Saturday, November 10, 2018

बर्बर टीपू सुलतान का घृणित, क्रूर इतिहास पढ़कर आप भी कांप जाएंगे....

10 नवम्बर 2018   

🚩गिरीश कर्नाड द्वारा टीपू की तुलना शिवाजी से करना या संजय खान द्वारा टीपू का उत्सव मनाने की मांग करना केवल गलतफहमी नहीं है । कर्नाड उसी क्षेत्र से आते हैं, जहां किसी समय टीपू का शासन रहा था ।

🚩इतिहास की दृष्टि से यह कल की बात है - इतना आसन्न इतिहास कि असंख्य लोगों को प्राथमिक, सीधे स्रोतों से टीपू काल की सच्चाइयां मालूम है । इसके अलावा देश-विदेश के अनेक प्रत्यक्षदर्शी अधिकारियों, लेखकों और दस्तावेजों के विवरण बड़े-बड़े इतिहासकारों द्वारा उद्धृत, प्रकाशित हैं । स्वयं टीपू के लिखे पत्र उपलब्ध हैं जिनसे उस के कार्य, विचार और लक्ष्यों की सीधी जानकारी मिलती है ।
You will also be shocked by reading the disgusting,
cruel history of Barbar Tipu Sultan

🚩उदाहरण के लिए, बदरुज्जमा खान को 19 जनवरी 1790 को लिखे टीपू के पत्र में लिखा है, ‘तुम्हें मालूम नहीं कि हाल ही में मालाबार में मैंने गजब की जीत हासिल की और चार लाख से अधिक हिन्दुओं को मुसलमान बनाया. मैंने तय कर लिया है कि उस मरदूद ‘रामन नायर’ (त्रावनकोर के राजा, जो धर्मराज के नाम से प्रसिद्ध थे) के खिलाफ जल्द हमला बोलूंगा, चूंकि उसे और उस की प्रजा को मुसलमान बनाने के ख्याल से मैं बेहद खुश हूं, इसलिए मैंने अभी श्रीरंगपट्टनम वापस जाने का विचार खुशी-खुशी छोड़ दिया है ।’

🚩दक्षिण भारत के असंख्य लोगों से यह बात छिपी नहीं है कि टीपू का शासन हिन्दू जनता के विनाश और इस्लाम के प्रसार के अलावा कुछ न था यहां तक कि अंग्रेजों से उसके द्वारा किए युद्ध अपना राज और अस्तित्व बचाने के लिए थे । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने फ्रांस को यहां आक्रमण करने का न्यौता दिया तथा भारतीय जनता को रौंद डाला ।

🚩टीपू ने केवल फ्रांस ही नहीं, ईरान, अफगानिस्तान को भी हमले के लिए बुलाया था । अत: अंग्रेजों से टीपू की लड़ाई को ‘देशभक्ति’ कहना दुष्टता, धूर्तता या घोर अज्ञान है । 

🚩हिन्दू जनता पर टीपू की अवर्णनीय क्रूरता के विवरण असंख्य स्रोतों से प्रमाणित हैं । पुर्तगाली यात्री बार्थोलोमियो ने सन् 1776 से 1789 के बीच के अपने प्रत्यक्षदर्शी वर्णन लिखे हैं । उसकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘वोएज टू ईस्ट इंडीज’ पहली बार सन् 1800 में ही प्रकाशित हुई थी । अभी भी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस से छपी प्रति उपलब्ध है । 

🚩टीपू और फ्रांसीसियों के संयुक्त सैनिक अभियान का वर्णन करते हुए बार्थोलोमियो ने लिखा, ‘टीपू एक हाथी पर था, जिस के पीछे 30,000 सैनिक थे । कालीकट में अधिकांश पुरुषों और स्त्रियों को फांसी पर लटका दिया गया । पहले स्त्रियों को लटकाया गया तथा उनके गले से उनके बच्चे बांध दिए गए थे । उस बर्बर टीपू सुल्तान ने नंगे शरीर हिन्दुओं और ईसाइयों को हाथी के पैरों से बांध दिया और हाथियों को तब तक इधर-उधर चलाता रहा जब तक उनके शरीरों के टुकड़े-टुकड़े नहीं हो गए ।  मंदिरों और चर्चों को गंदा और तहस-नहस करके आग लगाकर खत्म कर दिया गया ।’

🚩भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार सरदार के. एम. पणिक्कर ने ‘भाषा पोषिणी’ (अगस्त, 1923) में टीपू का एक पत्र उद्धृत किया है. सैयद अब्दुल दुलाई को 18 जनवरी 1790 को लिखे पत्र में टीपू के शब्द हैं, ‘नबी मुहम्मद और अल्लाह के फजल से कालीकट के लगभग सभी हिन्दू इस्लाम में ले आए गए. महज कोचीन राज्य की सीमा पर कुछ अभी भी बच गए हैं. उन्हें भी जल्द मुसलमान बना देने का मेरा पक्का इरादा है. उसी इरादे से यह मेरा जिहाद है.’

