Sunday, June 10, 2018

जनता का फूटा गुस्सा : न कोई सबूत न कोई चश्मदीद गवाह फिर भी उम्रकैद?



10 June 2018

🚩भारत देश में बना एक ऐसा कानून,
जिसमें महज लड़की के बोलने मात्र से आपको हो सकती है आजीवन कारावास की सजा ।

🚩देश की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए बलात्कार के कड़े कानून होना बहुत जरुरी है पर हमेशा पुरुष ही गलत नही होता है।
The public's furious anger: no evidence
 or an eyewitness witness still alive?

🚩आज बलात्कार जैसे कानूनों का दुरुपयोग अपनी चरम सीमा पर है ।

🚩2012 में निर्भया कांड के बाद बलात्कार के कड़े कानून बनाये गए और जहां से जन्म हुआ POCSO Act जैसे कानून का, जिसमें जमानत तक नहीं दी जाती और फास्ट ट्रैक्ट के अंतर्गत इसमें कानूनी प्रक्रिया चलाने का प्रावधान है ।

🚩इस कानून के सबसे पहले शिकार बनाये गए हिन्दू संत आसाराम बापू । फास्ट ट्रैक का प्रावधान होते हुए भी बापू आसारामजी के केस को 5 साल तक बिना जमानत दिए खींचा गया और अंततः उन्हें उम्रकैद की सजा सुना दी गई ।

#InjusticeToInnocentSaint ये आवाज उठ रही है भारत के हर घर, हर कोने से ।  जनता आक्रोश में है क्योंकि एक निर्दोष संत को महज लड़की के बोलने मात्र पर मिली है बिना सबूत उम्रकैद की सजा । 

🚩ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में आज हजारों की तादाद में ऐसी ट्वीट्स देखने को मिली जो न्यायालय द्वारा आये फैसले पर उंगली उठा रही हैं ।

🚩आइये कुछ नमूने आपके सामने प्रस्तुत करते हैं :-

🚩1.) दीपक कहते हैं कि जहाँ निचली अदालतों में 80% जज भ्रष्ट है वहाँ आम नागरिकों को न्याय की क्या आस रहेगी?
Sant Shri Asaram Bapu Ji का फ़ैसला भी इतने सबूतों के बावजूद भी दबाव में दिया गया लगता हैं।
#InjusticeToInnocentSaint


🚩2.) निशांत का कहना है कि बहुत अति हो गई जुल्मों की Asaram Bapu Ji पर पहले झूठे आरोप फिर Medical Report को नज़रअंदाज़ करते हुए लड़खडाती सेहत के बावजूद जमानत न देना फिर आजीवन कारावास की सज़ा, बहुत हद हो गई। इतनी नाइंसाफी आज़ादी के बाद पहली बार देखने को मिल रही है। #InjusticeToInnocentSaint

🚩3.) विमी कहती हैं कि जो ज़ुल्म मुग़ल काल में हिंदुओं पर होते थे वैसा ज़ुल्म वर्तमान में भी Sant Shri Asaram Bapu Ji पर हो रहा है।
कितने शर्म की बात है।

🚩4.) अनिता हरवानी का कहना है कि भारत के संविधान में भी सुधार जरूरी है जहां वरिष्ठ Sant Shri Asaram Bapu Ji के अधिकारों को हनन किया गया, उन्हें फर्जी केस में उम्रकैद सज़ा दे कर।
#InjusticeToInnocentSaint

🚩5.) अमन कुमार कहते हैं कि एक 82 साल के वृद्ध Sant Shri Asaram Bapu Ji को न्याय नही देकर आजीवन कारावास की सज़ा देने से सम्पूर्ण विश्व में सेशन कोर्ट की छवि धूमिल हुई है। हमें हाई कोर्ट से न्याय चाहिए

🚩6.) शुभ राजपूत कहते हैं कि बिना किसी सबूत मात्र एक झूठी कहानी के आधार पर जिसका न कोई मेडिकल प्रूफ न कोई आधार, को सही मानकर Sant Shri Asaram Bapu Ji को उम्रकैद की सज़ा सुनाना बहुत गलत फैसला है क़ानून का।

