Wednesday, December 19, 2018

कर्नाटक की सेक्यूलर सरकार हिन्दुत्ववादियों के साथ कर रही है पक्षपात

18 दिसंबर 2018

🚩भारत की न्यायदेवी  के आंखों पर बंधी पट्टी निष्पक्षता दर्शाती है; परंतु प्रत्यक्ष में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार तथा जनता दल सेक्यूलर की गठबंधन सरकार हिन्दुत्ववादियों की हत्या के प्रकरणों की अनदेखी कर, हिन्दुत्ववादी संगठनों को समाप्त करने हेतु कानून तथा पुलिस का उपयोग कर रही है ।

🚩एक ओर कर्नाटक के 23 हिन्दुत्ववादियों के हत्याकांड के सूत्रधार को खोजने का प्रयास नहीं किया जा रहा । भटकल के भाजपा विधायक डॉ. चित्तरंजन तथा भाजपा के स्थानीय नेता तिमप्पा नाईक के हत्यारों  को आज 14 वर्ष उपरांत भी कर्नाटक पुलिस खोज नहीं पाई । इसके विपरीत दूसरी ओर वामपंथी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या प्रकरण में तत्काल ‘एसआईटी’ गठित कर 16 हिन्दू कार्यकर्ताआें को बंदी बनाया गया । इन हिन्दू आरोपियों की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि न होते हुए भी उनपर कठोर ‘कोक्का’ की धाराएं लगाईं गईं; परंतु पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के मैसूर स्थित ‘आबिद पाशा और गैंग’ ने रा.स्व.संघ-बजरंग दल-भाजपा आदि हिन्दू संगठनों के 7 हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ताआें की क्रूर हत्या की, यह जांच में उजागर हुआ; फिर भी उनपर अभी तक ‘कोक्का’ क्यों नहीं लगाया गया ? उन्हें हर बार न्यायालय में जमानत मिले, इसके लिए जांच में त्रुटियां रखनेवाले अधिकारियों पर आज तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? इस प्रकरण के आरोपियों की ओर से जमानत की शर्तों का उल्लंघन होते हुए भी, उनके संदर्भ में न्यायालय में शिकायत करने पर भी पुलिस उनकी जमानत रद्द नहीं करती, इसके विपरीत उनमें से 3 आरोपी नगरपालिका के चुनाव में एस.डी.पी.आई. के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हैं और आबिद पाशा ‘स्टार प्रचारक’ के रूप में चुनाव में घूम रहा था । ये सब देखते हुए यह संदेह उत्पन्न होता है कि ये जांच की त्रुटियां हैं या कर्नाटक सरकार ही आबिद पाशा गैंग पर मेहरबान है । 
कर्नाटक की सेक्यूलर सरकार हिन्दुत्ववादियों के साथ कर रही है पक्षपात

🚩कर्नाटक सरकार के इस पक्षपात के कारण हिन्दुत्ववादियों की हत्या करनेवाले धर्मांध अपराधी आज मैसूरु शहर में खुलेआम घूम रहे हैं, इस प्रकरण में परिजनों को तथा साक्षिदारों को धमकाने का प्रयास किया जाता है । जिसकी वजह से इस आक्रमण से पीड़ित निर्दोष हिन्दुत्ववादियों के परिजन प्राण हथेली पर रखकर आतंक की छाया में जी रहे हैं । इन हिन्दू परिवारों को कर्नाटक सरकार से न्याय मिलेगा क्या, ऐसा प्रश्‍न हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने इस समय किया । वे मैसूरु के प्रेस क्लब की पत्रकार परिषद में बोल रहे थे । इस समय पत्रकार परिषद में हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अधिवक्ता अमृतेश एन.पी., हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य समन्वयक श्री. गुरुप्रसाद गौड़ा तथा आबिद पाशा के आक्रमण से बाल-बाल बचे श्री. वी. गिरीधर, आनंदा पै तथा मृत त्यागराज पिल्लई के भाई वरदराज पिल्लई उपस्थित थे ।

