Monday, May 28, 2018

ब्रिटिश शासन को हिलाने वाले वीर सावरकर जी का जानिए इतिहास

श्री विनायक दामोदर वीर सावरकर जी जयंती 28 मार्च (दिनांक अनुसार)
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🚩#सावरकर जी #भारतीय स्वतन्त्रता #आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के #सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः #वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की #राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर जी को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान #क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे #इतिहासकार भी हैं जिन्होंने #हिन्दू #राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था ।
🚩जीवन वृत्त !!
Know the history of Veer Savarkar who moved the British rule

🚩विनायक #सावरकर का जन्म 28 मई 18 1883 में महाराष्ट्र (तत्कालीन नाम बम्बई) प्रान्त में नासिक के निकट भागुर गाँव में हुआ था।
🚩उनकी माता जी का नाम राधाबाई तथा पिता जी का नाम दामोदर पन्त सावरकर था। इनके दो भाई गणेश (बाबाराव) व नारायण दामोदर सावरकर तथा एक बहन नैनाबाई थी। जब वे केवल नौ वर्ष के थे तभी हैजे की महामारी में उनकी माता जी का देहान्त हो गया। इसके सात वर्ष बाद सन् 1899 में प्लेग की महामारी में उनके पिता जी भी स्वर्ग सिधारे। इसके बाद #विनायक के बड़े भाई गणेश ने परिवार के पालन-पोषण का कार्य सँभाला। दुःख और कठिनाई की इस घड़ी में गणेश के व्यक्तित्व का विनायक पर गहरा प्रभाव पड़ा। विनायक ने #शिवाजी हाईस्कूल नासिक से 1901 में मैट्रिक की #परीक्षा पास की। बचपन से ही वे पढ़ाकू तो थे ही अपितु उन दिनों उन्होंने कुछ #कविताएँ भी लिखी थी । आर्थिक संकट के बावजूद बाबाराव ने विनायक की उच्च #शिक्षा की इच्छा का समर्थन किया। इस अवधि में विनायक ने स्थानीय नवयुवकों को संगठित करके मित्र मेलों का आयोजन किया। शीघ्र ही इन नवयुवकों में राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रान्ति की ज्वाला जाग उठी।सन् 1901 में रामचन्द्र त्रयम्बक चिपलूणकर की पुत्री यमुनाबाई के साथ उनका विवाह हुआ। उनके ससुर जी ने उनकी विश्वविद्यालय की शिक्षा का भार उठाया। 1902 में मैट्रिक की पढाई पूरी करके उन्होने पुणे के फर्ग्युसन कालेज से बी०ए० किया।


🚩लन्दन प्रवास !!
🚩1904 में उन्हॊंने अभिनव #भारत नामक एक क्रान्तिकारी संगठन की स्थापना की। 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद उन्होने पुणे में #विदेशी #वस्त्रों की #होली #जलाई। फर्ग्युसन कॉलेज, पुणे में भी वे राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत ओजस्वी भाषण देते थे। बाल गंगाधर तिलक के अनुमोदन पर 1906 में उन्हें श्यामजी कृष्ण वर्मा छात्रवृत्ति मिली। इंडियन सोशियोलाजिस्ट और तलवार नामक पत्रिकाओं में उनके अनेक लेख प्रकाशित हुये, जो बाद में कलकत्ता के युगान्तर पत्र में भी छपे। सावरकर रूसी क्रान्तिकारियों से ज्यादा प्रभावित थे।
🚩10 मई, 1907 को इन्होंने इंडिया हाउस, लन्दन में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की #स्वर्ण जयन्ती मनाई। इस अवसर पर विनायक सावरकर ने अपने ओजस्वी भाषण में प्रमाणों सहित 1857 के संग्राम को गदर नहीं, अपितु भारत के स्वातन्त्र्य का प्रथम संग्राम सिद्ध किया। जून, 1908  में इनकी पुस्तक द इण्डियन वार ऑफ इण्डिपेण्डेंस : 1857 तैयार हो गयी परन्तु इसके मुद्रण की समस्या आयी। इसके लिये लन्दन से लेकर पेरिस और जर्मनी तक प्रयास किये गये किन्तु वे सभी प्रयास असफल रहे। बाद में यह पुस्तक किसी प्रकार गुप्त रूप से हॉलैंड से प्रकाशित हुई और इसकी प्रतियाँ फ्रांस पहुँचायी गयी। इस पुस्तक में सावरकर ने 1857 के सिपाही विद्रोह को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ स्वतन्त्रता की पहली लड़ाई बताया। मई 1909 में इन्होंने लन्दन से बार एट ला (वकालत) की परीक्षा उत्तीर्ण की, परन्तु उन्हें वहाँ वकालत करने की अनुमति नहीं मिली।

🚩लाला हरदयाल से भेंट !!
