Friday, February 12, 2021

वेलेंटाइन डे पर मातृ-पितृ पूजन दिवस से कैसे होगा समाज का उत्थान?

12 फरवरी 2021


सदियों से भारत वर्ष में मातृ देवो भव! पितृ देवो भव! आचार्य देवो भव! का उद्घोष होता आया है। हमारी सनातन संस्कृति की नींव बहुत गहरी है। इसकी सुवास से सारा विश्व आन्दोलित हो सकता है। किन्तु आज देश में पाश्चात्य अंधानुकरण इस कदर फैल चुका है की युवा पीढ़ी को भौतिकवाद के सिवा कुछ सूझता ही नहीं।




फैशनपरस्ती करना, फिल्मों में क्लबों में जाना, पार्टी- डांस करना, नशाखोरी करना, मनमानी में पैसे बर्बाद करना इतने तक ही नई पीढी का जीवन सीमित हो चुका है। हमारा समाज इससे प्रभावित हो रहा है। आज कितने घरों में माता- पिता या बुजुर्गों का आदर होता है? कितने घरों में नवजवान अपने परिवार और समाज के प्रति दायित्व को समझते हैं? इस पर विचार करें तो आप को हमारी सामाजिक स्थिति पर खेद होगा।

आजकल ज्यादातर घरों में माता-पिता को नजर अंदाज किया जाता है। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे घरखर्च के लिए निश्चित राशि देते हैं, व्याधियाँ होते हुए भी नाती-पोतों को संभालते हैं। यहाँ तक कि नौजवान घर के दैनिक कार्यों की जिम्मेदारी भी अपने बुज़ुर्गों पर डाल नौकरी-धंधे पर निकल जाते हैं। क्या यह उनकी उपेक्षा नही है? उनका शोषण नहीं?

इसी कड़ी में 14 फरवरी को वैलेंटाईन-डे का उत्सव मनाना भी मैं अपने ज्येष्ठों की उपेक्षा समझती हूँ। इस तथाकथित उत्सव के प्रभाव में समाज और खंडित होता जा रहा है। ऐसे उच्छृंखल एवं उत्तेजक पर्व को मनाने से क्या हमारी संताने हमसे दूर नही जा रही? युवा पीढ़ी के इस नैतिक पतन के बाद क्या दया, प्रेम, आदर और कर्तव्यनिष्ठता के दैविक भाव उनमें पनप सकेंगे?

समाज को सही मायने में ऊर्ध्वगामी करने के प्रकल्प संतो के ही होते हैं। उनके उपदेश और आदर्श जीवनशैली हमारे प्रेरणास्त्रोत हैं। जो समाज से कुछ न लेकर भी उसकी मंगलकामना करते हैं, दीनों को आश्रय देते हैं और युवाओं को उत्साह वे ही हमारे सामाजिक-संरचना के आधार हैं। फिर उनकी अनसुनी करके, उन्हे ही कष्ट दे कर हमारा समाज कैसे ऊपर उठ सकता है। अपने पूज्यों की बात हमे माननी चाहिए। ऐसे ही एक संतात्मा श्री आशारामजी बापू ने वैलेन्टाईन-डे के प्रभाव से समाज को मुक्त करने के लिए मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का आव्हाह्न किया। उनका यह लोक-मांगल्य का संकल्प आज एक विश्वयापी अभियान बन चुका है। देश-विदेश के अधिनायक, नेता और नागरिक इसका समर्थन करते हैं। आप  mppd.ashram.org की वेबसाईट पर जाकर अनेकों प्रमाण देख सकते हैं।

आप सभी पाठकों से मैं भी यह निवेदन करती हूँ कि 14 फरवरी को राष्ट्रहित एवं समाज-हित की दृष्टि से आप भी अपने परिवार में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाएँ और अपने बड़ो का आशिर्वाद प्राप्त करें। आईये अपनी संस्कृति के बल से विश्वपटल पर भारत को अग्रणी बनाएँ। लेखक – रेणुका हरने

भारत में वैलेंटाइन डे की गंदगी अपने व्यापार का स्तर बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां लेकर आई हैं और वो ही कम्पनियां मीडिया में पैसा देकर वैलेंटाइन डे का खूब प्रचार प्रसार करवाती हैं । जिसके कारण उनका व्यापार लाखों नहीं, करोड़ों नहीं, अरबों नहीं लेकिन खरबों में हो जाता है, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया जनवरी से ही वैलेंटाइन डे यानि पश्चिमी संस्कृति का प्रचार करने लगता है, जिसके कारण विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, गर्भनिरोधक सामग्री, नशीले पदार्थ आदि 10 गुना बिकते हैं और उन्हें खरबों रुपये का फायदा होता है ।

वैलेंटाइन डे से युवाओं का अत्यधिक पतन हो रहा है इसलिए अब तो ऐसा समय आ गया है कि वैलेंटाइन डे की जगह लोगों ने अभी से 14 फरवरी के दिन "मातृ-पितृ पूजन दिवस" निमित्त मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम शुरू कर दिया है ।

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, February 11, 2021

मातृ-पितृ पूजन दिवस क्यों मनाना चाहिए? वैज्ञानिकों ने क्या कहाँ?

