Thursday, June 14, 2018

शनि शिंगणापुर मंदिर को सरकार अपने अधीन करने कि बना रही है योजना..



14 June 2018

🚩महाराष्ट्र में शनि शिंगणापुर हिंदुओं का एक लोकप्रिय धार्मिक स्थल है जहां हर रोज कई हिंदू दर्शन के लिए आते हैं। शनि शिंगणापुर में भगवान शनि प्रमुख देवता हैं। अब महाराष्ट्र सरकार इस जगह को अपने अधीन लेने जा रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा “मंदिर ट्रस्ट प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए हमने राज्य विधानसभा में कानून बनाने का वादा किया था। ये भारत में एक लोकप्रिय धार्मिक स्थल है इसलिए यहां उस स्तर कि सुविधाओं और प्रबंधन की आवश्यकता है।“ सरकार कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर की तर्ज पर शनि शिंगणापुर मंदिर के लिए भी एक विशेष कानून बनाना चाहती है। हैरानी की बात है कि शनि शिंगणापुर ट्रस्ट के अनिल दारानडाले ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है
Saturn is making the Shinganapur
 Temple government to make its subjection ..

🚩इस तथ्य को जानते हुए भी कि मंदिरों को नियंत्रित करने वाला कानून कितना गलत है हैरानी की बात है कि फिर भी उन्होंने ऐसा फैसला लिया। एक धर्मनिरपेक्ष राज्य को धार्मिक संस्थानों को नियंत्रित करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन भारतीय धर्मनिरपेक्षता कि बदली हुई अवधारणा राज्य को सिर्फ हिंदू मंदिर को नियंत्रित करने की अनुमति देती है वहीं मस्जिद, मदरसा और चर्च पूरी तरह से आजाद हैं। हिंदू मंदिरों को पूरे देश में ‘धर्मनिरपेक्ष’ राज्य सरकारों के हमले का सामना करना पड़ रहा है। ये सरकारें हिंदू रिलीजियस और चैरिटेबल एंडॉवमेंट्स (एचआरसीई) अधिनियमों के तहत हिन्दू मंदिरों को नियंत्रित करती हैं। एचआरसीई विभागों का नेतृत्व ज्यादातर स्वायत्त बोर्डों द्वारा किया जाता है जो अक्सर मार्क्सवादी या गैर-आस्तिक अकादमिक से होते हैं। अब राज्य सरकारें इन अमीर धार्मिक संस्थानों से पैसा उधार लेती हैं क्योंकि लोग मंदिरों में काफी दान देते हैं। सरकार न सिर्फ मंदिरों के पैसों का उपयोग करती है बल्कि वो बिना किसी भुगतान के उनके स्वामित्व वाली भूमि का भी इस्तेमाल करती है।

🚩हिन्दू धार्मिक संस्थान का नियंत्रण हिंदुओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है:

*🚩अनुच्छेद 14 :* कानूनी समानता। इसके अनुसार राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।

*🚩अनुच्छेद 15 :* धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान, या इनमें से किसी के ही आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है।

*🚩अनुच्छेद 25 :*  धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

*🚩1)* लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य के अधीन तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए सभी व्यक्तियों को विवेक कि स्वतंत्रता तथा अपनी पसंद के धर्म के उपदेश, अभ्यास और प्रचार करने का अधिकार है।

*🚩2)* (ए) इस लेख में कुछ नहीं बस राज्य को किसी भी आर्थिक, वित्तीय, राजनीतिक या अन्य धर्मनिरपेक्ष गतिविधि को नियंत्रित या प्रतिबंधित करने से रोकता है जो धार्मिक आचरण से संबंधित हो सकता है।

*🚩अनुच्छेद 26 :* धार्मिक मामलों को प्रबंधित करने कि स्वतंत्रता। लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य के अधीन रहते हुए प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी अनुभाग को अधिकार होगा।

