Wednesday, August 1, 2018

सिर्फ भारत ही नहीं,पाकिस्तान से लेकर कैलिफोर्निया तक हैं शिवजी के मंदिर

01 August 2018
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🚩भारत में एक ओर जहाँ प्राचीन मंदिर तोड़े जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विदेशो में बड़े-बड़े प्राचीन मंदिरों की अच्छी देखभाल की जा रही है और वहाँ लाखों लोग भी जाते हैं ।
🚩भगवान शिवजी की महिमा अथाह है, पूरे विश्व में उनका यश फैला हुआ है, उसका प्रमाण यह है कि विदेशों में आज भी उनके अनेकों मंदिर हैं ।
Shivaji's temple is also in Pakistan, California

🚩सावन में शिव भक्तों का शिवजी की आराधना के लिए मंदिरों में तांता लगा रहता है । सावन के इस पावन महीने में भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया भर के कई देशों में शिव के मंदिर हैं, जहां सावन में उनकी पूजा का विधान है।
🚩आइए हम आपको बताते हैं कि भारत के अलावा पूरी दुनिया में कहां-कहां शिव के मंदिर हैं ।
🚩मुन्नेश्वरम मंदिर :-
🚩श्रीलंका के मुन्नेश्वर गांव में बने इस मंदिर में, भगवान शिव की अराधना होती है । द्रविड़ शैली के अद्भुत नमूने के तौर पर इसे देखा जाता है । इतिहास की बात करें तो इसे रामाणय काल से जोड़ा जाता है, जिसमें कहा गया है कि भगवान राम ने, रावण का वध करने के बाद इसी मंदिर में, भगवान शिव की अराधना की थी । कहा जाता है कि पुर्तगालियों ने इस मंदिर पर दो बार हमला करके, नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी । यहां भगवान शिव के अलावा देवी काली की भी पूजा होती है । इसके अलावा 5 और भगवानों की मूर्ति स्थापित की गई है । 
🚩अरुल्मिगु श्रीराजा कलिअम्मन मंदिर :-
🚩ये मंदिर मलेशिया के जोहोर बरु में स्थित सबसे पुराना मंदिर है । जिस जमीन पर ये मंदिर बना है, उसे जोहोर बरु के सुल्तान ने भारत को भेंट के तौर पर दिया था । ये मंदिर इतना भव्य है कि इसकी दीवारों पर 3 लाख मोतियों को चिपकाया गया है । 1922 के आसपास इस मंदिर का निर्माण किया गया था । 
🚩रामलिंगेश्वर मंदिर :-
🚩मलेशिया की राजधानी क्वालालमपुर में एक और हिंदू मंदिर है, जोकि 2011 से वहां की एक ट्रस्ट चला रही है। यहां हमेशा ही शिवभक्तों का तांता लगा रहता है। 
🚩पशुपतिनाथ मंदिर :-
🚩नेपाल के बागमती नदी के किनारे बने इस मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं । मान्यता के अनुसार इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में बनाया गया था, लेकिन दीमक की वजह से इस मंदिर को बहुत नुकसान हुआ तथा इसे दोबारा 17वीं शताब्दी में बनाया गया । यूनेस्को ने इसे अपने वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में शामिल किया है । इस मंदिर में भगवान शिव की चार मुंह वाली मूर्ति लगी है । साथ ही मंदिर में चार द्वार हैं, जो चांदी के बने हुए हैं । 
🚩प्रम्बानन मंदिर :-
🚩इंडोनेशिया के जावा में भी भगवान शिव का एक प्रमुख मंदिर बना हुआ है, जोकि 10वीं शताब्दी में बना था । भारत से बाहर बने हिंदू मंदिरों में ये सबसे बड़े मंदिरों में से एक है । यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हैरटेज घोषित किया है । 
🚩कटास राज मंदिर :-
🚩पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में प्राचीन शिव मंदिर है । इसे काटस राज मंदिर के नाम से जाना जाता है । कहा जाता है कि इसका निर्माण छठी शताब्दी से लेकर नौवीं शताब्दी के मध्य हुआ था । ये चकवाल गांव से 40 किमी दूर कटास की पहाड़ियों पर बना हुआ है । मान्यता है कि इस मंदिर में विराजमान एक कुंड है, जिसके निर्माण के विषय में कहा जाता है कि जब माता सती की मृत्यु हुई थी, उसके बाद भगवान शिव इतना रोए थे कि उनके आंसुओं से ये कुंड भर गया था । 
🚩कैलाश मानसरोवर :-
🚩तिब्बत के मानसरोवर झील से घिरा हुआ कैलाश पर्वत, जोकि चीन की सरहद के अंदर आता है । कहा जाता है कि यहां साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं । इससे जुड़ी कई पौराणिक कहानियां हैं । भारत से हर साल लोग इसके दर्शन के लिए जाते हैं ।
🚩इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के मेलबार्न में, न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में, कैलिफोर्निया के लिवेरमोरे में और स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में, भगवान की शिव का छोटा लेकिन भव्य मंदिर बना हुआ है । 
🚩आपको जनकारी दे दें कि विदेशों में मंदिर होना कोई आश्चर्य नही है क्योंकि पहले भारत का साम्राज्य पूरे पृथ्वी पर था, लेकिन कुछ उपद्रवी तथा राक्षसी स्वभाव के लोग उत्पन्न हुए और उन्होंने आपस मे लड़ना-झगड़ना शुरू किया, तबसे ही बंटवारा चालू है ।
🚩आपको ये भी बता दें कि सनातन धर्म (हिन्दू धर्म), जबसे पृथ्वी का उद्गम हुआ है, तबसे है, लेकिन ईसाई धर्म की स्थापना 2018 साल पहले और मुस्लिम धर्म की स्थापना 1500 साल पहले की गई है, और ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है । 
🚩हिन्दू धर्म सनातन धर्म है इसलिए पूरे विश्व में कहीं भी खुदाई होती है, तो हिन्दू भगवानों के मूर्ति के अवशेष ही मिलते हैं, कभी कहीं चर्च या मस्जिद के अवशेष नहीं मिलेंगे ।
🚩महान सनातन धर्म को तोड़ने की साजिश ईसाई मिशनरियां, मीडिया, बॉलीवुड, सेकुलर नेताओं द्वारा आज भी चल रहा है,  इसलिए सावधान रहें और ऐसी महान संस्कृति की रक्षा करें ।
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Tuesday, July 31, 2018

