Friday, June 8, 2018

बन्दा बैरागी के बेटे को मारकर मुँह में ठूस दिया फिर भी नही बने मुसलमान, जानिए इतिहास...

🚩भारतवासी आज जो चैन कि श्वास ले रहे है और स्वतंत्रता में जी रहे है वे हमारे देश के वीर सपूतों, महापुरुषों के बलिदान के कारण ही संभव हुआ है उसमे एक महापुरुष थे बन्दा बैरागी। जिहोंने अनेक अत्याचार सहकर भी संस्कृति को जीवित रखा आज उनके बलिदान दिवस है लेकिन देशवासी भुल गये ।
🚩बाबा बन्दा सिंह बहादुर का जन्म कश्मीर स्थित पुंछ जिले के राजौरी क्षेत्र में विक्रम संवत् 1727, कार्तिक शुक्ल 13 को हुआ था। वह राजपूतों के (मिन्हास) भारद्वाज गोत्र से सम्बन्धित थे और उनका वास्तविक नाम लक्ष्मणदेव था। इनके पिता का नाम रामदेव मिन्हास था।
Kill the son of Banda Bairaghi in the mouth,
 but still not made the Muslim, know history ...

🚩लक्ष्मणदास युवावस्था में शिकार खेलते समय उन्होंने एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया। इससे उसके पेट से एक शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया। यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया। उन्होंने अपना नाम माधोदास रख लिया और घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर चल दिये। अनेक साधुओं से योग साधना सीखी और फिर नान्देड़ में कुटिया बनाकर रहने लगे।
🚩इसी दौरान गुरु गोविन्द सिंह जी माधोदास कि कुटिया में आये। उनके चारों पुत्र बलिदान हो चुके थे। उन्होंने इस कठिन समय में माधोदास से वैराग्य छोड़कर देश में व्याप्त इस्लामिक आतंक से जूझने को कहा। इस भेंट से माधोदास का जीवन बदल गया। गुरुजी ने उसे बन्दा बहादुर नाम दिया। फिर पाँच तीर, एक निशान साहिब, एक नगाड़ा और एक हुक्मनामा देकर दोनों छोटे पुत्रों को दीवार में चिनवाने वाले सरहिन्द के नवाब से बदला लेने को कहा। बन्दा हजारों सिख सैनिकों को साथ लेकर पंजाब कि ओर चल दिये। उन्होंने सबसे पहले श्री गुरु तेगबहादुर जी का शीश काटने वाले जल्लाद जलालुद्दीन का सिर काटा। फिर सरहिन्द के नवाब वजीरखान का वध किया। जिन हिन्दू राजाओं ने मुगलों का साथ दिया था बन्दा बहादुर ने उन्हें भी नहीं छोड़ा। इससे चारों ओर उनके नाम की धूम मच गयी।
🚩बन्दासिंह को पंजाब पहुँचने में लगभग चार माह लग गये।बन्दा सिंह महाराष्ट्र से राजस्थान होते हुए नारनौल,हिसार और पानीपत पहुंचे,और पत्र भेजकर पंजाब के सभी सिक्खों से सहयोग माँगा। सभी शिक्खो में यह प्रचार हो गया कि गुरु जी ने बन्दा को उनका जत्थेदार यानी सेनानायक बनाकर भेजा है। बंदा के नेतृत्व में वीर राजपूतो ने पंजाब के किसानो विशेषकर जाटों को अस्त्र शस्त्र चलाना सिखाया,उससे पहले जाट खेती बाड़ी किया करते थे और मुस्लिम जमींदार इनका खूब शोषण करते थे देखते ही देखते सेना गठित हो गयी।
🚩इसके बाद बंदा सिंह का मुगल सत्ता और पंजाब हरियाणा के मुस्लिम जमींदारों पर जोरदार हमला शुरू हो गया।
