Wednesday, December 28, 2016

सनबर्न फेस्टिवल को स्थगित करने के लिए अनेक हिन्दू संगठनों ने मांग उठाई है !!

हिन्दू संस्कृति को नष्ट करने वाल सनबर्न यदि रद्द नहीं किया गया, तो तीव्र आंदोलन करेंगे – शिवसेना

पिंपरी (पुणे) : नशीले पदार्थों का दुरुपयोग तथा अनैतिक कृत्यों वाला, भारतीय संस्कृति भ्रष्ट बनानेवाला तथा युवा पीढ़ी को दूषित करनेवाला सनबर्न फेस्टिवल  28 से 31 दिसंबर 2016 तक पुणे में होनेवाले सनबर्न फेस्टिवल को स्थगित करने के लिए अनेक हिन्दू संगठनों ने मांग उठाई है ।


पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका शिक्षा मंडल के सदस्य एवं शिवसेना के श्री. गजानन चिंचवडे ने बताया कि हिन्दू संस्कृति का दर्शन करानेवाले पुणे नगर में ‘सनबर्न फेस्टिवल’ समान कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है । पुणे की संस्कृति को बिगाड़नेवाला कार्यक्रम नहीं होने देंगे । यदि शासन द्वारा ‘सनबर्न फेस्टिवल’ रद्द नहीं किया गया, तो केसनंद गांव में एवं अन्यत्र भी हम तीव्र आंदोलन करेंगे । यदि भविष्य में भी संंस्कृति विनाशक कोई कार्यक्रम होंगे, तो वह भी नहीं होने देंगे । 
Azaad BHarat For the Sake of indian Culture Demand to Ban Sunburn Festival in pune

केसनंद (जिला पुणे) में आयोजित ‘सनबर्न फेस्टिवल’ कार्यक्रम तत्काल रद्द करने तथा मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार मस्जिदों पर लगाए गए अवैध भोंगे बंद करने की मांगों के लिए विविध हिन्दुत्वनिष्ठ एवं सामाजिक संगठनों ने यहां के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पुतले के पास राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन किया गया । 

इस आंदोलन में शिववंदना उपक्रम के श्री. उमेश पवार, शिवप्रतिष्ठान के श्री. गणेश भुजबळ, अधिवक्ता श्री. पडवळेमामा, देहूरोड के धर्माभिमानी श्री. गाडगीळ, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. अभिजीत देशमुख एवं सनातन संस्था के श्री. चंद्रशेखर तांदळे के साथ 100 से अधिक धर्माभिमानी सम्मिलित हुए थे ।

अधिवक्ता श्री. पडवळेमामा ने कहा कि ‘सनबर्न फेस्टिवल’ को गोवा से हटाया गया है । इस फेस्टिवल में युवकों को नशीली पदार्थ देकर व्यसनाधीनता की ओर ढकेला जाता है । इस प्रकार का पाश्‍चात्त्य संस्कृति का अंधानुकरण पुणे में नहीं चलेगा । एक ओर श्री गणेशचतुर्थी को रात्रि 10 बजे ध्वनिक्षेपक बंद करवाए जाते हैं; परंतु सनबर्नसमान कार्यक्रम को रात्रि 12 बजे आरंभ होता है, यह कहां तक उचित है ? कानून सभी के लिए समान होना चाहिए । यदि इस कार्यक्रम को नहीं रोका गया, तो हमें अलग विचार करना पड़ेगा ।

मस्जिदों से ध्वनिप्रदूषण करनेवाले अवैध भोंगों पर कार्यवाही करनी चाहिए ! 

श्री. अभिजीत देशमुख ने कहा कि शासन द्वारा अथवा हिन्दुओं के त्यौहार के अवसर पर आवाज का बंधन लगाया जाता है; परंतु अन्य धर्मियों को समय एवं आवाज पर बंधन नहीं लगाया जाता । यह त्रूटिपूर्ण है । इसलिए मस्जिद से ध्वनिप्रदूषण करनेवाले अवैध भोंगों पर कार्यवाही करनी चाहिए तथा विद्या का मायका कहलानेवाले पुणे नगर से सनबर्न समान कार्यक्रम हटाए जाने चाहिए ।

भारत भोंगामुक्त करना चाहिए एवं ‘सनबर्न फेस्टिवल’ को भारत से हटा देना चाहिए ! 

नागरिकों कोे अपने क्षेत्र के मस्जिदों पर के अवैध भोंगों के विरुद्ध वैधानिक रूप से परिवाद प्रविष्ट करना चाहिए । इन भोंगों द्वारा दी जानेवाली अजान हमें सहन करने की आवश्यकता नहीं है । हम इस आंदोलन के माध्यम से पूरे देश को भोंगामुक्त भारत का संदेश देंगे । ‘सनबर्न फेस्टिवल’ के माध्यम से किए जानेवाले व्यसनों से युवक-युवतियों को रोकना चाहिए । ‘सनबर्न फेस्टिवल’ पुणे से ही नहीं, अपितु भारत से हटा देना चाहिए । इस के माध्यम से किए जानेवाले अनाचारों पर ध्यान देकर शासन को उचित कार्यवाही करनी चाहिए ।

इस अवसर पर सनातन संस्था के श्री. चंद्रशेखर तांदळे ने प्रतिपादित किया कि सनबर्न पाश्‍चात्त्य कार्यक्रम हिन्दुओं का तेजोभंग करनेवाला है । उसे रद्द करें ।

स्वतंत्रतावीर सावरकर प्रतिष्ठान की श्रीमती वर्षा देशपांडे ने कहा कि, देश को स्वतंत्रता तो मिल गई; परंतु क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं ? अभी भी हम अनेक पश्‍चिमी परंपराआें के मानसिक परतंत्र हैं । भारतीय संस्कृति महान है तथा हमें प्राचीन परंपरा प्राप्त है। अतः हिन्दू संस्कृति की महान धरोहर को ध्यान में रखते हुए हमें नया वर्ष 1 जनवरी को मनाने के बजाय उसे गुढी पाडवा के दिन ही मनाना चाहिए ।