🚩रमेश शिंदे ने आगे कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस-जेडी (एस.) सरकार हिन्दुआें पर पक्षपाती कार्रवाई कर रही है । मैसुरु जिले में ही आबिद पाशा गँग ने अनेक हत्याएं धार्मिक विद्वेष से की हैं । इसे कोई वैचारिक मतभेद नहीं कह सकता । त्यागराज पिल्लई की केवल इसलिए हत्या की गर्इ कि उसपर ‘मुसलमान लड़की से निकटता बढ़ाने का संदेह’ था । भाजपा के नेता श्री. आनंदा पै पर आक्रमण हुआ, उससे वे अपने प्राण बचाने में सफल रहे; परंतु उनके साथ दोपहिया वाहन पर बैठे उनके सहयोगी श्री. रमेश की हत्या की गई । भाजपा के युवा मोर्चा के नेता वी. गिरीधर पर आक्रमण हुआ, वे 41 दिवस अस्पताल में रहकर मृत्यु के मुख से लौटे । बजरंग दल की आर्थिक सहायता करने के कारण श्री. हरिश एवं श्री. सतीश इन बंधुआें पर किए प्राणघातक आक्रमण में श्री. सतीश की मृत्यु हो गई । इन प्रकरणों में आबिद पाशा और गँग का हाथ था, तब भी पुलिस ने पर्याप्त जांच किए बिना ही केस बंद कर दिया । इसी आबिद पाशा ने दक्षिण कन्नड़ जिले के अधिवक्ता शांति प्रसाद हेगड़े तथा जगदीश शेणावा की हत्या करने का भी असफल प्रयास किया था । आबिद पाशा ने विघ्नेश और सुधींद्र इन विद्यार्थियों की क्रूर हत्या की, जिसके उपरांत इसी प्रकरण के साक्षी बजरंग दल के के. राजू की मार्च 2016 में हत्या की गई । इस हत्या के प्रकरण में आबिद पाशा और गँग को बंदी बनाने पर यह सामने आया कि पहले की 7 हत्याआें में भी उसका ही हाथ था । इस गैंग ने नैतिकता के ठेकेदार बनकर 2014 में परवीन ताज उर्फ मुन्नी नामक मुस्लिम महिला को मुस्लिम विरोधी घोषित कर, उसकी भी हत्या की थी ।

🚩हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता अमृतेश एन.पी. ने जांच की त्रुटियों के विषय में कहा कि आबिद पाशा और गैंग ने ये सभी हत्याएं ठंडे दिमाग से योजनाबद्ध ढंग से किया है और मैसुरु पुलिस तथा कर्नाटक सरकार जांच में जानबूझकर त्रुटियां रखकर उसकी सहायता कर रही थी । इस कारण आबिद पाशा और उसकी गैंग के आरोपी या तो मुक्त हो गए अथवा उन्हें तत्काल जमानत मिल गई । कुछ प्रकरणों में इन आरोपियों पर ‘युएपीए’ जैसे कठोर कानून के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट किए गए थे । फिर भी पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध नहीं किया और आश्‍चर्यजनक रूप से आरोपपत्र प्रविष्ट करते समय ‘युएपीए’ कानून की धाराएं हटा दी गईं । ‘युएपीए’ कानून के अनुसार 30 दिन की पुलिस अभिरक्षा (कस्टडी) मिल सकती है, तब भी मुजम्मिल नामक आरोपी को केवल 7 दिन की पुलिस अभिरक्षा मांगकर छोड़ दिया गया । मा. न्यायालय ने पुलिस पर कठोर टिप्पणी करते हुए गैंग के आरोपियों को जमानत पर छोड़ा । कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में, अर्थात वर्ष 2016 में ही अबिद पाशा ने यह स्वीकार किया था कि उसने 25 लोगों की सहायता से 7 हिन्दुआें की हत्या की; परंतु मुसलमानों के इकट्ठा मतों के लिए कांग्रेस शासन निष्क्रीय रहा और पुलिस ने जानबूझकर की ढीली जांच के कारण आरोपियों को लाभ मिलता गया । इससे कर्नाटक की धर्मनिरपेक्ष सरकार और पुलिस आबिद पाशा गैंग पर मेहरबान है, यह दिखाई देता है ।

🚩इस पूरे प्रकरण से यही दिखाई देता है कि कर्नाटक सरकार हिन्दुत्ववादियों की हत्याआें के विषय में गंभीर नहीं है । इतनी हत्याएं करके भी आबिद पाशा सहित उसकी गैंग के सभी अपराधी आज मैसुरू नगर में खुलेआम घूम रहे हैं, जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं । उन्होंने विघ्नेश और सुधींद्र इन विद्यार्थियों की हत्या प्रकरण के साक्षी के. राजू की हत्या की, इसका उदाहरण सामने होते हुए भी किसी भी साक्षी को सुरक्षा नहीं दी गई है । इस कारण हिन्दुत्ववादियों के परिजन आतंक की छाया में जी रहे हैं । इन हिन्दुत्ववादियों के परिजनों को न्याय दिलाने हेतु हमारी शासन से मांगें हैं . . .