🚩लन्दन में रहते हुये उनकी मुलाकात लाला हरदयाल से हुई जो उन दिनों इण्डिया हाउस की देखरेख करते थे। #1 जुलाई 1909 को मदनलाल ढींगरा द्वारा विलियम हट कर्जन वायली को गोली मार दिये जाने के बाद उन्होंने लन्दन टाइम्स में एक लेख भी लिखा था। 13 मई 1910 को पैरिस से लन्दन पहुँचने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया परन्तु 8 जुलाई 1910 को एस०एस० मोरिया नामक जहाज से भारत ले जाते हुए सीवर होल के रास्ते ये भाग निकले।  14 दिसम्बर 1910 को उन्हें आजीवन #कारावास की #सजा दी गयी। इसके बाद 31 जनवरी 1911 को इन्हें दोबारा आजीवन कारावास दिया गया । इस प्रकार सावरकर को ब्रिटिश सरकार ने क्रान्ति कार्यों के लिए दो-दो आजन्म कारावास की सजा दी, जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा थी। सावरकर के अनुसार -
🚩"मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश-सेवा ही ईश्वर-सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी #सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की।"
🚩सेलुलर जेल में !!
🚩नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक #षडयंत्र काण्ड के अंतर्गत इन्हें 7 अप्रैल, 1911 को काला पानी की सजा पर सेलुलर जेल भेजा गया। उनके अनुसार यहां #स्वतंत्रता सेनानियों को कड़ा परिश्रम करना पड़ता था। कैदियों को यहां नारियल छीलकर उसमें से तेल निकालना पड़ता था। साथ ही इन्हें यहां कोल्हू में बैल की तरह जुत कर सरसों व नारियल आदि का तेल निकालना होता था। इसके अलावा उन्हें जेल के साथ लगे व बाहर के जंगलों को साफ कर दलदली भूमी व पहाड़ी क्षेत्र को समतल भी करना होता था। रुकने पर उनको कड़ी सजा व बेंत व कोड़ों से पिटाई भी की जाती थी। इतने पर भी उन्हें भरपेट खाना भी नहीं दिया जाता था।।सावरकर 4 जुलाई, 1911 से 21 मई, 1921 तक पोर्ट ब्लेयर की जेल में रहे।
🚩स्वतन्त्रता संग्राम !!
