Tuesday, May 1, 2018

जानिए आसाराम बापू को जेल भेजना क्यों जरूरी था?

🚩 #हिन्दू संगठन #संस्कृति रक्षक #संघ द्वारा समय-समय पर कई किताबें #प्रकाशित की गई हैं, उसमें एक #किताब है जिसका नाम है "#आसारामजी बापू खतरा या साजिश"  उस #किताब में एक #टाइटल लिखा है कि #संत #आसारामजी को जेल भेजना बहुत जरूरी था !!!
🚩#किताब में लिखा है कि खइचठ रिपोर्ट के अनुसार ‘भारत में किसी भी #गरीब को #ईसाई बनाने का #खर्च #दुनिया के किसी विकसित #देश के मुकाबले 700 गुणा सस्ता है । #भारत पोप के लिए सबसे सस्ता बाजार है । हिन्दू #संत #आसाराम बापू के #सत्संग व बढ़ते #सेवाकार्यों से यह बाजार महँगा होता जा रहा था । #धर्मान्तरण में #तेजी लाने के लिए हिन्दू #संत आसाराम बापू को #जेल भेजकर उनका #प्रभाव #कम करना बहुत #जरूरी #हो गया था ।
🚩#चाकू, छुरा व गोलियों से भून दिया :
🚩#बापू के कई विरोधियों में से सात को गोलियों से भून दिया गया जिसमें तीन मरे, चार बच गये तथा दूसरे एक के ऊपर तेजाब से व दो के ऊपर चाकू से हमला किया गया।
🚩मरने/मारने वाली #षड्यंत्रकारियों की #टीम का एक सदस्य भोलानंद गुप्ता जो पुलिस के हाथों लगा, उसने #सच्चाई बता दी कि हमारी #टीम के लोगों का यह कहना था कि ‘#देखो गुप्ता जी आप फंसते हो या हम में से कोई भी अगर पकड़ा गया तो हम एक दूसरे को गोली मार देंगे या चाकू से वार कर देंगे, ऐसा कुछ हम करवा देंगे जिससे केस पूरा #बापू पर आ जाएँ ।
🚩होता भी ऐसा ही रहा । हर सम्भव प्रयास #मीडिया द्वारा #बापू को दोषी बनाने का किया गया तथा #आश्रम वालों पर भी केस किये गए ।
🚩#संत #आसारामजी का खतरनाक #मिशन #धर्मान्तरण को #रोकना !!
🚩#संत #आसारामजी #बापू के वक्ताओं द्वारा प्रतिवर्ष #हजारों #सत्संग कार्यक्रम, 1200 #भजन मंडली, प्रति माह 17 लाख #ऋषि प्रसाद व 3 लाख #लोक कल्याण पत्रिका का प्रकाशन तथा प्रति #वर्ष 4,000 #संकीर्तन यात्रायें निकाली जाती हैं । बच्चों को सुसंस्कारी बनाने के लिए 17000 बाल संस्कार खोले, कत्लखाने जाती गाये बचाकर अनेक गौशालायें खोली, वैदिक पद्धति के अनुसार अनेक गुरुकुल खोले,  उनके सैकडों #आश्रमों में #आयुर्वेदिक, #होमियोपैथिक, #एक्युप्रेशर आदि की #चिकित्सा की जाती है तथा #गाँव-गाँव में #गरीबों आदिवासियों में #निःशुल्क #चिकित्सा-शिविर आयोजित होते हैं तथा कई चल-चिकित्सालय चलते हैं ।
🚩#उड़ीसा, #गुजरात, #मध्य प्रदेश,#छत्तीसगढ, #महाराष्ट्र आदि #राज्यों के सबसे #गरीब इलाकों में गरीबों, #अनाश्रितों एवं विधवाओं के लिए #बापू के #आश्रम द्वारा राशन कार्ड दिये गये हैं । जिससे उन्हें हर माह #अनाज व जीवन उपयोगी वस्तुओं की निःशुल्क सामग्री मिलती है ।
🚩#संत #आसारामजी की ‘#भजन करो #भोजन करो व #रोजी पाओ" #योजना के तहत जिनकी आय कम है अथवा खाली बैठे वृद्धों व परिवारजनों के लिए सुबह से शाम तक #भगवन्नाम जप, #सत्संग, #कीर्तन करवाकर #भोजन व रोजी ( 50 से 80 रुपया प्रतिदिन) दी जाती है । #संत #आसारामजी #बापू ऐसी अनेकों योजनायें चलाकर #ईसाई धर्मान्तरण को रोकते हैं ।
🚩 #विदेशी कम्पनियों को उखाड फेंकना !!
