Friday, August 3, 2018

आखिर रोहिंग्या कौन है और भारत क्यों इन्हें देश से बाहर करना चाहता है ?

03 August 2018


🚩भारत में जिस तरह से घुसपैठियों ने, देश में आकर देश की जनता को मजहब के नाम पर और खुद की संख्या ज्यादा करने के लिए, मारना शुरू किया है, उससे देश में आतंक फैल सकता है, जिससे खून खराबे हो सकते हैं, जो कि किसी भी देश के लिए खतरे की घण्टी है ।

🚩आखिर कौन हैं ये रोहिंग्या प्रवासी ?
ये भारत कैसे पहुंचे और यहां क्यों आए ? 
रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश क्यों जा रहे हैं ?
इन्हें अब तक म्यांमार में नागरिकता क्यों नहीं मिली ?

🚩नोबेल विजेता आंग सान सू ची, दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रति अपनी मुखर आवाज के लिए जानी जाती हैं । म्यांमार में अब उनकी पार्टी की ही सरकार है, फिर भी वह रखाइन प्रांत में रोहिंग्या लोगों पर हो रहे जुल्म पर चुप क्यों हैं ?

🚩आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ . . .
After all, who is Rohingya and why India
wants to take them out of the country?

🚩रखाइन प्रांत का इतिहास:-

🚩रखाइन म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी छोर पर बांग्लादेश की सीमा पर बसा एक प्रांत है, जो 36 हजार 762 वर्ग किलोमीटर में फैला है । सितवे इसकी राजधानी है । म्यांमार सरकार की 2014 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार रखाइन की कुल जनसंख्या लगभग 21 लाख है, जिसमें से 20 लाख बौद्ध हैं । यहां लगभग 29 हजार मुसलमान रहते हैं ।

🚩रोहिंग्या कौन हैं ?

🚩म्यांमार की बहुसंख्यक जनसंख्या बौद्ध है । रिपोर्ट के अनुसार राज्य की लगभग 10 लाख की जनसंख्या को जनगणना में शामिल नहीं किया गया था । रिपोर्ट में इस 10 लाख की जनसंख्या को मूल रूप से इस्लाम धर्म को माननेवाला बताया गया है । जनगणना में शामिल नहीं की गई जनसंख्या को, रोहिंग्या मुसलमान माना जाता है । इनके बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं । सरकार ने उन्हें नागरिकता देने से इंकार कर दिया है । हालांकि वे कई पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं ।

🚩रखाइन स्टेट में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है । इस हिंसा में बडी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं । बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आज भी जर्जर कैंपो में रह रहे हैं । रोहिंग्या मुसलमानों को व्यापक पैमाने पर भेदभाव और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है । लाखों की संख्या में बिना दस्तावेजवाले रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं । इन्होंने दशकों पहले म्यांमार छोड़ दिया था ।

🚩रखाइन प्रांत से क्यों भागे रोहिंग्या ?

🚩म्यांमार में मौंगडोव सीमा पर 25 अगस्त 2017 को रोहिंग्या चरमपंथियों ने उत्तरी रखाइन में पुलिस नाके पर हमला कर 12 सुरक्षाकर्मियों को मार दिया था । और कई बौद्ध समाज के लोगो को भी जिंदा जला दिया था और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करके उठा ले गए थे, इस हमले के बाद सुरक्षा बलों ने मौंगडोव जिला की सीमा को पूरी तरह से बंद कर दिया और बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया और तब से म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन जारी है ।

🚩सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से खदेड़ने के लिए, उनके गांव जला दिए और नागरिकों पर हमले किए । इस हिंसा के बाद से अब तक लगभग चार लाख रोहिंग्या शरणार्थी सीमा पार करके बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं । 

🚩बांग्लादेश ने विरोध जताया:- 
बांग्लादेश ने रोहिंग्या लोगों के अपने देश में घुसने पर कडी आपत्ति जताई और कहा कि परेशान लोग सीमा पार कर सुरक्षित ठिकाने की तलाश में यहां आ रहे हैं । बांग्लादेश ने कहा कि सीमा पर अनुशासन का पालन होना चाहि ए। बांग्लादेश अथॉरिटी की तरफ से सीमा पार करनेवालों को फिर से म्यांमार वापस भेजा गया ।

🚩लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बांग्लादेश के इस कदम की कडी निंदा की और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों को शरणार्थी के रूप में स्वीकार नहीं करता। रोहिंग्या और शरण चाहनेवाले लोग 1970 के दशक से ही म्यांमार से बांग्लादेश आ रहे हैं ।

🚩आखिर नोबेल विजेता आंग सान सू ची ने क्यों साधी चुप्पी ?

