Thursday, November 2, 2017

रेप केस: स्वामी नित्यानंद के खिलाफ षडयंत्र करने वाले को पौने तीन करोड़ का जुर्माना

नवम्बर 2, 2017     www.azaadbharat.org

🚩दक्षिण भारत के #स्वामी नित्यानंद के #खिलाफ जब रेप केस लगा था तब #मीडिया ने उनके खिलाफ झूठी खबरें दिखाकर खूब #टीआरपी #कमाई, लेकिन जैसे ही कोर्ट ने #निर्दोष #बरी किया तो #मीडिया को मानो सांप #सूंघ गया ।
🚩 इससे साफ साबित होता है कि #मीडिया #राष्ट्र #विरोधी ताकतों के इशारे पर काम कर रही है, भारत से हिन्दू संस्कृति को खत्म करने के लिए हिन्दुओं के आस्था स्वरूप हिन्दू #साधु-संतों को खूब #बदनाम करो जिससे हिन्दुओ की उनपर से आस्था हटे और #हिन्दुओं को #तोड़ने में आसानी हो ।
🚩स्वामी नित्यानंद के खिलाफ षड्यंत्र करने वाले को न्यायालय ने करोड़ो का जुर्माना लगाया । पर आखिर क्यों मीडिया में कहीं एक भी खबर देखने को नहीं मिली ??
Rape Case: Fifty-three fines fined for conspiracy against Swami Nityananda
🚩क्योंकि ये मामला हिन्दू धर्म के साधु-संतों का है अगर यही मामला ट्रिपल तलाक का होता तो दिन-रात मीडिया खबरें दिखाती ।
🚩हिन्दुस्तानी! सावधान हो जायें,
#मीडिया आप जो देखना चाहते हैं वो नही दिखाती बल्कि उनको जिस खबर की #फंडिग मिलती है वही खबरें अधिकतर दिखाई जाती है। ऐसी बिकाऊ मीडिया से क्या आप यह उम्मीद रखते हैं कि वह आप तक सच्चाई पहुचायेगी ?
🚩ऐसी बिकाऊ मीडिया का बहिष्कार करना ही देशभक्ति है ।
🚩आपको बता दें कि कर्नाटक की मैसूर #न्यायालय ने #स्वामी नित्यानंद के खिलाफ #झूठी #गवाही देनेवाले #विनय भारद्वाज पर #2.75 करोड़ रुपए का #जुर्माना लगाया है ।
🚩16 अक्टूबर, 2017 को मैसूर में प्रधान वरीय दीवानी (सिविल) न्यायाधीश और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के माननीय न्यायालय ने स्वामी नित्यानंद के लिए एक बड़ी जीत के रूप में गवाह विनय भारद्वाज, जिन्होंने स्वामी नित्यानंद के खिलाफ अप्राकृतिक यौन संबंधों का आरोप लगाया था, उसके खिलाफ एक महत्वपूर्ण फैसला दिया।
🚩माननीय न्यायालय द्वारा विनय भारद्वाज को 2,74,94,447.5/-, जो कि दो करोड़ चौहत्तर लाख चौरानवे हजार और चार सौ सैंतालिस है।
राशि का मुक़दमे की तारीख से वसूली तक 9% प्रति वर्ष की दर से जोड़े गए ब्याज के साथ तीन महीनों के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
🚩स्वामी नित्यानंद को कथित तौर पर अभिनेत्री रंजीता के साथ दर्शाए गए वीडियो से संबंधित जबरन वसूली और ब्लैकमेलिंग के मामले से जुड़े मुख्य षड्यंत्रकारियों में विनय भारद्वाज एक हैं, इस मामले में चेन्नई के सैयदपेट स्थित ग्यारहवें महानगरीय न्यायालय में भी मुकदमा चल रहा है।
🚩विनय भारद्वाज 2010 में लेनिन करुप्पन द्वारा स्वामी नित्यानंद के खिलाफ दायर उस मामले में भी गवाह हैं जिसे भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा स्थगित कर दिया गया है।