11 फरवरी 2021


माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है और सदगुरु ने जो महान अनुभव किया है उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती। इन तीनों के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिलता है। अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता और सदगुरु का आदर पूजन आज्ञापालन तो करना चाहिए, चाहिए और चाहिए ही !




14 फरवरी को ʹवेलेंटाइन डेʹ मनाकर युवक-युवतियाँ प्रेमी-प्रेमिका के संबंध में फँसते हैं। वासना के कारण उनका ओज-तेज दिन दहाड़े नीचे के केन्द्रों में आकर नष्ट होता है। उस दिन ʹमातृ-पितृ पूजनʹ काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता की दलदल से ऊपर उठाकर उज्जवल भविष्य, सच्चरित्रा, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा।

अनादिकाल से महापुरुषों ने अपने जीवन में माता-पिता और सदगुरु का आदर-सम्मान किया है।

कोई हिन्दू, ईसाई, मुसलमान, यहूदी नहीं चाहते कि हमारे बच्चे विकारों में खोखले हो जायें, माता-पिता व समाज की अवज्ञा करके विकारी और स्वार्थी जीवन जीकर तुच्छ हो जायें और बुढ़ापे में कराहते रहें। बच्चे माता-पिता व गुरुजन का सम्मान करें तो उनके हृदय से विशेष मंगलकारी आशीर्वाद उभरेगा, जो देश के इन भावी कर्णधारों को ʹवेलेन्टाइन डेʹ जैसे विकारों से बचाकर गणेश जी की नाईं इऩ्द्रिय-संयम व आत्मसामर्थ्य विकसित करने में मददरूप होगा।

माता, पिता एवं गुरुजनों का आदर करना हमारी संस्कृति की शोभा है। माता-पिता इतना आग्रह नहीं रखते कि संतानें उनका सम्मान-पूजन करें परंतु बुद्धिमान, शिष्ट संतानें माता-पिता का आदर पूजन करके उनके शुभ संकल्पमय आशीर्वाद से लाभ उठाती हैं।

14 विकसित और विकासशील देशों के बच्चों व युवाओं में किये गये सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ है कि भारतीय बच्चे, युवक सबसे अधिक सुखी और स्नेही पाये गये। लंदन व न्यूयार्क में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका एक बड़ा कारण है-भारतीय लोगों का पारिवारिक स्नेह एवं निष्ठा है ! भारतीय युवाओं ने कहा कि ʹउनकि जीवन में प्रसन्नता लाने तथा समस्याओं को सुलझाने में उनके माता-पिता का सर्वाधिक योगदान है।ʹ

भारत में माता-पिता हर प्रकार से अपने बच्चों का पोषण करते हैं और माता-पिताओं का पोषण संतजनों से होता है। माता-पिता, बच्चे-युवक सभी को पोषित करने वाला हिंदू संत आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित ʹमातृ-पितृ पूजन दिवसʹ इस निष्कर्ष की पुष्टि करता है।

आधुनिक वैज्ञानिकों का मत

माता-पिता के पूजने से अच्छी पढाई का क्या संबंध-ऐसा सोचने वालों को अमेरिका की ʹयूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनियाʹ के सर्जन व क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सू किम और ʹचिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनियाʹ के एटर्नी एवं इमिग्रेशन स्पेशलिस्ट जेन किम के शोधपत्र के निष्कर्ष पर ध्यान देना चाहिए।

अमेरिका में एशियन मूल के विद्यार्थी क्यों पढ़ाई में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हैं ? इस विषय पर शोध करते हुए उऩ्होंने यह पाया कि वे अपने बड़ों का आदर करते हैं और माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं तथा उज्जवल भविष्य-निर्माण के लिए गम्भीरता से श्रेष्ठ परिणाम पाने के लिए अध्ययन करते हैं।

भारतीय संस्कृति के शास्त्रों और संतों में श्रद्धा न रखने वालों को भी अब उनकी इस बात को स्वीकार करके पाश्चात्य विद्यार्थियों को सिखाना पड़ता है कि माता-पिता का आदर करने वाले विद्यार्थी पढ़ाई में श्रेष्ठ परिणाम पा सकते हैं।

जो विद्यार्थी माता-पिता का आदर करेंगे वे ʹवेलेन्टाइन डेʹ मनाकर अपना चरित्र भ्रष्ट नहीं कर सकते। संयम से उनके ब्रह्मचर्य की रक्षा होने से उनकी बुद्धिशक्ति विकसित होगी, जिससे उनकी पढ़ाई के परिणाम अच्छे आयेंगे। स्त्रोत : संत श्री आशारामजी बापू के प्रवचन से

