Tuesday, April 3, 2018

फेक न्यूज़ पर पत्रकारों की मान्यता रद्द की बात आते ही मीडिया व सेक्यूलर तिलमिला उठे

3 Apr 2018

🚩इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया ने आज स्वतंत्रता के नाम पर पैसे और टीआरपी के लिए कई बार झूठ परोसना चालू कर दिया है, कहीं की घटना कहीं पर दिखाने लगे हैं । किसी भी न्यूज को अपने फायदे के अनुसार तोड़-मरोड़ कर दिखाते हैं । आज तो डिजिटल युग है उसमें कुछ भी छेड़छाड़ करके दिखाया जाता है , मीडिया आज उसका भरपूर उपयोग कर रही है । उसमें भी कोई हिंदुत्व का मुद्दा हो या कोई हिंदुत्वनिष्ठ हो तो उसके खिलाफ तो झूठी कहानियाँ जमकर दिखाते हैं ।
Media and Secular Tales came in the wake
of the dissolution of journalists on Fake News

🚩झूठी खबरे दिखाने वाले पत्रकारों की मान्यता रद्द करने की गाइडलाइंस जारी करते ही हल्ला बोल शुरू हो गया, सबको पता है कि जब चोर पकड़ने वाला हो उससे पहले ज्यादा ही शोर मचता है ऐसे अभी जो शोर हो रहा है ऐसे ही हो रहा है जब पत्रकारों में सच्चाई है उनको तो किसी बात का डर ही नही होना चाहिए ।

🚩सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को पत्रकारों की मान्यता का संशोधित गाइडलाइन जारी किया। इसमें ‘Fake newa’ से निपटने के लिए कई नए प्रावधानों को शामिल किया गया है। इसमें पत्रकारों की मान्यता खत्म करने जैसे कड़े प्रावधान भी शामिल हैं ।

🚩सरकार की गाइडलाइन मंत्रालय द्वारा जारी बयान मुताबिक अब Fake news  के बारे में किसी तरह की शिकायत मिलने पर यदि वह प्रिंट मीडिया का हुआ तो उसे प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया (PCI) और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का हुआ तो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) को भेजा जाएगा। ये संस्थाएं यह तय करेंगी कि न्यूज Fake है या नहीं.’ यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसी शिकायत मिलने पर किसी पत्रकार को ज्यादा परेशानी न हो, शिकायत की प्रक्रिया को दोनों एजेंसियों के द्वारा 15 दिन के भीतर निपटाने की व्यवस्था होगी।

🚩इस बारे में खुद सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट पर एक प्रतिक्रिया में कहा है, ‘यह बताना उचित होगा कि Fake news के मामले पीसीआई और एनबीए के द्वारा तय किए जाएंगे, दोनों एजेंसियां भारत सरकार के द्वारा रेगुलेट या ऑपरेट नहीं की जाती हैं।’ 

🚩स्मृति ईरानी ने यह साफ करने की कोशिश की है कि ‘सरकार Fake news की जांच को रेगुलेट या ऑपरेट नहीं करेगी और इसके लिए जो नैतिक आचरण नियम तय किए जाएंगे, वे वही होंगे जो एनबीए और पीसीआई जैसी पत्रकारों की संस्थाओं के हैं।’ 

🚩वरिष्ठ पत्रकार सुहासिनी हैदर ट्वीट करती हैं, ‘ सरकार के आज के आदेश के मुताबिक सजा सिर्फ उन्हें मिलेगी जो मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें सिर्फ शिकायत के आधार पर ही दंड दे दिया जाएगा, अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। मुझे नहीं लगता कि यह उचित है Mam’. इस पर सफाई देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा, ‘कमिटी में वरिष्ठ अधिकारी, पीसीआई, एनबीए और आईबीएफ के प्रतिनिधि होंगे। जब तक कोई रेगुलेशन नहीं आ जाता, न्यूज पोर्टल्स के लिए नियम लागू नहीं किए जा सकते।’ 

