Wednesday, January 8, 2025

अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य सुहास सुब्रमण्यम ने भगवद्गीता पर ली शपथ: भारतीय संस्कृति की गूंज विश्व मंच पर

 08 January 2025

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🚩अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य सुहास सुब्रमण्यम ने भगवद्गीता पर ली शपथ: भारतीय संस्कृति की गूंज विश्व मंच पर


🚩हाल ही में अमेरिका की राजनीति में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने हर भारतीय के दिल को गर्व से भर दिया। भारतीय मूल के अमेरिकी नेता सुहास सुब्रमण्यम ने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य के रूप में शपथ लेते समय भगवद्गीता का सहारा लिया और ‘हरे कृष्णा’ का उच्चारण किया। यह घटना भारतीय संस्कृति और मूल्यों की उस गहराई को दर्शाती है, जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ रही है।


🚩अमेरिकी संसद में गीता के श्लोक पढ़कर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की झलक देखने को मिली। वहां भारतीय अमेरिकी सांसदों ने भगवद्गीता को शपथ के माध्यम के रूप में चुना। इसके साथ ही उन्होंने गीता का एक श्लोक भी पढ़ा, जिससे भारतीय संस्कृति की गहराई और उसके दार्शनिक मूल्यों की गूंज अमेरिकी संसद में सुनाई दी।


🚩यह कोई पहली घटना नहीं है जब भगवद्गीता को इस तरह से सम्मान मिला हो। 2013 में, पहली बार तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी संसद में भगवद्गीता की शपथ ली थी। उन्होंने न केवल गीता को अपने जीवन का आधार बताया, बल्कि अपने कार्यों में भी सनातन धर्म के मूल्यों का पालन करने का उदाहरण प्रस्तुत किया।


🚩सुहास सुब्रमण्यम: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व


सुहास सुब्रमण्यम, जो भारतीय मूल के हैं, अमेरिका के वर्जीनिया राज्य से कांग्रेस के सदस्य चुने गए हैं। अमेरिका जैसे बहुसांस्कृतिक देश में उन्होंने अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया। सुहास का जन्म और पालन-पोषण अमेरिका में हुआ, लेकिन उनकी आस्था और उनके संस्कार भारतीय संस्कृति से गहराई से जुड़े हुए हैं।


जब उन्होंने भगवद्गीता को अपने शपथ ग्रहण का माध्यम चुना, तो यह केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं था। यह उनके भीतर बसे उन भारतीय मूल्यों और आदर्शों का प्रतीक था, जो जीवन को एक उच्च उद्देश्य के साथ जीने की प्रेरणा देते हैं।


🚩भगवद्गीता पर शपथ का महत्व


भगवद्गीता सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है; यह जीवन जीने की कला सिखाने वाली एक गहन दार्शनिक कृति है। इस पर शपथ लेना कई अर्थों को प्रकट करता है:


 🔸वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति का आदर:


भगवद्गीता पर शपथ लेकर सुहास ने भारतीय दर्शन को विश्व मंच पर सम्मानित किया। यह दिखाता है कि भारतीय मूल्यों की सार्वभौमिकता हर संस्कृति में अपनाई जा सकती है।


 🔸जीवन के उच्च आदर्शों का प्रतीक:


गीता हमें कर्म, धर्म, और आत्मा की शांति का मार्ग दिखाती है। इस पर शपथ लेना नैतिकता और ईमानदारी के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।


 🔸नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा:


यह घटना भारतीय मूल के युवाओं को अपनी संस्कृति पर गर्व करने और अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देती है।


🚩‘हरे कृष्णा’ का गूंजता संदेश


शपथ ग्रहण के दौरान सुहास ने ‘हरे कृष्णा’ मंत्र का उच्चारण किया। यह मंत्र केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक ऊर्जा का भी प्रतीक है। इस मंत्र के साथ उन्होंने अपनी शपथ को और अधिक आध्यात्मिक और प्रभावशाली बना दिया। यह दर्शाता है कि आधुनिकता और परंपरा का संगम एक व्यक्ति को और अधिक प्रबल बना सकता है।


🚩भारतीय समुदाय की गर्वपूर्ण प्रतिक्रिया


इस घटना ने विश्वभर में भारतीय समुदाय के बीच उत्साह और गर्व का माहौल पैदा कर दिया। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे भारतीय संस्कृति की जीत करार दिया। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में हों, हमारी संस्कृति और परंपराएँ हमें हमेशा प्रेरित करती हैं।


🚩एक नई सोच का उदय


सुहास सुब्रमण्यम ने भगवद्गीता पर शपथ लेकर भारतीयता का जो संदेश दिया है, वह हमें यह सिखाता है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना न केवल व्यक्तिगत सफलता का, बल्कि विश्व कल्याण का भी आधार है। उनकी यह पहल केवल एक सांकेतिक कदम नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि भारतीय संस्कृति कितनी व्यापक और प्रासंगिक है।


🚩निष्कर्ष


सुहास सुब्रमण्यम का यह कदम भारतीय मूल्यों की शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि अपनी परंपराओं से जुड़कर भी विश्व मंच पर सफल हुआ जा सकता है। उनकी यह पहल भारतीय संस्कृति को नई ऊँचाइयों पर ले जाती है और हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व करने का एक और कारण देती है।


जय श्री कृष्ण!


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