🚩म्यांमार में 25 सालों के बाद 2016 में चुनाव हुआ था । इस चुनाव में नोबेल विजेता आंग सान सू ची की पार्टी, नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी को भारी जीत मिली थी । संवैधानिक नियमों के कारण वह चुनाव जीतने के बाद भी राष्ट्रपति नहीं बन पाई थीं । सू ची स्टेट काउंसलर की भूमिका में हैं । माना जाता है कि सत्ता की वास्तविक कमान सू ची के हाथों में ही है । हालांकि देश की सुरक्षा सेना के हाथों में है ।

🚩अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार से सवाल पूछा जा रहा है कि रखाइन प्रांत में पत्रकारों को क्यों नहीं जाने दिया जाता । इस पर म्यांमार का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी गलत रिपोर्टिंग की जाती है । यदि सू ची अंतराष्ट्रीय दवाब में झुकती हैं और रखाइन स्टेट को लेकर कोई विश्वसनीय जांच कराती हैं तो उन्हें सेना से टकराव का जोखिम उठाना पड़ सकता है । उनकी सरकार खतरे में आ सकती है ।

🚩आंग सान सू ची पर जब इस मामले में दबाव पड़ा तो उन्होंने कहा था कि रखाइन स्टेट में जो भी हो रहा है वह ‘रूल ऑफ लॉ’ के तहत है । इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आवाज उठ रही है । म्यांमार में रोहिंग्या के प्रति सहानुभूति न के बराबर है क्योंकि रोहिंग्या स्थानीय लोगों को परेशान करते है, विद्रोह करते हैं और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते है, जिसके कारण रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सेना की कार्रवाई का म्यांमार में लोगों ने जमकर समर्थन किया है ।

🚩आपको बता दे कि भारत सरकार ने लोकसभा में बताया कि भारत में रह रहे कुछ रोहिंग्या प्रवासी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं । साथ ही यह भी साफ किया कि रोहिंग्या को ‘शरणार्थी’ का दर्जा नहीं दिया गया है बल्कि वे ‘अवैध प्रवासी’ हैं ।स्त्रोत : अमर उजाला

🚩आपको बता दे कि रोहिंग्या न केवल भारतीय नागरिकों के अधिकार पर अतिक्रमण कर रहे हैं, अपितु सुरक्षा के लिए भी चुनौती हैं, आतंकवादी गतिविधियां भी पाई गई हैं ।

🚩इनके कारण सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक समस्याएं खड़ी होगी।

🚩मानवाधिकार संगठन ऐमनेस्टी इंटरनेशनल का रिपोर्ट :-

🚩बीते साल म्यांमार के रखाइन राज्य में हुई हिंसा के दौरान रोहिंग्या आतंकियों ने गांव में रहने वाले हिंदुओं का कत्लेआम किया । ऐमनेस्टी इंटरनेशनल ने रिपोर्ट में पाया गया है कि यह नरसंहार 25 अगस्त 2017 को हुआ था, जिसमें 99 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया । यह वही दिन था, जिस दिन रोहिंग्या उग्रवादियों ने पुलिस पोस्ट्स पर हमले किए थे और राज्य में संकट शुरू हो गया था ।

🚩उग्रवादियों के हमले के जवाब में म्यांमार कि सेना ने ऑपरेशन चलाया जिसकी वजह से करीब 7 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को इस बौद्ध देश को छोड़कर जाने पर मजबूर होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार सेना के ऑपरेशन को रोहिंग्याओं का ‘नस्ली सफाया’ बताया । रोहिंग्या उग्रवादियों पर दुर्व्यवहार के भी आरोप लगे । इसमें रखाइन राज्य के उत्तरी हिस्से में, हिंदुओं के नरसंहार का मामला भी शामिल है । बीते साल सितंबर में सेना मीडिया रिपोर्ट्स को इस इलाके में ले गई जहां सामूहिक कब्र मिली।

