होली का त्यौहार भारत के साथ कई अन्य देशों में भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। #होली की लोकप्रियता का विकसित होता हुआ अंतर्राष्ट्रीय रूप भी आकार लेने लगा है।
सोशल मीडिया पर लोगो ने की अपील रासायनिक रंगों से से नही, वैदिक होली खेले |
होली रंगों का त्यौहार है, हँसी-खुशी का #त्यौहार है, लेकिन होली के भी अनेक रूप देखने को मिलते हैं । प्राकृतिक रंगों के स्थान पर रासायनिक रंगों का प्रचलन, ठंडाई की जगह नशेबाजी और लोक संगीत की जगह फिल्मी गानों का प्रचलन इस आधुनिक रूप से होली खेलना बहुत नुकसान करता है ।
होली पर बजाए जाने वाले ढोल, मंजीरें, फाग, धमार, चैती, ठुमरी आदि #वैदिक गानों से ही करनी चाहिए ।
रासायनिक रंगों के कुप्रभावों की जानकारी होने के बाद बहुत से लोग स्वयं ही #प्राकृतिक रंगों की ओर लौट रहे हैं। चंदन, गुलाबजल, टेसू (पलाश) के फूलों से बना हुआ रंग तथा प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की परंपरा को बनाए हुए हैं ।
आज ट्वीटर पर भी हैशटैग #HappyVedicHoli को लेकर अनेक ट्वीट कर रहे थे।
आइये जानते है क्या कह रहे थे यूजर...
गार्गी लिखती है कि होली मे जहरीले रासायनिक रंगो से अपनी आँखो को, त्वचा व मुह को बचाकर पलाश के लाभदायक पुष्पो के रंग से अपनी त्वचा को रँगे
https://twitter.com/gargi088/ status/969209533523357701
https://twitter.com/gargi088/
प्रियांशु ने लिखा कि रासायनिक रंगो से होली खेलना बहुत नुकसानदायक है व पलाश के फूलों के रंग से होली खेलना हितकारी है।
https://twitter.com/ priyanshusoni69/status/ 842311614934196225
https://twitter.com/
रेखा लिखती है कि पावन पर्व पर जहरीले रासायनिक रंगो से अपने स्वास्थ्य पर कुठाराघात न करें, बल्कि प्राकृतिक रंगों से होली खेलें| #VedicHoliHealthyHoli
https://twitter.com/ BajajrekhaRb/status/ 841939295535521792
https://twitter.com/
प्रेम चौधरी ने लिखा कि जहरीले रंगो के प्रयोग, शराब आदि पीने-पिलाने व कीचड़ आदि उछाल कर होली को विकृत रूप न दे! अपनाएँ #VedicHoliHealthyHoli
https://twitter.com/ premchaudhary_/status/ 969209215666606080
https://twitter.com/
नेहा लिखती है कि आज के इतने प्रदूषित वातावरण और रासायनिक रंगों के दुष्प्रभाव के कारण जो लोग होली खेलने से बचते है उनको वैदिक रीति से होली खेलनी चाहिये। त्योहार जीवन में आनन्द के लिए होते हैं ।
https://twitter.com/ Neha00436718/status/ 969208995822080000
https://twitter.com/
नीलेश ने लिखा कि वैदिक होली खेल होगा पानी का सदुपयोग,
वहीँ केमिकल से बने रंगों से होगा पानी का दुरूपयोग।
https://twitter.com/ nileshsshimpi/status/ 841507928012181504
वहीँ केमिकल से बने रंगों से होगा पानी का दुरूपयोग।
https://twitter.com/
मधु लिखती है कि वैदिक होली खेल होगा पानी का सदुपयोग, " मीडिया को जलन भी कम " क्यों की हिन्दू त्योहारों पर मीडिया को पर्यावरण की बड़ी चिंता होती है !