सबसे पहले कैथल के पास मुगल कोषागार लूटकर सेना में बाँट दिया गया,उसके बाद समाना, कुंजुपुरा,सढ़ौरा के मुस्लिम जमींदारों को धूल में मिला दिया।
🚩बन्दा ने पहला फरमान यह जारी किये कि जागीरदारी व्यवस्था का खात्मा करके सारी भूमि का मालिक खेतिहर किसानों को बना दिया जाए।
🚩लगातार बंदा सिंह कि विजय यात्रा से मुगल सत्ता कांप उठी और लगने लगा कि भारत से मुस्लिम शासन को बंदा सिंह उखाड़ फेकेंगे। अब मुगलों ने सिखों के बीच ही फूट डालने कि नीति पर काम किया,उसके विरुद्ध अफवाह उड़ाई गई कि बंदा सिंह गुरु बनना चाहता है और वो सिख पंथ कि शिक्षाओं का पालन नहीं करता। खुद गुरु गोविन्द सिंह जी कि दूसरी पत्नी माता सुंदरी जो कि मुगलो के संरक्षण/नजरबन्दी में दिल्ली में ही रह रही थी, से भी बंदा सिंह के विरुद्ध शिकायते कि गई ।माता सुंदरी ने बन्दा सिंह से रक्तपात बन्द करने को कहा जिसे बन्दा सिंह ने ठुकरा दिया।
🚩जिसका परिणाम यह हुआ कि ज्यादातर सिख सेना ने उनका साथ छोड़ दिया जिससे उनकी ताकत कमजोर हो गयी तब बंदा सिंह ने मुगलों का सामना करने के लिए छोटी जातियों और ब्राह्मणों को भी सैन्य प्रशिक्षण दिया।
🚩1715 ई. के प्रारम्भ में बादशाह फर्रुखसियर की शाही फौज ने अब्दुल समद खाँ के नेतृत्व में उसे गुरुदासपुर जिले के धारीवाल क्षेत्र के निकट गुरुदास नंगल गाँव में कई मास तक घेरे रखा। पर मुगल सेना अभी भी बन्दा सिंह से डरी हुई थी।
🚩अब माता सुंदरी के प्रभाव में बाबा विनोद सिंह ने बन्दा सिंह का विरोध किया और अपने सैंकड़ो समर्थको के साथ किला छोड़कर चले गए,
मुगलो से समझोते और षड्यंत्र के कारण विनोद सिंह और उसके 500 समर्थको को निकल जाने का सुरक्षित रास्ता दिया गया।
अब किले में विनोद सिंह के पुत्र बाबा कहन सिंह किसी रणनीति से रुक गए इससे बन्दा सिंह कि सिक्ख सेना कि शक्ति अत्यधिक कम हो गयी।
🚩खाद्य सामग्री के अभाव के कारण उसने 7 दिसम्बर को आत्मसमर्पण कर दिया।कुछ साक्ष्य दावा करते हैं कि गुरु गोविन्द सिंह जी कि माता गूजरी और दो साहबजादो को धोखे से पकड़वाने वाले गंगू कश्मीरी ब्राह्मण रसोइये के पुत्र राज कौल ने बन्दा सिंह को धोखे से किले से बाहर आने को राजी किया।
🚩मुगलों ने गुरदास नंगल के किले में रहने वाले 40 हजार से अधिक बेगुनाह मर्द, औरतों और बच्चों की निर्मम हत्या कर दी।
🚩मुगल सम्राट के आदेश पर पंजाब के गर्वनर अब्दुल समन्द खां ने अपने पुत्र जाकरिया खां और 21 हजार सशस्त्र सैनिकों कि निगरानी में बाबा बन्दा बहादुर को दिल्ली भेजा। बन्दा को एक पिंजरे में बंद किया गया था और उनके गले और हाथ-पांव कि जंजीरों को इस पिंजरे के चारो ओर नंगी तलवारें लिए मुगल सेनापतियों ने थाम रखा था। इस जुलुस में 101 बैलगाड़ियों पर सात हजार सिखों के कटे हुए सिर रखे हुए थे जबकि 11 सौ सिख बन्दा के सैनिक कैदियों के रुप में इस जुलूस में शामिल थे।
