Thursday, April 4, 2019

अपने घर पर 6 अप्रैल को ध्वजा फहराने से मिलेगा यश, कीर्ति और विजय

04 अप्रैल 2019
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🚩 चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं । इसी दिन से काल गणना शुरू हुई थी ।
🚩भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।

🚩इस दिन भूलोक के वातावरण में रजकणों का प्रभाव अधिक मात्रा में होता है, इस कारण पृथ्वी के जीवों का क्षात्रभाव भी जागृत रहता है । इस दिन वातावरण में विद्यमान अनिष्ट शक्तियों का प्रभाव भी कम रहता है ।
🚩 नूतनवर्षारंभ पर ध्वजा खड़ी करने का शास्त्रीय महत्व...
🚩देवासुर संग्राम में भगवान श्री विष्णु ने देव सैनिकों को युद्ध के प्रत्येक स्तर पर लाभान्वित करने के लिए युद्ध में जाने से पूर्व, युद्ध के समय एवं युद्ध समाप्ति पर विविध प्रकार की ध्वजा ले जाने की सलाह दी । देवताओं के विजयी होने पर देव सैनिकों ने सोने की लाठी पर रेशमी वस्त्र लगाकर उस पर सोने का कलश रखा । इस प्रकार ध्वजा खड़ी करने से ध्वजा द्वारा संपूर्ण वातावरण में चैतन्य प्रक्षेपित होता है । इस चैतन्य का उस वातावरण में विद्यमान जीवों पर भी प्रभाव पड़ता है । स्वर्ग लोक का वातावरण सात्त्विक एवं चैतन्यमय होता है । इस कारण धर्मध्वजा पर केवल वस्त्र लगाने से ही धर्मध्वजा में उच्च लोकों से प्रक्षेपित तरंगें आकृष्ट होती हैं । इनसे देवताओं को लाभ होता है । धर्मध्वजा में विद्यमान देवतातत्त्व का सम्मान करने के लिए कभी-कभी उसे पुष्पमाला अर्पण करते हैं ।
🚩पृथ्वी का वातावरण रज-तमात्मक होता है । साथ ही पृथ्वीवासियों में ईश्वर के प्रति भाव भी अल्प होता है । उन्हें धर्मध्वजाका लाभ मिले, इसलिए धर्मध्वजा को नीम के पत्ते एवं शक्कर के पदकों की माला लगाई जाती हैं । स्वर्गलोक की धर्मध्वजा में पृथ्वी की गुड़ी की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक मात्रा में चैतन्य ग्रहण होता है । उसके प्रक्षेपण की मात्रा भी 10 से 15 प्रतिशत अधिक होती है ।
🚩सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद भी अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वों को बड़ी विशालता से जरूर मनाएं ।
🚩 घर के ऊपर झंडा या ध्वज पताका अवश्य लगाए:
🚩हमारे शास्त्रो में झंडा या पताका लगाने का विधान है । पताका यश, कीर्ति, विजय , घर में सुख समृद्धि , शान्ति एवं पराक्रम का प्रतीक है । जिस जगह पताका या झंडा फहरता है उसके वेग से नकारात्मक उर्जा दूर चली जाती है ।
🚩हिन्दू समाज में अगर सभी घरों में चैत्री नुतनवर्ष के दिन भगवा स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा फहरेगा तो हिन्दू समाज का यश, कीर्ति, विजय एवं पराक्रम दूर दूर तक फैलेगा ।
🚩 पहले के जमाने में जब युद्ध में या किसी अन्य कार्य में विजय प्राप्त होती थी तो ध्वजा फहराई जाती थी। ध्वजा का जहां सनातन धर्म में विशेष महत्व एवं आस्था रही है वहीं ध्वज की छत्र छाया में हो रहे पर्यावरण की शुद्धिकरण से सभी को लाभ मिलेगा ।
🚩शास्त्रों में भी ध्वजारोहण का विशेष महत्व बताया गया है झंडे या पताका आयताकार या तिकोना होता है ।  जो भवनों, मंदिरों, आदि पर फहराया जाता है ।
🚩घर पर ध्वजा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश तो होता ही है साथ ही घर को बुरी नजर से भी बचाव होता है। घर पर किसी भी प्रकार की बाहरी हवा नहीं लगती है। घर में भूत, प्रेत आदि का प्रवेश नहीं होता । ध्वजा पर हनुमान जी का स्थान होता है, स्वयं हनुमान जी सम्पूर्ण प्रकार से घर की, घर के सम्पूर्ण सदस्यों की रक्षा करते हैं । सभी प्रकार के अनिष्टों से बचा जा सकता है ।
🚩सभी हिन्दू घरों में वायव्य कोण यानि उत्तर पश्चिम दिशा में झंडा या ध्वजा जरूर लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पश्चिम कोण यानि वायव्य कोण में राहु का निवास माना गया है। ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है और घर में सुख व समृद्धि बढ़ती है।
🚩 सभी हिन्दू अपने घरों में पीले, सिंदूरी, लाल या केसरिया रंग के कपड़े पर स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ झंडा अवश्य लगाये। मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति मंदिर के ऊपर लहराता हुआ झंडा देखे तो कई प्रकार के रोग का शमन हो जाता है ।
🚩अतः भारतीय नववर्ष रविवार 6 अप्रैल 2019 को अपने घर पर ध्वज पताका अवश्य लगाए ।
🚩‘नववर्षारंभ’ त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाये और अपनी संस्कृति की रक्षा करेंगे ऐसा प्रण करें।
🚩आप सभी भारतवासी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.!!
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Wednesday, April 3, 2019