https://twitter.com/ ChaafekarMadhu/status/ 969208400386158592
https://twitter.com/
इस तरीके से हजारों यूजर बोल रहे थे कि हमको #आसारामजी #बापू ने बताया है कि केमिकल रंगों से घातक बीमारियाँ होती है और #पलाश आदि प्राकृतिक रूप से होली खलने से निरोगता, शांति बढ़ती है ।
#स्वास्थ्यप्रदायक #होली
रासायनिक रंगों का तन-मन पर बड़ा दुष्प्रभाव होता है । काले रंग में लेड ऑक्साइड पड़ता है, वह किडनी को खराब करता है । लाल रंग में कॉपर सल्फेट पड़ता है, वह कैंसर की बीमारी देता है । बैंगनी रंग से दमा और एलर्जी की बीमारी होती है । सभी रासायनिक रंगों में कोई-न-कोई खतरनाक बीमारी को जन्म देने का दुष्प्रभाव है ।
रासायनिक रंगों का तन-मन पर बड़ा दुष्प्रभाव होता है । काले रंग में लेड ऑक्साइड पड़ता है, वह किडनी को खराब करता है । लाल रंग में कॉपर सल्फेट पड़ता है, वह कैंसर की बीमारी देता है । बैंगनी रंग से दमा और एलर्जी की बीमारी होती है । सभी रासायनिक रंगों में कोई-न-कोई खतरनाक बीमारी को जन्म देने का दुष्प्रभाव है ।
लेकिन पलाश की अपनी एक #सात्त्विकता है । #पलाश के फूलों का रंग रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाता है । #गर्मी को पचाने की, सप्तरंगों व सप्तधातुओं को संतुलित करने की क्षमता पलाश में है । पलाश के फूलों से जो होली खेली जाती है, उसमें पानी की बचत भी होती है । रासायनिक रंगों को मिटाने के लिए कई बाल्टियाँ पानी लगता है । सूखा रंग, काला रंग या सिल्वर रंग लगायें तो उसको हटाने के लिए साबुन और पानी बहुत लगता है लेकिन पलाश के फूलों के रंग के लिए न कई बाल्टियाँ पानी लगता है न कई गिलास पानी लगता है । और #पलाश वृक्ष की गुणवत्ता सर्वोपरि है । पित्त और वायु मिलकर हृदयाघात (हार्ट-अटैक) का कारण बनता है लेकिन जिस पर पलाश के फूलों का रंग छिड़क देते हैं उसका पित्त शांत हो जाता है तो हार्ट-अटैक कहाँ से आयेगा ? वायुसंबंधी 80 प्रकार की बीमारियों को भगाने की शक्ति इस पलाश के रंग में है ।
रासायनिक रंगो के नुकसान और प्राकृतिक रंग कैसे बनाये लिंक पर क्लिक करके देखे
https://youtu.be/DMVf3mo2Frs
https://goo.gl/A5jYna
https://youtu.be/DMVf3mo2Frs
https://goo.gl/A5jYna
होली पर नाचना, कूदना-फाँदना चाहिए जिससे जमे हुए कफ की छोटी-मोटी गाँठें भी पिघल जायें और वे ट्यूमर कैंसर का रूप न ले और कोई दिमाग या कमर का ट्यूमर भी न हो । तुम्हारे शरीर में जो कुछ अस्त-व्यस्तता है, वह गर्मी से तथा नाचने, कूदने-फाँदने से ठीक हो जाती है ।
पलाश के फूलों का रंग एक-दूसरे पर छिड़क के अपने चित्त को आनंदित व उल्लसित करना ।
#धुलेंडी के दिन पहले से ही शरीर पर नारियल या सरसों का तेल अच्छी प्रकार लगा लेना चाहिए, जिससे यदि कोई त्वचा पर रासायनिक रंग डाले तो उसका दुष्प्रभाव न पड़े और वह आसानी से छूट जाय। (स्त्रोत : ऋषि प्रसाद )
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