🚩अगर #बापू आसारामजी के #चार #करोड़ #शिष्य व अनुयायी 50 सालों तक शराब व सिगरेट नहीं पीते हैं तो 37 लाख 64,000 करोड़ रुपयों का #शराब कम्पनियों को #घाटा, 22 लाख 72,000 करोड़ रुपयों का #सिगरेट कंपनियों को #घाटा होता है ।
🚩‘#वेलेन्टाइन डे से जुड़े सप्ताह के दौरान #चॉकलेट, फूल, ग्रीटिंग आदि विभिन्न उपहारों की बिक्री के कारोबार में भी #करोड़ों रुपयों का #नुकसान होता है । ऐसे ही #गुटका, #ब्लू #फिल्म, #अश्लील सामान आदि बनाने वाली #कम्पनियों का भी यही हाल है । यदि इन सभी आंकडों को जोड़ा जाय तो #कई सौ लाख करोड़ रुपये हो जाते है। उनके इतने बडे नुकसान की वजह सिर्फ हिन्दू #संत #आसारामजी हैं ।
🚩 #पाश्चात्य #संस्कृति को रोकना !!
नये #त्यौहार बनाना !!
🚩 #संत #आसारामजी ने सन् 2006 से 14 फरवरी को ‘#वेलेन्टाइन डे की #जगह ‘#मातृ-पितृ पूजन दिवस #मनाना शुरु करवाया । इसका ऐसा प्रचार हुआ कि मानो ‘#वेलेन्टाइन डे को #उखाड़ने का ताँडव शुरु हो गया हो । #मलेशिया, #ईरान, #सउदी अरब, #इंडोनेशिया,#जापान, आदि #देशों ने #वेलेन्टाइन डे पर #प्रतिबंध लगा दिया। ‘#मातृ-पितृ पूजन दिवस #विश्वव्यापी हो गया है जिससे #ईसाई जगत में बहुत बड़ी खलबली मच गई ।
🚩इस #बाबा ने #जेल में रहते हुए भी 25 दिसम्बर को ‘#क्रिसमस डे की #जगह‘#तुलसी पूजन दिवस के नये #त्यौहार का प्रचार प्रसार अपने #शिष्यों से करवाया । #धर्मान्तरण करने वाला #ईसाई जगत #बाबा के जेल में जाने के बाद भी परेशान है ।
🚩इन सभी को लेकर #बापू #आसारामजी को #जेल भेजना जरूरी था, #नही तो #ईसाई मिशनरियों का #हिन्दुओं का धर्मान्तरण करवाना #मुश्किल हो जाता और #विदेशी कम्पनियाँ #ठप हो जाती ।
🚩#अब तो आप #समझ ही गये होंगे कि #भारत #विरोधियों द्वारा #संत #आसारामजी बापू को #जेल भेजना कितना जरूरी था ।
🚩 लेकिन ये भी बता दें कि #हिन्दू समाज जो सोया है और #विदेशी ताकतों के खिलाफ आवाज नही उठा रहा है तो एक के बाद एक #संत जेल में भेजे जायेगे और #बाद में हम सभी को #पछतावा ही हाथ लगने वाला है ।
🚩क्योंकि #हिन्दू संस्कृति ही नही बचेगी तो फिर #हिंदुओं का विनाश तो सुनिश्चित है इसलिए अभी भी समय है ।
🚩समय पर चेत जावो और #हिन्दू संतों पर हो रहे #कुठाराघात के #खिलाफ एक होकर #आवाज बुलंद करो ।
🚩 { आसारामजी बापू खतरा या साजिश किताब से }
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Sunday, April 29, 2018

अभी जिन संतों पर आरोप लग रहे हैं उनके भक्त दुःखी न हो, भगवान बुद्ध के साथ भी यही हुआ था