🚩7.) राजेश मदान लिखते हैं कि प्रधानसेवक महोदय जी,आप कितना ही भौतिक विकास क्यों न कर लें लेकिन भारत विश्वगुरु बनें इस हेतु सर्वस्व न्योछावर किया है संत Asaram Bapu Ji ने । क्या इसलिए उन्हें बोगस केस में फंसाकर प्रताड़ित किया जा रहा है?
देश सेवा का ये बदला ???#InjusticeToInnocentSaint

🚩8.)मुकेश कहते हैं कि #InjusticeToInnocentSaint ! क्या यही सिला है अपने देश की सेवा करने का, जैसा कानून ने दिया Sant Shri Asaram Bapu Ji को, एक निहायत फर्जी रेप केस में आजीवन कारावास दे कर❓

🚩9.) लक्ष्मी कहती हैं कि दण्डित होने पर कईयों को बेल मिलती है पर इस झूठे केस में न तो बेकसूर Sant Shri Asaram Bapu Ji को बेल मिली न राहत, बस मिली तो आजीवन कारावास सज़ा ।
#InjusticeToInnocentSaint

🚩10.)विनोद का कहना है कि Sant Shri Asaram Bapu Ji को एक झूठा रेप केस बना कर पहले हिरासत, फिर आजीवन कारावास देना अन्यायपूर्ण है!!
अब ये केस हाइकोर्ट को दिया जाए ताकि Bapuji के साथ न्याय हो।
#InjusticeToInnocentSaint

🚩11.)ममता का कहना है कि एक लड़की आती है और Sant Shri Asaram Bapu Ji पर झूठा रेप आरोप लगाती है और  कानून आसानी से उसकी बात मान कर Bapu Ji को उम्रकैद में भेजता है ये क्या अन्याय नही, नाइंसाफी नहीं ??
#InjusticeToInnocentSaint

🚩इस प्रकार से हजारों ट्वीट्स आज टॉप ट्रेंड में देखने को मिली हैं ।

🚩सुप्रसिद्ध न्यायविंद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जी ने तो स्पष्ट बता दिया कि बापू आसारामजी पर किया गया केस पूरी तरह बोगस है, तुरन्त रद्द कर देना चाहिए । स्वामी ने ये भी स्पष्टतौर पर कहा कि अगर मैं कानूनी प्रक्रिया बदल सकता तो सबसे पहले POCSO एक्ट बदल डालता।

🚩क्या आपको पता है कि महिलावाद एक धंधा बन चुका है जिसका सालाना टर्न ओवर "कई हजार करोड़" के ऊपर जा रहा है। कई न्यायालय इस पर चिंता भी व्यक्त कर चुके हैं ।

🚩NCRB (National Crime Report Beauro) के अनुसार वर्ष 2013 में 65,000 से 70,000 हजार पुरुष हर साल महिला कानूनों से तंग आकर आत्महत्या करते थे। यानी हर नौवें मिनट में एक पुरुष सुसाइड करता था। वहीं महिलाओं का ग्राफ 25,000 से 29,000 था जिसमें आत्महत्या के विभिन्न कारण शामिल थे।

🚩2018 के हालात कुछ ऐसे हैं कि आज हर छठें से सातवे मिनट के अंतराल पर एक पुरुष आत्महत्या कर रहा है। आज भारत में हर एक से डेढ मिनट के भीतर एक फर्जी केस रजिस्टर्ड हो रहा है। सोचिए कहाँ जा रहे हैं हम ??

🚩इन कानूनों का निर्माण महिला उत्थान के लिये किया गया था मगर आज पथभ्रष्ट महिलाएं इसका  धड़ल्ले से दुरुपयोग कर रही हैं । सरकार को इन पथभ्रष्ट महिलाओं  द्वारा किये जा रहे हर फर्जी केस पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए तथा ऐसी महिलाओं को कठोर से कठोर दंड देने चाहिए जो अपनी स्वार्थपूर्त्ति के लिए किसी के जीवन से खेल रही हैं । 

🚩हाल ही में प्रतापगढ़ जिला एवं सेशन न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि दलालों द्वारा प्रतिवर्ष काफी संख्या में बालिकाओं तथा महिलाओं द्वारा दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैंं। जिसमें अनुसंधान के बाद अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किए जाते हैं। न्यायालय में गवाही के दौरान 90 प्रतिशत मामलों में पीडि़ताएं मुकर जाती हैं। जिसमें खेत, सम्पत्ति व रास्ते की रंजिश पारिवारिक अथवा अन्य कारणों से अथवा अभियुक्त को ब्लेकमेल कर रुपए ऐंठने के लिए झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी ऐसी स्थिति बताती है। पीडि़ताएं न्यायालय में स्वयं के द्वारा दी गई रिपोर्ट का भी समर्थन नहीं करती हैं ।