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, February 8, 2021

छः राज्यों के मुख्यमंत्री बोले 14 फरवरी को मनाओ मातृ-पितृ पूजन दिवस

08 फरवरी 2021


 देश के कई राज्यों की सरकार जान चुकी है कि वेलेंटाइन डे से समाज और देश को अत्यधिक नुकसान हो रहा है उसे रोकने का विकल्प जरूरी है इसलिए 2006 से 14 फरवरी का दिन मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने का विकल्प रखा गया है अब उसे और अधिक व्यापक बनाना होगा इसलिए वर्तमान में देश के कई मुख्यमंत्रियों, राज्यपाल एवं मंत्रियों ने इसकी भूरी-भूरी प्रशंसा की और इसे व्यापक रूप से मनाने की घोषणा भी कर रहे हैं।




मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने पत्र द्वारा बताया कि मुझे यह जानकर खुशी है कि श्री योग वेदांत सेवा समिति, 14 फरवरी का दिन 'मातृ-पितृ की पूजन दिवस' के रूप में मना रहे हैं।

उन्होंने आगे बताया कि पिछले कुछ दशकों से समाज एवं समाज की सामाजिक संरचना काफी हद तक बदल गयी है । इसलिए, युवा पीढ़ी में भारतीय संस्कृति के मूल्यों और आदर्शों को विकसित करना आवश्यक है। प्रशंसनीय है कि श्री योग वेदांत सेवा समिति छात्रों के चरित्र निर्माण की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल है।

योगी जी ने यह भी कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह कार्यक्रम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहेगा । मेरी शुभकामनाएं इस कार्य के लिए हैं।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संदेश द्वारा दी शुभकामनाएं..

हिमाचल के मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने बताया कि मुझे यह जानकर खुशी है कि श्री योग वेदांत सेवा समिति ने 14 फरवरी का दिन माता-पिता की पूजा दिवस के रूप में मनाया और इस अवसर को यादगार बनाने के लिए भिन्न-भिन्न स्थानों पर हुए मातृ-पितृ पूजन के आयोजन का एक संकलन भी समिति के द्वारा साथ में लाया जा रहा है। हमें बचपन से बच्चों में नैतिक मूल्यों के संस्कार भरने चाहिए और प्राचीन भारत की परंपराओं, रीति-रिवाजों और संस्कृति के बारे में उन्हें जागृत करना चाहिए ताकि वे अपने बड़े-बुजुर्गों का सम्मान और परंपराओं का पालन करना सीख सकें । मेरा मानना ​​है कि संस्कृति और रीति-रिवाज हमारे समाज का अभिन्न अंग है और इसे हर तरह से संरक्षित किया जाना चाहिए।

आपको बता दें कि असम के मुख्यमंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल जी एवं गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रुपाणी जी ने भी 14 फ़रवरी को मातृ-पितृ पूजन की भारी प्रशंसा की है और वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन मनाने की अपील की है। आपको बता दें कि इन सभी ने पिछले साल पत्र लिखकर अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की थी।

झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने संदेश के माध्यम से बताया कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि अखिल भारतीय योग वेदांत सेवा समिति, अहमदाबाद के मार्गदर्शन में युवा सेवा संघ, बाल संस्कार विभाग, रांची द्वारा गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी 14 फरवरी, 2021 को मातृ-पितृ पूजन दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।

वर्तमान समय में पाश्चात्य सभ्यता की चका - चौंध में हमारे बच्चे अपने अपने माता-पिता, गुरुजनों एवं बड़ों के प्रति आदर करना छोड़ते जा रहे हैं, बच्चों में असंतोष बढ़ रहा है, हर तरफ निराशा का वातावरण बन गया है। वर्तमान परिवेश में मातृ-पितृ पूजन दिवस का आयोजन करना एक सराहनीय कदम है।
   
 मैं मातृ-पितृ पूजन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की सफलता की कामना करता हूँ, तथा सभी बच्चों एवं युवाओं को शुभकामना देता हूँ।

 राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने बताया कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि अखिल भारतीय श्री योग वेदांत सेवा समिति , अहमदाबाद के सौजन्य से पिछले 15 वर्षों से 14 फरवरी को " मातृ - पितृ पूजन दिवस " का आयोजन किया जा रहा है । मानव के जन्म से लेकर जीवन पर्यन्त माता - पिता का त्याग और समर्पण अपने आप में महत्वपूर्ण है । छत्तीसगढ़ में भी वर्ष 2012 से माता , पिता और गुरुजनों के प्रति सम्मान की भावना जगाने के लिए 14 फरवरी को ऐसे आयोजन किए जा रहे हैं। आशा है इस दिवस पर पारिवारिक और सामाजिक सरोकारों से संबद्ध कार्यक्रम नई पीढ़ी में माता - पिता के उपकारों के प्रति चिंतन के साथ सामाजिक समरसता का संचार करने की दृष्टि से प्रेरणादायक सिद्ध होंगे । मैं मातृ - पितृ पूजन दिवस कार्यक्रम की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ।