🚩कपिलवस्तु के राजा #शुद्धोदन का युवराज था सिद्धार्थ! यौवन में कदम रखते ही #विवेक और #वैराग्य जाग उठा। युवान पत्नी #यशोधरा और नवजात शिशु #राहुल की मोह-ममता की रेशमी जंजीर काटकर महाभीनिष्क्रमण (गृहत्याग) किया। एकान्त अरण्य में जाकर गहन ध्यान साधना करके अपने साध्य तत्त्व को प्राप्त कर लिया।
🚩एकान्त में तपश्चर्या और ध्यान साधना से खिले हुए इस आध्यात्मिक कुसुम की मधुर सौरभ लोगों में फैलने लगी। अब #सिद्धार्थ भगवान #बुद्ध के नाम से जन-समूह में प्रसिद्ध हुए। हजारों हजारों लोग उनके उपदिष्ट मार्ग पर चलने लगे और अपनी अपनी योग्यता के मुताबिक #आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ते हुए #आत्मिक शांति प्राप्त करने लगे। असंख्य लोग बौद्ध भिक्षुक बनकर भगवान बुद्ध के सान्निध्य में रहने लगे। उनके पीछे चलने वाले अनुयायियों का एक संघ स्थापित हो गया।
🚩चहुँ ओर नाद गूँजने लगे :
बुद्धं शरणं गच्छामि।
धम्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि।

The devotees of the saints who are now being accused
of this should not be sad, this happened even with Lord Buddha

🚩श्रावस्ती नगरी में भगवान बुद्ध का बहुत यश फैला। लोगों में उनकी जय-जयकार होने लगी। लोगों की भीड़-भाड़ से विरक्त होकर बुद्ध नगर से बाहर जेतवन में आम के बगीचे में रहने लगे। नगर के पिपासु जन बड़ी तादाद में वहाँ हररोज निश्चित समय पर पहुँच जाते और उपदेश-प्रवचन सुनते। बड़े-बड़े राजा महाराजा भगवान बुद्ध के सान्निध्य में आने जाने लगे।
🚩समाज में तो हर प्रकार के लोग होते हैं। अनादि काल से दैवी सम्पदा के लोग एवं #आसुरी सम्पदा के लोग हुआ करते हैं। बुद्ध का फैलता हुआ यश देखकर उनका तेजोद्वेष करने वाले लोग जलने लगे। संतों के साथ हमेशा से होता आ रहा है ऐसे उन #दुष्ट तत्त्वों ने #बुद्ध को #बदनाम करने के लिए #कुप्रचार किया। विभिन्न प्रकार की युक्ति-प्रयुक्तियाँ लड़ाकर बुद्ध के यश को हानि पहुँचे ऐसी बातें समाज में वे लोग फैलाने लगे। #उन दुष्टों ने अपने #षड्यंत्र में एक #वेश्या को #समझा-बुझाकर #शामिल कर लिया।
🚩वेश्या बन-ठनकर जेतवन में भगवान बुद्ध के निवास-स्थान वाले बगीचे में जाने लगी। धनराशि के साथ दुष्टों का हर प्रकार से सहारा एवं प्रोत्साहन उसे मिल रहा था। रात्रि को वहीं रहकर सुबह नगर में वापिस लौट आती। अपनी सखियों में भी उसने बात फैलाई।
🚩लोग उससे पूछने लगेः "अरी! आजकल तू दिखती नहीं है?कहाँ जा रही है रोज रात को?"