🚩1921 में मुक्त होने पर वे स्वदेश लौटे और फिर 3 साल जेल भोगी। जेल में उन्होंने हिंदुत्व पर शोध ग्रन्थ लिखा। इस बीच 7 जनवरी 1925 को इनकी पुत्री, प्रभात का जन्म हुआ। मार्च, 1925 में उनकी भॆंट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक, डॉ॰ हेडगेवार से हुई। 17 मार्च 1928 को इनके बेटे विश्वास का जन्म हुआ। फरवरी, 1931 में इनके प्रयासों से बम्बई में पतित पावन मन्दिर की स्थापना हुई, जो सभी हिन्दुओं के लिए समान रूप से खुला था। 25 फरवरी 1931को सावरकर ने बम्बई प्रेसीडेंसी में हुए अस्पृश्यता उन्मूलन सम्मेलन की अध्यक्षता की।
🚩1937 में वे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के कर्णावती (अहमदाबाद) में हुए 19वें सत्र के अध्यक्ष चुने गये, जिसके बाद वे पुनः सात वर्षों के लिये अध्यक्ष चुने गये। 15 अप्रैल 1938 को उन्हें मराठी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया। 13 दिसम्बर 1937 को नागपुर की एक जन-सभा में उन्होंने अलग पाकिस्तान के लिये चल रहे प्रयासों को असफल करने की प्रेरणा दी थी। 22 जून 1941 को उनकी भेंट #नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हुई। 9 अक्टूबर 1942 को भारत की स्वतन्त्रता के निवेदन सहित उन्होंने चर्चिल को तार भेज कर सूचित किया। सावरकर जीवन भर #अखण्ड भारत के पक्ष में रहे। स्वतन्त्रता प्राप्ति के माध्यमों के बारे में गान्धी और सावरकर का एकदम अलग दृष्टिकोण था। 1943 के बाद दादर, बम्बई में रहे। 16 मार्च 1947 को इनके भ्राता बाबूराव का देहान्त हुआ। 19 अप्रैल 1945 को उन्होंने अखिल भारतीय रजवाड़ा हिन्दू सभा सम्मेलन की अध्यक्षता की। इसी वर्ष 8 मई को उनकी पुत्री प्रभात का #विवाह सम्पन्न हुआ। अप्रैल 1946 में बम्बई सरकार ने सावरकर के लिखे साहित्य पर से प्रतिबन्ध हटा लिया। 1947 में इन्होंने भारत विभाजन का विरोध किया। 🚩महात्मा रामचन्द्र वीर नामक (हिन्दू महासभा के नेता एवं सन्त) ने उनका समर्थन किया।
🚩स्वातन्त्र्योपरान्त जीवन !!
🚩15 अगस्त1947 को उन्होंने सावरकर सिद्धान्तों में भारतीय तिरंगा एवं #भगवा, दो-दो ध्वजारोहण किये। इस अवसर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मुझे स्वराज्य प्राप्ति की खुशी है, परन्तु वह खण्डित है, इसका दु:ख है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की सीमायें नदी तथा पहाड़ों या सन्धि-पत्रों से निर्धारित नहीं होती, वे देश के नवयुवकों के शौर्य, धैर्य, त्याग एवं पराक्रम से निर्धारित होती हैं । 5 फरवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के उपरान्त उन्हें प्रिवेन्टिव डिटेन्शन एक्ट धारा के अन्तर्गत गिरफ्तार कर लिया गया। 19 अक्टूबर 1949 को इनके अनुज नारायणराव का देहान्त हो गया। 4 अप्रैल 1950 को पाकिस्तानी प्रधान मंत्री लियाकत अली खान के दिल्ली आगमन की पूर्व संध्या पर उन्हें सावधानीवश बेलगाम जेल में रोक कर रखा गया। मई, 1952 में पुणे की एक विशाल सभा में अभिनव भारत संगठन को उसके उद्देश्य (भारतीय स्वतन्त्रता प्राप्ति) पूर्ण होने पर भंग किया गया। 10 नवम्बर1957 को नई दिल्ली में आयोजित हुए, 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के शाताब्दी समारोह में वे मुख्य वक्ता रहे। 8 अक्टूबर 1959 को उन्हें पुणे विश्वविद्यालय ने डी०.लिट० की मानद उपाधि से अलंकृत किया। 8 नवम्बर 1963 को इनकी पत्नी यमुनाबाई चल बसी। सितम्बर, 1966 से उन्हें तेज ज्वर ने आ घेरा, जिसके बाद इनका स्वास्थ्य गिरने लगा। 1 फरवरी 1966 को उन्होंने मृत्युपर्यन्त उपवास करने का निर्णय लिया। 26 फरवरी 1966 को बम्बई में भारतीय समयानुसार प्रातः 10 बजे उन्होंने पार्थिव शरीर छोड़कर परमधाम को प्रस्थान किया ।
🚩सावरकर साहित्य !!