गुजरात के उपमुख्यमंत्री ने मातृ-पितृ पूजन की सरहाना की

गुजरात के उपमुख्यमंत्री श्री नितिन पटेल ने संदेश द्वारा बताया कि श्री योग वेदांत सेवा समिति द्वारा 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जा रहा इसको सुनकर बहुत प्रसन्नता हुई।

आगे बताया कि विद्यार्थियों में सुसंस्कार का सिंचन हो इसलिए अधिक से अधिक स्कूलों-कॉलेजों में मातृ-पितृ पूजन होना चाहिए। यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक हो यही शुभकामनाएं करता हूँ।

गौरतलब है कि 14 फरवरी को युवक-युवतियों द्वारा वैलेंटाइन डे मनाया जा रहा था जिसके कारण उन्हें अत्यधिक हानि हो रही थी इसलिए सन 2006 से हिन्दू संत आसाराम बापू ने 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने की घोषणा की, तबसे लेकर आजतक घरों, स्कूलों, कॉलेजों, गांवों, नगरों, शहरों आदि में विश्वव्यापी अभियान चलाये जा रहे हैं जिसके कारण विदेशी कम्पनियों को खरबों का नुकसान भी हुआ है लेकिन इसका सबसे अधिक फायदा हमारी युवा पीढ़ी को हुआ, युवक-युवतियों की जो हानि हो रही थी उससे वे बच गए और माता-पिता को सम्मान देना शुरू कर दिया, जिसके कारण घरों की खोई हुई खुशहाली भी लौट आयी।

समस्त देशवासियों को 14 फरवरी के दिन वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाना चाहिए।

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, February 7, 2021

14 फरवरी को ऐसा क्या बदलाव होने वाला है जिसको लेकर टॉप ट्रेंड चला

07 फरवरी 2020


पश्चिमी देशों में 14 फरवरी को युवक युवतियाँ एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्डस, फूल आदि देकर वेलेन्टाइन डे मनाते हैं। यौन जीवन संबंधी परम्परागत नैतिक मूल्यों का त्याग करने वाले देशों की चारित्रिक सम्पदा नष्ट होने का मुख्य कारण ये वेलेन्टाइन डे ही है जो लोगों को अनैतिक जीवन जीने को प्रेरित करते हैं। इससे उन देशों का अधःपतन हुआ है। इससे जो समस्याएँ पैदा हुईं, उनको मिटाने के लिए वहाँ की सरकारों ने चिकित्सा के लिए एवं स्कूलों में केवल संयम अभियानों पर करोड़ों डालर खर्च करने पड़े फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिलती। अब यह कुप्रथा हमारे भारत में भी पैर जमा रही है।




14 फरवरी वेलेंटाइन डे के दुष्परिणामो को जानकर अब भारतवासियों ने एक कैम्पियन चलाई है जिसमें भाग लेने वाले अधिकतर युवक-युवतियां ही हैं उन्होंने इस बार ठान लिया है कि 14 फरवरी को हम मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाएंगे और वेलेंटाइन डे का बहिष्कार करेंगे क्योंकि सबसे पहला प्यार माता-पिता ने हमें किया है।

रविवार 7 फरवरी को #14फरवरी_मातृपितृ_पूजन_दिवस 
हैशटेग लेकर टॉप ट्रेंड चल रहा जिसमे लाखों ट्वीट हुई, आइये जानते हैं क्या कह रही थी जनता?

1. ट्वीटर पर अर्चना आमने ने लिखा कि
मातृ पितृ पूजन दिवस माने सच्चा प्रेम दिवस लोग कहते हैं पहला प्यार भुलाया नहीं जाता फिर क्यों भूल जाते हैं अपने माता पिता को जिसने हमको इस दुनिया में लाया है? आओ मिलकर मनाए  #14फरवरी_मातृपितृ_पूजन_दिवस https://t.co/mFt4PhT3EG

2. डोलत ने लिखा कि हम सब Sant Shri Asharamji Bapu द्वारा चालया जा रहे इस सुंदर और शुद्ध प्रेम दिवस को माता पिता पूजन दिवस के रूप में 14 फरवरी को मानना यह बहुत सुंदर और अच्छा योग लगता है।
#14फरवरी_मातृपितृ_पूजन_दिवस

3. सरोज गिरी ने लिखा कि उद्यम,साहस,धैर्य,बुद्धि,शक्ति,पराक्रम जैसे दैवीय सद्गुण माता पिता ही बच्चों में भरते है। वीर शिवाजी,महात्मा गांधी, संत विनोबाजी आदि ऐसे कई वीर सपूत हुए जिनके प्रेरणा स्रोत उनके माता पिता ही थे, तो #14फरवरी_मातृपितृ_पूजन_दिवस मनाकर उनका करे सत्कार।