🚩सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘यदि एजेंसियां (PCI या NBA) इस बात की पुष्ट‍ि कर देती हैं प्रकाशि‍त या प्रसारित समाचार Fake यानी फर्जी था, तो ऐसे Fake न्यूज को तैयार या प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार पत्रकारों की मान्यता पहली गलती पर छह माह के लिए निलंबित कर दी जाएगी। दूसरी गलती पर एक साल के लिए निलंबित और तीसरी गलती पर स्थायी रूप से ऐसे पत्रकारों की मान्यता खत्म कर दी जाएगी।’ 

🚩इसको लेकर मीडिया जगत में विरोध के सुर भी शुरू हो गए हैं। इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है। 

🚩हालांकि पीएमओ से निर्देश के बाद इन निर्देशों को वापस ले लिया गया है। असल में मौजूदा कानूनों में ही मीडियाकर्मियों द्वारा गुमराह करने वाले या झूठी खबरों पर अंकुश लगाने के पर्याप्त प्रावधान पहले से मौजूद हैं। प्रेस की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अखबारों के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) और टीवी चैनलों के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन (NBA) जैसे संगठन पहले से ही मौजूद हैं ।

🚩टीआरपी और पैसे के लिए मीडिया जब झूठी खबरे दिखाती है तब कोई नही बोलता है कि झूठी खबरे क्यो दिखाई जैसे ही उनपर लगाम कसने की बात शुरू किया तब हल्ला बोल शुरू कर दिया ।

🚩आज मीडिया की भूमिका अहम है लेकिन कई बार मीडिया ब्लैकमेलिंग का धंधा बनकर रह गई है वो भी हिन्दू संस्कृति को तोड़ने के लिए तो खास । आज की अधिकतर मीडिया देश, सनातन संस्कृति तोड़ने के लिए लगी हुई है ।

🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य सुरेश चव्हाणके ने कई बार बताया है कि अधिकतर मीडिया को # ईसाई मिशनरियों की वेटिकन सिटी और मुस्लिम देश जैसी की अरब, दुबई आदि से फंडिग होती है, जिससे वे हिन्दू संस्कृति तोड़ने के लिए हिन्दुओं की आस्था स्वरूप हिन्दू साधु-संतों के प्रति भारत की जनता के मन में नफरत पैदा करने का काम करते हैं । वे हिन्दुओं के मन में ये डालने का प्रयास करते हैं कि आपके धर्मगुरु तो अपराधी हैं आप हिन्दू धर्म छोड़कर हमारे धर्म में आ जाओ । ये उनकी थ्योरी है । जबकि वे मौलवी और ईसाई पादरियों के कुकर्म नही बताते ।

🚩अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने बताया कि 'मीडिया के लोग धरती पर मानव जाति में सबसे बेईमान हैं।' 

🚩सरकार को अब मीडिया पर लगाम लगाना जरूरी है नही तो स्वतंत्रता के नाम पर जनता को झूठ न परोसे ।

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Monday, April 2, 2018

दलित-मुस्लिम एकता का नारा लगाने वाले पहले जान ले डॉ अम्बेडकर के सिद्धांत को

2 Apr 2018
🚩आज बड़ी संख्या में दलित चिंतक हो गए हैं जिन्हें न तो दलित संस्कृति के बारे में जानकारी है न ही उनकी परंपरा का ज्ञान, एक मेधावी चिंतक विचारक महाराष्ट्र में डॉ भीमराव रामजी पैदा हुए वे इतने मेधावी थे कि उनके गुरु ने अपना गोत्र नाम दे दिया वे डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर हो गए ।इतने प्रतिभा संपन्न थे कि उनकी शिक्षा लन्दन में हो, बड़ोदरा राजा ने उन्हें क्षात्रवृति दिया और वे अपने गुरु के आशीर्वाद और वड़ोदरा राज़ की सहायता से भारत ही नहीं विश्व के ख्याति नाम चिंतक हो गए, वे विचारक थे भारत के दबे कुचले समाज के बारे में करुणा थी, उन्होंने कहा कि वैदिक काल में छुवा -छूत, भेद -भाव नहीं था ये इस्लामिक काल की देंन है, फिर क्या था वे बढ़ते गए संत कबीर के तरफ,
Before the slogan of the Dalit-Muslim unity,
 first take the theory of Dr. Ambedkar
वे बढ़ते गए संत रविदास की ओर, वे बढ़ते गए एतरेय ब्रह्मण के प्रवक्ता महिदास एतरेय की ओर , वे बढ़ते गए महर्षि बाल्मीकि की ओर, वे बढ़ते गए वैदिक ऋषि मामतेय दीर्घतमा, वैदिक ऋषि कवष ऐलूष की ओर, उनके अंदर हीन भावना  छू तक नहीं गयी थी ।

