Sunday, December 10, 2017

सुरेश चव्हाणके ने प्रूफ सहित बताया, भारतीय मीडिया हिन्दू विरोधी क्यों है?


December 10, 2017
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सुदर्शन न्यूज़ के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने बताया कि हिंदुत्ववादी मीडिया का परिचय देने से हिंदुस्तान के कई पत्रकारों को बड़ी मिर्ची लगती है। हम हिंदू भी हिंदू ही सेक्युलरिस्ट होता है। हिंदुस्तान में करीब 732 चैनल है, और उसमें अब इसको आप योगानुयोग कहे या कुछ भी कहे न्यूज चैनलों की संख्या 420 है। और केवल यही नहीं है रावण का मंदिर जिस नोएडा में है वहीं पर सारे चैनलों का हेड क्वार्टर है, तो आप ऐसेे मीडिया से क्या अपेक्षा कर सकते हैं..!!

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गांधी जी ने हरिजन अखबार शुरू किया था भारत में आने के बाद, जब भारत में नहीं थे तो दक्षिण अफ्रीका में भी उन्होंने भारत ओपिनियन नाम का अखबार चलाया था जो 3 भाषा में चलता था हिंदी इंग्लिश और मलयालम। भगत सिंह, लोकमान्य तिलक सावरकर आदि तमाम कोई भी नाम ले लीजिए, किसी भी क्रांतिकारी का नाम लेंगे तो आपको पता चलेगा कि वो पत्रकार था। 
आजादी के आंदोलन में हिंदुस्तान को जगाने में पत्रकारिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है इस कारण हिंदुस्तान में पत्रकारों के प्रति एक आस्था है एक विश्वास है, इसलिए जनता को ऐसा लगता है कि जो भी TV वाला बोलेगा, दिखायेगा वो सच है, पेपर वाला जो छापेगा वो सच है, इस विश्वास का गलत फायदा विदेशी शक्तियों ने उठाया।
दुनिया में 100 से ज्यादा देश ऐसे हैं जिनमें विदेशी चैनलों को अनुमति नहीं है। करीब इतने ही देशों से ज्यादा ऐसे देश है जिन देशों में मीडिया में एक भी रुपया विदेशी निवेश अलाउड नहीं है, लेकिन हमारे यहां पर धीरे धीरे-धीरे पॉलिटिकल लॉबिंग में हमारी सरकारें वीक (कमजोर) होती गयी और देश में नॉन न्यूज चैनल और न्यूज चैनल ये दो कैटेगरी हिंदुस्तान में हो गई।
कैसे हैं? मैं प्रूफ के साथ इस बात को आप के सामने रखता हूं।
हिंदुस्तान को इसलिए बतानी है क्योंकि हिंदुस्तान मीडिया पर आंख बंद करके भरोसा करता है और इसलिए हमको उसको समझाना है कि तू जो भी देख रहा है वो सच ही होगा ऐसा नहीं है, बल्कि गलत होने की संभावना ज्यादा है और इसलिए हमको ये समझना चाहिए, विदेशों और भारत में फर्क क्या है? पैसा कैसे आता है?
जैसे भारत में तिरुपति देवस्थान है उसके पास अतिरिक्त जब पैसा हो जाता है तब बैंक में रख सकता है FD कर सकता है शिर्डी साईं बाबा संस्था है सिद्धिविनायक है इनके पास जब पैसा अतिरिक्त होता है तो FD कर सकते हैं,लेकिन यही बात यूरोप अमेरिका जैसे देशों में जो चैरिटी ऑर्गनाइजेशन होती है उनके पास अगर अतिरिक्त पैसा हो जाए तो वो बैंकों के सिवा आगे बढ़कर शेयर मार्केट में भी लगा सकती हैं और जो कैथोलिक चर्च जैसा अपना चर्च है, जो इस्लामिक बड़े-बड़े आर्गेनाईजेशन हैं, उन लोगों ने ऐसा पैसा शेयर मार्केट में लगाया है। अब चैरिटी आर्गेनाईजेशन शेयर मार्केट में लगाए तो बहुत बड़ी चिंता का विषय नहीं है लेकिन चिंता तब ज्यादा होती है जब यह पैसा मीडिया फंड में ही लगता है। क्यों लगता है? क्योंकि मीडिया के द्वारा उनको एक माहौल बनाना होता है । विदेश में खासकर के पश्चिमी देशों में क्रिश्चियन देशों में धर्म और वहां का व्यवसाय एक दूसरे को पूरक काम करता है।
जो आज भारत में भी हम एक सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तौर पर एक फंड जो आजकल सब दे रहे हैं वहां पर भी यह फंड बहुत पहले से है, वो सब चर्च को जाता है। और फिर चर्च उसके लिए और वो चर्च के लिए एक दूसरे का पूरक माहौल बनाता है और माहौल कैसा बनता है, तो मानो की कोई अमेरिकन कंपनी भारत में आ रही है, और अमेरिकन चर्च को यहां पर धर्म का प्रचार करना है और उसको अपने यहां पर प्रोडक्ट का प्रचार करना है। तो यहां पर एक मीडिया हाउस चाहिए तो उस मीडिया हाउस में वो पैसा लगता है क्योंकि धार्मिक संस्था भारत की डायरेक्ट मीडिया में पैसा नहीं लगा सकती तो किसी फंड के द्वारा उसमें आता है।

उसमें भी लिमिट होने के कारण बाकी का जो पैसा है वो पैसा जो एडवर्टाइजमेंट दिया जाता है। कोई भी फिल्म लीजिए और कोई भी TV सीरियल लीजिए, आपको ये ध्यान में आएगा कि उसमें सेक्युलरिज्म परोसा जाएगा। उसके बाद उसको शांतिप्रिय समाज के लोगों को अच्छा दिखाया जाएगा। और प्रयास करके कोई हिंदू इमेज का व्यक्ति और आजकल तो बड़ा आसान है एक पटका डाल दो गले में टीका लगा दो तो समझ में आता है कि ये कोई हिंदूवादी एक्टिविस्ट होगा,उसको बदनाम किया जाता है।
जमीन पर ऐसा चित्र है क्या?? ऐसा चित्र है क्या?? उल्टा चित्र है। लेकिन ये चित्र TV सीरियल में दिखाया जाता है जानबूझकर। कई लोग  Tv सीरियल जरूर देखते होंगे, नहीं तो आप Google पर जाकर टाइप करिए,आपको ज्यादातर जो लड़का लड़की के प्रेम प्रकरण दिखाई देंगे उसमें अगर दो धर्म के लोग है तो लड़का मुसलमान होगा।और फिल्म ले लीजिए तमाम नाम लिए जा सकते है, कई में तो पाकिस्तानी दिखाए जाते हैं जानबूझकर। क्यों ??  ये सबकुछ फंडेड होता है आप लोगों को ये भी हिंदुस्तान को समझाने की आवश्यकता है। 
ये सबकुछ आप भी अपनी जगह पर कर सकते हैं, क्योंकि मीडिया का स्वरूप आने वाले दिनों में और बदलने वाला है, अब जैसे जैसे सोशल मीडिया हालांकि बहुत कम प्रतिशत है लेकिन सोशल मीडिया एटलिस्ट कहीं ना कहीं डूबते हुए व्यक्ति को पानी के ऊपर हाथ निकालने का तो कम से कम चांस देता है। अपनी आवाज़ , विसुअल वॉर ऑब्सर्वे का तो काम कम से कम कर सकता है जो वो कर रहा है, उसको भी आपको बढ़ाना चाहिए। साथ साथ में लोकल केबल टीवी चैनल ये कंसेप्ट अभी आजकल बढ़ रही है लेकिन लोग उसको नहीं ले रहे आप कोई और ले चर्च किया मिशनरी की एक्टिविटीज इसमें ज्यादा होती है तो आप लोग शुरू करते हैं उसको बहुत ज्यादा कमर्शियल बाइबल नहीं बनाया जा सकता लेकिन उसका लॉसेस भी बहुत कम है और आजकल FM का क्रेज भी तुलना में काफी बड़ा है ।
आपने सुरेश चव्हाणके की बात को पढ़ा, जिसमे आप समज गये होंगे की मीडिया में ईसाई व मुस्लिम धर्म-संस्थाएं भारत में अपने धर्म का प्रचार करने के लिए अपना पैसा विदेश से आने वाली कम्पनियों में लगाती हैं । वही विदेशी कम्पनियां मीडिया में पैसा लगाकर हिन्दू विरोधी एवं उनके धर्म को अच्छा दिखाने वाली खबरें दिखाती हैं।