चैत्री नूतनवर्ष की विशेषताएं जानकर आप भी स्वयं को गौरवान्वित महसूस करेंगे

03 अप्रैल 2019
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🚩 चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पाड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है । इस दिन हिन्दू नववर्ष का आरम्भ होता है । 'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है । इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।
🚩 चैत्रमास की शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि की उत्पति हुई थी और इस दिन कुछ ऐसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं जिसके कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है  ।
आइये आपको इस दिन के इतिहास से जुड़ी कुछ घटनाएं बताये...


🚩 इतिहास में इस प्रकार वर्णित है चैत्री वर्ष प्रतिपदा...
1. भगवान ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि का सर्जन...
2. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्‍याभिषेक...
3. माँ दुर्गा के नवरात्र व्रत का शुभारम्भ...
4. प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ..
5. उज्जैनी सम्राट विक्रमादित्‍य द्वारा विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ..
6. शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग) का प्रारंभ...
7. महर्षि दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज का स्‍थापना दिवस..
8. भगवान झूलेलाल का अवतरण दिन..
9. मत्स्यावतार दिवस..
10 - डॉ॰केशवराव बलिरामराव हेडगेवार जन्मदिन  ।
🚩 नतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती हैं...!!! इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है ।  चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं ।
🚩शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है । ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग तैयार होता है । महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक...दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की थी  ।
🚩वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्तों में #गुड़ीपड़वा की गिनती होती है ।  इसी दिन भगवान #राम ने बालि के अत्याचारी शासन से  प्रजा को मुक्ति दिलाई थी ।
🚩 नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों...???
🚩 भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।
🚩आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यवहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है । इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है ।
🚩विक्रमी संवत किसी की संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है । हम इसको पंथ निरपेक्ष रूप में देखते हैं । यह संवत्सर किसी देवी, देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, ईस्वी या हिजरी सन की तरह किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है ।
🚩हमारी गौरवशाली परंपरा विशुद्ध अर्थों में प्रकृति के शास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है ।
🚩प्रतिपदा का यह शुभ दिन भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है । ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की । यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं ।
🚩आज भी हमारे देश में प्रकृति, शिक्षा तथा राजकीय कोष आदि के चालन-संचालन में मार्च, अप्रैल के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही देखते हैं । यह समय दो ऋतुओं का संधिकाल है ।  प्रतीत होता है कि प्रकृति नवपल्लव धारण कर नव संरचना के लिए ऊर्जस्वित होती है । मानव, पशु-पक्षी यहां तक कि जड़-चेतन प्रकृति भी प्रमाद और आलस्य को त्याग सचेतन हो जाती है ।
🚩इसी प्रतिपदा के दिन आज से उज्जैनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की । उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा ।
🚩महाराज विक्रमादित्य ने आज से राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर देश से भगा दिया और उनके ही मूल स्थान अरब में विजयश्री प्राप्त की । साथ ही यवन, हूण, तुषार, पारसिक तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई । उसी के स्मृति स्वरूप यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती थी  ।
🚩महाराजा विक्रमादित्य ने भारत की ही नहीं, अपितु समस्त विश्व की सृष्टि की । सबसे प्राचीन कालगणना के आधार पर ही प्रतिपदा के दिन को विक्रमी संवत के रूप में अभिषिक्त किया । इसी दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक अथवा रोहण के रूप में मनाया गया ।
🚩यह दिन ही वास्तव में असत्य पर सत्य की विजय दिलाने वाला है । इसी दिन महाराज युधिष्ठर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया ।
🚩आज भी यह दिन हमारे सामाजिक और धर्मिक कार्यों के अनुष्ठान की धुरी के रूप में तिथि बनाकर मान्यता प्राप्त कर चुका है । यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है । हम प्रतिपदा से प्रारंभ कर नौ दिन में शक्ति संचय करते हैं ।
🚩कैसे मनाएं नूतन वर्ष...???
🚩1- मस्तक पर तिलक, भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य , शंखध्वनि, धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कालेज आदि सभी  मुख्य प्रवेश द्वारों पर बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भगवा ध्वजा फहराकर सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।
🚩 अब से सभी भारतीय संकल्प लें कि अंग्रेजों द्वारा चलाया गया नववर्ष(1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष) न मनाकर अपना महान हिन्दू धर्म वाला नववर्ष मनाएंगे ।
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Tuesday, April 2, 2019