🚩डा अम्बेडकर ने कहा "हम मुसलमानों के साथ नहीं जा सकते क्योंकि मुसलमानों का भाई चारा केवल मुसलमानों के लिए है न की अन्य समाज के लिए" वे हमारे सीधे- साधे समाज को निगल जायेंगे हमारी परंपरा संस्कृति समाप्त हो जाएगी, हमारे वैदिक वांग्मय में छुवा छूत, भेद-भाव नहीं था ये इस्लामिक काल की देंन है हम इसी समाज में रहकर इसे दूर करेंगे उन्होंने कहा वेदों में जिन शुद्र का वर्णन है वे आज के शुद्र नहीं आज के शुद्र इस्लाम की देन है, भारतीय दर्शन की ही देन है कि दलित समाज में जाग्रति आयी है वे चौतरफा उन्नति कर रहे हैं वे उन सभी सुख सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं जिसे तथा कथित सवर्ण समाज कर रहा है हिन्दू समाज में भेद- भाव लगभग समाप्त सा हो गया है हाँ अभी गांव इससे उबर नहीं पा रहे हैं लेकिन उन्होंने राह पकड़ ली है हाँ कुछ राजनैतिक दल इसमे वाधा आज भी बने हुए हैं जिन्होंने 60-65 वर्षों तक शासन किया है वे इसके लिए जिम्मेदार हैं, जो दलितों के बारे में अधिक सहानुभूति दिखाते हैं जैसे वामपंथी दल, कोंग्रेस और बसपा आदि जो केवल बोलते है इनके लिए कुछ करते नहीं, क्या इन लोगो ने दलितों की उन्नति और विकास के लिए कुछ किया तो इसका उत्तर एक ही है कि कुछ भी नहीं--? कहीं दलित मुस्लिम एकता के नाम पर इन्हे देश विरोधी ताकतों के साथ जोड़ने का प्रयास तो नहीं ! भारत तेरे टुकड़े होंगे "इंशा अल्ला- इंशा अल्ला" का नारा लगाने वाले इस्लामवादी और वामपंथी दलित मुद्दों को हाईजैक कर कुछ दूसरा ही जामा पहनाने का प्रयत्न कर रहे हैं कई अतिवादी संगठन दलितों को हिन्दूवाद से बचाने के नाम पर भारत के खिलाफ जंग को भी न्यायसंगत बताने लगे हैं, इसी तरह 'चर्च तत्व' दलितों के खिलाफ होने वाले भेद-भाव के नाम पर भारत पर प्रतिबन्ध लगाने की पश्चिमी देशों मे मांग करते हैं इनसे सावधान रहने और इन्हे पहचानने की जरूरत है।    
🚩इसके उलटा जिसे दलित विरोधी सिद्ध किया जा रहा है (आरएसएस) इन्ही दलित, जन जातियों के बीच एक लाख से अधिक सेवा कार्य करता है जिसमे शिक्षा, संस्कार और स्वस्थ द्वारा उनके उन्नति व बराबरी का मार्ग प्रसस्त होता दिख रहा है, इस कारण केवल भाषण नहीं तो व्यवहार के द्वारा होना चाहिए, जहां देश के विकाश मे दलितों की सहभागिता है वहीं समाज मे समरसता हेतु लंबे संघर्ष का इतिहास भी है, आखिर वैदिक ऋषि दीर्घतमा, कवश एलुष, महर्षि वाल्मीकि, महिदास एतरेय, संत रविदास, संत कबीर दास और डा अंबेडकर, बाबु जगजीवन राम ने संघर्ष कर समाज मे उच्च स्थान प्राप्त किया उसका सिद्धान्त क्या था ? क्या ये इस्लाम मे हो सकता था या ईसाईयत मे संभव है तो नहीं -----! 
 "एकंसदविप्रा बहुधावदन्ती"
🚩 यह ऋग्वेद का मंत्र है जिसमे बहुदेव उपासना एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर को समर्पित होती है यहाँ भगवान ने हमे एक समान आगे बढ़ने प्रगति करने शास्त्रार्थ करने का अवसर दे लोकमत का भाव पैदा किया, देवता बहुत हो सकते हैं उसकी शक्तियाँ विविध हो सकती हैं किन्तु वे एक ही परमशक्ति के अधीन है यही एकम है, इसी को भगवान कृष्ण ने गीता मे कहा तुम किसी प्रकार से किसी की पूजा करते हो वह हमे प्राप्त होता है, इसी आधार पर हिन्दू धर्म मे मत, पंथ, संप्रदाय, दर्शन तथा विचार विकसित हुए, वे सभी इसी ऋग्वेद, गीता से प्रेरित हैं, मौलिक सिद्धान्त "एक विराट पुरुष" की संकल्पना जो सदैव जोड़ने तथा गंगाजी के समान शुद्ध रहने की प्रक्रिया, इसी कड़ी को हमारे चिंतकों ने आगे बढ़ाते हुए कहा -