पूर्व प्रधानाध्यापिका श्रीमती लता कोल्हटकर ने कहा कि, पश्चमियों के तथा हम भारतीयों के वातावरण में बहुत बड़ा अंतर है । भारतीय संस्कृति में गुढीपाडवा की अवधि में वातावरण में अनेक अच्छे परिवर्तन होते हैं । इस अवधि में वृक्षों को बहार आती है । इसकी अपेक्षा पश्‍चिमी संस्कृति में ऐसा कुछ नहीं होता । होली, रंगपंचमी, दीपावली जैसे हमारे प्रत्येक त्यौहार का धर्मशास्त्रीय आधार है । हिन्दुआें को गुढीपाडवा के दिन ही नववर्ष की शुभकामनाएं देनी चाहिए।

अभिनेता शरद पोंक्षे ने कहा कि,सनबर्न फेस्टिवल में गुटखा, साथ ही नशीले पदार्थों का सेवन किया जाता है । पुणे जैसी पुण्यनगरी में इस प्रकार का फेस्टिवल होना अत्यंत अयोग्य है । महाराष्ट्र में इस प्रकार के फेस्टिवल होने से युवा पीढ़ी की हानि होगी । भारतीय संस्कृति इस प्रकार के फेस्टिवल से कभी भी सहमत नहीं होगी । अतः इस प्रकार के फेस्टिवल के लिए अनुमति देने की आवश्यकता ही नहीं है । इसका सभी स्तरों द्वारा विरोध किया जाना आवश्यक है ।

सनबर्न कार्यक्रम में भारी मात्रा में नशीली पदार्थों का सेवन किया जाता है । इससे पूर्व गोवा में संपन्न सनबर्न कार्यक्रमों में नशीली पदार्थ विरोधी दल द्वारा छापा मारने के पश्चात वहां अनेक स्थान पर युवक-युवतियां सार्वजनिक रूप से हुक्का तथा चिलिम का एवं अस्थाई प्रसाधनगृहों में नशीली पदार्थों का सेवन करते हुए दिखाई दिए थे ।

‘सनबर्न’ कार्यक्रम को भारी मात्रा में संस्कृतिप्रेमियों का विरोध हो रहा है । इसलिए संस्कृतिप्रेमी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों ने सुसंस्कृति को कलंकित करनेवाले इस कार्यक्रम को ही रद् करने की मांग की है ।

भाजपा सरकार द्वारा जनता संस्कृतिहीन बनेगी, ऐसा कार्यक्रम रखना अपेक्षित नहीं है ! ऐसे कार्यक्रमों से राजस्व मिलने से भौतिक विकास होगा; परंतु जनता की अवनति होगी । ऐसा विश्वास क्यों नही है कि यदि संस्कृति की रक्षा की गई, तो ईश्‍वर विकास के लिए राजस्व की कमी नहीं होने देगा ?

Tuesday, December 27, 2016

रेप के झूठे केस में फंसाता था ये गिरोह, महिला वकील भी थी गैंग में शामिल..!!

रेप के झूठे केस में फंसाता था ये गिरोह, महिला वकील भी थी गैंग में शामिल..!!

राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने बलात्कार के झूठे मुकदमे में फंसाकर पैसे ऐंठने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है ।

 एसओजी ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है । गिरोह के तार गैंगस्टर आनंदपाल और उसके वकील से जुड़े हुए हैं । गैंग में कथित तौर पर एक महिला वकील भी शामिल है ।
Azaad-Bharat-false-rape-cases-by-gang-female-lawyer-was-involved-in-the-gang

पुलिस के मुताबिक, गिरफ्त में आए आरोपियों के नाम अक्षत शर्मा और विजय शर्मा हैं । इस गिरोह ने महज ढाई साल के अंदर 25 लोगों को अपना शिकार बनाकर उनसे 15 करोड़ रुपये ऐंठे हैं । यह गिरोह कॉल गर्ल के जरिए अमीर लोगों को अपने जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करता था । पुलिस की माने तो इनके गैंग में एक एनआरआई युवती भी शामिल है ।

गिरोह में शामिल कॉल गर्ल पहले अमीर लोगों से दोस्ती करती और नजदीकियों का फायदा उठाकर यह लोग उनके अश्लील वीडियो बना लेते थे । जिसके बाद शुरु होता था ब्लैकमेलिंग का घिनौना खेल । गिरोह का सरगना एडवोकेट नवीन देवानी है, जो गैंगस्टर आनंदपाल और अनुराधा चौधरी का वकील है ।

एसओजी के एडिशनल एसपी करण शर्मा ने बताया कि गिरोह में एनआरआई युवती के साथ कुछ वकील, बिजनेसमैन और आपराधिक गिरोह से जुड़े लोग भी शामिल हैं । एसओजी ने यह पूरा खुलासा जयपुर के एक नामी डॉक्टर सुनीत सोनी की शिकायत पर किया है । सोनी भी इस गिरोह की कारगुजारियों का शिकार हो चुके हैं और झूठे रेप केस की शिकायत पर 75 दिनों के लिए जेल भी जा चुके हैं ।

गिरोह के सदस्य डॉक्टर सोनी से बयान बदलने के नाम पर एक करोड़ रुपये भी वसूल कर चुके हैं । जिसके बाद हिम्मत दिखाते हुए डॉक्टर सोनी ने एसओजी से मामले की शिकायत की थी । एसपी करण शर्मा ने कहा कि गिरोह के सदस्य खुद को मीडिया से जुड़ा भी बता रहे हैं । फिलहाल पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर गिरोह के दूसरे सदस्यों के बारे में पता लगा रही है ।

निर्भया कांड के बाद नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये कानून बनाये गये । परंतु दहेजरोधी कानून की तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है ।

आज निर्दोष प्रतिष्ठित व्यक्तियों से लेकर आम जनता तक सभी रेप कानूनों के दुरुपयोग के शिकार हो रहे हैं । 

महिला-सुरक्षा के लिए बनाये गये कानून महिलाओं के लिए ही घातक बन रहे हैं । झूठे रेप केसों के बढ़ते आँकड़ों को देखकर सभ्य परिवारों के पुरुष एवं महिलाएँ डरने लगी हैं । कोई भी निर्दोष पुरुष झूठे मामले में फँसाया जाता है तो उसके परिवार की सभी महिलाओं (माँ, बहनें, पत्नी,मामी, मौसी आदि आदि) को अनेक प्रकार की यातनाएँ सहनी पड़ती हैं ।