Saturday, December 9, 2017

मंदिरों को लेकर एक गोरे विदेशी ने जो कुछ लिखा है, वह हिन्दुओं की आँखें खोलने वाला है


December 9, 2017

The Hindu Religious and Charitable Endowment Act, 1951 राज्य सरकारों तथा नेताओं को यह अधिकार देता है कि वह हजारों हिन्दू मंदिरों पर अधिकार कर सकते हैं तथा उनपर एवं उनकी सम्पत्ति पर पूरा नियंत्रण रख सकते हैं। कहा गया है कि वे मंदिरों की सम्पत्ति को बेच सकते हैं और उन पैसों का मनचाहा इस्तेमाल कर सकते हैं।

“प्रत्येक मन्दिर पर एक IAS मुखिया बनकर बैठा हुआ है । पर किसी भी मस्जिद या चर्च पर नहीं ।”
What a white foreigner wrote about the temples

यह आरोप किसी मंदिर के पदाधिकारी ने नहीं, बल्कि एक विदेशी लेखक , #Stephen_Knapp ने अपनी किताब (Crimes Against India and the Need to Protect Ancient Vedic Tradition) में लगाया है, जो अमेरिका से छपी है। इसे पढ़ने पर आप चौंक जाएंगे।

नोट करनेवाली बात है कि जिन भक्त राजाओं ने ये मन्दिर बनवाए उनमें से किसी ने भी उन मन्दिरों पर कोई अधिकार नहीं जताया। कईयों ने तो अपना नाम तक नहीं छोड़ा है। मन्दिरों और उनके धन पर नियंत्रण की तो बात ही छोड़िये, इन राजाओं ने भूमि तथा अन्य संपत्तियों को इन मन्दिरों के नाम कर दिया, जिनमें इनके आभूषण भी शामिल हैं। उन्होंने मंदिरों की सिर्फ सहायता की, उनपर किसी प्रकार का दावा नहीं ठोका और होना भी यही चाहिये।


आज की सरकारों ने कोई भी बड़ा मन्दिर नहीं बनवाया (कुछ एक को छोड़कर) उनका इनमें से किसी भी मन्दिर - उनके धन, प्रशासन अथवा पूजा पद्धति पर कोई अधिकार नहीं है। इन मंदिरों का धन सिर्फ इन मन्दिरों के प्रशासन, उनके रखरखाव, पारिश्रमिक, उनसे जुड़ी आधारभूत संरचनाओं तथा सुविधाओं पर खर्च होना चाहिये तथा जो बच जाये अन्य गौण मन्दिरों, खासकर पुराने मन्दिरों की मुरम्मत पर खर्च होना चाहिये।


परंतु , एक Temple Endowment Act के तहत, आंध्रप्रदेश में 43000 मंदिर सरकार के नियंत्रण में आ गए हैं और इन मंदिरों का सिर्फ 18% राजस्व इन मंदिरों को लौटाया गया है, शेष 82% को अज्ञात कार्यों में लगाया गया है।
यहाँ तक कि विश्व प्रसिद्ध तिरुमाला तिरुपति मंदिर को भी नहीं बख्शा गया । Knapp के अनुसार, इस मंदिर में प्रतिवर्ष 3100 करोड़ से भी अधिक रूपये जमा होते हैं और राज्य सरकार ने इस आरोप का खण्डन नहीं किया है कि इस राशि का 85% राजकोष में जमा हो जाता है और इसमें से अधिकतर उन मदों में व्यय होता है जो हिन्दू समुदाय से संबद्ध नहीं हैं।

एक और आरोप जो लगाया गया है वो ये कि आंध्र सरकार ने कम से कम 10 मंदिरों को गोल्फ कोर्स बनाने के लिये तोड़ने की अनुमति दी है। Knapp लिखते हैं, कल्पना कीजिये अगर 10 मस्जिद तोड़ दिये जाते तो कितना बवेला मचता?
ऐसी आशंका है कि कर्नाटक में जो लगभग 2 लाख मंदिरों से 79 करोड़ वसूले गए, उनमें से मंदिरों को सिर्फ 7 करोड़ मिले , मुस्लिम मदरसों और हज सब्सिडी में 59 करोड़ दिये गए और चर्चों को लगभग 13 करोड़ दिये गए।

Knapp लिखते हैं कि इसके कारण 2 लाख मंदिरों में से 25% यानि लगभग 50,000 मंदिर संसाधनों के अभाव में कर्नाटक में बंद कर दिये जाएंगे और उनके अनुसार सरकार के इस कृत्य के लिये सिर्फ हिंदुओं की लापरवाही और सहिष्णुता ही जिम्मेदार है।

Knapp फिर केरल का उल्लेख करते हैं जहाँ वो कहते हैं, गुरुवयूर मंदिर के फण्ड को दूसरी सरकारी योजनाओं में लगा दिया गया है जिससे 45 हिन्दू मंदिरों का विकास रुक गया है। #अयप्पा_मन्दिर की भूमि पर कब्ज़ा कर लिया गया है तथा चर्च, विस्तृत वन क्षेत्र को -सबरीमाला के निकट हजारों एकड़ भूमि को अतिक्रमण से दबाकर बैठी है।
केरल की कम्युनिस्ट राज्य सरकार एक अध्यादेश पारित करना चाहती है ताकि वह Travancore & Cochin Autonomous Devaswam Boards (TCDBs) को समाप्त कर दे तथा 1800 हिन्दू मंदिरों पर उनके सीमित स्वतंत्र अधिकारों को हथिया ले। अगर लेखक का कहना सही है, तो महाराष्ट्र सरकार भी राज्य में 450,000 मन्दिरों पर कब्ज़ा करना चाहती है जो राज्य के दिवालियेपन को हटाने के लिये विशाल राजस्व जुटाएंगे।