सर्वेभवन्तु सुखिना सर्वेसन्तु नीरामया।
सर्वेभद्राणी पश्यंतु माकश्चित दुख भागभवेत॥
🚩महर्षि दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि यह कोई कामना नहीं है वरन ईश्वर का निर्देश है कि सबसे सुखी वही व्यक्ति होगा जो अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरों को सुखी देखने मे लगा देता है, यही हिन्दू धर्म की सर्वमान्य, सर्व कल्याणकारी भावना है इसी का अनेक प्रकार से भारत के सभी दर्शन व सभी धार्मिक ग्रन्थों मे प्रतिपादित किया गया है।
🚩गीता मे भगवान कहते हैं -
"ते प्राप्नुवंति मामेव सर्वभूतहिते रताः" ॥ (गीता 12-4)  
🚩अर्थात "सभी की भलाई मे जो रत हैं वे मुझको ही प्राप्त होते हैं", इसी भाव को वेदब्यास ने भी अपने शब्दों मे व्यक्त किया है "परोपकारा पुण्याय पापाय परपीडनम" दूसरों पर उपकार करना ही पुण्य तथा दूसरे को दुख देना ही पाप है, स्वामी विवेकानंद कहते हैं सब जग सुखी रहे ऐसी दृढ़ इच्छा शक्ति रखने से हम सुखी होते हैं, गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं "परहित सरिस धर्म नहिं भाई", यही हिन्दू धर्म है इससे विकसित स्वरूप को हिन्दू संस्कृति कहते हैं।
कहीं कोई भेद नहिं -
🚩ईशा वास्यमिद सर्व यत्किंचित जगत्यान जगत।
तेन तक्तेन भूञ्जिथामा गृधह कस्य स्विद्धनम ॥
🚩अर्थात सम्पूर्ण जगत मे ईश्वर व्याप्त है ईश्वर को साथ रखते हुए त्याग पूर्ण इसका उपयोग करो इसमे आसक्त मत होवों भारतीय दर्शन के इस मंत्र की प्रथम पंक्ति ने ही मानवीय समाज रचना के ताने-बाने की आधार शिला रख दी। ऋषि यज्ञवल्क्य इसी विचार को "एष त आत्मा सर्वातरा" (बृहदारण्यकों उपनिषद 3-4-2) अर्थात जो आत्मा मेरे अंदर है वही सभी के अंदर है "सम सर्वेषु तिश्ठंत परमेश्वरम" (गीता 13-27) अर्थात सभी के अंदर ईश्वर संभव से विराजमान है इसी सत्य को बारंबार ग्रन्थों मे ऋषियों ने कहा है ।
 "ते अज्येष्ठा अकनिष्ठास उद्भिदों मध्यमासों महसा वि वावृधु"॥ (ऋग्वेद 5-59-6)   
🚩अर्थात पृथ्वी पुत्रों मे उनमे -हममे कोई श्रेष्ठ नहीं कोई कनिष्ठ नहीं वे हम समान हैं मिलकर अपनी अपनी उन्नति करते हैं एक कदम और आगे चलकर ऋषि कहते हैं हम सभी भाई रूप मे एक दूसरे को आगे बढ़ाते हैं, इसी मानवता व स्वतन्त्र विचार को लेकर आदि काल से हिन्दू समाज को बिना किसी विकृति के आगे बढ़ता रहा और बीच के काल मे जब बौद्ध विचार बढा तो सभी ग्रन्थों का लोप प्राय हो गया प्रतिकृया मे ऋषि विचार को भ्रमित करने का प्रयास किया गया परिणाम देश गुलामी के आगोश मे आ गया, इस्लामिक काल मे जो धर्म रक्षक थे उन्हे ही पद्दलित करने का प्रयास किया गया।   
एकता की विचित्र बातें