दिल्ली महिला आयोग की जाँच के अनुसार अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 तक बलात्कार की कुल 2,753 शिकायतों में से 1,466 शिकायतें झूठी पायी गयी। विभिन्न कानूनविदों, न्यायधीशों व बुद्धिजीवियों ने भी इस कानून के बड़े स्तर पर दुरुपयोग के संदर्भ में चिंता जतायी है ।

वर्तमान में बलात्कार निरोधक कानून के दुरुपयोग का प्रत्यक्ष उदाहरण है संत आशारामजी बापू पर किया गया फर्जी केस । जिसमें न कोई ठोस सबूत है और न ही कोई मेडिकल आधार बल्कि उन्हें षड़यंत्र में फँसाये जाने के अनेकों प्रमाण सामने आये हैं –

1) आरोप लगानेवाली लड़की की मेडिकल जाँच करनेवाली डॉ. शैलजा वर्मा ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा कि “लड़की के शरीर पर रत्तीभर भी खरोंच के निशान नहीं थे और न ही प्रतिरोध के कोई निशान थे ।” 
2) प्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने केस अध्ययन कर बताया कि ‘‘लड़की के फोन रिकॉर्ड्स से पता लगा कि जिस समय पर वह कहती है कि वह कुटिया में थी, उस समय वह वहाँ थी ही नहीं ! बापू आसारामजी पर ‘पॉक्सो एक्ट’ लगवाने हेतु एक झूठा सर्टिफिकेट निकाल के दिखा दिया गया है कि वह 18 साल से कम उम्र की है । यह केस तो तुरंत रद्द होना चाहिए ।’’

3) पुलिस द्वारा दर्ज आरोप-पत्र में मुख्य गवाह सुधा पटेल ने उसके नाम पर लिखे गये बयान को झूठा एवं मनगढ़ंत बताते हुए न्यायालय में कहा कि आज से पहले न मैं कभी जोधपुर आयी और न कभी कहीं बयान दिये थे । मुझे पता नहीं है कि पुलिसवालों ने मेरे हस्ताक्षर किस बात के करवाये थे ।

4) बापूजी के खिलाफ पूरा प्रकरण तैयार किया, जम्मू पुलिस ने उनमें से कइयों को गम्भीर अपराध में आरोपी पाया है । साजिश रचनेवाले गिरोह के शातिर षड्यंत्रकारी, तथाकथित पत्रकार सतीश वाधवानी को जम्मू पुलिस ने इंदौर से गिरफ्तार किया था । वाधवानी व अन्य आरोपियों पर बापूजी के खिलाफ आरोप लगाने हेतु लड़कियाँ तैयार करके यौन-शोषण के झूठे मामले बनाने, उनके आश्रम में मुस्लिम कब्रिस्तान से निकाले हुए बच्चों के कंकाल गाड़ के बापूजी के ऊपर हत्या के झूठे केस लगवाने तथा हिन्दू-मुस्लिम दंगा करवा के आश्रम को सदा के लिए बंद करवाने की साजिश रचने आदि के लिए अनेक संगीन आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ था ।

गौरतलब है कि बापू आसारामजी पिछले 40 महीनों से जोधपुर कारागृह में हैं फिर भी बड़ी संख्या में माताएँ-बहनें उनकी सेवाओं में जुड़ती जा रही हैं, असंख्य महिलाएँ उनकी रिहाई की माँग के लिए सड़कों पर उतर आती हैं ।

Monday, December 26, 2016

विदेशों में 'अजान' पर पाबंदी लग रही है, भारत में कब लगेगी..???

इजारायल देश में 'अजान' पर पाबंदी लग रही है, भारत में कब लगेगी..???

इजरायल में कानून-निर्माता एक ऐसा कानून पेश करने जा रहे हैं जिससे मस्जिदों के लाउडस्‍पीकर द्वारा अजान पर पाबंदी लग जाएगी। इस बिल के जरिए इजरायल और पूर्वी येरूशलम की सभी मस्जिदों में लाउडस्‍पीकर के प्रयोग पर रोक लगेगी। 

 'अजान' पर पाबंदी लग रही है

द टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम समुदाय दिन में पांच बार नमाज पढ़ता है, इस पर यहूदी नागरिकों ने शिकायत की है कि इससे शोर होता है और सुबह-सुबह उनकी नींद खराब हो जाती है।  इस बिल को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयहू का भी समर्थन मिला हुआ है, जिन्‍होंने यूरोप और मध्‍य-पूर्व के देशों में कई विधेयकों का हवाला दिया है, जो प्रार्थना के घंटों या आवाज पर नियंत्रण रखते हैं। वाशिंगटन पोस्‍ट की रिपोर्ट के अनुसार उन्‍होंने कहा, ”इजरायल धार्मिक स्‍वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है, मगर उसे शोर से अपने नागरिकों को जरूर बचाना चाहिए।”

 दिन मे पांच बार की अजान से परेशान हैं लोग..!!!

इजरायल ऐसा देश है जो मुस्लिम देशों से घिरा है। यहां मुसलमानों में तनातनी रहती है। कानून बनाने वाले इजरायल में एक ऐसा कानून पेश करने जा रहे हैं जिससे वहां मस्जिदों के लाउडस्‍पीकर पर पाबंदी लग जाएगी। लोगों का कहना है कि अजान से लोगों की नींद में खलल पड़ता है और बहुत शोर होता है। इसलिए लाउडस्पीकर पर बैन होना चाहिए। इस बिल के पास होने पर इजरायल और ईस्ट येरूशलम की सभी मस्जिदों से लाउडस्‍पीकर उतर जाएंगे।

लेकिन महाराष्ट्र में न्यायालय के आदेश देने के बाद भी मस्जिदों पर अभी भी लगे हैं लाऊड स्पीकर!!

कार्यवाही करने में सरकार असफल !!