🚩मेजर अलेक्स डिरोम ने टीपू के खिलाफ मैसूर की लड़ाई में स्वयं हिस्सा लिया था. उन्होंने लंदन में 1793 में ही अपनी पुस्तक ‘थर्ड मैसूर वॉर’ प्रकाशित की. उस में टीपू की शाही मुहर का भी विवरण है, जिस में वह अपने को ‘सच्चे मजहब का संदेशवाहक’ और ‘सच्चाई का हुक्म लाने वाला’ घोषित करता था.

🚩ऐसे प्रामाणिक विवरणों की संख्या अंतहीन है. टीपू के समय से ही पर्याप्त लिखित सामग्री मौजूद है, जो दिखाती है कि लड़कपन से टीपू का मुख्य लक्ष्य हिन्दू धर्म का नाश तथा हिन्दुओं को इस्लाम में लाना ही रहा था.

🚩सन् 1802 में लिखित मीर हुसैन अली किरमानी की पुस्तक ‘निशाने हैदरी’ में इस का विस्तार से विवरण है. इस के अनुसार, टीपू ने ही श्रीरंगपट्टनम की जामा मस्जिद (मस्जिदे आला) उसी जगह पहले स्थित एक शिव मंदिर को तोड़कर बनवायी थी.

🚩उस ने अपने कब्जे में आयी सभी जगहों के नाम बदल कर भी उन का इस्लामीकरण कर दिया था. जैसे, कालीकट को इस्लामाबाद, मंगलापुरी (मैंगलोर) को जलालाबाद, मैसूर को नजाराबाद, धारवाड़ को कुरशैद-सवाद, रत्नागिरि को मुस्तफाबाद, डिंडिगुल को खलीकाबाद, कन्वापुरम को कुसानाबाद, वेपुर को सुल्तानपटनम आदि. टीपू के मरने के बाद इन सब को फिर अपने नामों में पुनर्स्थापित किया गया.

🚩'केरल मुस्लिम चरित्रम्’ (1951) के ख्याति-प्राप्त इतिहासकार सैयद पी़ ए़ मुहम्मद के अनुसार, केरल में टीपू ने जो किया वह भारतीय इतिहास में चंगेज खान और तैमूर लंग के कारनामों से तुलनीय है.

🚩इतिहासकार राजा राज वर्मा ने अपने ‘केरल साहित्य चरितम्’ (1968) में लिखा है, ‘टीपू के हमलों में नष्ट किए गए मंदिरों की संख्या गिनती से बाहर है. मंदिरों को आग लगाना, देव-प्रतिमाओं को तोड़ना और गायों का सामूहिक संहार करना उस का और उस की सेना का शौक था. तलिप्परमपु और त्रिचम्बरम मंदिरों के विनाश के स्मरण से आज भी हृदय में पीड़ा होती है.’

🚩उक्त पुस्तकों के अलावा विलियम लोगान की ‘मालाबार मैनुअल’ (1887), विलियम किर्कपैट्रिक की ‘सेलेक्टिड लेटर्स ऑफ़ टीपू सुल्तान’ (1811), मैसूर में जन्मे ब्रिटिश इतिहासकार और शिलालेख-विशेषज्ञ बेंजामिन लेविस राइस की ‘मैसूर गजेटियर’ (1897), डॉ़ आई़ एम़ मुथन्ना की ‘टीपू सुल्तान एक्सरेड’(1980) आदि अनगिनत प्रामाणिक पुस्तकें हैं ।

🚩संक्षेप में पूरी जानकारी के लिए बॉम्बे मलयाली समाज द्वारा प्रकाशित ‘Tipu Sultan: Villain or Hero?' (वॉयस ऑफ़ इंडिया, दिल्ली, 1993) देखी जा सकती है । सभी के विवरण पढ़कर कोई संदेह नहीं रहता कि यदि एक सौ जनरल डायर मिला दिए जाएं, तब भी निरीह हिन्दुओं को बर्बरतापूर्वक मारने में टीपू का पलड़ा भारी रहेगा ।  यह तो केवल कत्लेआम की बात हुई ।

🚩केरल और कर्नाटक में मुस्लिम आबादी की वर्तमान संख्या का सब से बड़ा मूल कारण टीपू था । हिन्दुओं के समक्ष उस का दिया हुआ कुख्यात विकल्प था, ‘तलवार या टोपी?’ अर्थात, ‘इस्लामी टोपी पहनकर मुसलमान बन जाओ, फिर गौमांस खाओ, वरना तलवार की भेंट चढ़ो!’ टीपू के इस कौल, ‘स्वॉर्ड ऑर कैप’ का उल्लेख कई किताबों में मिलता है । बहरहाल, उसी टीपू को फिल्म अभिनेता संजय खान ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया (18 नवंबर 2015) को दिए साक्षात्कार में ‘देशभक्त’ बताया । साथ ही, उस के द्वारा हिन्दुओं का कत्ल करने, उनका उत्पीड़न, कन्वर्जन कराने आदि को ‘मिथ’ यानी कोरी बातें करार दिया है ।