🚩"दलित मुस्लिम भाई-भाई हिन्दू जाती कहाँ से आयी"- "इस्लाम जिंदावाद, अंबेडकर जिंदवाद" के पोस्टर लगाने वाले संगठन क्या इस्लाम और मुस्लिम राजनीति को लेकर अंबेडकर की लेखनी पर अपना विचार स्पष्ट करेंगे--! अगर दलित संगठन यह मानते हैं कि अंबेडकर द्वारा दिखाये गए "धम्म मार्ग" भारत के लिए उचित है तो वे कभी इसे लेकर मुस्लिम समाज मे क्यों नहीं गए ? अंबेडकर ने स्पष्ट लिखा है कि इस्लाम ने ही भारत वर्ष से "बौद्ध धर्म" का सम्पूर्ण विनाश किया था मध्य काल मे इस्लामी हमलों ने बड़े पैमाने पर "बौद्ध मठों" और "विहारों" का विध्वंश किया और बौद्ध जनता का जबरन धर्मांतरण भी, क्या उनकी ओर से यह बताया जायेगा कि भारत के विभाजन पर अंबेडकर, सरकार और आरएसएस के विचारों मे कितना अंतर है-----?
🚩दरअसल दलित-मुस्लिम एकता की पुरी राजनीति ही अंबेडकर के "प्रबुद्ध भारत" की कल्पना के विरुद्ध है इसमे विदेशी और चर्च का षडयंत्र दिखाई देता है, ऐसे विचार डॉ अंबेडकर के विचारों का हनन भी है, क्या किसी पठान, शेख और सैयद के दरवाजे पर कोई छोटी जाती का मुसलमान बैठने को पाता है--! शिया को सुन्नी की मस्जिद मे जाने नहीं देता, तो बहाई को किसी शिया मस्जिद मे, इतना ही नहीं किसी भी पठान की मस्जिद मे कोई जुलाहा, धुनिया व अन्य मुसलमान जा सकता है क्या-? गया के अंदर एक ह्वाइट हाउस मस्जिद है जहां जो भूमिहार से मुसलमान हुए हैं वही जा सकते हैं, यह केवल ऊपर से दिखाई देने वाली बात है आज असली मुसलमान होने का युद्ध जारी है सभी असली खलीफा बनने के लिए आतंकवाद मे विश्व को झोकने को तैयार हैं वे दलितों के साथ क्या न्याय करेंगे-?
🚩क्या दलित मुस्लिम एकता संभव है?
🚩वास्तविकता यह है की ये दलित नहीं ये तो धर्म रक्षकों की संताने हैं यही बात बार-बार डा आबेड़कर ने कही है क्या उसे नजरंदाज किया जा सकता है--! कहीं ऐसा तो नहीं-- "एक बार महात्मा गांधी ने अली वंधुओं से पूछा की हिन्दू मुस्लिम एकता कैसे हो सकती है तो आली वंधुओं ने उत्तर दिया जिस दिन सभी हिन्दू इस्लाम स्वीकार कर लेंगे उसी दिन हिन्दू मुस्लिम एकता हो जाएगी", ये सेकुलर प्रतिकृया वादी नेता कहीं दलित-मुस्लिम एकता के नाम पर उन्हे अपने पूर्वजों व अपनी संस्कृति से दूर तो नहीं करने चाहते, इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है, आज नए-नए दलित चिंतक पैदा हो गए हैं जिनहे अपनी संस्कृति का ज्ञान नहीं है वे केवल प्रतिकृया मे हैं आज भूमंडलीकरण के दौर मे वह अपने मानवीय सम्मान के प्रति सजग और सचेत है किसी भी जातीय श्रेष्ठता को अस्वीकार करता है मध्यम मार्ग पर चलकर सभी मे मानवीय (हिन्दुत्व) संवेदना का आलंगन करने को आतुर है। 
धर्म रक्षकों की सन्तानें-
🚩हम सभी को ज्ञान होना चाहिए कि वैदिक कल मे ही नहीं बल्कि महाभारत काल मे ये जातियाँ नहीं थी उन शास्त्रों मे वंश का वर्णन मिलता है इस्लामिक हमले मे जो जातियाँ धर्म रक्षक थी वही काल के गाल मे समा गईं मंदिरों की रक्षा व पूजा का भार क्षत्रियों व पुरोहितों का था वे पराजित हुए उन्हे या तो "इस्लाम स्वीकार करो या मैला उठाओ" उन्होने धर्म बचाया वे मुस्लिम दरबार मे काम करते थे लेकिन उनका छुवा पानी भी नहीं पीते थे धीरे-धीरे वे अछूत हो गए उनका मान भंग हुआ भंगी कहलाए, संत रविदास "चमरशेन वंश" के राज़ा थे स्वामी रामानन्द के शिष्य सन्यासी थे दिल्ली शासक सिकंदर लोदी से संघर्ष मे पराजित लेकिन भारत मे सर्वमान्य साधू सर्वाधिक शिष्य थे इनके पास, सिकंदर लोदी ने सदन कसाई को रविदास के पास मुसलमान बनाने हेतु भेजा वे इस्लाम नहीं स्वीकार करने की सज़ा चांडाल घोषित उनके शिष्यों