Monday, April 8, 2019

हिन्दी भाषी छात्रों पर जुल्म कब तक ???

8 अप्रैल 2019
🚩आज भारत को आज़ादी मिले 71 वर्षों से भी अधिक समय हो चुका है, हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन लोगों में देशभक्ति देखने को मिलती है, देशभक्ति के गीत हर जगह गाए और बजाए जाते हैं, लेकिन जब बात अपनी मातृभाषा, अपनी हिंदी पर आती है तो बस एक ही लाइन सुनने में आती है और वो है "My hindi is weak" । ये लाइन बोलने वाला व्यक्ति आज एक सभ्य नागरिक माना जाता है और हिंदी बोलने वाला गांव का गंवार ।
🚩क्या सच में ये हम हिंदुओं का हिंदुस्तान है, जहां की राष्ट्र भाषा हिंदी है ?

🚩एक ओर जहां जर्मनी, जापान, चीन जैसे बड़े-बड़े देश अपनी मातृभाषा को सम्मान देकर, आपनी खुद की राष्ट्रभाषा का उपयोग कर उन्नति के शिखर पर पहुंच रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर हमारे अपने हिंदुस्तान में हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी को महत्व न देकर अंग्रेजी को महत्व दिया जा रहा है ।
🚩यहां तक कि देश की सबसे बड़ी परीक्षा UPSC में भी हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी को महत्व दिया जा रहा है । वैसे तो सभी जगहों पर अंग्रेजी को महत्व दिया जाता है, लेकिन हम यहां UPSC  को इसलिए उजागर कर रहे हैं क्योंकि यही वो परीक्षा है जो देश को बड़े-बड़े IAS, IPS जैसे अधिकारी देती है । देश की सेवा करने के इच्छुक विद्यार्थी इस परीक्षा को बड़े जतन से देते हैं, लेकिन अगर उन्हें सिर्फ इस बात से रोक दिया जाए कि उन्हें अंग्रेजी नहीं आती तो ये कितना उचित है ?
🚩इस वर्ष  UPSC के रिजल्ट ने  हिन्दी भाषी छात्रों को पलायन पर मजबूर कर दिया है । परीक्षा में सम्मिलित 800 छात्रों में मात्र  20 छात्र सफल हुए जो मात्र 2.5% है ।

🚩इसमें जो सफल भी हुए, उनका रैंक बहुत ही ज्यादा हो गया है।  इस वर्ष जिसने हिन्दी भाषा से टॉप किया है, उसका रैंक  389 है, जो कॉपी मूल्यांकन पर बार बार सवाल खड़ा कर रहा है ।
🚩जी हां अभी हाल ही में ऐसा ही चौका देने वाला मामला सामने आया है, राज्य सभा में संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषाओं और हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव का मामला उठा। बीजेपी के उत्तर प्रदेश से सांसद हरनाथ सिंह यादव ने रिपोर्ट के हवाले से बताया कि यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले हिंदी माध्यम के छात्रों की संख्या साल दर साल कम होती जा रही है।
🚩हिंदी मीडियम वालों के साथ भेदभाव:-
🚩हरनाथ सिंह ने कहा कि हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की संख्या में हो रही गिरावट गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने हिंदी मीडियम के अभ्यर्थियों के साथ होने वाली भेदभाव की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि यूपीएससी की मुख्य परीक्षा की कॉपी चेक करने पर भी आरोप लग रहे हैं।
🚩UPSC कॉपी की जांच JNU, BHU जैसे भारत के बड़े बड़े विश्वविद्यालय के प्रोफेसर करते हैं । ये अंग्रेजी माध्यम के जानकार रहते हैं और बहुत से हिन्दी अक्षरों को समझ भी नहीं पाते हैं। और कॉपी में औसत अंक देते जाते हैं।