🚩युद्ध में वीरगति पाए सिखों के सिर काटकर उन्हें भाले कि नोक पर टाँगकर दिल्ली लाया गया। रास्ते भर गर्म चिमटों से बन्दा बैरागी का माँस नोचा जाता रहा।
🚩मुगल इतिहासकार मिर्जा मोहम्मद हर्सी ने अपनी पुस्तक इबरतनामा में लिखा है कि हर शुक्रवार को नमाज के बाद 101 कैदियों को जत्थों के रुप में दिल्ली कि कोतवाली के बाहर कत्लगाह के मैदान में लाया जाता था। काजी उन्हें इस्लाम कबूल करने या हत्या का फतवा सुनाते। इसके बाद उन्हें जल्लाद तलवारों से निर्ममतापूर्वक कत्ल कर देते। यह सिलसिला डेढ़ महीने तक चलता रहा। अपने सहयोगियों कि हत्याओं को देखने के लिए बन्दा को एक पिंजरे में बंद करके कत्लगाह तक लाया जाता ताकि वह अपनी आंखों से इस दर्दनाक दृश्य को देख सकें।
🚩बादशाह के आदेश पर तीन महीने तक बंदा और उसके 27 सेनापतियों को लालकिला में कैद रखा गया। इस्लाम कबूल करवाने के लिए कई हथकंडे का इस्तेमाल किया गया। जब सभी प्रयास विफल रहे तो जून माह में बन्दा कि आंखों के सामने उसके एक-एक सेनापति कि हत्या की जाने लगी। जब यह प्रयास भी विफल रहा तो बन्दा बहादुर को पिंजरे में बंद करके महरौली ले जाया गया। काजी ने इस्लाम कबूल करने का फतवा जारी किया जिसे बन्दा ने ठुकरा दिया।
🚩बन्दा के मनोबल को तोड़ने के लिए उनके चार वर्षीय अबोध पुत्र अजय सिंह को उसके पास लाया गया और काजी ने बन्दा को निर्देश दिया कि वह अपने पुत्र को अपने हाथों से हत्या करे। जब बन्दा इसके लिए तैयार नहीं हुआ तो जल्लादों ने इस अबोध बालक का एक-एक अंग निर्ममतापूर्वक बन्दा कि आंखों के सामने काट डाला। इस मासूम के धड़कते हुए दिल को सीना चीरकर बाहर निकाला गया और बन्दा के मुंह में जबरन ठूंस दिया गया। वीर बन्दा तब भी निर्विकार और शांत बने रहे।
🚩अगले दिन जल्लाद ने उनकी दोनों आंखों को तलवार से बाहर निकाल दिया। जब बन्दा टस से मस न हुआ तो उनका एक-एक अंग हर रोज काटा जाने लगा। अंत में उनका सिर काट कर उनकी हत्या कर दी गई। बन्दा न तो गिड़गिड़ाये और न उन्होंने चीख पुकार मचाई। मुगलों कि हर प्रताड़ना और जुल्म का उसने शांति से सामना किया और धर्म कि रक्षा के लिए बलिदान हो गया।
🚩देश और धर्म के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने और इतनी यातनाएं सहन करने के बाद प्राणों कि आहुति दे दी लेकिन न धर्म बदला और नही अन्याय के सामने कभी झुके। इन वीर महापुरुषों को आज हिंदुस्तानी भूल रहे है और देश को तोड़ने में सहायक हीरो-हीरोइन, क्रिकेटरों का जन्म दिन याद होता है लेकिन आज हम जिनकी वजह से स्वतंत्र है उनका बलिदान दिवस याद नही कितना दुर्भाग्य की बात है ।
🚩इतिहास से हिन्दू आज सबक नही लेगा, संघटित होकर कार्य नही करेगा और हिंदी राष्ट्र कि स्थापना नही होगी तो फिर से विदेशी ताकते हावी होगी और हमें प्रताड़ित करेंगी ।
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Thursday, June 7, 2018