🚩जिस तरह से फर्जी छेड़खानी के केस, घरेलू हिंसा , दहेज उत्पीड़न, वैवाहिक बलात्कार जैसे केसों का धड़ल्ले से दुरूपयोग हो रहा है इससे साफ स्पष्ट है कि आने वाले कुछ ही समय में भारत से पुरुष नामक प्रजाति विलुप्त के कगार पर पहुँच जायेगी। 

🚩मीडिया हिंदुत्वनिष्ठ विरोधी बन चुकी है

🚩आये दिन बलात्कार की घटनाएं घटती रहती हैं पर क्या आपने देखा कि किसी मीडिया द्वारा उसे इतना तूल दिया गया हो जितना बापू आसारामजी के केस को दिया गया ।

🚩क्या इन 5 सालों में कोई पादरी या मौलवी कानून की गिरफ्त में नहीं आया ? आये!!

🚩पर मीडिया उन पर चुप्पी साधे रहा क्योंकि मीडिया को फंडिंग तो बापू आसारामजी को बदनाम करने के लिए मिला है ।

🚩आज देश की जड़ों को खोखला करने का काम कर रहा है लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया उर्फ माफिया ।

🚩जागो हिन्दू !!

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Saturday, June 9, 2018

अंग्रेज भी कांपने लगे थे उन महान बिरसा मुंडा से, जिनका आज है बलिदान दिवस

9 Jun 2018
🚩हमारे देश की शिक्षा प्रणाली में सही इतिहास को स्थान ही नही दिया गया है, हमारे भारत मे ऐसे #महान #क्रांतिकारी वीर हुए की आपको भी अपने पूर्वज पर गर्व होने लगेगा ।
🚩बिरसा मुंडा के परिचय
🚩सुगना मुंडा और करमी हातूके पुत्र बिरसा मुंडाका जन्म 15 नवंबर 1875 को #झारखंड #प्रदेशमें रांचीके #उलीहातू गांवमें हुआ था । ‘बिरसा भगवान’के नामसे लोकप्रिय थे । बिरसाका जन्म बृहस्पतिवारको हुआ था, इसलिए मुंडा जनजातियोंकी परंपराके अनुसार उनका नाम ‘बिरसा मुंडा’ रखा गया । इनके पिता एक खेतिहर मजदूर थे । वे बांससे बनी एक छोटी सी झोंपडीमें अपने परिवारके साथ रहते थे ।
The British also started trembling with the
 great Birsa Munda, today is the sacrifice day