न्यायालय के आदेश पर हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रम पर कार्यवाही को तुरन्त अमल में लाने वाली राज्य सरकार मस्जिदों पर लगे अवैध लाउडस्पीकर के मामलें में पिछले चार माह में सिर्फ एक ही मस्जिद पर कार्यवाही कर पाई ।

कौन सी मस्जिद पर उक्त कार्यवाही की गई है इसका लेखा जोखा भी राज्य सरकार के पास नहीं है । अपने आवेदन के जरिये अवैध लाउडस्पीकर की कार्यवाही के लिए उच्च न्यायालय से और समय की माँग करने वाली राज्य सरकार को न्यायालय ने जमकर फटकार लगाई है ।

आपको बता दें कि विभिन्न उत्सव के दौरान होने वाले ध्वनि प्रदूषण,नई मुम्बई परिसर के करीब 45 मस्जिदों और मस्जिदों पर लगे अवैध लाउडस्पीकर के संदर्भ में करीब 18 याचिका उच्च न्यायालय में दायर हैं ।

न्यायालय ने चार माह पहले सभी प्रार्थनास्थलों को ध्वनि प्रदूषण नियमों का पालन करने का दम देते हुए मस्जिदों पर लगे अवैध लाउडस्पीकर पर कार्यवाही करने का आदेश दिया था लेकिन राज्य सरकार उक्त कार्यवाही करने में असफल रही ।इसलिए कार्यवाही करने के लिए और आठ सप्ताह की मोहलत दिए जाने का निवेदन राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में दायर किया था । इस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार को फटकार लगायी और सरकार को समय देने से इंकार कर दिया ।

आदेश दिए जाने के बाद पिछले चार महीनों में क्या कार्यवाही की गई ?
 पहले यह बताओ और बिना कार्यवाही किये ही और समय क्यों माँग रहे हो ?

इन शब्दों में न्यायालय ने सरकार को फटकार लगाई । आदेश के बाद तुरन्त कार्यवाही करो अन्यथा आदेश का उल्लघंन करने वाले अफसरों पर अवमानना की कार्यवाही करनी पड़ेगी ।

ऐसी कड़ी चेतावनी भी न्यायालय ने सरकार को दी । 

जहाँ मुस्लिम बाहुल देश इसरायल में लाऊड स्पीकर पर बेन लग रही है वहीं यहाँ न्यायालय के आदेश होने के बाद भी सरकार रोक नही लगा रही है?

हिंदुओं के लिये तुरन्त कार्यवाही करने वाली सरकार मुसलमानों द्वारा रास्ते में नमाज पढ़ने पर कई इलाकों में ट्रैफिक जाम होने की समस्या से आम जनता की परेशानी को देखते हुए भी उस पर रोक नही लगा रही, बड़ा आश्चर्य है ।

Sunday, December 25, 2016

आज 25 दिसंबर दुनिया भर में क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन ने मचाई धूम...!!

आज 25 दिसंबर दुनिया भर में क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन ने मचाई धूम...!!

दुनिया के आज सबसे ज्यादा देशों में 25 दिसंबर निमित्त क्रिसमस डे की जगह तुलसी पूजन दिवस मनाया गया ।

आपको बता दें कि केवल हिन्दू ही नही मुस्लिम, ईसाई, फारसी लोगों ने भी 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया ।
Today-Tulsi-pujan-diwas-took-place-of-christmas-on-twitter

2014 से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन संत आसारामजी बापू की प्रेरणा से उनके करोड़ो अनुयायियों द्वारा जगह-जगह पर मनाना प्रारंभ किया गया । उसके बाद तो 2015 से इस अभियान ने विश्वव्यापी रूप धारण कर लिया और अब 2016 में तो देश-विदेश में अनेक जगहों पर हिन्दू मुस्लिम और अन्य धर्मों की जनता भी मना रही है ।

आज संत आसारामजी आश्रम द्वारा बताया गया कि उनके अनुयायियों द्वारा विश्वभर में विद्यालयों, महाविद्यालयों और जाहिर जगहों पर एवं घर-घर तुलसी पूजन मना रहे हैं ।

नीचे दी गई लिंक पर आप देख सकते हैं कि किस प्रकार देश-विदेश के अनगिणत लोग तुलसी पूजन द्वारा लाभान्वित हो रहे हैं ।

केवल जमीनी स्तर पर ही नही सोशल मीडिया पर भी कल से तुलसी पूजन की धूम मची है ।

आज क्रिसमस डे था लेकिन Twitter पर भी टॉप ट्रेंड में चल रहा था #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस

 आज बापू आसारामजी के अनुयायियों द्वारा देश भर में तुलसी पूजन किया गया। 

उनकी ट्वीट्स द्वारा देखने को मिला कि तुलसी पूजन दिवस निमित्त देशभर के स्कूल, कॉलेज, गाँवो, शहरों में तुलसी पूजन करवाया गया तथा कीर्तन यात्राओं के साथ तुलसी जी का वितरण भी किया गया ।


आज ही नही कल भी ट्वीटर पर टॉप में ट्रेंड चल रहा था #25Dec_TulsiPujanDiwas

और आज भी यही हुआ ट्वीटर पर टॉप 3 में ट्रेंड दिख रहा रहा था । 
#25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस



आइये कुछ ट्वीट्स द्वारा जाने लोगों के मनोभाव...

1. नारायण सोनी लिखते हैं कि सुख, समृद्धि व आरोग्य प्रदायिनी तुलसी का स्थान भारतीय संस्कृति में पवित्र व महत्वपूर्ण है। #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस


2.सुमित जी लिखते हैं कि सुखी, स्वस्थ व सम्मानित जीवन जीने के कई प्रयासों में Asaram Bapu Ji का एक ये भी प्रयास : #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस । https://twitter.com/SSAMANIYA/status/812949476688195584


3.सत्यशील रॉय का कहना है कि किसी भी रोग से पीड़ित व्यक्ति के कक्ष में तुलसी का पौधा रखने से वह शीघ्र रोग मुक्त होता है #25Dec_TulsiPujanDiwas https://twitter.com/SatyashilRai/status/812955025471401984

4. राज जी लिखते हैं कि मृतक के मस्तक, छाती पर तुलसी जी की सुखी लकड़ी अगर रख दी जाये तो उसकी सद्गति होती है। #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस

5. पी.सूर्यवंशी जी लिखते हैं कि
संत Asaram Bapu Ji की समाज के हित की अनोखी एवम् दिव्य पहल #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस

इस तरीके से अनेकों ट्वीट आज हमें देखने को मिली जिसके जरिये लोग बता रहे थे कि अब हम 25 दिसंबर को क्रिसमस नही बल्कि तुलसी पूजन दिवस मनाएंगे ।

बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ अनेक हिन्दू संगठन और देश-विदेश के लोग भी मना रहे थे तुलसी पूजन का त्यौहार!!

