Monday, August 27, 2018

10 दिनों में 6 साधु, 1 पुजारी, 3 सेवादारों की हत्या हुई, छाया सन्नाटा

27 August 2018
http://azaadbharat.org
🚩गौहत्या करने के लिए , गौमांस खाने के लिए गाय चोरी करने वालों को अगर गौरक्षक पकड़ लें और उनकी पिटाई कर दें तो पूरे देश में आग लग जाती है, संसद में हंगामा शुरू हो जाता है, सुप्रीम कोर्ट तक नाराज हो जाती है और प्रदेश सरकारों को गौ-तस्करों की रक्षा करने के पुख्ता इंतजाम करने का आदेश दे दिया जाता है ।
🚩गौहत्या करने वाले गौतस्कर जगह-जगह मंदिरों में सो रहे साधु या पुजारियों की हत्या कर दें तो सरकार, कोर्ट, मीडिया सभी चुप्पी साध लेते हैं । सेकुलर समाज तो, खैर हिन्दुओं को इंसान मानता ही नहीं ।
🚩2018 के अगस्त महीने में ही दस दिनों में तीन साधुओं की हत्या हुई पर सभी मौन है किसीकी आवाज उठती नहीं दिख रही है ।
🚩13 अगस्त को अलीगढ़ के एक मंदिर में 75 वर्षीय साधु व उनके साथी की हत्या ।
6 sadhus, 1 priest, 3 servants were killed in 10 days, shadow silence

16 अगस्त को ओरैया के मंदिर में तीन साधुओं की हत्या ।
🚩19 अगस्त को करनाल मंदिर में 1 पुजारी,
1 साधु व 2 सेवादारों हत्या ।
20 अगस्त को प्रयाग में एक साधु की हत्या ।
🚩भयंकर तरीके से प्रताड़ित करके इतने सारे हिन्दू साधुओं की हत्या की गई पर सेकुलर, नेता, मीडिया, न्यायालय सब चुप है क्यों ? क्योंकि भारतीय संस्कृति की रक्षा करने वाले साधुओं की हत्या की गई है ।
🚩हिन्दू साधु-संत ही क्यों टारगेट में है?
भारत देश में अभी भी भारतीय संस्कृति की परंपरा अगर किसी ने अभी तक जीवित रखीे है तो वह हैं हमारे साधु-संत इसलिए सबसे ज्यादा टारगेट हिन्दू साधु-संत को ही किया जाता है ।
🚩गौहत्या रोकना, गौमाता की महिमा बताना, श्री राम मंदिर बनाना, हिन्दुओं को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक करना, धर्मान्तरण रोकना, विदेशी प्रोडक्ट खरीदने से रोकना, स्वदेशी का प्रचार करना, व्यसन मुक्त भारत बनाना, सिनेमा आदि से दूर रखने का प्रयास करना, प्राचीन संस्कृति की ओर हमें मोड़ना, वेद व शास्त्र सम्मत कार्य करने के लिए प्रेरित करना विदेशी त्यौहार के बदले अपने त्यौहारों को मनाने को प्रेरित करना आदि आदि अनेक दिव्य कार्य करने को साधु-संत प्रेरित करते हैं और अधर्म से लड़ते है और हमें जगाते हैं । जिसके कारण आज हिन्दू साधु-संतों की हत्या हो रही है और मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर जेल भिजवाया जा रहा है ।
🚩साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानन्द, शंकराचार्य अमृतानंद, स्वामी केशवानंद जी आदि अनेक संतों को बिना सबूत सालों से जेल में रखा गया ।
उड़ीसा के लक्ष्मणानन्द जी की हत्या करवा दी ।
🚩वर्तमान में हिन्दू संत आसाराम बापू को उम्रकैद सजा सुना दी गयी क्योंकि उन्होंने लाखों हिंदुओ मि घर वापसी करवाई और धर्मान्तरित होने से बचाया, हजरों गायों कप कत्लखाने जाने बचाकर अनेकों गौशालाएं खोली, क्रिसमिस की जगह तुसली पूजन और वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू किया, करोड़ों लोगों को अपने धर्म के प्रति जागृत किया, करोड़ों युवक-युवतियों को ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करवाया, करोड़ों लोगों को व्यसन मुक्त किया, विदेशी कम्पनियों के प्रोडक्ट बन्द करवाकर स्वदेशी घरेलू प्रोडक्ट बनाने में तरीके बताए, विदेशों में जाकर भारतीय संस्कृति का प्रचार किया जिस वजह से राष्ट्रविरोधी ताकतों ने उनको टारगेट किया और मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर जेल भिजवा दिया और उम्रकैद की सज़ा सुनवा दी जबकि एफआईआर में रेप केस का जिक्र नहीं है, मेडिकल रिपोर्ट में कोई प्रूफ नहीं है, बालिग होने के कई प्रमाण हैं, उनके खिलाफ षड्यंत्र किया गया उसके सबूत हैं फिर भी उम्रकैद दिया इससे साफ सिद्ध होता है कि राष्ट्रविरोधी ताकतें उनको बाहर नहीं आना देना चाहती हैं ।
🚩साधु-संत तो अपना कर्तव्य कर रहे हैं, लेकिन
हिन्दू संगठित नहीं रहेगा तो सभी मंदिर अपवित्र कर दिये जाएंगे, पुजारी साधुओं का ऐसे ही कत्ल कर दिया जाएगा, फिर हिन्दू संस्कृति को बचाने वाले कोई नहीं रहेगा और फिर आपको धर्मांतरित किया जाएगा और फिर आप गुलाम की तरह रखें जाएंगे ।
🚩हिन्दुओं को संगठित होकर अपने साधु-संतों पर हो रहे षड्यंत्र का विरोध करना चाहिए, तभी हिन्दू संत सुरक्षित रह पाएंगे ।
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, August 26, 2018