🚩हिन्दी माध्यम के इंटरव्यू में भी  अंग्रेजी पर आधारित प्रश्न पूछे जाते है, जिसका खामियाजा हिन्दी भाषी छात्र को उठाना पर रहा है।
🚩वे हिंदी माध्यम के छात्रों के साथ भेदभाव करते हैं। तथा इंटरव्यू के दौरान हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के साथ अपमानजनक व्यवहार भी किया जाता है । 
🚩सवाल ही गलत तो जवाब का क्या :-
🚩सांसद सिंह ने यूपीएससी के हिंदी के पेपर को लेकर भी सवाल खड़े किए । उन्होंने कहा कि इंग्लिश के पेपर का हिंदी में अनुवाद गूगल ट्रांसलेट की मदद से किया जाता है । मशीनी अनुवाद होने के कारण सवाल का सिर्फ पूरा ढांचा ही नहीं बदलता, बल्कि कई बार सवाल में काफी गलती होती है। ऐसे में किसी मेधावी छात्र के लिए भी उन सवालों का जवाब देना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि जब सवाल ही गलत होंगे, तो जवाब सहीं कैसे हो सकता है। :- इंडिया टाइम्स
🚩ऊपर की खबरों को पढ़कर आपको पता चल ही गया होगा कि यूपीएससी जैसे एग्जाम में कितने गैरजिम्मेदाराना कार्य हो रहे हैं । देश की अच्छी तरह से सेवा कौन कर सकता ?
🚩वो जो अपनी राष्ट्रभाषा बोलता हो, उसे सम्मान देता हो या वो जो अंग्रेजों की भाषा को अपनाकर, अपनी भाषा को कहीं दूर छोड़ आया हो ?
🚩UPSC के गलत शिक्षा प्रणाली छात्रों पर भारी पड़ रही है,  इसके बावजूद सरकार मौन है ।
🚩माना आज का परिवेश ऐसा बन गया है कि अंग्रेजी को एक जरूरत की तरह देखा जाता है लेकिन इसे बनाने वाले कौन हैं ? क्या हम अपनी हिंदी भाषा बोलकर देश की सेवा नहीं कर सकते ?
🚩सभी मौसियों का सम्मान करना चाहिए लेकिन प्रेम तो अपनी माँ से ही हो, ऐसे ही सभी भाषाओं को सम्मान की दृष्टि से देखो, लेकिन अपनी मातृभाषा, अपनी हिंदी को सर्वोपरि रखो ।
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Sunday, April 7, 2019

जानिए गणगौर पर्व क्यों मनाया जाता है ? व्रत करने से क्या होगा फायदा?

07 अप्रैल 2019

🚩गणगौर का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । यह पर्व चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है इस साल 8 अप्रैल 2019 को यह पर्व मनाया जाएगा ।

भारत देश की संस्कृति इतनी महान, व्यापक और दिव्य है कि हर व्यक्ति की रगों में परोपकार, परहित आदि के लिए स्वार्थरहित होकर कार्य करना जन्म से ही है । 

🚩भारतीय संस्कृति उच्छ्रंखलता को निषिद्ध करके सुसंस्कारिता को प्राथमाकिता देती है । दूसरे देशों में प्रायः ऐसा नहीं है । यूरोप, अमेरिका आदि में तो स्वतन्त्रता के नाम पर पशुता का तांडव हो रहा है । एक दिन में तीन पति बदलने वाली औरतें भी अमेरिका जैसे देश में मिल जाती हैं ।

🚩यूरोप के कई देशों में तो शादी को मुसीबत माना गया है तथा यौन स्वैच्छाचार को वैध माना जाता है जबकि भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के साथ शास्त्रानुकूल शारीरिक संबंध ही वैध माना जाता है । 

🚩गृहस्थाश्रमरूपी रथ के दो पहिये हैं – पति और पत्नी । अगर एक भी पहिये में कमजोरी रहती है तो रथ की गति अवरूद्ध होती है । विदेशों में पति-पत्नी जैसा कोई संबंध रहा नहीं, लेकिन यहाँ भारत में अब भी पति को देवता माना जाता है और पत्नी को देवी कहा गया है इसलिए समाज में इतनी उच्छ्रंखलता, मनमुखता एवं पशुता का खुला प्रचार होते हुए भी दुनिया के 250 देशों का सर्वेक्षण करने वालों ने पाया कि हिन्दुस्तान का दाम्पत्य जीवन सर्वश्रेष्ठ एवं संतुष्ट जीवन है । यह भारतीय संस्कृति के दिव्य ज्ञान एवं ऋषि-मुनियों के पवित्र मनोविज्ञान का प्रभाव है ।