🚩वीर सावरकर ने 10,000 से अधिक पन्ने मराठी भाषा में तथा 1500  से अधिक पन्ने अंग्रेजी में लिखा है।
🚩'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस -1857' सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक है, जिसमें उन्होंने सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिख कर ब्रिटिश शासन को हिला डाला था। अधिकांश इतिहासकारों ने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक सिपाही विद्रोह या अधिकतम भारतीय विद्रोह कहा था। दूसरी ओर भारतीय विश्लेषकों ने भी इसे तब तक एक योजनाबद्ध राजनीतिक एवं सैन्य आक्रमण कहा था, जो भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के ऊपर किया गया था।
🚩जीवन के अन्तिम समय में वीर सावरकर !!
🚩सावरकर एक प्रख्यात #समाज #सुधारक थे। उनका दृढ़ विश्वास था, कि सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार बराबरी का महत्त्व रखते हैं व एक दूसरे के पूरक हैं। उनके समय में समाज बहुत सी कुरीतियों और बेड़ियों के बंधनों में जकड़ा हुआ था। इस कारण हिन्दू समाज बहुत ही दुर्बल हो गया था। अपने भाषणों, लेखों व कृत्यों से इन्होंने समाज सुधार के निरंतर प्रयास किए। हालांकि यह भी सत्य है, कि #सावरकर ने सामाजिक कार्यों में तब ध्यान लगाया, जब उन्हें राजनीतिक कलापों से निषेध कर दिया गया था। किंतु उनका समाज सुधार जीवन पर्यन्त चला। उनके सामाजिक उत्थान कार्यक्रम ना केवल हिन्दुओं के लिए बल्कि राष्ट्र को समर्पित होते थे। 1924 से 1937 का समय इनके जीवन का समाज सुधार को समर्पित काल रहा।
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🚩जरा विचार कीजिये कि देश को #आजादी दिलाने के लिए अपने समग्र जीवन की आहुति देनेवाले इन #वीर #शहीदों के सपने को हम कहाँ तक साकार कर सके हैं..???
🚩हमने उनके बलिदानों का कितना आदर किया है...???
🚩वास्तव में, हमने उन अमर शहीदों के बलिदानों को कोई सम्मान ही नहीं दिया है । तभी तो स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारा देश पश्चिमी संस्कृति की गुलामी में जकड़ा हुआ है।
🚩इन #महापुरुषों की सच्ची जयंती तो तभी मनाई जाएगी, जब प्रत्येक भारतवासी उनके जीवन को अपना आदर्श बनायेंगे, उनके सपनों को साकार करेंगे तथा जैसे #भारत का निर्माण जैसा वे महापुरुष करना चाहते थे, वैसा ही हम करके दिखायें । यही उनकी जयंती मनाना है ।
🚩जयहिंद!!
🚩जय भारत!!