और इससे भी बढ़कर, Knapp कहते हैं कि उड़ीसा में राज्य सरकार #जगन्नाथ_मन्दिर की 70,000 एकड़ से भी अधिक दान में मिली भूमि को बेचना चाहती है, जिसकी राशि से इसके अपने ही मन्दिर कुप्रबंधन से उपजे वित्तीय घाटे को पूरा किया जाएगा।

Knapp के अनुसार, इन बातों की जानकारी इसलिये नहीं हो पाती क्योंकि भारतीय मीडिया, खासकर इंग्लिश टेलीविज़न और प्रेस, हिन्दू विरोधी हैं और हिन्दू समुदाय को प्रभावित करनेवाली किसी भी बात को न तो कवरेज देना चाहती हैं, और न ही उनसे कोई सहानुभूति रखती हैं। अतः, सरकार के सभी हिन्दू विरोधी कार्य बिना किसी का ध्यान खींचे चलते रहते हैं।

संभव है कि कुछ लोगों ने पैसे कमाने के लिये मन्दिर खड़े कर लिये हों। पर सरकार को भला इससे क्या सरोकार होना चाहिये? सारी आमदनी को हड़प लेने की बजाय, सरकार मंदिरों को फण्ड के प्रति जवाबदेह बनाने के लिये कमेटियों की स्थापना कर सकती है -- ताकि उस धन का सिर्फ मन्दिर के उद्देश्य से समुचित उपयोग हो सके।
Knapp का कहना है कि: स्वतंत्र लोकतान्त्रिक देशों में कहीं भी धार्मिक संस्थाओं को सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता और देश के लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाता।
पर भारत में ये हो रहा है। सरकारी अधिकारियों ने हिन्दू मंदिरों का नियंत्रण अपने हाथों में ले रखा है, क्योंकि उन्हें इसमें पैसों की गंध लगती है, वे हिंदुओं की लापरवाही से परिचित हैं, वे जानते हैं कि हिन्दू हद दर्जे के सहिष्णु और धैर्यवान हैं, वे ये भी जानते हैं कि सड़कों पर प्रदर्शन करना , संपत्ति का नुकसान करना, धमकी, लूट, हत्या, ये सब हिंदुओं के खून में नहीं है ।

हिन्दू चुपचाप बैठे अपनी संस्कृति की हत्या देख रहे हैं। उन्हें अपने विचार स्पष्ट और बुलंद आवाज में व्यक्त करने चाहिये। समय आ गया है कि कोई सरकार से कहे कि सभी तथ्यों को सामने रखे ताकि जनता को पता चले कि उसकी पीठ पीछे क्या हो रहा है। पीटर को लूटकर पॉल का पेट भरना धर्मनिरपेक्षता नहीं है और मंदिर लूटने के लिये नहीं हैं।

हम तो समझ रहे थे कि महमूद गजनवी मर चुका है, पर कहाँ ?
आज भी मन्दिर तोड़े जा रहे हैं और उसमें आने वाला दान को हड़प लिया जा रहा है।

मस्जिद और चर्च की तरह मन्दिरों को भी फ्री कर देना चाहिए जिससे हिन्दू धर्म के लोगो की आस्था पर प्रहार न हो।

Friday, December 8, 2017

RTI में खुलासा: सरकारी किताब में भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव को बताया गया ‘आतंकी, नहीं मिला शहीद का दर्जा

December 8, 2017

अंग्रेजों ने जब भारत गुलामी की जंजीर से जकड़ लिया था, उस समय भारतवासियों पर भयंकर अत्याचार हो रहे थे, देशवासियों को गुलाम बनाकर रखा हुआ था । बहु-बेटियों की इज्ज़त लूटी जा रही थी और भारत की संपत्ति लूटकर अपने देश इंग्लैंड में ले जा रहे थे , भारतीय संस्कृति को खत्म कर रहे थे,भारतवासी डर के मारे कोई आवाज नही उठा पा रहे थे , उस समय कुछ साहसी वीर बहादुर जवानों ने उनके खिलाफ आवाज उठाई उसमें भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव भी थे , जिन्होंने भारत को अंग्रेजों को गुलामी से दूर करने के लिए अपनी जवानी में प्राणों का बलिदान दे दिया । लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि आजतक उन वीरों को उचित सम्मान नही दे पाये, यहाँ तक कि शहीदी का भी दर्जा नही दे पाये और ऊपर से  सरकारी साहित्य में आतंकी बताया जा रहा है ।
 RTI: Bhagat Singh-Rajguru-Sukhdev was told in official book 'Terrorist

भारत एकमेव एेसा देश है जहां देश के लिए अपने ‘प्राण’ देनेवाले क्रांतिकारियों को ‘आतंकी’ कहा जाता है आैर देश के सैनिकों की तथा नागरीकों की ‘प्राण लेनेवालों’ के जनाजे में सम्मिलित होकर उन्हे ‘शहीद’ का दर्जा दिया जाता है !

स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को भारत सरकार ने अभी तक हुतात्मा का दर्जा नहीं दिया है, एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है। यह आरटीआई इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (ICHR) में दाखिल की गई थी। आरटीआई से यह बात भी सामने आई है कि, आईसीएचआर की ओर से नवंबर में रिलीज की गई किताब में भगत सिंह और बाकी दो हुतात्माआें को कट्टर युवा और आतंकी करार दिया गया है।

आपको बता दें कि आईसीएचआर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला संगठन है। आईसीएचआर का चेयरमैन भारत सरकार की ओर से नियुक्त किया जाता है। अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स नाउ की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। आरटीआई में यह भी पता चला है कि पिछली सरकारें लगातार इन तीनों क्रांतिकारियों की शहादत को नजरअंदाज करती आई हैं। ये वे हुतात्मा हैं, जिन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरणा दी है। आरटीआई के जरिए जम्मू के एक्टिविस्ट रोहित चौधरी ने पूछा था कि क्या तीनों हुतात्माों को हुतात्मा का दर्जा दिया गया है?

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब भगत सिंह आतंकी बताने पर विवाद हुआ हो। पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के इतिहास के पाठ्यक्रम में शामिल एक किताब, जिसमें भगत सिंह को क्रांतिकारी-आतंकवादी (रिवाल्यूशनरी टेररिस्ट) करार दिया गया था, के हिंदी अनुवाद की बिक्री और वितरण को रोकने का फैसला किया गया था। बिपन चंद्रा, मृदुला मुखर्जी, आदित्य मुखर्जी, सुचेता महाजन और केएन पणिकर की ओर से लिखी गई और डीयू की ओर से प्रकाशित किताब ‘भारत का स्वतंत्रता संघर्ष’ के बिक्री और वितरण को रोक दिया गया था।

अंग्रेजी में ‘इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस’ नाम की यह किताब पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से डीयू के पाठ्यक्रम का हिस्सा रही है। इस किताब के २०वें अध्याय में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सूर्य सेन और अन्य को क्रांतिकारी ‘रिवाल्यूशनरी टेररिस्ट’ बताया गया है। इस किताब में चटगांव आंदोलन को भी आतंकवादी कृत्य कहा गया है, जबकि ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सैंडर्स की हत्या को भी आतंकवादी कृत्य करार दिया गया है। इस किताब का हिंदी संस्करण भारत का स्वतंत्रता संघर्ष 1990 में डीयू के हिंदी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय की ओर से प्रकाशित किया गया था।
स्त्रोत: हिन्दूजागृति

भारतीय शिक्षा में देश के लुटेरे आक्रमणकारियों मुगलों और अंग्रेजो को महान बताया जा रहा है वहीं दूसरी ओर देश की आजादी के लिए उनके खिलाफ लड़कर अपने प्राणों की आहुति दे दी, ऐसे वीरों को आतंकी बता रहे है, हमारे देश के लुटेरों से लड़ना भी अपराध हो गया है?

