपयोग से पूरा देश गाफिल रहता है। इसीलिए भारत में तब्लीगी जमात का काम अतिरिक्त सुविधा से चलता रहता है।*
*स्रोत :*

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Wednesday, April 15, 2020

रत्नाकर से कैसे बने महर्षि वाल्मीकि और रामायण लिखने की शुरुआत कैसे हुई?

*15 अप्रैल 2020*

*🚩भारतीय संस्कृति के साधु-संतों और भगवान के नाम की कितनी ताकत है वे दुनिया के किसी भी पलडु से तोल नही सकते है। हम लोग जो आज घरो में रामायण देख रहे है और उसको देखकर हमारा जीवन उन्नत कर रहे है लेकिन ये रामायण कैसे लिखी गई है और लिखने वाले एक साधारण व्यक्ति से महान कैसे बन गए वे भी आप जनोगों तो सनातन हिंदू संस्कृति पर आपको गर्व होने लगेगा और दुनिया मे इसके जैसे कोई श्रेष्ठ धर्म आपको नही दिखाई देगा।*

*महर्षि वाल्मीकि जी का परिचय*

*🚩महर्षि वाल्मीकि की कहानी बडी अर्थपूर्ण है । सत्पुरुषों की संगति में आकर लोगोंकी उन्नति कैसे होती है, महर्षि वाल्मीकि इसका एक महान उदाहरण हैं । नारदमुनि के संपर्क में आकर वे एक महान ऋषि, ब्रम्हर्षि बने, तथा उन्होंने ‘रामायण’ की रचना की, जिसे संपूर्ण विश्व कभी भूल नहीं सकता । पूरे विश्वके महाकाव्यों में से वह एक है । दूसरे देशों के लोग उसे अपनी-अपनी भाषाओं में पढते हैं । रामायण के चिंतन से हमारा जीवन सुधर सकता है । हमें यह महाकाव्य देनेवाले महर्षि वाल्मीकि को हम कभी भूल नहीं सकते । इस महान ऋषि एवं चारण को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम ।*

*🚩महर्षि वाल्मीकि की रामायण संस्कृत भाषाका पहला काव्य है, अत: उसे ‘आदि-काव्य’ अथवा ‘पहला काव्य’ कहा जाता है तथा महर्षि वाल्मीकिको `आदि कवि’ अथवा ‘पहला कवि’ कहा जाता है ।*

*🚩जिस कविने ‘रामायण’ लिखी तथा लव एवं कुशको यह गाना तथा कहानी सिखाई, वे एक महान ऋषि, महर्षि वाल्मीकि थे । यह व्यक्ति महर्षि तथा गायक कवि कैसे बने यह बडी बोधप्रद कहानी है । महर्षि वाल्मीकि की रामायण संस्कृत भाषा में है तथा बहुत सुंदर काव्य है ।*

*🚩महर्षि वाल्मीकि की रामायण गायी जा सकती है । कोयल की आवाज की तरह वह कानों को भी बडी मीठी (कर्णप्रिय) लगता है । महर्षि वाल्मीकि को काव्य के पेड पर बैठी तथा मीठा गानेवाली कोयल कहा गया है । जो भी रामायण पढते हैं, प्रथम महर्षि वाल्मीकि को प्रणाम कर तदुपरांत महाकाव्य की ओर बढते हैं ।*

*महर्ष‍ि वाल्मीकि और नारद की कथा*

*🚩महर्ष‍ि वाल्मीकि और नारद को लेकर एक पौराण‍िक कथा है। वाल्‍मीक‍ि बनने से पूर्व उनका नाम रत्‍नाकर था और वह परिवार के भरण पोषण के लिए लोगों को लूटा करते थे। एक बार उनकी मुलाकात नारद जी से हो गई। जब वह उन्‍हें लूटने लगे तो नारदजी ने प्रश्न क‍िया क‍ि, जिन परिवार के लिए वह ये काम कर रहे हैं, क्‍या वह उनके पापा में भागीदार बनेगे ?*

*🚩जब रत्‍नाकर ने यह सुना तो वह अचरज में पड गए और तुरंत अपने पर‍िवार के पास जाकर ये प्रश्न क‍िया। उनको यह जानकर झटका लगा क‍ि कोई भी उनका अपना उनके पाप में हिस्‍सेदार नहीं बनना चाहता है। इसके बाद उन्‍होंने नारद जी से क्षमा मांगी और साथ ही राम-नाम के जप का उपदेश भी दिया। किंतु वाल्‍मीक‍ि जी राम नाम नहीं बोल पा रहे थे जिस पर उन्‍होंने उनका ‘मरा मरा’ जपने की सीख दी। यही जाप उनका राम नाम हो गया और वह एक लुटेरे से महर्ष‍ि वाल्मीकि हो गए।*