आपको बता दें कि डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल जी और सुदर्शन न्यूज के सुरेश चव्हाणके और भी कई बड़ी हस्तियां आसारामजी बापू को जेल में मिलकर आये थे और उन्होंने बताया कि बापूजी ने देश हित के अनेक कार्य किये है और ईसाई धर्मांतरण को रोक लगाई इसलिए उनको षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है।

बापू आसारामजी के अनुयायियों ने अपने गुरुदेव से प्रेरणा पाकर हमेशा विदेशी अंधानुकरण का विरोध किया है और हिन्दू संस्कृति का समर्थन किया है । 

आज भले बापू आसारामजी अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत जेल में हों लेकिन आज भी उनके द्वारा प्रेरित किये गए सेवाकार्यों की सुवास समाज में देखने को मिलती है।
 जैसे 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन, गौ-पूजन, दीपावली पर गरीबों में भंडारा, गीता जयंती निमित्त रैलियां, हरिनाम संकीर्तन यात्रायें आदि आदि ।

उनके अनुयायी हमेशा इन सभी दैविकार्यों में आगे ही रहते हैं पर मीडिया में आज तक हमें बापू आसारामजी के समर्थन में कुछ देखने सुनने को नहीं मिला।

आखिर क्यों मीडिया हमेशा हमारे हिन्दू संतों के लिए गलत और अनर्गल खबरें समाज में प्रसारित करती है ?


आखिर क्यों मीडिया की नजर में सिर्फ हिन्दू संत ही दोषित हैं कोई मौलवी और पादरी नहीं ?

 क्या इन संतों का यही कसूर है कि इन्होंने हिन्दू संस्कृति के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया..???

स्वयं विचारें !!!

Saturday, December 24, 2016

क्रिसमस डे की जगह मनाया जा रहा है तुलसी पूजन दिवस



दुनिया में क्रिसमस डे की धूम मची है जिसमें शराब पीना, मांस खाना, दुष्कर्म करना ऐसे त्यौहार को अधिकतर भारतवासी मनाने को तैयार नही है इसलिए भारत में ज्यादातर लोग 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मना रहे हैं। भारत ही नही बल्कि कई अन्य देशों में भी इस दिन को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है ।
क्रिसमस डे की जगह मनाया जा रहा है तुलसी पूजन दिवस


अब ईसाई जगत के कई लोगों के मन में ये सवाल होंगे कि कैसे 25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन किया जा रहा है।

 ये हम नही कह रहे हैं आज सुबह से ही ट्वीटर पर ट्रेंड चल रहा था उसमें नंबर एक पर ट्रेंड था। #25Dec_TulsiPujanDiwas 

आइये जानते हैं कि क्या कहना चाह रही है जनता ट्वीटर के माध्यम से...

1. भाविशा वर्मा लिखती हैं कि स्कंद पुराण के अनुसार ‘जिस घर में प्रतिदिन तुलसी-पूजा होती है उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते' #25Dec_TulsiPujanDiwas 

2. प्रकाश जी ने लिखा कि तुलसी पौधे के निकट किया गया माला जप,पूजा आदि कई गुना पुण्यशाली हो जाते हैं-Bapu Ji #25Dec_TulsiPujanDiwas 

3. आशु कुमार लिखते हैं कि तुलसी का पूजन, रोपण व धारण पाप को जलाता है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदायक है | #25Dec_TulsiPujanDiwas

4. निशा शर्मा लिखती है कि #25Dec_TulsiPujanDiwas भगवान श्री कृष्ण की लीला भूमि वृंदा यानी तुलसी जी का वन ही  वृंदावन है । 

5. दिशा जोशी ने लिखा कि 25 दिसम्बर को तुलसी का पूजन करें....आओ भारतीय संस्कृति का पूजन करे। #25Dec_TulsiPujanDiwas 

6. सौरभ जी ने पीएम मोदी जी को टैग करते हुए लिखा कि पर्यावरण सुरक्षा के लिए #25Dec_TulsiPujanDiwas AsaramBapuJi  द्वारा शुरू की गई बहुत अच्छी पहल है ।

7. गगन कप्लीश लिखते हैं कि तुलसी के नाम-उच्चारण से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है । #25Dec_TulsiPujanDiwas

8. केवल अरोड़ा ने तुलसी पूजन पर बनी फिल्म के लिए लिखा कि हम सबको ऐसी फिल्मों की सराहना करनी चाहिए! समाज को इसकी जरूरत है ! Salute to @Balsanskarsewa #25Dec_TulsiPujanDiwas 

9. अमरनाथ ने लिखा कि
#25Dec_TulsiPujanDiwas की शुरुआत करके AsaramBapuJi ने तुलसी के महान लाभों से विश्वमानव को लाभान्वित कराया है।

10 . सुदेश शर्मा लिखते हैं कि कैन्सर जैसी खतरनाक बीमारी में भी तुलसी रस अति लाभदायक है ।
 #25Dec_TulsiPujanDiwas

इसी प्रकार से आज हजारों ट्वीटस हमें देखने को मिली । जिसमें सभी लोग क्रिसमस नही बल्कि तुलसी पूजन दिवस मनाने की बात कहने के साथ-साथ खुद की तुलसी पूजन करके फोटोज अपलोड कर रहे थे ।

केवल भारत के ही लोग नही बल्कि कैलिफोर्निया, दुबई आदि से भी लोग तुलसी पूजन करके ट्वीटस कर रहे थे ।

आपको बता दें कि 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएँ, युवाधन की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं इसलिए देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो इस उद्देश्य से संत आसारामजी बापू की प्रेरणा से वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस मनाना प्रारम्भ हुआ । इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी । 

तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढता है । मानसिक अवसाद, दुव्र्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।

तुलसी पूजन की शास्त्रों में महिमा
अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेकों आख्यान हैं ।

वैज्ञानिक तथ्य!!

* डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘तुलसी में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है । कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धूम्रपान के कारण जो कोशों को हानि पहुँचानेवाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है ।

* तिरुपति के एस.वी. विश्वविद्यालय में किये गये एक अध्ययन के अनुसार ‘तुलसी का पौधा उच्छ्वास में ओजोन वायु छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है ।


तुलसी नामाष्टक
वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनीं विश्वपूजिताम् ।  
पुष्पसारां नन्दिनीं च तुलसीं कृष्णजीवनीम् ।।
एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् ।  
यः पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ।।
भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं : ‘वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी - ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं । यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप में परिणत है । जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त हो जाता है । 
(ब्रह्मवैवर्त पुराण )


अतः विष्णुप्रिया तुलसी हर घर में होनी चाहिए । सभी लोग संकल्प लें कि 25 दिसम्बर को तुलसी जी की पूजा करके उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेंगे ।

Friday, December 23, 2016

इतिहास रंगा है तैमूर के जुल्म की कहानियों से !!

इतिहास रंगा है तैमूर के जुल्म की कहानियों से !!

करीना कपूर ने हाल ही में एक बेटे को जन्म दिया है, करीना और सैफ की इस पहली संतान का नाम 'तैमूर' है, जिसे लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी बवाल मचा हुआ है।

कहा जा रहा है कि एक जालिम आक्रमणकारी के नाम पर बेटे का नाम रखना गलत है ।

आखिर तैमूर ने भारत में ऐसा क्या किया था..???

इतिहास रंगा है तैमूर के जुल्म की कहानियों से !!

तैमूर का जन्म सन्‌ 1336 में ट्रांस-आक्सियाना (Transoxiana), ट्रांस आमू और सर नदियों के बीच का प्रदेश, मावराउन्नहर में केश या शहर-ए-सब्ज नामक स्थान में हुआ था। 

उसके पिता ने इस्लाम कबूल कर लिया था। अत: तैमूर भी इस्लाम का कट्टर अनुयायी हुआ। 

वह बहुत ही प्रतिभावान और महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। महान मंगोल विजेता चंगेज खाँ की तरह वह भी समस्त संसार को अपनी शक्ति से रौंद डालना चाहता था और सिकंदर की तरह विश्वविजय की कामना रखता था। 

सन्‌ 1369 में समरकंद के मंगोल शासक के मर जाने पर उसने समरकंद की गद्दी पर कब्जा कर लिया और इसके बाद उसने पूरी शक्ति के साथ दिग्विजय का कार्य प्रारंभ कर दिया। चंगेज खाँ की पद्धति पर ही उसने अपनी सैनिक व्यवस्था कायम की और चंगेज की तरह ही उसने क्रूरता और निष्ठुरता के साथ दूर-दूर के देशों पर आक्रमण कर उन्हें तहस नहस किया। 

1380 और 1387 के बीच उसने खुरासान, सीस्तान, अफगानिस्तान, फारस, अजरबैजान और कुर्दीस्तान आदि पर आक्रमण कर उन्हें अधीन किया। 1393 में उसने बगदाद को लेकर मेसोपोटामिया पर आधिपत्य स्थापित किया। इन विजयों से उत्साहित होकर अब उसने भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया। उसके अमीर और सरदार प्रारंभ में भारत जैसे दूरस्थ देश पर आक्रमण के लिये तैयार नहीं थे, लेकिन जब उसने इस्लाम धर्म के प्रचार के हेतु भारत में प्रचलित मूर्तिपूजा का विध्वंस करना अपना पवित्र ध्येय घोषित किया, तो उसके अमीर और सरदार भारत पर आक्रमण के लिये राजी हो गए।

वह भारत के स्वर्ण से आकृष्ट हुआ। भारत की महान समृद्धि और वैभव के बारे में उसने बहुत कुछ बातें सुन रखी थी। अत: भारत की दौलत लूटने के लिये ही उसने आक्रमण की योजना बनाई थी। उसे आक्रमण का बहाना ढूँढ़ने की आवश्यकता भी नहीं महसूस हुई। उस समय दिल्ली की तुगलुक सल्तनत फिरोजशाह के निर्बल उत्तराधिकारियों के कारण शोचनीय अवस्था में थी। भारत की इस राजनीतिक दुर्बलता ने तैमूर को भारत पर आक्रमण करने का स्वयं सुअवसर प्रदान दिया।

1398 के प्रारंभ में तैमूर ने पहले अपने एक पोते पीर मोहम्मद को भारत पर आक्रमण के लिये रवाना किया। उसने मुलतान पर घेरा डाला और छ: महीने बाद उसपर अधिकार कर लिया।

अप्रैल 1398 में तैमूर स्वयं एक भारी सेना लेकर समरकंद से भारत के लिये रवाना हुआ और सितंबर में उसने सिंधु, झेलम तथा रावी को पार किया। 13 अक्टूबर को वह मुलतान से 70 मील उत्तर-पूरब में स्थित तुलुंबा नगर पहुँचा। उसने इस नगर को लूटा और वहाँ के बहुत से हिन्दुओं को कत्ल किया तथा बहुतों को गुलाम बनाया। फिर मुलतान और भटनेर पर कब्जा किया। वहाँ हिंदुओं के अनेक मंदिर नष्ट कर डाले। भटनेर से वह आगे बढ़ा और मार्ग के अनेक स्थानों को लूटता-खसोटता और निवासियों को कत्ल तथा कैद करता हुआ दिसंबर के प्रथम सप्ताह के अंत में दिल्ली के निकट पहुँच गया। यहाँ पर उसने एक लाख हिंदू कैदियों को कत्ल करवाया। पानीपत के पास निर्बल तुगलक सुल्तान महमूद ने 17 दिसम्बर को 40,000 पैदल 10,000 अश्वारोही और 120 हाथियों की एक विशाल सेना लेकर तैमूर का मुकाबिला किया लेकिन बुरी तरह पराजित हुआ। भयभीत होकर तुगलक सुल्तान महमूद गुजरात की तरफ चला गया और उसका वजीर मल्लू इकबाल भागकर बारन में जा छिपा।