बिरसा बचपनसे ही बडे प्रतिभाशाली थे । बिरसाका परिवार अत्यंत गरीबीमें जीवन- यापन कर रहा था । गरीबीके कारण ही बिरसाको उनके मामाके पास भेज दिया गया जहां वे एक विद्यालयमें जाने लगे । विद्यालयके संचालक बिरसाकी प्रतिभासे बहुत प्रभावित हुए । उन्होंने बिरसाको जर्मन मिशन पाठशालामें पढनेकी सलाह दी । वहां पढनेके लिए ईसाई धर्म स्वीकार करना अनिवार्य था । अतः बिरसा और उनके सभी परिवार वालों ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया ।
🚩हिंदुत्वकी प्रेरणा
🚩सन् 1886 से 1890 तक का समय बिरसाने जर्मन मिशनमें बिताया । इसके बाद उन्होंने जर्मन मिशनरीकी सदस्यता त्याग दी और प्रसिद्ध वैष्णव भक्त आनंद पांडेके संपर्क में आये । 1894 में मानसूनके छोटानागपुरमें असफल होनेके कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी । बिरसाने पूरे मनोयोगसे अपने लोगोंकी सेवा की । बिरसाने आनंद पांडेजीसे धार्मिक शिक्षा ग्रहण की । आनंद पांडेजीके सत्संगसे उनकी रुचि भारतीय दर्शन और संस्कृतिके रहस्योंको जाननेकी ओर हो गयी । धार्मिक शिक्षा ग्रहण करनेके साथ-साथ उन्होंने #रामायण, #महाभारत, #हितोपदेश, #गीता आदि धर्मग्रंथोंका भी अध्ययन किया । इसके बाद वे सत्यकी खोजके लिए एकांत स्थानपर कठोर साधना करने लगे । लगभग चार वर्ष के एकांतवासके बाद जब बिरसा प्रकट हुए तो वे एक हिंदु महात्माकी तरह पीला वस्त्र, लकडीकी खडाऊं और यज्ञोपवीत धारण करने लगे थे ।
🚩धर्मांतरका विरोध
🚩बिरसाने हिंदु धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार करना शुरू कर दिया । ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले वनवासी बंधुओं को उन्होंने समझाया कि ‘ईसाई धर्म हमारा अपना धर्म नहीं है । यह अंग्रेजोंका धर्म है वे हमारे देशपर शासन करते हैं, इसलिए वे हमारे हिंदु धर्मका विरोध और ईसाई धर्मका प्रचार कर रहे हैं । ईसाई धर्म अपनाने से हम अपने पूर्वजोंकी श्रेष्ठ परंपरासे विमुख होते जा रहे हैं । अब हमें जागना चाहिए । उनके विचारोंसे प्रभावित होकर बहुतसे वनवासी उनके पास आने लगे और उनके शिष्य बन गए ।
🚩 वन अधिकारी वनवासियों के साथ ऐसा व्यवहार करते थे जैसे उनके सभी अधिकार समाप्त कर दिए गए हों । वनवासियोंने इसका विरोध किया और अदालत में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने अपने पुराने पैतृक अधिकारों को बहाल करने की मांग की । इस याचिका पर सरकारने कोई ध्यान नहीं दिया । बिरसा मुंडाने वनवासी किसानोंको साथ लेकर स्थानियों अधिकारियोंके अत्याचारोंके विरुद्ध याचिका दायर की । इस याचिका का भी कोई परिणाम नहीं निकला ।
🚩#वनवासियों का #संगठन
🚩बिरसाके विचारोंका वनवासी बंधुओं पर गहरा प्रभाव पडा । धीरे-धीरे बडी संख्यामें लोग उनके अनुयायी बनते गए । बिरसा उन्हें प्रवचन सुनाते और अपने अधिकारों के लिए लडने की प्रेरणा देते । इस प्रकार उन्होंने वनवासियों का संगठन बना लिया । बिरसाके बढते प्रभाव और लोकप्रियताको देखकर अंग्रेज मिशनरी चिंतित हो उठे । उन्हें डर था कि बिरसा द्वारा बनाया गया वनवासियोंका यह संगठन आगे चलकर मिशनरियों और अंग्रेजी शासन के लिए संकट बन सकता है। अतः बिरसाको गिरफ्तार कर लिया गया ।
🚩अंग्रेजी शासन को उखाड फेंकनेका संकल्प
🚩बिरसाकी चमत्कारी शक्ति और उनकी सेवाभावना के कारण वनवासी उन्हें भगवानका अवतार मानने लगे थे। अतः उनकी गिरफ्तारीसे सारे वनांचल में असंतोष फैल गया । वनवासियोंने हजारों की संख्यामें एकत्रित होकर पुलिस थानेका घेराव किया और उनको निर्दोष बताते हुए उन्हें छोडनेकी मांग की । अंग्रेजी सरकारने वनवासी मुंडाओंपर भी राजद्रोहका आरोप लगाकर उनपर मुकदमा चला दिया । बिरसाको दो वर्षके सश्रम कारावासकी सजा सुनाई गयी और फिर हजारीबाग की जेलमें भेज दिया गया । बिरसाका अपराध यह था कि उन्होंने वनवासियोंको अपने अधिकारोंके लिए लडने हेतु संगठित किया था । जेल जानेके बाद बिरसाके मनमें अंग्रेजोंके प्रति घृणा और बढ गयी और उन्होंने अंग्रेजी शासन को उखाड फेंकनेका संकल्प लिया ।