4. स्वतंत्र भारत हैन्डल से लिखा गया कि जैसे माता पिता की सेवा व पूजा से श्रवण कुमार अमर बने, वैसे हम भी अपने माता पिता का आदर, सत्कार व पूजा करके हमारा मानव जन्म सफल व धन्य बनाए।
#14फरवरी_मातृपितृ_पूजन_दिवस अवश्य मनाएं।

5. हरीश राजगुरु ने लिखा कि जिस देश में स्वयं प्रभु राम ने माता पिता व गुरुजनों का आदर किया, उस देश कि युवा पीढ़ी अपने माता-पिता का अपमान करके वेलेंटाइन कि ओर क्यों जाए? माता-पिता का आदर सत्कार करे। 

हिंदू संत आशारामजी बापू प्रेरित  #14फरवरी_मातृपितृ_पूजन_दिवस
खुद भी मनाए और दूसरो को भी जरूर प्रेरित करे।

यहाँ आपको कुछ ही ट्वीट बताई गई लेकिन रविवार को #14फरवरी_मातृपितृ_पूजन_दिवस हैशटेग को लेकर लाख से ऊपर ट्वीट हुई थी उसमे सबको एक ही अपील की जा रही थी कि वेलेंटाइन डे हमारी संस्कृति और हमारे देश की रीढ़ की हड्डी युवाओं का पतन कर रहा है और ग्रीटिंग कार्ड, फूल, चॉकलेट व गर्भनिरोधक सामग्री बेचकर अरबों-खरबों रुपये विदेशी कंपनियां भारत से लेकर चली जाती है। अतः इसका त्याग करें और उसदिन हमारे माता-पिता की पूजा जरूर करें।

हमें अपने परम्परागत नैतिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए ऐसे वेलेन्टाइन डे का बहिष्कार करना चाहिए। इस संदर्भ में हिंदू संत आशारामजी बापू ने एक नयी पहल की है– 'मातृ-पितृ पूजन दिवस'। इसका हमे लाभ उठाना चाहिए जिसके कारण हम पतन के रास्ते से बच सकते हैं और अपने माँ-बाप की सेवा करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है।

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Saturday, February 6, 2021

जोर शोर से उठ रही है 14 फरवरी की आवाज, कवि ने लिखी कविता

06 फरवरी 2021


14 फरवरी को ʹवेलेंटाइन डेʹ मनाकर युवक-युवतियाँ प्रेमी-प्रेमिका के संबंध में फँसने के कारण विदेशी कंपनियों के ग्रीटिंग कार्ड, फूल आदि मैं पैसे की बर्बादी होती है और ओज-तेज दिन दहाड़े नष्ट होता है। उस दिन ʹमातृ-पितृ पूजनʹ करने से काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता के दलदल से ऊपर उठकर उज्जवल भविष्य, सच्चरिता, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा और पैसे की बर्बादी नहीं होगी और मां-बाप प्रसन्न होंगे।




इस पर एक कवि ने कविता भी लिखी है...

💫धन्यवाद आशाराम बापूजी का जो, जीना हमें सिखाया है।✨

💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको, सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨

💫वैलेंटाइन डे से युवाओं का, नैतिक पत्तन हो रहा था।✨

💫नशे की ओर आकर्षित हो, अपने संस्कार खो रहा था।।✨

💫पथप्रदर्शक बन बापूजी ने, सुसंस्कारों का सृजन कराया है।।✨

💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको, सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨

💫बूढ़े लाचार मां-बाप से युवा, अपना नाता तोड़ रहे थे।✨

💫घर से निकालकर उनको, वृद्धाश्रम में छोड़ रहे थे।।✨

💫बताकर माता-पिता का महत्व, ईश्वर के स्थान पर बिठाया है।✨

💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको, सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨

💫बापूजी ने बताया माता-पिता ही, सच्चा प्यार करते हैं।✨

💫बापू ने समझाया माता-पिता ही, अच्छे संस्कार भरते हैं।।✨

💫मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: का, सर्वत्र उदघोष कराया है।✨

💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको, सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨

💫धन्यवाद आशाराम बापूजी का जो जीना हमें सिखाया है।✨

💫मातृ पितृ पूजन दिवस का सबको सुंदर मार्ग दिखाया है।।✨ -कवि सुरेन्द्र भाई

माता-पिता के पूजने से अच्छी पढाई का क्या संबंध-ऐसा सोचने वालों को अमेरिका की ʹयूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनियाʹ के सर्जन व क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सू किम और ʹचिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनियाʹ के एटर्नी एवं इमिग्रेशन स्पेशलिस्ट जेन किम के शोधपत्र के निष्कर्ष पर ध्यान देना चाहिए। अमेरिका में एशियन मूल के विद्यार्थी क्यों पढ़ाई में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हैं ? इस विषय पर शोध करते हुए उऩ्होंने यह पाया कि वे अपने बड़ों का आदर करते हैं और माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं तथा उज्जवल भविष्य-निर्माण के लिए गम्भीरता से श्रेष्ठ परिणाम पाने के लिए अध्ययन करते हैं। भारतीय संस्कृति के शास्त्रों और संतों में श्रद्धा न रखने वालों को भी अब उनकी इस बात को स्वीकार करके पाश्चात्य विद्यार्थियों को सिखाना पड़ता है कि माता-पिता का आदर करने वाले विद्यार्थी पढ़ाई में श्रेष्ठ परिणाम पा सकते हैं।

जो विद्यार्थी माता-पिता का आदर करेंगे वे ʹवेलेन्टाइन डेʹ मनाकर अपना चरित्र भ्रष्ट नहीं कर सकते। संयम से उनके ब्रह्मचर्य की रक्षा होने से उनकी बुद्धिशक्ति विकसित होगी, जिससे उनकी पढ़ाई के परिणाम अच्छे आयेंगे।

माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है और सदगुरु ने जो महान अनुभव किया है उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती। इन तीनों के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिलता है। अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता और सदगुरु का आदर पूजन आज्ञापालन तो करना चाहिए।

गौरतलब है कि संत आशारामजी बापू ने 2006 से 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू किया था उनका कहना था कि सभी लोग अपने माता पिता का सत्कार करें। भारत में और विश्व में ʹमातृ-पितृ पूजन दिवसʹ का कार्यक्रम मैं व्यापक करना चाहता हूँ। इस दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का आदर-पूजन करें और प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें। इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा।

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, February 5, 2021

हिंदुओं को ही सेकुलरिज्म का नशा कैसे चढ़ा है देख लीजिए

05 फरवरी 2021


कभी शैव विचारधारा की पवित्र भूमि कही जाने वाले कश्मीर में आज अज़ान और आतंवादियों की गोलियां सुनाई देती हैं। कश्मीर के इस्लामीकरण में सबसे पहला नाम बुलबुल शाह का आता है। बुलबुल शाह के बाद दूसरा बड़ा नाम मीर सैय्यद अली हमदानी का आता है। हमदानी कहने को सूफी संत था मगर कश्मीर में कट्टर इस्लाम का उसे पहला प्रचारक कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। श्रीनगर में हमदानी की ख़ानख़ा-ए -मौला के नाम से स्मारक बना हुआ है। पुराने कश्मीरी इतिहासकारों के अनुसार यह काली देवी का मंदिर था। इस पर कब्ज़ा कर इसे इस्लामिक ख़ानख़ा में जबरन परिवर्तित किया गया था। सबसे खेदजनक बात यह है कि वर्तमान में कश्मीरी हिन्दुओं की एक पूरी पीढ़ी हमदानी के इतिहास से पूरी प्रकार से अनभिज्ञ है। कुछ को सेक्युलर नशा चढ़ा है। उनके लिए मंदिर और ख़ानख़ा में कोई अंतर नहीं है। कुछ को सूफियाना नशा चढ़ा है। वे सूफियों को हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक समझते है। सारा दोष हिन्दुओं का है जो अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा न के बराबर देते है। इसलिए श्रीनगर में रहने वाला अल्पसंख्यक हिन्दू इतिहास की जानकारी न होने के कारण हमदानी की ख़ानख़ा में माथा टेकने जाता है।

आईये पहले हमदानी के इतिहास को जान ले।




हमदानी का जन्म हमदान में हुआ था। वह तीन बार कश्मीर यात्रा पर आया। यह सूफियों के कुबराविया सम्प्रदाय से था। यह मीर सैय्यद अली हमदानी ही था जिसने कश्मीर के सुलतान को हिन्दुओं के सम्बन्ध में राजाज्ञा लागु करने का परामर्श दिया गया था। इस परामर्श में हिन्दुओं के साथ कैसा बर्ताव करे। यह बताया गया था। हमदानी के परामर्श को पढ़िए।

-हिन्दुओं को नए मंदिर बनाने की कोई इजाजत न हो।

-हिन्दुओं को पुराने मंदिर की मरम्मत की कोई इजाजत न हो।

-मुसलमान यात्रियों को हिन्दू मंदिरों में रुकने की इजाज़त हो।

- मुसलमान यात्रियों को हिन्दू अपने घर में कम से कम तीन दिन रुकवा कर उनकी सेवा करे।