🚩लोगों से ठसाठस भरे हॉल में अपना फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियॉ की।
🚩न्यायालय ने साजिश के आधारभूत कारणों की चर्चा करते हुए "स्वामी नित्यानंद और उनके मिशन के खिलाफ झूठे आरोपों" को बाल-बलात्कारी विनय भारद्वाज के "बचाव के लिए आधार" के रूप में इस्तेमाल किये जाने को रेखांकित किया:
🚩"2008 से लेकर 2009 तक, प्रतिवादी (विनय भारद्वाज) ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया और सिएटल मंदिर में कम से कम एक नाबालिग बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार किया।
🚩प्रतिवादी (विनय भारद्वाज) को जब पता चला कि उसे (संबंधित बच्ची को) चुप्पी साधे रखने पर मजबूर करने के उसके (प्रतिवादी के) षडयंत्रात्मक प्रयासों के बावजूद वह नाबालिग बच्ची उसके साथ किये गए व्यवहार को गुप्त नहीं रखेगी, तथा उक्त नाबालिग बच्ची का परिवार उसे (प्रतिवादी को) न्यायालय में घसीटने के लिए तैयार है, तब प्रतिवादी अपने बचाव के लिए आधार बनाने के कार्य में जुट गया और श्री नित्यानंद स्वामी तथा उनके मिशन, जो कि वादी के अलावा अन्य कोई नहीं हैं, उनके खिलाफ झूठे आरोपों का गठन किया।"
🚩अदालत ने आगे जुलाई 2009 के महत्वपूर्ण साक्ष्य के बारे में चर्चा की जिसमें स्वामी नित्यानंद के खिलाफ लगाए गए आरोपों के झूठे होने को साबित किया गया:
🚩"जुलाई 2009 में प्रतिवादी ने अपने एक मित्र और भूतपूर्व भक्तन आरती एस. राव के साथ साँठ-गाँठ करके चालाकी के साथ यह संकेत दिया कि श्री नित्यानंद स्वामी ने अपने कुछ अनुयायियों के साथ दुर्व्यवहार किया था, हालांकि उस समय किसी ने भी इस तरह के आरोप नहीं लगाए थे।
🚩इन सभी दस्तावेजी सबूतों को खारिज करने या अस्वीकार करने के लिए प्रतिवादी द्वारा कोई भी सामग्री पेश नहीं की गई है।"
🚩इस फैसले में उक्त जुलाई 2009 का महत्वपूर्ण साक्ष्य - जिसमें यह साबित हुआ कि स्वामी नित्यानंद की कथित बलात्कार पीड़िता आरती राव का बयान झूठा है – जांच अधिकारियों द्वारा दबा दिए गए प्रमुख दस्तावेजों में से एक है, तथा इसे कर्नाटक के माननीय उच्च न्यायलय ने ट्रायल कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दिया और इस तरह उसने नित्यानंद स्वामी के एक निष्पक्ष बचाव पाने के मौलिक अधिकार की रक्षा की। उक्त सबूत में आरती राव द्वारा कथित तौर पर उसको अंतिम बार बलात्कार किये जाने के छह महीने बाद प्रेषित उसके खुद के ईमेल में यह इकरार किया जाना शामिल है कि उसने स्वामी नित्यानंद के साथ कभी भी यौन संबंध नहीं बनाया।
🚩"अकाट्य दस्तावेजी साक्ष्य" में कथित बलात्कार पीड़िता आरती राव के 2004-2009 के मेडिकल रिकॉर्ड भी शामिल थे, जिसमें दिखाया गया था कि उनको 4 अत्यधिक संक्रामक और असाध्य एसटीडी (यौन संबंध के माध्यम से फैलने वाली बीमारियाँ) हैं, जिनमें से कुछ केवल स्पर्श द्वारा प्रेषित होते हैं, और इससे आरती राव द्वारा बताए गए संबंधित तारीखों को स्वामी नित्यानंद द्वारा भारत में उसका बलात्कार किये जाने के आरोपों से जुड़े बहुत से झूठों का पता चलता है, उसके मेडिकल रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह एसटीडी के फैलने से राहत पाने के लिए अमेरिका में मिशिगन विश्वविद्यालय के अस्पताल में अपने डॉक्टर के साथ मिली थी।