🚩दो वर्षकी सजा पूरी करनेके बाद बिरसाको जेलसे मुक्त कर दिया गया । उनकी मुक्तिका समाचार पाकर हजारोंकी संख्यामें वनवासी उनके पास आये । बिरसाने उनके साथ गुप्त सभाएं कीं और अंग्रेजी शासनके विरुद्ध संघर्षके लिए उन्हें संगठित किया । अपने साथियों को उन्होंने शस्त्र संग्रह करने, तीर कमान बनाने और कुल्हाडीकी धार तेज करने जैसे कार्यों में लगाकर उन्हें सशस्त्र क्रान्तिकी तैयारी करनेका निर्देश दिया । सन #1899 में इस क्रांति का श्रीगणेश किया गया । बिरसाके नेतृत्वमें क्रांतिकारियोंने रांचीसे लेकर चाईबासा तक की पुलिस चौकियोंको घेर लिया और ईसाई मिशनरियों तथा अंग्रेज अधिकारियोंपर तीरोंकी बौछार शुरू कर दी । रांचीमें कई दिनों तक कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी रही । घबराकर अंग्रेजों ने हजारीबाग और कलकत्तासे सेना बुलवा ली ।
🚩राष्ट्र हेतु सर्वस्व अर्पण
🚩अब बिरसाके नेतृत्वमें वनवासियोंने अंग्रेज सेनासे सीधी लडाई छेड दी । अंग्रेजोंके पास बंदूक, बम आदि आधुनिक हथियार थे, जबकि वनवासी क्रांतिकारियोंके पास उनके साधारण हथियार तीर-कमान आदि ही थे । बिरसा और उनके अनुनायियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर अंग्रेज सेनाका मुकाबला किया। अंतमें बिरसाके लगभग चार सौ अनुयायी मारे गए । इस घटनाके कुछ दिन बाद अंग्रेजोंने मौका पाकर बिरसाको जंगलसे गिरफ्तार कर लिया । उन्हें जंजीरोंमें जकडकर रांची जेलमें भेज दिया गया, जहां उन्हें कठोर यातनाएं दी गयीं । बिरसा हंसते-हंसते सब कुछ सहते रहे और अंत में 9 जून 1900 को कारावासमें उनका देहावसान हो गया । बिरसाने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलनको नयी दिशा देकर भारतीयों, विशेषकर वनवासियोंमें स्वदेश प्रेम की भावना जाग्रत की ।
🚩बिरसा मुंडा की गणना महान देशभक्तोंमें की जाती है । उन्होंने #वनवासियोंको #संगठित कर उन्हें #अंग्रेजी शासनके #विरुद्ध #संघर्ष करनेके लिए तैयार किया । इसके अतिरिक्त उन्होंने भारतीय संस्कृतिकी रक्षा करनेके लिए धर्मांतरण करने वाले ईसाई मिशनरियोंका विरोध किया । ईसाई धर्म स्वीकार करनेवाले हिन्दुओंको उन्होंने अपनी सभ्यता एवं संस्कृतिकी जानकारी दी और अंग्रेजोंके षडयन्त्रके प्रति सचेत किया । आज भी झारखण्ड, उडीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेशके वनवासी लोग बिरसाको भगवानके रूपमें पूजते हैं । अपने पच्चीस वर्षके अल्प जीवनकालमें ही उन्होंने वनवासियोंमें स्वदेशी तथा भारतीय संस्कृतिके प्रति जो प्रेरणा जगाई वह अतुलनीय है । धर्मांतरण, शोषण और अन्यायके विरुद्ध सशस्त्र क्रांतिका संचालन  करने वाले महान सेनानायक थे ‘बिरसा मुंडा’ ।
🚩आज भी भारत में #वेटिकन सिटी के इशारे पर भारत मे #ईसाई मिशनरियों द्वारा पुरजोश से #धर्मान्तरण किया जा रहा है, लेकिन जनता को बिरसा मुंडा के पथ पर चलना चाहिए । जो #हिन्दू संस्कृति को #तोड़ने के लिए ईसाई मिशनरियों ने भारत मे #धर्मान्तरण रूपी #जाल बिसाया है इसमे भोले-भाले हिन्दू फस जाते है और कोई #हिन्दूनिष्ठ विरोध करता है तो उनकी #हत्या करवा दी जाती है या #मीडिया #द्वारा #बदनाम करवाकर #झूठे #केस बनाकर #जेल में #भिजवाया जाता है ।
🚩हिन्दुस्तानी इन षडयंत्र को समजो और बिरसा मुंडा के पथ पर चलो ।
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