हिन्दूबाहुल्य असम अब मुस्लिम बाहुल्य बन गया, हिंदुओं पर हो रहा है भीषण अत्याचार

31 july 2018 

🚩स्वातंत्र्य पूर्व में, हिन्दूबाहुल्य होनेवाला असम स्वतंत्रता के पश्चात बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठियों द्वारा आक्रमण के कारण तथा उन्होंने ही वहां हिंसाचार एवं दंगें करा कर स्थानीय हिन्दुओं को निर्वासित होने हेतु विवश करने के कारण अब मुसलमानबाहुल्य हो गया है !

🚩आज आए दिन देश में घुसपैठियों की समस्या बढ़ रही है । असम के NRC ड्राफ्ट को देखते हुए भारत के लिए इन घुसपैठियों की समस्या कितनी गंभीर है, यह बात ध्यान में आती है । एेसी घटनाआें के लिए भारत के ही भ्रष्ट अधिकारी तथा कुछ राष्ट्रविरोधी नागरिक उत्तरदायी है । इस वजह से भारत में जिहादी लोगों को आसानी से आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड जैसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज मिल जाते हैं आैर यही जिहादी आगे चलकर भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाते हैं  तथा भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं ।
Hindubhulian Assam now becomes a Muslim majority;
 Hindus are being subjected to horrendous atrocities

🚩असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) की दूसरी लिस्ट जारी कर दी गई है । इसके अनुसार सूबे में रह रहे 40 लाख लोग भारतीय नागरिक नहीं हैं । इसका सीधा मतलब ये हुआ कि राज्य की लगभग 13 प्रतिशत जनसंख्या अवैध है । इस आंकडे का ये भी मतलब हुआ कि हर 6.5 वां शख्स इस देश का नागरिक नहीं है या हर 7.5 लोगों में एक नागरिक अवैध है ।

🚩आपको बता दें कि, एन. आर. सी. के अनुसार, कुल 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 668 लोग ही भारत के नागरिक हैं, जबकि असम की कुल जनसंख्या 3 करोड 29 लाख है । जिन 40 लाख लोगों को अवैध करार दिया गया है, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने का एक और मौका मिलेगा ।

🚩बता दें कि, एन. आर. सी. की पहली लिस्ट, 31 दिसंबर 2017 को जारी हुई थी । तब पहली लिस्ट में, 1.90 करोड़ लोगों को शामिल किया गया था । अब जब दूसरी लिस्ट जारी की गई है तो लगभग एक करोड़ लोगों को लिस्ट में शामिल किया गया है और 40 लाख लोगों को नागरिकता नहीं मिली है ।