🚩भारत मे महिलाएं पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य उत्तम रहे है इसलिए कई व्रत रखती हैं, उनमें से एक है गणगौर व्रत ।

🚩गणगौर पर्व:-

होली के दूसरे दिन से महिलाएं और नवविवाहिताएं गणगौर की पूजा करनी शुरू कर देती हैं और गणगौर वाले दिन इसका समापन होता है । गणगौर चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक चलने वाला त्योहार है । यह माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा आठ दिनों के बाद ईसर (भगवान शिव ) उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं और चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है ।

🚩विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और प्यार पाने के लिए गणगौर पूजती हैं, वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए ईशर-गणगौर की पूजा करती हैं । होली के दूसरे दिन से ही युवतियां 16 दिनों तक सुबह जल्दी उठकर बगीचे में जाती हैं और दूबा, फूल लाती हैं । उस दूबा से दूध के छींटे मिट्टी की बनी गणगौर माता चढ़ाती हैं । थाल में पानी, दही, सुपारी और चांदी का छल्ला अर्पित किया जाता है ।

🚩प्राचीनकाल में माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या, व्रत आदि किया था । भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और माता पार्वती की मनोकामना पूरी की । तभी से कुंवारी लड़कियां इच्छित वर पाने के लिए और सुहागने अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए ईशरजी और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं ।

🚩गणगौर वाले दिन महिलाएं सज-धज कर सोलह श्रृंगार करती हैं और माता गौरी की विधि-विधान से पूजा करके उन्हें श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करती हैं । इस दिन मिट्टी से ईशर और गणगौर की मूर्ति बनाई जाती है और इन्हें बड़े ही सुंदर ढंग से सजाया जाता है । गणगौर पर विशेष रूप से मैदा के गुने बनाए जाते हैं और गणगौर माता को गुने, चूरमे का भोग लगाया जाता है ।

🚩शादी के बाद लड़की पहली बार गणगौर अपने मायके में मनाती है और गुनों तथा सास के कपड़ों का बायना निकालकर ससुराल में भेजती है । यह विवाह के प्रथम वर्ष में ही होता है, बाद में प्रतिवर्ष गणगौर लड़की अपनी ससुराल में ही मनाती है । ससुराल में भी वह गणगौर का उद्यापन करती है और अपनी सास को बायना, कपड़े तथा सुहाग का सारा सामान देती है ।

🚩साथ ही सोलह सुहागिन स्त्रियों को भोजन कराकर प्रत्येक को सम्पूर्ण श्रृंगार की वस्तुएं और दक्षिणा दी जाती है । दोपहर बाद गणगौर माता को ससुराल विदा किया जाता है, यानि कि विसर्जित किया जाता है । विसर्जन कुएं या तालाब में किया जाता है ।

🚩कुछ समय पहले मनोवैज्ञानिकों ने ʹप्लेनेट प्रोजेक्टʹ के अऩ्तर्गत इंटरनेट के माध्यम से विश्व भर के दम्पत्तियों के वैवाहिक जीवन का सर्वेक्षण किया । सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य था ʹकिस देश के पती-पत्नी एक-दूसरे से संतुष्ट हैं ?ʹ

🚩लम्बी जाँच के बाद जब निष्कर्ष निकाला गया तो विश्लेषक यह देखकर चकित रह गए कि विश्व के 250 देशों में से भारतीय दम्पत्ति एक-दूसरे से सर्वाधिक सुखी व संतुष्ट हैं । अन्य देशों में ऐसा देखने को नहीं मिला ʹवहाँ के दम्पत्ति अपने जीवनसाथी में कुछ-न-कुछ बदलाव अवश्य लाना चाहते हैं ।