🚩रोहिंग्या देश के लिए बहुत खतरनाक हैं, उनका मकसद है, जनसंख्या बढ़ाना और फिर देश पर कब्जा करने का इसलिए प्रतिदिन हजारों बच्चें पैदा कर रहे है, हिंदुस्तानी तो बोलता है "हम दो हमारे दो" इसमे ही रुक गया है पर रोहिंग्या 40-40 बच्चें तक पैदा करते है, इससे साफ जाहिर है कि जनसंख्या बढ़ाकर वोटबैंक खड़ा करके खुद कि सरकार बनाना और भारत पर राज करना है ।

🚩भारत सरकार ने #रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकालने का जो निर्णय लिया है, वह देश कि सुरक्षा के लिए कितना उचित है इसका अंदाजा सभी भारतीय लगा सकते हैं । परंतु फिर भी सेक्युलरिस्ट कार्यकर्ता कुछ राजनेता तथा कर्इ धर्मांध जिहादी इन रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन कर उन्हें भारत में शरण मिलने के लिए भारत सरकार पर दबाव डाल रहे हैं । कुछ #जिहादी धर्मांधों ने तो यह भी धमकिया दी है कि यदि रोहिंग्या मुसलमानों को कोर्इ हाथ भी लगाएगा तो भारत देश तथा हिन्दुआें को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होगे ।

🚩सभी राष्ट्रप्रेमी नागरिकों को अब संगठित होकर भारत सरकार से यह मांग करनी चाहिए कि रोहिंग्या मुसलमानों और अवैध बांग्लादेशी #घुसपैठियो तथा इन घुसपैठियो
का समर्थन करनेवालों को भी इस देश से बाहर निकाले । नहीं तो यह लोग भविष्य में हमारे #अस्तित्व पर ही संकट ला सकते है इसलिए अभी से सावधान !!

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Thursday, August 2, 2018

असम में जो कुछ भी हो रहा, उसको समझना बहुत जरूरी है

02 August 2018

🚩असम राज्य में करीब 40 लाख लोग, NRC में नही आ पाए हैं, मतलब भारत के वैलिड रूप से वो नागरिक नही हैं, हालाँकि इतने बड़े प्रयोग में कुछ सरकारी अमले से गलती होना स्वाभाविक है, इसलिए सरकार ने भूल सुधार करने के लिए समय भी दिया है ।

🚩40 लाख की संख्या बहुत कम है, एक डिबेट में अर्नव गोस्वामी जो कि असम से ही हैं, उसने कहा कि यह संख्या करोड़ो में हैं ।

🚩कांग्रेसी जमात , सेक्युलर गिरोह , और मीडिया के रविश कुमारों के कई तर्क हैं, ममता बनर्जी ने भी गृह युद्ध की धमकी दी है ।

🚩इन सबके तर्कों को सुना, समझा और देखा है ।

🚩इन सभी तर्को का, सही खण्डन भी जान लीजिए ।
It is very important to understand what is happening in Assam

🚩 *तर्क नंबर 1 :-*
भारत बाँहे फैला कर स्वागत करने वाला देश है, ना कि आये हुए लोगों को भगाने वाला...

🚩खण्डन : 
बाँहे फैलाकर स्वागत करने वाला भारत देश नही है, बल्कि हिन्दू हैं, हिन्दुओ से ही भारत का ये गुण है ।
मुसलमान पाकिस्तान में हैं और बंगलादेश में हैं , बांगलादेश ने उन्हें अपनाने से इंकार कर दिया है ।
हिन्दुओं का ये गुण अब उनपर ही भारी पड़ रहा, हमने हर सभ्यता का स्वागत किया, तिब्बती आये उनको भी शरण दी, मुसलमानों को केरल में सबसे पहले हिन्दू राजा ने आश्रय दिया, लाहौर , सिंध सब हिन्दुओ का था, हमने ही इन्हें आश्रय दिया ।