ने भी स्वयं को चांडाल घोषित कर लिया "चांडाल" का अपभ्रंश "चमार" हो गया धीरे-धीरे वे अछूत हो गए लेकिन धर्म नहीं छोड़ा, बिहार मे पासवान जाती के लोग हैं वे गहलोत क्षत्रिय हैं गयाजी के "विष्णुपाद मंदिर" की सुरक्षा हेतु 'राणा लाखा' के नेतृत्व मे आए थे यहीं बस गए मुसलमानों से सुरक्षित हेतु 'सुअर' पालना शुरू कर दिया लड़की की विदाई के समय मुगलों के डर डोली मे छौना रखते वे धीरे धीरे पददलित हो गए और गहलौत से वे 'दुसाद' कहलाए, अछूत होना स्वीकार किया धर्म नहीं छोड़ा, वैदिक काल मे ऋषि दीर्घतमा, कवष एलुष, एतरेय महिदास आगे आए तो जहां त्रेतायुग (रामायण काल) मे महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखकर हिंदुधर्म की रक्षा की, वहीं द्वापर- कलयुग के संधि काल (महाभारत काल) मे वेदव्यास ने महाभारत एवं पुराणों को लिख धर्म की रक्षा की, इसी परंपरा की रक्षा करते हुए संत रविदास तथा संत कबीरदास समाज को जागृत कर खड़ा किया। 
🚩स्वामी दयानन्द सरस्वती की राह को आसान करते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक विकृतियों को दूर करते देश के राष्ट्रिय चरित्र को उजागर किया, उन्होने कहा ''मै ईसाई और इस्लाम मत नहीं स्वीकार करुगा नहीं तो हमारी निष्ठा भारत के प्रति न होकर मक्का, मदीना और योरूशलम हो जाएगी इस कारण मै अपने भारतीय धर्म को स्वीकार करता हूँ", दलित मुस्लिम एकता की बात करने वालों को सबसे अंबेडकर, बाबू जगजीवन राम को पढ़ना समझना चाहिए, "बंगाल मे एक दलित नेता हो गये योगेंद्र नाथ मण्डल जिन्हे डॉ अंबेडकर की वह बात समझ मे नहीं आई जिसमे उन्होने कहा था कि मुसलमानों का भाई चारा केवल आपस यानि मुसलमानों के लिए ही है न कि अन्य समाज के लिए, प्रतिक्रीया मे उन्होने (योगेंद्र मण्डल) ने दलित मुस्लिम एकता कि बात कि और बहुत सारे दलित पिछडी जतियों के लोगो को पाकिस्तान मे रहने का आवाहन किया परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या मे (25%) आज के बंगलादेश मे रह गये उन्होने इस्लाम कि प्रकृति को नहीं समझा जिन्ना ने उन्हे पाकिस्तान का प्रथम कानून मंत्री होने का सौभाग्य प्रदान किया पाकिस्तान बनाते ही परिणाम क्या हुआ-? दलित पिछड़े गरीब हिंदुओं पर हमले शुरू हो गया उनकी बहन- बेटियाँ उठाई जाने लगीं 'योगेंद्र मण्डल' चिल्लाते रहे कोई सुनने वाला नहीं उनके कारण आज भी विश्व का सबसे दुखी मनुष्य बंगलादेशी हिन्दू है आखिर क्या हुआ-? योगेंद्र मण्डल का तीन वर्ष भी वे पाकिस्तान मे टिक नहीं पाये उन्होने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री "लियाकत अली" को एक बहुत भाउक पत्र लिखा और प बंगाल के एक गाँव मे जीवन भर पश्चाताप हेतु अनाम जिंदगी बिताई, लेकिन उनके कारण आज लाखों दलित हिन्दू बंगलादेश मे अपनी बहन- बेटियों की इज्जत और जिंदगी बचाने की भीख मांग रहा है", इस विषय पर दलित चिंतकों को विचार करना चाहिए कि ये दीर्घतमा, कवष एलुष, वाल्मीकि, संत रविदास, संत कबीरदास, भीमराव अंबेडकर और बाबू जगजीवन राम की सन्तानें है जो अपने पूर्वजों को कलंकित नहीं होने देंगे, देश के तोड़क नहीं रक्षक साबित होंगे ॥
स्त्रोत : dirghtama.in
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Sunday, April 1, 2018