🚩संजय खान साफ झूठ बोल रहे हैं । कम से कम उन्हें कोई अज्ञान नहीं है । कारण, जब सन् 1990 में उन्होंने दूरदर्शन पर अपना सीरियल ‘स्वॉर्ड ऑफ़ टीपू सुल्तान’ दिखाया था, तो उस पर कड़ी सामाजिक प्रतिक्रिया हुई थी। न्यायालय में मुकदमा भी चला था । मुख्य आपत्ति यही थी कि एक मनगढंत उपन्यास के आधार पर बने उस सीरियल में टीपू के बारे में झूठी बातें बताकर उसे देशभक्त, उदार आदि दिखाया गया था ।

🚩तब, मार्च 1990 में अंग्रेजी साप्ताहिक ‘द वीक’ को दिए एक साक्षात्कार में खान ने स्वीकार किया था कि जिस गिडवाणी लिखित उपन्यास पर आधारित उनका सीरियल था, उसके विवरण ‘इतिहास की दृष्टि से सच नहीं हैं.’ पचीस वर्ष पहले माने गए अपने झूठ को अब संजय खान ने इस नए इंटरव्यू में फिर जोर देकर सच बताया है. इतना ही नहीं, देश में ‘टीपू की छवि खराब करने’, देश में ‘भयंकर असहिष्णुता का वातावरण’ होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने ‘टीपू का जश्न मनाने’ का आह्वान किया!

🚩यह बेशर्मी और धृष्टता क्या बताती है? यही कि हमारे देश में इतिहास का मिथ्याकरण और हिन्दू-विरोधी राजनीति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । साथ ही यह भी कि देश का अंग्रेजी मीडिया कट्टर हिन्दू-विद्वेष से ग्रस्त है।  क्योंकि संजय खान से जैसे सवाल पूछे गए, वे सवाल नहीं थे, बल्कि उन की जैसे आरती उतारी गई थी!

🚩पिछले विवाद का संदर्भ देने के बाद भी तथ्यों पर एक भी प्रश्न ही नहीं था ।  सब कुछ केवल केंद्र सरकार, हिन्दू जनता को लांछित करने और उस पर ‘टीपू की महानता और जय-जयकार’ थोपने की जिद पर केंद्रित था।  इस अंग्रेजी अखबार की ऐसी हिन्दू-द्वेषी बौद्धिक नीति कम से कम पिछले तीन दशक से स्थापित है । दूसरे भी अधिक पीछे नहीं हैं ।

🚩इतिहास का यह घोर मिथ्याकरण ही, हमारे देश में सेकुलरवाद, उदारवाद के रूप में बौद्धिक रूप से प्रतिष्ठित है । इससे तनिक भी असहमति रखने को ही ‘असहिष्णुता’ बताकर सीधे-सीधे संपूर्ण हिन्दू जनता को अपमानित किया जाता है ।

🚩यह स्वतंत्र भारत में आधिकारिक नेहरूवादी नीति के रूप में इतने गहरे जमाया जा चुका है कि दूसरे राजनीतिक दल तक इस से बुरी तरह भ्रमित हैं । यह उसी भ्रम का ही नतीजा है कि नई सरकार के ‘विकास’ के नारे की खिल्ली उड़ाकर उसे दुनिया भर में ‘हिंसक’, ‘असहिष्णु’ के रूप में बदनाम करने की कोशिशें की गर्इं ।

🚩हमारे देश के कर्णधारों ने इस की अनदेखी की है कि इतिहास के प्रति गलत दृष्टिकोण से देश के किशोरों, युवाओं के मानस पर दुष्प्रभाव पड़ता रहा है. इसी से राजनीति में हिन्दू-विरोधी तत्व मजबूत रहे हैं. उन के प्रतिवाद-स्वरूप कुछ कहा जाए, तो उसे हिन्दू ‘असहिष्णुता’ बता कर उलटे दु:खी समूह को ही पुन: चोट पहुंचाई जाती है. इन सब को विशेष रंगत देकर जो दुष्प्रचार होता है, उस से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि भी बिगड़ती है.

बल्कि, जैसा तसलीमा नसरीन ने पहचाना, वही इस संगठित पुरस्कार-लौटाऊ प्रदर्शन का एक उद्देश्य ही था. अतएव वैचारिक लड़ाई की उपेक्षा केवल भाजपा के लिए ही नहीं, देश-हित के लिए भी ठीक नहीं है.

🚩आरंभिक इस्लामी विभूतियों से लेकर टीपू, और इकबाल-जिन्ना से लेकर ‘लादेन जी’ तक के बारे में गलतफहमी फैलाने वालों में अज्ञानियों से लेकर राजनीतिबाजों तक, हर तरह के लोग शामिल हैं. वे इसलिए भी कुछ भी अनाप-शनाप बोलते रहते हैं, क्योंकि उन्हें उन का अज्ञान दिखाया नहीं जाता. मत-वैभिन्य के नाम पर आदर दे दिया जाता है. यह इतने लंबे समय से चल रहा है कि गलत को सही, और सही को ही गलत मान लिया गया है.