एक तरफ तो अंग्रेजो के चाटूकार नेहरू आदि को सम्मान देकर अरबो-खबरों की सम्पत्ति इक्कठी कर ली गई दूसरी ओर देश के लिए अपनी जवानी का बलिदान देने वाले वीर जवानों के परिवार आज भी रोटी के लिए मोहताज है, गरीबी से गुजर रहे हैं उनके परिवार को न समाज में उचित स्थान मिला और न ही उन बलिदान देने वाले वीरों को देश से सम्मान मिला।

आज शिक्षा प्रणाली को बदलने की अत्यंत आवश्यकता है कि जो देश के लुटेरे थे उन मुगलों और अंग्रेजों की महिमा मंडन वाला इतिहास किताबों से हटाकर देश के वीर क्रांतिकारी भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव, चन्द्र शेखर आज़ाद, वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, महारानी लक्ष्मीबाई आदि का इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए और शिक्षा अंग्रेजी में नही देश की राष्ट्रभाषा हिंदी में होनी चाहिए और वैदिक गुरुकुल के अनुसार होनी चाहिए । इस पर सरकार को ध्यान देने की अत्यंत आवश्यक है क्योंकि बच्चे महान तभी बनेंगे जब उनको बचपन से ही सही दिशा देने वाली शिक्षा दी जाएगी ।

Thursday, December 7, 2017

तबीयत ठीक करने के बहाने मौलवी करता रहा बलात्कार, मीडिया में छाया सन्नाटा


December 7, 2017

जब भी किसी हिंदुत्वनिष्ठ या हिन्दू साधु-संत पर कोई झूठा इल्जाम लगता है तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया इस तरह खबर चलाती है कि जैसे न्यायालय में अपराध सिद्ध हो गया हो और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इल्जाम लगते ही न्यूज चालू हो जाती है । इससे सिद्ध होता है कि मीडिया को इस बात का पहले ही पता होता है कि कौन से हिन्दू साधु-संत पर कौन सा इल्जाम लगने वाला है और उनके खिलाफ किस तरीके से खबरें चलाना है सब पहले से ही तय कर लिया जाता है ।


आपको बता दें कि कुछ दिन पहले कांदिवली, मुंम्बई के नम्र मुनि महाराज के खिलाफ ABP न्यूज में आकर एक लड़की ने यौन शोषण का आरोप लगाया, मीडिया ने खूब दिखाया लेकिन बाद में आकर उस लड़की ने बताया कि ABP न्यूज की बड़ी एडिटर शिला रावल और हार्दिक हुंडिया ने मुझे मीडिया में ऐसा बोलने को कहा था, मेरे को लालच दिया था इसलिए मैंने नम्र मुनि के खिलाफ बोला, बाद में खुश्बू नाम की लड़की ने नम्र मुनि से माफी भी मांगी ।

 मीडिया केवल हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए साधु-संतों को बदनाम करती है लेकिन इससे विपरीत किसी मौलवी या ईसाई पादरी पर आरोप साबित भी हो जाता है तब भी मीडिया में कोई खबर देखने को नहीं मिलती । किसी अख़बार में कहीं कोई खबर छप भी गई तो ऐसे कोने में पड़ी मिलती है जहां किसी पाठक की नजर न पहुचें ।
Excuses of recovering health Maulvi rape media silent


टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार सतारा (पुणे) से खबर आई है कि 47 वर्ष के मौलवी हैदर अली रशीद ने एक 36 वर्षीय महिला और उसकी सास का तबीयत ठीक करने के बहाने 2004  से  2016 तक बलात्कार करता रहा।

मौलवी ने महाबलेश्वर, कोंढवा और उसके घर में रहकर गंदी हरकत की ।

मौलवी रशीद ने इसी बीच में 8 लाख की फीस भी ली और फ्लैट की डिमांड भी की । इसी बीच में जब बहू और परिवार वालों को लगा कि यह मौलवी ठगी कर रहा है तब पुलिस में रिपोर्ट की और पुलिस ने सोमवार 4 दिसंबर को उसे गिरफ्तार किया । पुलिस ने सेक्शन 376 (बलात्कार) 377 (अप्राकृतिक) 420 (धोखाधड़ी) काला जादू अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है।

अगर यही खबर किसी भी हिन्दू धर्म गुरु से जुड़ी होती तो मीडिया में इतनी खबरें दिखाई जाती कि भारत के अलावा अन्य देशों में भी पता चल जाता । ऐसा एक मामला सामने नहीं आया है ऐसे तो सैंकड़ो मामले हैं । इसी तरह चर्च के ईसाई पादरियों के खिलाफ भी अनेक दुष्कर्म के मामले समय-समय पर सामने आए हैं पर इस पर मीडिया नहीं दिखाती है क्योंकि मीडिया को हिन्द साधु-संतों को बदनाम करने और ईसाई पादरियों एवं मौलवियों की खबर नही दिखाने के लिए भारी फंडिग मिलती है।

अब पाठकों के मन में प्रश्न होता होगा कि ईसाई और मुस्लिम संस्थाओं को क्या फायदा होता होगा ??

आपको बता दें कि भारतीय संस्कृति इतनी महान और भारत देश इतना समृद्ध है कि भारत को लूटने और उसकी संस्कृति तोड़ने का प्रयास हजारों सालों से चल रहा है मुगल से लेकर अंग्रेज तक देश को लूटते ही रहे अभी भी उनकी नजर भारत देश पर है और भारत में 96.63 करोड़ हिंदू हैं, जो कुल आबादी का 79.8% है। अब उन हिन्दुओ की श्रद्धा टिकी है अपने धर्मगुरुओं पर जो साधु-संत-मुनि के नाम से जाने जाते हैं और उनके बताये हुए मार्ग पर चलते हैं जिससे वो उनके भीतर हिन्दू संस्कृति की महिमा भरते हैं और स्वदेशी चीजे अपनाने को कहते हैं और उनको दारू-सिगरेट-बीड़ी-चाय आदि व्यसनों को छुड़ा देते है और आसान-प्राणायाम आदि सिखाकर और घरेलू स्वास्थ्य की कुंजियां बताते है और हिन्दू संस्कृति के अनुसार जीवन जीने को बोलते है जिससे विदेशी कम्पनियों को अरबों-खरबों का नुकसान होता है दूसरा कि ईसाई मिशनरियां और मुस्लिम संघटन भारत में हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन नही करा पाते हैं इसलिए वो हिन्दुओ की अपने धर्म गुरु साधु-संतों पर जो आस्था टिकी हुई है उसको खत्म करने के लिए मीडिया में ईसाई मिशनरियां और मुस्लिम संस्थाएं पैसा डालकर यह सब करवा रहे है ।