संत जेवियर्स के रक्त रंजित इतिहास को बहुत कम लोग जानते है, जानकर करेंगे नफरत

1 Apr 2018
🚩इतिहास की एक अनजानी पर हृदय द्रावक घटना है 500 साल पहले गोवा में कुमुद राजा का शासन चलता था। राजा कुमुद को जबरजस्ती से हटा कर पोर्तुगीज ने गोवा को अपने कब्जे में कर दिया।
Very few people know the history of St. Xavier's
 blood-stained history, will hate knowing

🚩पुर्तगल सेना के साथ केथलिक पादरी भी धर्मान्तरण करने के लिए बड़ी संख्या में हमला किया। हर गाँव में लोगो को धमकी और जबरन ईसाई बनाते पादरी गोवा के पूरे शहर पर कब्जा किया। जो लोग चलने के लिए तैयार नहीं होते उनको क्रूरता से मार दिया जाता।
🚩जैनधर्मी राजा कुमुद और गोवा के सारे 22 हजार जैनों को भी धर्म परिवर्तन करने के लिए ईसाई ने धमकी दे दी कि 6 महीनों में जैन धर्म छोड़ कर ईसाई धर्म स्वीकार कर दो अथवा मरने के लिए तैयार हो जाओ राजा कुमुद और भी जैन मरने के लिए तैयार थे परंतु धर्म परिवर्तन के लिए हरगिज राजी नहीं थे।
🚩छः महीने के दौरान ईसाई जेवियर्स ने जैनों का धर्म परिवर्तन करने के लिए साम-दाम, दंड-भेद जैसे सभी प्रयत्न कर देखे । तब एक जैन ईसाई बनने के लिए तैयार नहीं हुआ। तब क्रूर जेवियर्स पोर्तुगीझ लश्कर को सभी का कत्ल करने के लिए सूचन किया। एक बड़े मैदान में राजा कुमुद और जसिं धर्मी श्रोताओं, बालक-बालिकाओं को बांध कर खड़ा कर दिया गया। एक के बाद एक को निर्दयता से कत्ल करना शुरू किया। ईसाई  जेवियर्स हस्ते मुख से संहरलीला देख रहा था। ईसाई बनने के लिए तैयार न होनेवालों के ये हाल होंगे। यह संदेश जगत को देने की इच्छा थी। बदले की प्रवृति को वेग देने के लिए ऐसी क्रूर हिंसा की होली जलाई थी।
🚩केथलिक ईसाई धर्म के मुख्य पॉप पोल ने ईसाई पादरी जेवियर्स के बदले के कार्य की प्रसंशा की और उसके लिए उसने बहाई हुई खून की नदियों के समाचार मिलते पॉप की खुशी का अंत नहीं रहा। जेवियर्स को विविध इलाक़ा देकर सम्मान किया। जेवियर्स ने सेंट जेवियर्स के नाम से घोषित किया और भारत में शुरू हुई अंग्रेजी स्कूल और कॉलेजों की श्रेणी में सेंट जेवियर्स का नाम जोड़ने में आया। आज भारत में सबसे बड़ा स्कूल नेटवर्क में सेंट जेवियर्स है।