दूसरे दिन तैमूर ने दिल्ली नगर में प्रवेश किया। पाँच दिनों तक सारा शहर बुरी तरह से लूटा-खसोटा गया और उसके अभागे निवासियों को बेभाव कत्ल किया गया या बंदी बनाया गया। पीढ़ियों से संचित दिल्ली की दौलत तैमूर लूटकर समरकंद ले गया। अनेक बंदी बनाई गई औरतों और शिल्पियों को भी तैमूर अपने साथ ले गया। भारत से जो कारीगर वह अपने साथ ले गया उनसे उसने समरकंद में अनेक इमारतें बनवाईं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध उसकी स्वनियोजित जामा मस्जिद है।

तैमूर भारत में केवल लूट के लिये आया था। उसकी इच्छा भारत में रहकर राज्य करने की नहीं थी। अत: 15 दिन दिल्ली में रुकने के बाद वह स्वदेश के लिये रवाना हो गया। 9 जनवरी 1399 को उसने मेरठ पर चढ़ाई की और नगर को लूटा तथा निवासियों को कत्ल किया। इसके बाद वह हरिद्वार पहुँचा जहाँ उसने आस पास की हिंदुओं की दो सेनाओं को हराया। शिवालिक पहाड़ियों से होकर वह 16 जनवरी को कांगड़ा पहुँचा और उसपर कब्जा किया। इसके बाद उसने जम्मू पर चढ़ाई की। इन स्थानों को भी लूटा खसोटा गया और वहाँ के असंख्य निवासियों को कत्ल किया गया। इस प्रकार भारत के जीवन, धन और संपत्ति को अपार क्षति पहुँचाने के बाद 19 मार्च 1399 को पुन: सिंधु नदी को पार कर वह भारतभूमि से अपने देश को लौट गया।

भारत से लौटने के बाद तैमूर ने सन्‌ 1400 में अनातोलिया पर आक्रमण किया और 1402 में अंगोरा के युद्ध में ऑटोमन तुर्कों को बुरी तरह से पराजित किया। सन्‌ 1405 में जब वह चीन की विजय की योजना बनाने में लगा था, उसकी मृत्यु हो गई।



तैमूर ने भारत पर क्यों किया था आक्रमण
तैमूर ने लिखी जीवनी

1399 ई. में तैमूर का भारत पर भयानक आक्रमण हुआ। अपनी जीवनी 'तुजुके तैमुरी' में वह कुरान की इस आयत से ही प्रारंभ करता है 'ऐ पैगम्बर काफिरों और विश्वास न लाने वालों से युद्ध करो और उन पर सख्ती बरतो।' वह आगे भारत पर अपने आक्रमण का कारण बताते हुए लिखता है-

हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने का मेरा ध्येय काफिर हिन्दुओं के विरुद्ध धार्मिक युद्ध करना है (जिससे) इस्लाम की सेना को भी हिन्दुओं की दौलत और मूल्यवान वस्तुएँ मिल जायें।

कश्मीर की सीमा पर कटोर नामी दुर्ग पर आक्रमण हुआ। उसने तमाम पुरुषों को कत्ल और स्त्रियों और बच्चों को कैद करने का आदेश दिया। फिर उन हठी काफिरों के सिरों के मीनार खड़े करने के आदेश दिये। फिर भटनेर के दुर्ग पर घेरा डाला गया। वहाँ के राजपूतों ने कुछ युद्ध के बाद हार मान ली और उन्हें क्षमादान दे दिया गया। किन्तु उनके असवाधान होते ही उन पर आक्रमण कर दिया गया। तैमूर अपनी जीवनी में लिखता है कि 'थोड़े ही समय में दुर्ग के तमाम लोग तलवार के घाट उतार दिये गये। घंटे भर में 10,000 (दस हजार) लोगों के सिर काटे गये। इस्लाम की तलवार ने काफिरों के रक्त में स्नान किया। उनके सरोसामान, खजाने और अनाज को भी, जो वर्षों से दुर्ग में इकट्‌ठा किया गया था, मेरे सिपाहियों ने लूट लिया। मकानों में आग लगा कर राख कर दिया। इमारतों और दुर्ग को भूमिसात कर दिया गया।

दूसरा नगर सरसुती था जिस पर आक्रमण हुआ। 'सभी काफिर हिन्दू कत्ल कर दिये गये। उनके स्त्री और बच्चे और संपत्ति हमारी हो गई। तैमूर ने जब जाटों के प्रदेश में प्रवेश किया। उसने अपनी सेना को आदेश दिया कि 'जो भी मिल जाये, कत्ल कर दिया जाये।' और फिर सेना के सामने जो भी ग्राम या नगर आया, उसे लूटा गया। पुरुषों को कत्ल कर दिया गया और कुछ लोगों, स्त्रियों और बच्चों को बंदी बना लिया गया।'

दिल्ली के पास लोनी हिन्दू नगर था। किन्तु कुछ मुसलमान भी बंदियों में थे। तैमूर ने आदेश दिया कि मुसलमानों को छोड़कर शेष सभी हिन्दू बंदी इस्लाम की तलवार के घाट उतार दिये जायें। इस समय तक उसके पास हिन्दू बंदियों की संख्या एक लाख हो गयी थी। जब यमुना पार कर दिल्ली पर आक्रमण की तैयारी हो रही थी उसके साथ के अमीरों ने उससे कहा कि इन बंदियों को कैम्प में नहीं छोड़ा जा सकता और इन इस्लाम के शत्रुओं को स्वतंत्र कर देना भी युद्ध के नियमों के विरुद्ध होगा। तैमूर लिखता है-