हिन्दू समाज को एक महत्वपूर्ण बात कहना चाहेगे की जब भी कोई ईसाई पादरी या मौलवी पर आरोप सिद्ध होता है फिर भी उनके धर्म के लोग उनके खिलाफ नही बोलते हैं लेकिन जब षडयंत्र के तहत किसी हिन्दू साधु-संत पर कोई आरोप भी लगता है तो भी उनके खिलाफ हिन्दू ही बोलना चालू कर देते है यही हिन्दू समुदाय की सबसे बड़ी कमी रही है कि जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश और संस्कृति एवं समाज कल्याण के लिए लगा दिया ऐसे संत पर कोई झूठा आरोप लगा दे और मीडिया विदेशी ताकतों के इशारे पर उनको बदनाम करे तो यही हिन्दू समाज उनको गलत समझ लेता है ।

अतः हिंदुस्तानी सावधान रहें,  विदेशी ताकतों के इशारे पर चलने वाली मीडिया से, मीडिया में अधिकतर खबरें बनती नही हैं बनाई जाती हैं इसलिए आंख बंद करके मीडिया पर भरोसा नही करें।

जय हिन्द !!

Wednesday, December 6, 2017

सरकार कानून बनाकर धर्मांतरण रोके : उच्च न्यायालय


December 6, 2017 www.azaadbharat.org

अंतर-धार्मिक विवाहों पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सचेत किया है । उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने एक अंतर-धार्मिक विवाह के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि, सरकार फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट बनाए जिसे मध्य प्रदेश और हिमाचल की सरकारें पहले 
ही बना चुकी हैं । उच्च न्यायालय ने कहा कि समाज के हित में यह आवश्यक है ।
Government should stop conversion by making laws: High Court

न्यायालय ने कहा है कि, केवल विवाह के लिए धर्म परिवर्तन का ढोंग रचने की प्रवृत्ति ठीक नहीं, इसमें समाज का हित नहीं है । न्यायालय ने सोमवार को रुद्रपुर के एक अंतर धार्मिक विवाह मामले में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की । रुद्रपुर जिला ऊधमसिंह नगर निवासी गिरीश कुमार शर्मा ने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि, उसकी पुत्री को हुसैन अंसारी उर्फ अतुल शर्मा ने विवाह के बहाने छिपा रखा है ।

उसकी पुत्री को न्यायालय में हाजिर किया जाए । याचिका पर न्यायालय के आदेश के बाद युवती को न्यायालय में पेश किया गया । पूर्व में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया था कि, वह (गिरीश शर्मा की पुत्री) दबाव में है । इसके बाद न्यायालय ने युवती को रुद्रपुर छात्रावास भेज दिया ।

आपको बता दें कि वर्तमान में लव जिहाद द्वारा हिन्दू युवतियों को छल करके प्रेम जाल में फ़साने की अनेक घटनाएं सामने आई हैं, बाद में वही लड़कियां बहुत पश्चाताप करती है क्योंकि वहाँ  उनकी जिंदगी नर्क जैसी हो जाती है, धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है, उसकी अनेक पत्नियां होती हैं, गौ मास खिलाया जाता है, दर्जनों बच्चें पैदा करते हैं, पिटाई करते हैं, तलाक भी दिया जाता है, यहाँ तक कि लव जिहाद में फंसाकर उनको आतंकवादियों के पास भजेने की भी अनेक घटनाएं सामने आई हैं ।

लव जिहाद होने की नोबत तब आती है जब अपनी बेटियों को धर्म की शिक्षा नही दी जाती है और उनको सनातन संस्कृति की महानता नही बताई जाती है उस अनुसार उनको कार्य करने को प्रेरित नही करने के कारण आज हिन्दू बेटियां लव जिहाद में फंस रही है उसके लिए मुख्य जिम्मेदार उनके माता-पिता ही हैं ।

बचपन से ही बेटी को धर्म शिक्षा देकर सुसंस्कारित करें ! :

1. बचपन से ही बेटी पर हिन्दू धर्म के पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नीतिमूल्यों का संस्कार करें !

2. हिन्दू वंश और हिन्दुस्थान में जन्म होने का अभिमान बेटी में जागृत करें !

3. हिन्दू सभ्यता को शोभा देनेवाली वेशभूषा करने का संस्कार बेटी पर करें !

4. धर्मसत्संग, राष्ट्रपुरुषों से संबंधित कार्यक्रम आदि कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए बेटी को प्रोत्साहित करें !

5. हिन्दू संस्कृति, हिन्दू धर्मके ग्रंथ, हिन्दू धर्म का इतिहास, हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता आदि का महत्त्व बेटी को बताएं !

6. बेटी को हिन्दू धर्म का तत्त्वज्ञान और आध्यात्मिक परंपरा की शिक्षा, अर्थात् धर्मशिक्षा दीजिए और उसके अनुसार आचरण करने हेतु प्रेरित करें !


हिन्दू युवतियां, सावधान! झूठे प्रेम की बलि चढकर आत्मघात न करो !

​जिहादी युवकों को एक साथ 4 महिलाओं से विवाह करने की अनुमति इस्लाम देता है । अतः हिन्दू युवतियों से वे क्या एकनिष्ठ रहेंगे। जिहादी युवकों ने 2-3 विवाह होकर भी हिन्दू युवतियों को ‘मैं अविवाहित हूं’, ऐसा बताकर ठगने की सैकडों घटनाएं हुई हैं । जिहादी हिन्दू युवतियों को एक उपभोग्य वस्तु समझते हैं, इसलिए वे उनकी प्रेमभावनाओं का यत्किंचित भी विचार नहीं करते ।

शील से अधिक मूल्यवान कोई वस्तु नहीं !!

जिहादीयों द्वारा एक बार शील भ्रष्ट हुआ, तो वह पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता एवं स्त्री के जीवन में शील से अधिक मूल्यवान वस्तु कोई नहीं । अपने शील की रक्षा करने के लिए अपना संपूर्ण शरीर अग्नि की भेंट चढानेवाली राजपूत स्त्रियां हमारी आदर्श हैं ।

धर्म-परिवर्तन से होनेवाली हानि ध्यान में रखें 

‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ।’ श्रीमद्भगवद्गीताके इस वचन के अनुसार ‘स्वधर्म ही श्रेष्ठ है । परधर्ममें जाना, अत्यंत भयानक (नरकसमान) होता है ।’ हिन्दू परिवार में जन्म लेकर इस्लाम धर्म में जानेवाली युवतियों के मन पर हिन्दू धर्म का संस्कार होता है । इसलिए उन्हें इस्लाम धर्मानुसार आचरण करना अत्यंत कठिन होता है ।

हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता ध्यानमें रखें ! 

विश्व में हिन्दू धर्म महान है एवं यह ईश्वरप्राप्ति करवानेवाला एकमात्र धर्म है । तात्कालिक सुख पाने के लोभ में पडकर परधर्म में जाना, अपने पारलौकिक जीवन की अधोगति का अंत करने समान है ।

धर्मद्रोह का पाप अपने माथे पर न लें 

धर्म को समाप्त करने का स्वप्न देखनेवालों का साथ देना धर्मद्रोह है तथा इस द्रोह का पाप भोगना ही पडता है ।

हिन्दू युवतियों, सबला बनो !