🚩"सुसंगत और दृढ़ सबूतों" तथा सभी "अकाट्य दस्तावेजी सबूतों" के विश्लेषण के बाद माननीय न्यायालय ने फैसला सुनाया:
🚩यह तय किया जाता है कि प्रतिवादी मुक़दमे की तारीख से वसूली तक मुकदमा दावा राशि पर 9% प्रति वर्ष के दर से जोड़े गए ब्याज के साथ रूपए 2,74,94,447.5/- की राशि को तीन महीने के भीतर वादी के प्रतिष्ठान को पूर्ण रूपेण भुगतान करने के लिए जवाबदेह है।"
🚩यह फैसला भारत के विभिन्न न्यायालयों द्वारा स्वामी नित्यानंद के पक्ष में दिए गए फैसलों की एक श्रृंखला को रेखांकित करता है। कर्नाटक के माननीय उच्च न्यायालय ने पूर्व में कुछ निहित (स्वार्थ से प्रेरित) तत्वों द्वारा 2012 में स्वामी नित्यानंद के खिलाफ दर्ज किये गए मामलों को रद्द कर दिया था। कुछ महीने पहले, कर्नाटक की उच्च न्यायालय ने जांचकर्ता अधिकारियों को जांच के दौरान पाए गए वैसे सभी सबूतों को प्रस्तुत करने का आदेश दिया था जो स्वामी नित्यानंद के पक्ष को मजबूत करते हैं।
🚩लेनिन करुप्पन और आरती राव वर्तमान में चेन्नई के ट्रायल कोर्ट में स्वामी नित्यानंद के खिलाफ ब्लैकमेल, जबरन वसूली, महिलाओं के अश्लील निरूपण और आपराधिक साजिश के लिए मुकदमों का सामना कर रहे हैं।
🚩आप समझ गये होंगे कि कैसे-कैसे षडयंत्र करके झूठे केस में हिन्दू साधु-संतों को फंसाया जाता है और मीडिया भी उसको खूब उछालती है, आज भी हिन्दू विरोधी सोशल साइटों पर स्वामी नित्यानंद जी को बलात्कारी बोलते है क्योंकि उनतक सच पहुँचा ही नही है कि वे कोर्ट में निर्दोष साबित हुये हैं ।
🚩ऐसे ही हिन्दू संत "#आसारामजी बापू" का है उनको भी #बिना #सबूत #4 साल से अधिक समय से #जेल में रखा हुआ है, उनके खिलाफ #अभीतक एक भी #सबूत #नही #मिला है, जबकि उनको #मेडिकल में भी #क्लीनचिट मिल चुकी है और लड़की के #कॉल #रिकॉर्ड से पता चला है कि जिस समय की घटना बता रही है उस समय तो वो अपने मित्र से बात कर रही थी, बापू असारामजी को #फंसाने के कई #सबूत भी #सामने #आ चुके हैं । लेकिन अभी तक उनको #जमानत तक #नही मिल पाई है और उनके खिलाफ भी गलत कमेंट किये जा रहे हैं और मीडिया द्वारा उनके खिलाफ खूब ट्रायल चला ।
🚩इन सब बातों से सिद्ध होता है कि #राष्ट्रविरोधी ताकतें ( विदेशी कंपनी, ईसाई मिशनरी आदि आदि) #राजनेताओं से मिलकर #हिन्दू संतो पर #झूठे आरोप लगाते है और #मीडिया को भारी #फंडिग देकर खूब #बदनाम करवाते है।
🚩अतः हिन्दुस्तानी इन षड्यंत्र को समझेे और षडयंत्र के खिलाफ एक होकर सामना करें ।
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Wednesday, November 1, 2017