🚩ये कदम बीजेपी के दोहरे चरित्र को दर्शाता है बीजेपी ने कर्नाटक चुनावों के दौरान अपने घोषणापत्र में इस बिंदु को शामिल किया था कि वो हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण और हस्तक्षेप से मुक्त करेंगे जिससे ऐतिहासिक सुधार आएगा। वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में जहां वे सत्ता में हैं वो खुद मंदिरों को नियंत्रित करने कि कोशिश कर रहे हैं। ये सरकार के पाखंड को दिखाता है। धर्मनिरपेक्षता के पवित्र नाम पर राज्य सरकारों ने हिंदू धार्मिक संस्थानों पर नियंत्रण कर लिया। यदि बीजेपी मंदिर पर नियंत्रण को नहीं छोड़ना चाहती तो कम से कम बीजेपी ये सुनिश्चित कर सकती है कि मंदिर पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में न रहे। मंदिरों को नियंत्रित करने का कानून भेदभाव से परिपूर्ण है क्योंकि वो अन्य धर्मों के स्थानो पर लागु नहीं होते सिर्फ हिंदू मंदिरों पर ही लागू किये जाते हैं। महाराष्ट्र सरकार को अपनी इस योजना का त्याग कर देना चहिये और इस संस्था को पूरी तरह से स्वतंत्रता से नियंत्रित करने की अनुमति देनी चाहिए।

🚩हिंदुस्तान हिन्दुओं का देश है, हिन्दू बहुसंख्यक है उनको पूरा अधिकार मिलना चाहिए हमेंशा हिन्दुओं की आस्था पर ही कुठाराघात होता है ।
चर्चो या मस्जिदों में सेवा के नाम पर देशवासियों के धर्मान्तरणन और दंगे करवाने के लिए विदेशी फंड भी आते पकड़ा गया है लेकिन सरकार उनपर कभी नियंत्रण नही करती है बल्कि जो समाज में अच्छे सेवाकार्य कर रहे है, समाज मे सुख-शांति पहुँचा रहे है, गरीबों कि मदद कर रहे है उन मंदिरों और आश्रमों पर ही सरकार कि नजर क्यों जाती है?

🚩मदिरों और आश्रमो के पैसे केवल समाज के अच्छे कार्यो में लगना चाहिए न कि सरकार की तिजोरियों भरने में हिन्दू बाहुल देश मे हिन्दुओं कि आस्था की रक्षा करनी चाहिए, मदिरों और आश्रमो को खुद की स्वतंत्रता देनी चाहिए तभी देश-धर्म-समाज और संस्कृति कि रक्षा हो पाएगी । 

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Wednesday, June 13, 2018

ऐतिहासिक फैसला : बच्चों को सुसंस्कारित करने हेतु विद्यालयों में होंगे संतों के प्रवचन

🚩जीवन में अगर सबसे जरूरी है तो सुसंस्कार होना जरूरी है अगर जीवन मे अच्छे संस्कार नही होंगे तो वे देश, धर्म, समाज और परिवार के प्रति वफादार नही रहेगा और कर्तव्यच्युत हो जायेगा । इसलिए जीवन को महान बनाने के लिए शिक्षा के साथ दीक्षा भी जरूरी है ।
🚩बचपन से अगर अच्छे संस्कार नही दिए तो बड़ा होकर अपराध करेगा, देश-धर्म के विरोधी बन जायेगा, नशा करने लग जायेगा, माता-पिता कि सेवा नही करेगा और जीवन में अच्छे कार्य नही कर पायेगा इसलिए अच्छे संस्कार देना बहुत जरूरी है।
🚩बच्चों के जीवन में अच्छे संस्कार आये इसलिए राजस्थान सरकार ने एक अच्छा फैसल लिया है,
विद्यालयों में संतों के प्रवचन करवायेंगे ।
Historical Judgment: Saints' discourse
 in schools to promote children