1. आबिद पाशा और गैंग के सदस्यों ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है, इसलिए उनकी जमानत रद्द कर, उन्हें तत्काल बंदी बनाया जाए ।

2. हिन्दुत्ववादियों के परिजनोंको तथा साक्षी (गवाह)को तत्काल सुरक्षा दी जाए तथा शासन उनकी आर्थिक सहायता करे ।

3. इन प्रकरणों की जांच सी.बी.आई. अथवा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण को सौंपकर गहन जांच की जाए । इसमें मैसुरु की हत्याआें के फरार सूत्रधार ‘टिंबर आतिक’ को खोजा जाए तथा  कर्नाटक के अन्य स्थानों के हिन्दुत्ववादियों की हत्याआें से भी इन आरोपियों का कोई संबंध है क्या, इसकी जांच की जाए ।

4. प्रकरणों की जांच में तथा न्यायालयीन कामकाज में त्रुटि रखनेवाले अधिकारियों को निलंबित कर उनकी जांच की जाए ।

5. ‘कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी’ नामक प्रतिबंधित सिमी से संलग्न संगठन के आबिद पाशा और गँग के ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ इस संस्था से संबंध ध्यान में रखते हुए उसे प्रतिबंधित किया जाए ।

🚩हिंदुस्तान में ही हिंदुओं की एकता न होने के कारण आज हिंदुओं की दुर्दशा हो रही है, अपने धर्म के प्रति जागरूक नहीं है,हिन्दू जाति-पाति में बंटा है और सेक्युलर बनता जा रहा है जिसके कारण आज हिन्दू संस्कृति, हिन्दू मंदिरों, हिंदुनिष्ठ व हिंदू साधु-संतों के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं । अब हिंदुओं को जागरूक होना पड़ेगा ।

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Tuesday, December 18, 2018

गीता के दीवाने अकबर की रानी से लेकर विदेश के प्रधानमंत्री व तत्वचिंतक रहे है

18 दिसंबर 2018
🚩श्रीमद्भागवत गीता सिर्फ हिंदुओं का ही नहीं अपितु मानव मात्र का ग्रंथ है । ये एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें प्रत्येक धर्म, मजहब, मत, पंथ के लोगों के कल्याण का मार्ग बहुत ही सरलता से बताया गया है और हो भी क्यों न, आखिर इसका ज्ञान स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने जो दिया है ।
Gita's crazy queen has been the prime minister
and philosopher from Akbar's queen
🚩वैसे तो इस ग्रंथ का सभी धर्म के लोग सम्मान करते हैं लेकिन कट्टर मुसलमान की बच्ची और अकबर की रानी ताज भी इस गीताकार के गीत गाये बिना नहीं रहती थीं ।
ताज अपनी एक कविता में कहती हैं कि...
सुनो दिलजानी मेरे दिल की कहानी तुम ।
दस्त ही बिकानी, बदनामी भी सहूँगी मैं ।।
देवपूजा ठानी मैं, नमाज हूँ भुलानी ।
तजे कलमा कुरान सारे गुनन गहूँगी मैं ।।
साँवला सलोना सिरताज सिर कुल्ले दिये ।
तेरे नेह दाग में, निदाग हो रहूँगी मैं ।।
नन्द के कुमार कुरबान तेरी सूरत पै ।
हूँ तो मुगलानी, हिन्दुआनी रहूँगी मैं ।।"