टीपू के घृणित, क्रूर इतिहास को बदलकर ‘सामासिक संस्कृति’ का प्रतीक या ‘ब्रिटिश साम्राज्यवाद विरोधी योद्धा’ का खिताब दे देना एक राजनीतिक कारस्तानी है.

🚩14 अक्टूबर 1930 के ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में एक विस्तृत समीक्षा छपी थी. उस के विशेष संवाददाता ने व्यंग्य-पूर्वक लिखा था कि ‘यंग इंडिया’ ने टीपू की ऐसी विरुदावली गढ़ी, मानो वह कोई कांग्रेस कार्यकर्ता हो. जबकि टीपू की कुख्याति हिन्दुओं के घोर शत्रु के रूप में है, जिसने कुर्ग में एक ही बार में 70,000 हिन्दुओं को बलात् इस्लाम में कन्वर्ट किया और उन्हें गोमांस खाने पर मजबूर किया । 

🚩मैसूर नगर और उस के राजमहल का विध्वंस किया. महल पुस्तकालय में संग्रहित बहुमूल्य पांडुलिपियों को जलाकर उस से अपने घोड़ों के लिए चने उबलवाए. बड़े पैमाने पर मंदिरों और चर्चों को तोड़कर नष्ट किया.

इसीलिए, सन् 1930 वाले ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ संवाददाता के अनुसार, यंग इंडिया ने अपनी ‘राष्ट्र-निर्माण’ वाली खामख्याली में टीपू की एक झूठी छवि गढ़ने की कोशिश की है.

🚩इस प्रसंग से समझा जा सकता है कि किस तरह राजनीतिक उद्देश्यों से इतिहास का मिथ्याकरण करने की कोशिशें लगभग सौ साल से चल रही हैं.

ध्यान दें, 'यंग इंडिया' ने यह तब किया जब इतिहासकारों के प्रामाणिक लेखन के अलावा जन-गण की आम स्मृति में टीपू की वास्तविकता और भी हालिया तथा जीवन्त थी! मगर झूठ की भित्ति पर सद्भाव नहीं बनाया जा सकता.

🚩ऐसी कोशिशों ने शिक्षा और ज्ञान-विमर्श में सस्ती भावुकता और छिछले तर्कों को ऊंचाई प्रदान कर हमारे बौद्धिक स्तर और चरित्र, दोनों को गिराया है. इसीलिए, तब से लेकर अभी गिरीश कर्नाड तक को जानकारों द्वारा तीखी प्रतिक्रियाएं भी झेलनी पड़ीं.

मगर, दु:ख की बात है कि फिर भी उन्होंने और उनके अज्ञानी समर्थकों ने नहीं समझा कि टीपू को सम्मानित करने की मांग कर-करके उन्होंने सदैव हिन्दुओं के घावों पर नमक छिड़कने का काम किया.

🚩टीपू के हाथों मारे गए लाखों मृतकों की आत्माओं का अपमान तो अलग रहा! टीपू के बारे में राजनीतिक दुष्प्रचार ही चलाते रहे और इसी को हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव की जरूरत बताते रहे हैं.

किन्तु हमें समझना होगा कि इतिहास का मिथ्याकरण या उस के प्रति अज्ञान सामाजिक सद्भाव के बदले वैमनस्य ही बढ़ाता है. वह एक कट्टर, आततायी मजहबी साम्राज्यवाद की ही मदद करता है. उस का फल कभी अच्छा नहीं हो सकता. पर कई दशकों से इस का हिसाब किसी ने नहीं मांगा, इसलिए वे भ्रमवश या धृष्टतापूर्वक वही लकीर पीटते रहते हैं.

🚩इतिहास के प्रति अज्ञान और हमारी संस्कृति के प्रति उदासीनता तथा उस के जबरन ‘सेक्यूलर’ इस्लामीकरण से देश को बड़ी हानि उठानी पड़ी है. निरपवाद रूप से सभी वैचारिक हमलों का निशाना केवल हिन्दू समाज रहता है. वह अपने धर्म, समाज की उपेक्षा-अपमान बेबस देखता है. यह देश का ही अपमान है, जिसे समझा जाना चाहिए.

नेहरूवादी प्रभाव में यह लंबे समय से बेरोक-टोक चल रहा है. इसीलिए, जो बड़े बुद्धिजीवी और अकादमिक ‘एक्टिविस्ट’ लोकसभा चुनाव से पहले मोदी पर गोले बरसा रहे थे, वे पुन: संगठित, सक्रिय हो गए हैं. मोदी-विजय से उपजी निराशा से उबरकर अब वे किसी न किसी बहाने ठीक वही दुहरा रहे हैं, जो विगत कई बरसों से उन का रिकार्ड है.