🚩"मैं तो रोज रात को जेतवन जाती हूँ। वे बुद्ध दिन में लोगों को उपदेश देते हैं और रात्रि के समय मेरे साथ रंगरलियाँ मनाते हैं। सारी रात वहाँ बिताकर सुबह लौटती हूँ।"
🚩वेश्या ने पूरा स्त्रीचरित्र आजमाकर #षड्यंत्र करने वालों का साथ दिया । लोगों में पहले तो हल्की कानाफूसी हुई लेकिन ज्यों-ज्यों बात फैलती गई त्यों-त्यों लोगों में जोरदार विरोध होने लगा। लोग बुद्ध के नाम पर फटकार बरसाने लगे। बुद्ध के भिक्षुक बस्ती में भिक्षा लेने जाते तो लोग उन्हें गालियाँ देने लगे। बुद्ध के संघ के लोग सेवा-प्रवृत्ति में संलग्न थे। उन लोगों के सामने भी उँगली उठाकर लोग बकवास करने लगे।
🚩बुद्ध के शिष्य जरा असावधान रहे थे। #कुप्रचार के समय साथ ही साथ सुप्रचार होता तो कुप्रचार का इतना प्रभाव नहीं होता। 
🚩शिष्य अगर निष्क्रिय रहकर सोचते रह जायें कि 'करेगा सो भरेगा... भगवान उनका नाश करेंगे..' तो कुप्रचार करने वालों को खुल्ला मैदान मिल जाता है।
🚩#संत के #सान्निध्य में आने वाले लोग #श्रद्धालु, #सज्जन, #सीधे सादे होते हैं, जबकि #दुष्ट प्रवृत्ति करने वाले लोग #कुटिलतापूर्वक #कुप्रचार करने में #कुशल होते हैं। फिर भी जिन संतों के पीछे सजग समाज होता है उन संतों के पीछे उठने वाले कुप्रचार के तूफान समय पाकर शांत हो जाते हैं और उनकी सत्प्रवृत्तियाँ प्रकाशमान हो उठती हैं।
🚩कुप्रचार ने इतना जोर पकड़ा कि बुद्ध के निकटवर्ती लोगों ने 'त्राहिमाम्' पुकार लिया। वे समझ गये कि यह व्यवस्थित आयोजन पूर्वक षड्यंत्र किया गया है। बुद्ध स्वयं तो पारमार्थिक सत्य में जागे हुए थे। वे बोलतेः "सब ठीक है, चलने दो। व्यवहारिक सत्य में वाहवाही देख ली। अब निन्दा भी देख लें। क्या फर्क पड़ता है?"
🚩शिष्य कहने लगेः "भन्ते! अब सहा नहीं जाता। संघ के निकटवर्ती भक्त भी अफवाहों के शिकार हो रहे हैं। समाज के लोग अफवाहों की बातों को सत्य मानने लग गये हैं।"
🚩बुद्धः "धैर्य रखो। हम पारमार्थिक सत्य में विश्रांति पाते हैं। यह #विरोध की #आँधी चली है तो शांत भी हो जाएगी। समय पाकर सत्य ही बाहर आयेगा। आखिर में लोग हमें जानेंगे और मानेंगे।"
🚩कुछ लोगों ने अगवानी का झण्डा उठाया और राज्यसत्ता के समक्ष जोर-शोर से माँग की कि बुद्ध की जाँच करवाई जाये। लोग बातें कर रहे हैं और वेश्या भी कहती है कि बुद्ध रात्रि को मेरे साथ होते हैं और दिन में सत्संग करते हैं।
🚩बुद्ध के बारे में जाँच करने के लिए राजा ने अपने आदमियों को फरमान दिया। अब षड्यंत्र करनेवालों ने सोचा कि इस जाँच करने वाले पंच में अगर सच्चा आदमी आ जाएगा तो #अफवाहों का सीना चीरकर सत्य बाहर आ जाएगा। अतः उन्होंने अपने #षड्यंत्र को आखिरी पराकाष्ठा पर पहुँचाया। अब ऐसे ठोस सबूत खड़ा करना चाहिए कि बुद्ध की प्रतिभा का अस्त हो जाये।
🚩उन्होंने वेश्या को दारु पिलाकर जेतवन भेज दिया। पीछे से गुण्डों की टोली वहाँ गई। वेश्या के साथ बलात्कार आदि सब दुष्ट कृत्य करके उसका गला घोंट दिया और लाश को बुद्ध के बगीचे में गाड़कर पलायन हो गये।
🚩लोगों ने #राज्यसत्ता के द्वार खटखटाये थे लेकिन सत्तावाले भी कुछ #लोग दुष्टों के साथ #जुड़े हुए थे। ऐसा थोड़े ही है कि सत्ता में बैठे हुए सब लोग दूध में धोये हुए व्यक्ति होते हैं।
🚩राजा के अधिकारियों के द्वारा जाँच करने पर वेश्या की लाश हाथ लगी। अब दुष्टों ने जोर-शोर से चिल्लाना शुरु कर दिया।
🚩"देखो, हम पहले ही कह रहे थे। वेश्या भी बोल रही थी लेकिन तुम भगतड़े लोग मानते ही नहीं थे। अब देख लिया न? बुद्ध ने सही बात खुल जाने के भय से वेश्या को मरवाकर बगीचे में गड़वा दिया। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। लेकिन सत्य कहाँ तक छिप सकता है? मुद्दामाल हाथ लग गया। इस ठोस सबूत से बुद्ध की असलियत सिद्ध हो गई। सत्य बाहर आ गया।"
🚩लेकिन उन मूर्खों का पता नहीं कि तुम्हारा बनाया हुआ कल्पित सत्य बाहर आया, वास्तविक सत्य तो आज ढाई हजार वर्ष के बाद भी वैसा ही चमक रहा है। आज बुद्ध भगवान को लाखों लोग जानते हैं, आदरपूर्वक मानते हैं। उनका तेजोद्वेष करने वाले दुष्ट लोग कौन-से नरकों में जलते होंगे क्या पता!