🚩भारत के ऋषि-मुनियों ने सत्शास्त्रों के रूप में अपने भावी संतानों के लिए दिव्य ज्ञान धरोहर के रूप में  छोड़ा है तथा इस कलियुग में भी साधु-संत, नगर-नगर जाकर समाज में चरित्र, पवित्रता, अध्यात्मिकता एवं कर्तव्यपरायणता के सुसंस्कार सींच रहे हैं ।

🚩इसी का यह शुभ परिणाम है कि पाश्चात्य अपसंस्कृति के आक्रमण के बावजूद भी ऋषि-मुनियों का ज्ञान भारतवासियों के चरित्र एवं संस्कारों की रक्षा कर रहा है तथा इन्हीं संस्कारों के कारण वे सुखी एवं संतुष्ट जीवन जी रहे हैं ।

🚩रामायण, महाभारत एवं मनुस्मृति व मानवता का प्रभाव ही तो है कि आज भी सर्वेक्षण करने वाले प्लेनेट प्रोजेक्टरों को 250 देशों में केवल भारतीय दम्पत्तियों को ही परस्पर सुखी, संतुष्ट एवं श्रेष्ठ कहना पड़ा । धन्य है भारत की संस्कृति !

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Saturday, April 6, 2019

शोध में सामने आई चौंका देने वाली जानकारी, एनर्जी ड्रिंक का होता है खतरनाक असर

6 April 2019
🚩आज कल बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर व्यक्ति फास्ट फुड, जंक फुड, कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक जैसे आधुनिक आहार के आदि हो चुके हैं । एेसे लोगों की आंखे खोलनेवाला, यह शाेध महत्त्वपूर्ण है । आजकल यंग जेनरेशन को एनर्जी ड्रिंक पीना बहुत भाता है, उनका मानना है इसे पीने से बॉडी को इंस्टेंट एनर्जी मिलती है और वह पढ़ाई या पार्टी बिना थके कर लेते हैं, लेकिन ये बात गलत है क्योंकि #एनर्जी #ड्रिंक्स का #सेवन #मानसिक स्वास्थ्य #समस्याओं, #रक्तचाप, #मोटापा और #गुर्दे की क्षति समेत कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है ।