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Sunday, May 27, 2018

मीडिया का दोगलापन : झूठी खबरे दिखाई लेकिन अच्छाई सामने आने पर साधी चुप्पी

🚩इलेक्ट्रॉनिक हो या प्रिंट मीडिया जभी किसी कि छवि खराब करना हो और उस व्यक्ति से पैसे नही मिल रहे हो तो उनके खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर ऐसे पेश करती है कि जैसे समझो उसके जैसा दुनिया मे बड़ा कोई अपराधी ही न हो । लेकिन उसकी अच्छाई कीतनी भी हो वे नही दिखायेगी क्यो कि फंडिग नही मिली होती है । हमारा देश का दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता का चौथा स्तंभ माने जाने वाला मीडिया ही अगर ऐसा करेंगे तो जनता का क्या होगा? ये हमारे देश के लिए बड़े दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है ।
🚩आपको अभी हम एक ताजा घटना बता रहे है 
Media duplication: false news appeared
but simple silence on good looks

राजस्थान निवाई में गौमाता के 35 बछड़े कत्लखाने जाते पकड़कर निवाई स्थित संत आशारामजी बापू गौशाला में रखे गये ।
https://twitter.com/AshramGaushala/status/1000187504719413248?s=09
🚩बता दे कि जनवरी 2017 में भी दो ट्रक बछड़े भरके कत्लखाने जा रहे थे उनको बचाकर 
निवाई स्थित संत आशारामजी बापू गौशाला में रखे गये थे ।
🚩हमारे देश मे भगवान श्री कृष्ण भी गौमाता को चराने जाते थे आज उन गौमाता को कत्लखाने जाना पड़ रहा है और उनको जो बचाने आते है उनको जेल भिजवाया जाता है जिससे कसाईयो का धंधा चलता रहे ।
🚩आपको बता दें कि #ये पहली बार नही है जो इन 35 और 64 बछडों को ही #संत #आशारामजी #गौशाला में रखा गया हो पहले भी #कई बार #संत #आशारामजी #बापू ने कत्लखाने जाती हुई गायों को बचाकर अपने गौशाला में रखा है ।
🚩हिन्दू संत #आशारामजी #बापू ने देश भर में बड़ी-बड़ी 9 गौशालाएं बनवाई है ।
🚩देश में #एक तरफ गौ-माता के कत्लखाने, #दूसरी ओर #संत #आशारामजी #गौशालाओं में कत्ल करने के लिए जा रही #हजारों #गायों को बचाकर  #गौशालाओ में रखा है । उन गायों कि भी वहां अच्छे से देखभाल की जाती है जो दूध भी नही देती और कई गायें तो बीमार भी रहती हैं उनकी भी वहाँ मौसम अनुसार अच्छी देखभाल की जाती है ।
🚩गरीबों के लिए भी गौशालाएं बनी सहारा
🚩#संत #आशारामजी #बापू कि #गौशालाओं द्वारा गौ माता के गौमूत्र, गोबर आदि से धूपबत्ती, खाद, फिनाईल, औषधियाँ आदि का निर्माण कर गौशालाओ को स्वावलम्बी बनाकर अनेक गरीब परिवारों के लिए रोजी-रोटी का द्वार भी खोल दिया ।
🚩उनके अनुयायियों द्वारा गौ माता को बचाने के लिए समय-समय पर #ट्वीटर के जरिये मांग भी की है ।
🚩गौ माताओं के लिए इतना उत्तम सेवाकार्य किया जा रहा है #संत #आशारामजी #बापू द्वारा लेकिन मीडिया इसको न दिखाकर केवल यही दिखाती है कि कैसे एक हिन्दू संत कि छवि को धूमिल कर दिया जाये और करोड़ों ह्रदय में कैसे नफरत भर दी जाये यही इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया का काम है ।
🚩गौरतलब है कि हिन्दू संत आशाराम बापू ऊपर अगस्त 2013 में एक छेड़छाड़ी का मामला दर्ज हुआ, उसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया और 5 साल तक जमानत नही दी गई और बाद में उम्रकैद कर दी जिससे वे कभी बाहर ही नही आ सके उसके लिए मीडिया ने जोरो से अनेक झूठी कहानियां बनाकर दिखाई लेकिन उनके खिलाफ कैसे षड्यंत्र रचा था और कैसे फसाया गया वे आजतक नही बताया जबकि उनके निर्दोष होने के अनेक प्रमाण होते हुए भी उम्रकैद कर दी ये भी एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसल जनता मान रही है खैर ऊपरी कोर्ट में पता चल ही जायेगा कि कैसे फसाया था जैसे शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी को निचली कोर्ट ने सजा दिया और ऊपरी कोर्ट ने बरी कर दिया ऐसे ही बापू आशारामजी के साथ भी होगा ।