श्रीलंका में 90% हिन्दू थे अब 20% ही बचे है, आप भी जानिए कैसे मिटाए जा रहे है हिन्दू?

7 Jun 2018

🚩प्रभु श्रीरामचंद्रजी ने रावण का वध कर श्रीलंका से अधर्म का राज्य नष्ट किया था परंतु आज श्रीलंका के हिन्दुआें पर पुनः संकट का पहाड टूट पडा है । उन पर क्रूर अत्याचार हो रहे हैं । 

*श्रीलंका में हिन्दुआें का सफाया*
There were 90% Hindus in Sri Lanka, now 20% are left,
 you also know how Hindu is being erased.


🚩श्रीलंका में तीसरी शताब्दी तक हिन्दू राष्ट्र था । वहां हिन्दू राजा राज्य कर रहे थे । सम्राट अशोक ने सर्वप्रथम श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार किया । श्रीलंका में पहले सर्वत्र शिवमंदिर थे । अब वहां बौद्ध बिहार बनाए गए हैं । तदुपरांत श्रीलंका में सिंहली और हिन्दू इलम, ऐसे दो गुट निर्माण हुए । वर्ष 1505 में श्रीलंका में पुर्तगाली आए । वर्ष 1833 में श्रीलंका में हिन्दुआें के लिए केवल एक तिहाई स्थान शेष रह गया और दो तिहाई भूमि सिंहलियों ने व्याप ली । वर्ष 1976 तक पूरा टापू सिंहलियों ने छीन लिया । वर्ष 1976 में प्रभाकरन ने ‘लिबरेशन टायगर्स ऑफ तामिल इलम’ की स्थापना की और उस माध्यम से हिन्दुआें के लिए संग्राम किया । वर्ष 2009 में प्रभाकरन् पराजित हो गए ।

🚩गत पांच वर्षों में श्रीलंका कि संपूर्ण भूमि सिंहलियों ने हड़प ली है । सिंहली सरकार के काल में सैन्य कार्यवाही कर हिन्दुआें पर अत्याचार किए गए । 10 सहस्र (हजार) हिन्दू महिलाआें पर बलात्कार किया गया । हिन्दुआें के 1 सहस्र मंदिर उद्धवस्त कर दिए गए । बौद्धों ने हिन्दुआें से मुंह मोड़ लिया है । श्रीलंका में हिन्दुआें को बौद्धों ने चेतावनी भी दी है । – डॉ. कार्तिकेयन्, नेता, इंडो-इलम तामिळ फ्रेंडशिप, चेन्नई, तामिळनाडू

🚩श्रीलंका के हिन्दू समाप्त होने कि कगार पर 

*1.* श्रीलंका में 400 से अधिक ईसाई मिशनरी संस्थाआें के माध्यम से वहां के तमिल हिन्दुआें का ईसाई धर्म में धर्म-परिवर्तन किया जा रहा है । ये संस्थाएं वहां के मूल हिन्दू मानसिक रोगी, विधवा, छोटे बच्चों, वयोवृद्ध एवं रोगियों को लक्ष्य बनाती है । मीठा बोलकर, पैसे, नौकरी, शिक्षा का व्यय जैसे प्रलोभन देकर, हिन्दुआें कि विवशता का अनुचित लाभ उठाकर उनका धर्म-परिवर्तन किया जाता है ।

*🚩2.* ईसाइयों को उनके धर्म कि शिक्षा मिलती है पर हिन्दुआें को धर्म कि शिक्षा देनेवाली पाठशालाएं वहां नहीं हैं । जिन हिन्दूबहुल गांवों में ईसाई अल्पसंख्यक हैं वहां वे बड़ा चर्च अथवा बुद्धबिहार बनाते हैं और अपनी गतिविधियां आरंभ करते हैं ।

*🚩3.* भारतीय सेना ने वर्ष 1988 मेें लिंगेश्‍वर मंदिर बनाया था । वर्ष 2018 में ईसाइयों ने उसे तोड़ गिराया । ऐसे अनेक मंदिर ईसाई और बौद्ध लोगों ने तोड़ दिए हैं । उन्होंने अम्मा मंदिर भी तोड़ दिया । ऐन दीपावली के समय ईसाइयों द्वारा गिराया गया एक शिवमंदिर हिन्दुआें ने पुनः बनाया परंतु महाशिवरात्रि के दिन ही उसे पुनः गिरा दिया गया । अंजनेय स्वामी मंदिर भारतीय सेना ने वर्ष 1988 में बनाया था । ‘यह भूमि ईसाईयों कि है’, ऐसा कहकर ईसाईयों ने वहां हिन्दुआें को प्रतिबंधित कर दिया है । यह मंदिर तोड़ने कि एक और पद्धति है । अम्मा मंदिर को ईसाइयों ने अपने नियंत्रण में ले लिया है उनकी अनुमति के बिना हिन्दू पूजा नहीं कर सकते । श्रीलंका के ईसाई और मुसलमान सदैव हिन्दुआें कि धार्मिक भावनाआें का अनादर करते हैं ।

*4.* पहले श्रीलंका में 90 प्रतिशत हिन्दू थे । आज केवल 20 से 30 प्रतिशत ही हिन्दू बचे हैं । यदि वहां धर्मरक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया तो भविष्य में हिन्दू धर्म ही वहां से समाप्त हो जाएगा ।

*🚩5.* हम श्रीलंका में हिन्दू धर्म कि पुनर्स्थापना के प्रयास कर रहे हैं । ‘हम हिन्दू हैं , हमें इस पर गर्व है’, ऐसे कुछ पत्रक हम वितरित कर रहे हैं । भित्तीपत्रक (पोस्टर्स) लगा रहे हैं । वहां के हिन्दुआें में शिवलिंग, तुलसी एवं भगवद्गीता बांटने का हमारा विचार है । जिससे ईसाइयों की गतिविधियों पर रोक लगेगी ।
! – श्री. कन्नेय्या दिनेश्‍वरन्, हिन्दुत्वनिष्ठ, श्रीलंका