🚩दूसरी लिस्ट जो आखिरी लिस्ट तो नहीं है, परंतु एन. आर. सी. की आेर से इसे संपूर्ण लिस्ट बताया गया है । इसका सीधा मतलब ये हुआ कि अब जो आखिरी लिस्ट आएगी उसमें वही नाम शामिल किए जाएंगे, जो तकनीकी आधार पर छूट गए होंगे ।

🚩असम में हिंदुओं का बुरा हाल:-

🚩असम कभी 100 प्रतिशत हिन्दू बाहुल्य राज्य हुआ करता था । हिंदू शैव और शाक्तों के अलावा यहां हिन्दुओं के अन्य कई जनजाति समूह भी थे । यहाँ वैष्णव संतों की भी लंबी परंपरा रही है । यहां बौद्ध काल में लोग बौद्ध बनें, मुस्लिम काल में लोग मुस्लिम बने, वहीं अंग्रेज काल में, यहां के गरीब तबके के लोगों को हिंदू से ईसाई बनाने की प्रक्रिया जारी रही ।

🚩असम में 27 जिले हैं, जिसमें से असम के बारपेटा, करीमगंज, मोरीगांव, बोंगईगांव, नागांव, ढुबरी, हैलाकंडी, गोलपारा और डारंग, 9 मुस्लिम बाहुल्य जनसंख्या वाले जिले हैं, जहां आज आतंक का राज कायम है । यहां बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ के चलते, राज्य के कई क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की जनसंख्या का संतुलन बिगड़ गया है । राज्‍य में आसामी बोलनेवाले लोगों की संख्‍या कम हुई है । 2001 में 48.8 प्रतिशत लोग आसामी बोलते थे, जबकि अब इनकी संख्‍या घटकर 47 प्रतिशत रह गई है ।

🚩1971 के खूनी संघर्ष में पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के लाखों मुसलमानों को पड़ोसी देश, भारत के पश्‍चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य (असम आदि) में और दूसरी ओर म्यांमार (बर्मा में) शरण लेनी पड़ी । युद्ध शरणार्थी शिविरों में रहनेवाले मुसलमानों को सरकार की लापरवाही के चलते उनके देश भेजने का कोई उपाय नहीं किया गया । इसके चलते इन लोगों ने यहीं पर अपने पक्के घर बनाना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे पिछले चार दशक से जारी घुसपैठ के दौरान सभी बांग्लादेशियों ने मिलकर भूमि और जंगलों पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया ।

🚩धीरे-धीरे बांग्लादेशी मुसलमानों सहित स्थानीय मुसलमानों ने (बीटीएडी में) बोड़ो हिन्दुओं की खेती की, 73 प्रतिशत जमीन पर कब्जा कर लिया, अब बोडों के पास केवल 27 प्रतिशत जमीन बची है । सरकार ने वोट की राजनीति के चलते कभी भी इस सामाजिक बदलाव पर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते बोड़ो  समुदाय के लोगों में असंतोष पनपा और फिर उन्होंने हथियार उठाना शुरू कर दिया और यही टकराव का सबसे बड़ा कारण है ।

🚩25 मार्च 1971 के बाद से लगातार अब तक, असम में बांग्लादेशी हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही वर्गों का आना लगा रहा । असम ने पहले से ही, 1951 से 1971 तक कई बांग्लादेशियों को शरण दी थी, परंतु 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान और उसके बाद बांग्लादेश के गठन के बाद से लगातार पश्‍चिम बंगाल और असम में बांग्लादेशी मुस्लिम और हिन्दू शरणार्थियों की समस्या जस की तस बनी हुई है ।

🚩असम के लोग अब अपनी ही धरती पर शरणार्थी बन गए हैं । असम के इन लोगों में, जहां हिन्दू जनजाति समूह के बोड़ो, खासी, दिमासा, अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहे हैं, वहीं अन्य स्थानीय आसामी भी अब संकट में आ गए हैं और यह सब हुआ है भारत के वोट की राजनीति के चलते । यहां माओवादी भी सक्रिय हैं, जिनका संबंध मणिपुर और अरुणाचल के उग्रवादियों के साथ है । उन्हें नेपाल और बांग्लादेश के साथ ही भारतीय वामपंथियों से सहयोग मिलता रहता है ।