जिहादीयों के बलप्रयोग करने पर अनेक हिन्दू युवतियां ‘लव जिहाद’की बलि चढती हैं । स्वा. सावरकर ने ‘मेरा मृत्युपत्र’ में अपनी भाभी को लिखे पत्र में कहा था, ‘भारतीय नारीनका बल तेज अभी समाप्त नहीं हुआ है । वह निश्चित ही जागृत होगा ।’
बल एवं तेज जागृत करनेनके लिए हिन्दू युवतियो, सबला बनो !

हिन्दुओं अपनी महिलाओं की रक्षा करें

जिस समाज में महिलाएं सुरक्षित ऐसा समाज ही सुरक्षित होता है’, यह ध्यान में रख हिंदू युवतियों की रक्षा करें !

लव जिहाद’ यह हिंदू धर्म पर वांशिक आक्रमण होने के कारण अपने क्षेत्र से ‘लव जिहाद’का षड्यंत्र ध्वस्त करने हेतु आगे बढकर संगठित प्रयास करें !

‘हिंदुओ, यह प्रतिज्ञा करो, ‘किसी भी हिंदू परिचित युवती को मैं ‘लव जिहाद’की बलि नहीं चढने दूंगा !’

लव जिहाद’के संकट के विषय में विद्यालय, महाविद्यालय, महिला मंडल, जातिसंस्थाएं, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, धार्मिक कार्यक्रम आदि में प्रवचन करना आवश्यक है ।

इजराइल में ज्यू और मुसलमानों के विवाहनपर वैधानिक प्रतिबंध है । हिंदुस्थान में भी ‘लव जिहाद’ रोकने के लिए इजराइल समान विधान बनाने की आवश्यकता है । हिंदुओ, इसके लिए अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों को संगठितरूप से निवेदन देकर लव जिहाद के विरुद्ध विधान बनाने की मांग करें ।

लव जिहाद’ पर स्वा. सावरकर हिंदुओं से कहते हैं, ‘अपनी स्त्रियों को शत्रु भगा ले जाकर मुसलमान बनाते हैं, तो उनसे उत्पन्न लडके आगे चलकर हमारे शत्रु बनते हैं । इसलिए उन स्त्रियों को छुडाकर पुनः अपने धर्म में लाएं ।’ अपनी बेटियों को परधर्म में न जाने देने के लिए सदैव सावधान रहना, यह जैसे ‘लव जिहाद’को रोकने का एक मार्ग है, तो दूसरा मार्ग है – सावरकर के विचारों के अनुसार ‘लव जिहाद’की बलि चढी युवतियों को छुडाकर, शुद्ध कर, पुनः स्वधर्म में सम्मिलित कर लेना । ‘लव जिहाद’को रोकने के लिए इस दूसरे मार्ग का तुरंत अवलंबन भी हिंदू समाज को करना चाहिए !

Tuesday, December 5, 2017

जानिए श्री राम मंदिर तोड़ने का और 6 दिसम्बर शौर्य दिवस का इतिहास


December 5, 2017

भारत में विधर्मी आक्रमणकारियों ने बड़ी संख्या में हिन्दू मन्दिरों का विध्वंस किया। स्वतन्त्रता के बाद भी सरकार ने मुस्लिम वोटों के लालच में मस्जिदों, मजारों आदि को बना रहने दिया।
इनमें से श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर (अयोध्या), श्रीकृष्ण जन्मभूमि (मथुरा) और काशी #विश्वनाथ मन्दिर के सीने पर बनी मस्जिदें सदा से हिन्दुओं को उद्वेलित करती रही हैं। इनमें से #श्रीराम मन्दिर के लिए विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल की अध्यक्षता और शिवसेना के बाला साहब की अध्यक्षता में देशव्यापी #आन्दोलन किया गया, जिससे 6 दिसम्बर, 1992 को वह #बाबरी ढाँचा धराशायी हो गया।

बाबरी मस्जिद विध्वंस का 6 दिसंबर को हर साल #हिन्दू शौर्य दिवस मानते हैं
रामसेवको पर गोलीबारी


श्री राम मंदिर कब तोड़ा?

 मुस्लिम शासक आक्रमणकारी बाबर 1527 में फरगना से भारतआया था, बाबर के आदेश से उसके #सेनापति मीर बाकी ने 1528 ई. में श्रीराम #मन्दिर को गिराकर वहाँ एक #मस्जिद बना दी थी । मंदिर तोड़ रहे थे उस समय इस्लामी आक्रमणकारियों से मंदिर को बचाने के लिए रामभक्तों ने 15 दिन तक लगातार संघर्ष किया, जिसके कारण आक्रांता मंदिर पर चढ़ाई न कर सके और अंत में मंदिर को तोपों से उड़ा दिया। इस संघर्ष में 1,36,000 रामभक्तों ने मंदिर रक्षा हेतु अपने जीवन की आहुति दी।

भगवान श्री राम मंदिर टूटने के बाद #हिन्दू समाज एक दिन भी चुप नहीं बैठा। वह लगातार इस स्थान को पाने के लिए #संघर्ष करता रहा । 

1528  से 1949 ईस्वी तक के कालखंड में श्रीरामजन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण हेतु 76 बार संघर्ष/युद्ध हुए। इस पवित्र स्थल हेतु श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज, महारानी राज कुंवर तथा अन्य कई विभूतियों ने भी संघर्ष किया।

संघर्ष करने के बाद 23 दिसम्बर,1949 को आखिर हिन्दुओं ने वहाँ #रामलला की #मूर्ति स्थापित कर पूजन एवं अखण्ड कीर्तन शुरू कर दिया।

मंदिर पर ताला

कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट ने ढांचे को आपराधिक दंड संहिता की धारा 145 के तहत रखते हुए प्रिय दत्त राम को रिसीवर नियुक्त किया। सिटी मजिस्ट्रेट ने मंदिर के द्वार पर ताले लगा दिए।

पहली धर्म संसद

अप्रैल, 1984 में विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा विज्ञान भवन (नई दिल्ली) में आयोजित पहली धर्म संसद ने जन्मभूमि के द्वार से ताला खुलवाने हेतु जनजागरण यात्राएं करने का प्रस्ताव पारित किया।


विश्व हिन्दू परिषद्' द्वारा इस विषय को अपने हाथ में लेने से पूर्व तक 76 हमले हिन्दुओं ने किये; जिसमें देश के लाखों हिन्दू नर नारियों का #बलिदान हुआ; पर पूर्ण #सफलता उन्हें कभी नहीं मिल पायी।

 विश्व हिन्दू परिषद ने लोकतान्त्रिक रीति से जनजागृति के लिए #श्रीराम #जन्मभूमि मुक्ति #यज्ञ समिति का गठन कर 1984 में श्री रामजानकी रथयात्रा निकाली, जो सीतामढ़ी से प्रारम्भ होकर #अयोध्या पहुँची।

श्री राम मंदिर के लिए जनता का आक्रोश देखकर #हिन्दू नेताओं ने शासन से कहा कि #श्री रामजन्मभूमि मन्दिर पर लगे अवैध ताले को खोला जाए। #न्यायालय के आदेश से 1 फरवरी 1986 को ताला खुल गया। 