🚩लंदन : अगर आप भी एनर्जी ड्रिंक पीते हैं, तो सावधान हो जाइए ! दरअसल, एक नए शोध से पता चलता है कि एनर्जी ड्रिंक से युवाओं में नकारात्मक दुष्प्रभाव हो सकते हैं । कनाडा के #ओंटारियो में वाटरलू #विश्वविद्यालय में किए गए शोध में कहा गया है कि ऐसे ड्रिंक्स की बिक्री 16 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को करना प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ।
🚩हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 12 से 24 वर्ष के 55 प्रतिशत बच्चों को एनर्जी ड्रिंक पीने के बाद स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या मिली थी । इनमें हार्ट रेट तेज होने के साथ ही दिल के दौरे जैसी बीमारियां शामिल थीं । शोधकर्ताओं ने 2,000 से अधिक युवाओं से पूछा कि वे रेड बुल या मॉन्सटर जैसे एनर्जी ड्रिंक को कितनी बार पीते हैं ।
🚩शोधकर्ताओं ने कहा कि अन्य कैफीनयुक्त पेय की तुलना में जिस तरह से एनर्जी ड्रिंक का सेवन किया जाता है, उसे देखते हुए एनर्जी ड्रिंक अधिक खतरनाक हो सकते हैं । शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने एनर्जी ड्रिंक का सेवन किया था उनमें से 24.7 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि उनके दिल की धड़कन तेज हो गई थी ।
🚩वहीं 24.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इसे पीने के बाद उन्हें नींद नहीं आ रही थी । इसके अलावा 18.3 प्रतिशत लोगों ने सिरदर्द, 5.1  प्रतिशत ने मिचली, उल्टी या दस्त और 3.6 प्रतिशत लोगों ने छाती के दर्द का अनुभव किया । हालांकि, शोधकर्ताओं के बीच चिंता का कारण यह था कि इन युवाओं ने एक या दो एनर्जी ड्रिंक ही लिए थे फिर भी उन्हें ऐसे प्रतिकूल प्रभावों का अनुभव हो रहा था ।
🚩अध्ययन के बारे में प्रोफेसर डेविड हैमोंड ने कहा कि फिलहाल ऊर्जा पेय खरीदनेवाले बच्चों पर कोई प्रतिबंध नहीं है । किराने की दुकानों में बिक्री के साथ ही बच्चों को टार्गेट करते हुए इसके विज्ञापन बनाए जाते हैं । उन्होंने कहा कि शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि इन उत्पादों के स्वास्थ्य प्रभावों की निगरानी बढ़ाने की जरूरत है ! स्त्रोत : नई दुनिया
🚩एक ताजा अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है । अध्ययन में यह जानकारी निकलकर सामने आई है कि अक्सर एनर्जी ड्रिंक्स को शराब के साथ लिया जा रहा है । अधिकांश #एनर्जी ड्रिंक्स के अवयवों में पानी, चीनी, कैफीन, कुछ विटामिन, खनिज और गैर-पोषक #उत्तेजक पदार्थ जैसे #गुआरना, #टॉरिन तथा #जिन्सेंग आदि #शामिल रहते हैं ।
🚩एनर्जी ड्रिंक्स में लगभग 100 मिलीग्राम कैफीन प्रति तरल औसत होता है, जो नियमित कॉफी की तुलना में आठ गुना अधिक होता है । कॉफी में 12 मिलीग्राम कैफीन प्रति तरल औसत होता है । एनर्जी ड्रिंक्स में उपरोक्त सभी स्वास्थ्य जोखिम इसमें मौजूद चीनी और कैफीन की उच्च मात्रा के कारण होते हैं ।
🚩इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्म श्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, एनर्जी ड्रिंक्स शरीर के लिए नुकसानदेह हैं । उनमें कैफीन की अधिक मात्रा होने से युवाओं एवं बूढ़े लोगों में हृदय ताल, #रक्त प्रवाह और #रक्तचाप की #समस्याएं हो सकती हैं । इन पेय पदार्थो में तौरीन नामक एक तत्व होता है, जो कैफीन के प्रभाव को बढ़ाता है । इसके अलावा, जो लोग शराब के साथ एनर्जी ड्रिंक्स पीते हैं, वे इसके प्रभाव में अधिक शराब पी जाते हैं । एनर्जी ड्रिंक्स लेने से शराब पीने का पता नहीं लग पाता, जिस कारण से लोग अधिक पीने के लिए प्रेरित होते हैं ।