🚩बात मुद्दे कि यह है कि जयेंद्र सरस्वती हो या साध्वी प्रज्ञा सिंह हो या बापू आसारामजी हो उन पर जब आरोप लगते है तो मीडिया जोरो शोरो से बदनाम करते है लेकिन जैसे ही उनको निर्दोष होते तो नही दिखाती है और नही उनके अच्छे सेवाकार्य दिखाती है ।
🚩सुदर्शन न्यूज चैनल के मालिक #श्री सुरेश चव्हाणके ने बताया है कि भारत कि मीडिया को अधिकतर #फंडिग #वेटिकन सिटी जो ईसाई धर्म का बड़ा स्थान है वहाँ से आता है इसलिए #मीडिया केवल #हिन्दू धर्म के #साधु-संतों को बदनाम करती है और ईसाई पादरियों के दुष्कर्म को छुपाती है ।
🚩भारतवासी भी विदेशी फंडिग से चलने वाली मीडिया से सावधान रहें ।
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Saturday, May 26, 2018

भयानक रिपोर्ट : रोहिंग्याओं ने हिन्दुओं का किया था खुलेआम कत्ल

25 May 2018
🚩रोहिंग्या देश के लिए बहुत खतरनाक है उनका मकसद है जनसंख्या बढ़ाना और फिर देश पर कब्जा करने का इसलिए प्रतिदिन हजरों बच्चें पैदा कर रहे है हिंदुस्तानी तो बोलता है हम दो हमारे दो इसमे ही रुक गया है पर रोहिंग्या 40-40 बच्चें तक पैदा करते है इससे साफ जाहिर है कि जनसंख्या बढ़ाकर वोटबैंक खड़ा करके खुद कि सरकार बनाना और भारत पर राज करना है ।
🚩वर्तमान सरकार ने रोहिंग्याओं को बाहर निकालने के लिए बड़ा कदम उठाया था पर न्यायालय ने रोक लगा दी ये बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है न्यायालय को रोहिंग्याओं के बारे में पूरी जानकारी लेकर न्यायालय को सरकार के फैसले को मान्य रखना चाहिए ।
🚩रोहिंग्या देश के लिए कितने खतरनाक है उसके लिए
मानवाधिकार संगठन ऐमनेस्टी इंटरनेशनल का रिपोर्ट से पता चलता है ।
Horrible report: Rohingyas did openly kill Hindus

बिते साल म्यांमार के रखाइन राज्य में हुई हिंसा के दौरान रोहिंग्या आतंकियों ने गांव में रहने वाले हिंदुओं का कत्लेआम किया। ऐमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी कि जिसमें हिंसा के दौरान हुई मौतों के बारे में यह नया खुलासा हुआ है। मानवाधिकार संगठन कि रिपोर्ट में पाया गया है कि यह नरसंहार 25 अगस्त 2017 को हुआ था जिसमें 99 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया। यह वही दिन था जिस दिन रोहिंग्या उग्रवादियों ने पुलिस पोस्ट्स पर हमले किए थे और राज्य में संकट शुरू हो गया था।
🚩उग्रवादियों के हमले के जवाब में म्यांमार कि सेना ने ऑपरेशन चलाया जिसकी वजह से करीब 7 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को इस बौद्ध देश को छोड़कर जाने पर मजबूर होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार सेना के ऑपरेशन को रोहिंग्याओं का ‘नस्ली सफाया’ बताया। रोहिंग्या उग्रवादियों पर दुर्व्यवहार के भी आरोप लगे। इसमें रखाइन राज्य के उत्तरी हिस्से में हिंदुओं के नरसंहार का मामला भी शामिल है। बिते साल सितंबर में सेना मीडिया रिपोर्ट्स को इस इलाके में ले गई जहां सामूहिक कब्र मिली।
🚩एएसआरए संगठन के नेता अता उल्लाह (बीच में)