राष्ट्रपति : गरीब लोग न्याय में देरी के कारण पीड़ित हैं, कोर्ट फैसलों की कॉपी लोकल भाषा में दे

नवम्बर 01, 2017  www.azaadbharat.org
🚩देशभर की अदालतों में करीब सवा तीन करोड़ केस पेंडिंग है, निचली अदालतों में ही केवल 2 करोड़ 75 हजार केस पेंडिंग है, बाकि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केस पेंडिंग पड़े हैं, तारीख पर तारीख मिलती है लेकिन न्याय नही मिल पा रहा है ।

🚩एक प्रसिद्ध कहावत है कि "देरी से मिलने वाला न्याय अन्याय का ही रूप है"
🚩आपको न्याय मिले लेकिन वह फैसले की कॉपी केवल अंग्रेजी में होने के कारण सभी नहीं समझ सकते इसलिए राष्ट्रपति ने स्थानीय भाषा में देने की सिफारिश की है ।
🚩केरल उच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति

रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश में निर्णय देने में विलंब होना चिंता की बात है। समाज में सबसे गरीब और सबसे वंचित लोग न्याय में देरी के पीड़ितों में शामिल हैं। उन्होंने केस को जल्द निपटाने के लिए एक तंत्र बनाने की जरूरत जताई।
🚩राष्ट्रपति कोविंद ने हाईकोर्ट के फैसलों को उस भाषा में समझने योग्य बनाए जाने की पैरवी की है, जिसे लोग जानते हैं। उन्होंने फैसलों की प्रमाणित अनुवादित प्रतियां जारी करने के लिए व्यवस्था बनाये जाने का भी सुझाव दिया।
🚩उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय अंग्रेजी में निर्णय देते हैं लेकिन हमारे देश में विविध भाषाएं हैं। हो सकता है कि वादी अंग्रेजी भाषा में दिए गए निर्णय को अच्छे से नहीं समझ पाते हों।
🚩राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी व्यवस्था विकसित किए जाने की जरूरत है जहां न्यायालयों द्वारा स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में निर्णयों की प्रमाणित अनुवादित प्रतियां 24 या 36 घण्टे में उपलब्ध कराई जाएं। आगे कहा कि यह महत्वूपर्ण है कि न केवल लोगों को न्याय मिले बल्कि निर्णयों को वादियों के लिए उस भाषा में समझने योग्य बनाया जाना चाहिए ।
🚩कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद  शामिल हुए।
🚩प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि मामलों के निपटारे में विलंब से नागरिकों का न्यायिक प्रक्रिया में भरोसा कम हो जाता है।
🚩केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने न्यायापालिका से आह्वान किया कि वे 10 साल या ज्यादा पुराने मामलों में निर्णय दें।
🚩राष्ट्रपति, प्रधान न्यायाधीश और कानून मंत्री ने शीघ्र न्याय पाने के लिए बोल तो दिया लेकिन क्या अब उस पर अमल होगा?
🚩आज कोर्ट में देखो तो सामान्य आदमी ही आता है, धनी और प्रभावशाली व्यक्ति तो कोर्ट में मुद्दत पर आते ही नही है, गरीबों से वकील पैसे नोचते रहते हैं और न्यायालय से न्याय नहीं मिलता है, मिलती है तो सिर्फ तारीख...
🚩नेता, अभिनेता, पत्रकारों, अमीरों को तो न्याय मिल जाता है लेकिन हिंदुत्वनिष्ठों और गरीबों को जल्दी न्याय नही मिल पाता है ।
🚩देश में न्याय इसलिए देरी से मिलता है कि देश में जजों की कमी, वकीलों द्वारा फिर ऐठने के कारण लंबा खीचना, बदला लेने या , पैसा नोचने की नीयत से झूठे केस दर्ज करना, और देश के जजों में रिश्वतखोरी और #भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि अपराधियों को सजा और निर्दोषों को न्याय मिलना ही मुश्किल हो गया है । कई जज तो रिश्वत लेते पकड़े भी गये है ।
🚩जजो द्वारा भ्रष्टाचार की पुष्टि भी कई रिटायर्ड जज कर चुके हैं :
🚩सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश काटजू ने कहा था कि #भारतीय न्याय प्रणाली में 50% जज भ्रष्ट है ।
🚩सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े भी सवाल उठा चुके है कि ‘धनी और प्रभावशाली’ तुरंत जमानत हासिल कर सकते हैं । #गरीबों के लिए कोई न्याय की व्यवस्था नही है ।
🚩कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व वरिष्ठ #न्यायाधीश जस्टिस के एल मंजूनाथ ने कहा कि यहाँ सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए कोई स्थान नहीं है और इस देश में न्याय के लिए कोई जगह नहीं ।
🚩इसलिये आज न्याय प्रणाली से देश की जनता का भरोसा उठ गया है ।
🚩देश में 2.78 लाख विचाराधीन कैदी है । इनमें से कई ऐसे हैं जो उस अपराध के लिए मुकर्रर सजा से ज्यादा समय जेलों में बिता चुके हैं ।
🚩देशभर की जिला न्यायालयों में 2.75 करोड़ मामले लंबित हैं ।
🚩आरोप साबित होने पर भी कई बड़ी हस्तियाँ बाहर घूम रही है और अभी तक जिन पर आरोप साबित नही हुआ है वो जेल में है ।
🚩क्योंकि या तो न्याय पाने वाले गरीब है या तो कट्टर हिंदूवादी है इसलिए उनको न्याय नही मिल पाता है ।
🚩एक तरफ विजय माल्या, इमाम बुखारी, दीपक चौरसिया, लालू यादव, तरुण तेजपाल, कन्हैया, सलमान खान, बाबू लाल नागर आदि कई हैं जिनके विरुद्ध पुख्ता सबूत होने पर भी बड़े मजे से बाहर घूम रहे हैं ।
🚩दूसरी ओर बिना सबूत हिन्दू संत बापू आशारामजी 4 साल से अधिक समय से, 3 साल से #धनंजय देसाई आदि जेल में बंद है लेकिन उनको जमानत तक हासिल नही हो रही है । जबकि उनको षडयंत्र कर फंसाने के कई पुख्ता सबूत भी मिले हैं ।
🚩इसी तरह लाखों निर्दोष गरीब भी जेल में बंद हैं उनको न्याय नही मिल पा रहा है,
🚩जनता के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कब होगा निर्दोषों के साथ इंसाफ ?
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