🚩आधुनिक युग में, यहां पर चाय के बाग में काम करनेवाले बंगाल, बिहार, उड़ीसा तथा अन्य प्रांतों से आए हुए, कुलियों की संख्या प्रमुख हो गई, जिसके चलते एक ओर जहां असम के जनजाति और आम आसामी के लोगों के  रोजगार छूट गए, वहीं दूसरी ओर वे अपने ही क्षेत्र में, हाशिए पर चले गए । इसी के चलते राज्य में असंतोष शुरू हुआ और कई छोटे-छोटे उग्रवादी समूह बनें । इन उग्रवादी समूहों को कई दुश्मन देशों से सहयोग मिलता है । वोटों की राजनीति के चलते कांग्रेस और सी. पी. एम. ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को असम, उत्तर पूर्वांचल और भारत के अन्य राज्यों में बसने दिया । बांग्लादेश से घुसपैठ कर यहां आकर बसे मुसलमानों को कभी यहां से निकाला नहीं गया और उनके राशन कार्ड, वोटर कार्ड और अब आधार कार्ड भी बन गए । दशकों से जारी इस घुसपैठ के चलते आज इनकी जनसंख्या असम में ही 1 करोड़ के आसपास है, जबकि पूरे भारत में ये फैलकर, लगभग साढ़े तीन करोड़ के पार हो गए हैं । यह भारतीय मुसलमानों में इस तरह घुलमिल गए हैं कि अब इनकी पहचान भी मुश्किल होती है ।

🚩असम का एक बड़ा जनसंख्या वर्ग, राज्य में अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों का है, जो अनुमान से कहीं अधिक है और जो बांग्ला बोलते हैं । राज्य के अत्यधिक हिंसा प्रभावित जिलों कोकराझार व चिरांग में बड़ी संख्या में, ये अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठी परिवार रहते हैं, जिन्होंने स्थिति को बुरी तरह से बिगाड़ दिया है ।

🚩बांग्लादेशी घुसपैठिए असम में, भारत की हिन्दू अनुसूचित जाति एवं अन्य हिन्दुओं के खेत, घर और गांवों पर कब्जा करके हिन्दुओं को भगाने में लगे हुए हैं । कारबी, आंगलौंग, खासी, जयंतिया, बोड़ो, दिमासा एवं 50 से ज्यादा जनजाति के खेत, घर और जीवन पर निरंतर हमलों से खतरा बढ़ता ही गया, जिस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया । घुसपैठियों को स्थानीय सहयोग और राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है ।

🚩शरणार्थी शिविर में हिंदू:- 

🚩असम में जातीय हिंसा प्रभावित जिलों में बनाए गए 300 से ज्यादा राहत शिविरों में, चार लाख शरणार्थियों की जिंदगी बदतर हो गई है । कोकराझार के बाहर, जहां बोड़ो हिन्दुओं के शिविर हैं, वहीं धुबरी के बाहर बांग्लादेशी मुस्लिमों के शिविर हैं । कोकराझार, धुबरी, बोड़ो टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेटिव डिस्ट्रिक (बी. टी. ए. डी.) और आसपास के क्षेत्रों में फैली हिंसा के कारण, अपने घर छोड़कर, राहत शिविरों में पहुंचे लोग, यहां भी भयभीत हैं, शिविरों में शरणार्थियों की जिंदगी बद से बदतर हो गई है । शिविरों में क्षमता से ज्यादा लोगों के होने से पूरी व्यवस्था नाकाम साबित हो रही है । दूसरी ओर लोगों के रोजगार और धंधे बंद होने के कारण वे पूरी तरह से सरकार पर निर्भर हो गए हैं ।

🚩असम NRC ड्राफ्ट जारी होने के बाद जो लोग अवैध रुप से रह रहे हैं, क्या सरकार उन्हें जल्द से जल्द बाहर करेगी ? और हिंदुओं को पुनः अपनी संपत्ति वापस दिलवायेगी ?

🚩सरकार तो जब करेगी तब करेगी अभी आप क्या कर सकते हैं ?

🚩1. फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करनेवाले एेसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही करने की केन्द्र सरकार से मांग करें । इसके लिए ज्ञापन प्रस्तुत कर सकते हैं ।

🚩2. यदि आप के क्षेत्र में इस प्रकार से कोर्इ अधिकारी फर्जी दस्तावेज बनाता ध्यान में आए, तो तुरंत उसकी सूचना पुलिस को दें । यदि फिर भी कुछ कार्यवाही नही होती है तो contact@hindujagruti.org इस र्इमेल पते पर मेल भेजें ।

🚩3. अाप के क्षेत्र में यदि कोर्इ व्यक्ति, संदिग्ध तरीके रहता नजर आए तो उसकी सूचना पुलिस को दें ।

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