🚩इन उग्रवादियों के संगठन अराकान रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी (ARSA) ने उस समय नरसंहार कि जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था। लेकिन ऐमनेस्टी इंटरनैशनल ने कहा कि नई जांच से यह स्पष्ट है इस संगठन ने 53 हिंदुओं को फांसी देकर मार दिया। मरने वालों में अधिकांश खा मॉन्ग सेक गांव के बच्चे थे।
🚩ऐमनेस्टी इंटरनेशनल कि तिराना हसन ने कहा, ‘हमारी ताजा जांच से ARSA द्वारा उत्तरी रखाइन में बड़े पैमाने पर किए गए मानवाधिकारों के दुरुपयोग पर प्रकाश पड़ता है जो मामले अब तक रिपोर्ट नहीं किए गए थे। ये अत्याचार भी गंभीर है।’
🚩इस हिंसा से जान बचाकर भागे 8 लोगों से बातचीत के बाद मानवाधिकार समूह ने कहा कि दर्जनों लोगों को बांध कर आंख पर पट्टी लगाकर शहर में घुमाया गया। 18 साल कि राज कुमार ने ऐमनेस्टी से कहा, ‘उन्होंने पुरुषों का कत्ल कर लिया। हमें उनकी तरफ न देखने को कहा गया…उनके पास चाकू थे। उनके पास लोहे के छड भी थे।’ राज ने कहा कि झाड़ी में छिपकर उसने अपने पिता, भाई, चाचा कि हत्या होते देखा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उसी दिन ये बॉक क्यार नाम के एक दूसरे गांव में 46 हिंदू पुरुष, महिलाएं और बच्चे गायब हो गए। स्त्रोत : नवभारत टाइम्स
🚩आपने देखा देश के लिए रोहिंग्या खतरे से खाली नही है फिर भी सेकुलर और मीडिया उनके निकलाने कि बात करते ही छाती पीटने लगती है ।
🚩रोहिंग्यों के लिये आंसू बहाने वाले इस रिपोर्ट पढ़कर क्या अब देश को जवाब देंगे ?
🚩रोहिंग्या शरणार्थीयों को मिलने बांग्लादेश जानेवाली प्रियंका चोपडा क्या अब इस समाचार पर कुछ कहेगी ?
🚩रोहिंग्या देश के लिए क्यों खतरा है?
*🚩1.* शरणार्थियों के #आतंकी #संगठनों से #संबंध है !
*🚩2.* रोहिंग्या न केवल #भारतीय #नागरिकों के अधिकार पर #अतिक्रमण कर रहे हैं अपितु सुरक्षा के लिए भी चुनौती हैं !
*🚩3.* #रोहिंग्या शरणार्थियों के कारण #सामाजिक, #राजनीतिक और #सांस्कृतिक #समस्याएं खड़ी हो सकती हैं !
*🚩4.* इसके पीछे कि एक सोच यह भी है कि भारत के जनसांख्यिकीय स्वरूप सुरक्षित रखा जाए !
🚩मुद्दे कि बात यह है कि जिस तरह से घुसपैठियों ने देश में आकर देश कि जनता को मजहब के नाम पर और खुद कि संख्या ज्यादा करने के लिए मारना शुरू किया है उससे देश में #आतंक #फैल #सकता है जिससे खून खराबे हो सकते हैं जो कि किसी भी देश के लिए सही बात नहीं है ।
🚩भारत सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकालने का जो निर्णय लिया है वह देश कि सुरक्षा के लिए कितना उचित है इसका अंदाजा सभी भारतीय लगा सकते हैं ।परंतु फिर भी सेक्युलरिस्ट कार्यकर्ता कुछ राजनेता तथा कर्इ धर्मांध जिहादी इन रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन कर उन्हें भारत में शरण मिलने के लिए भारत सरकार पर दबाव डाल रहे हैं । कुछ जिहादी धर्मांधों ने तो यह भी धमकिया दी है कि यदि रोहिंग्या मुसलमानों को कोर्इ हाथ भी लगाएगा तो भारत देश तथा हिन्दुआें को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होगे ।
🚩सभी राष्ट्रप्रेमी नागरिकों को अब संगठित होकर भारत सरकार से यह मांग करनी चाहिए कि रोहिंग्या मुसलमानों के साथ साथ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियो तथा रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन करनेवालों को भी इस देश से बाहर निकाले । नहीं तो यह #लोग #भविष्य में हमारे #अस्तित्व पर ही #संकट ला सकते है इसलिए अभी से #सावधान !!
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