-हिन्दुओं को जासूसी करने और जासूसों को अपने घर में रुकवाने का कोई अधिकार न हो।

-कोई हिन्दू इस्लाम ग्रहण करना चाहे तो उसे कोई रोकटोक न हो।

-हिन्दू मुसलमानों को सम्मान दे एवं अपने विवाह में आने का उन्हें निमंत्रण दे।

-हिन्दुओं को मुसलमानों जैसे वस्त्र पहनने और नाम रखने की इजाजत न हो।

-हिन्दुओं को काठी वाले घोड़े और अस्त्र-शस्त्र रखने की इजाजत न हो।

-हिन्दुओं को रत्न जड़ित अंगूठी पहनने का अधिकार न हो।

-हिन्दुओं को मुस्लिम बस्ती में मकान बनाने की इजाजत न हो।

-हिन्दुओं को मुस्लिम कब्रिस्तान के नजदीक से शव यात्रा लेकर जाने और मुसलमानों के कब्रिस्तान में शव गाड़ने की इजाजत न हो।

-हिन्दुओं को ऊँची आवाज़ में मृत्यु पर विलाप करने की इजाजत न हो।

-हिन्दुओं को मुस्लिम गुलाम खरीदने की इजाजत न हो।

मेरे विचार से इससे आगे कुछ कहने की आवश्यता ही नहीं है।
(सन्दर्भ- Zakhiratul-muluk, pp. 117-118)

मेरे विचार से अगर कोई हिन्दू हमदानी के विचार को जान लेगा तो वह कभी हमदानी की ख़ानख़ा जाने का विचार नहीं करेगा। यह सेकुलरिज्म का नशा है। इसे उतारना ही होगा।
-डॉ. विवेक आर्य

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, February 4, 2021

वेलेंटाइन डे का इतिहास जान लेंगे तो छोड़ देंगे वेलेंटाइन मनाना

04 फरवरी 2021


 भारत में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं कि वेलेंटाइन डे की शुरुआत कैसे हुई और यह क्यों मनाया जा रहा है । इससे हमें फायदा होगा या नुकसान, ये हमारी संस्कृति के अनुसार है कि नहीं इस पर तनिक भी विचार न कर टीवी-सिनेमा मीडिया में दिखाई जाने वाली चीजों से प्रभावित होकर उनकी नकल करने लग जाते हैं।

 आइये आज आपको वैलेंटाइन डे का सच्चा इतिहास बताते हैं....




रोम के राजा क्लाउडियस ब्रह्मचर्य की महिमा से परिचित थे, इसलिए उन्होंने अपने सैनिकों को शादी करने के लिए मना किया था, ताकि वे शारीरिक बल और मानसिक दक्षता से युद्ध में विजय प्राप्त कर सकें । रोम के चर्च के ईसाई धर्मगुरु वेलेंटाइन जो स्वयं ईसाई पादरी होने के कारण बाहर से नहीं दिखा सकते कि वे ब्रह्मचर्य के विरोधी हैं। इसलिए पादरी वेलेंटाइन ने गुप्त ढंग से सैनिकों की शादियाँ कराईं । राजा को जब यह बात पता चली तो उन्हें दोषी घोषित किया और इस पादरी वेलेंटाइन को 14 फरवरी के दिन फाँसी दे दी गयी । सन् 496 से ईसाई पोप गैलेसियस ने उनकी याद में 14 फरवरी के दिन वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया । तब से लेकर अब तक यह प्रथा चली आ रही है ।

 एक बड़ी बात यह भी है कि वेलेंटाइन डे मनाने वाले लोग पादरी वेलेंटाइन का ही अपमान करते हैं क्योंकि वे शादी के पहले ही अपने प्रेमास्पद को वेलेंटाइन कार्ड भेजकर उनसे प्रणय-संबंध स्थापित करने का प्रयास करते हैं । यदि पादरी वेलेंटाइन इससे सहमत होते तो वे शादियाँ कराते ही नहीं । तो ये था वेलेंटाइन - डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार ।

भारत में जब अंग्रेज आये तब वो लोग इस दिन को मनाते थे तो भारत के कुछ लोग जो अंग्रेजों के चाटुकार थे, मूर्ख और लालची थे वे लोग भी इसे मनाने लगे ।

भारत में अंग्रेज वेलेंटाइन डे इसलिए मना रहे थे ताकि भारत के लोगों का नैतिक पतन हो जिससे वो अंग्रेजो के सामने लड़ ही न पाएं और लंबे समय तक भारत को गुलाम बनाकर रख सके ।

फिर अंग्रेज तो गये लेकिन विदेशी कम्पनियों ने सोचा कि हम अगर भारत में वैलेंटाइन डे को बढ़ावा देते हैं तो हमें अरबों-खबरों रुपये का फायदा होगा तो उन्होंने टीवी, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अखबार, नावेल, सोशल मीडिया, आदि में खूब-प्रचार प्रसार किया जिससे उन्होंने महंगे ग्रीटिंग कार्ड, गिफ्ट, फूल चॉकलेट आदि से अरबों रुपए कमाएं । इसके अलावा नशीले पदार्थ, ब्ल्यू फिल्म, गर्भ निरोधक साधन, पोर्नोग्राफी, उत्तेजक पोप म्यूजिक जैसी सेक्स उत्तेजक दवाईयाँ बनाने वाली विदेशी कम्पनियां अपने आर्थिक लाभ हेतु समाज को चरित्रभ्रष्ट करने के लिए करोड़ों अरबों रूपये खर्च कर रही है ।