🚩हजारों जैनों और हिंदुओं के खून से पूर्ण एक क्रूर ईसाई पादरी के नाम से चल रही स्कूल में लोग तत्परता से डोनेशन की बड़ी रकम दे कर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज रहें है। कैसे करुणता है। और जेवियर्स कि बदले की वृत्ति  को पूर्ण समर्थन दे रहे पाटुगिझो को पॉप ने पूरे एशिया खंड के बदले की वृत्ति के सारे हक दे दिए। धर्म परिवर्तन प्राण की बलि देकर भी नहीं करने वाले गोवा के राजा कुमुद और बाईस हजार धर्मनिष्ठ जैनों का ये इतिहास जानने के बाद हम इससे बोध पाठ लेने जैसा है। आज की रहन-सहन में पश्चिमीकरण ईसाईकरण का प्रभाव बढ़ रहा है। भारत की तिथि-मास भूलते जा रहें है। अंग्रेजी तारीख पर ही व्यवहार बढ़ रहा है। भारतीय पहेरवेश घटता जा रहा है ।पश्चिमीकरण की दीमक हमें अंदर से कमज़ोर कर रही है। धर्म और संस्कृति रक्षा के लिए फनाहगिरी संभाले । स्त्रोत : ह्रदय परिवर्तन  दिसम्बर 2017
🚩ईसाई धर्म तो ऊपर से देखने पर एक सभ्य, सुशिक्षित एवं शांतिप्रिय समाज लगता हैं।  जिसका उद्देश्य ईसा मसीह की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार एवं निर्धनों व दीनों की सेवा-सहायता करना हैं। इस मान्यता का कारण ईसाई समाज द्वारा बनाई गई छवि है।
🚩भारत में तो ईसाई मिशनरियां खुल्लेआम धर्मान्तरण करवा रही है, हिन्दू देवी-देवताओं को गालियां बोल रही है, हिन्दू साधु-संतों को जेल में भिजवा रही है, कान्वेंट स्कूलों में भारत माता की जय बोलने से मना कर रही है, मेहंदी नही लगाने देती, हिन्दू त्यौहार मनाने को मना करती है, यहाँ तक कि हिन्दू त्यौहारों पर भी छुट्टियां नही दी जाती हैं और भारत माता की जय बोलने और हिन्दू त्यौहार मनाने पर उनको स्कूल से बाहर किया जाता है फिर भी सरकार उनपर कोई कार्यवाही नही करती है ।
🚩मीडिया में भी ईसाई मिशनरियों का भारी फंडिग रहता है इसलिए मीडिया चर्च के पादरी कितने भी दुष्कर्म करें, उनके खिलाफ नही दिखाती जबकि कोई हिन्दू साधु-संत पर झूठा आरोप भी लग जाता है तो उसपर 24 घण्टे खबरें चलाती है।
🚩भारत मे हिन्दुओं के खिलाफ इतना अत्याचार ईसाई मिशनरियां द्वारा हो रहा फिर भी कोई हिन्दू कुछ बोल नही रहा है और ये मिशनरियां ट्रंप के सामने घुटने टेकने लगी हैं की उनपर ही अत्याचार हो रहा है।
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