🚩जयपुर : राजस्थान के विद्यालयों में बच्चों को संस्कारित करने के लिए अब हर महीने बच्चों कि दादी-नानी को बुलाया जाएगा और संतों के प्रवचन कराए जाएंगे ! यह व्यवस्था जुलाई से शुरू हो रहे नए सत्र से लागू कि जाएगी । राजस्थान का माध्यमिक शिक्षा निदेशालय हर वर्ष शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले सत्र के दौरान कि जानेवाली गतिविधियों का कैलेंडर जारी करता है ! शिविरा पंचांग नामक इस कैलेंडर में विद्यालयों में हर माह कि जानेवाली गतिविधियों का पूरा विवरण होता है । इसी पंचांग में कहा गया है कि हर महीने के पहले शनिवार को किसी महापुरुष के जीवन का प्रेरक प्रसंग बताया जाएगा !
🚩दूसरे शनिवार को शिक्षाप्रद प्रेरक कहानियों का वाचन व संस्कार सभा होगी । इस संस्कार सभा में बच्चों की दादी-नानी को बुलाया जाएगा और वे बच्चों को परंपरागत कहानियां सुनाएंगी । इसके बाद तीसरे शनिवार को विद्यालयों में किसी समसामायिक विषयों की समीक्षा और किसी महापुरुष या स्थानीय संतों के प्रवचन कराए जाएंगे । चौथे शनिवार को महाकाव्यों पर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम होगा । पांचवें और अंतिम शनिवार को प्रेरक नाटक का मंचन व विद्यार्थियों कि ओर से राष्ट्रभक्ति गीत गायन होगा ! इसके साथ ही महीने के अंतिम शनिवार को सभी सरकारी विद्यालयों के छात्र व शिक्षक स्वैच्छिक श्रमदान करेंगे !
*सभी विद्यालयों पर होगा लागू*
🚩कार्यक्रम कि बाध्यता प्रदेश के सभी सरकारी, गैर सरकारी, सीबीएसई से संबद्ध विद्यालयों, अनाथ बच्चों के लिए संचालित आवासीय विद्यालयों, विशेषष प्रशिक्षण शिविरों और शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालयों के लिए भी लागू की गई है !
🚩राजस्थान सरकार के इस निर्णय कि भूरी-भूरी प्रशंसा की जा रही है जनता का कहना है कि देशभर कि सभी स्कूलों-कॉलेजों में यह नियम लागू होना चाहिए क्योंकि भारत देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है और आज भी हिन्दू संस्कृति टिकी है तो केवल हिन्दू साधु-संतों के कारण ही इसलिए संतों का विद्यालयों में प्रवचन करना बहुत जरूरी है जिससे बच्चों में भारतीय संस्कृति के प्रति आदर भाव हो और उनके जीवन मे दिव्य संस्कार आये ।
🚩भारत मे दूसरी ओर विदेशी ताकते के इशारे पर अभी जो संतों पर झूठे आरोप लगाकर जेल भिवजाया जा रहा है वे भी धीरे-धीरे दूर होता जाएगा, जनता जागरूक होगी तो संतो के खिलाफ षड्यंत्र नही होगा जिससे हमारी दिव्य संस्कृति को तोड़ने का उनके स्वप्न है वे भी सफल नही हो पायेंगे।
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Tuesday, June 12, 2018

पाठ्यपुस्तकों में क्रूर, लुटेरो, मुगलों व अंग्रेजों को हटाकर देशभक्तों को मिले स्थान...

🚩भारत एकमात्र एेसा देश है जहां देश के लिए अपने ‘प्राण’ देनेवाले क्रांतिकारियों को पाठ्यक्रम में पढ़ाया नही जाता है आैर देश कि रक्षा करने वाले क्रांतिकारियों कि ‘प्राण लेनेवालों’ को पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।
🚩नर्इ दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा संगठन चाहता है कि एनसीईआरटी जो भी पुस्तिका और पाठ्यक्रम तैयार करे वह प्रो-इंडिया हो । संघ कि इतिहास विंग ‘अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना’ ने इस संबंध में प्रस्ताव पास कर इस दिशा में खुद भी काम करना शुरू किया है ।
The place for the patriots to remove the cruel,
 looters, Mughals and the British in textbooks ...