🚩अकबर की #रानी ताज अकबर को लेकर आगरा से #वृंदावन आयी । #कृष्ण के मंदिर में आठ दिन तक कीर्तन करते-करते जब आखिरी घड़ियाँ आयी, तब ‘#हे कृष्ण ! मैं तेरी हूँ, तू मेरा है...’ कहकर उसने सदा के लिए माथा टेका और #कृष्ण के चरणों में समा गयी । #अकबर बोलता है : ‘‘जो चीज जिसकी थी, उसने उसको पा लिया । हम रह गये...’’
🚩गीता पढ़कर 1985-86 में गीताकार की #भूमि को प्रणाम करने के लिए #कनाडा के #प्रधानमंत्री मि. #पीअर #ट्रुडो #भारत आए थे ।
🚩ट्रुडो ने कहा है : ‘‘#मैंने #बाइबिल पढ़ी, एंजिल पढ़ी और अन्य धर्मग्रंथ पढ़े । #सब ग्रंथ अपने-अपने स्थान पर #ठीक हैं किंतु #हिन्दुओं का यह ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ ग्रंथ तो अद्भुत है । इसमें किसी मत-मजहब, पंथ या सम्प्रदाय की निंदा-स्तुति नहीं है वरन् इसमें तो #मनुष्यमात्र के विकास की बातें हैं । गीता मात्र हिन्दुओं का ही धर्मग्रंथ नहीं है बल्कि #मानवमात्र का धर्मग्रंथ है ।’’
🚩ख्वाजा दिल मुहम्मद ने लिखा : ‘‘रूहानी गुलों से बना यह गुलदस्ता हजारों वर्ष बीत जाने पर भी दिन दूना और रात चौगुना महकता जा रहा है । यह गुलदस्ता जिसके हाथ में भी गया, उसका जीवन महक उठा । ऐसे #गीतारूपी गुलदस्ते को मेरा #प्रणाम है । #सात सौ श्लोकरूपी फूलों से सुवासित यह गुलदस्ता #करोड़ों लोगों के हाथ गया, फिर भी मुरझाया नहीं ।’
🚩इतना ही नहीं #महात्मा थोरो भी #गीता के ज्ञान से प्रभावित हो के अपना सब कुछ छोड़कर अरण्यवास करते हुए एकांत में कुटिया बनाकर #जीवन्मुक्ति का आनंद लेते थे ।
🚩श्रीमद्भगवद्गीता के विषय में संतों एवं विद्वानों के विचार!!
🚩श्रीमद्भगवद्गीता भारत के विभिन्न मतों को मिलानेवाली रज्जु तथा राष्ट्रीय-जीवन की अमूल्य संपत्ति है । भारतवर्ष का राष्ट्रीय धर्मग्रंथ बनने के लिए जिन-जिन विशेष गुणों की आवश्यकता है, वे सब श्रीमद्भगवद्गीता में मिलते हैं । इसमें केवल उपयुक्त बातें ही नहीं हैं अपितु यह भावी विश्वधर्म का सर्वोपरि धर्मग्रंथ है । भारतवर्ष के प्रकाशपूर्ण अतीत का यह महादान मनुष्य-जाति के और भी उज्जवल भविष्य का निर्माता है ।  - मि. एफ.टी. बू्रक्स
🚩श्रीमद्भगवद्गीता योग का एक ऐसा ग्रंथ है जो किसी जाति, वर्ण अथवा धर्मविशेष के लिए ही नहीं अपितु सारी मानव-जाति के लिए उपयोगी है । - डॉ. मुहम्मद हाफिज सैयद
🚩किसी भी जाति को उन्नति के शिखर पर चढ़ाने के लिए गीता का उपदेश अद्वितीय है ।
- वॉरेन हेस्टिंग्स (भारत का वायसराय)
🚩भारतवर्ष के धार्मिक-साहित्य का कोई अन्य ग्रंथ भगवद्गीता के समान स्थान प्राप्त करने योग्य नहीं प्रतीत होता । - डॉ. रिचार्ड गार्वे
🚩भगवद्गीता में दर्शनशास्त्र और धर्म की धाराएँ साथ-साथ प्रवाहित होकर एक-दूसरे के साथ मिल जाती हैं । भगवद्गीता और भारत के प्रति हम लोग (जर्मन लोग) आकर्षित होते रहते हैं । - डॉ. एल्जे. ल्युडर्स (जर्मनी)
🚩सत् क्या है इसका विवेचन भगवद्गीता में बहुत अच्छी तरह से किया गया है । विश्व में यह ग्रंथ-रत्न अप्रतिम है, अद्भुत है ।
- लॉर्ड रोनाल्डशे