🚩18 वर्ष से कम उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं, कैफीन के प्रति संवेदनशील लोगों, ए.डी.एच.डी. के लिए निर्धारित दवा जैसे एडर आदि लेने वालों के लिए एनर्जी ड्रिंक्स खास तौर पर अधिक नुकसानदेह होते हैं ।
🚩अमेरिका में हुए एनर्जी ड्रिंक से संबंधित एक सर्वेक्षण के अनुसार कैफीन लेने से दौरा पड़ने और सनक की समस्‍या होती है व कई बार तो मौत भी हो जाती है । अगर इसे आप सॉफ्ट ड्रिंक मानते हैं तो ये गलत है । एनर्जी ड्रिंक में मिली कैफीन सीधे दिमाग पर असर करती है, ऐसे में बच्चों का इसे पीने पर पाबंदी होनी चाहिए ।
🚩एनर्जी ड्रिंक में 640 मिग्रा कैफीन:-
विशेषज्ञों के अनुसार, हाई एनर्जी ड्रिंक के एक कैन में अमूमन 13 चम्‍मच चीनी और दो कप कॉफी के बराबर की कैफीन होती है । इस मात्रा से आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि एक बर में इतनी सारी कैलोरी और कैफीन मानव शरीर और दिमाग के लिए खतरा पैदा करने के लिए काफी है । जबकि कई बार तो युवा एक दिन में 3-4 कैन एनर्जी ड्रिंक पी लेते हैं । इसमें लगभग 640 मिग्रा कैफीन की मात्रा होती है, जबकि एक वयस्‍क भी एक दिन में केवल 400 मिग्रा कैफीन ही अवशोषित कर सकता है ।
🚩एनर्जी ड्रिंक के दुष्‍प्रभावों को जानना जरूरी है:-
1) कैफीन पर निर्भरता : यह बात सामान्‍य है कि कैफीन की मात्रा, एनर्जी ड्रिंक में मिली हुई होती है । एनर्जी ड्रिंक को पीने से पता नहीं चलता है कि हमारे शरीर में कैफीन की कितनी मात्रा पहुंचती है । एक बार अगर शरीर को कैफीन की लत लग गई तो अन्‍य समस्‍याएं भी खड़ी हो सकती है। इसलिए इसे न पीना ही बेहतर विकल्‍प है ।
🚩2) नींद न आना : एनर्जी ड्रिंक को पीने से ज्‍यादा एनर्जी आने के कारण रात में भी नींद न आने की समस्‍या पैदा हो सकती है । शरीर और दिमाग थक जाते हैं लेकिन नींद नहीं आती है जिसके चलते उलझन होती है । जो लोग प्रतिदिन एनर्जी ड्रिंक का सेवन करते हैं, उन्हें ऐसी समस्‍या का सामना अक्‍सर झेलना पड़ता है ।
🚩3) मूड पर प्रभाव : अध्‍ययनों से यह बात स्‍पष्‍ट हो चुकी है कि एनर्जी ड्रिंक पीने से व्‍यक्ति के मूड पर प्रभाव पड़ता है और उसका मूड स्‍वींग होता रहता है । इसके सेवन से मस्तिष्क में सकारात्मक सोच उत्पन्न करने वाला सेरोटोनिन घट जाता है जिससे व्‍यक्ति को अवसाद हो जाता है या उसका मूड उखड़ा-उखड़ा रहता है।
🚩4) शुगर बढ़ना : एनर्जी ड्रिंक में भरपूर मात्रा में शुगर मिली होती है । एक ड्रिंक में लगभग 13 चम्‍मच चीनी होती है जो शरीर में शुगर लेवल को बढ़ा देती है जिससे कई प्रकार की गंभीर समस्‍याएं होने का खतरा रहता है । इसके सेवन से डिहाइड्रेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव, खराब दांत आदि होने की संभावना भी होती है।
🚩5) अंगो पर तनाव : एनर्जी ड्रिंक के सेवन से शरीर के सभी अंगो पर स्‍ट्रेस पड़ता है क्‍योंकि वह थक जाते हैं और उन्‍हे आराम नहीं मिल पाता है । अगर आप शरीर को स्‍वस्‍थ और खुशहाल बनाना चाहते हैं तो एनर्जी ड्रिंक का सेवन न करें ।
🚩एनर्जी ड्रिंक को हेल्‍दी ड्रिंक का विकल्‍प कभी न बनाएं और न ही इसे अपनी आदत बनाएं । इसकी जगह ताजे फल और फलों का जूस पीने से अधिक एनर्जी बढ़ती है और शरीर स्वस्थ्य रहता है ।
🚩आज कल टीवी अखबारों, चलचित्रों, फिल्मों द्वारा पश्चिमी संस्कृति का महिमामंडन हो रहा है जिसके कारण आज बचपन से ही उनसे प्रभावित हो जाते हैं और अपने जीवन को निस्तेज कर देते हैं अतः आप ऐसी #पाश्चात्य #संस्कृति का #अंधानुकरण न #करें । ताजे फलों का रस, देशी गाय का दूध, घी, गौझरण आदि का उपयोग करके स्वस्थ्य, सुखी और सम्मानित जीवन जिएं ।
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