🚩अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना कि चिंतन बैठक में इस मसले पर चर्चा हुई । संगठन की चिंतन बैठक तीन साल में एक बार होती है जिसमें आगे कि रणनीति पर चर्चा होती है । चिंतन बैठक में तय किया गया कि सरकार को इसके लिए पत्र लिखा जाएगा कि एनसीईआरटी जो भी पाठ्यक्रम तैयार करे और उसके अनुसार जो भी पुस्तकें आएं, वे प्रो- इंडिया हों । इतिहास संकलन योजना के संगठन सचिव बालमुकुंद ने कहा कि इतिहास कि पुस्तकों मे भारतीय नायकों को स्थान नहीं दिया गया है । उनकी जगह पर मुगल, मुस्लिम और वायसरॉय का इतिहास पढाया जाता है । हम सरकार को पत्र लिखेंगे कि, स्वतंत्रता सेनानियों का और स्वाभिमान देने वाला इतिहास पढाया जाए । उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थियों को अभी पंजाब का इतिहास, महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास, दक्षिण के कृष्ण देव राय का इतिहास, असम के अहोम राजाओं आदि का इतिहास नहीं पढाया जाता है ।
🚩‘यह सब क्यों नहीं पढाया जाता ?’
🚩चिंतन बैठक में इस पर भी चर्चा कि गई कि इतिहास कि पुस्तकों में अभी किन युद्धों को जगह दी गई है । इसमें कहा गया कि जो युद्ध भारत जीता और हिन्दू शासक जीते एेसे युद्धों को इतिहास की पुस्तकों में जगह नहीं दी हैं जबकि हारे हुए युद्धों का बखान किया गया है । संघ प्रचारक के अनुसार तराइन का युद्ध मोहम्मद गौरी हारा था इसमें पृथ्वीराज चौहान जीते थे । परंतु इस युद्ध के विषय में पुस्तकों में नहीं पढाया जाता । परंतु इसके बाद का युद्ध जो गौरी जीता वह पढाया जाता है । कई युद्ध में पौरव जीता था और सिकंदर हारा था ऐसे युद्धों को पढ़ाने के बजाय भारत कि हार के युद्ध इतिहास कि पुस्तकों मे शामिल किए गए हैं । संघ प्रचारक ने कहा कि 1668 में रातीघाटी युद्ध में कई राज्य मिलकर मुगलों से लड़े थे और जीते थे परंतु इसे नहीं पढाया जा रहा है । संघ के संगठन ने अब खुद इन युद्धों के बारे में पुस्तिका लिखने और प्रमोट करने का भी निर्णय लिया है ।स्त्रोत : नवभारत टाइम्स
🚩भारतीय शिक्षा में देश के लुटेरो, आक्रमणकारियों, मुगलों और अंग्रेजो को महान बताया जा रहा है वहीं दूसरी ओर देश की आजादी के लिए उनके खिलाफ लड़कर अपने प्राणों की आहुति दे दी, ऐसे वीरों को पाठ्यक्रम में स्थान नही दिया गया।
🚩एक तरफ तो अंग्रेजो के चाटूकार नेहरू आदि को सम्मान देकर अरबो-खबरों कि सम्पत्ति इक्कठी कर ली गई दूसरी ओर देश के लिए अपनी जवानी का बलिदान देने वाले वीर जवानों के परिवार आज भी रोटी के लिए मोहताज है, गरीबी से गुजर रहे हैं उनके परिवार को न समाज में उचित स्थान मिला और न ही उन बलिदान देने वाले वीरों को देश से सम्मान मिला।
🚩आज #शिक्षा #प्रणाली को #बदलने कि अत्यंत #आवश्यकता है कि जो देश के #लुटेरे थे उन #मुगलों और #अंग्रेजों कि महिमा मंडन वाला #इतिहास किताबों से #हटाकर देश के वीर #क्रांतिकारी #भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव, चन्द्र शेखर आज़ाद, वीर शिवाजी, #महाराणा प्रताप, #महारानी लक्ष्मीबाई आदि का #इतिहास #पढ़ाया #जाना #चाहिए और शिक्षा अंग्रेजी में नही देश की राष्ट्रभाषा हिंदी में होनी चाहिए और वैदिक गुरुकुल के अनुसार होनी चाहिए । इस पर सरकार को ध्यान देने की अत्यंत आवश्यक है क्योंकि #बच्चे #महान तभी #बनेंगे जब उनको बचपन से ही #सही #दिशा देने वाली #शिक्षा दी #जाएगी ।
🚩आपको बता दें कि प्रोफेसर ब्राइन के अनुसार अमेरिकी विवि में रिलीजियस स्टडीज में हिंदुत्व के बारे में सबसे पहले हिंदुत्व का इतिहास पढ़ाया जाता है। हिंदू दर्शन को समझा सकने वाले वेद, पुराण, उपनिषद, गीता, रामायण, महाभारत सहित अन्य रचनाएं पाठ्क्रम में शामिल हैं। इसके अलावा स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी व माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर जैसी शख्सियतें भी पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं।
🚩जब विदेशों में हिंदुस्तान का इतिहास पढ़ाया जाता है तो फिर भारत में मुगलों और अंग्रेजो का इतिहास कब तक पढ़ाया जाएगा?
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Monday, June 11, 2018