🚩बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है । उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है । मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ कि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाये हैं, उनका समाधान गीताग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है । उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरपूर लगे इसीलिए गीताजी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं । वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है । - एफ. एच. मोलेम (इंग्लैन्ड)
🚩गीताग्रंथ अद्भुत है । #विश्व की 578 #भाषाओं में #गीता का अनुवाद हो चुका है । हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों एवं भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, होती रहेंगी क्योंकि  इस  ग्रंथ  में सभी देश,  जाति, पंथ  के  सभी  मनुष्यों  के  कल्याण  की अलौकिक सामग्री भरी हुई है ।
अतः हम सबको #गीताज्ञान में अवगाहन करना चाहिए । #भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करानेवाला यह #गीताग्रंथ विश्व में अद्वितीय है । - ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज
🚩विरागी जिसकी इच्छा करते हैं, संत जिसका प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं और पूर्ण ब्रह्मज्ञानी जिसमें ‘अहमेव ब्रह्मास्मि’ की भावना रखकर रमण करते हैं, #भक्त जिसका #श्रवण करते हैं, जिसकी त्रिभुवन में सबसे पहले वन्दना होती है, उसे लोग ‘#भगवद्गीता’ कहते हैं ।                                                                                -संत #ज्ञानेश्वरजी
🚩गीता के ज्ञानामृत के पान से मनुष्य के जीवन में साहस, समता, सरलता, स्नेह, शांति, धर्म आदि दैवी गुण सहज ही विकसित हो उठते हैं । अधर्म, अन्याय एवं शोषकों का मुकाबला करने का सामर्थ्य आ जाता है । निर्भयता आदि दैवी गुणों को #विकसित करनेवाला, भोग और #मोक्ष दोनों ही प्रदान करनेवाला यह ग्रंथ पूरे विश्व में अद्वितीय है ।
- संत आसारामजी बापू
🚩जिस मनुष्य ने श्रीमद्भगवद्गीता का थोड़ा भी अध्ययन किया हो, श्रीगंगाजल का एक बिन्दु भी पान किया हो अथवा भगवान श्रीविष्णु का सप्रेम पूजन किया हो, उसे यमराज नजर उठाकर देख भी नहीं सकते । अर्थात् वह संसार-बंधन से मुक्त होकर आत्यन्तिक आनन्द का अधिकारी हो जाता है ।                                                                            - जगद्गुरु श्री शंकराचार्यजी
(स्त्रोत्र :  संत श्री आसारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित, ऋषि प्रसाद)
गीता की महिमा विदेश के प्रधानमंत्री व तत्वचिंतक समज सकते है तो फिर भारत के हिन्दू कब समझेंगे ? गीता पढ़कर #हिन्दू धर्म की महत्ता समझ गये तो भारत में हिन्दू #गीता, #उपनिषद आदि हिन्दू धर्मग्रंथों को क्यों नही पढ़ रहे हैं? हिंदुओं ने अपने धर्म की उपेक्षा करने लगे है और पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित होने लगे हैं इसलिए आज भारतीय संस्कृति पर प्रहार होने लगा है और #विदेशी #ताकतें #हिन्दुओं का #धर्मान्तरण करवा रहे हैं ।
🚩विदेशों में श्री गीता का महत्व समझकर स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाने लगे है, भारत सरकार भी अगर बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनना चाहती है तो सभी स्कूलों कॉलेज में गीता अनिवार्य कर देना चाहिए ।
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Monday, December 17, 2018