अयोध्या में भव्य #मन्दिर बनाने के लिए 1989 में देश भर से श्रीराम शिलाओं को पूजित कर अयोध्या लाया गया और बड़ी धूमधाम से 9 नवम्बर, 1989 को #श्रीराम मन्दिर का #शिलान्यास कर दिया गया। जनता के दबाव के आगे #प्रदेश और #केन्द्र शासन को झुकना पड़ा। पर #मन्दिर निर्माण तब तक सम्भव नहीं था, जब तक वहाँ खड़ा ढाँचा न हटे। हिन्दू नेताओं ने कहा कि यदि मुसलमानों को इस ढाँचे से मोह है, तो वैज्ञानिक विधि से इसे स्थानान्तरित कर दिया जाए; पर शासन मुस्लिम वोटों के लालच से बँधा था। वह हर बार न्यायालय की दुहाई देता रहा। #विहिप #शिवसेना आदि हिन्दू कार्यकर्ताओं का तर्क था कि आस्था के विषय का निर्णय #न्यायालय नहीं कर सकता आंदोलन और तीव्र कर दिया।

आंदोलन के अन्तर्गत 1990 में वहाँ #कारसेवा का निर्णय किया गया। तब #उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी। उन्होंने घोषणा कर दी कि #बाबरी परिसर में एक परिन्दा तक पर नहीं मार सकता । पर हिन्दू युवकों ने #शौर्य दिखाते हुए 29 अक्तूबर को गुम्बदों पर #भगवा फहरा दिया। बौखला कर 2 नवम्बर को #मुलायम सिंह ने गोली चलवा दी, जिसमें कोलकाता के दो सगे भाई #राम और शरद कोठारी सहित सैकड़ों कारसेवकों का #बलिदान हुआ।


कारसेवकों के बलिदान के बाद #प्रदेश में #भाजपा की सरकार बनी। #केन्द्र की #कांग्रेस सरकार के इस आश्वासन पर कि नवंबर में #न्यायालय का निर्णय आ जाएगा एक बार फिर #गीता जयंती के शुभ दिन (6 दिसम्बर, 1992 ) को #कारसेवा की तिथि निश्चित की गयी। परन्तु जानबूझ कर सब सुनवाई पूरी होने के बाद भी निर्णय की तिथि आगे से आगे बढ़ाकर 6 दिसंबर के बाद की कर दी गई ।

विहिप की योजना तो तब भी #केन्द्र शासन पर दबाव बनाने की ही थी । पर #युवक आक्रोशित हो उठे। उन्होंने वहाँ लगी तार बाड़ के खम्भों से प्रहार कर #बाबरी ढाँचे के तीनों गुम्बद गिरा दिये। इसके बाद विधिवत वहाँ श्री रामलला को भी विराजित कर दिया गया।

मंदिर के अवशेष मिले

ध्वस्त ढांचे की दीवारों से 5 फुट लंबी और 2.25  फुट चौड़ी पत्थर की एक शिला मिली। विशेषज्ञों ने बताया कि इस पर बारहवीं सदी में संस्कृत में लिखीं 20 पंक्तियां उत्कीर्ण थीं। पहली पंक्ति की शुरुआत “ओम नम: शिवाय” से होती है। 15वीं, 17वीं और 19वीं पंक्तियां स्पष्ट तौर पर बताती हैं कि यह मंदिर “दशानन (रावण) के संहारक विष्णु हरि” को समर्पित है। मलबे से करीब ढाई सौ हिन्दू कलाकृतियां भी पाई गईं जो फिलहाल न्यायालय के नियंत्रण में हैं।

पंकज निगम (तत्कालीन विहिप नगर प्रमुख) ” जो की 1992 को कर सेवक थे की आंखो देखी – संक्षिप्त मे : “हम लोग 1992 को बाबरी विध्वंस के दिन ही अयोध्या पहुचे थे, किन्तु जब लोटे तब तक आधे से भी कम बचे थे, 6 दिसम्बर के बाद तिब्बत पुलिस ने सरयू नदी को लाशों से पाट दिया था, जिसमे सभी लाशे कर सेवको की थी, सभी बसे जो भी आजा रही थी सभी लाशों से भरी थी, रात के समय तिब्बत पुलिस फ़ाइरिंग करती थी जो भी उसके बीच मे आगया उसका राम नाम सत्य का मोका भी नही मिलता था, लाशे नदी मे बहा दी जाती थी।
हम लोगो ने गिरफदारी दे दी थी, और हमे 18 दिनो तक 1 जेल मे रखा गया, जहा उन 18 दिनो मे हमारे कई साथी भूख और बीमारी से मर गए, क्यू की जेल मे ना तो कुछ खाने को दिया जाता था, ना दिसम्बर की ठंड से बचाने की कोई व्यवस्था थी, 15 दिनो से भूखे होने के बाद भी हम 5 लोग जेल से भागने मे कामयाब हुये, और जंगलो से रास्ते पेडल दिल्ली पहुचे, वह पर हमारे कुछ अन्य लोग थे, उनकी मदद से नागदा पहुचे ।”

 सोचें, श्री राम मन्दिर के पीछे कितने #बलिदान हुए, कितनी #माताओं ने अपने #पुत्र खोये , कितनी #पत्नियों ने अपने #सुहाग खोये!

क्या बीती होगी उस #बाप पर, जब उसने अपने दो-दो #बेटों की गोलियों से छलनी हुई लाश को देखा होगा!

ये सब किया तत्कालीन #केंद्र की #कांग्रेस और #उत्तर प्रदेश की #सपा #सरकार ने!

रामभक्तों को गोलियो से छलनी कर उनके शरीर में बालू के बोरे बांध कर उनकी लाश #सरयू मे फेंक दी गयी ।

 सोचिए, क्या बीती होगी उस #परिवार पर जब उन्होंने अपनों की सड़ी-गली और जानवरो से खाई हुई लाशें यमुना से कई हफ्तों बाद निकाली होगी !

कारसेवकों को हेलीकाप्टर से चुन चुन कर निशाना बनाया गया और गोली आँख में या सिर में मारी गयी । आखिर क्यों...??? क्योंकि #हिन्दू सहनशील हैं!

अयोध्या जो #बाबर की औलादों के चंगुल में थी, लाखों हिन्दू पुरुषों और हजारों #नारियों ने बलिदान देकर उसे मुक्त कराया ।

अमर बलिदानी कारसेवक गोली लगने के बाद मरते-मरते भी “जय श्री राम” बोलते रहें ।

इस प्रकार वह बाबरी कलंक नष्ट हुआ पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने सारी जमीन अधिग्रहीत कर ली ।

देश मे 98 करोड़ हिन्दू है पर अभीतक बाबर ने तोड़ा हुआ श्री राम मंदिर नही बन पाया वे हिन्दुओ के लिए शर्म की बात है ।

अब मामला #सर्वोच्च #न्यायालय में लंबित है । 98 करोड़ हिन्दुओ का पूर्ण विश्वास है कि हिंदूवादी #वर्तमान #केंद्र #सरकार तथा उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग शीघ्र प्रशस्त करेगी ।

जय श्री राम!!

