December 8, 2017
अंग्रेजों ने जब भारत गुलामी की जंजीर से जकड़ लिया था, उस समय भारतवासियों पर भयंकर अत्याचार हो रहे थे, देशवासियों को गुलाम बनाकर रखा हुआ था । बहु-बेटियों की इज्ज़त लूटी जा रही थी और भारत की संपत्ति लूटकर अपने देश इंग्लैंड में ले जा रहे थे , भारतीय संस्कृति को खत्म कर रहे थे,भारतवासी डर के मारे कोई आवाज नही उठा पा रहे थे , उस समय कुछ साहसी वीर बहादुर जवानों ने उनके खिलाफ आवाज उठाई उसमें भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव भी थे , जिन्होंने भारत को अंग्रेजों को गुलामी से दूर करने के लिए अपनी जवानी में प्राणों का बलिदान दे दिया । लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि आजतक उन वीरों को उचित सम्मान नही दे पाये, यहाँ तक कि शहीदी का भी दर्जा नही दे पाये और ऊपर से सरकारी साहित्य में आतंकी बताया जा रहा है ।
RTI: Bhagat Singh-Rajguru-Sukhdev was told in official book 'Terrorist |
भारत एकमेव एेसा देश है जहां देश के लिए अपने ‘प्राण’ देनेवाले क्रांतिकारियों को ‘आतंकी’ कहा जाता है आैर देश के सैनिकों की तथा नागरीकों की ‘प्राण लेनेवालों’ के जनाजे में सम्मिलित होकर उन्हे ‘शहीद’ का दर्जा दिया जाता है !
स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को भारत सरकार ने अभी तक हुतात्मा का दर्जा नहीं दिया है, एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है। यह आरटीआई इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (ICHR) में दाखिल की गई थी। आरटीआई से यह बात भी सामने आई है कि, आईसीएचआर की ओर से नवंबर में रिलीज की गई किताब में भगत सिंह और बाकी दो हुतात्माआें को कट्टर युवा और आतंकी करार दिया गया है।
आपको बता दें कि आईसीएचआर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला संगठन है। आईसीएचआर का चेयरमैन भारत सरकार की ओर से नियुक्त किया जाता है। अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स नाउ की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। आरटीआई में यह भी पता चला है कि पिछली सरकारें लगातार इन तीनों क्रांतिकारियों की शहादत को नजरअंदाज करती आई हैं। ये वे हुतात्मा हैं, जिन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरणा दी है। आरटीआई के जरिए जम्मू के एक्टिविस्ट रोहित चौधरी ने पूछा था कि क्या तीनों हुतात्माों को हुतात्मा का दर्जा दिया गया है?
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब भगत सिंह आतंकी बताने पर विवाद हुआ हो। पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के इतिहास के पाठ्यक्रम में शामिल एक किताब, जिसमें भगत सिंह को क्रांतिकारी-आतंकवादी (रिवाल्यूशनरी टेररिस्ट) करार दिया गया था, के हिंदी अनुवाद की बिक्री और वितरण को रोकने का फैसला किया गया था। बिपन चंद्रा, मृदुला मुखर्जी, आदित्य मुखर्जी, सुचेता महाजन और केएन पणिकर की ओर से लिखी गई और डीयू की ओर से प्रकाशित किताब ‘भारत का स्वतंत्रता संघर्ष’ के बिक्री और वितरण को रोक दिया गया था।
अंग्रेजी में ‘इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस’ नाम की यह किताब पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से डीयू के पाठ्यक्रम का हिस्सा रही है। इस किताब के २०वें अध्याय में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सूर्य सेन और अन्य को क्रांतिकारी ‘रिवाल्यूशनरी टेररिस्ट’ बताया गया है। इस किताब में चटगांव आंदोलन को भी आतंकवादी कृत्य कहा गया है, जबकि ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सैंडर्स की हत्या को भी आतंकवादी कृत्य करार दिया गया है। इस किताब का हिंदी संस्करण भारत का स्वतंत्रता संघर्ष 1990 में डीयू के हिंदी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय की ओर से प्रकाशित किया गया था।
स्त्रोत: हिन्दूजागृति
भारतीय शिक्षा में देश के लुटेरे आक्रमणकारियों मुगलों और अंग्रेजो को महान बताया जा रहा है वहीं दूसरी ओर देश की आजादी के लिए उनके खिलाफ लड़कर अपने प्राणों की आहुति दे दी, ऐसे वीरों को आतंकी बता रहे है, हमारे देश के लुटेरों से लड़ना भी अपराध हो गया है?
एक तरफ तो अंग्रेजो के चाटूकार नेहरू आदि को सम्मान देकर अरबो-खबरों की सम्पत्ति इक्कठी कर ली गई दूसरी ओर देश के लिए अपनी जवानी का बलिदान देने वाले वीर जवानों के परिवार आज भी रोटी के लिए मोहताज है, गरीबी से गुजर रहे हैं उनके परिवार को न समाज में उचित स्थान मिला और न ही उन बलिदान देने वाले वीरों को देश से सम्मान मिला।
आज शिक्षा प्रणाली को बदलने की अत्यंत आवश्यकता है कि जो देश के लुटेरे थे उन मुगलों और अंग्रेजों की महिमा मंडन वाला इतिहास किताबों से हटाकर देश के वीर क्रांतिकारी भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव, चन्द्र शेखर आज़ाद, वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, महारानी लक्ष्मीबाई आदि का इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए और शिक्षा अंग्रेजी में नही देश की राष्ट्रभाषा हिंदी में होनी चाहिए और वैदिक गुरुकुल के अनुसार होनी चाहिए । इस पर सरकार को ध्यान देने की अत्यंत आवश्यक है क्योंकि बच्चे महान तभी बनेंगे जब उनको बचपन से ही सही दिशा देने वाली शिक्षा दी जाएगी ।