निचली कोर्ट ने दी थी उम्रकैद की सजा, हाईकोर्ट ने 10 साल बाद किया निर्दोष बरी

17 दिसंबर 2018
🚩 भारत में अंग्रेजों ने जो कानून बनाया था वे देशहित कार्य करने वाले व्यक्तियों को फँसाने एवं निर्दोष को न्याय न मिले और यदि कोई अपराधी बचना चाहे तो आसानी से बच सके इस उद्देश्य से बनाया था, जो आज भी चल रहे हैं जिसका शिकार सिर्फ आम जनता, गरीब और हिन्दूनिष्ठ ही हो रहे हैं । बाकी नेता, अभिनेता, अमीर, पत्रकार, ईसाई और मुस्लिम धर्मगुरुओं पर कानूनी कार्यवाही या तो देर से होती है अथवा न के बराबर होती है ।
🚩 जाने कहाँ दग़ा दे-दे, जाने किसे सज़ा दे-दे
साथ न दे कमज़ोरों का, ये साथी है चोरों का
बातों और दलीलों का, ये खेल वक़ीलों का
ये इन्साफ़ नहीं करता, किसी को माफ़ नहीं करता
माफ़ इसे हर ख़ून है ये अन्धा क़ानून है ...
The lower court had sentenced to life
imprisonment the High Court acquitted