🚩अभी वर्तमान में जिन #संतों के ऊपर #आरोप लग रहे है उनके भक्त अगर सच्चाई किसी को बताने जाएंगे तो #दुष्ट प्रकृति के लोग तो बोलेंगे ही लेकिन जो #हिंदूवादी और #राष्ट्रवादी कहलाने वाले लोग है वे भी यही बोलेंगे की कि बुद्ध तो भगवान थे, आजकल के संत ऐसे ही है, उनको इतने पैसे की क्या जरूत है? लड़कियों से क्यों मिलते हैं..??? ऐसे कपड़े क्यों पहनते हैं..??? आदि आदि
🚩पर उनको पता नही है कि पहले ऋषि मुनियों के पास इतनी सम्पत्ति होती थी कि राजकोष में धन कम पड़ जाता था तो ऋषि मुनियों से लोन लिया जाता था और रही कपड़े की बात तो कई भक्तों की भावना होती है तो पहन लेते हैं और लड़कियां दुःखी होती हैं तो उनके मां-बाप लेकर आते हैं तो कोई दुःख होता है तो मिल लेते हैं,उनके घर थोड़े ही बुलाने जाते हैं और भी कई तर्क वितर्क करेगे लेकिन आप सब दुःखी नहीं होना, सबके बस की बात नही है कि महापुरुषों को पहचान पाये, आप अपने गुरूदेव का #प्रचार #प्रसार करते रहें,एक दिन ऐसा आएगा कि निंदा करने वाले भी आपके पास आयेंगे और बोलेंगे कि मुझे भी आपके गुरु के पास ले चलो ।
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Saturday, April 28, 2018

चौकाने वाला खुलासा : हिन्दू हार रहा है और मिशनरियां जीत रही हैं

भारत देश भले अंगेजों से मुक्त हो गया हो लेकिन उनके बोये हुए बीज आज भी भारत में सक्रिय हैं वो जो चाहे वो करवा सकते हैं ।
आपने मीडिया में देखा होगा कि कठुआ की घटना जनवरी में घटती है और मीडिया इसका तूल अप्रैल में पकड़ता है, फिर कुछ लोग केंडल मार्च निकालते हैं, कुछ सड़कों पर आ जाते हैं और अचानक सरकार पर दबाव डालकर बलात्कार के कानून कड़े करवाने की मांग करते हैं ।
ऐसे ही 2012 में जो निर्भया कांड हुआ उसमें भी ऐसे ही हुआ था, बाद में बलात्कार के कड़े कानून बने ।
आप देखेंगे कि आये दिन बलात्कार की घटनाएं घटती रहती हैं पर उस पर मीडिया, केंडल मार्च वाले, NGOs, महिला आयोग और सेक्युलर लोग चुप रहते हैं क्योंकि उस समय उनको कोई फायदा नही दिखता। बलात्कार तो बलात्कार ही होता है चाहे किसी के भी साथ हो पर एक दो केसों को छोड़कर बाकि सभी केसों पर चुप्पी सधी रहती है ।
The revealing disclosure: The Hindu is losing
 and the missionaries are winning
बलात्कार के कड़े कानून होना बहुत जरुरी है लेकिन एक तरफा नहीं,  क्योंकि कई न्यायालय इस पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं कि इसका फायदा उठाकर कई मनचली लड़कियों द्वारा इसका अंधाधुन दुरुपयोग भी किया जा रहा है ।
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर,  2012 में निर्भया कांड के बाद कड़े कानून बने और एक नया कानून पॉक्सो एक्ट बना । जिसमें जमानत नही मिलती । इसका सबसे पहला शिकार हुए 78 साल के हिन्दू संत आसाराम बापू । उनको 2013 में गिरफ्तार किया गया । उनके लड़खड़ाते स्वास्थ्य के बावूजद भी 5 साल तक उन्हें जमानत तक नही दी गई ।