वाराणसी में 20 मंदिरों को तोडने के विराेध में एक हुए शंकराचार्य तथा साधु-संत

🚩हिंदुस्तान में हिन्दूवादी सरकार में ही अगर हिन्दू मंदिर तुटेंगे और श्री राम मंदिर बन नही रहा है तो हिन्दुओं के लिए बड़ा दुर्भाग्य की बात है । हिन्दूवादी सरकार के समय मंदिर तुटे तो अन्य सरकार से तो हिन्दुत्व के लिए कुछ अच्छा कार्य की कैसे अपेक्षा कर सकते ?
🚩वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावक्षेत्र वाराणसी के साधुसंत भाजपा के प्रति असंतुष्ट हैं ! वे यहां के प्रस्तावित विश्‍वनाथ महामार्ग निर्माण का विरोध कर रहे हैं; क्योंकि इस महामार्ग निर्माण के लिए इस मार्गपर स्थित 20 मंदिर गिराए जाएंगे ! उसके कारण साधु-संत आंदोलन भी चलानेवाले हैं ! (साधु-संतों को आंदोलन चलाने के लिए बाध्य करना, शासन के लिए लज्जास्पद ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस महामार्ग को केंद्र बनाकर वाराणसी नगर के विकास का प्रयास किया जानेवाला है !
*🚩1.* यहां के साधु-संतों का यह कहना है कि मोदी सरकार इस प्राचीन नगर की धरोहर तथा प्राचीन सुंदरता को बिगाडने का प्रयास कर रही है ! इसके विरोध में स्वामी अविमुक्तेश्‍वरानंदजी के नेतृत्व में इसके पहले ही धरना आंदोलन किया है !
*🚩2.* स्वामी अविमुक्तेश्‍वरानंदजी का कहना है कि एक ओर मोदी सरकार अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण की इच्छुक है तो दूसरी ओर यहां की 20 से भी अधिक मंदिरों को गिराने की योजना बना रही है !
Shankaracharya and Sadhus-Saints,
who were in the midst of breaking the 20 temples in Varanasi

*🚩3.* स्वामी अविमुक्तेश्‍वरानंदजी ने आगे कहा कि, शीघ्र ही भाजपा सरकार के विरोध में नगर में बडा आंदोलन चलाया जाएगा । यदि हमारे मंदिरों को गिराया गया अथवा उनके स्वरूप में परिवर्तन किए गए, तो इसका व्यापक स्तर पर कड़ा विरोध किया जाएगा !
*🚩4.* नगर के मंदिर तथा प्राचीन धरोहरों को बचाने के लिए ‘धरोहर बचाव समिति’ की स्थापना की गई है । मंदिरों को बचाने के लिए चलाए जानेवाले इस आंदोलन में द्वारका तथा ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी भी भाग लेंगे । उन्होंने ही अपने प्रतिनिधि के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्‍वरानंदजी को नियुक्त किया है । स्वामी अविमुक्तेश्‍वरानंदजी शंकराचार्य के उत्तराधिकारी हैं ।
🚩मंदिरों को गिराने के पश्‍चात क्या सरकार नए मंदिरों का निर्माण करेगी ?
🚩क्या सरकार देश में महामार्ग अथवा सामान्य मार्ग निर्माण में बाधा बननेवाली मस्जिदों को गिराने का साहस दिखा सकती है ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात
🚩मंदिर वहीं नहीं बनाया, तो बीजेपी नहीं रहेगी
🚩लखनऊ : राममंदिर बनाने के मुद्दे को लेकर साधुओं का एक दल, जिसमें महंत सुरेशदासजी महाराज भी शामिल हैं,  महंत सुरेशदासजी महाराज ने साधुओं और मुख्यमंत्री के साथ बैठक की और राम मंदिर मुद्दे पर भी चर्चा की।
🚩गौरतलब है कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मीडिया से कहा था कि भारतीय जनता पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव केवल विकास के मुद्दे पर लड़ेगी। इस पर पलटवार करते हुए 5 जून को महंत सुरेशदासजी महाराज ने भाजपा को चेतावनी दी थी।
🚩उन्होंने कहा था कि यदि भाजपा ने 2019 में राम मंदिर का निर्माण नहीं कराया तो सत्ता में आने का कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हम जानते हैं कि सरकार को कैसे उखाड फेंकना है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
🚩श्रीराम का मामला हिंदुओं के लिए आस्था और विश्वास का है। अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए हर हिंदू प्रतिबद्ध है। सरकार को शीघ्र राममंदिर बनाना चाहिए ।
🚩श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष #नृत्यगोपालदासजी ने भी कहा है कि हम बुजुर्ग हो गए हैं हम सभी का एक ही #सपना है कि #अयोध्या में श्रीराम मंदिर बन जाए। सिंघल तो इस सपने को देखते-देखते ही चले गए ।
🚩भाजपा सरकार हमें तो यह सपना पूरा करके दिखा दीजिए ।
🚩हिंदुओं ने इस लिए भाजपा सरकार को वोट दिया था कि #हिन्दू #संस्कृति की धरोहर की रक्षा हो और हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ #साधु-संतो की भी रक्षा हो ।
🚩सरकार को मंदिर तोड़ने का बन्द करना चाहिए,  निर्दोष संतों को रिहा कर देना चाहिए और राम मंदिर का कार्य #शीघ्र चालू कर देना चाहिये । जिससे कारण फिर से बहुतमत से आ सके ।
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