इसलिये उन लोगों को सिवाय तलवार का भोजन बनाने के कोई मार्ग नहीं था। मैंने कैम्प में घोषणा करवा दी कि तमाम बंदी कत्ल कर दिये जायें और इस आदेश के पालन में जो भी लापरवाही करे उसे भी कत्ल कर दिया जाये और उसकी सम्पत्ति सूचना देने वाले को दे दी जाये। जब इस्लाम के गाजियों (काफिरों का कत्ल करने वालों को आदर सूचक नाम) को यह आदेश मिला तो उन्होंने तलवारें सूत ली और अपने बंदियों को कत्ल कर दिया। उस दिन एक लाख अपवित्र मूर्ति-पूजक काफिर कत्ल कर दिये गये।

तुगलक बादशाह को हराकर तैमूर ने दिल्ली में प्रवेश किया। उसे पता लगा कि आस-पास के देहातों से भागकर हिन्दुओं ने बड़ी संख्या में अपने स्त्री-बच्चों तथा मूल्यवान वस्तुओं के साथ दिल्ली में शरण ली हुई है। उसने अपने सिपाहियों को इन हिन्दुओं को उनकी संपत्ति समेत पकड़ लेने के आदेश दिये।

ऐसे खरनाक क्रूर आक्रमककारी भारत का लुटेरा लाखों भारतवासियों नर-नारियों और बच्चों का कत्ल करने वाल, अनेक महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने वाला 'तैमूर" का नाम करीना और सैफ  ने अपने बच्चे का नाम रखने पर समस्त भारत में विरोध होना स्वाभविक ही है ।

Thursday, December 22, 2016

Facts You Should Know Behind : 25 December

क्या आपको पता है कि 25 दिसम्बर क्यों मनाया जाता है..??? 

आइये आपको बताते हैं 25 दिसम्बर का वास्तविक इतिहास...

अभी यूरोप, अमरीका और ईसाई जगत में इस समय क्रिसमस डे की धूम है। अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है।

कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन ईशदूत ईसा मसीह का जन्मदिन पड़ता है पर सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था ।

Facts You Should Know Behind : 25 December

वास्तव में पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘मकर संक्रांति' पर्व आता था और यूरोप-अमेरिका धूम-धाम से इस दिन सूर्य उपासना करता था। सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।

सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है। सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है। जिसके अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है। इसलिए 25 को मकर संक्रांति मनाते थे।

विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से क्रिसमस डे का प्रारम्भ किया गया । 

ईस्वी सन् 325 में निकेया (अब इजनिक-तुर्की) नाम के स्थान पर सम्राट कांस्टेन्टाइन ने प्रमुख पादरियों का एक सम्मेलन किया और उसमें ईसाईयत को प्रभावी करने की योजना बनाई गई।

पूरे यूरोप के 318 पादरी उसमें सम्मिलित हुए। उसी में निर्णय हुआ कि 25 दिसम्बर मकर संक्रान्ति को सूर्य-पूजा के स्थान पर ईसा पूजा की परम्परा डाली जाये और इस बात को छिपाया जाये कि ईसा ने 17 वर्षों तक भारत में धर्म शिक्षा प्राप्त की थी। इसी के साथ ईसा मसीह के मेग्डलेन से विवाह को भी नकार देने का निर्णय इस सम्मेलन में किया गया था। और बाद में पहला क्रिसमस डे 25 दिसम्बर सन् 336 में मनाया गया। 

आपको बता दें कि यीशु ने भारत में कश्मीर में अपने ऋषि मुनियों से सीखकर 17 साल तक योग किया था बाद में वे रोम देश में गये तो वहाँ उनके स्वागत में पूरा रोम शहर सजाया गया और मेग्डलेन नाम की प्रसिद्ध वेश्या ने उनके पैरों को इतर से धोया और अपने रेशमी लंबे बालों से यीशु के पैर पोछे थे ।

बाद में यीशु के अधिक लोक संपर्क से योगबल खत्म हो गया और बाद में उनको सूली पर चढ़ा दिया गया तब पूरा रोम शहर उनके खिलाफ था । रोम शहर में से केवल 6 व्यक्ति ही उनके सूली पर चढ़ाने से दुःखी थे ।

क्या है क्रिसमस और संता क्‍लॉज का कनेक्शन?

क्या आप जानते हैं कि जिंगल बेल गाते हुए और लाल रंग की ड्रेस पहने संता क्‍लॉज का क्रिसमस से क्या रिश्ता है..?

संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं!!

आपको जानकर हैरत होगी कि संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं है।

ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप संत निकोलस के नाम पर सांता क्‍लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था, वे गरीब और बेसहारा बच्‍चों को तोहफे दिया करते थे।


अब न यीशु का क्रिसमिस से कोई लेना देना है और न ही  सांता क्‍लॉज से ।
फिर भी भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं ये सब भारतीय संस्कृति को खत्म करके ईसाई करण करने के लिए भारत में  क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप सावधान रहें ।

ध्यान रहे हमारा नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है ।

हम महान भारतीय संस्कृति के महान ऋषि -मुनियों की संतानें हैं इसलिये अंग्रेजो का नववर्ष मनाये ये हमें शोभा नहीं देता है ।
 
क्या अंग्रेज हमारा नव वर्ष मनाते है ?

नही!!

फिर हम क्यों उनका नववर्ष मनाएं..???


क्या आपको पता है कि जितने सरकारी कार्य है वो 31 मार्च को बन्द होकर 2 अप्रैल से नये तरीके से शुरू होते हैं क्योंकि हमारा नववर्ष उसी समय आता है ।

हमारे संतों ने सदा हमें हमारी संस्कृति से परिचित कराया है और आज भी हमारे हिन्दू संत हिन्दू संस्कृति की सुवास चारों दिशाओं में फैला रहे हैं। इसी कारण उन्हें विधर्मियों द्वारा न जाने कितना कुछ सहन भी करना पड़ा है।

अभी गत वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से संत आसारामजी बापू की प्रेरणा से 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है। आप भी तुलसी पूजन करके मनाये।

जिस तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है,
मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है।
 मरने के बाद भी मोक्ष देनेवाली तुलसी पूजन की महता बताकर जन-मानस को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषिविज्ञान से परिचित कराया संत आसारामजी बापू ने।

धन्य है ऐसे संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय,अत्याचार को न देखकर संस्कृति की सेवा में आज भी सेवारत हैं ।