🚩श्रीलंका में बौद्ध असहिष्णुतावादी हैं । 2 सहस्र वर्ष पूर्व श्रीलंका में हिन्दू धर्म था । गत 60 वर्षों में वहां हिन्दू धर्म नष्ट कर दिया गया । वर्ष 2009 में डेढ लाख हिन्दुआें का सफाया किया गया । उस समय भारत चूप रहा । श्रीलंका में ‘रेप कैंप‘ आयोजित किए गए । वहां हिन्दू महिलाआें पर बलात्कार किए गए ।

🚩श्रीलंका के हिन्दुआें को भारतीय हिन्दुआें के आधार कि अपेक्षा

🚩श्रीलंका में भी कोई आश्रम होना चाहिए । वहां गुरुजी (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी) पधारें और उनकी ओर से वहां के हिन्दुआें को धर्मशिक्षा दी जाए, इसके साथ ही हिन्दुआें में श्रद्धा निर्माण होने हेतु हमारा मार्गदर्शन करें, ऐसी हमारी इच्छा है । हम चाहते हैं कि हमें ऐसा विश्‍वास दिलाएं कि ‘श्रीलंका के हिन्दू अकेले नहीं हैं । भारत के हिन्दू उनके साथ हैं ।’

🚩श्रीलंका के हिन्दुआें को स्वतंत्रता चाहिए, पुनर्वास नहीं । भारत श्रीलंका के हिन्दुआें को स्वतंत्रता दिलाने का प्रयास करे । स्वतंत्रता मिलने पर ही श्रीलंका के हिन्दुआें को मुक्ति मिलेगी । भारत के हिन्दुआें के समर्थन पर ही श्रीलंका के हिन्दुआें कि मुक्ति निर्भर करती है ।

🚩श्रीलंका के हिन्दू, भारत से सहायता मिलने कि प्रतीक्षा में हैं । वहां के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, श्रीलंका में हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए प्रयासरत हैं परंतु उन्हें आवश्यकता है नैतिक, आर्थिक और राजनीतिक समर्थन की !  

🚩श्रीलंका के हिन्दुआें को आधार देने के लिए भारतीय हिन्दुआें को आगे आना होगा !

🚩गौरतलब है कि गोवा में सनातन संस्था कि ओर से हिन्दू राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे अधिवेशन में श्रीलंका में सक्रिय हिन्दू धर्मवीरों ने श्रीलंका के हिन्दुआें की दयनीय अवस्था से उपस्थितों को अवगत कराया ।

🚩भारत में भी हिन्दुओं कि स्थिति ठीक नही है भारत में भी ईसाई मिशनरियां पुरजोश से धर्मान्तरणन करवा रही है, इस्लाम वाले भी जबजरस्ती धर्मान्तरणन करवा रहे है, लव जिहाद चला रहे है, हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान किया जा रहा है, हिन्दू धर्मगुरुओं को बदनाम करके जेल भिजवाया जा रहा है । मीडिया हिंदुनिष्ठ, हिन्दू त्यौहार के खिलाफ कैम्पियन चला रही है, बॉलीवुड में हिन्दू संस्कृति का अपमान किया जा रहा है फिर भी हिन्दू आराम से सो रहे है कि हमारा कोई कुछ नही कर सकता लेकिन याद रखो जैसे कश्मीर से हिन्दुओं को भगा दिया, श्रीलंका से खत्म कर दिए गए ऐसे ही भारत से भी हिन्दू खत्म हो सकते है अगर गहरी नींद से नही जगे तो ।

🚩अभी भी समय है हिन्दू धर्म के प्रति सचेत रहो और उसके खिलाफ षड्यंत्र करने वालो को सबक सिखाओ ।
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Wednesday, June 6, 2018

2019 चुनाव, जो हिन्दू राष्ट्र का कार्य करेगा वही देश पे राज करेगा - श्री रमेश शिंदे