हमारा नया साल कौनसा है ? कवि ने कविता के माध्यम से बताया

🚩हमारा नया साल कौनसा है ? कवि ने कविता के माध्यम से बताया
02 अप्रैल 2019
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🚩जो भारतवासी अंग्रेजों के नये साल में एक-एक माह पहले ही बधाई देने के लिये लाईन लगाए हुए थे आज से ठीक तीन दिन बाद उन्हीं भारतवासियों का नया साल आ रहा है, लेकिन कोई भी भारतवासी मैसेज नहीं कर रहा है ।

🚩अंग्रेजों ने हमे कैसे मानसिक गुलाम बना लिया है इससे साफ पता चलता है कि आजादी मिले भले 72 साल हो गये हो लेकिन मानसिक गुलामी नहीं गई है क्योंकि भारतवासी खुद का नववर्ष भूल गए है और अंग्रेजो का नववर्ष बड़े हर्षोल्लास से मना रहे हैं ।
🚩कवि ने इसपर कविता लिखी है आप भी पढ़कर समझ जाएंगे कि हमें कौनसा नया साल मनाना है ?
ना पक्षियों की चहक, ना ही सुंदर-सुंदर फूलों की महक।
भयंकर ठिठुरती सर्दी में, जन जीवन भी सामान्य नहीं।।
01 जनवरी को नववर्ष, है ईसाई नववर्ष।
यह नहीं है हिन्दू संस्कृति,यह हमें मान्य नहीं।।
🚩ये नववर्ष हमारे संतों ने नहीं, पॉप ग्रिगोरी 13वें ने चलाया था।
जनवरी महीने का ये नाम, जानूस गॉड के नाम पर बनाया था।
क्यों मनाए हम ऐसा नववर्ष, जिसमें नहीं है कोई उत्कर्ष।
चैत्र मास शुक्लपक्ष प्रतिपदा को, आओ मनाए हिन्दू नववर्ष।।
सुंदर मनोरम इस दिन को, वसंत ऋतु का आगमन होता है।
इस दिन वातावरण भी, विशेष सात्विकता संजोता है।।
पेड़ पौधे लहराते है, रंग बिरंगे सुंदर फूल महकते है।
देखकर प्रकृति की अनुपम सुंदरता, पक्षी भी चहकते है।।
🚩ब्रह्माजी ने इस दिन सृष्टि रचना की, सतयुग का आरंभ हुआ।
भगवान राम का राजतिलक हुआ, हिन्दू कालगणना का शुभारंभ हुआ।
करने को सृष्टि की रक्षा, भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ।
भगवान झूलेलाल का अवतरण हुआ, जिससे विश्व का उद्धार हुआ।
महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, पंजाब में इसे बैशाखी बुलाते हैं।
आंध्र, तेलंगाना में उगाडी, असम में बिहू नाम से मनाते हैं।।
06 अप्रैल को नववर्ष स्वागत में, आओ हम सब मिलकर दीप जलाएं ।
रंगोली बनाए, भजन संकीर्तन करें, घर घर भगवा पताका फहराए।।
🚩-कवि सुरेंद्र कुमार जी
🚩हिन्दू संस्कृति के अनुसार इस साल 6 अप्रैल 2019 को नूतन वर्ष आ रहा है । हिन्दू समाज पहले नूतन वर्ष बड़े धूम-धाम से मनाता था लेकिन दुर्भाग्य है कि अंग्रेजों ने अपना कैलेंडर रख दिया और इतिहास से वास्तविक नूतनवर्ष को गायब कर दिया जिसके कारण आज के हिन्दू भारत को गुलाम बनाने वाला नूतनवर्ष मना रहे हैं और अपना नूतनवर्ष भूल गए ।
🚩चैत्रे मासि जगद् ब्रम्हाशसर्ज प्रथमेऽहनि ।
-ब्रम्हपुराण
अर्थात ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण चैत्र मास के प्रथम दिन किया । इसी दिन से सतयुग का आरंभ हुआ । यहीं से हिन्दू संस्कृति के अनुसार कालगणना भी #आरंभ हुई । इसी कारण इस दिन वर्षारंभ मनाया जाता है ।
🚩इस साल सभी भारतीयों को चैत्री शुक्ल प्रतिपदा को धूम-धाम से नववर्ष मनाना चाहिए, सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
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