*🚩बता दें क‍ि ये जब श्री राम ने जनता की बातें सुनकर माता सीता को त्‍याग द‍िया था, तब वह महर्ष‍ि वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं। उनके पुत्रों लव-कुश के गुरु भी महर्ष‍ि वाल्मीकि ही थे।*

*महाकाव्य रामायणकी रचना*

*🚩नारदमुनिके जानेके पश्चात महर्षि वाल्मीकि गंगा नदी पर स्नान करने गए । भारद्वाज नाम का शिष्य उनके वस्त्र संभाल रहा था । चलते-चलते वे एक निर्झरके पास आए । निर्झर का पानी बिल्कुल स्वच्छ था । वाल्मीकि ने अपने शिष्यसे कहा, `देखो, कितना स्वच्छ पानी है, जैसे किसी अच्छे मानवका स्वच्छ मन! आज मैं यहीं स्नान करूंगा।’*

*🚩महर्षि वाल्मीकि पानी में पांव रखने हेतु उचित स्थान देख रहे थे, तभी उन्हें पंछियों की मीठी आवाज सुनाई दी । ऊपर देखने पर उन्हें दो पंछी एक साथ उडते हुए दिखे । उन  पंछियों की प्रसन्नता देख कर महर्षि वाल्मीकि अति प्रसन्न हुए । तभी तीर लगने से एक पंछी नीचे गिर गया । वह एक नर पक्षी था । उसकी घायल हालत देखकर उसकी साथी दुखसे चिल्लाने लगी । यह ह्रदयविदारक दृश्य देखकर महर्षि वाल्मीकि का ह्रदय पिघल गया । पंछीपर किसने तीर चलाया यह देखने हेतु उन्होंने इधर-उधर देखा । तीर-कमान के साथ एक आखेटक निकट ही दिखाई दिया । आखेटक ने (शिकारीने) खाने हेतु पंछीपर तीर चलाया था । महर्षि वाल्मीकि बडे क्रोधित हुए । उनका मुंह खुला, और ये शब्द निकल गए : `तुमने एक प्रेमी जोडे में से एककी हत्या की है, तुम खुद अधिक दिनोंतक जीवित नहीं रहोगे !’ दुखमें उनके मुंह से एक श्लोक निकल गया । जिसका अर्थ था, तुम अनंत काल के लंबे साल तक शांति से न रह सकोगे । तुमने एक प्रणयरत पंछी की हत्या की है ।*

*🚩पंछी का दुख देखकर महर्षि वाल्मीकि ने बडे दुखी होकर आखेटक को (शिकारी को) शाप दिया; किंतु किसीको शाप देने से वे भी दुखी हो गए । उनके साथ चलने वाले भारद्वाज मुनि के पास उन्होंने अपना दुख प्रकट किया । महर्षि वाल्मीकि के मुंहसे श्लोक निकल जाने के कारण उन्हें भी आश्चर्य हुआ था । उनके आश्रम वापिस आने पर तथा उसके पश्चात भी वे श्लोक के विषय में ही सोचते रहे ।*

*🚩महर्षि वाल्मीकि का मन अभी भी उनके मुंह से निकले श्लोक का ही विचार कर रहा था, कि सृष्टि के देवता भगवान ब्रह्मा स्वयं उनके सामने प्रकट हुए । उन्होंने महर्षि वाल्मीकि से कहा, `हे महान ऋषि, आपके मुंह से जो श्लोक निकला, उसे मैंने ही प्रेरित किया था । अब आप श्लोकों के रूपमें ‘रामायण’ लिखेंगे । नारद मुनिने तुम्हें रामायण की कथा सुनाई है । तुम अपनी आंखों से सब देखोगे । तुम जो भी कहोगे, सच होगा । तुम्हारे शब्द सत्य होंगे । जबतक इस दुनिया में नदियां तथा पर्वत हैं, लोग ‘रामायण’ पढेंगे । ’ भगवान ब्रह्मा ने उन्हें ऐसा आशीर्वाद दिया और वे अदृश्य हो गए ।*

*🚩महर्षि वाल्मीकि ने ‘रामायण’ लिखी । सर्वप्रथम उन्होंने श्रीराम के सुपुत्र लव एवं कुश को श्लोक सिखाए । उनका जन्म महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में हुआ तथा वहीं पर वे बडे हुए।*

*🚩आपने जाना कि कैसे एक व्यक्ति अपनी आजीविका चलाने के लोए लुटमार करते है और एक साधु देवर्षि नारद मिलते है और भगवान के नाम की दीक्षा लेते है और उस मार्गदर्शन के अनुसार रत्नाकर अपना जीवन बना देते है और महान हो जाते है और आज भी उनकी महर्षि वाल्मीकि बनकर पूरी दुनिया को मार्गदर्शन दे रहे है, धन्य भारतीय संस्कृति और साधु संत।*