🚩वैचारिक-सांस्कृतिक लड़ाई स्वभाव से ही अविराम होती है। साथ ही, इस में पहले प्रहार करने वाले को उसी तरह बढ़त मिलती है, जैसे खेल में टॉस जीतने वाला, लड़ाई का स्वरूप तथा दिशा तय करने का अवसर पाता है । अनेक राष्ट्रवादी नेताओं ने भी इसे नहीं समझा. उन्हें और देश को सदैव उस का खामियाजा भुगतना पड़ा है ।
लेखक : डॉ. शंकर शरण ("पाञ्चजन्य" 06 दिसंबर 2015 के अंक से साभार)

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Friday, November 9, 2018

ईसाई पादरी ने 10 साल की बच्ची से किया रेप, मीडिया ने साधी चुप्पी..

9 नवम्बर 2018   

🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत, दुनिया के सामने उजागर हो ही गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर हो रही क्रूरता की पोल खुल चुकी है । चर्च कुकर्मों की पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है, लेकिन सेक्युलर, मीडिया की नजर इनपर नहीं जाती है इनकी नजर गिद्ध की तरह है, गिद्ध कितना भी ऊंचा उड़े लेकिन उसकी नजर केवल नीचे पड़े मांस पर होती है वैसे ही हिन्दू धर्म और साधु संतों की महानता कितनी ही हो पर किंतु उसपर इन गिद्ध रुपी मीडिया की नजर नहीं जाती है और ना ही ईसाई पादरी या मौलवी के दुष्कर्मों पर जाती है उनकी नजर केवल हिन्दू धर्म के साधु संतों के अच्छे कार्य और हिन्दू संस्कृति को खत्म करने की ही नजर रहती है ।
Christian pastor raped by 10-year-old girl; simple silence in media

🚩अभी हाल ही में नगालैंड के चर्च से एक 60 साल के पादरी को गिरफ्तार किया गया है। पादरी पर आरोप है कि उसने असम की दस वर्षीय बच्ची के साथ रेप किया, लेकिन मीडिया में कहीं भी खबर नहीं आ रही है, किसी ने लिखा तो थोड़ा बहुत लिख दिया बाकी ज्यादा हाइलाइट नहीं हो रही हैं, लेकिन यदि किसी साधु-संत पर षड्यंत्र के तहत झूठा आरोप भी लग जाए तो भी दिनभर खबरें चलती रहती हैं ।

🚩आपको बता दें कि नगालैंड के चर्च से एक 60 साल के पादरी को गिरफ्तार किया गया है । पादरी पर आरोप है कि उसने असम की दस वर्षीय बच्ची के साथ रेप किया । इतना ही नहीं उसने एक 35 वर्षीय दूसरे आदमी के साथ मिलकर इस रेप का वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया में अपलोड कर दिया ।
पुलिस ने बताया कि पादरी का नाम चंद्र कुमार प्रधान है । आरोप है कि 29 अक्टूबर को उसने एक दस साल की बच्ची को अपने घर के पास बगीचे में बुलाया । बगीचे में सूनसान जगह में उसने बच्ची के साथ रेप किया और इसका वीडियो शूट करवाया। वह घटना के बाद से लापता था।

🚩पुलिस अधिकारी श्वेतांक मिश्रा ने बताया कि पादरी ने बच्ची को धमकी भी दी थी । डर की वजह से उसने अपने घर में कुछ नहीं बताया। हालांकि जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने 31 अक्टूबर को अपने माता-पिता को पूरी घटना बताई । उन लोगों ने थाने में जाकर पादरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई ।

🚩श्वेतांक ने बताया कि पादरी अपने घर से भागा हुआ था। वह पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए बार-बार अपनी लोकेशन भी बदल रहा था । हालांकि पुलिस ने उसे नगालैंड के कोहिमा में एक होटल से पकड़ लिया । पुलिस ने बताया कि पादरी के ऊपर आईपीसी की धाराओं के साथ ही आईटी ऐक्ट और पॉक्सो ऐक्ट की धाराओं में भी केस दर्ज किया गया है।

🚩कन्नूर (केरल) के कैथोलिक चर्च की एक  नन सिस्टर मैरी चांडी  ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी । एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी । मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी ।’ यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है । सान डियेगो चर्च के अधिकारियों ने पादरियों के द्वारा किये गये बलात्कार, यौन-शोषण आदि के 140 से अधिक अपराधों के मामलों को निपटाने के लिए 9.5 करोड़ डॉलर चुकाने का ऑफर किया था ।

🚩चर्च की आड़ में चल रहे यौन शोषण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं । सन् 1950 से 2002 के काल में पादरियों के द्वारा किये गये यौन-शोषण के 10,667अपराध दर्ज किये गये । उनमें से 3300 की जाँच पूरी होने के पहले ही वे मर गये । बाकी 7700 में से 6700 पादरियों को अपराधी घोषित किया गया । सन् 2002 में आयरलैंड के पादरियों के यौन-शोषण के अपराधों के कारण 12 करोड़ 80 लाख डॉलर का दंड चुकाना पड़ा । मई 2009 में प्रकाशित रायन रिपोर्ट के अनुसार 30,000 बच्चों को इन संस्थाओं में ईसाई ननों और पादरियों द्वारा प्रताड़ित और उनका शोषण किया जाता रहा ।