आज था संस्कृत दिवस, भूल गए भारतवासी, जानिए हस्तियों ने क्या कहा

26 August 2018


🚩देववाणी संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है, संस्कृत भाषा से ही विश्व की सभी भाषाओं का उद्गम हुआ है । आज संस्कृत दिवस है, लेकिन भारतवासी भूल गए क्योंकि ये सब इतिहास में पढ़ाया नहीं जाता है ।

🚩संस्कृत भाषा की कितनी महिमा है, उसका कोई भी पूरा वर्णन नहीं कर सकता आइए आपको बताते हैं कि कई बड़ी-बड़ी हस्तियों ने क्या कहा है संस्कृत भाषा के बारे में...

🚩संस्कृत भारतीय अस्मिता है। भारतीय भाषाओं में मात्र संस्कृत ही देश के लोगों को अपनी संस्कृति और इतिहास से परिचित कराकर भारत की एकता और अखंडता की रक्षा करने में समर्थ है। - पूर्वमहामहिम राष्ट्रपति, श्री ज्ञानी जेल सिंह
Today was Sanskrit Day, Forgotten Indian,
know what the celebrities said


🚩भारतवर्ष में संस्कृत भाषा ही ऐसी भाषा है जो सर्वग्राह्य है । स्वतंत्रता संग्राम के समय जब बोलचाल के लिए अंग्रेजी भाषा का हर और विरोध हो रहा था । तब जेल में विभिन्न प्रान्तों व प्रदेशो के स्वतंत्रता  सेनानियों को परस्पर बातचीत करने व समझने में संस्कृत भाषा ही अयत्यन्त सहायक व उपयोगी सिद्ध हुई। - स्वतंत्रता सेनानी श्री मन्मथनाथ गुप्त

🚩भारतीय ऋषियों ने हमेशा तन, मन और धन संस्कारों में पवित्रता के उपाय बताए, साथ ही वाणी की शुद्धता के लिए भी उन्होंने देश को संस्कृति के रूप में एक वैज्ञानिक भाषा का वरदान दिया है। -पूर्व मंत्री, दिल्ली, श्री राजेन्द्र गुप्ता

🚩स्वाधीनता की प्रेरणा संस्कृत वाड्मय ने दी और स्वतंत्रता सेनानियों ने गुरुकुलों से इसकी योजना तैयार की । -पूर्वमहापौर, दिल्ली नगर निगम, श्रीमती शाकुन्तल आर्य

🚩भारत और भारतीयता की कल्पना संस्कृत भाषा मे अभाव में अधूरी है ।
-पूर्वसंसदीय सचिव, दिल्ली विधानसभा, श्री नंदकिशोर गर्ग

🚩समाज में नैतिकता का ह्रास संस्कृत भाषा की उपेक्षा के कारण हुआ है। -पूर्वखाद्य , संभकारण एवं समजकल्यानमंत्री, दिल्ली कु० पूर्णिमा सेठी 

🚩संस्कृतज्ञ और संस्कृति-प्रेमी लोग ही भारत को नई दिशा दे सकते हैं । - पूर्वनागार्निगमपार्षद, दिल्ली, श्री महेश चंद्र शर्मा

🚩कविता के द्वारा राष्ट्रजगारण का कार्य सर्वप्रथम संस्कृत-कवियों ने किया । - पुरबविधायक दिल्ली, श्री जीतराम सोलंकी