🚩रामनाथी (गोवा) : वर्ष 2019 के चुनाव समीप है । इस समय हिन्दुत्वनिष्ठ कौनसी भूमिका अपनाएंगे ? पुनः भाजपा के हाथों सत्ता देंगे क्या ? ऐसा प्रश्‍न किया जा रहा है किंतु चुनावों से लोकतंत्र के केवल एक राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन होता है, शेष सभी व्यवस्थाएं ‘सेक्युलर’ ही रहती हैं ।
🚩परिणामस्वरूप देश में आज हिन्दू बहुसंख्यकों कि उपेक्षा कर संगठित अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण पर आधारित राजकारण चल रहा है इसलिए किसी भी सरकार के पास अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के अतिरिक्त दूसरा विकल्प नहीं है । इसलिए बहुसंख्य हिन्दुआें को अभी से संगठित होकर हिन्दुआें के दबाव नियंत्रण कि राजनीति करना आवश्यक है ।
2019 elections, which will work for the Hindu nation,
 will rule the country only - Shri Ramesh Shinde

🚩वर्ष 2014 के चुनाव में दिए आश्‍वासनों का हिन्दुआें को गृहीत पकड़नेवाली भाजपा सरकार को विस्मरण हो गया है इसलिए हिन्दुत्वनिष्ठों ने अभी से अपनी मांगें निश्‍चित कर उन्हें राजनीतिक दलों के सामने रखनी चाहिए । उनकी पूर्तता कब तक करेंगें ?, पूछना होगा । आज विकास के नाम पर राजनीति चल रही है किंतु विकास हिन्दुत्व के लिए विकल्प न होकर हमें ‘हिन्दुत्वसहित विकास’ अपेक्षित है । आज हिन्दुत्वनिष्ठों कि सत्ता होते हुए भी अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर, कश्मीर में हिन्दुआें का पुनर्वास स्वप्न ही रह गए हैं । असली विकास सत्ता का उपभोग करनेवालों का हो रहा है । इसलिए अब हिन्दुत्वनिष्ठ दलों को अपनी हिन्दू राष्ट्र सम्बन्धी भूमिका स्पष्ट करने कि आवश्यकता है । हिन्दुआें का वास्तविक हितरक्षण हिन्दू राष्ट्र प्रस्थापित करने पर ही होगा ।
🚩अतः आगामी काल में होनेवाले चुनावों में जो ‘हिन्दू राष्ट्र का कार्य करेगा, वही देश पर राज करेगा’, यह हिंदुत्वनिष्ठों कि मांग रहेगी, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री रमेश शिंदे ने किया । वे रामनाथी, गोवा के श्री
रामनाथ देवस्थान के श्री विद्याधिराज सभागृह में आयोजित सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में तीसरे दिन के सत्र में ‘वर्ष 2019 में होनेवाले लोकसभा चुनावों सम्बन्धी हिन्दुत्वनिष्ठों कि भूमिका’ इस विषय पर बोल रहे थे ।
🚩2019 का जो चुनाव आ रहा है उसमे जो हिन्दुत्व का कार्य करेगा वही जीतेगा क्योकी गौहत्या बन्द नही होने से करोड़ो गौभक्त नाराज है, भगवान श्री राम मंदिर नही बनने पर करोड़ो श्री राम भक्त नाराज है, कश्मीर में पंडितों को नही बसाने पर करोड़ों देशभक्त आहत है, निर्दोष हिन्दू संतों को जेल में भेजने के कारण करोड़ो गुरुभक्त नाराज है, कश्मीर में जवानों को पत्थर मारा जा रहा है, जान लेवा हमले किये जा रहे है फिर भी जवानों को छूट नही देकर अल्पसंख्यक लोगो कि तृष्टिकरन के कारण करोड़ो देश के नागरिक व्यथित हैं देश में हिन्दुओं के मंदिर तोड़े जा रहे है, जिसके कारण भक्त नाराज है, किसानों को आत्महत्या पर चुप्पी के कारण करोड़ो किसान नाराज है इन सब मुद्दों का हल जो करेगा वही इस भारत देश पर राज करेगा अन्यथा केवल इसके लिए बाते करना, पर कोई ठोस कार्य नही करने के कारण हिंदुनिष्ठ और जनता नाराज है जिसका नेताओं को कोप सहन करना पड़ सकता है इसलिए वर्तमान सरकार को इन मुद्दों पर ध्यान देकर शीघ्र निपटना चाहिए ।
🚩इन मुद्दों पर ध्यान देकर जो भी नेता हल करेगा उसको 2019 में बहुमत से पक्की जीत है ।
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