🚩इन सब आंकड़ों को देखकर भी मीडिया वालों की नजर उनपर नहीं जाती है लेकिन पवित्र हिन्दू साधु-संतों के खिलाफ झूठी और अनर्गल बातें करते हैं ।

🚩क्योंकि मीडिया को अधिकतर फंडिंग विदेशों से होती है और उसमें भी खासकर अधिकतर पैसे वेटिकन सिटी के लगे हैं इसलिए वे केवल हिन्दू संस्कृति एवं उनके आधर स्तंभ साधु-संतों को टारगेट कर रहे हैं, जिससे हिन्दू धर्म की बदनामी करके आसानी से हिंदुओं को धर्मांतरित कर सकें क्योंकि उनके धर्म में तो कोई अच्छाई या महानता है नहीं, जिससे वो अपने धर्म को हिन्दू धर्म से ऊंचा साबित कर सकें इसलिए वे हिंदुत्व को बदनाम करके, हिन्दू धर्म को मिटाकर अपने धर्म को बढ़ावा देना चाहते हैं ।

🚩अतः कोई भी भारतवासी मीडिया की एकतरफा खबरों पर भरोसा करके अपने ही धर्म एवं धर्मगुरुओं की निंदा न करें, अपनी विवेक बुद्धि का उपयोग करें और षड्यंत्र को समझकर उसका विरोध करें ।

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Thursday, November 8, 2018

जानिए भाईदूज पर भाई को यमपाश से कैसे छुड़ाएं..?

8 नवम्बर 2018   

🚩 दीपावली के पर्व का पाँचनाँ दिन भाईदूज भाइयों की बहनों के लिए और बहनों की भाइयों के लिए सदभावना बढ़ाने का दिन है।

🚩 भाईदूज का इतिहास

यमराज, यमुना, तापी और #शनि – ये भगवान सूर्य की संताने कही जाती हैं। किसी कारण से यमराज अपनी बहन यमुना से वर्षों दूर रहे। एक बार यमराज के मन में हुआ कि 'बहन यमुना को देखे हुए बहुत वर्ष हो गये हैं।'अतः उन्होंने अपने दूतों को आज्ञा दीः "जाओ जा कर जाँच करो कि यमुना आजकल कहाँ स्थित है।"

🚩यमदूत विचरण करते-करते धरती पर आये तो सही किंतु उन्हें कहीं यमुनाजी का पता नहीं लगा। फिर यमराज स्वयं विचरण करते हुए #मथुरा आये और विश्रामघाट पर बने हुए यमुना के महल में पहुँचे।

🚩बहुत वर्षों के बाद अपने भाई को पाकर बहन यमुना ने बड़े प्रेम से #यमराज का स्वागत-सत्कार किया और यमराज ने भी उसकी सेवा सुश्रुषा के लिए याचना करते हुए कहाः "#बहन ! तू क्या चाहती है? मुझे अपनी #प्रिय #बहन की सेवा का मौका चाहिए।"

Know how to rescue brother from Yempash on Brother Duj ..?

🚩#दैवी स्वभाववाली परोपकारी आत्मा क्या माँगे? अपने लिए जो माँगता है, वह तो भोगी होता है, विलासी होता है लेकिन जो औरों के लिए माँगता है अथवा भगवत्प्रीति माँगता है, वह तो भगवान का भक्त होता है, परोपकारी आत्मा होता है। #भगवान #सूर्य दिन-रात परोपकार करते हैं तो #सूर्यपुत्री यमुना क्या माँगती?

🚩#यमराज चिंतित हो गये कि 'इससे तो #यमपुरी का ही दिवाला निकल जायेगा। कोई कितने ही पाप करे और यमुना में गोता मारे तो यमपुरी न आये ! सब स्वर्ग के अधिकारी हो जायेंगे तो अव्यवस्था हो जायेगी।'

🚩अपने भाई को चिंतित देखकर यमुना ने कहाः ''#भैया ! अगर यह वरदान तुम्हारे लिए देना कठिन है तो आज नववर्ष की द्वितीया है। आज के दिन भाई बहन के यहाँ आये या #बहन भाई के यहाँ पहुँचे और जो कोई भाई बहन से #स्नेह से मिले, ऐसे #भाई को यमपुरी के पाश से मुक्त करने का #वचन को तुम दे सकते हो।"

🚩#यमराज प्रसन्न हुए और बोलेः "बहन ! ऐसा ही होगा।"

🚩#पौराणिक दृष्टि से आज भी लोग बहन यमुना और #भाई यम के इस #शुभ प्रसंग का स्मरण करके #आशीर्वाद पाते हैं व यम के पाश से छूटने का #संकल्प करते हैं।