Monday, December 4, 2017

मोमबत्तियाँ बुझाकर और केक काटकर जन्मदिन मनाते हो तो हो जाइये सावधान: अमेरिकी वैज्ञानिक


December 4, 2017 www.azaadbharat.org

वॉशिंगटन : वैज्ञानिकों का दावा है कि, केक पर लगी मोमबत्तियों को फूंक मारकर बुझाने से केक बैक्टीरिया से भर जाता है। अमेरिका की क्लेमसन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा की जन्मदिन केक पर लगी मोमबत्तियाँ बुझाते समय केक पर थूक फैल जाता है जिसके कारण केक पर 1400% बैक्टीरिया बढ जाता है।

‘जर्नल ऑफ फूड रिसर्च’ में प्रकाशित इस स्टडी के शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘जन्मदिन मोमबत्तियाँ को फूंक मारकर बुझाने की परंपरा की शुरुआत के पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ मान्यताएं कहती हैं कि यह परंपरा प्राचीन ग्रीस में शुरू हुई जिसके तहत केक पर जली हुई मोमबत्ती लगाकर हंट की देवी आर्टिमिस के मंदिर ले जाया जाता था।’ तो वहीं कुछ दूसरी प्राचीन सभ्यताएं मानती हैं कि कैंडल बुझाने के बाद उससे निकलने वाला धुंआ आपकी मन्नत और प्रार्थनाओं को भगवान तक लेकर जाता है।
If you celebrate birthday by cutting candles and cutting cake, then be careful: American scientist

शोधकर्ताओं के अनुसार, इंसान के सांस में मौजूद बायोएरोसोल बैक्टीरिया का स्त्रोत है जो फूंक मारने पर केक की सतह पर फैल जाता है। इंसानों का मुहं बैक्टीरिया से भरा होता है। (स्त्रोत : हिन्दू जन जागृति)

हिन्दुआें पाश्चिमात्य संस्कृति का दुष्परिणाम ध्यान में लेकर हिन्दु संस्कृति के अनुसार जन्मदिन मनाए !

जन्मदिवस पर क्या करें ?

जन्मदिवस के अवसर पर महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए घी, दूध, शहद और दूर्वा घास के मिश्रण की आहुतियाँ डालते हुए हवन करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में कितने भी दुःख, कठिनाइयाँ, मुसीबतें हों या आप ग्रहबाधा से पीड़ित हों, उन सभी का प्रभाव शांत हो जायेगा और आपके जीवन में नया उत्साह आने लगेगा।

मार्कण्डेय ऋषि का नित्य सुमिरन करने वाला और संयम-सदाचार का पालन करने वाला व्यक्ति सौ वर्ष जी सकता है – ऐसा शास्त्रों में लिखा है। कोई एक तोला (11.5) ग्राम गोमूत्र लेकर उसमें देखते हुए सौ बार 'मार्कण्डेय' नाम का सुमिरन करके उसे पी ले तो उसे बुखार नहीं आता, उसकी बुद्धि तेज हो जाती है और शरीर में स्फूर्ति आती है।

अपने जन्मदिवस पर मार्कण्डेय तथा अन्य चिरंजीवी ऋषियों का सुमिरन, प्रार्थना करके एक पात्र में दो पल (93 ग्राम) दूध तथा थोड़ा-सा तिल व गुड़ मिलाकर पीये तो व्यक्ति दीर्घजीवी होता है। प्रार्थना करने का मंत्र हैः ॐ मार्कण्डेय महाभाग सप्तकरूपान्तजीवन।
चिरंजीवी यथा त्वं भो भविष्यामि तथा मुने।।
रूपवान् वित्तवांश्चैव श्रिया युक्तश्च सर्वदा।
आयुरारोग्यसिद्धयर्थ प्रसीद भगवन् मुने।।
चिरंजीवी यथा त्वं भो मुनीनां प्रवरो द्विजः।
कुरूष्व मुनिशार्दुल तथा मां चिरजीविनम्।।
नववर्षायुतं प्राप्य महता तपसा पुरा।
सप्तैकस्य कृतं येन आयु में सम्प्रयच्छतु।।
अथवा तो नींद खुलने पर अश्वत्थामा, राजा बलि, वेदव्यासजी, हनुमानजी, विभीषण, परशुरामजी, कृपाचार्यजी, मार्कण्डेयजी – इन चिरंजीवियों का सुमिरन करे तो वह निरोग रहता है।

जन्मदिन कैसे मनाएँ ?

जन्मदिवस के दिन बच्चा ‘केक’ पर लगी मोमबत्तियाँ जलाकर फिर फूँक मारकर बुझा देता है । जरा सोचिये, हम कैसी उलटी गंगा बहा रहे हैं ! जहाँ दीये जलने चाहिए वहाँ बुझा रहे हैं ! जहाँ शुद्ध चीज खानी चाहिए वहाँ फूँक मारकर उडे हुए थूक से जूठे, जीवाणुओं से दूषित हुए ‘केक' को बडे चाव से खा-खिला रहे हैं ! हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को उनके जन्मदिवस पर भारतीय संस्कार व पद्धति के अनुसार ही कार्य करना सिखायें ताकि इन मासूमों को हम अंग्रेज न बनाकर सम्माननीय भारतीय नागरिक बनायें । यह शरीर, जिसका जन्मदिवस मनाना है, पंचभूतों से बना है जिनके अलग-अलग रंग हैं । पृथ्वी का पीला, जल का सफेद, अग्नि का लाल, वायु का हरा व आकाश का नीला । थोडे-से चावल हल्दी, कुंकुम आदि उपरोक्त पाँच रंग के द्रव्यों से रँग लें । फिर उनसे स्वस्तिक बनायें और जितने वर्ष पूरे हुए हों, मान लो 4 उतने छोटे दीये स्वस्तिक पर रख दें तथा 5 वें वर्ष की शुरुआत के प्रतीक रूप में एक बडा दीया स्वस्तिक के मध्य में रखें । फिर घर के सदस्यों से सब दीये जलवायें तथा बडा दीया कुटुम्ब के श्रेष्ठ, ऊँची समझवाले, भक्तिभाववाले व्यक्ति से जलवायें । इसके बाद जिसका जन्मदिवस है, उसे सभी उपस्थित लोग शुभकामनाएँ दें । फिर आरती व प्रार्थना करें । 

अभिभावक एवं बच्चे ध्यान दें -  पार्टियों में फालतू का खर्च करने के बजाय बच्चों के हाथों से गरीबों में, अनाथालयों में भोजन, वस्त्र इत्यादि का वितरण करवाकर अपने धन को सत्कर्म में लगाने के सुसंस्कार डालें । लोगों से चीज-वस्तुएँ (गिफ्ट्स) लेने के बजाय अपने बच्चे को गरीबों को दान करना सिखायें ताकि उसमें लेने की नहीं अपितु देने की सुवृत्ति विकसित हो ।

जन्मदिवस पर बच्चे बडे-बुजुर्गों को प्रणाम करें, उनका आशीर्वाद पायें । बच्चे संकल्प करें कि आनेवाले वर्षों में पढाई, साधना, सत्कर्म आदि में सच्चाई और ईमानदारी से आगे बढकर अपने माता-पिता व देश का गौरव बढायेंगे । (स्त्रोत्र : संत आसारामजी बापू के प्रवचन से )