🚩महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण ने जिस प्रकार तत्कालीन समाज में संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया था, उसी प्रकार इस समय संस्कृत विद्वानों को कुछ विशिष्ट रचनाओं के द्वारा करना चाहिए । - पूर्वविधायक, दिल्ली, श्री स्वरूपचंद राजन

🚩संस्कृत वाड्मय समस्त ज्ञान-विज्ञान का कोष है, संप्रति लोक जीवन के कल्याणार्थ का व्यवहार आवश्यक है । - पूर्वविशेष सचिव (भाषा एवं शिक्षा), दिल्ली, श्री अनंत सागर अवस्थी

🚩मानव-इतिहास के सम्पूर्ण तथ्य संस्कृत वाड्मय में है, इसलिए मानवोत्थान के लिए संस्कृत की शिक्षा आवश्यक है -पूर्वपाध्यक्ष, दिल्ली विधानसभा, चौ० फतेह सिंह

🚩संस्कृत भाषा के माध्यम से ही छात्रों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान कराया जा सकता है । शिक्षामंत्री, दिल्ली सरकार, श्री अरविंद सिंह लवली 

🚩संस्कृत भाषा मानवजाति के चित को समृद्ध करनेवाली प्राचीन व सर्वभौम भाषा है । इस भाषा के पास ऐसी शक्तियां है कि इसमें साहित्य और विज्ञान दोनो को समान रूप से अभिव्यक्ति मिली है । सम्प्रति इसके प्रचार के लिए बाल-साहित्य के रूप में चित्र कथाओं की रचना की जानी चाहिए । - पूर्वमहमहिम, राष्ट्रपति डॉ० शंकरदायलाल शर्मा

🚩वैदिक मंत्रोच्चार की ध्वनि इतनी प्रभावी होती है कि श्रवणमात्र से ही मन सात्विक हो जाता है। - पूर्वमहामहिम उपराष्ट्रपति, डॉ० कृष्णकांत शर्मा

🚩संस्कृत भाषा में संग्रहित ज्ञान-विज्ञान के विषयों के माध्यम से मानव संस्कृति का समुचित विकास संभव है । - पूर्वमहामहिम उपराष्ट्रपति, श्री भौरवसिंघ शेखावत

🚩अपनी संस्कृति जीवन मूल्यों तथा विज्ञान के तत्वों की जानकारी प्राप्त करने के लिए संस्कृति की सीखना व उसका अध्ययन करना आवश्यक है। - पूर्वलोक सभा अध्यक्ष श्री रविराह

🚩संस्कृत भारतीय जन मानस की भाषा है जिसमें भारत का अंग प्रत्यंग स्पंदित होता है।  संस्कृत ने "वसुधैव कुटुम्बकम" के आदर्शों को समाज में आत्मसात करने का निरंतर प्रयास किया है । - पूर्वप्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर

🚩सर्वोच्च न्यायालय के संस्कृत संबंधी फैसले के बाद उन लोगो की आंखे जरूर खुली होंगी जो संस्कृत भाषा के विरोधी हैं । - पूर्वप्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी

🚩संस्कृत साहित्य के कारण भारत विश्व में अग्रणी रहा है। संस्कृत वाड्मय से ही प्रेरणा लेकर अन्य साहित्य विकसित हुए । - पूर्वप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री भारत सरकार, श्री लालकृष्ण आडवाणी

🚩संस्कृत सम्पूर्ण ब्रह्मांड की भाषा है। और संस्कृत ज्ञान-विज्ञान का भंडार है । आज का वैज्ञानिक संस्कृत साहित्य की ओर देख रहा है और उसके वैज्ञानिक तत्वों पर शोध करना चाहता है । - पूर्वमानव संसाधन एवं विकास मंत्री भारत सरकार डॉ० मुरली मनोहर जोशी 

🚩मैंने अनुभव किया है कि संस्कृत ही केवल ऐसी भाषा है जिससे मन-मस्तिष्क सुसंस्कृत एवं परिमार्जित होता है। - डॉ० अक्षय कुमार जैन


🚩सैकड़ों वर्षों के दमन के बावजूद भी जो संस्कृत भाषा अपने शुद्ध स्वरूप में विद्यमान है । उसकी उपयोगिता और वैज्ञानिकता के विषय में शंका का प्रश्न ही नहीं होना चाहिए। -पूर्वसंसद सदस्य, श्री रीतलाल प्रसाद वर्मा