🚩यह #पर्व भाई-बहन के स्नेह का द्योतक है। कोई बहन नहीं चाहती कि उसका भाई दीन-हीन, तुच्छ हो, सामान्य जीवन जीने वाला हो, ज्ञानरहित, प्रभावरहित हो। इस दिन भाई को अपने घर पाकर बहन अत्यन्त प्रसन्न होती है अथवा किसी कारण से भाई नहीं आ पाता तो स्वयं उसके #घर चली जाती है।

🚩#बहन भाई को इस #शुभ भाव से तिलक करती है कि'मेरा भैया त्रिनेत्र बने।' इन दो आँखों से जो नाम-रूपवाला जगत दिखता है, वह इन्द्रियों को आकर्षित करता है, लेकिन ज्ञाननेत्र से जो जगत दिखता है, उससे इस नाम-रूपवाले जगत की पोल खुल जाती है और जगदीश्वर का #प्रकाश दिखने लगता है।

🚩#बहन तिलक करके अपने भाई को #प्रेम से #भोजन कराती है और बदले में भाई उसको #वस्त्र-अलंकार, दक्षिणादि देता है। #बहन निश्चिंत होती है कि 'मैं अकेली नहीं हूँ.... मेरे #साथ मेरा भैया है।'

🚩#दिवाली के तीसरे #दिन आने वाला #भाईदूज का यह पर्व, भाई की बहन के संरक्षण की याद दिलाने वाला और बहन द्वारा भाई के लिए #शुभ कामनाएँ करने का #पर्व है।

🚩इस दिन #बहन को चाहिए कि अपने भाई की दीर्घायु के लिए यमराज से अर्चना करे और इन अष्ट चिरंजीवीयों के नामों का स्मरण करेः मार्कण्डेय, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा और परशुराम। 'मेरा भाई चिरंजीवी हो' ऐसी उनसे प्रार्थना करे तथा मार्कण्डेय जी से इस प्रकार प्रार्थना करेः

मार्कण्डेय महाभाग सप्तकल्पजीवितः।
चिरंजीवी यथा त्वं तथा मे भ्रातारं कुरुः।।

🚩'हे महाभाग #मार्कण्डेय ! आप सात कल्पों के अन्त तक जीने वाले चिरंजीवी हैं। जैसे आप चिरंजीवी हैं, वैसे मेरा #भाई भी दीर्घायु हो।'

(पद्मपुराण)

🚩इस प्रकार भाई के लिए मंगल कामना करने का तथा #भाई-बहन के पवित्र #स्नेह का पर्व है #भाईदूज।

(संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य "पर्वो का पुंज दीपावली"
से )

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Wednesday, November 7, 2018

नूतनवर्ष को यह काम जरूर करें जिससे वर्षभर प्रसन्न और निरोग रह सकें

7 नवम्बर 2018   

🚩 भारत का नूतन वर्ष चैत्री प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है क्योंकि ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण चैत्र मास के प्रथम दिन किया । इसी दिन से सत्ययुग का आरंभ हुआ । यहीं से हिन्दू संस्कृति के अनुसार कालगणना भी आरंभ हुई । इसी कारण इस दिन वर्षारंभ मनाया जाता है ।

🚩 भारत मे कही कही श्री रामजी के आगमन की खुशी में भी नूतन वर्ष मनाया जाता है गुजरात आदि में दीपावली के दूसरे दिन भी नूतन वर्ष मनाया जाता है ।

🚩 दीपावली का दूसरा दिन अर्थात् गुजरात आदि राज्यों में नूतन वर्ष का प्रथम दिन.. जो वर्ष के प्रथम दिन हर्ष, दैन्य आदि जिस भाव में रहता है, उसका संपूर्ण वर्ष उसी भाव में बीतता है । 'महाभारत' में पितामह भीष्म महाराज युधिष्ठिर से कहते हैं-
यो यादृशेन भावेन तिष्ठत्यस्यां युधिष्ठिर।
हर्षदैन्यादिरूपेण तस्य वर्षं प्रयाति वै।।
Do this work for the new year, to be happy
and healthy throughout the year.

'हे युधिष्ठिर ! आज नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है उसका पूरा वर्ष हर्ष में जाता है और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में ही व्यतीत होता है।'

🚩अतः वर्ष का प्रथम दिन हर्ष में बीते, ऐसा प्रयत्न करें । वर्ष का प्रथम दिन दीनता-हीनता अथवा पाप-ताप में न बीते वरन् शुभ चिंतन में, सत्कर्मों में, प्रसन्नता में बीते ऐसा यत्न करें ।

🚩आज के दिन से हमारे नूतन वर्ष का प्रारंभ भी होता है । इसलिए भी हमें अपने इस नूतन वर्ष में कुछ ऊँची उड़ान भरने का संकल्प करना चाहिए । 

🚩पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में वर्ष के प्रथम दिन नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बाँधते थे, ताकि वहाँ से जो लोग गुजरें वो वर्ष भर प्रसन्न रहें, #निरोग रहें । अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है । उस तोरण के नीचे से गुजरने पर वर्ष भर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधें तो अच्छा है ।

🚩कैसे करें नूतन वर्ष का स्वागत ?