अप्रैल 2018 में जैसे ही न्यायालय में आखरी बहस खत्म हो गई और जज जजमेंट लिखने लगे उस समय से कठुआ के केस को लेकर मीडिया, NGOs, सेक्युलर, महिला आयोग सभी ने तूल पकड़ा और बलात्कार के कड़े कानून बनवाने की मांग शुरू की और फिर से उसका पहला शिकार बापू आसारामजी हुए और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई जबकि उन्हें मेडिकल रिपोर्ट में क्लीनचिट मिल चुकी है । पॉक्सो एक्ट के तहत चल रहे उनके केस में लड़की की सही उम्र की जांच नहीं हुई । लड़की की सही उम्र के उन सभी दस्तावेजों को जोधपुर सेशन कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा द्वारा अनदेखा किया गया जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बचाव पक्ष द्वारा बहस के दौरान साबित करवाएं गए थे । किसी दस्तावेज के अनुसार लड़की 19 साल की तो किसी में 20 साल की साबित हो रही है । इतना बड़ा प्रूफ जज के सामने होने पर भी बापू आसारामजी को छेड़छाड़ के आरोप में पॉक्सो एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
क्या आज तक आपने देखा सुना कि छेड़छाड़ की सजा (कुछ साबित हुए बिना) उम्रकैद हो वो भी 82 साल के वयोवृद्ध के लिए सश्रम सुनाई गई हो ?
ऐसा बेहूदा फैसला सुनाकर न्यायपालिका ने अपनी गरिमा पर प्रश्नचिन्ह लगा लिया है। आज जजों ने बताया कि न्यायपालिका इतनी भ्रष्ट हो चुकी है कि जहां न्याय दिया नहीं जाता बेचा जाता है ।
आपको बता दें कि 2012 में जो नए बलात्कार के कानून बने है उसमें बलात्कार की परिभाषा ही बदल कर रख दी है । अब लड़की को स्पर्श करना भी बलात्कार में ही गिना जाता है । इससे भी बलात्कार की धारा 376 ही लगती है ।
अब केस की थोड़े गहराई में जाएं तो उसमें आया है कि लड़की कहती है कि मेरे साथ डेढ़ घंटे तक छेड़छाड़ करते रहें और मेडिकल में उसके शरीर पर एक खरोंच का भी निशान नहीं पाया गया । क्या ऐसा संभव है आज हर बुद्धिजीवी को ये जानने का अधिकार है कि कैसे एक संत को फंसाया गया है । लड़की कहती है मैं शॉक्ड थी पर जिनके यहां पर वो रुकी थी उन घर के लोगों के जब बयान लिए गए तो वो कहते हैं कि हँसी खुशी गई है हमारे यहां से । लड़की की मां कहती है कि मैं बापू आसारामजी के कमरे के बाहर बैठी थी तो उसको ऐसा नहीं हुआ कि मेरी बेटी डेढ़ घंटे से अंदर है तो मैं देखकर आऊ कि वो कहाँ है रात का समय है । आगे देखिए लड़की कहती है कि मैं चिल्लाई तो रात के सन्नाटे में उसकी माँ को उसके चिल्लाने की आवाज क्यों नहीं आई जबकि वो तो गाँव का इलाका है और सबसे बड़ी बात अगर किसी लड़की के साथ डेढ़ घंटे तक छेड़छाड़ या यौनशोषण हुआ हो तो क्या वो इतनी नार्मल रह सकती है कि बाहर बैठी उसकी माँ को बेटी का चेहरा देखकर कुछ पता ही न चले ।
क्या ऐसा संभव है ???