🚩आज एक के बाद एक कानूनी फैसलों को देख ये पंक्तियां बिल्कुल सहीं बैठती हैं कि कानून अंधा होता है । पहले भी कई फैसले न्यायालय द्वारा ऐसे दिए गए हैं, जिनसे दोषियों की सज़ा का तो पता नहीं, लेकिन निर्दोष लोगों के साथ बड़ा अन्याय हुआ है ।
🚩आज से पहले भी कई दोषी नेता-अभिनेता, पत्रकार निर्दोष रिहा हुए हैं वहीं बेगुनाह हिंदू संत, राष्ट्रवादी एवं हिंदुनिष्ठ लोग और आम जनता इस अंधे कानून के फैसले का शिकार हुए हैं । ऐसे निर्दोष लोग जिन्होंने कोई जुर्म न किया हो फिर भी सालों तक जेल में रहना पड़ा हो और फिर कई वर्षों बाद निर्दोष बरी होते हैं, इज्जत-आबरू पैसों के साथ-साथ इतने वर्षों का समय भी जेल में बर्बाद हो जाता है ।
🚩ऐसा ही एक वाकया हुआ अमृतसर के रहने वाले गोगा के साथ.. जिसे एक ऐसे हत्या के आरोप में 9 साल जेल में बिताना पड़ा जो उसने कभी किया ही नहीं...
🚩क्या है पूरा मामला ?
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हत्या के आरोप में दस वर्षों से उम्रकैद की सजा काट रहे व्यक्ति को आरोप मुक्त कर दिया है । न्यायमूर्ति ए. बी. चौधरी और कुलदीप सिंह की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई और सभी दलीलों से सहमत होकर ये पाया कि सनी उर्फ गोगा का इस हत्या में कोई हाथ नहीं था। न्यायालय ने इस मामले में गोगा को बरी कर दिया । वरिष्ठ वकील विशाल हांडा ने बताया कि अमृतसर के सनी उर्फ गोगा को अदालत ने 9 साल की कानूनी लड़ाई के बाद हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया है । गोगा दस साल से जेल में बंद था । उन्होंने बताया कि टैक्सी चालक अवतार सिंह की हत्या होने पर उसके भाई सुखचैन सिंह ने छेहरटा थाना में 11 सितंबर 2009 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी ।
🚩दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार अवतार टैक्सी स्टैंड छेरहटा में अपने भाई सुखचैन सिंह के साथ टैक्सी चलाया करता था, 21 अगस्त 2009 को रोशन नाम का शख्स अपने किसी मित्र के साथ अवतार के पास टैक्सी की बुकिंग के लिए आया तथा उसका कांटेक्ट नंबर ये कहकर ले गया कि उसे सलाह करके फ़ोन पर बताएंगे । 23 अगस्त को अवतार सिंह के पास रोशन का फ़ोन आया और उन्होंने कश्मीर जाने के लिए टैक्सी बुक करवा दी ।
🚩कश्मीर पुलिस ने 27 अगस्त 2009 को अवतार की टैक्सी एक सुनसान जगह पर खड़ी पाई। गाड़ी के कागज की शिनाख्त पर उन्होंने उसके भाई सुखचैन को फ़ोन कर इसकी सूचना दी थी । अवतार गायब था इसलिए 11 सितम्बर 2009 को अमृतसर के छेहरटा थाना में एफआईआर दर्ज की गयी । इसी दौरान 30 सितंबर 2009 को अवतार सिंह का शव अमरोंग नाला खाई जिला रामबाण में मिला । कश्मीर पुलिस ने सारे थानों में इसकी जानकारी दी ।
🚩अमृतसर पुलिस ने रोशी और गोगा को एक साथ जाते हुए पकड़ा और उन्हें अवतार की हत्या के जुर्म में जेल भेज दिया जबकि सनी उर्फ गोगा का कहना था कि वह रोशन के साथ कभी कश्मीर गया ही नहीं । वर्ष 2009 से 2012 तक मामले की सुनवाई जारी रही और 2012 में रोशन और सनी को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई । वर्ष 2012 में इस मामले में गोगा के हक में अपील दायर की गयी जो अब जाकर खुली ।
🚩आखिरकार सत्य परेशान तो हुआ लेकिन उसकी जीत भी हो ही गयी । सवाल यहाँ ये उठता है कि सनी उर्फ गोगा के उन 10 सालों का हिसाब कौन देगा, जो उसने बेवजह जेल में बिताए ? गोगा को सिर्फ इसलिए ही सज़ा मिली क्योंकि वो रोशन के साथ पाया गया तो क्या अगर रोशन के साथ गोगा की जगह कोई बिल्ली या कुत्ता घूम रहा होता तो उसे भी सज़ा मिलती ?
🚩 हमारे देश में जो अंग्रेजों के बनाये कानून चल रहे हैं उससे आम जनता बेहद दुःखी है नेता, अभिनेता,पत्रकारों, धनी व्यक्तियों को तो तुरन्त जमानत भी हासिल हो जाती है और कोर्ट में भी धक्के नहीं खाने पड़ते, लेकिन एक आम आदमी अपने गहने-मकान-प्रोपर्टी आदि बेचकर भी न्यायालय में न्याय पाने को तरसता रहता है, लेकिन अफसोस उसे सालों तक न्याय नहीं मिल पाता है यहाँ तक कि उसको अपना पक्ष रखने के लिए जमानत तक नहीं दी जाती है ।
🚩इससे तो आम जनता का कानुन पर से भरोसा ही उठता जा रहा है ।
🚩 हिन्दू साधु-संतों और हिन्दू कार्यकर्ताओं के साथ भी ऐसे ही हो रहा है ।
बिना सबूत साध्वी प्रज्ञा को 9 साल, स्वामी असीमानन्दजी को 8 साल, डीजी वनजारा जी को 8 साल, कर्नल पुरोहित को 7 आदि आदि को बिना सबूत जेल में रखा गया था ।
🚩आज भी बिना सबूत श्री धनंजय देसाई और श्री नारायण साई 5 साल से जेल में बंद हैं, लेकिन उनको जमानत नहीं मिल पा रही है दूसरी ओर अपराधी नेता लालू, अभिनेता सलमान खान, पत्रकार तरुण तेजपाल, अमीर विजय माल्या, नीरव मोदी, अनेक ईसाई पादरी और मौलवी आदि आज़ाद घुम रहे हैं ।
🚩इससे साफ पता चलता है कि अंग्रेजों के बनाए गए कानून के कारण गरीब, आमजनता और हिन्दूनिष्ठ ही शिकार हो रहे है ।
🚩अभी हाल ही में धर्मान्तरण रोकने वाले 82 वर्षीय हिन्दू संत आसाराम बापू को तथाकथित छेड़छाड़ के आरोप में पास्को एक्ट लगाकर उम्रकैद दे दी, उससे पहले 5 साल तक उनके केस की सुनवाई चली उसमें एक दिन के लिये भी जमानत नहीं दी गई थी । और उनके पक्ष में अनेक सबूत थे जो उन्हे निर्दोष साबित करते हैं, लेकिन उन्हें अनदेखा कर उम्रकैद सुना दी, खैर उनका केस उच्चन्यायालय में जा चुका है और उन्हें निर्दोष बरी करना पड़ेगा, लेकिन यहां मुद्दा ये है कि कानून द्वारा केवल आम जनता और हिंदुनिष्ठों को ही क्यों प्रताड़ित किया जाता है ?
🚩सरकार और न्यायालय को इस पर गंभीर विचार करना चाहिए ताकि आम व्यक्ति को शीघ्र न्याय मिले इसके लिए कदम आगे बढ़ाना चाहिए अन्यथा सालों तक निर्दोष होने पर भी जेल में रहना फिर बेल मिलना ये अन्याय ही है ।
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