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Tuesday, April 14, 2020

कोरोना महामारी में केवल सनातन धर्म के ही नियम काम आ रहे हैं, जानिए सच

14 अप्रैल 2020

*🚩सनातन हिंदू धर्म के नियम और सिद्धांत है वे केवल मनुष्य ही नहीं प्राणी मात्र के लिए परम् हितकारी है पर आजतक हमें इस बात का समझ नहीं आ रहा था जब कोरोना जैसे महामारी फैल रही है तब थोड़ा समझ में आ रहे हैं और वही सिद्धांत दुनियाभर के देश अपना रहे हैं।*

*🚩सनातन धर्म का प्रत्येक विधान ऋषियों के द्वारा शोध करके बनाया गया है। इसकी सारी परम्परा वैज्ञानिक तरीके से प्राणीमात्र के हित के लिए हैं ।*

*🚩इस विषय में काव्य के माध्यम से ये सुंदर पंक्तियां पढ़ें:-*

*धरती के सभी धर्मों में श्रेष्ठ, वैज्ञानिक है सनातन धर्म।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*

*इस धर्म ने सदा से कहा है, छुआछूत ना अच्छा है।*
*वर्तमान स्थिति में देखिये, यह कितना सच्चा है।।*
*जात पात में पड़कर हमने, नष्ट किया है इसका मर्म।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*

*इस मजहब में हाथ मिलाने की,  नहीं है कोई परंपरा।*
*समवयस्क में नमस्कार, आशीष अनुज को प्रेम भरा।।*
*बड़े बुजुर्गों की चरण वंदना करना, छोटों का है धर्म।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*

*प्राण वायु के लिए वृक्षो को, सदा पूजते आए हैं।*
*पीपल को भगवान मानते, तुलसी घर-घर लगाए हैं।।*
*जीवनदायनी नदियों को माँ का, दर्जा देता है यह धर्म।*   
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*

*हवन-यज्ञ है श्रेष्ठ कर्म, पर्यावरण पवित्र करता है।*
*डमरू घंटी और शंखनाद से, सारा वायरस मरता है।।*
*धूप दीप कपूर जलाने से, नहीं बचते कोई विषाणु जर्म।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*

*सनातन धर्मी हाथ पैर धोकर ही, सारे कर्म करता है।*
*प्राणायाम, जप और योग, सभी रोगों को हरता है।।*
*प्रकृति पूजन के लिए, सभी पर्व मनाता है यह धर्म।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*
     
*पुरुषों में नारायण दर्शन करते, नारी में लक्ष्मी माता।*
*पत्थर, काष्ठ, स्वर्ण को भी, शिव विष्णु मान पूजा जाता।।*
*कण-कण में ईश्वर का हैं वास, बतलाता है यह धर्म।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*
     
*चेचक को माँ शीतला कहते, सर्प का भी करते पूजन।*
*बैल शिव का, चूहा गणेश का, कुकुर भैरव का वाहन।।*
*घृणा छोड़ सम्मान करना, सिखाता है यह धर्म।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*

*परम उदार है सनातन धर्म, पूरे विश्व का हित करता।*
*वेदों का एक-एक मंत्र, विश्व कल्याण की बात करता।।*
*पूरे विश्व को अपना मानता, कहता है वसुधैव कुटुम्बकम्।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*

*करोना वायरस से डरो मत, ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखो।*
*लौंग, इलाइची,जावित्री, कपूर सैदेव अपने पास रखो।।*
*तुलसी का सेवन करो सदा, घर में रहकर पीओ जल गर्म।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*

*धरती के सभी धर्मों में श्रेष्ठ, वैज्ञानिक है सनातन धर्म।*
*इसकी सभी विधाओं में है, जीवन रक्षक सारा कर्म।।*

*🚩वास्तव में देखा जाए तो जबसे सृष्टि का निर्माण हुआ है तबसे ईश्वर ने एक ही धर्म बनाया है वे सनातन धर्म जिसको आज हिंदू धर्म बोलते हैं और यही सनातन हिंदू धर्म सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी, कीट-पतंग, पेड़-पौधे आदि आदि सभी के मंगल के लिए बनाया था ओर जबतक सनातन धर्म के अनुसार लोग जीवन जी रहे थे तब स्वस्थ, सुखी और सम्मानित और लंबी आयु से जीवन जी रहे थे लेकिन जबसे सनातन धर्म से विमुख होते गये त्यों त्यों चिंता, भय, रोग , दुःख सब घेरने लगे अभी कोरोना महामारी भी यही बता रही है कि हम अभी भी अपनी प्राचीन संस्कृति पर लौट आएं। .. नहीं आएंगे तो प्रकृति डंडे मारकर लाएगी इससे अच्छा है अभी से उसके अनुसार जीवन जीकर जिंदगी को खुशहाल बनाएं।*


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