🚩संस्कृत भाषा भारतवर्ष की राष्ट्रभाषा के रुप में दीर्घकाल तक जनमानस के हृदय में विराजमान रही । इसलिए जीवन-मूल्यों से जुड़े हुए सारे बिंदु इसके साहित्य उपलब्ध होते हैं । -चिकित्साशास्त्री, कविराज स्वजान चंद

🚩आज के इस बढ़ते हुए विघटनकारी वातावरण में जिसकी न केवल भारत को बल्कि सम्पूर्ण विश्व को आवश्यकता है, उस अहिंसा के संबंध में समूचा संस्कृत साहित्य ऐसे आयामों के वर्णन से परिपूर्ण है, जहाँ न केवल मानव का मानव के प्रति सद्भावना का उल्लेख मिलता है, अपितु लताओं, वृक्षों, पशु-पक्षियों के प्रति भाई-बहन व संतान-सदृश स्नेह करना बताया गया है। - बौद्धभिक्षु धम्म विरर्यू

🚩संस्कृत हमारे देश की आत्मा है और हमारी संस्कृति की पहचान है । इसे जीवित रखने के लिए हम सबको संस्कृत सिखने का प्रयत्न करना चाहिए -वरिष्ठ परामर्शदाता गृहमंत्रालय, भारत सरकार, श्री एस० बालाकृष्णन

🚩संस्कृत भूत, भविष्य और वर्तमान भारत के लोकमानस की अभिव्यक्ति है । -पूर्व रक्षा सचिव, भारत सरकार, डॉ० के० पी०ए० मेनन

🚩विश्व का समग्र शोध, चिंतन एवं लेखन संस्कृत साहित्य पर आधारित है, अतः भारत का गौरव संस्कृत के प्रचार पर ही निर्भर है ।  -पूर्वमुख्य सचिव, दिल्ली सरकार, श्री उमेश सौगल

🚩मानव सभ्यता के स्वस्थ मूल्यों का उदघोष संस्कृत भाषा और इसके साहित्य के माध्यम से ही हुआ है, जिसने भारत को जगत में विश्वगुरु का गौरव प्रदान किया। - पूर्वमुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय श्री रंगनाथ मिश्र

🚩संस्कृत के छात्र, शिक्षक और विद्वान ही देश के स्वरूप और समाज के दृष्टिकोण को बदल सकते हैं । - सदस्य दिल्ली, विधानसभा, श्री रूपचंद 

🚩जो विज्ञान, गणित, अभियांत्रिकी आदि विषय व्यावसायिक शिक्षा के आधार है, उनका मूलज्ञान संस्कृत भाषा में ही है । सदस्य दिल्ली विधानसभा, श्री मालाराम गंगवाल

🚩संस्कृत भाषा के माध्यम से ही संस्कृति की रक्षा की जाती है। - पूर्व सचिव (भाषा, कला एवं संस्कृति, नीता बाली)

🚩रामायण जैसे संस्कृत काव्यों की उपयोगिता और सार्थकता आज के समाज के लिए उसी प्रकार है, जैसे कि त्रेता में थी। -पूर्वसद्स्य दिल्ली विधानसभा, श्री मोतीलाल बाकोलिया 

🚩संस्कृत भाषा की प्रेरणा से अनेक भाषाओं के साहित्य का विकास हुआ है । संस्कृत साहित्य के बिना किसी भी विषय का अनुसन्धान पूर्ण नहीं माना जा सकता है । -पूर्वसद्स्य, दिल्ली विधानसभा, श्रीमती दर्शना, संकुमार

🚩प्रशासनिक अधिकारी को संस्कृत साहित्य का अध्ययन करना चाहिए, इससे भारत के सर्वागीण विकास में वह योगदान दे सकेगा । - श्री एन० गोपाल स्वामी (आई० ए० एस०)

🚩संस्कृत साहित्य न केवल आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण है, बल्कि विज्ञान ज्योतिष, चिकित्सा, भूगोल जैसे विषय भी संस्कृत भाषा में है । -माननीय उपराष्ट्रपति जी के पूर्व विशेषकार्य, डॉ० के० एल० गांधी

🚩संस्कृत साहित्य के लिए यह भाषाओं की अपेक्षा गूढ़ एवं गहन स्वाध्याय की आवश्यकता होती है । अतः शिक्षा में संस्कृत का समावेश आवश्यक है । -सदस्य, दिल्ली विधानसभा, श्री अमरीश गौतम

🚩संस्कारों और संस्कृति की शिक्षा के लिए शिक्षानीति में संस्कृत को अनिवार्य रूप से लागू करने की आवश्यकता है - सदस्य, दिल्ली विधानसभा, श्री मोतीलाल सोढ़ी

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻


🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk

🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