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविंदः प्रभाते करदर्शनम् ।।

🚩अपने मुँह पर हाथ घुमा लेना । फिर दायाँ नथुना चलता हो तो दायाँ पैर और बायाँ चलता हो तो बायाँ पैर धरती पर पहले रखना ।

🚩इस दिन विचारना कि ‘जिन विचारों और कर्मों को करने से हम मनुष्यता की महानता से नीचे आते हैं उनमें कितना समय बरबाद हुआ ? अब नहीं करेंगे अथवा कम समय देंगे और जिनसे मनुष्य-जीवन का फायदा होता है - सत्संग है, भगवन्नाम सुमिरन है, सुख और दुःख में समता है, साक्षीभाव है... इनमें हम ज्यादा समय देंगे, आत्मज्योति में जिएंगे । रोज सुबह नींद से उठकर 5 मिनट शिवनेत्र पर ॐकार या ज्योति अथवा भगवान की भावना करेंगे...।’

🚩नूतन वर्ष के दिन सुबह जगते ही बिस्तर पर बैठे-बैठे चिंतन करना कि ‘आनंदस्वरूप परमात्मा मेरा आत्मा है । प्रभु मेरे सुहृद हैं, सखा हैं, परम हितैषी हैं, ॐ ॐ आनंद ॐ... ॐ ॐ माधुर्य ॐ...।

🚩नूतन वर्ष पर #पुण्यमय दर्शन:-

नूतन वर्ष के दिन #मंगलमय चीजों का दर्शन करना भी शुभ माना गया है, पुण्य-प्रदायक माना गया है । जैसे  : 
उत्तम ब्राह्मण, तीर्थ, वैष्णव, देव-प्रतिमा, सूर्यदेव, सती स्त्री, संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी, गौ, अग्नि, गुरु, गजराज, सिंह, श्वेत अश्व, शुक, #कोकिल, खंजरीट (खंजन), हंस, मोर, नीलकंठ, शंख पक्षी, बछड़े सहित गाय, पीपल वृक्ष, पति-पुत्रवाली नारी, तीर्थयात्री, दीपक, सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा, #माणिक्य, तुलसी, श्वेत पुष्प, फल, श्वेत धान्य, घी, दही, शहद, भरा हुआ घड़ा, लावा, दर्पण, जल, श्वेत पुष्पों की माला, गोरोचन, कपूर, #चाँदी, तालाब, फूलों से भरी हुई वाटिका, शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा, चंदन, कस्तूरी, #कुमकुम, पताका, अक्षयवट (प्रयाग तथा गया स्थित वटवृक्ष), देववृक्ष (गूगल), देवालय, देवसंबंधी जलाशय, देवता के आश्रित भक्त, देववट, सुगंधित वायु, #शंख, दुंदुभि, सीपी, मूँगा, स्फटिक मणि, कुश की जड़, गंगाजी की मिट्टी, कुश, ताँबा, पुराण की पुस्तक, शुद्ध और बीजमंत्रसहित भगवान विष्णु का यंत्र, चिकनी दूब, रत्न, तपस्वी, सिद्ध मंत्र, समुद्र, #कृष्णसार (काला) मृग, यज्ञ, महान उत्सव, गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूलि, गौशाला, गोखुर, पकी हुई खेती से भरा खेत, सुंदर (सदाचारी) #पद्मिनी, #सुंदर वेष, वस्त्र एवं दिव्य #आभूषणों से विभूषित सौभाग्यवती स्त्री, #क्षेमकरी, गंध, दूर्वा, चावल और अक्षत (अखंड चावल), सिद्धान्न (पकाया हुआ अन्न) और उत्तम अन्न- इन सबके दर्शन से पुण्यलाभ होता है ।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंड, अध्याय : ७६ एवं ७८)

🚩दीपावली वर्ष का #आखिरी दिन है और नूतन वर्ष प्रथम दिन है। यह दिन आपके जीवन की डायरी का पन्ना बदलने का दिन है।

🚩दीपावली की रात्रि में #वर्षभर के कृत्यों का सिंहावलोकन करके आनेवाले नूतन वर्ष के लिए #शुभ #संकल्प करके सोएं । उस संकल्प को पूर्ण करने के लिए नववर्ष के प्रभात में अपने माता-पिता, गुरुजनों, सज्जनों, #साधु-संतों को प्रणाम करके तथा अपने सदगुरु के श्रीचरणों में और मंदिर में जाकर नूतन वर्ष के नये प्रकाश, नये उत्साह और नयी प्रेरणा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें । जीवन में नित्य-निरंतर नवीन रस, आत्म रस, #आत्मानंद मिलता रहे, ऐसा अवसर जुटाने का दिन है 'नूतन वर्ष ।'
(संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य ऋषि प्रसाद से)

🚩भारतीय संस्कृति के नूतन वर्ष प्रकाशमय पर्व की आप सभी को खूब-खूब हार्दिक शुभकामनाएँ...

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