🚩फिर इन्होंने हमारे ऊपर ही आक्रमण किया, हमें ही लूटा, हजारों साल तक हमारे ऊपर ही शासन किया, पहली मस्जिद केरल में बनी, आज वहाँ कोई नही जाता और इन्होंने मक्का मदीना को अपना पवित्र स्थल मान लिया, इतनें से पेट नही भरा तो आजादी के बाद, पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के नाम से धर्म के आधार पर बँटवारा किया ।

🚩हमारा दिल बड़ा था, आज भी है पर तब हम मजबूत थे, आज बंटवारे के बाद हम बहुत कमजोर हैं, जब आपने धर्म के नाम पर बँटवारा कर लिया तो अब दिल का वास्ता देकर हमारे सीने पर मूँग दरने की कोई जरूरत नहीं है ।

हमारे संसाधन हमसे छीनें जा चुके हैं, हम खुद अपना जीवन यापन के करने लिए लड़ रहे हैं, जमीन उतनी ही है और जनसंख्या बढ़ चुकी है । 

🚩 *तर्क नंबर 2:-*
वो गरीब लोग हैं, बांगलादेश का बॉर्डर कोई बार्डर नहीं है, पोरस है, फेंसिंग नही है , लोग नदी पार कर के इंडिया आते हैं काम करते हैं और शाम को वापस चले जाते हैं ।

🚩खण्डन : 
इस बात से मैं सहमत हूँ, इंडिया-बांग्लादेश ही नहीं बल्कि इंडिया-पाकिस्तान भी नेचुरल बॉर्डर नहीं है, बल्कि जिन्ना जैसे आतंकी सोच वाले लोगों की बोई गई फसल है, पर अब जब बँटवारा आपने कर लिया तो बॉर्डर का सम्मान तो करना पड़ेगा, हमारा देश आपकी खाला जान का घर नहीं, आप कमाएँ भी उस पार और रहें भी उस पार ।

ऐसी नदियों पर BSF की पेट्रोलिंग होनी चाहिए ।

🚩 *तर्क नंबर 3:-*
एक गाना है- पंछी, नदिया और पवन के झोंके, कोई सरहद क्यों इन्हें रोके, सरहद तो इंसानों के लिए है, सोचो हमने और तुमने क्या पाया इंसा होके....

🚩खंडन : 
इस तर्क को सबसे अधिक मुसलमान दे रहे हैं और कांग्रेसी नेता , NDTV के एक प्रोग्राम में, हैदराबाद के फैजान भाई ने ये गीत सुनाया ।

मैं ऐसे तर्क वालों से एक बात पूछुंगा, कश्मीर का खर्चा हम देते हैं और वहाँ घर नहीं बना सकते, वहाँ जाकर बस नहीं सकते,   

क्या ये गाना वहाँ भी चलाया जा सकता है ?

🚩 *तर्क नंबर 4:-*
बांग्लादेशी हिंदुओं को क्यों बचाया जा रहा है ? वे भी घुसपैठिये हैं, उन्हें भी बाहर किया जाए ।

🚩खण्डन :
हिन्दुओ का मात्र एक देश है भारत , जहाँ भी मुस्लिम बहुसंख्यक हुआ है हिन्दुओ को प्रताड़ित होना पड़ा है , मुसलमानो के 56 मुल्क हैं , और उम्मते मुस्लिमा भी , क्या कोई देश अपने भाइयों को रहने की जगह नही देगा ?

फिर क्या फायदा छोटा कुर्ता और बड़ी दाढ़ी रखने का ?

क्या फायदा मानसूनी जलवायु में भी रेगिस्तानी बुरका पहनने का ?

🚩हिंदुओं का स्वभाविक देश भारत है, इसलिए वो शरण लेने यही आएँगे । और जिन्होंने बँटवारा कर लिया अब वो अपने हिस्से में जाएँ ।

🚩दूसरी बात रोहिंग्या मुसलमानों को जम्मू में बसाया गया, वो कौन सा कानून है, जो कश्मीर में मुसलमानों को बसने की इजाजत देता है, पर हिन्दुओं को नहीं ?
आप एक कश्मीरी लड़की से शादी करके कश्मीरी नहीं बन सकते, लेकिन पाकिस्तानी बन सकता है ।
इन कानूनों को किसनें बनाया और प्रेम के गीत गाने वाले, इसपर जवाब कब देंगे ?