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2016 में वेलेंटाइन डे से जुड़े सप्ताह के दौरान फूल, चॉकलेट, आदि विभिन्न उपहारों की बिक्री का कारोबार करीब 22,000 करोड़ रूपये था । पिछले साल बार 50,000 करोड़ रूपये से अधिक का कारोबार होने का अनुमान है । वस्तुत: वैलेंटाइन डे के विदेशी बाजारीकरण वासनापूर्ति को बढ़ावा देने वाला दिन है ।

अब ये वैलेंटाइन डे हमारे कुछ स्कूलों तथा कॉलजों में भी मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के लड़के-लड़कियाँ बिना सोचे-समझे एक दूसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड, गिफ्ट फूल दे रहे हैं ।

इन सब विदेशी गन्दगी को देखते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू ने 2006 में 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाना शुरू किया जिसका अभी व्यापक रूप से प्रचार हो रहा है । भारत में उनके करोड़ों अनुयायी, आम जनता, हिन्दू संगठन और कई राज्यों की सरकार, गांव-गांव, नगर-नगर में इस दिन को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मना रहे हैं । विदेशों में भी उनके अनुयायी इस दिन को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मना रहे हैं ।

हिन्दू संत बापू आशारामजी का कहना है कि 14 फरवरी को पश्चिमी देशों की नकल कर भारत के युवक युवतियाँ एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड्स, फूल आदि देकर वैलेंटाइन डे मनाते हैं । इस विनाशकारी डे के नाम पर कामविकार का विकास हो रहा है, जो आगे चलकर चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, खोखलापन,जल्दी बुढ़ापा और जल्दी मौत लाने वाला साबित होगा ।

हजारों-हजारों युवक-युवतियां तबाही के रास्ते जा रहे हैं । वैलेंटाइन डे के बहाने आई लव यू करते-करते लड़का-लड़की एक दूसरे को छुएंगे तो रज-वीर्य का नाश होगा । आने वाली संतति पर भी इसका बुरा असर पड़ता है और वर्तमान में वे बच्चे-बच्चियां भी तबाही के रास्ते हैं । लाखों-लाखों माता-पिताओं के हृदय की पीड़ा को देखते हुए तथा बच्चे-बच्चियों को इस विदेशी गंदगी से बचाकर भारतीय संस्कृति की सुगंध से सुसज्जित करना है । प्रेम दिवस जरूर मनायें लेकिन प्रेमदिवस में संयम और सच्चा विकास लाना चाहिए । युवक-युवती मिलेंगे तो विनाश-दिवस बनेगा ।

इस दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का पूजन करें और उनके सिर पर पुष्प रखें, प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें । संतान अपने माता-पिता के गले लगें । इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा ।

तुम भारत के लाल और भारत की लालियाँ (बेटियाँ) हो । प्रेमदिवस मनाओ, अपने माता-पिता का सम्मान करो और माता-पिता बच्चों को स्नेह करें।  पाश्चात्य संस्कृति के लोग विनाश की ओर जा रहे हैं । वे लोग ऐसे दिवस मनाकर यौन सम्बन्धी रोगों का घर बन रहे हैं, अशांति की आग में तप रहे हैं । उनकी नकल भारत के बच्चे-बच्चियाँ न करें ।

आपको बता दें कि बापू आशारामजी ने इस तरीके से करोड़ों लोगों को वैलेंटाइन डे आदि विदेशी प्रथाओं से, व्यसन आदि से बचाया है, जिसके कारण विदेशी कंपनियों का अरबों-खरबों रुपये का घाटा हुआ है । तथा इस नुकसान से बचने के लिए ही उन्होंने बापू आशारामजी को साज़िशों के जाल में फंसा जेल भेज दिया ।

हमारे शास्त्रों में माता-पिता को देवतुल्य माना गया है और इस संसार में अगर कोई हमें निःस्वार्थ और सच्चा प्रेम कर सकता है तो वो हमारे माता-पिता ही हो सकते हैं ।

तो क्यों न हम मानवमात्र के परम हितकारी हिन्दू संत आशारामजी बापू प्रेरित #14फरवरी_मातृ_पितृ_पूजन मनाकर अपने माता-पिता के सच्चे प्रेम का सम्मान करें और यौवन-धन, स्वास्थ्य और बुद्धि की सुरक्षा करें ।

आओ एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं ।
14 फरवरी को वेलेंटाइन डे नहीं माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाएं ।

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