आगे लड़की के फोन की कॉल डिटेल से पता चलता है कि वो देर रात तक किसी संदिग्ध व्यक्ति के साथ संपर्क में थी । जिस कॉल डिटेल की पुष्टि नोडल ऑफिसर ने कोर्ट में अपने बयान में की । क्या किसी लड़की के साथ इतना बड़ा हादसा होने के बाद वो फ़ोन पर आसानी से किसी से बात कर सकती है ?? एक तरफ तो लड़की कहती है मैं शॉक्ड थी दूसरी तरफ वो किसी के साथ लगातार संपर्क में थी और कोर्ट में हुए बयानों के आधार पर बापू आसारामजी रात 12:00 बजे तक सगाई फंक्शन में थे । आज तक लड़की और उसके मां-बापू के सिवा एक भी गवाह ऐसा नहीं आया न लड़की के पक्ष का और न ही बापू आसारामजी के पक्ष का, जिसने ऐसा कहा हो कि मैंने लड़की को बापू आसारामजी के कमरे में जाते देखा था ।
पर इन सभी सबूतों को जज मधुसूदन शर्मा द्वारा एक साइड पर रखकर निर्णय सुनाया गया । जिसे देखकर आम जनता का मानना है कि भारत में न्याय मिलता नहीं बेचा जाता है ।
https://twitter.com/tiwari_sd/status/989105765922177024
बापू आसारामजी की गिरफ्तारी से पहले 2012 में और सजा सुनाने से पहले 2018 में ईसाई मिशनरियों के इशारे पर पूर्वनियोजित षडयंत्र के तहत मीडिया, NGOs सक्रिय रहें और कड़े कानून बनाने के लिए सरकार पर दबाव डालते रहे ।
https://youtu.be/W6roZ6KB06Y
पक्षपात पूर्ण न्याय का एक और खुलासा देखिए आरोप लगाने वाली लड़की ने बताया कि बापू आशारामजी के सेवादार शिवा ने मुझे बुलाया तो शिवा सह-आरोपी होना चाहिए । लेकिन कोर्ट ने उसको निर्दोष बरी कर दिया और बापू आसारामजी को आजीवन कारावास की सजा सुना दी । न्यायतंत्र है या कोई खेल का मैदान ?

क्या आपको पता है कि जेल जाने से पहले ही डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने बापू आसारामजी को बता दिया था कि वे वेटिकन सिटी के निशाने पर हैं । उन्होंने जो  लाखों हिन्दुओं की #घरवासपी कराई है, आदिवासियों में हो रहे ईसाई धर्मान्तरण पर रोक लगाई है उससे वेटिकन सिटी नाराज है और आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहे हैं । उस समय बापू आसारामजी ने इन बातों पर ध्यान नही दिया और हिंदू संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते रहे, धर्मान्तरण पर रोक लगाते रहे, हिन्दुओं की घर वापसी करवाते रहे जिसके कारण आज उनको उम्रकैद की सजा सुननी पड़ी ।
https://youtu.be/rwOJIG3YHEI
थोड़ा पीछे जाएं तो देखेंगे कि ऐसा ही षड्यंत्र शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती पर भी हुआ था और उनको भी निचली अदालत ने दोषी ठहराया था फिर उच्च न्यायालय ने 9 साल के बाद निर्दोष बरी किया था पर इससे क्या वो इज्जत वो सम्मान, वो उनका कीमती समय उनका न्यायालय लौटा पाया ?
अब समाज को जागॄत होने की आवश्यकता है । मूर्ख भले इस सच्चाई को न समझें पर समझदार तो समझ ही रहे हैं कि कैसे हिंदुत्वनिष्ठों को बदनाम करके समाज को उनसे दूर करने की साजिश चल रही है । अगर अभी भी समाज सतर्क नहीं हुआ तो एक दिन ऐसा आएगा कि कोई हिन्दू संस्कृति के लिए, हिंदुओं के लिए आवाज उठाने वाला नहीं होगा ।
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