🚩 *तर्क नंबर 5:-*
क्या प्रक्टिकली ऐसा संभव हो पाएगा कि हम लाखों लोगों को डिपोर्ट कर सकें ?
तो फिर ये झंझट करने का मतलब ही क्या है ?

🚩खण्डन :
मुझे ऐसा नहीं लगता कि लोकतंत्र में इतना दम है कि ऐसा संभव हो सके, खास कर इस्लामिक अतिवाद का समर्थन करने वाली पार्टियों के रहते हुए, 
फिर भी अगर हम उन्हें डिपोर्ट न भी कर सकें तो उनसे वो अधिकार ले सकते हैं, जो घुसपैठियों को कतई नहीं होने चाहिए ।

🚩मसलन वोट का अधिकार, सरकारी नौकरी का अधिकार, जमीन खरीदनें का अधिकार, इन सब अधिकारों से इनकी परमानेंट कानूनी बेदखली कुछ हद तक असम के और देश के अन्य हिस्सों के लोगो की चोट पर मरहम का कार्य करेगी ।

🚩अब कुछ बातें मेरी तरफ से:-

🚩इस पैटर्न को ध्यान से समझिए, कुछ सवाल पूछ रहा हूँ, दिल से सोच कर खुद को ही जवाब दे दीजिएगा ।

🚩1. वो कौन सा पैटर्न है, जब रोहिंग्या म्यांमार से चलता है तो सीधे उत्तराखंड की वादियों में रुकता है, उसी रास्ते होते हुए जम्मू तक पहुंच जाता है और एक जत्था दिल्ली रवाना हो जाता है ।

इन गरीबों को ये जानकारी मिली कहाँ से कि जम्मू चलो ?

🚩2. भारत के सभी मुसलमान कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर मौन हैं, लेकिन बंगलादेशियो के मुद्दे पर गृह युद्ध की बातें हो रही हैं, 
क्यों ?

🚩3. हिन्दू अगर अब भी आँखे बंद किये, योगी और मोदी को गाली देते रहे और बंटे रहे, तो वो दिन दूर नहीं जब नार्थ ईस्ट, मुसलमानों का हो जाएगा । 

🚩4. जिन पार्टियों का वोट बैंक मुसलमान हैं, वो पार्टियाँ इस देश को बेच खाएंगी । अगर काँग्रेस का शासन 19 में आता है तो समझिए पूर्वोत्तर भारत और बंगाल, कश्मीर की तरह हमारी आंखों के सामने से चला जायेगा ।
क्या आप ऐसा होने देना चाहेंगे ?

🚩इन बातों से अगर आपको लगता है कि मैं सही हूँ और वोटबैंक की राजनीति करने वाले सेक्युलर नेता, केवल मुसलमानों के गजवा-ए-हिन्द मिशन की एक कठपुतली हैं तो निश्चित रूप से आपको तस्वीर साफ होनीं चाहिए ।

🚩भविष्य के गर्भ में क्या है, ये तो मैं नही जानता..
लेकिन असम के सीधे सादे लोगों के साथ पूरा भारत है, पूर्वोत्तर को हम कश्मीर नहीं बनने देंगे ।

🚩ये नई पीढ़ी है, ये सूचना का युग है, 
भारत अब खाला जान का घर नहीं बनेगा ।

🚩हमारे दिल छोटे ही सहीं  
पर एक बार और हम तुम्हें अपनीं आत्मा को कुचलने का मौका नही देंगे ।


🚩पूर्वोत्तर हमारा है , असम से लेकर अरुणाचल तक किसी हिन्दू बहन या बेटी को किसी ने कुत्सित नजर से देखा तो..

लाल रंग की लालिमा पहाड़ों को रोशन करेगी ।।

🚩अबकी बार फिजा दूसरी है  main land का हर भाई अपनी पूर्वोत्तर की बहन के लिए जान भी देगा ।।

🚩लेखक : जनार्दन मिश्रा
                  
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